अमेरिका की राजनीति से लेकर भारत की राजनीति तक, उस #तिलिस्मी विध्वंसक शक्ति के प्रयोग और संयोग की सच्चाई की कहानी।
अमेरिका के पुर्व राष्ट्रपति और वर्तमान में राष्ट्रपति उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप पर परसों हुए हत्या के प्रयास में, डोनाल्ड ट्रंप के सिर और गोली के बीच का आधा इंच का गैप अमेरिका के अच्छे भविष्य को अमेरिकी लोगे से इतना दूर ले जाने वाला था की उस गैप को अमेरिका कभी भी नहीं भर पाता. जो भी होता है अच्छे के लिए ही होता है, ट्रंप को अब अमेरिकी राष्ट्रपति बनने से कोई नही रोक सकता. इन सब के उपरांत हमें भारतीय संदर्भ में यह समझ जाना चाहिए कि 20 वर्ष का एक तथाकथित सिरफिरा जो उनके इकोसिस्टम का हिस्सा हो और उसे एक बंदूक चाहिए जो लक्ष्य साधने में सफल रहे. मोदी जी, शिंजो आबे से लेकर डोनाल्ड ट्रंप तक, दुनिया के हर राष्ट्रवादी और दक्षिणपंथी नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है। वाम पारिस्थितिकी तंत्र बिलकुल घबरा गया है। वे सत्ता के लिए बेचैन हैं। जो लोग अपने देश से प्यार करते हैं, वे सभी अपने देश में हो रहे उन छोटे मोटे घटनाओं को नजरअंदाज करके अपने सही नेता को वोट देने के लिए एकसाथ आना चाहिए।
अमेरिका की बिकाऊ वामपंथी मीडिया जो लोकतंत्र की तथाकथित कागजों पर नंबर वन की रैंकिंग पर आसीन है, वह इसपर नहीं चलता, मूल्यों पर चलता है। अमेरिकी मीडिया शायद अपना पत्रकारिता का मूल्य भूल चुकी है। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पर लाइव टेलीकास्ट में जानलेवा हमला होता है, लेकिन अमेरिकी प्रिंट और ईलोक्ट्रोनिक मीडिया ने इतनी बड़ी खबर तक को छुपाना चाहा और यह बताता रहा की डोनाल्ड ट्रंप स्टेज से गिर पड़े, अमेरिकी सीक्रेट सर्विस के लोगों ने उन्हें बचा लिया। लेकिन ये कोई नहीं बता रहा था कि उन पर गोलीबारी हुई है। भारतीय संदर्भ में देखा जाए तो इस तरह के आतंकी युवाओं की पूरी सेना वामपंथी पारिस्थितिकी तंत्र और उसके नेताओं ने मीडिया के सहयोग से तैयार कर रखा है जो हर दिन मोदी जी को मारने के स्वप्न दिखाते रहते हैं। भारत में युवाओं का, हर सूचकांक में उत्तम होने के बाबजूद भी, यह विश्वास दिलाया जाता है कि मोदी एक फासीवादी है, वह देश में अघोषित आपातकाल चला रहा है, नरसंहार करवा रहा है, महँगाई लाता है, किसान विरोधी नीति बनाता है, तुम्हारी बेरोजगारी का कारण वही है।
आप लोगों को याद होगा कि, राहुल गाँधी ने एक बार अपने भाषण में कहा था कि मोदी को डंडे से मारना चाहिए, एक बार कहा कि मोदी की कार पर चप्पल फेंकने वाला अब डर नहीं रहा है!? वस्तुतः ऐसे नेता भारत में सैकड़ों पोटेंशियल क्रूक ढूँढ रहे हैं, जो कहीं दूर से रायफल का ट्रिगर दबा सके। वह अपने पारिस्थितिकी तंत्र के जरिए पूरे देश में कैरोसीन छींट चुका है. वह इसमें माचिस नहीं जला रहा। वह दो सूखी लकड़ियों को लगातार रगड़ रहा है, ताकि यही घृणा और विष जो वो अपनी हर रैली में दलितों और अल्पसंख्यकों के हृदय में भर रहा है, वही उस घर्षण की ऊष्मा से एकदिवसीय बनने