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सोमवार, 18 मई 2020

Income Tax reliefs announced by FM on 13.05.2020

*Income Tax reliefs announced by FM on 13.05.2020*

1. All pending refunds (apart from those which are less than 5lakhs recently cleared) to all other persons (Corporates and Trusts) shall be issued immediately.
2. 25% Reduction in existing TDS rates for the whole of FY 2020-21
3.  Due date for filing tax returns for all assessee's is extended to 30th November 2020 for FY 2019-20
4. Due date for tax audit is extended to 31st October 2020 for FY 2019-20 (Existing 30th September 2020)
5. Limitation of Time barring Assessments due on 30th September extended to 31st December 2020 and which are due on 31st March 2021 extended to 30th September 2021.
6. *Vivad se vishwas* payment extended till 31st December 2020 without any additional payment.

*Other Measures impact the business*
1. Reduction in PF contribution rates from 12% to 10% for next 3 months
2.Change in Definition of MSME

रविवार, 17 मई 2020

सभी *वरिष्ठ नागरिक* (55 से ऊपर की उम्र के) कृपया अवश्य पढ़ें,

👨‍🏫👩‍🏫 सभी *वरिष्ठ नागरिक* (55 से ऊपर की उम्र के) कृपया अवश्य पढ़ें, हो सकता है आपके लिए फायदेमंद हो .. 
           
*आप जानते हैं कि मन चाहे कितना ही जोशीला हो पर साठ की उम्र पार होने पर यदि आप अपनेआप को फुर्तीला और ताकतवर समझते हों तो यह गलत है।  वास्तव में ढलती उम्र के साथ शरीर उतना ताकतवर और फुर्तीला नहीं रह जाता।*

आपका शरीर ढलान पर होता है, जिससे ‘हड्डियां व जोड़ कमजोर होते हैं, पर *कभी-कभी मन भ्रम बनाए रखता है कि ‘ये काम तो मैं चुटकी में कर लूँगा’।*  पर बहुत जल्दी सच्चाई सामने आ जाती है मगर एक नुकसान के साथ।

सीनियर सिटिजन होने पर जिन बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए, ऐसी कुछ टिप्स दे रहा हूं। 

 -- *धोखा तभी होता है जब मन सोचता है कि ‘कर लूंगा’ और शरीर करने से ‘चूक’ जाता है।  परिणाम एक एक्सीडेंट और शारीरिक क्षति!*

ये क्षति फ्रैक्चर से लेकर ‘हेड इंज्यूरी’ तक हो सकती है।  यानी कभी-कभी जानलेवा भी हो जाती है।

-- *इसलिए जिन्हें भी हमेशा हड़बड़ी में काम करने की आदत हो, बेहतर होगा कि वे अपनी आदतें बदल डालें।*

*भ्रम न पालें, सावधानी बरतें क्योंकि अब आप पहले की तरह फुर्तीले नहीं रहे।*

छोटी सी चूक कभी बड़े नुक़सान का कारण बन जाती है।

-- *सुबह नींद खुलते ही तुरंत बिस्तर छोड़ खड़े न हों, क्योंकि आँखें तो खुल जाती हैं मगर शरीर व नसों का रक्त प्रवाह पूर्ण चेतन्य अवस्था में नहीं हो पाता ।*

अतः पहले बिस्तर पर कुछ मिनट बैठे रहें और पूरी तरह चैतन्य हो लें।  कोशिश करें कि बैठे-बैठे ही स्लीपर/चप्पलें पैर में डाल लें और खड़े होने पर मेज या किसी सहारे को पकड़कर ही खड़े हों। अक्सर यही समय होता है डगमगाकर गिर जाने का।

-- गिरने की सबसे ज्यादा घटनाएं बाथरुम/वॉशरुम या टॉयलेट में ही होती हैं।  आप चाहे अकेले हों, पति/पत्नी के साथ या संयुक्त परिवार में रहते हों लेकिन बाथरुम में अकेले ही होते हैं।

