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रविवार, 1 मार्च 2015

BUDGET 2015 इस बजट में क्या है, नजर डालिए:

नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली केंद्र सरकार ने अपने कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट पेश कर दिया है। इसमें कई बड़ी घोषणाएं की गई हैं। दस क्षेत्रों के लिए इस बजट में क्या है, नजर डालिए: 
टैक्स- वेतन पाने वालों के लिए
*इनकम टैक्स में बदलाव नहीं। मिलने वाली छूट जारी रहेगी।
*सर्वि‍स टैक्‍स को बढ़ाकर 12.36 फीसदी से बढ़ाकर 14 फीसदी कि‍या गया।
*एक्साइज बढ़ाकर 12.5 फीसदी और सर्विस टैक्स बढ़ाकर 14 फीसदी की गई।
*हेल्‍थ इंश्‍योरेंस प्रीमियम के भुगतान पर डिडक्‍शन की सीमा 15,000 सालाना से बढ़ा कर 25,000 रुपए।
*कॉरपोरेट टैक्स अगले 4 साल के लिए 30 फीसदी से घटाकर 25 फीसदी किया गया।
*टैक्‍स-फ्री इंफ्रास्ट्रक्चर बॉन्‍ड जारी किए जाएंगे।
*अगले साल 7वां वेतन आयोग लागू करने पर विचार।
*ईपीएफ में अब कर्मचारियों को नया विकल्प मिलेगा।
*डायरेक्ट टैक्स प्रणाली (जीएसटी) ही लागू करने का लक्ष्य।
कॉरपोरेट
*चार साल में कॉरपोरेट टैक्स 30 से 25 प्रतिशत घटाया जाएगा।
*व्यावसायिक विवादों को सुलझाने के लिए नया कानून बनाया जाएगा।
*सिंगापुर की तर्ज पर गुजरात में नया फाइनेंशियल सेंटर बनाया जाना प्रस्तावित।
*GAAR एक अप्रैल 2017 से होगा लागू।
गरीबों के लिए
*एससी और एसटी वर्ग के युवाओं में स्व रोजगार क्षमता विकसित की जाएगी। इसके लिए प्रधानमंत्री मुद्रा फंड बनाया जाएगा।
*दुर्घटना बीमा का ऐलान- 12 रुपए प्रीमियम देकर दो लाख रुपए तक मिल सकेगा बीमा।
*प्रधानमंत्री जीवन ज्‍योति बीमा प्‍लान की शुरुआत।
*2022 तक गरीबी खत्म करने का ऐलान।
*अटल पेंशन योजना का ऐलान। एक हजार सरकार और एक हजार लोग देंगे अगले पांच साल के लिए।
*ईपीएफ में बिना दावे की राशि 6 हजार करोड़ रुपए। इसका उपयोग अब गरीबी समाप्त करने के लिए।
महिला
*सुकन्‍या समृद्धि स्‍कीम का ब्‍याज होगा टैक्‍स फ्री
*निर्भाया फंड में अतिरिक्त 1,000 करोड़ देने का एलान
युवा- रोजगार
*टेक्नोलॉजी से जुड़े स्टार्ट-अप्स के लिए 'सेतु' के नाम से एक हजार करोड़ रुपए का इनक्यूबेशन फंड।
*युवाओं में स्किल का विकास करने के लिए स्कूल की संख्या बढ़ाई जाएगी।
*युवाओं को रोजगार के लिए तैयार करने के लिए स्किल मिशन, मेक इन इंडिया का लेंगे सहारा।
शिक्षा
*कर्नाटक में स्थापित किया जाएगा आईआईटी संस्थान धनबाद कॉलेज को बनाया जाएगा आईआईटी।
*पंजाब, तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश और असम में खोले जाएंगे एम्स।
*रिसर्च और डेवलपमेंट के लिए 150 करोड़ रुपए का कोष।
*जम्मू-कश्मीर और आंध्र प्रदेश में खोले जाएंगे आईआईएम संस्थान।
*80 हजार सीनियर सेकेंडरी स्कूल खोले जाएंगे। हजारों प्राइमरी स्कूलों को सेकेंडरी स्कूल में तब्दील किया जाएगा।
