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सोमवार, 19 अगस्त 2019

राम के पुत्र लव और कुश की वंशावली

*🚩जानिए भगवान श्री राम के पूर्वज कौन थे और आज कौनसी पीढ़ी चल रही है?*

*🚩कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने भगवान श्री राम के वंशज के बारे में सबूत मांगा था। श्री राम के वंशज आज भी मौजूदा है इस लेख के माध्यम से जानिए आज उनके वंशज कौन है।*

*🚩राम के पुत्र लव और कुश की वंशावली-*

*राम के दो जुड़वा पुत्र लव और कुश थे। दोनों का ही वंश आगे चला। वर्तमान में दोनों के ही वंश के लोग बहुतायत में पाए जाते हैं। लव और कुश के कुल के लोग जो भारत में आज भी निवास करते हैं।*

*🚩- ब्रह्माजी के कई पुत्र थे जिनमें से 10 प्रमुख हैं- मरीचि, अंगिरस्, अत्रि, भृगु, वशिष्ठ, नारद, पुलस्त्सय, ऋतु, दक्ष, स्वायंभुव मनु।*

*🚩- मरीचि की पत्नि दक्ष- कन्या संभूति थी। इनकी दो और पत्निनयां थी- कला और उर्णा। कला से उन्हें कश्यप नामक एक पुत्र मिला। इन्होंने दक्ष की 13 पुत्रियों से विवाह किया था।*

*🚩- कश्यप पत्नी अदिति से देवता और दिति से दैत्यों की उत्पत्ति हुई। अदिति के 10 पुत्र थे, विवस्वान्, इंद्र, धाता, भग, पूषा, मित्र, अर्यमा, त्वष्टा, अंशु, वरुण, सविता। कहीं कहीं पर यह नाम इस तरह पाए जाते हैं- विवस्वान्, अर्यमा, पूषा, त्वष्टा, सविता, भग, धाता, विधाता, वरुण, मित्र, इंद्र और त्रिविक्रम (भगवान वामन)।*

*🚩- कश्यप के बड़े पुत्र विवस्वान् से वैवस्वत मनु का जन्म हुआ। वैवस्वत मनु के दस पुत्र थे- इल, इक्ष्वाकु, कुशनाम, अरिष्ट, धृष्ट, नरिष्यन्त, करुष, महाबली, शर्याति और पृषध। राम का जन्म इक्ष्वाकु के कुल में हुआ था। जैन धर्म के तीर्थंकर निमि भी इसी कुल के थे।*

*🚩- वैवस्वत मनु के दूसरे पुत्र इक्ष्वाकु से विकुक्षि, निमि और दण्डक पुत्र उत्पन्न हुए। इस तरह से यह वंश परम्परा चलते-चलते हरिश्चन्द्र रोहित, वृष, बाहु और सगर तक पहुँची। इक्ष्वाकु प्राचीन कौशल देश के राजा थे और इनकी राजधानी अयोध्या थी। (पुत्री इला का विवाह बुध से हुआ जिसका पुत्र पुरुरवा चंद्रवंशी था)।*

*- रामायण के बालकांड में गुरु वशिष्ठजी द्वारा राम के कुल का वर्णन किया गया है जो इस प्रकार है:- ब्रह्माजी से मरीचि का जन्म हुआ। मरीचि के पुत्र कश्यप हुए। कश्यप के विवस्वान् और विवस्वान् के वैवस्वत मनु हुए। वैवस्वत मनु के समय जल प्रलय हुआ था। वैवस्वतमनु के दस पुत्रों में से एक का नाम इक्ष्वाकु था। इक्ष्वाकु ने अयोध्या को अपनी राजधानी बनाया और इस प्रकार इक्ष्वाकु कुल की स्थापना की।*

*🚩- इक्ष्वाकु के पुत्र कुक्षि हुए। कुक्षि के पुत्र का नाम विकुक्षि था। विकुक्षि के पुत्र बाण और बाण के पुत्र अनरण्य हुए। अनरण्य से पृथु और पृथु और पृथु से त्रिशंकु का जन्म हुआ। त्रिशंकु के पुत्र धुंधुमार हुए। धुन्धुमार के पुत्र का नाम युवनाश्व था। युवनाश्व के पुत्र मान्धाता हुए और मान्धाता से सुसन्धि का जन्म हुआ। सुसन्धि के दो पुत्र हुए- ध्रुवसन्धि एवं प्रसेनजित। ध्रुवसन्धि के पुत्र भरत हुए।*

*🚩- भरत के पुत्र असित हुए और असित के पुत्र सगर हुए। सगर अयोध्या के बहुत प्रतापी राजा थे। सगर के पुत्र का नाम असमंज था। असमंज के पुत्र अंशुमान तथा अंशुमान के पुत्र दिलीप हुए। दिलीप के पुत्र भगीरथ हुए। भगीरथ ने ही गंगा को पृथ्वी पर उतार था। भगीरथ के पुत्र ककुत्स्थ और ककुत्स्थ के पुत्र रघु हुए। रघु के अत्यंत तेजस्वी और पराक्रमी नरेश होने के कारण उनके बाद इस वंश का नाम रघुवंश हो गया। तब राम के कुल को रघुकुल भी कहा जाता है।*

*🚩- रघु के पुत्र प्रवृद्ध हुए। प्रवृद्ध के पुत्र शंखण और शंखण के पुत्र सुदर्शन हुए। सुदर्शन के पुत्र का नाम अग्निवर्ण था। अग्निवर्ण के पुत्र शीघ्रग और शीघ्रग के पुत्र मरु हुए। मरु के पुत्र प्रशुश्रुक और प्रशुश्रुक के पुत्र अम्बरीष हुए। अम्बरीष के पुत्र का नाम नहुष था। नहुष के पुत्र ययाति और ययाति के पुत्र नाभाग हुए। नाभाग के पुत्र का नाम अज था। अज के पुत्र दशरथ हुए और दशरथ के ये चार पुत्र राम, भरत, लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न हैं। वाल्मीकि रामायण- ॥1-59 से 72।।*

*🚩कुश की निम्नलिखित वंशावली भी मिलती है जिसकी हम पुष्टि नहीं करते हैं, क्योंकि अलग अलग ग्रंथों में यह अलग अलग मिलती है। कारण यह कि कुश से राजा सवाई भवानी सिंह के बीच जिन राजाओं का उल्लेख मिलता है उनके भाई भी थे जिनके अन्य वंश चले हैं इस तरह संपूर्ण देश में राम के वंश का एक ऐसे नेटवर्क फैला है जिसकी संपूर्ण वंशावली को यहां देना असंभव है।*

*🚩कुश की एक यह वंशावली-*

*राम के जुड़वा पुत्र लव और कुश हुए। कुश के अतिथि हुए, अतिधि के निषध हुए, निषध के नल हुए, नल के नभस, नभस के पुण्डरीक, पुण्डरीक के क्षेमधन्वा, क्षेमधन्वा के देवानीक, देवानीक के अहीनगर, अहीनर के रुरु, रुरु के पारियात्र, पारियात्रा के दल, दल के छल (शल), शल के उक्थ, उक्थ के वज्रनाभ, वज्रनाभ के शंखनाभ, शंखनाभ के व्यथिताश्व, व्यथिताश्व से विश्वसह, विश्वसह से हिरण्यनाभ, हिरण्यनाभ से पुष्य, पुष्य से ध्रुवसन्धि, ध्रुवसन्धि से सुदर्शन, सुदर्शन से अग्निवर्णा, अग्निवर्णा से शीघ्र, शीघ्र से मुरु, मरु से प्रसुश्रुत, प्रसुश्रुत से सुगवि, सुगवि से अमर्ष, अमर्ष से महास्वन, महास्वन से बृहदबल, बृहदबल से बृहत्क्षण (अभिमन्यु द्वारा मारा गया था), वृहत्क्षण से गुरुक्षेप, गुरक्षेप से वत्स, वत्स से वत्सव्यूह, वत्सव्यूह से प्रतिव्योम, प्रतिव्योम से दिवाकर, दिवाकर से सहदेव, सहदेव से बृहदश्व, वृहदश्व से भानुरथ, भानुरथ से सुप्रतीक, सुप्रतीक से मरुदेव, मरुदेव से सुनक्षत्र, सुनक्षत्र से किन्नर, किन्नर से अंतरिक्ष, अंतरिक्ष से सुवर्ण, सुवर्ण से अमित्रजित्, अमित्रजित् से वृहद्राज, वृहद्राज से धर्मी, धर्मी से कृतन्जय, कृतन्जय से रणन्जय, रणन्जय से संजय, संजय से शुद्धोदन, शुद्धोदन से शाक्य, शाक्य (गौतम बुद्ध) से राहुल, राहुल से प्रसेनजित, प्रसेनजित् से क्षुद्रक, क्षुद्रक से कुंडक, कुंडक से सुरथ, सुरथ से सुमित्र, सुमित्र के भाई कुरुम से कुरुम से कच्छ, कच्छ से बुधसेन।*

