राजीव दीक्षित Rajiv Dixit
निचे दिए गए लिंक पे जाके विडियो देखे : http://www.youtube.com/ watch?v=V0uuhUvq6f8
दुनिया में तीन तरह के साबुन होते हैं | एक होते हैं- बाथ सोप-मतलब नहाने का साबुन, दुसरे होते हैं-टॉयलेट सोप - मतलब हाथ धोने का साबुन और एक होता है - कार्बोलिक सोप - मतलब जानवरों को नहलाने का साबुन | और ये लाइफबॉय साबुन, कार्बोलिक साबुन है, ये कंपनी वाले कहते हैं, मैं नहीं कह रहा हूँ | और यूरोप के देशों में जिस लाइफबॉय से कुत्ते नहाते हैं, बिल्लियाँ नहाती हैं, घोड़े नहाते हैं उसी लाइफ बॉय से भारत के लोग रगड़-रगड़ के नहाते हैं | प्रचार देख के ऐसा हमारा दिमाग ख़राब हुआ है कि अकेले भारत में ये लाइफबॉय साबुन एक साल में 7 करोड़ बिक जाता है और तो और कुछ दिन पहले तक लाइफबॉय साबुन बिक रहा था "Family Doctors Welfare Association of India द्वारा प्रमाणित" के नाम से | ये कौन सा एसोसिएसन है ? ये कब बना ? और कब इन्होने लाइफबॉय को प्रमाण-पत्र दे दिया थे ? लेकिन रोज इनका विज्ञापन था ये और हम सब ख़ामोशी के साथ बैठे हुए इसको देख रहे हैं कि कैसे देश के साथ भयंकर गद्दारी और बेईमानी का काम चल रहा है |
और लाइफबॉय के प्रचार पर ध्यान दीजियेगा, उनका कहना है कि "ये मैल में छिपे कीटाणुओं को धो डालता है" ध्यान दीजियेगा, मैल को धोता है, कीटाणुओं को नहीं धोता और कीटाणुओं को धोता है, मारता नहीं | सबसे घटिया साबुन भारत के बाजार में बिक रहा है और हम इस्तेमाल कर रहे हैं | इसके घटिया होने का प्रमाण क्या है ? साबुन में केमिकल जितना ज्यादा, साबुन उतना ही घटिया | मैं आपको इसका प्रमाण देता हूँ, आप लाइफबॉय से नहाइए, नहाने के बाद जब शरीर सुख जाये तो नाख़ून से शरीर पर लाइन खिचिये, सफ़ेद रंग की लाइन खिंच जाएगी, ये लाइन कैसे खिंची ? लाइफबॉय के केमिकल कचरे ने आपके त्वचा के प्राकृतिक तेल को पू री तरह से सुखा दिया, तो त्वचा एकदम रुखी-सुखी हो गयी और बार-बार जब आप इस प्रयो ग को करेंगे तो एक दिन आपको एक् जीमा होना ही है, सोरैसिस होना ही है, अन्य चमड़े के रोग होने ही वाले हैं | एक दिन मैंने इस कंपनी के बैलेंस शीट में से इस लाइफबॉय का लागत खर्च (Cost of Production) निकाला तो वो है 2 रुपया और भारत के बाजार में बिकता है 18 -20 रुपया में, अब आप इसका लाभ प्रतिशत निकाल लीजिये |
राजीव दीक्षित Rajiv Dixit
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दुनिया में तीन तरह के साबुन होते हैं | एक होते हैं- बाथ सोप-मतलब नहाने का साबुन, दुसरे होते हैं-टॉयलेट सोप - मतलब हाथ धोने का साबुन और एक होता है - कार्बोलिक सोप - मतलब जानवरों को नहलाने का साबुन | और ये लाइफबॉय साबुन, कार्बोलिक साबुन है, ये कंपनी वाले कहते हैं, मैं नहीं कह रहा हूँ | और यूरोप के देशों में जिस लाइफबॉय से कुत्ते नहाते हैं, बिल्लियाँ नहाती हैं, घोड़े नहाते हैं उसी लाइफ बॉय से भारत के लोग रगड़-रगड़ के नहाते हैं | प्रचार देख के ऐसा हमारा दिमाग ख़राब हुआ है कि अकेले भारत में ये लाइफबॉय साबुन एक साल में 7 करोड़ बिक जाता है और तो और कुछ दिन पहले तक लाइफबॉय साबुन बिक रहा था "Family Doctors Welfare Association of India द्वारा प्रमाणित" के नाम से | ये कौन सा एसोसिएसन है ? ये कब बना ? और कब इन्होने लाइफबॉय को प्रमाण-पत्र दे दिया थे ? लेकिन रोज इनका विज्ञापन था ये और हम सब ख़ामोशी के साथ बैठे हुए इसको देख रहे हैं कि कैसे देश के साथ भयंकर गद्दारी और बेईमानी का काम चल रहा है |
और लाइफबॉय के प्रचार पर ध्यान दीजियेगा, उनका कहना है कि "ये मैल में छिपे कीटाणुओं को धो डालता है" ध्यान दीजियेगा, मैल को धोता है, कीटाणुओं को नहीं धोता और कीटाणुओं को धोता है, मारता नहीं | सबसे घटिया साबुन भारत के बाजार में बिक रहा है और हम इस्तेमाल कर रहे हैं | इसके घटिया होने का प्रमाण क्या है ? साबुन में केमिकल जितना ज्यादा, साबुन उतना ही घटिया | मैं आपको इसका प्रमाण देता हूँ, आप लाइफबॉय से नहाइए, नहाने के बाद जब शरीर सुख जाये तो नाख़ून से शरीर पर लाइन खिचिये, सफ़ेद रंग की लाइन खिंच जाएगी, ये लाइन कैसे खिंची ? लाइफबॉय के केमिकल कचरे ने आपके त्वचा के प्राकृतिक तेल को पू री तरह से सुखा दिया, तो त्वचा एकदम रुखी-सुखी हो गयी और बार-बार जब आप इस प्रयो ग को करेंगे तो एक दिन आपको एक् जीमा होना ही है, सोरैसिस होना ही है, अन्य चमड़े के रोग होने ही वाले हैं | एक दिन मैंने इस कंपनी के बैलेंस शीट में से इस लाइफबॉय का लागत खर्च (Cost of Production) निकाला तो वो है 2 रुपया और भारत के बाजार में बिकता है 18 -20 रुपया में, अब आप इसका लाभ प्रतिशत निकाल लीजिये |
राजीव दीक्षित Rajiv Dixit