छोटे कारोबार के लिए
*ई-बिज पोर्टल से आसानी से मिलेगी बिजनेस की अनुमित, एक जगह ही 14 मंजूरियां मिल जाएंगी।
*प्री रेग्युलेटरी मैक्निजम तैयार किया जाएगा जिसमें मौजूद सभी निमयों के पालन के साथ बिना किसी आधिकारिक मंजूरी के भी लोग इसके तहत अपना बिजनेस शुरू कर सकेंगे।
अमीरों पर बढ़ा टैक्स
*201-15 में देश भर में वेल्थ टैक्स से एक हजार आठ करोड़ रुपए जुटाए गए। वेल्थ टैक्स को खत्म किया गया, एक करोड़ से ज्यादा पर लगता है उसे दो प्रतिशत ज्यादा बढ़ाया जाएगा। इससे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को नौ हजार करोड़ रुपए ज्यादा मिलेगा।
मिडिल क्लास- कुछ खास नहीं मिला
*बजट में मिडल क्लास को कोई बड़ी राहत नहीं। पेंशन में निवेश पर ही 50 हजार तक छूट मिल सकेगी। शहरी मिडिल क्लास को कोई बड़ा फायदा नहीं होगा।
*नौकरीपेशा लोग ईपीएफ या नेशनल पेंशन सिस्टटम में से किसी एक का चयन कर सकेंगे।
*एक निश्चित सैलरी से कम सैलरी पाने वाले कर्मचारियों के लिए ईपीएफ में योगदान वैकल्पिक होगा।
ग्रामीण विकास पर जोर
*नेशनल स्किल मिशन लांच होगा। इसके तहत 31 काउंसिल के साथ मिलकर योजना चलाई जाएगी। ग्रामीण इलाकों में स्किल लोगों को तैयार किया जाएगा।
*मनरेगा के लिए सरकार ने इस बार किया 34,699 करोड़ रुपए देने का एलान।
*ज्यादा टैक्स मिला तो मनरेगा के लिए पांच हजार करोड़ रुपए और देने की घोषणा।
*ग्रामीण आधारभूत संरचना विकास फंड के लिए 25000 करोड़ का एलान।
*पंडित दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना। 1500 रुपए करोड़ का प्रावधान।
बिजली
*5 नई अल्ट्रा मेगा बिजली परियोजना। इसके जरिए चार हजार मेगावॉट बिजली मिल सकेगी।
*हर गांव में स्कूल और बिजली पहुंचाने का लक्ष्य। 20 हजार गांवों तक और बिजली पहुंचाने का लक्ष्य।
*बिजली परियोजना में निवेश के लिए एक लाख करोड़ रुपए के निवेश का लक्ष्य।
*बिजली से चलने वाली गाडि़यां बढ़ाने पर जोर देंगे।
कृषि और किसान
*किसानों को सस्ते कर्ज देने की योजना बनेगी।
*इरिगेशन के लिए टैक्स फ्री इंफ्रा बॉण्ड जारी किए जाएंगे।
*पीएम कृषि योजना के लिए तीन हजार करोड़ रुपए और दिए जाएंगे। किसानों को सीधा फायदा पहुचाने का लक्ष्य।
आवास
*सर्विस टैक्स 12.36 प्रतिशत से बढ़कर 14 फीसदी होने से महंगा होगा घर खरीदना।
*गरीबों सरकार 2022 तक सबको देगी मकान।
*आवास और शहरी विकास के लिए 22407 करोड़ रुपए।
काला धन- सख्त हुई सरकार
*कालेधन पर बिल लाएगी सरकार, दस साल तक सजा का प्रावधान।
*विदेश में काले धन की जानकारी मिलने पर केंद्र उतनी ही संपत्ति देश में जब्त कर सकती है जितनी संपत्ति दोषी व्यक्ति की विदेशों में होगी
*घरेलू काला धन रोकने के लिए बेनामी लेनदेन विधेयक पेश किया जाएगा।
*कैशलेस ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देंगे ताकि काला धन रोका जा सके।