*🚩बुधसेन से क्रमश: धर्मसेन, भजसेन, लोकसेन, लक्ष्मीसेन, रजसेन, रविसेन, करमसेन, कीर्तिसेन, महासेन, धर्मसेन, अमरसेन, अजसेन, अमृतसेन, इंद्रसेन, रजसेन, बिजयमई, स्योमई, देवमई, रिधिमई, रेवमई, सिद्धिमई, त्रिशंकुमई, श्याममई, महीमई, धर्ममई, कर्ममई, राममई, सूरतमई, शीशमई, सुरमई, शंकरमई, किशनमई, जसमई, गोतम, नल, ढोली, लछमनराम, राजाभाण, वजधाम (वज्रदानम), मधुब्रह्म, मंगलराम, क्रिमराम, मूलदेव, अनंगपाल, श्रीपाल (सूर्यपाल), सावन्तपाल, भीमपाल, गंगपाल, महंतपाल, महेंद्रपाल, राजपाल, पद्मपाल, आनन्दपाल, वंशपाल, विजयपाल, कामपाल, दीर्घपाल (ब्रह्मापल), विशनपाल, धुंधपाल, किशनपाल, निहंगपाल, भीमपाल, अजयपाल, स्वपाल (अश्वपाल), श्यामपाल, अंगपाल, पुहूपपाल, वसन्तपाल, हस्तिपाल, कामपाल, चंद्रपाल, गोविन्दपाल, उदयपाल, चंगपाल, रंगपाल, पुष्पपाल, हरिपाल, अमरपाल, छत्रपाल, महीपाल, धोरपाल, मुंगवपाल, पद्मपाल, रुद्रपाल, विशनपाल, विनयपाल, अच्छपाल (अक्षयपाल), भैंरूपाल, सहजपा,, देवपाल, त्रिलोचनपाल (बिलोचनपाल), विरोचनपाल, रसिकपाल, श्रीपाल (सरसपाल), सुरतपाल, सगुणपाल, अतिपाल, गजपाल (जनपाल), जोगेद्रपाल, भौजपाल (मजुपाल), रतनपाल, श्यामपा,, हरिचंदपाल, किशनपाल, बीरचन्दपाल, तिलोकपाल, धनपाल, मुनिकपाल, नखपाल (नयपाल), प्रतापपाल, धर्मपाल, भूपाल, देशपाल (पृथ्वीपाल), परमपाल, इंद्रपाल, गिरिपाल, रेवन्तपाल, मेहपाल (महिपाल), करणपाल, सुरंगपाल (श्रंगपाल), उग्रपाल, स्योपाल (शिवपाल), मानपाल, परशुपाल (विष्णुपाल), विरचिपाल (रतनपाल), गुणपाल, किशोरपाल (बुद्धपाल), सुरपाल, गंभीरपाल, तेजपाल, सिद्धिपाल (सिंहपाल), गुणपाल, ज्ञानपाल (तक गढ़ ग्यारियर राज किया), काहिनदेव, देवानीक, इसैसिंह (तक बांस बरेली में राज फिर ढूंढाड़ में आए), सोढ़देव, दूलहराय, काकिल, हणू (आमेर के टीकै बैठ्या), जान्हड़देव, पंजबन, मलेसी, बीजलदेव, राजदेव, कील्हणदेव, कुंतल, जीणसी (बाद में जोड़े गए), उदयकरण, नरसिंह, वणबीर, उद्धरण, चंद्रसेन, पृथ्वीराज सिंह (इस बीच पूणमल, भीम, आसकरण और राजसिंह भी गद्दी पर बैठे), भारमल, भगवन्तदास, मानसिंह, जगतसिंह (कंवर), महासिंह (आमेर में राजा नहीं हुए), भावसिंह गद्दी पर बैठे, महासिंह (मिर्जा राजा), रामसिंह प्रथम, किशनसिंह (कंवर, राजा नहीं हुए), कुंअर, विशनसिंह, सवाई जयसिंह, सवाई ईश्वरसिंह, सवाई मोधोसिंह, सवाई पृथ्वीसिंह, सवाई प्रतापसिंह, सवाई जगतसिंह, सवाई जयसिंह, सवाई जयसिंह तृतीय, सवाई रामसिंह द्वितीय, सवाई माधोसिंह द्वितीय, सवाई मानसिंह द्वितीय, सवाई भवानी सिंह (वर्तमान में गद्दी पर विराजमान हैं)*

*🚩अन्य तथ्य:*

*राजा लव से राघव राजपूतों का जन्म हुआ जिनमें बर्गुजर, जयास और सिकरवारों का वंश चला। इसकी दूसरी शाखा थी सिसोदिया राजपूत वंश की जिनमें बैछला (बैसला) और गैहलोत (गुहिल) वंश के राजा हुए। कुश से कुशवाह (कछवाह) राजपूतों का वंश चला।*

*🚩राम के दोनों पुत्रों में कुश का वंश आगे बढ़ा तो कुश से अतिथि और अतिथि से, निषधन से, नभ से, पुण्डरीक से, क्षेमन्धवा से, देवानीक से, अहीनक से, रुरु से, पारियात्र से, दल से, छल से, उक्थ से, वज्रनाभ से, गण से, व्युषिताश्व से, विश्वसह से, हिरण्यनाभ से, पुष्य से, ध्रुवसंधि से, सुदर्शन से, अग्रिवर्ण से, पद्मवर्ण से, शीघ्र से, मरु से, प्रयुश्रुत से, उदावसु से, नंदिवर्धन से, सकेतु से, देवरात से, बृहदुक्थ से, महावीर्य से, सुधृति से, धृष्टकेतु से, हर्यव से, मरु से, प्रतीन्धक से, कुतिरथ से, देवमीढ़ से, विबुध से, महाधृति से, कीर्तिरात से, महारोमा से, स्वर्णरोमा से और ह्रस्वरोमा से सीरध्वज का जन्म हुआ।*

*🚩कुश वंश के राजा सीरध्वज को सीता नाम की एक पुत्री हुई। सूर्यवंश इसके आगे भी बढ़ा जिसमें कृति नामक राजा का पुत्र जनक हुआ जिसने योग मार्ग का रास्ता अपनाया था। कुश वंश से ही कुशवाह, मौर्य, सैनी, शाक्य संप्रदाय की स्थापना मानी जाती है। एक शोधानुसार लव और कुश की 50वीं पीढ़ी में शल्य हुए, जो महाभारत युद्ध में कौरवों की ओर से लड़े थे। यह इसकी गणना की जाए तो लव और कुश महाभारतकाल के 2500 वर्ष पूर्व से 3000 वर्ष पूर्व हुए थे अर्थात आज से 6,500 से 7,000 वर्ष पूर्व।*

*🚩इसके अलावा शल्य के बाद बहत्क्षय, ऊरुक्षय, बत्सद्रोह, प्रतिव्योम, दिवाकर, सहदेव, ध्रुवाश्च, भानुरथ, प्रतीताश्व, सुप्रतीप, मरुदेव, सुनक्षत्र, किन्नराश्रव, अन्तरिक्ष, सुषेण, सुमित्र, बृहद्रज, धर्म, कृतज्जय, व्रात, रणज्जय, संजय, शाक्य, शुद्धोधन, सिद्धार्थ, राहुल, प्रसेनजित, क्षुद्रक, कुलक, सुरथ, सुमित्र हुए। माना जाता है कि जो लोग खुद को शाक्यवंशी कहते हैं वे भी श्रीराम के वंशज हैं।*

*तो यह सिद्ध हुआ कि वर्तमान में जो सिसोदिया, कुशवाह (कछवाह), मौर्य, शाक्य, बैछला (बैसला) और गैहलोत (गुहिल) आदि जो राजपूत वंश हैं वे सभी भगवान प्रभु श्रीराम के वंशज है। जयपूर राजघराने की महारानी पद्मिनी और उनके परिवार के लोग की राम के पुत्र कुश के वंशज है। महारानी पद्मिनी ने एक अंग्रेजी चैनल को दिए में कहा था कि उनके पति भवानी सिंह कुश के 309वें वंशज थे।*

*🚩इस घराने के इतिहास की बात करें तो 21 अगस्त 1921 को जन्में महाराज मानसिंह ने तीन शादियां की थी। मानसिंह की पहली पत्नी मरुधर कंवर, दूसरी पत्नी का नाम किशोर कंवर था और माननसिंह ने तीसरी शादी गायत्री देवी से की थी। महाराजा मानसिंह और उनकी पहली पत्नी से जन्में पुत्र का नाम भवानी सिंह था। भवानी सिंह का विवाह राजकुमारी पद्मिनी से हुआ। लेकिन दोनों का कोई बेटा नहीं है एक बेटी है जिसका नाम दीया है और जिसका विवाह नरेंद्र सिंह के साथ हुआ है। दीया के बड़े बेटे का नाम पद्मनाभ सिंह और छोटे बेटे का नाम लक्ष्यराज सिंह है।*
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2864402033601800&id=100000960934100

*🚩मुसलमान भी राम के वंशज हैं?*

*हालांकि ऐसे कई राजा और महाराजा हैं जिनके पूर्वज श्रीराम थे। राजस्थान में कुछ मुस्लिम समूह कुशवाह वंश से ताल्लुक रखते हैं। मुगल काल में इन सभी को धर्म परिवर्तन करना पड़ा लेकिन ये सभी आज भी खुद को प्रभु श्रीराम का वंशज ही मानते हैं।*

*🚩इसी तरह मेवात में दहंगल गोत्र के लोग भगवान राम के वंशज हैं और छिरकलोत गोत्र के मुस्लिम यदुवंशी माने जाते हैं। राजस्थान, बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली आदि जगहों पर ऐसे कई मुस्लिम गांव या समूह हैं जो राम के वंश से संबंध रखते हैं। डीएनए शोधाधुसार उत्तर प्रदेश के 65 प्रतिशत मुस्लिम ब्राह्मण बाकी राजपूत, कायस्थ, खत्री, वैश्य और दलित वंश से ताल्लुक रखते हैं।

रविवार, 18 अगस्त 2019

झांसी के अंतिम संघर्ष में महारानी की पीठ पर बंधा उनका बेटा दामोदर राव (असली नाम आनंद राव)

झांसी के अंतिम संघर्ष में महारानी की पीठ पर बंधा उनका बेटा दामोदर राव (असली नाम आनंद राव) सबको याद है. रानी की चिता जल जाने के बाद उस बेटे का क्या हुआ?
वो कोई कहानी का किरदार भर नहीं था, 1857 के विद्रोह की सबसे महत्वपूर्ण कहानी को जीने वाला राजकुमार था जिसने उसी गुलाम भारत में जिंदगी काटी, जहां उसे भुला कर उसकी मां के नाम की कसमें खाई जा रही थी.

