जय श्री कृष्णा, ब्लॉग में आपका स्वागत है यह ब्लॉग मैंने अपनी रूची के अनुसार बनाया है इसमें जो भी सामग्री दी जा रही है कहीं न कहीं से ली गई है। अगर किसी के कॉपी राइट का उल्लघन होता है तो मुझे क्षमा करें। मैं हर इंसान के लिए ज्ञान के प्रसार के बारे में सोच कर इस ब्लॉग को बनाए रख रहा हूँ। धन्यवाद, "साँवरिया " #organic #sanwariya #latest #india www.sanwariya.org/
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गुरुवार, 10 जून 2021
पश्चिमी राजस्थान एक और महामारी की चपेट में : पानी नहीं बल्कि अनजाने में कैंसर का प्रसाद
बुधवार, 9 जून 2021
EWS Certificate से सामान्य वर्ग को कैसे मिलता है 10 फीसदी आरक्षण
EWS Certificate “Economically Weaker Sections” क्या है,
सामान्य वर्ग को कैसे मिलता है 10 फीसदी आरक्षण
सामान्य वर्ग के लोगों के लिए मोदी सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। सामान्य वर्ग के लोगों द्वारा जो आर्थिक आधार पर आरक्षण व्यवस्था को लागू करने की मांग काफी समय से की जा रही थी। आरक्षण व्यवस्था को केंद्र सरकार की मंजूरी मिल गई है। अब सामान्य वर्ग के लोग एसटी , एससी और ओबीसी तरह ही आरक्षण का पूरा लाभ ले सकेंगे। इसके लिए सरकार ने कुछ नियम कानून बनाए हैं जिनका सामान्य वर्ग के लोगों को पालन करना होगा। अगर वह नियमों का पालन नहीं करते हैं तो वे आरक्षण का लाभ नहीं उठा पाएंगे।
सामान्य वर्ग के लोगों में आरक्षण का लाभ केवल उन लोगों को दिया जाएगा जो आर्थिक रूप से कमजोर होंगे। ऐसे लोगों को केवल 10 प्रतिशत आरक्षण का लाभ सरकार द्वारा दिया जाएगा। इसके साथ ही आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों को प्रमाण देकर साबित करना होगा कि वह वास्तव में आर्थिक रूप से कमजोर हैं। तभी उनको आरक्षण का लाभ दिया जाएगा।
आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों को लाभ देने के लिए उनके प्रमाण के लिए सरकार ने EWS Certificate जारी करने की व्यवस्था भी लागू की है। इस योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग को भी केंद्र को जॉब और राज्य की नौकरी में भी 10% आरक्षण दिया जायेगा।सामान्य वर्ग के जो लोग आर्थिक रूप से कमजोर है उनको प्रमाणित करने के लिए पहले इकोनॉमिकली वीकर सेक्शन (EWS) Certificate बनवाना होगा। तभी वह आरक्षण का लाभ ले सकते हैं।
सभी सवर्ण जिनकी वार्षिक इनकम ₹8,00,000/- से कम है वह EWS सर्टिफिकेट बनाए:-
सामान्य वर्ग के लोगों के लिए मोदी सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। सामान्य वर्ग के लोगों द्वारा जो आर्थिक आधार पर आरक्षण व्यवस्था को लागू करने की मांग काफी समय से की जा रही थी। आरक्षण व्यवस्था को केंद्र सरकार की मंजूरी मिल गई है। अब सामान्य वर्ग के लोग एसटी , एससी और ओबीसी तरह ही आरक्षण का पूरा लाभ ले सकेंगे। इसके लिए सरकार ने कुछ नियम कानून बनाए हैं जिनका सामान्य वर्ग के लोगों को पालन करना होगा। अगर वह नियमों का पालन नहीं करते हैं तो वे आरक्षण का लाभ नहीं उठा पाएंगे।
सामान्य वर्ग के लोगों में आरक्षण का लाभ केवल उन लोगों को दिया जाएगा जो आर्थिक रूप से कमजोर होंगे। ऐसे लोगों को केवल 10 प्रतिशत आरक्षण का लाभ सरकार द्वारा दिया जाएगा। इसके साथ ही आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों को प्रमाण देकर साबित करना होगा कि वह वास्तव में आर्थिक रूप से कमजोर हैं। तभी उनको आरक्षण का लाभ दिया जाएगा।
आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों को लाभ देने के लिए उनके प्रमाण के लिए सरकार ने EWS Certificate जारी करने की व्यवस्था भी लागू की है। इस योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग को भी केंद्र को जॉब और राज्य की नौकरी में भी 10% आरक्षण दिया जायेगा।सामान्य वर्ग के जो लोग आर्थिक रूप से कमजोर है उनको प्रमाणित करने के लिए पहले इकोनॉमिकली वीकर सेक्शन (EWS) Certificate बनवाना होगा। तभी वह आरक्षण का लाभ ले सकते हैं।
सभी सवर्ण जिनकी वार्षिक इनकम ₹8,00,000/- से कम है वह EWS सर्टिफिकेट बनाए:-
केंद्र और राज्य गरीब लोगो के लिये अलग से 10℅ EWS कैटेगरी में आरक्षण दिया हैं जिसे EWS (economically weaker section ) कैटेगरी कहा जाता हैं जिसके लिये सामान्य वर्ग के ज्यादातर लोग पात्र हैं और EWS के हकदार हैं। ये आरक्षण हमारे समाज के आर्थिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन को दूर करने में मददगार साबित हो सकता है। लेकीन अफसोस के EWS के 10%आरक्षण को लेकर जानकारी का बहुत ज्यादा अभाव है, इसलिये EWS को लेकर *जागरूकता और प्रचार करना जरुरी है और ये हम सब की जिम्मेदारी है !!!
EWS Certificate क्या है “Economically Weaker Sections”
इकोनॉमिकली वीकर सेक्शन (Economically Weaker Sections) सर्टिफिकेट आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों की आर्थिक स्थिति को दर्शाने वाला एक प्रमाण पत्र हैं। जिसके माध्यम से कमजोर सामान्य वर्ग के लोग आरक्षण का लाभ उठा सकेंगे। इस प्रमाण का उद्देश्य कमजोर लोगों को आरक्षण का लाभ दिलाना हैं। बता दें कि सरकारी नौकरी के लिए भर्ती निकले पर जैसे एससी, एसटी और ओबीसी आरक्षण तय रहता हैं अब वैसे ही सामान्य वर्ग के लोगों का भी 10 प्रतिशत आरक्षण तय रहेगा।
शैक्षणिक क्षेत्र में फायदा:-
सभी शिक्षण संस्थओ मे सभी कोर्सेस के लिये 10% सीट्स EWS कॅटेगरी के लिये आरक्षित है और फीस मे भी सहूलियात मिलती हैं।11th ,12th
Diploma,
Graduation,Post graduationBA, BSC, B.COM D.ed, B.EdMedical, pharmacy, nursingenginering, polytechnic,LLBITI etc...
शासकीय नौकरियों में फायदा गवर्नमेंट की हर नौकरी में 10% नौकरियां EWS कॅटेगरी के लिये आरक्षित है। क्लास 4 से लेकर क्लास 1 गजेटेड (सिपाही से लेकर कलेक्टर ) तक की सभी नौकरियों में EWS आरक्षण का लाभ मिल रहा है। 10% EWS आरक्षण का लाभ लेने के लिये आपके पास EWS सर्टिफिकेट होना जरुरी है!!
ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट कौन बनवा सकता है?
(Ews Reservation Eligibility)इस नई Ews Category के तहत आरक्षण(Reservation) का दावा करने में सक्षम उम्मीदवारों के लिए सरकार ने कुछ पात्रता शर्तें रखी हैं।आपको नीचे बताई गई सभी शर्तों को पूरा करना होगा:1 . आप एक ‘सामान्य’ केटेगरी के उम्मीदवार होना चाहिए (एससी, एसटी या ओबीसी के लिए आरक्षण के अंतर्गत नहीं)।2 . आपके परिवार की कुल वार्षिक आय 8 लाख रुपये से कम होनी चाहिए।3 . इसमें आवेदन करने से पहले आपके लिए कृषि, सेलरी, व्यवसाय जैसे सभी तरीको की कमाई शामिल है।
EWS Certificate कौन नहीं बनवा सकता है?