*काला धन रोकने के लिए डेबिट और क्रेडिट कार्ड से व्यापार पर जोर। नगदी व्यापार को कम करना होगा।
एनडीए की बड़ी परियोजनाओं को बजट में क्या मिला
*स्वच्छ भारत- स्वच्छ भारत के लिए सरकार ने दो प्रतिशत का सेस तय किया। सभी टैक्स वाली सुविधाओं पर यह टैक्स लगेगा।
*जैमः जन धन,आधार और मोबाइल से तीन सूत्रीय कार्यक्रम, सरकारी योजनाओं का बेनफिट सीधे लोगों के खाते तक पहुंचेगा।

हजारों साल पहले ऋषियों के आविष्कार, पढ़कर रह जाएंगे हैरान |

हजारों साल पहले ऋषियों के आविष्कार, पढ़कर रह जाएंगे हैरान |
असाधारण या यूं कहें कि प्राचीन वैज्ञानिक ऋषि-मुनियों द्वारा किए आविष्कार व उनके द्वारा उजागर रहस्यों को जिनसे आप भी अब तक अनजान होंगे –
महर्षि दधीचि -
महातपोबलि और शिव भक्त ऋषि थे। वे संसार के लिए कल्याण व त्याग की भावना रख वृत्तासुर का नाश करने के लिए अपनी अस्थियों का दान करने की वजह से महर्षि दधीचि बड़े पूजनीय हुए। इस संबंध में पौराणिक कथा है कि
एक बार देवराज इंद्र की सभा में देवगुरु बृहस्पति आए। अहंकार से चूर इंद्र गुरु बृहस्पति के सम्मान में उठकर खड़े नहीं हुए। बृहस्पति ने इसे अपना अपमान समझा और देवताओं को छोड़कर चले गए। देवताओं ने विश्वरूप को अपना गुरु बनाकर काम चलाना पड़ा, किंतु विश्वरूप देवताओं से छिपाकर असुरों को भी यज्ञ-भाग दे देता था। इंद्र ने उस पर आवेशित होकर उसका सिर काट दिया। विश्वरूप त्वष्टा ऋषि का पुत्र था। उन्होंने क्रोधित होकर इंद्र को मारने के लिए महाबली वृत्रासुर को पैदा किया। वृत्रासुर के भय से इंद्र अपना सिंहासन छोड़कर देवताओं के साथ इधर-उधर भटकने लगे।
ब्रह्मादेव ने वृत्तासुर को मारने के लिए वज्र बनाने के लिए देवराज इंद्र को तपोबली महर्षि दधीचि के पास उनकी हड्डियां मांगने के लिये भेजा। उन्होंने महर्षि से प्रार्थना करते हुए तीनों लोकों की भलाई के लिए अपनी हड्डियां दान में मांगी। महर्षि दधीचि ने संसार के कल्याण के लिए अपना शरीर दान कर दिया। महर्षि दधीचि की हड्डियों से वज्र बना और वृत्रासुर मारा गया। इस तरह एक महान ऋषि के अतुलनीय त्याग से देवराज इंद्र बचे और तीनों लोक सुखी हो गए।
आचार्य कणाद -
कणाद परमाणुशास्त्र के जनक माने जाते हैं। आधुनिक दौर में अणु विज्ञानी जॉन डाल्टन के भी हजारों साल पहले आचार्य कणाद ने यह रहस्य उजागर किया कि द्रव्य के परमाणु होते हैं।
भास्कराचार्य -
आधुनिक युग में धरती की गुरुत्वाकर्षण शक्ति (पदार्थों को अपनी ओर खींचने की शक्ति) की खोज का श्रेय न्यूटन को दिया जाता है। किंतु बहुत कम लोग जानते हैं कि गुरुत्वाकर्षण का रहस्य न्यूटन से भी कई सदियों पहले भास्कराचार्यजी ने उजागर किया। भास्कराचार्यजी ने अपने ‘सिद्धांतशिरोमणि’ ग्रंथ में पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के बारे में लिखा है कि ‘पृथ्वी आकाशीय पदार्थों को विशिष्ट शक्ति से अपनी ओर खींचती है। इस वजह से आसमानी पदार्थ पृथ्वी पर गिरता है’।