अंग्रेजों ने दामोदर राव को कभी झांसी का वारिस नहीं माना था, सो उसे सरकारी दस्तावेजों में कोई जगह नहीं मिली थी. ज्यादातर हिंदुस्तानियों ने सुभद्रा कुमारी चौहान के कुछ सही, कुछ गलत आलंकारिक वर्णन को ही इतिहास मानकर इतिश्री कर ली.

1959 में छपी वाई एन केलकर की मराठी किताब ‘इतिहासाच्य सहली’ (इतिहास की सैर) में दामोदर राव का इकलौता वर्णन छपा.

महारानी की मृत्यु के बाद दामोदार राव ने एक तरह से अभिशप्त जीवन जिया. उनकी इस बदहाली के जिम्मेदार सिर्फ फिरंगी ही नहीं हिंदुस्तान के लोग भी बराबरी से थे.

आइये, दामोदर की कहानी दामोदर की जुबानी सुनते हैं –

15 नवंबर 1849 को नेवलकर राजपरिवार की एक शाखा में मैं पैदा हुआ. ज्योतिषी ने बताया कि मेरी कुंडली में राज योग है और मैं राजा बनूंगा. ये बात मेरी जिंदगी में सबसे दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से सच हुई. तीन साल की उम्र में महाराज ने मुझे गोद ले लिया. गोद लेने की औपचारिक स्वीकृति आने से पहले ही पिताजी नहीं रहे.

मां साहेब (महारानी लक्ष्मीबाई) ने कलकत्ता में लॉर्ड डलहॉजी को संदेश भेजा कि मुझे वारिस मान लिया जाए. मगर ऐसा नहीं हुआ.

डलहॉजी ने आदेश दिया कि झांसी को ब्रिटिश राज में मिला लिया जाएगा. मां साहेब को 5,000 सालाना पेंशन दी जाएगी. इसके साथ ही महाराज की सारी सम्पत्ति भी मां साहेब के पास रहेगी. मां साहेब के बाद मेरा पूरा हक उनके खजाने पर होगा मगर मुझे झांसी का राज नहीं मिलेगा.

इसके अलावा अंग्रेजों के खजाने में पिताजी के सात लाख रुपए भी जमा थे. फिरंगियों ने कहा कि मेरे बालिग होने पर वो पैसा मुझे दे दिया जाएगा.

मां साहेब को ग्वालियर की लड़ाई में शहादत मिली. मेरे सेवकों (रामचंद्र राव देशमुख और काशी बाई) और बाकी लोगों ने बाद में मुझे बताया कि मां ने मुझे पूरी लड़ाई में अपनी पीठ पर बैठा रखा था. मुझे खुद ये ठीक से याद नहीं. इस लड़ाई के बाद हमारे कुल 60 विश्वासपात्र ही जिंदा बच पाए थे.

नन्हें खान रिसालेदार, गनपत राव, रघुनाथ सिंह और रामचंद्र राव देशमुख ने मेरी जिम्मेदारी उठाई. 22 घोड़े और 60 ऊंटों के साथ बुंदेलखंड के चंदेरी की तरफ चल पड़े. हमारे पास खाने, पकाने और रहने के लिए कुछ नहीं था. किसी भी गांव में हमें शरण नहीं मिली. मई-जून की गर्मी में हम पेड़ों तले खुले आसमान के नीचे रात बिताते रहे. शुक्र था कि जंगल के फलों के चलते कभी भूखे सोने की नौबत नहीं आई.

असल दिक्कत बारिश शुरू होने के साथ शुरू हुई. घने जंगल में तेज मानसून में रहना असंभव हो गया. किसी तरह एक गांव के मुखिया ने हमें खाना देने की बात मान ली. रघुनाथ राव की सलाह पर हम 10-10 की टुकड़ियों में बंटकर रहने लगे.

मुखिया ने एक महीने के राशन और ब्रिटिश सेना को खबर न करने की कीमत 500 रुपए, 9 घोड़े और चार ऊंट तय की. हम जिस जगह पर रहे वो किसी झरने के पास थी और खूबसूरत थी.

देखते-देखते दो साल निकल गए. ग्वालियर छोड़ते समय हमारे पास 60,000 रुपए थे, जो अब पूरी तरह खत्म हो गए थे. मेरी तबियत इतनी खराब हो गई कि सबको लगा कि मैं नहीं बचूंगा. मेरे लोग मुखिया से गिड़गिड़ाए कि वो किसी वैद्य का इंतजाम करें.

मेरा इलाज तो हो गया मगर हमें बिना पैसे के वहां रहने नहीं दिया गया. मेरे लोगों ने मुखिया को 200 रुपए दिए और जानवर वापस मांगे. उसने हमें सिर्फ 3 घोड़े वापस दिए. वहां से चलने के बाद हम 24 लोग साथ हो गए.

ग्वालियर के शिप्री में गांव वालों ने हमें बागी के तौर पर पहचान लिया. वहां तीन दिन उन्होंने हमें बंद रखा, फिर सिपाहियों के साथ झालरपाटन के पॉलिटिकल एजेंट के पास भेज दिया. मेरे लोगों ने मुझे पैदल नहीं चलने दिया. वो एक-एक कर मुझे अपनी पीठ पर बैठाते रहे.

हमारे ज्यादातर लोगों को पागलखाने में डाल दिया गया. मां साहेब के रिसालेदार नन्हें खान ने पॉलिटिकल एजेंट से बात की.

उन्होंने मिस्टर फ्लिंक से कहा कि झांसी रानी साहिबा का बच्चा अभी 9-10 साल का है. रानी साहिबा के बाद उसे जंगलों में जानवरों जैसी जिंदगी काटनी पड़ रही है. बच्चे से तो सरकार को कोई नुक्सान नहीं. इसे छोड़ दीजिए पूरा मुल्क आपको दुआएं देगा.

फ्लिंक एक दयालु आदमी थे, उन्होंने सरकार से हमारी पैरवी की. वहां से हम अपने विश्वस्तों के साथ इंदौर के कर्नल सर रिचर्ड शेक्सपियर से मिलने निकल गए. हमारे पास अब कोई पैसा बाकी नहीं था.

सफर का खर्च और खाने के जुगाड़ के लिए मां साहेब के 32 तोले के दो तोड़े हमें देने पड़े. मां साहेब से जुड़ी वही एक आखिरी चीज हमारे पास थी.

इसके बाद 5 मई 1860 को दामोदर राव को इंदौर में 10,000 सालाना की पेंशन अंग्रेजों ने बांध दी. उन्हें सिर्फ सात लोगों को अपने साथ रखने की इजाजत मिली. ब्रिटिश सरकार ने सात लाख रुपए लौटाने से भी इंकार कर दिया.

दामोदर राव के असली पिता की दूसरी पत्नी ने उनको बड़ा किया. 1879 में उनके एक लड़का लक्ष्मण राव हुआ.दामोदर राव के दिन बहुत गरीबी और गुमनामी में बीते। इसके बाद भी अंग्रेज उन पर कड़ी निगरानी रखते थे। दामोदर राव के साथ उनके बेटे लक्ष्मणराव को भी इंदौर से बाहर जाने की इजाजत नहीं थी।
इनके परिवार वाले आज भी इंदौर में ‘झांसीवाले’ सरनेम के साथ रहते हैं. रानी के एक सौतेला भाई चिंतामनराव तांबे भी था. तांबे परिवार इस समय पूना में रहता है. झाँसी के रानी के वंशज इंदौर के अलावा देश के कुछ अन्य भागों में रहते हैं। वे अपने नाम के साथ झाँसीवाले लिखा करते हैं। जब दामोदर राव नेवालकर 5 मई 1860 को इंदौर पहुँचे थे तब इंदौर में रहते हुए उनकी चाची जो दामोदर राव की असली माँ थी। बड़े होने पर दामोदर राव का विवाह करवा देती है लेकिन कुछ ही समय बाद दामोदर राव की पहली पत्नी का देहांत हो जाता है। दामोदर राव की दूसरी शादी से लक्ष्मण राव का जन्म हुआ। दामोदर राव का उदासीन तथा कठिनाई भरा जीवन 28 मई 1906 को इंदौर में समाप्त हो गया। अगली पीढ़ी में लक्ष्मण राव के बेटे कृष्ण राव और चंद्रकांत राव हुए। कृष्ण राव के दो पुत्र मनोहर राव, अरूण राव तथा चंद्रकांत के तीन पुत्र अक्षय चंद्रकांत राव, अतुल चंद्रकांत राव और शांति प्रमोद चंद्रकांत राव हुए।

दामोदर राव चित्रकार थे उन्होंने अपनी माँ के याद में उनके कई चित्र बनाये हैं जो झाँसी परिवार की अमूल्य धरोहर हैं।

उनके वंशज श्री लक्ष्मण राव तथा कृष्ण राव इंदौर न्यायालय में टाईपिस्ट का कार्य करते थे ! अरूण राव मध्यप्रदेश विद्युत मंडल से बतौर जूनियर इंजीनियर 2002 में सेवानिवृत्त हुए हैं। उनका बेटा योगेश राव सॅाफ्टवेयर इंजीनियर है। वंशजों में प्रपौत्र अरुणराव झाँसीवाला, उनकी धर्मपत्नी वैशाली, बेटे योगेश व बहू प्रीति का धन्वंतरिनगर इंदौर में सामान्य नागरिक की तरह माध्यम वर्ग परिवार हैं।

कांग्रेस के चाटुकारों ने तो सिर्फ नेहरू परिवार की ही गाथा गाई है इन लोगों को तो भुला ही दिया गया है जिन्होंने असली लड़ाई लड़ी थी अंग्रेजो के खिलाफ आइए इस को आगे पीछे बढ़ाएं और लोगों को सच्चाई से अवगत कराए !!