ऐसे बहुत सरे लोगो है जिनके मन में यह सवाल आता है की कौन लोग नहीं बनवा सकते| आपको नीचे बताई गई1 . आपके परिवार के पास 5 एकड़ या उससे अधिक कृषि भूमि नहीं होनी चाहिए।2 . आपके परिवार के पास 1000 स्क्वायर फुट(Square Feet) या उससे अधिक क्षेत्रफल का Residential Plot नहीं होना चाहिए।
EWS सर्टिफिकेट कैसे प्राप्त करेंEWS सर्टिफिकेट तहसीलदार के ऑफिस से मिलता है, आपको अपने तहसील के सेतु सुविधा केन्द्र च्वाइस सेन्टर या ई-सेवा केंद्र से आवेदन करना पड़ेगा।आप अपने स्थानीय सरकारी Authority से EWS प्रमाणपत्र प्राप्त कर सकते हैं, जिसे 10 Percent Reservation Certificate भी कहा जाता है। प्रमाणपत्र को वास्तव में ‘Income And Assets Certificate’ कहा जाता है और यह वह प्रमाण है जो Ews Reservation के लिए आवश्यक है।EWS प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए सरकार द्वारा कोई ऑनलाइन Process नहीं है। आपको अपनी स्थानीय तहसील या किसी अन्य स्थानीय सरकारी ऑफिस में जाने की आवश्यकता है।आपको आधार कार्ड, पैन कार्ड, बैंक स्टेटमेंट, पासपोर्ट साइज फोटो जैसे अन्य दस्तावेजों की आवश्यकता होगी। साथ ही साथ आपको Income And Assets Certificate भी साथ रखना जरूरी है।
EWS Certificate के लिए जरूरी दस्तावेज
- पालक/अभिभावक का वार्षिक उत्पन्न/ आय प्रमाणपत्र - लाभार्थी का आधार कार्ड- टी. सी. या निर्गम उतारा/जन्म प्रमाणपत्र- आधार कार्ड
- आय प्रमाण पत्र (Income Certificate)
- जाति प्रमाण पत्र (Cast Certificate)
- पैन कार्ड
- बी.पी.ल कार्ड
- बैंक स्टेटमेंट
EWS Certificate Form Download करेईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट बनवाने के लिए आपको EWS Certificate Form की जरुरत होती है| वैसे तो ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट का फॉर्म दुकानों से भी खरीद सकते है और साथ ही साथ ऑफिस से निशुल्क फॉर्म ले सकते है|लेकिन यहाँ पर Download Ews Form Pdf के लिए PDF की लिंक से Download कर सकते है Ews Certificate Form / 10 Percent Reservation Certificate Form Download करने के लिए यहाँ क्लीक करें।
EWS Certificate से जुड़े सवाल जवाब [ FAQ ]
Q-1. EWS सर्टिफिकेट का फूल फॉर्म क्या है?जबाब : Economically Weaker Sectionsआर्थिक रूप से कमजोर वर्ग
Q-2. क्या ओबीसी के लोग EWS के लिए आवेदन कर सकते है?जबाब :- नहीं
Q-3. EWS Certificate कि Validity कितनी है?जबाब :- 1 साल
Q-4. EWS Certificate Apply Online?जबाब :- Ews सर्टिफिकेट के अभी सिर्फ कुछ ही राज्यो में आप ऑनलाइन आवेदन कर सकते है। आप अपने राज्य में चेक कर सकते है को Ews सर्टिफिकेट ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं या नहीं।
Q-5. क्या EWS Certificate के तहत उम्मीदवारों को उम्र में और परीक्षा के प्रयासों की संख्या में कोई छूट मिल जाएगी?जबाब :- नहीं, ईडब्ल्यूएस उम्मीदवारों को सीटों में केवल 10% कोटा मिलेगा। परीक्षा की अन्य शर्तें जैसे आयु सीमा और प्रयासों की संख्या किसी भी ‘सामान्य’ उम्मीदवार के लिए समान रहेगी