आचार्य चरक -
‘चरकसंहिता’ जैसा महत्तवपूर्ण आयुर्वेद ग्रंथ रचने वाले आचार्य चरक आयुर्वेद विशेषज्ञ व ‘त्वचा चिकित्सक’ भी बताए गए हैं। आचार्य चरक ने शरीरविज्ञान, गर्भविज्ञान, औषधि विज्ञान के बारे में गहन खोज की। आज के दौर की सबसे ज्यादा होने वाली डायबिटीज, हृदय रोग व क्षय रोग जैसी बीमारियों के निदान व उपचार की जानकारी बरसों पहले ही उजागर की।
भारद्वाज -
आधुनिक विज्ञान के मुताबिक राइट बंधुओं ने वायुयान का आविष्कार किया। वहीं हिंदू धर्म की मान्यताओं के मुताबिक कई सदियों पहले ऋषि भारद्वाज ने विमानशास्त्र के जरिए वायुयान को गायब करने के असाधारण विचार से लेकर, एक ग्रह से दूसरे ग्रह व एक दुनिया से दूसरी दुनिया में ले जाने के रहस्य उजागर किए। इस तरह ऋषि भारद्वाज को वायुयान का आविष्कारक भी माना जाता है।
कण्व -
वैदिक कालीन ऋषियों में कण्व का नाम प्रमुख है। इनके आश्रम में ही राजा दुष्यंत की पत्नी शकुंतला और उनके पुत्र भरत का पालन-पोषण हुआ था। माना जाता है कि उसके नाम पर देश का नाम भारत हुआ। सोमयज्ञ परंपरा भी कण्व की देन मानी जाती है।
कपिल मुनि -
भगवान विष्णु का पांचवां अवतार माने जाते हैं। इनके पिता कर्दम ऋषि थे। इनकी माता देवहूती ने विष्णु के समान पुत्र चाहा। इसलिए भगवान विष्णु खुद उनके गर्भ से पैदा हुए। कपिल मुनि 'सांख्य दर्शन' के प्रवर्तक माने जाते हैं। इससे जुड़ा प्रसंग है कि जब उनके पिता कर्दम संन्यासी बन जंगल में जाने लगे तो देवहूती ने खुद अकेले रह जाने की स्थिति पर दुःख जताया। इस पर ऋषि कर्दम देवहूती को इस बारे में पुत्र से ज्ञान मिलने की बात कही। वक्त आने पर कपिल मुनि ने जो ज्ञान माता को दिया, वही 'सांख्य दर्शन' कहलाता है।
पतंजलि -
आधुनिक दौर में जानलेवा बीमारियों में एक कैंसर या कर्करोग का आज उपचार संभव है। किंतु कई सदियों पहले ही ऋषि पतंजलि ने कैंसर को रोकने वाला योगशास्त्र रचकर बताया कि योग से कैंसर का भी उपचार संभव है।
शौनक :
वैदिक आचार्य और ऋषि शौनक ने गुरु-शिष्य परंपरा व संस्कारों को इतना फैलाया कि उन्हें दस हजार शिष्यों वाले गुरुकुल का कुलपति होने का गौरव मिला। शिष्यों की यह तादाद कई आधुनिक विश्वविद्यालयों तुलना में भी कहीं ज्यादा थी।
महर्षि सुश्रुत -
ये शल्यचिकित्सा विज्ञान यानी सर्जरी के जनक व दुनिया के पहले शल्यचिकित्सक
(सर्जन) माने जाते हैं। वे शल्यकर्म या आपरेशन में दक्ष थे। महर्षि सुश्रुत द्वारा लिखी गई ‘सुश्रुतसंहिता’ ग्रंथ में शल्य चिकित्सा के बारे में कई अहम ज्ञान विस्तार से बताया है। इनमें सुई, चाकू व चिमटे जैसे तकरीबन 125 से भी ज्यादा शल्यचिकित्सा में जरूरी औजारों के नाम और 300 तरह की शल्यक्रियाओं व उसके पहले की जाने वाली तैयारियों, जैसे उपकरण उबालना आदि के बारे में पूरी जानकारी बताई गई है।