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🙏🙏🙏

गुरुवार, 15 अगस्त 2019

#भारतकासबसेधृणितशत्रु_जिन्ना - बहुत कठोर पोस्ट है पर जानना जरूरी है,

#भारतकासबसेधृणितशत्रु_जिन्ना😈😈😈

जिन्ना का दोष यही था कि उसने मुसलमानों को सीधे क़त्ले आम कर के पाकिस्तान लेने का निर्देश दिया था ! वह चाहता तो यह क़त्ले आम रुक सकता था लेकिन उसे मुसलमानों की ताक़त दर्शानी थी !

बहुत कठोर पोस्ट है पर जानना जरूरी है,

"जिन्ना" को

16 अगस्त 1946 से दो दिन पूर्व ही जिन्ना नें "सीधी कार्यवाही" की धमकी दी थी! गांधीजी को अब भी उम्मीद थी कि जिन्ना सिर्फ बोल रहा है, देश के मुस्लिम इतने बुरे नहीं कि 'पाकिस्तान' के लिए हिंदुओं का कत्लेआम करने लगेंगे। पर गांधी यहीं अपने जीवन की सबसे बड़ी भूल कर बैठे, सम्प्रदायों का नशा शराब से भी ज्यादा घातक होता है।
बंगाल और बिहार में मुश्लिमों की संख्या अधिक है और मुस्लिम लीग की पकड़ भी यहाँ मजबूत है।
बंगाल का मुख्यमंत्री शाहिद सोहरावर्दी जिन्ना का वैचारिक गुलाम है, जिन्ना का आदेश उसके लिए खुदा का आदेश है।
पूर्वी बंगाल (अब बांग्लादेश ) का मुस्लिम बहुल्य नोआखाली जिला। यहाँ अधिकांश दो ही जाति के लोग हैं, गरीब हिन्दू और मुस्लिम। हिंदुओं में 95 फीसदी पिछड़ी जाति के लोग हैं, गुलामी के दिनों में किसी भी तरह पेट पालने वाले।
लगभग सभी जानते हैं कि जिन्ना का "डायरेक्ट एक्शन" यहाँ लागू होगा पर हिन्दुओं में शांति है। आत्मरक्षा की भी कोई तैयारी नहीं। कुछ गाँधी जी के भरोसे बैठे हैं। कुछ को मुस्लिम अपने भाई लगते हैं, उन्हें भरोसा है कि मुस्लिम उनका अहित नहीं करेंगे।

सुबह के दस बज रहे हैं,  सड़क पर नमाजियों की भीड़ अब से ही इकट्ठी हो गयी है। बारह बजते बजते यह भीड़ तीस हजार की हो गयी, सभी हाथों में तलवारें हैं।
मौलाना मुसलमानों को बार बार जिन्ना साहब का हुक्म पढ़ कर सुना रहा है- "बिरदराने इस्लाम! हिंदुओं पर दस गुनी तेजी से हमला करो..."
मात्र पचास वर्ष पूर्व ही हिन्दू से मुसलमान बने इन मुसलमानों में घोर साम्प्रदायिक जहर भर दिया गया है, इन्हें अपना पाकिस्तान किसी भी कीमत पर चाहिए।
एक बज गया। नमाज हो गयी। अब जिन्ना के डायरेक्ट एक्शन का समय है। इस्लाम के तीस हजार सिपाही एक साथ हिन्दू बस्तियों पर हमला शुरू करते हैं। एक ओर से, पूरी तैयारी के साथ, जैसे किसान एक ओर से अपनी फसल काटता है। जबतक एक जगह की फसल पूरी तरह कट नहीं जाती, तबतक आगे नहीं बढ़ता।
जिन्ना की सेना पूरे व्यवस्थित तरीके से काम कर रही है। पुरुष, बूढ़े और बच्चे काटे जा रहे हैं, स्त्रियों-लड़कियों का बलात्कार किया जा रहा है।
हाथ जोड़ कर घिसटता हुआ पीछे बढ़ता कोई बुजुर्ग, और छप से उसकी गर्दन उड़ाती तलवार...
माँ माँ कर रोते छोटे छोटे बच्चे, और उनकी गर्दन उड़ा कर मुस्कुरा उठती तलवारें...
अपने हाथों से शरीर को ढंकने का असफल प्रयास करती बिलखती हुई एक स्त्री, और राक्षसी अट्टहास करते बीस बीस मुसलमान... उन्हें याद नहीं कि वे मनुष्य भी हैं। उन्हें सिर्फ जिन्ना याद है, उन्हें बस पाकिस्तान याद है।
शाम हो आई है। एक ही दिन में लगभग 15000 हिन्दू काट दिए गए हैं और लगभग दस हजार स्त्रियों का बलात्कार हुआ है।
जिन्ना खुश है, उसके "डायरेक्ट एक्शन" की सफल शुरुआत हुई है।
अगला दिन, सत्रह अगस्त....
मटियाबुर्ज का केसोराम कॉटन मिल! जिन्ना की विजयी सेना आज यहाँ हाथ लगाती है। मिल के मजदूर और आस पास के स्थान के दरिद्र हिन्दू....
आज सुबह से ही तलवारें निकली हैं। उत्साह कल से ज्यादा है। मिल के ग्यारह सौ मजदूरों, जिनमें तीन सौ उड़िया हैं, को ग्यारह बजे के पहले ही पूरी तरह काट डाला गया है। मोहम्मद अली जिन्ना जिन्दाबाद के नारों से आसमान गूंज रहा है...
पड़ोस के इलाके में बाद में काम लगाया जाएगा, अभी मजदूरों की स्त्रियों के साथ खेलने का समय है।
कलम कांप रही है, नहीं लिख पाऊंगा। बस इतना जानिए, हजार स्त्रियाँ...
अगले एक सप्ताह में रायपुर, रामगंज, बेगमपुर, लक्ष्मीपुर.... लगभग एक लाख लाशें गिरी हैं। तीस हजार स्त्रियों का बलात्कार हुआ है। जिन्ना ने अपनी ताकत दिखा दी है....
हिन्दू महासभा "निग्रह मोर्चा" बना कर बंगाल में उतरी , और सेना भी लगा दी। कत्लेआम रुक गया ।
बंगाल विधान सभा के प्रतिनिधि हारान चौधरी घोष कह रहे हैं, " यह दंगा नहीं, मुसलमानों की एक सुनियोजित कार्यवाही है, एक कत्लेआम है।
गांधीजी का घमंड टूटा, पर भरम बाकी रहा। वे वायसराय माउंटबेटन से कहते हैं, "अंग्रेजी शासन की फूट डालो और राज करो की नीति ने ऐसा दिन ला दिया है कि अब लगता है या तो देश रक्त स्नान करे या अंग्रेजी राज चलता रहे"।
सच यही है कि गांधी अब हार गए थे और जिन्ना जीत गया था।
कत्लेआम कुछ दिन के लिए ठहरा भर था या शायद अधिक धार के लिए कुछ दिनों तक रोक दिया गया था।

6 सितम्बर 1946...

गुलाम सरवर हुसैनी, मुस्लिम लीग का अध्यक्ष बनता है और शाहपुर में कत्लेआम दुबारा शुरू...
10 अक्टूबर 1946
कोजागरी लक्ष्मीपूजा के दिन ही कत्लेआम की तैयारी है। नोआखाली के जिला मजिस्ट्रेट M J Roy रिटायरमेंट के दो दिन पूर्व ही जिला छोड़ कर भाग गए हैं। वे जानते हैं कि जिन्ना ने 10 अक्टूबर का दिन तय किया है, और वे हिन्दू हैं।
जो लोग भाग सके हैं वे पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और आसाम के हिस्सों में भाग गए हैं, जो नहीं भाग पाए उनपर कहर बरसी है। नोआखाली फिर जल उठा है।
लगभग दस हजार लोग दो दिनों में काटे गए हैं। इस बार नियम बदल गए हैं। पुरुषों के सामने उनकी स्त्रियों का बलात्कार हो रहा है, फिर पुरुषों और बच्चों को काट दिया जाता है। अब वह बलत्कृता स्त्री उसी राक्षस की हुई जिसने उसके पति और बच्चों को काटा है।
एक लाख हिन्दू बंधक बनाए गए हैं। उनके लिए मुक्ति का मार्ग निर्धारित है, "गोमांस खा कर इस्लाम स्वीकार करो और जान बचा लो"।

एक सप्ताह में लगभग पचास हजार हिंदुओं का धर्म परिवर्तन हुआ है।
जिन्ना का "डायरेक्ट एक्शन" सफल हुआ ! नेहरू और पटेल मन ही मन भारत विभाजन को स्वीकार कर चुके हैं।

आज सत्तर साल बाद ......

"जिन्ना सेकुलर थे।" ऐसा कहने वाले अय्यर हो या सर्वेश तिवारी हों या कोई अन्य हो, भारत की धरती पर खड़े हो कर जिन्ना की बड़ाई करने वाले से बड़ा गद्दार इस विश्व में दूसरा कोई नहीं हो सकता।

इतिहास पढ़ो और थोड़ा सोचो, शेअर कीजिए इस पोस्ट को ताकि सेक्युलर हिन्दुओ को पता तो चले कि कौन था जिन्ना ।।

गूगल पर नोआखाली दर्दनाक हत्याकांड लिखकर  शोध कर सकते है !