वाली भयंकर आग का रूप लेंगे। भारत की सरकार और उसके सारे पारिस्थितिकी तंत्र को चाहिए कि पप्पू की जिह्वा पर लगाम लगाया जाए वरना परिणाम भयावह होंगे। केवल एक पर लगाम लगाने से कुछ नहीं होगा, उनका पारिस्थितिकी तंत्र मोदीजी को तानाशाह का दर्जा दे चुके हैं, तो ऐसे लोगों को तानाशाही का सही मतलब समझाना ही एकमात्र विकल्प है, आज ममता, स्टालिन और केजरी के बारे में कोई उटपटांग नहीं लिख सकता!! यहां तक की कोई सच भी नहीं बोल सकता वरना पांच मिनट के अंदर वहां की पुलिस प्रेमपत्र भेज देती है बस ऐसे ही दर्द भरे प्रेमपत्र भेजने की तैयारी मोदीजी जी को भी करनी चाहिए। जो फिलहाल करना शुरू भी कर दिया है। उनको शक्ति के साथ दमन ही एकमात्र विकल्प है। भाजपा का इस छोटी सी मार्जिन से शक्तिहीन होना आप लोगों को RSS के मुखिया भागवत जी के उस बयान से भी समझ लेना चाहिए था कि, भाजपा की आलाकमान ने उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक में RSS को विश्वास में नहीं लिया। भाजपा के जितने भी निचले स्तर के कार्यकर्ता और परिचालक हैं, वे सभी कहीं न कहीं RSS से ही जुड़े हुए हैं। भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा द्वारा वह अहम से भरा वयान भी आप लोगों ने जरुर सुना होगा कि हम RSS के बिना भी आगे चल सकते हैं। भाजपा अध्यक्ष की यही गर्व और अहम से भरा कार्यशैली और सोच, उसके निचले स्तर यानी जमीनी स्तर पर अपने खुन पसीने देकर काम कर रहे कार्यकर्ताओं को भाजपा से छिटक दिया। भाजपा को उसके वोटरों से जमीनी स्तर पर काम कर रहे RSS भाजपा के कार्यकर्ता जोड़ने की काम करते हैं और विपक्ष के द्वारा फैलाए हर प्रोपेगैंडा से उन्हें बचाए रखते हैं। इन्हीं के द्वारा वोटरों को सरकार की द्वारा मुहैया कराये जा रहे हर सुविधा को पहुंचाने की काम करते हैं, लेकिन घमंड से चुर भाजपा धीरे धीरे उन्हीं ज़मीनी स्तर के कार्यकर्ताओं कों नैगलेट करने लगा, उनकी दुःख दर्द को समझना तो दूर, बार बार अभियोग करने पर, घंमड से चुर भाजपा के कुछ बड़े नेता और उनके आसपास चक्कर लगा रहे चाटुकार छुटभैये नेता, अपने ही कार्यकर्ताओं को प्रशासनिक डंडों से प्रताड़ित करने लगे। उपर से विपक्ष का प्रहार और अंदर से अपने ही सरकार के प्रशासनिक डंडों से क्षत विक्षत कार्यकर्ता ओर करता भी तो क्या करता! उसका भी परिवार और बाल बच्चे हैं। फिर भी वह राष्ट्रवाद की आग अपने दिल में जलाते हुए विपक्ष और अपनो के द्वारा क्षत विक्षत होते हुए भी भाजपा को 241 की एक बहुत बड़ी सांख्यिक आंकड़े तक पहुंचाया। लेकिन अपना खुन पसीना सींच कर पार्टी को मजबूत करने वाले अपने कार्यकर्ता को छोड़कर बाहर से आयातित सत्ता लोलुप नेताओं को आगे लाकर उनको पार्टी की टिकट देना, यह कहां तक जायज है!? उस आयातित नेता के साथ, भाजपा के लिए जमीनी स्तर पर काम कर रहा वह कार्यकर्ता अपने वोटरों को जा कर क्या कहेगा, जिसका वह कुछ दिनों पहले विरोध कर रहा था, उसकी प्रपंच के बारे में अपने वोटरों को समझा रहा था? और इन्हीं सभी छोटी छोटी लेकिन अहम बातों को भाजपा के आलाकमान