जबकि आधुनिक विज्ञान ने शल्य क्रिया की खोज तकरीबन चार सदी पहले ही की है। माना जाता है कि महर्षि सुश्रुत मोतियाबिंद, पथरी, हड्डी टूटना जैसे पीड़ाओं के उपचार के लिए शल्यकर्म यानी आपरेशन करने में माहिर थे। यही नहीं वे त्वचा बदलने की शल्यचिकित्सा भी करते थे।
वशिष्ठ :
वशिष्ठ ऋषि राजा दशरथ के कुलगुरु थे। दशरथ के चारों पुत्रों राम, लक्ष्मण, भरत व शत्रुघ्न ने इनसे ही शिक्षा पाई। देवप्राणी व मनचाहा वर देने वाली कामधेनु गाय वशिष्ठ ऋषि के पास ही थी।
विश्वामित्र :
ऋषि बनने से पहले
विश्वामित्र क्षत्रिय थे। ऋषि वशिष्ठ से कामधेनु गाय को पाने के लिए हुए युद्ध में मिली हार के बाद तपस्वी हो गए। विश्वामित्र ने भगवान शिव से अस्त्र विद्या पाई। इसी कड़ी में माना जाता है कि आज के युग में प्रचलित प्रक्षेपास्त्र या मिसाइल प्रणाली हजारों साल पहले विश्वामित्र ने ही खोजी थी।
ऋषि विश्वामित्र ही ब्रह्म गायत्री मंत्र के दृष्टा माने जाते हैं। विश्वामित्र का अप्सरा मेनका पर मोहित होकर तपस्या भंग होना भी प्रसिद्ध है। शरीर सहित त्रिशंकु को स्वर्ग भेजने का चमत्कार भी विश्वामित्र ने तपोबल से कर दिखाया।
महर्षि अगस्त्य -
वैदिक मान्यता के मुताबिक मित्र और वरुण देवताओं का दिव्य तेज यज्ञ कलश में मिलने से उसी कलश के बीच से तेजस्वी महर्षि अगस्त्य प्रकट हुए। महर्षि अगस्त्य घोर तपस्वी ऋषि थे। उनके तपोबल से जुड़ी पौराणिक कथा है कि एक बार जब समुद्री राक्षसों से प्रताड़ित होकर देवता महर्षि अगस्त्य के पास सहायता के लिए पहुंचे तो महर्षि ने देवताओं के दुःख को दूर करने के लिए समुद्र का सारा जल पी लिया। इससे सारे राक्षसों का अंत हुआ।
गर्गमुनि -
गर्ग मुनि नक्षत्रों के खोजकर्ता माने जाते हैं। यानी सितारों की दुनिया के जानकार। ये गर्गमुनि ही थे, जिन्होंने श्रीकृष्ण एवं अर्जुन के के बारे नक्षत्र विज्ञान के आधार पर जो कुछ भी बताया, वह पूरी तरह सही साबित हुआ। कौरव-पांडवों के बीच महाभारत युद्ध विनाशक रहा। इसके पीछे वजह यह थी कि युद्ध के पहले पक्ष में तिथि क्षय होने के तेरहवें दिन अमावस थी। इसके दूसरे पक्ष में भी तिथि क्षय थी। पूर्णिमा चौदहवें दिन आ गई और उसी दिन चंद्रग्रहण था। तिथि-नक्षत्रों की यही स्थिति व नतीजे गर्ग मुनिजी ने पहले बता दिए थे।
बौद्धयन -
भारतीय त्रिकोणमितिज्ञ के रूप में जाने जाते हैं। कई सदियों पहले ही तरह-तरह के आकार-प्रकार की यज्ञवेदियां बनाने की त्रिकोणमितिय रचना-पद्धति बौद्धयन ने खोजी। दो समकोण समभुज चौकोन के क्षेत्रफलों का योग करने पर जो संख्या आएगी, उतने क्षेत्रफल का ‘समकोण’ समभुज चौकोन बनाना और उस आकृति का उसके क्षेत्रफल के समान के वृत्त में बदलना, इस तरह के कई मुश्किल सवालों का जवाब बौद्धयन ने आसान बनाया।
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कल्कि अवतार कब?

कल्कि अवतार कब?