-- *यदि आप घर में अकेले रहते हों, तो और अधिक सावधानी बरतें क्योंकि गिरने पर यदि उठ न सके तो दरवाजा तोड़कर ही आप तक सहायता पहुँच सकेगी, वह भी तब जब आप पड़ोसी तक समय से सूचना पहुँचाने में सफल हो सकेंगे।*

— *याद रखें बाथरुम में भी मोबाइल साथ हो ताकि वक्त जरुरत काम आ सके।*

-- देशी शौचालय के बजाय हमेशा यूरोपियन कमोड वाले शौचालय का ही इस्तेमाल करें।  यदि न हो तो समय रहते बदलवा लें, इसकी तो जरुरत पड़नी ही है, अभी नहीं तो कुछ समय बाद।

संभव हो तो कमोड के पास एक हैंडिल लगवा लें।  कमजोरी की स्थिति में इसे पकड़ कर उठने के लिए ये जरूरी हो जाता है।

बाजार में प्लास्टिक के वेक्यूम हैंडिल भी मिलते हैं, जो टॉइल जैसी चिकनी सतह पर चिपक जाते हैं, पर *इन्हें हर बार इस्तेमाल से पहले खींचकर जरूर जांच-परख लें।*

-- *हमेशा आवश्यक ऊँचे स्टूल पर बैठकर ही नहायें।*

बाथरुम के फर्श पर रबर की मैट जरूर बिछाकर रखें ताकि आप फिसलन से बच सकें।

-- *गीले हाथों से टाइल्स लगी दीवार का सहारा कभी न लें, हाथ फिसलते ही आप ‘डिस-बैलेंस’ होकर गिर सकते हैं।*

-- बाथरुम के ठीक बाहर सूती मैट भी रखें जो गीले तलवों से पानी सोख ले।  कुछ सेकेण्ड उस पर खड़े रहें फिर फर्श पर पैर रखें वो भी सावधानी से। 

-- *अंडरगारमेंट हों या कपड़े, अपने चेंजरूम या बेडरूम में ही पहनें।  अंडरवियर, पाजामा या पैंट खडे़-खडे़ कभी नहीं पहनें।*

हमेशा दीवार का सहारा लेकर या बैठकर ही उनके पायचों में पैर डालें, फिर खड़े होकर पहनें, वर्ना दुर्घटना घट सकती है।

*कभी-कभी स्मार्टनेस की बड़ी कीमत चुकानी पड़ जाती है।*

-- अपनी दैनिक जरुरत की चीजों को नियत जगह पर ही रखने की आदत डाल लें, जिससे उन्हें आसानी से उठाया या तलाशा जा सके।

*भूलने की आदत हो, तो आवश्यक चीजों की लिस्ट मेज या दीवार पर लगा लें, घर से निकलते समय एक निगाह उस पर डाल लें, आसानी रहेगी।*

-- जो दवाएं रोजाना लेनी हों, उनको प्लास्टिक के प्लॉनर में रखें जिससे जुड़ी हुई डिब्बियों में हफ्ते भर की दवाएँ दिन-वार के साथ रखी जाती हैं।

*अक्सर भ्रम हो जाता है कि दवाएं ले ली हैं या भूल गये।प्लॉनर में से दवा खाने में चूक नहीं होगी।*

-- *सीढ़ियों से चढ़ते उतरते समय, सक्षम होने पर भी, हमेशा रेलिंग का सहारा लें, खासकर ऑटोमैटिक सीढ़ियों पर।*

ध्यान रहे अब आपका शरीर आपके मन का *ओबिडियेंट सरवेन्ट* नहीं रहा।

— बढ़ती आयु में कोई भी ऐसा कार्य जो आप सदैव करते रहे हैं, उसको बन्द नहीं करना चाहिए। 

कम से कम अपने से सम्बन्धित अपने कार्य स्वयं ही करें।

— *नित्य प्रातःकाल घर से बाहर निकलने, पार्क में जाने की आदत न छोड़ें, छोटी मोटी एक्सरसाइज भी करते रहें। नहीं तो आप योग व व्यायाम से दूर होते जाएंगे और शरीर के अंगों की सक्रियता और लचीला पन कम होता जाएगा।  हर मौसम में कुछ योग-प्राणायाम अवश्य करते रहें।*