बिलकुल भूल गए, मोदी है तो हम आसानी से जीत जाएंगे!! परंतू उसी नरेंद्र मोदी की अपने दिल में दिया जलाने वाले और मोदी को घर घर तक पहुंचाकर वोटरों में लोकप्रिय और देश व सनातन धर्म के लिए एक आशा के किरण के तौर पर विस्थापित करने वाले कार्यकर्ताओं को भुल गए। लेकिन हां, इस बात को भी में मानता हूँ कि राजनीति के कूटनीतिक दांव पेंच में कभी कभी जितने वाले प्रत्याशी को चाहे वह किसी भी पार्टी के नेता हो उसे आयातित करना पड़ता है!! परंतू इसके लिए भी पहले अपने लिए जमीनी स्तर पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं को विश्वास में लेना चाहिए था, आयातित नेता और पार्टी के कार्यकर्ता के बीच एक विश्वास का तालमेल बैठाना चाहिए था कि, नहीं आप लोग काम करो हम आपके साथ साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। परंतु नहीं, इस चुनाव में भाजपा के जिन राज्यों में चुनाव परिणाम ख़राब हुए हैं, यह सभी तालमेल देखने को बिलकुल नहीं मिला। जमीनी स्तर के कार्यकर्ता अपना खुन पसीना बहाए तो कितना बहाए!? जो भाजपा आज अपनी जड़, RSS के सहायता के बिना चुनाव लड़ सकती है दंभ भरने की बात कर रहा है, वह भुल गया है कि उसके लिए जमीन पर काम करने वाले, उसको जिताने वाले और अपनी प्राणों की आहुति देने वाले भाजपा के नाम पर RSS के कार्यकर्ता ही हैं!! इसका बहुत सारे उदाहरण आप लोगों को मिल जाएंगे जो, हत्याकांड मिडिया के नजरों में आए हैं। मैं जब भाजपा के सपक्ष में कोई भी पोस्ट करता हूं और विपक्ष के प्रपंच को उजागर करने हेतू जाति बाद में बिखरे हुए हिन्दूओं को समझाने के लिए कुछ हद तक लपेटे में लेता हूँ, तो मेरे बहुत सारे मित्र मुझे समझाने लग जाते हैं कि, भाजपा अपने कार्यकर्ताओं का यह नहीं किया, वह नहीं किया, (मैने जो विवरण उपर में लिखा है) मैं उनकी हर बात को समझता हूँ, उनकी वेदनाओं को अनुभव कर सकता हूं। वह जो कुछ भी बोल रहे हैं, वे सभी इन विषयों से ओतप्रोत जुड़े हुए हैं। वह अपनी वेदना का बयान कर रहे हैं। उन सभी मित्रों से कहना चाहता हूँ कि, मैं आप लोगों की वेदनाओं समझ सकता हूं। मेरे मित्र सूची भाजपा के बहुत सारे कार्यकर्ताओं से लेकर भाजपा के समर्थक भी हैं, और इससे बहुत ज्यादा अपने देश को प्यार करने वाले राष्ट्रवादी भी जुड़े हुए हैं, जो निःस्वार्थ भाव से अपने देश को प्यार करते हैं और इसके लिए वह भाजपा को सपोर्ट करते हैं, विपक्ष के लोगों से लड़ जाते हैं!! इसलिए की वह समझ सकते हैं कि भारत और सनातन धर्म को लेकर भाजपा की दृष्टिकोण क्या है और इसके उत्थान के लिए वह कैसा कार्य कर रहा है। मित्रों, मैं हिन्दुओं को कोस नहीं रहा, अपनी छोटी सी स्वार्थ के लिए लालायित व जातिवाद में बंटकर, देश और धर्म की बृहद स्वार्थ को अनदेखा करने वाले हिन्दुओं को जगाने की एक छोटी सी पहल वस कर रहा हूं, ताकि हिन्दू ये समझ सके कि आसमानी मजहब और वामपंथियों की मिलन से पैदा हुआ उनका नाजायज ब्रदरहुड बच्चा अभी भी बाल्यकाल में है, फिर भी उनको घाव पर घाव देता चला जा रहा है, धीरे धीरे उनको चक्रव्यूह में