स्वतंत्रता दिवस और रक्षाबंधन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं

रक्षाबंधन विशेष

🌹 रक्षाबंधन विशेष🌹


इस बार सावन माह में 15 अगस्त के दिन चंद्र प्रधान श्रवण नक्षत्र में स्वतंत्रता दिवस और रक्षाबंधन का संयोग एक साथ बन रहा है।

इस बार बहनों को भाई की कलाई पर प्यार की डोर बांधने के लिए मुहूर्त का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। इस बार राखी बांधने के लिए काफी लंबा मुहूर्त मिलेगा।

15 अगस्त की सुबह 5 बजकर 49 मिनट से शाम 6 बजकर 01 मिनट तक बहने राखी बांध सकेंगी।

रक्षाबंधन पर लगभग 13 घंटे तक शुभ मुर्हूत रहेगा। जबकि दोपहर 1:43 से 4:20 तक राखी बांधने का विशेष फल मिलेगा।

इस बार 19 साल बाद रक्षाबंधन और स्वतंत्रता दिवस एक साथ मनाया जाएगा। चंद्र प्रधान श्रवण नक्षत्र का संयोग बहुत ख़ास रहेगा। सुबह से ही सिद्धि योग बनेगा जिसके चलते पर्व की महत्ता और अधिक बढ़ेगी।

इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा नहीं है, इसलिए पूरा दिन राखी बांधने के लिए शुभ रहेगा।

🌹 आइए जानते हैं राशि अनुसार बहनें अपने भाई को हाथ पर कौन से रंग की राखी कैसे बांधें।🌹

        मेष
राशि के भाई को मालपुए खिलाएं एवं लाल डोरी से निर्मित राखी बांधे।

       वृषभ
 राशि के भाई को दूध से निर्मित मिठाई खिलाएं एवं सफेद रेशमी डोरी वाली राखी बांधे।

       मिथुन
राशि के भाई को बेसन से निर्मित मिठाई खिलाएं एवं हरी डोरी वाली राखी बांधे।

       कर्क
राशि के भाई को रबड़ी खिलाएं एवं पीली रेशम वाली राखी बांधे।

       सिंह
राशि के भाई को रस वाली मिठाई खिलाएं एवं पंचरंगी डोरे वाली राखी बांधे।

       कन्या
राशि के भाई को मोतीचूर के लड्डू खिलाएं एवं गणेशजी के प्रतीक वाली राखी बांधे।

        तुला
राशि के भाई को हलवा या घर में निर्मित मिठाई खिलाएं एवं रेशमी हल्के पीले डोरे वाली राखी बांधे।

       वृश्चिक
राशि के भाई को गुड़ से बनी मिठाई खिलाएं एवं गुलाबी डोरे वाली राखी बांधे।

       धनु
राशि के भाई को रसगुल्ले खिलाएं एवं पीली व सफेद डोरी से बनी राखी बांधे।

       मकर
राशि के भाई को मिठाई खिलाएं एवं मिलेजुले धागे वाली राखी बांधे।

      कुंभ
राशि के भाई को हरे रंग की मिठाई खिलाएं एवं नीले रंग की राखी बांधे।

      मीन
राशि के भाई को मिल्क केक खिलाएं एवं पीले-नीले जरी की राखी बांधे।

 रक्षाबंधन का मंत्र

येन बद्धो बलिः राजा दानवेन्द्रो महाबलः

तेन त्वाम भिबध्नामि रक्षे मा चलः

रक्षाबंधन का धार्मिक महत्व भाई बहनों के अलावा पुरोहित भी अपने यजमान को राखी बांधते हैं  इस प्रकार राखी बंधकर दोनों एक दूसरे के कल्याण एवं उन्नति की कामना करते हैं।

रक्षाबंधन विशेष

 पूजा की थाली में ये 7 चीजें अनिवार्य रूप से होनी चाहिए।
इस दिन सभी बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधने से पहले एक विशेष थाली सजाती है. इस थाली में 7 खास चीजें होनी चाहिए.
 1. कुमकुम
 2. चावल
 3. नारियल
 4. रक्षा सूत्र (राखी)
 5. मिठाई
 6. दीपक
 7. गंगाजल से भरा कलश

पूजा की थाली में क्यों रखनी चाहिए यह खास 7 चीजें?

1) कुमकुम- बहन भाई को कुमकुम का तिलक लगाती है, (जो सूर्य ग्रह से connected है) और दुआएँ करती है कि आने वाले साल में भाई को हर प्रकार का यश और ख्याति प्राप्त हो।

2) चावल(अक्षत) - पूजा में चावल को सबसे शुभ माना जाता है। बहन भाई को कुमकुम के तिलक के ऊपर चावल लगाती है, (जो कि शुक्र ग्रह से connected है) और दुआएँ करती है कि "मेरे भाई के जीवन में हर तरह की शुभता आए और मेरा मेरे भाई से हमेशा प्रेम बना रहे।"

3) नारियल - इसको पूजा में श्रीफल कहा जाता है। (यह राहु ग्रह से connected है) बहन जब भाई को श्रीफल देती है तो इसका अर्थ है कि आने वाले वर्ष में भाई को सभी प्रकार के सुख सुविधा मिले।

 4) रक्षा सूत्र (राखी) - रक्षासूत्र हमेशा दाएँ हाथ (right hand) की कलाई पर बांधा जाता है। (यह मंगल ग्रह से connected है) जो कहता है कि बहन की दुआएँ हैं कि उसके भाई सभी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष मुश्किलों से उसकी रक्षा करें।

5) मिठाई- बहन भाई को मिठाई खिलाती है, (जो कि गुरु ग्रह से connected है) और दुआ करती है कि उसके भाई पर लक्ष्मी की कृपा बनी रहे। भाई के संतान और वैवाहिक जीवन भी सुखद रहे। भाई के घर में सभी कार्य निर्विघ्न पूरे हों।

6) दीपक-  बहन भाई की दीपक से आरती करती है, (जो शनि और केतु ग्रह से connected है) और दुआएँ करती है कि मेरे भाई के जीवन में आने वाले रोग और कष्ट सभी दूर हों।

7) जल से भरा कलश - फिर जल से भरे कलश से भाई की पूजा करें, (जो कि चंद्रमा से connected है) जिसमें बहन दुआएँ करती है कि मेरे भाई के जीवन में मानसिक शांति हमेशा बनी रहे।

 8) इन 7 चीजों में बहन की दुआओं के साथ आप के 8 ग्रह शुभ होते हैं। अब रहा नवाँ ग्रह - बुध।
बुध ग्रह को बहन का कारक ग्रह माना गया है। अब आप जो बहन को उपहार देंगे उससे आपका बुध ग्रह शुभ होकर फल देगा। (बुध ग्रह जो आपके व्यापार से connected है,)अगर आपकी बहन या भाई की दुआएँ मिल जाए तो आपके व्यापार में वृद्धि कर देता है। इसलिए हमेशा अपनी बहन को गिफ्ट देकर उनकी दुआएँ लेते रहें।

यह "रक्षा सूत्र" का पर्व  जिसमें बहन की शुभकामनाओं से भाई का आने वाला समय शुभ होता है। इसलिए हर्ष के साथ अपनी बहन की शुभकामनायें लीजिए।

बुधवार, 14 अगस्त 2019

कृपया ज़रा साेचें? हम ने क्या खो दिया इस बदलाव को पाते पाते

*एक पहल*
*कृपया ज़रा साेचें?*
*हम ने क्या खो दिया इस बदलाव को पाते पाते*
—————————————-

_*रक्षाबंधन*_

बहनें 200 से 1500/- की राखियाँ  ख़रीद कर  भाईयों काे बॉंधती हैं !  जबकि  राखी  एक तीन रंग की माेली धागे सें  प्रारंम्भ हुआ त्याेहार था,  जिसकाे राखियाँ बनाने वाले उत्पादक  2000/- की राखी तक ले गये हैं !
आप हम देखते हैं कि यह एक भावनाओं का त्याेहार हैं !
बहनें लंम्बी दूरी सें  भाई काे राखी बांधने  व सम्मान पाने  व भाई के परिवार को खुशियां देने आती हैं !
राखी बांधनें का मतलब है  भाई, तुम दीर्घायु हों और  मेरी बुरे समय में रक्षा करना !
परन्तु  आज के दौर में  बहनें भी इस होड में लगी हैं  कि  मेरी राखी सब से महंगी हो  ताकि  उसकी भाभीयां  ये ताना ना मारें कि ननद बाईसा तो इसी राखी लावे सफा ही की पूछो मत,  पर क्या वह महंगी राखी दिखावा बनकर नहीं रह गई ?
क्या हमने बहन को नीचा दिखाने के लिए घर बुलाया है  या उसे यह अहसास दिलवाने  कि  अभी तेरा भाई है,  तु फिक्र ना कर बहना !

रक्षाबंन्धन पर  भाई भी अपनी बहनाें काे  उपहार रूप में  काेई चीज व नगद देते हैं !
लेकिन  आजकल 50%  ऐसा हाेता हमने देखा हैं कि बहन की राखी लागत ही उपहार में नहीं निकलती हैं !  इसलिए हम कुछ ज़्यादा बहन काे देने की सोचते हैं,  हमने इस चकाचौंध की जीवनशैली के कारण  भाई-बहन के प्यार को  पैसे के तराजू मे ही रख दिया !
सभी भाइयों काे  प्रण करना चाहिये  कि  हम सिर्फ बहन सें माेली धागा ही बंधवायेगें  और मिठाई में  सिर्फ गुड !  और जाे देना हैं  बहन काे वह देते रहेंगे !