— *घर में या बाहर हुकुम चलाने की आदत छोड़ दें। अपना पानी, भोजन, दवाई इत्यादि स्वयं लें जिससे शरीर में सक्रियता बनी रहे।*

बहुत आवश्यक होने पर ही दूसरों की सहायता लेनी चाहिए। 

— *घर में छोटे बच्चे हों तो उनके साथ अधिक समय बिताएं, लेकिन उनको अधिक टोका-टाकी न करें।  उनको प्यार से सिखायें।*

-- *ध्यान रखें कि अब आपको सब के साथ एडजस्ट करना है न कि सब को आपसे।*

-- इस एडजस्ट होने के लिए चाहे, बड़ा परिवार हो,  छोटा परिवार हो या कि पत्नी/पति हो, मित्र हो, पड़ोसी या समाज।

*एक मूल मंत्र सदैव उपयोग करें।*    
    
1. *नोन* अर्थात नमक।  भोजन के प्रति स्वाद पर नियंत्रण रखें।   

2. *मौन*  कम से कम एवं आवश्यकता पर ही बोलें।   

3. *कौन* (मसलन कौन आया  कौन गया, कौन कहां है, कौन क्या कर रहा है) अपनी दखलंदाजी कम कर दें।                 

*नोन, मौन, कौन* के मूल मंत्र को जीवन में उतारते ही *वृद्धावस्था* प्रभु का वरदान बन जाएगी जिसको बहुत कम लोग ही उपभोग कर पाते हैं। 

*कितने भाग्यशाली हैं आप, इसको समझें।*

*कृपया इस संदेश को अपने घर, रिश्तेदारों, आसपड़ोस के वरिष्ठ सदस्यों को भी अवश्य प्रेषित करें।*

  
            *🙏🏻धन्यवाद!🙏🏻*

स्मार्ट फोन में "गूगल लेंस" सुविधा क्या है

 "गूगल लेंस" सुविधा क्या है।
देखिए यह एक बहुत ही अच्छा एप्लीकेशन है उस व्यक्ति के लिए,जो जिज्ञासा प्रवृत्ति का होता है, और जो अक्सर बाहरी यात्रा करता रहता है। क्यों कि सामान्यत हम अपने आसपास की तो बहुत सी चीजें जानते हैं लेकिन जब बाहर जाते हैं तो बहुत सी चीजें ऐसी देखने को मिलती है जिनके बारे में हम नहीं जानते। वो चीज कुछ भी हो सकती है जैसे, कोई प्लांट, कोई जीव, कोई प्रोडक्ट और कोई तस्वीर इत्यादि।
'गूगल लेंस' कैसे काम करता है
सबसे पहले आप इसे पलेस्टोर पर जाकर डाउनलोड कर सकते हैं।यह कुछ इस प्रकार का दिखाई देता है।👇👇👇
(इमेज स्रोत-गूगल प्लेस्टोर)[1]
जैसे ही आप इसको डाउनलोड करते हैं, डाउनलोड होने के बाद इसे खोल लिजिए।जो परमिशन मांगता है उन्हें अलाउ कर दिजिए।
इसमें आपको एक सर्च का ऑप्शन मिल जाएगा। उसे क्लिक करके उस प्रोडक्ट या प्लांट या तस्वीर पर ले जाइए। जैसे ही आप उसे किसी वस्तु पर लेकर जाते हैं तो उसपर छोटी-छोटी डॉट आने लगती हैं। जैसा कि नीचे चित्र में दिखाया गया है। जैसे ही आप उस डॉट पर क्लिक करते हैं आपको उस वस्तु से संबंधित जानकारी मिल जाती है।
(इमेज स्रोत-गूगल प्लेस्टोर)[2]
नोट:- इससे आप क्यू आर कोड, बार कोड, कोई एड्रेस आदि भी फाइंड कर सकते हैं।
है ना कमाल की एप्लिकेशन,अब आपको इसके बारे में जानकर कैसा लगा हमें बताइएगा जरूर।
फुटनोट