राजन ! अट्ठाइसवें कलियुग में जो कुछ होने वाला है, उसे सुनो ! कलियुग के तीन हजार दो सौ नब्बे वर्ष व्यतीत होने पर इस भूमंडल में वीरों का अधिपति शूद्रक नामका राजा होगा, जो चर्चिता नगरी में आराधना करके सिद्धि प्राप्त करेगा | शूद्रक पृथ्वी का भार उतारने वाला राजा होगा | तदनन्तर कलियुग के तीन हजार तीन सौ दसवें वर्ष में नन्द वंश का राज्य होगा | चाणक्य नाम वाला ब्राह्मण उन नन्दवंशियों का संहार करेगा और शुक्ल तीर्थ में वह अपने समस्त पापों से छुटकारा पाने के लिए प्रायश्चित की अभिलाषा करेगा | इसके सिवा कलियुग के तीन हजार बीस बर्ष निकल जाने पर इस पृथ्वी पर राजा विक्रमादित्य होंगे | वे नवदुर्गाओं की सिद्धि एवं कृपा से राज्य पाएंगे और दीनों का उद्धार करेंगे | तदनन्तर तीन हजार से सौ वर्ष और अधिक बीतने पर शक नामक राजा होगा | उसके बाद कलियुग के तीन हजार छह सौ वर्ष बीतने पर मगध देश में हेमसदन से अञ्जनि के गर्भ से भगवान् विष्णु के अंशावतार स्वयं भगवान् बुद्ध प्रकट होंगे, जो धर्मं का पालन करेंगे | महात्मा बुद्ध के अनेक उत्तम चरित्र स्मरणीय होंगे | अपने भक्तों के लिए अपनी यशोगाथा छोड़कर वे स्वर्ग लोक को चले जायेंगे, भक्तजन उन्हें पापहारी बुद्ध कहेंगे | तत्पश्चात कलियुग के चार हजार चार सौ वर्ष बीत जाने पर चन्द्र वंश में महाराजा प्रमिति का प्रादुर्भाव होगा | वे बहुत बड़ी सेना के अधिपति तथा अत्यंत बलवान होंगे | करोडो म्लेछों का वध करके सब ओर से पाखण्ड का निवारण करते हुए केवल विशुद्ध वैदिक धर्म की स्थापना करेंगे | महाराजा प्रमिति का देहावसान गंगा यमुना के मध्यवर्ती क्षेत्र प्रयाग में होगा |

तत्पश्चात किसी समय काल के प्रभाव से जब प्रजा अत्यंत पीड़ित होने लगेगी, तब भयंकर अधर्म का आश्रय लेकर शठता पूर्वक बर्ताव करेगी | सभी अकर्मण्य तथा आवश्यक साधनों से भी रहित होंगे | उस समय शाल्य नामक म्लेछ धर्म का विनाश करने के लिए उन सबका संहार करेगा | उत्तम, मध्यम और अधम सब प्रकार की श्रेणियों का विनाश करके वह अत्यंत भयंकर कर्म करने वाला होगा | तब उसका वध करने के लिए सम्पूर्ण जगत के स्वामी साक्षात् भगवान् विष्णु सम्भल ग्राम में श्रीविष्णुयशा के पुत्र हो कर अवतीर्ण होंगे और श्रेष्ठ ब्राह्मणों के साथ जाकर उस ‘शाल्य’ नाम वाले म्लेछ का संहार करेंगे | वे सब ओर घूम घूम कर करोड़ों और अरबों पापियों का वध करके उस धर्म का पालन करेंगे, जो वेद मूलक है | साधु पुरुषों के लिए धर्मरूपी नौका का निर्माण करके अनेक प्रकार की लीलाएं करने के पश्चात वे भगवान् कल्कि परम धाम में पधारेंगे | राजन ! उसके बाद फिर सतयुग का आरम्भ होगा | प्रथम सतयुग, अंतिम सतयुग और अट्ठाइसवें कलियुग ये अन्य युगों से कुछ विशिष्टता रखते हैं | शेष युगों की प्रवृत्ति औरों के सामान होती है | कलियुग बीतने पर सतयुग के प्रारंभ में राजा मरू (पुरु) से सूर्यवंश, देवापि से चन्द्रवंश और श्रुतदेव से ब्राह्मण वंश की परम्परा चालू होगी | राजन ! इस प्रकार चरों युगों के व्यवस्था बदलती रहती हैं | चारों युगों में वही लोग धन्य हैं, जो भगवान् शंकर और विष्णु का भजन करते हैं |

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