आप हम देखते हैं,  कि राखियाँ हम सब  2-4 घंटे  या सायं  तक ही बाँधे रख पा रहे हैं  और बहन का सैकडों  रूपया  उस राखी पर लगा धन था !  जाे  कुछ ही घंटे  में स्क्रेप हाे गया !

कृपया सुधार करके  अपनें पुरानें माेली धागा या रेशम की सुन्दर गुँथी राखी बाँधे  ताे आपका बीरा (भाई )  साल भर भी बांधे रखेगा !
और  यह बहन के लिए गर्व की बात होगी  कि  मेरा बिरा  मेरे रक्षा के सूत्र को  सदा बांधे रखता है ।
वहीं भाई को भी सदा बहन का स्मरण रहेगा  कि  मेरी बहन है  मुझे सदा प्यार व दुलार बरसाने वाली...
*_सभी  भाई बहनों से  🙏🏻🙏🏻 निवेदन है कि  इसको सच में सकारात्मक  लें  और  युद्ध स्तर पर  इसको समाज में प्रचलन में लाकर  इसका परिवर सहित पालन करें,  वहीं भाई बहन के प्यार को  पैसे के तराजू में ना तोलें._*
😊🙏🏻👍🏼

हैकर्स आपका डाटा चुराकर आपका पैसा चुरा लेता है - साइबर क्राइम

जनहित में जारी by www.sanwariya.org

जय श्री कृष्णा साथियों
 लेख थोड़ा बड़ा है लेकिन फुर्सत में जरूर पढ़ना

आजकल जैसे जैसे हम अपना विकास कर रहे है और रोजमर्रा की ज़िन्दगी में डिजिटल और स्मार्ट टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर रहे है जिसमे ईमेल बैंक अकाउंट, स्मार्ट फ़ोन, फिंगरप्रिंट पासवर्ड, मोबाइल बैंकिंग, इंटरनेट बैंकिंग, wifi कनेक्टिविटी, सोशल मीडिया शेयरिंग, जैसे काम हम डेली कर रहे है और कुछ अपडेट रहने के लिए भी करना पड़ रहा है, कुछ लोग इसका इस्तेमाल ज़िन्दगी को सरल बनाने में करते है कुछ स्मार्ट बनाने में और कुछ लोग टाइम पास के लिए भी सोशल मीडिया का उपयोग करते है
विज्ञानं ने ज़िन्दगी को जितना एडवांस, सरल और समय की बचत के लिए उन्नत बनाया है उतना ही असामाजिक तत्वों ने इसके दुरुपयोग से मानव जीवन में बाधा उत्पन्न करने के तरीके खोज लिए है सामान्य आदमी की जरा सी चूक उसकी ज़िन्दगी भर की कमाई को डिजिटल फ्रॉड या धोखाधड़ी करके हड़प लेता है जिसे आज की भाषा में साइबर क्राइम कहते है |
साइबर क्राइम पर अंकुश लगाना नामुमकिन है यदि आप सतर्क न रहे तो
इस पर हम रोजाना टीवी में अखबारों में पढ़ते है
- एटीएम पिन पूछ कर अकाउंट से पैसे निकले
- कोई डाउनलोड करते है अकाउंट से पैसे निकले
- लिंक पर क्लीक करते ही बैंक अकाउंट खली
और भी कई खबरे आती है रोजाना
फिर भी हम आज तक गलतियों पर गलती करते आये है
जिसका फायदा हैकर्स आसानी से उठा लेता है और इसकी क्षतिपूर्ति कोई नहीं कर सकता

इस तरह के हैकर्स के बारे में एक फिल्म आयी थी https://www.youtube.com/watch?v=REdVA3_ORk0
जिसके बारे में मेने पूर्व की पोस्ट में बताया था अभी फिर से लिंक दे रहा हूँ
 ऊपर एक यूट्यूब पर मूवी का लिंक दिया हुआ है जो आज के युग में होने वाले मोबाइल इंटरनेट सोशल मीडिया एवं डिजिटल युग में किए जा रहे फ्रॉड - लोन देने वाली स्कीम क्रेडिट कार्ड के लिए करने वाले फ्रॉड कॉल्स करने वाले हैकर्स के बारे में है
सभी कोई मूवी देखनी चाहिए एवं समझना चाहिए कि हम दैनिक जीवन में कितनी गलतियां करते हैं जिससे हैकर्स आपका डाटा चुराकर आपका पैसा चुरा लेता है इस मूवी से कुछ सीख कर अपने पर्सनल डाटा दूसरों को ना बताएं क्रेडिट कार्ड लॉटरी या बैंक से संबंधित कॉल पर
बिना सोचे समझे एक्शन लेने की जरूरत नहीं है इसके अलावा आधार कार्ड की जानकारी पैन कार्ड मोबाइल नंबर एवं स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते समय पूर्ण सावधानी बरतें
स्मार्ट फोन में कोई भी ऐप डाउनलोड करने से पहले परमिशन पर allow, allow allow करने से पहले सोच समझ कर क्लिक करें यह सारे परमिशन आपके फोन को हैकर्स के लिए आसान बनाती है SMS. में आए फ्री टीशर्ट फ्री मोबाइल या किसी फ्री की स्कीम के लिंक पर क्लिक करके अपनी जानकारी हैकर्स को ना भेजें
ईमानदारी एवं परिश्रम की कमाई ही घर में सुख शांति ला सकती है सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता
https://www.youtube.com/watch?v=REdVA3_ORk0 कैसे आपकी भावनाओं से खेलकर की जाती है ऑनलाइन ठगी?
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बुजुर्ग भी इन दिनों इंटरनेट का खूब इस्तेमाल करते हैं. इसी तरह की एक बुजुर्ग महिला से मेरा परिचय है. इंटरनेट उन्हें बहुत रोमांचित करता है. लेकिन, अनगिनत जंक ईमेल, रोबोकॉल और ऑनलाइन रिक्वेस्ट से वह परेशान हो जाती हैं. उन्हें यह समझाना आसान है कि कैसे वह हर भेजे जाने वाले लिंक और र्इमेलों को क्लिक न करें. न ही किसी अज्ञात नंबर से कॉल रिसीव करें. वह टेक्नोलॉजी सीख सकती हैं. लेकिन, जालसाज उन्हें भावुक कर अपना शिकार बना सकते हैं.

शोध से पता चलता है कि ऑनलाइन घोटालों का बड़ा उद्योग है. इसे पकड़ना भी मुश्किल है. धोखाधड़ी के शिकार इतना शर्मसार हो जाते हैं कि ज्यादातर मामलों में अपराध दर्ज ही नहीं कराया जाता है. सच तो यह है कि ज्यादातर बार रिपोर्ट दर्ज कराने का भी फायदा नहीं होता है. कारण है कि ठग नकली पहचान का उपयोग करते हैं.टेक्नोलॉजी ने ग्रुप ईमेलिंग तकनीक के जरिए लोगों तक पहुंचना आसान बना दिया है. जालसाज इस तकनीक के बूते न केवल पहचान छुपाकर नकली ईमेल और वेबसाइट बना लेते हैं, बल्कि पूरी दुनिया में बहुत कम खर्च में बड़ी संख्या में लोगों तक पहुंच जाते हैं.

इन ठगों की सफलता के पीछे अकेले टेक्नोलॉजी जिम्मेदार नहीं है. इसमें हमारा भी दोष है. हममें से कर्इ भावनाओं में बहकर फैसले लेते हैं. खुद पर अंकुश नहीं लगाते हैं. धोखेबाज इन्हीं भावनाओं से खेलते हैं.

अक्सर ठगों का शिकार स्मार्ट और टेक्नोलॉजी के जानकार बनते हैं. उन्हें लगता है कि वे हर चाल को समझने के लिए तैयार हैं. थोड़ा जोखिम लेने में क्या बुरार्इ है. एक बार जैसे ही हम ठगों से जुड़ना शुरू कर देते हैं, तो शिकंजा कसता जाता है. हम यह मानने से इनकार करते हैं कि हम धोखाधड़ी का शिकार हो सकते हैं.

घोटाले को महसूस करने के बाद भी हम नुकसान की आशंका को नजरअंदाज करते हैं. हम अपनी गलती को मान नहीं पाते हैं. इसलिए घोटालेबाज से इस उम्मीद में बात करते रहते हैं कि शायद कुछ हाथ लग जाए.

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ठगों को बखूबी पता होता है कि वे क्या कर रहे हैं. वे खूब जानते हैं कि हम बगैर सोचे-समझे कैसे फैसले कर लेते हैं. इसी का फायदा वे उठाते हैं. उदाहरण के लिए जालसाजों को पता होता है कि डर पैदा करने के लिए 'अथॉरिटी' से मेल भेजना चाहिए. इसके लिए वे पुलिस, सरकार, टैक्स अधिकारी का मुखौटा लगा लेते हैं.

दहशत पैदा करने के लिए चेतावनी दी जाती है कि आपका बैंक खाता बंद किया जा रहा है. या फिर डेबिट कार्ड ब्लॉक किया जा रहा है. इससे तुरंत आपका ध्यान चला जाता है. अथॉरिटी का नाम, पद और हस्ताक्षर इस्तेमाल करके आपको र्इमेल खोलने के लिए फंसाया जाता है. यहीं से आपके फंसने की शुरुआत हो जाती है.