शनिवार, 16 मई 2020

आत्मनिर्भरता बनाम स्वदेशी आग्रह

आत्मनिर्भरता बनाम स्वदेशी आग्रह - 

विगत 2 दिनों से आत्मनिर्भरता शब्द को लेकर सोशल मीडिया के अधिकांश विद्वजन अपने अपने अर्थ लगा रहे है, कुछ लोग अपनी   जीवनचर्या को बदलने का भी ठान चुके है, ये भी राष्ट्र हित में ही है। कुछ बहुत दूर तक समझ रखने वाले लोग अपनी पूरी रचनात्मकता का उपयोग आत्मनिर्भरता के आह्वान का भांति भांति के उदहारण देकर मजाक बनाने में भी कर रहे है।
बड़े ही विश्वास के साथ देश के प्रधानमंत्री ने 130 करोड़ देशवासियों को संबोधित करते हुवे न केवल पुनः उठ खड़े होने, अपितु पहले से भी श्रेष्ठ भारत बनाने का आव्हान किया था, क्योंकि वे जानते थे की देश की जनता ने यदि ठान लिया तो देश को विश्व शक्ति बनने से कोई नहीं रोक सकता। 
और COVID-19 के काल ने पुरे विश्व में यह भली भांति स्पष्ट किया है ऐसे महासंकट का स्थानीय आत्मनिर्भरता के अतिरिक्त कोई बेहतर विकल्प हो ही नहीं सकता | 
चूँकि केवल वर्तमान संकट से लड़ना ही नहीं है अपितु देश को विश्व शक्ति बनाने का स्वप्न भी साकार करना है | अतः लोकल को बढ़ावा देने के साथ ही उन्होंने वसुधैव कुटुंबकम् की अवधारणा पर भी बल दिया, क्योंकि केवल स्वदेशी शब्द का प्रयोग करने पर हम संकीर्णता में उलझ कर रह जाने वाले है। विश्वपटल पर यदि हम सिर्फ स्वदेशी को खरीदने का आग्रह रखेंगे तो क्या हम अपने प्रोडक्ट को विदेशों में बेचने की कल्पना कर सकते है ? 
अतः स्वदेशी का भाव आत्मसात करते हुवे हमारा आग्रह आत्मनिर्भर बनने की और रहना चाहिए |
आत्मनिर्भर का मतलब यह नही है की आई फोन की जगह लावा का फोन इस्तेमाल करना शुरु कर देना है। इसका मतलब है आई फोन जैसे फोन को निर्माण करने की क्षमता विकसित करनी है।
                आत्मनिर्भर का मतलब यह नहीं है की तुरन्त BMW को फेककर मारुती पर आ जाना है। इसका मतलब है BMW के क्वालिटी की गाङी हमारे देश के इंजिनीयर खुद विकसित कर सकें। आत्मनिर्भर का मतलब यह नहीं है राॅडो की घङी फेंककर टाईटन को लगा लेना है। इसका मतलब है खुद राॅडो के समानान्तर घङी को बनाने की क्षमता विकसित करना है।
                आत्मनिर्भर का मतलब यह नहीं है की देशी और विदेशी कंपनियों की लिस्ट बताकर जबरदस्ती देशी वस्तुएं खरीदना है। इसका मतलब ऐसा ब्रांड खङा कर देना है की लोग स्वयं उसे अपने पसंद से खरीदना शुरु कर दें। आज हम गर्व से कह सकते है की पतंजलि के दन्तकान्ति जैसा बेहतर टूथपेस्ट कोई दूसरा हमारी जानकारी में नहीं है | 
                आत्मनिर्भर का मतलब यह नहीं है कि हम चीन के सामान का आयात बन्द कर दें। इसका मतलब यह है की हमारा खुद का माल इतना सस्ता और अच्छा हो की चीन के माल को छोङकर लोग स्वयं ही उसे खरीद लें।
                आत्मनिर्भर का मतलब यह नहीं है की आप दुनिया भर के साॅफ्टवेयर का इस्तेमाल बन्द कर दें। इसका मतलब यह है की आप खुद इतना अच्छा साॅफ्टवेयर विकसित करें की दुनिया भर के लोग अपनी स्वेच्छा से उसका चयन करने को मजबूर हो जाय। 
         आत्मनिर्भरता को स्वदेशी शब्द के संकीर्ण अर्थ पर तौलना बन्द करिए। नये सिरे से सोचना शुरु करिए । आत्मनिर्भरता का मतलब केवल स्वदेशी खरीददारी मात्र नहीं है। इसका मतलब है देश और दुनिया को जिन वस्तुओं की, जिस क्वालिटी की आवश्यकता है, उन उन वस्तुओं को उन उन क्वालिटी का देश में बनाने की क्षमता विकसित करनी है। आत्मनिर्भरता का मतलब देश और दुनिया में गिङगिङा कर अपना माल बेचना नहीं है। इसका मतलब है की अपनी क्वालिटी और ब्रांडिंग इस स्तर की करनी है की लोग "बाई च्वाईस" उसे खरीदें।।
               आत्मनिर्भरता का मजाक उङाना स्वयं अपने वजूद का मजाक उङाना है। आत्मनिर्भर होना हर व्यक्ति, समाज और राष्ट्र का स्वप्न होना ही चाहिए। देश को नई राह देने का भाव रखते हुवे एक साधु द्वारा देश को किए गए आह्वान का मजाक बनाने का अपराध साधु की हत्या के अपराध से कतई कम नहीं है। प्रभु इनके अपराधों को क्षमा करें।