नोट- EWS के 10% के लिहाज से लोगों को बतायें और EWS certificate बनाने मे लोगों की मदद करे।
Jai shree krishna
Thanks & Regards,
कैलाश चन्द्र लढा(भीलवाड़ा)
EWS Certificate क्या है “Economically Weaker Sections”
शैक्षणिक क्षेत्र में फायदा:-
Diploma,
Graduation,
(Ews Reservation Eligibility)
- आधार कार्ड
- आय प्रमाण पत्र (Income Certificate)
- जाति प्रमाण पत्र (Cast Certificate)
- पैन कार्ड
- बी.पी.ल कार्ड
- बैंक स्टेटमेंट
नोट- EWS के 10% के लिहाज से लोगों को बतायें और EWS certificate बनाने मे लोगों की मदद करे।
Jai shree krishna
Thanks & Regards,
कैलाश चन्द्र लढा(भीलवाड़ा)
मंगलवार, 8 जून 2021
प्रदेश में त्रिस्तरीय जनअनुशासन मॉडिफाइड लॉकडाउन 2.0 की गाइडलाइन जारी कर दी है।
सभी को बताएं पूरी गाइडलाइन और ज्यादा से ज्यादा शेयर करें
रविवार, 6 जून 2021
कुंज माहेश्वरी Jodhpur Rajasthan - महेश नवमी 2021
प्राकृतिक कपूर और कृत्रिम कपूर - Cinnamomum camphora
कपूर हमारे घर और मंदिर में भगवान् की आरती में प्रयोग होता है.
इसके अतिरिक्त कपूर (Camphor) आयुर्वेदिक दवाओ, तेलों, सुगंध, कीड़े-मकोडो को दूर रखने में भी प्रयोग किया जाता है.
कपूर उत्तम वातहर, दीपक और पूतिहर होता है। त्वचा और फुफ्फुस के द्वारा उत्सर्जित होने के कारण यह स्वेदजनक और कफघ्न होता है। न्यूनाधिक मात्रा में इसकी क्रिया भिन्न-भिन्न होती है। साधारण औषधीय मात्रा में इससे प्रारंभ में सर्वाधिक उत्तेजन, विशेषत: हृदय, श्वसन तथा मस्तिष्क, में होता है। पीछे उसके अवसादन, वेदनास्थापन और संकोच-विकास-प्रतिबंधक गुण देखने में आते हैं। अधिक मात्रा में यह दाहजनक और मादक विष हो जाता है।
कपूर तीन विभिन्न वर्गों की वनस्पति से प्राप्त होता है। इसीलिए यह तीन प्रकार का होता है :
(1) चीनी अथवा जापानी कपूर,
(2) भीमसेनी अथवा बरास कपूर,
(3) हिंदुस्तानी अथवा पत्रीकपूर।
जापानी कपूर
यह एक वृक्ष से प्राप्त किया जाता है जिससे सिनामोमस कैफ़ोरा (Cinnamomum camphora) कहते हैं। यह लॉरेसी (Lauraceae) कुल का सदस्य है। यह वृक्ष चीन, जापान तथा फ़ारमोसा में पाया जाता है, परंतु कपूर के उत्पादन के लिए अथवा बागों की शोभा के लिए अन्य देशों में भी उगाया जाता है। भारत में यह देहरादून, सहारनपुर, नीलगिरि तथा मैसूर आदि में पैदा किया जाता है। भारतीय कर्पूर वृक्ष छोटे, उनकी पत्तियाँ ढाई से 4 इंच लंबी, आधार से कुछ ऊपर तीन मुख्य शिराओं से युक्त, आधारपृष्ठ पर किंचित् श्वेताभ, लंबाग्र और मसलने पर कर्पूरतुल्य गंधवाली होती हैं। पुष्प श्वेताभ, सौरभयुक्त और सशाख मंजरियों में निकलते हैं।