फर्जी कॉल करके आपको कम खर्च पर मोटा मुनाफा बनाने का लालच दिया जाता है. जब आपको फोन कॉल पर बताया जाता है कि आपने पुरस्कार जीता है या आपको इसके लिए चुना गया है तो जाने लें कि आपके लिए जाल बिछाया जा रहा है.

आप भी खुश होकर कॉलर से जुड़े रहते हैं. इससे ठगों को आपको बार-बार कॉल करने का मौका मिलता है. फिर आपको उससे न कहने में हिचक महसूस होने लगती है. आप दो-टूक नहीं कह पाते हैं कि आप आगे बात नहीं करना चाहते हैं. इस तरह से जाल मजबूत होता जाता है.

एक चाल का बहुत ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है. इसमें जालसाज अर्जेंसी पैदा करते हैं. आपको तुरंत कोर्इ काम करने के लिए राजी किया जाता है. उदाहरण के लिए आपको एक कॉल आती है. इसमें वेकेशन मनाने के लिए आकर्षक डील की पेशकश की जाती है. शर्त रखी जाती है कि यह डील कुछ समय में ही खत्म हो जाएगी. सो, तेजी से फायदा उठा लें. नहीं तो मौका गंवा देंगे. डेटिंग साइट पर ठगी के किस्से भी कम नहीं हैं.

लेकिन हमारा लालच  ही हमें ले डूबता है
हम लोग व्हाट्सप्प,  इंस्टाग्राम  और फेसबुक पर दिखाए जाने वाले विज्ञापन और प्रलोभनों के चक्कर में अपनी सारी पर्सनल डिटेल्स हैकर्स को खुद देते है और इससे हैकर्स को आपके लालची होने का अनुमान भी आसानी से हो जाता है

इसके अलावा कुछ लोग अपने को और ज्यादा स्मार्ट समझते है जो लोग नहीं समझते वो तो फ़ोन पर कोई जवाब नहीं दे पते और फ़ोन काट देते है और ऐसे फ्रॉड से बच भी जाते है लेकिन जो लोग समझदार होते है वे लोग ईमेल और दूसरे लिंक के माध्यम से ठगी का शिकार हो जाते है ऐसे कुछ इमेल्स के डिटेल्स दे रहा हूँ जिसमे एक ही व्यक्ति को अलग अलग तरह के ईमेल किये ताकि किसी न किसी ईमेल पर डर या लालच से क्लिक करे और उसका ईमेल हैक हो जाता है और ईमेल हैक होने के बाद उसकी सारी जानकारी हैकर्स के पास चली जाती है और वो अपनी जमा पूंजी गवा देतेहै

निचे कुछ ईमेल के सब्जेक्ट लाइन्स और ईमेल के तरीके बता रहा हूँ कृपया सतर्क रहे न डरे न लालच करे
Mr. name :  ALERT! You will lose money in bank account इस पर भी क्लिक नहीं किया तो दूसरा ईमेल आया १० दिन बाद
Mr/Ms name :  Notice on your Access Details!  इस पर भी क्लिक नहीं किया तो दूसरा ईमेल आया
Dear name : Check your PF Transfer Details..! इस पर भी क्लिक नहीं किया तो दूसरा ईमेल आया
ITR-V/Ack.receipt :Mr. name :  ITR e-filing 120 days to  verify your return
अब इनकम टैक्स का ईमेल होता है तो ca को कॉल करके आप पूछोगे की आईटीआर वेरिफिकेशन करना पड़ेगा क्या तो वो हाँ ही बोलेंगे न
Traffic Police: Special Notice To the Vehicle With Huge Pending Fines अब आरटीओ के नाम से आया ट्रैफिक पुलिस को मेरा ईमेल आईडी किसने दिया
TDS Notice : Dear name : ,TDS notice on your this Month Salary
LPG Dealer : Dear name : ₹ 62.50 Added to your Subsidy Account चेक योर बैलेंस
Govt-ID : Hello name :- Mismatched Names on Aadhaar and PAN Cards?
Your Bill : Dear name :view Your Cable TV Bill..
Penalty Charges : Dear name : Your bank A/c Minimum Balance Charges..!
IRCTC : name : IRCTC Official Notification 2019 Check Interview dates.
Aadhaar Kendra : name :You have been Charged For Your Aadhaar Services
Electricity Dept. : name :Your meter is set to change.(Details inside).
Your ATM : name :Unblock Your ATM Card
Passport Seva : You may soon have e-passports with chip!

सवाल है कि हम क्या कर सकते हैं? सबसे पहली बात है कि हम अपने व्यवहार को बदलें. जिस तरह से हम प्रतिक्रिया करते हैं, उसमें बदलाव करें. अनुभवों के आधार पर हम कर्इ चीजें सीखते हैं. मसलन, हम सड़क पर चलते हुए होर्डिंग्स को देखने से परहेज करते हैं. अजनबी के लिए दरवाजा नहीं खोलते हैं. सह-यात्रियों से अपने रहने के स्थान को साझा नहीं करते हैं. ये बातें जेहन में इतना घुस चुकी हैं कि अपने-आप हमसे यह हो जाता है. ठगी से बचने के लिए भी हमें इसी तरह की ट्रेनिंग की जरूरत है.

जानें कि आपका बैंक, कार्ड प्रोवाइडर या टैक्स अथॉरिटी आपको फोन पर ब्योरा देने या मेल पर लिंक क्लिक करने के लिए कभी नहीं कहेंगे. इस तरह के ईमेल न खोलने की आदत बनाएं, फिर भले ये कितने भी प्रामाणिक दिखते हों. कोइ भी कदम उठाने से पहले इसके बारे में राय-मश्विरा जरूर करें.

कोइ डील कितनी भी सही क्यों न दिख रही हो, पेमेंट करने से पहले वेबसाइट की विश्वसनीयता जांच लें. फिजूल इमेल को ट्रैश में डालते रहें. अजनबियों के फोन डिस्कनेक्ट कर दें. जालसाज इस तरह के व्यवहार के लिए तैयार नहीं रहते हैं.

अंत में आप से  यही निवेदन है की लालच में अपनी निजी जानकारी किसी फालतू गिफ्ट के फॉर्म में न भरे और नहीं की किसी लिंक पर क्लिक करे आपका बैंक आपको ईमेल से कोई जानकारी नहीं मांगता इसके लिए पहले अपने बैंक की स्थानीय शाखा में संपर्क करे और छुट्टी के दिन अपने डेबिट या क्रेडिट कार्ड के पीछे लिखे नम्बरो पर क्लिक करे
और हाँ एक और जानकारी
जब आप गूगल पर सर्च करके किसी बैंक या पेमेंट की वेबसाइट पर जाते है तो यह भी पता करे की वो बैंक की वेबसाइट है भी या नहीं आजकल बैंक और इंश्योरेंस प्रीमियम की ऑनलाइन पेमेंट की बिलकुल वैसी ही डुप्लीकेट साइट बानी हुई होती है हैकर की जो आपकी बैंक डिटेल्स चोरी कर लेते है
और एक बात
ये सरकारी योजनाओ के नाम पर डुप्लीकेट साइट बनाकर जो लोगो को बेवकूफ बनाते है
इसमें सरकार की किसी भी योजना की जानकारी या फॉर्म उनकी ओरिजनल साइट पर ही होती है वेबसाइट का डोमेन जिसमे _ लगा हुआ है या अन्य कोई साइट है तो फर्जी है सरकारी ऑफिसियल साइट का डोमेन - .gov.in  और योजनाओ की वेबसाइट का डोमेन नाम - nic.in से समाप्त होता है for example - www.
इसके अलावा सभी साइट फर्जी होती है

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Jai shree krishna

Thanks,

Regards,
कैलाश चन्द्र लढा(भीलवाड़ा)www.sanwariya.org
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मंगलवार, 6 अगस्त 2019

डिजिटल उपवास -एक दिन परिवार के संग

*डिजिटल उपवास*
सवेरे से मित्र को चार पांच बार फोन किया ।
लेकिन उसका फोन उठ ही नहीं रहा था।
व्हाट्सएप और फेसबुक पर भी मैसेज किया,
लेकिन कोई जवाब नहीं।
मुझे चिंता हो गई।
आखिर दोपहर बाद रहा नहीं गया।
मैं नजदीक ही रहने वाले मित्र के घर पहुंच गया।
देखा तो श्रीमान गार्डन में एक पुस्तक लेकर बैठे हुए थे।
मैं जाते ही बरस पड़ा।
सुबह से तुम्हें  फोन कर रहा हूं।  मैसेज भी कर रहा हूं। लेकिन तुम्हारा कोई जवाब ही नहीं मिल रहा। क्या बात है? तबीयत तो ठीक है ? 
मित्र ठठाकर हंस पड़ा और बोला -
भाई, मेरा आज उपवास है। इसलिए फोन पर तुमसे बात नहीं कर सका ।
मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ।
यार उपवास में खाना नहीं खाते हैं, व्रत रखते हैं, लेकिन फोन पर तो बात कर सकते हैं।
उसने हंसते हुए कहा कि आज मेरा *डिजिटल उपवास* है। हफ्ते में एक दिन के लिए मैंने निश्चय किया है कि ना तो किसी से फोन पर बात करूंगा, ना फेसबुक अपडेट करूंगा, न व्हाट्सएप चैट करूंगा, न ही गूगल लिंक या कोई और सोशल साइट ही देखूंगा। इसे मैंने *डिजिटल उपवास* का नाम दिया है।
सही कह रहा हूं। आज का दिन मेरा बहुत ही बढ़िया गुजरा। न फोन की घंटी और ना समय की कमी। देख कितने दिन हुए महासमर का पहला खण्ड् पढने की इच्छा थी, आज इसे शुुरू कर सका हूं।
इतने में भाभी चाय बना कर ले आइ बोली भाई साहब, आज तो कमाल हो गया। शाम को हमारा पिक्चर देख कर कुछ खरीददारी करने का विचार है और इनके इस *डिजिटल उपवास* ने मुझे  कितनी खुशी दी है मैं आपको बता नहीं सकती ।
तब मैंने भी निश्चय किया कि सप्ताह में कम से कम 1 दिन *डिजिटल उपवास* तो मुझे भी करना ही चाहिए। बल्कि मेरी सलाह है हम सबको करना चाहिए ताकि एक दिन तो अपने परिवार को पूरा समय दें।
*एक दिन परिवार के संग*
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अनुच्छेद 35A और अनुच्छेद 370 क्या है