फंसा रहा है, अभिमन्यु को जिस तरह से छल कपट और प्रपंच से मारा गया था, वह मार रहा है। हिन्दुओं को दिन में तारे दिखा कर अलग अलग हिस्सों में बांटा जा रहा है। मैं इन्हीं सभी कारणों के लिए हिन्दुओं को समझा रहा हूं, बहुत हद तक उनकी न समझीपन के लिए दोशी भी मानता हूँ। इसका एक बड़ा उदाहरण आप लोग बंगाल से आ रहे बहुत सारे विडियो में देख सकते हैं कि, वामपंथी मुस्लिम ब्रदरहुड के नेता अपने ही मज़हब के कुछ लोगों पर अकथनिय अत्याचार कर रहे हैं, परंतू वही अत्याचारीत पीड़ित कभी भी अपने उस नेता के खिलाफ पुलिस कंप्लेंट नहीं करता, क्योंकि उसे भी और अपने कौम की भलाई के लिए भी शरिया कानून चाहिए। मैं यहां पर यह उदाहरण देकर यह नहीं कहता कि, आप हिन्दू भी अपने नेता के अत्याचार सहो परंतू अपनी छोटी सी निजी स्वार्थ को छोड़कर अपने देश और धर्म की बृहद स्वार्थ की ओर नजर दो। वामपंथी मुस्लिम ब्रदरहुड के लिए देश कोई मायने नहीं रखता है। यह गठजोड़ जहां पर भी बहुसंख्यक है, वह उस देश को उजाड़कर और तहस नहस कर फिर एक नया मुल्क ढूंढने में लग जाता है। इसका उदाहरण आप लोग जर्मनी, ब्रिटेन, फ्रांस और कुछ पश्चिमी देशों को देख सकते हैं. और हां, आप भारत को भी देख सकते हैं कि, वह कैसे धीरे धीरे अपनी डेमोग्रेफी बदल रहे हैं, यह हिन्दुओं के लिए भविष्य में आसन्न एक बहुत बड़ा खतरा है। 14 साल पहले भारत में हिन्दू इकोसिस्टम नाम की कोई चीज ही नहीं थी। जो भी था, वह नाममात्र टुकड़ों में बंटा हुआ था छोटी छोटी संगठन में आवद्ध होकर। वामपंथी मुस्लिम ब्रदरहुड की इकोसिस्टम का आयु भारत में 300 साल हो गए हैं। इनके इकोसिस्टम पूरे विश्वभर में, एक साथ जुड़े हुए हैं। विश्वभर में कहीं पर भी उनके स्वार्थ में बाधा पहुंची तो, वह भारत में किसान आंदोलन को उछाल सकते हैं और कनाडा में ट्रक चालकों के द्वारा हुए बहुत बड़े आंदोलन को कुचल भी सकते हैं। लेकिन किंतु परंतु, भारत में जो हिन्दुओं की इकोसिस्टम है, वह अभी एक दिन का बच्चा है जो अभी तक उसकी नाभी का नाडा भी काटा नहीं गया है। लेकिन हां, हम अभी बहुत तेजी के साथ विश्वभर में अपना पांव जमा रहे हैं। कैसे और किसके जरिए हम अपना पांव देश से लेकर विदेशों में फैला रहे हैं, उसका खुलासा में कभी भी किसी भी किमत पर इस सोशियल मिडिया प्लेटफार्म पर हो या और कहीं पर हो, नहीं करुंगा। बस आप लोगों को उस वक्त तक धैर्य और हौसला रखना होगा और इंतजार करना होगा कि कोई हिन्दुओं की आवाज को देश और विदेशों में उठा रहा है। लेकिन इसके लिए सारे हिन्दुओं को जातिवाद का जहर फेंक कर एकजुट रहना होगा। नहीं तो हम कल भी रो रहे थे और भविष्य में अपने अस्तित्व के लिए रोते रहेंगे। आज इस पोस्ट पर मैंने, सर्व सन्मुख अपनी और आप लोगों की मनकी बातें रखने की भरसक प्रयास किया है। मुझे कोई शौक नहीं है अंबानी में शादी हो रही है। लेकिन मेरा शौक है कि अंबानी की डिफेंस कंपनी भारतीय सेना के जरिए भारत को कितन सशक्त कर रही है।
धन्यवाद आप सभी राष्ट्रवादी मित्रों का, जो अपना किमती समय निकालकर इतनी बड़ी पोस्ट को पढ़ा। 🙏