जापानी कपूर- जापान आदि में लगभग 50 वर्ष पुराने वृक्षों के काष्ठ आसवन (distillation) से कपूर प्राप्त किया जाता है। किंतु भारत में यह पत्तियों से ही प्राप्त किया जाता है। कपूर के पौधों से बार-बार पत्तियाँ तोड़ी जाती हैं, इसलिए वे झाड़ियों के रूप में ही बने रहते हैं। इस जाति के कई भेद ऐसे भी हैं जो साधारण दृष्टि से देखने पर सर्वथा समान लगते हैं, परंतु इनमें कपूर से भिन्न केवल यूकालिप्टस आदि गंधवाले तेल होते हैं, जिनका आभास मसली हुई पत्तियों की गंध से मिल जाता है। कपूरयुक्त भेदों के सर्वांग में तेलयुक्त केशिकाएँ होती हैं जिनमें पीले रंग का तेल उत्पन्न होता है। इससे धीरे-धीरे पूथक् होकर कपूर जमा होता है।
भीमसेनी कपूर
जिस पौधे से यह प्राप्त होता है उसे ड्रायोबैलानॉप्स ऐरोमैटिका (Dryobalanops aromatica) कहते हैं। यह डिप्टरोकार्पेसिई (Deipterocarpaceae) कुल का सदस्य है जो सुमात्रा तथा बोर्निओ आदि में स्वत: उत्पन्न होता है। इस वृक्ष के काष्ठ में जहाँ पाले होते हैं अथवा चीरे पड़े रहते हैं वहीं कपूर पाया जाता है। यह श्वेत एवं अर्धपारदर्शक टुकड़ों में विद्यमान रहता है और खुरचकर काष्ठ से निकाला जाता है। इसलिए इसे अपक्व और जापानी कपूर को पक्व कर्पूर कहा गया हे। यह अनेक बातों में जापानी कपूर से सादृश्य रखता है और उसी के समान चिकित्सा तथा गंधी व्यवसाय में इसका उपयोग होता है। इसकी मुख्य विशेषता यह है कि यह पानी में डालने पर नीचे बैठ जाता है। आयुर्वेदीय चिकित्सा में यह अधिक गुणवान भी माना गया है। आजकल भीमसेनी कपूर के नाम पर बाजार में प्राय: कृत्रिम कपूर ही मिलता है, अत: जापानी कपूर का उपयोग ही श्रेयस्कर है।
पत्री कपूर
भारत में कंपोज़िटी (Compositae) कुल की कुकरौंधा प्रजातियों (Blumea species) से प्राप्त किया जाता है, जो पर्णप्रधान शाक जाति की वनस्पतियाँ होती हैं।
आजकल बाजार मे जो कपूर उपलब्ध है, भले वह टिकिया वाला हो या डल्ले वाला उसमे करीब 99% कपूर पैट्रोलियम से संस्लेषण द्वारा प्राप्त कपूर, अर्थात नकली कपूर ही होता है।
देशी कपूर, जिसे भीमसेनी कपूर भी कहते हैं, अब बडी कठिनाई से मिलता है।
वह एक पेड से निकाला जाता है, व बहुत महंगा होता है।
दांत में हुए गड्ढे यानी कैविटी में कपूर रखने से दांत का दर्द कम हो जाता है.
दिल की कमज़ोरी की वजह से घबराहट होने पर थोड़ा-सा कपूर खाएं, इससे नाड़ी की गति बढ़ जाती है और घबराहट मिट जाती है.
हैजा होने पर कपूर का अर्क लेने से लाभ होता है.
बिच्छू काटने पर कपूर को सिरके में पीसकर दंश पर लगाने से बिच्छू का विष उतर जाता है.
बाल टूट व गिर रहे हों या फिर बालों में रूसी हो, तो नारियल के तेल में कपूर का तेल मिलाकर लगाने से लाभ होता है.
नकसीर फूटने या नाक से ख़ून निकलने पर गुलाबजल में कपूर पीसकर नाक में टपकाने से नाक से ख़ून गिरना बंद हो जाता है.
10 ग्राम कपूर, 10 ग्राम स़फेद कत्था, 5 ग्राम मटिया सिंदूर- तीनों को एक साथ मिलाकर 100 ग्राम घी के साथ कांसे की थाली में हाथ की हथेली से ख़ूब मलकर ठंडे पानी से धोकर रख लें. इसे घाव, गर्मी के छाले, खुजली और सड़े हुए घाव पर लगाने से शीघ्र लाभ होता है.