जितेन्द्र लड्ढा 
राजसमन्द

गुरुवार, 14 मई 2020

अब इस महामारी से कम लोग, इसके डर के कारण लोग ज्यादा मरेंगे

ओशो गजब का ज्ञान दे गये, 
कोरोना जैसी महामारी के लिए

70 के दशक में हैजा भी महामारी के रूप में पूरे विश्व में फैला था, तब अमेरिका में किसी ने ओशो रजनीश जी से प्रश्न किया
-"इस महामारी से कैसे  बचें?"

ओशो ने विस्तार से जो समझाया वो आज कोरोना के सम्बंध में भी बिल्कुल प्रासंगिक है।

ओशो - "यह प्रश्न ही आप गलत पूछ रहे हैं,

प्रश्न ऐसा होना चाहिए था कि महामारी के कारण मेरे मन में मरने का जो डर बैठ गया है उसके सम्बन्ध में कुछ कहिए!

इस डर से कैसे बचा जाए?

क्योंकि वायरस से बचना तो बहुत ही आसान है,
लेकिन जो डर आपके और दुनिया के अधिकतर लोगों के भीतर बैठ गया है, उससे बचना बहुत ही मुश्किल है।

अब इस महामारी से कम लोग, इसके डर के कारण लोग ज्यादा मरेंगे।

’डर’ से ज्यादा खतरनाक इस दुनिया में कोई भी वायरस नहीं है।

इस डर को समझिये, 
अन्यथा मौत से पहले ही आप एक जिंदा लाश बन जाएँगे।
यह जो भयावह माहौल आप अभी देख रहे हैं, इसका वायरस आदि से कोई लेनादेना नहीं है।

यह एक सामूहिक पागलपन है, जो एक अन्तराल के बाद हमेशा घटता रहता है, कारण बदलते रहते हैं| कभी सरकारों की प्रतिस्पर्धा, कभी कच्चे तेल की कीमतें, कभी दो देशों की लड़ाई, तो कभी जैविक हथियारों की टेस्टिंग!