अनुच्छेद 35A और अनुच्छेद 370 क्या है और यह जम्मू कश्मीर को क्या अधिकार देता है?
अनुच्छेद 35A, 14 मई 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने एक आदेश पारित किया था. इस आदेश के जरिए भारत के संविधान में एक नया अनुच्छेद 35A जोड़ दिया गया था.  भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 में जम्मू कश्मीर को एक विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त है. वर्तमान भारत सरकार इन दोनों अनुच्छेदों को हटाकर जम्मू-कश्मीर को मिलने वाले सभी विशेष अधिकार समाप्त करना चाहती है.
What is article 35A
अनुच्छेद 35A और अनुच्छेद 370 भारत के संविधान में दो ऐसे अनुच्छेद है जो कि जम्मू और कश्मीर राज्य को विशेष अधिकार प्रदान करते हैं. अनुच्छेद 370 को भारतीय संविधान में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु और जम्मू कश्मीर के महाराजा हरी सिंह के मध्य हुए समझौते के बाद जोड़ा गया था.
“दिल्ली एग्रीमेंट” सन 1952 में जम्मू और कश्मीर के तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख अब्दुल्ला और भारत के प्रधानमंत्री नेहरु के बीच हुआ था. इस समझौते में भारत की नागरिकता को जम्मू और कश्मीर के निवासियों के लिए भी खोल दिया गया था अर्थात जम्मू और कश्मीर के नागरिक भी भारत के नागरिक मान लिए गये थे. सन 1952 के दिल्ली अग्रीमेंट के बाद ही 1954 का विविदित कानून ‘अनुच्छेद 35A’ बनाया गया था.
(शेख अब्दुल्ला और नेहरु जी दिल्ली एग्रीमेंट” पर हस्ताक्षर करते हुए)
ज्ञातव्य है कि जम्मू-कश्मीर का संविधान 1956 में बनाया गया था. इस संविधान के मुताबिक जम्मू-कश्मीर का स्थायी नागरिक वह व्यक्ति है जो 14 मई 1954 को राज्य का नागरिक रहा हो या फिर उससे पहले के 10 वर्षों से राज्य में रह रहा हो. साथ ही उसने वहां संपत्ति हासिल की हो.
अनुच्छेद 35A क्या है?
अनुच्छेद 35A संविधान में शामिल प्रावधान है जो जम्मू और कश्मीर विधानमंडल को यह अधिकार प्रदान करता है कि वह यह तय करे कि जम्मू और कश्मीर का स्थायी निवासी कौन है और किसे सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों में विशेष आरक्षण दिया जायेगा, किसे संपत्ति खरीदने का अधिकार होगा, किसे जम्मू और कश्मीर विधानसभा चुनाव में वोट डालने का अधिकार होगा, छात्रवृत्ति तथा अन्य सार्वजनिक सहायता और किसे सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों का लाभ मिलेगा. अनुच्छेद 35A में यह प्रावधान है कि यदि राज्य सरकार किसी कानून को अपने हिसाब से बदलती है तो उसे किसी भी कोर्ट में चुनौती नही दी जा सकती है.
अनुच्छेद 35A, जम्मू-कश्मीर को राज्य के रूप में विशेष अधिकार देता है. इसके तहत दिए गए अधिकार 'स्थाई निवासियों' से जुड़े हुए हैं.  इसका मतलब है कि j& K राज्य सरकार को ये अधिकार है कि वो आजादी के वक्त दूसरी जगहों से आए शरणार्थियों और अन्य भारतीय नागरिकों को जम्मू-कश्मीर में किस तरह की सहूलियतें दे अथवा नहीं दे.
अनुच्छेद 35A भारतीय संविधान में कब जुड़ा?
अनुच्छेद 35A,14 मई 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने एक आदेश पारित किया था. इस आदेश के जरिए भारत के संविधान में एक नया अनुच्छेद 35A जोड़ दिया गया.
अनुच्छेद 35A में मुख्य प्रावधान क्या हैं?
1. यह अनुच्छेद किसी गैर कश्मीरी व्यक्ति को कश्मीर में जमीन खरीदने से रोकता है.
2. भारत के किसी अन्य राज्य का निवासी जम्मू & कश्मीर का स्थायी निवासी नही बन सकता है और इसी कारण वहां वोट नही डाल सकता है.
3. अगर जम्मू & कश्मीर की कोई लड़की किसी बाहर के लड़के से शादी कर लेती है तो उसके सारे अधिकार खत्म हो जाते हैं. साथ ही उसके बच्चों के अधिकार भी खत्म हो जाते हैं.
4. यह अनुच्छेद भारत के नागरिकों के साथ भेदभाव करता है क्योंकि इस अनुच्छेद के लागू होने के कारण भारत के लोगों को जम्मू-कश्मीर के स्थायी निवासी प्रमाणपत्र से वंचित कर दिया जबकि पाकिस्तान से आये घुसपैठियों को नागरिकता दे दी गयी. अभी हाल ही में कश्मीर में म्यांमार से आये रोहिंग्या मुसलमानों को भी कश्मीर में बसने की इज़ाज़त दे दी गयी है.
वर्तमान में इसे हटाने की मांग क्यों हो रही है?
1. इसे हटाने के लिए पहली दलील यह है कि इसे संसद के जरिए लागू नहीं करवाया गया था.
2. देश के विभाजन के वक्त बड़ी तादाद में पाकिस्तान से शरणार्थी भारत आए. इनमें लाखों की तादाद में शरणार्थी जम्मू-कश्मीर राज्य में भी रह रहे हैं और उन्हें वहां की नागरिकता दे दी गयी है.
3. जम्मू & कश्मीर सरकार ने अनुच्छेद 35A के जरिए इन सभी भारतीय नागरिकों को जम्मू-कश्मीर के स्थायी निवासी प्रमाणपत्र से वंचित कर दिया. इन वंचितों में 80 फीसद लोग पिछड़े और दलित हिंदू समुदाय से हैं.
4. जम्मू & कश्मीर में विवाह कर बसने वाली महिलाओं और अन्य भारतीय नागरिकों के साथ भी जम्मू & कश्मीर सरकार अनुच्छेद 35A की आड़ लेकर भेदभाव करती है.
वर्तमान स्थिति क्या है?
लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में शिकायत की थी कि अनुच्छेद 35A के कारण संविधान प्रदत्त उनके मूल अधिकार जम्मू-कश्मीर राज्य में छीन लिए गए हैं, लिहाजा राष्ट्रपति के आदेश से लागू इस धारा को केंद्र सरकार फौरन रद्द करे.
ऊपर दिए गए तर्कों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि जम्मू & कश्मीर को अनुच्छेद 35A और अनुच्छेद 370 के कारण बहुत से विशेष अधिकार मिले हुए हैं जिससे ऐसा लगता है कि भारत के अन्दर एक और भारत मौजूद है जिसका अपना अलग संविधान है, नागरिकता है और अपना राष्ट्रीय झंडा है. ऐसी स्थिति भारत की एकता और अखंडता के लिए बहुत बड़ा खतरा है इसलिए भारत सरकार को इस मुद्दे को बिना किसी देरी के सुलझाना चाहिए

मशीन बन गए हैं हम सब,इंसान जाने कहाँ खो गये हैं!

*जाने क्यूं*
जाने क्यूँ,
अब शर्म से,
चेहरे गुलाब नहीं होते।
जाने क्यूँ,
अब मस्त मौला मिजाज नहीं होते।
पहले बता दिया करते थे,
दिल की बातें।
जाने क्यूँ,
अब चेहरे,
खुली किताब नहीं होते।
सुना है,
बिन कहे,
दिल की बात,
समझ लेते थे।
गले लगते ही,
दोस्त हालात,
समझ लेते थे।
तब ना फेस बुक था,
ना स्मार्ट फ़ोन,
ना ट्विटर अकाउंट,
एक चिट्टी से ही,
दिलों के जज्बात,
समझ लेते थे।
सोचता हूँ,
हम कहाँ से कहाँ आगए,
व्यावहारिकता सोचते सोचते,
भावनाओं को खा गये।
अब भाई भाई से,
समस्या का समाधान,
कहाँ पूछता है,
अब बेटा बाप से,
उलझनों का निदान,
कहाँ पूछता है,
बेटी नहीं पूछती,
माँ से गृहस्थी के सलीके,
अब कौन गुरु के,
चरणों में बैठकर,
ज्ञान की परिभाषा सीखता है।
परियों की बातें,
अब किसे भाती है,
अपनों की याद,
अब किसे रुलाती है,
अब कौन,
गरीब को सखा बताता है,
अब कहाँ,
दोस्त दोस्त को गले लगाता है
जिन्दगी में,
हम केवल व्यावहारिक हो गये हैं,
मशीन बन गए हैं हम सब,
इंसान जाने कहाँ खो गये हैं!
इंसान जाने कहां खो गये हैं....!

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