खुजली होने पर कपूर को चमेली के तेल में मिलाकर उसमें नींबू के रस की कुछ बूंदें मिलाकर शरीर पर मलने से खुजली तुरंत मिट जाती है.
कपूर जलाने से मक्खियां-मच्छर भाग जाते हैं. कपड़ों में रखने से कपड़ों में से कीटाणु नष्ट हो जाते हैं और कपड़ों में से अच्छी सुगंध आती है।
ज्यादा तंबाकू खाने या ग़लती से तंबाकूवाला पान खा लेने पर चक्कर आता है, ऐसी स्थिति में जी मिचलाता हो, तो कपूर की एक छोटी डली खाने से तुरंत आराम मिलता है.
गद्दों व तकियों में कपूर रख देने से खटमल भाग जाते हैं.
चेचक व खसरे के दाने सूख जाने पर नारियल के तेल में कपूर मिलाकर लगाने से ठंडक मिलती है और खुजलाहट भी दूर होती है.
1-1 टीस्पून कपूर और हींग पीसकर गोली बनाकर दमे (अस्थमा) के मरीज़ को दौरे के समय 2-2 घंटे पर देने से दमा का दौरा रुक जाता है.े से लाभ होता है.
कपूर और अफीम को राई के तेल में मिलाकर मालिश करने से गठिया रोग दूर हो जाता है.
न्यूमोनिया हो जाने पर तारपीन के तेल में कपूर मिलाकर मरीज़ की छाती पर मलने से शीघ्र आराम मिलता है.
तनाव, सिरदर्द, डिप्रेशन आदि में सिर पर कपूर के तेल की मालिश करने से आराम मिलता है, क्योंकि कपूर की ख़ुशबू मस्तिष्क की नसों को आराम पहुंचाती है.
बवासीर की समस्या में केले में चने बराबर प्राकृतिक कपूर रखकर खाने से लाभ होता है.
पैर की फटी एड़ियों की समस्या होने पर गरम पानी में कपूर मिलाकर उसमें कुछ देर पैर डुबोकर रखें.
घाव-चोट लगने, खरोंच होने या फिर जलने पर कपूर लगाने से जलन की तकलीफ़ कम होती है. साथ ही पानी में कपूर घोलकर घाव पर लगाने से जलन कम होती है और ठंडक भी मिलती है.
– चने के बराबर कपूर केला के बीच में रखकर खाने से बवासीर रोग में लाभ होता है.
– कपूर तेल में मिलाकर सीने पर मालिश करने बंद नाक और कफ और जकड़न से रहत दिलाता है.– कपूर मिला तेल आर्थराइटिस और मांसपेशियों के दर्द में मालिश करने से राहत देता है.
– कपूर मुख की दुर्गन्ध दूर करने, दांत-दर्द में, पेट के कृमि का नाश करने में लाभदायक है.
देसी कपूर वृक्ष के पत्ती, छाल और लकड़ी से आसवन विधि द्वारा सफ़ेद रंग के क्रिस्टल के रूप में प्राप्त किया जाता है.कृत्रिम कपूर तारपीन के तेल को बहुत सी केमिकल प्रक्रियाएं करने के बाद प्राप्त होता है. इसका रासायनिक फार्मूला C10H16O है .
छोटे बच्चों को कपूर से दूर रखें, ये उनके लिए जानलेवा हो सकता है. कपूर के ज्यादा इस्तेमाल से त्वचा की समस्याएँ जैसे Eczema (एक्जिमा), रैशेज, होंठों का सूखापन हो सकता है. इसके अतिरिक्त नर्वस सिस्टम, पाचन तंत्र, किडनी, सांस लेने सम्बन्धी समस्याएँ हो सकती हैं.
– गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को भी कपूर के इस्तेमाल से दूर ही रहना चाहिए. कपूर का अधिक मात्रा में सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है अतः इसका प्रयोग किसी अनुभवी डॉक्टर, आयुर्वेदाचार्य के निर्देश में ही करें.
शनिवार, 5 जून 2021
चालीस साल से कोलेस्ट्रोल के नाम पर दुनिया को धोखा दिया जा रहा था
गुरुवार, 3 जून 2021
महिलाओं व बेटियों के लिए कुछ ख़ास टिप :
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