इस तरह का सामूहिक पागलपन समय-समय पर प्रगट होता रहता है। व्यक्तिगत पागलपन की तरह कौमगत, राज्यगत, देशगत और वैश्विक पागलपन भी होता है।
इस में बहुत से लोग या तो हमेशा के लिए विक्षिप्त हो जाते हैं या फिर मर जाते हैं ।

ऐसा पहले भी हजारों बार हुआ है, और आगे भी होता रहेगा और आप देखेंगे कि आने वाले बरसों में युद्ध तोपों से नहीं बल्कि जैविक हथियारों से लड़ें जाएंगे।

🌹मैं फिर कहता हूँ हर समस्या मूर्ख के लिए डर होती है, जबकि ज्ञानी के लिए अवसर!

इस महामारी में आप घर बैठिए| पुस्तकें पढ़िए| शरीर को कष्ट दीजिए और व्यायाम कीजिये, फिल्में देखिये| योग  कीजिये और एक माह में 15 किलो वजन घटाइए| चेहरे पर बच्चों जैसी ताजगी लाइये|
अपने शौक़ पूरे कीजिए।

मुझे अगर 15 दिन घर  बैठने को कहा जाए तो मैं इन 15 दिनों में 30 पुस्तकें पढूंगा और नहीं तो एक बुक लिख डालिये| इस महामन्दी में पैसा इन्वेस्ट कीजिये, ये अवसर है जो बीस तीस साल में एक बार आता है| पैसा बनाने की सोचिए| क्यों बीमारी की बात करके वक्त बर्बाद करते हैं?

ये ’भय और भीड़’ का मनोविज्ञान सब के समझ नहीं आता है।

’डर’ में रस लेना बंद कीजिए|

आम तौर पर हर आदमी डर में थोड़ा बहुत रस लेता है, अगर डरने में मजा नहीं आता तो लोग भूतहा फिल्म देखने क्यों जाते?

☘ यह सिर्फ़ एक सामूहिक पागलपन है जो अखबारों और TV के माध्यम से भीड़ को बेचा जा रहा है|

लेकिन सामूहिक पागलपन के क्षण में आपकी मालकियत छिन सकती है| आप महामारी से डरते हैं तो आप भी भीड़ का ही हिस्सा है|

ओशो कहते है...TV पर खबरें सुनना या अखबार पढ़ना बंद करें|

ऐसा कोई भी विडियो या न्यूज़ मत देखिये जिससे आपके भीतर डर पैदा हो|

महामारी के बारे में बात करना बंद कर दीजिए|

डर भी एक तरह का आत्म-सम्मोहन ही है। 
एक ही तरह के विचार को बार-बार घोकने से शरीर के भीतर रासायनिक बदलाव होने लगता है और यह रासायनिक बदलाव कभी कभी इतना जहरीला हो सकता है कि आपकी जान भी ले ले|

महामारी के अलावा भी बहुत कुछ दुनिया में हो रहा है, उन पर ध्यान दीजिए|

ध्यान-साधना से साधक के चारों तरफ एक प्रोटेक्टिव Aura बन जाता है, जो बाहर की नकारात्मक ऊर्जा को उसके भीतर प्रवेश नहीं करने देता है|
अभी पूरी दुनिया की उर्जा नकारात्मक  हो चुकी है|

ऐसे में आप कभी भी इस ब्लैक-होल में  गिर सकते हैं| ध्यान की नाव में बैठ कर ही आप इस झंझावात से बच सकते हैं।

शास्त्रों का अध्ययन कीजिए|
साधू-संगत कीजिए, और साधना कीजिए, विद्वानों से सीखें|

आहार का भी विशेष ध्यान रखिए, स्वच्छ जल पिएँ|

अंतिम बात:
धीरज रखिए| जल्द ही सब कुछ बदल जाएगा|

जब  तक मौत आ ही न जाए, तब तक उससे डरने की कोई ज़रूरत नहीं है और जो अपरिहार्य है उससे डरने का कोई अर्थ भी नहीं  है| 

डर एक प्रकार की मूढ़ता है| अगर किसी महामारी से अभी नहीं भी मरे तो भी एक न एक दिन मरना ही होगा, और वो एक दिन कोई भी दिन हो सकता है| इसलिए विद्वानों की तरह जियें, भीड़ की तरह  नहीं!"

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