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शनिवार, 18 मई 2024

भविष्य में न बीजेपी होगी, न टीएमसी, न कांग्रेस, न वाम मोर्चा


भविष्य में न बीजेपी होगी, न टीएमसी, न कांग्रेस, न वाम मोर्चा।

   सऊदी अरब के प्रोफेसर नासिर बिन सुलेमान उल उमर का कहना है कि भारत गहरी नींद में है। इस्लाम तेजी से बढ़ रहा है और हजारों मुसलमान पुलिस, सेना, नौकरशाही में घुसपैठ करके महत्वपूर्ण संगठनों में घुस गये हैं। इस्लाम भारत में दूसरा सबसे बड़ा धर्म है।

   आज भारत भी विलुप्ति के कगार पर है। जिस प्रकार किसी राष्ट्र के उत्थान में दशकों लग जाते हैं, उसी प्रकार इसके विनाश में भी समय लगता है।

   भारत रातोरात ख़त्म नहीं होगा. इसे धीरे-धीरे दूर किया जाएगा. हम मुसलमान होने के नाते इसे बहुत गंभीरता से अपनाते हैं। भारत तो नष्ट हो ही जायेगा.

   भारत में प्रतिदिन लगभग 65,000 बच्चे पैदा होते हैं। इनमें से लगभग 40,000 मुस्लिम बच्चे हैं और लगभग 25,000 हिंदू और अन्य धर्मों के बच्चे हैं। यानी जन्म दर मुसलमानों की कुल आबादी का लगभग 20% है!!! अब पैदा होने वाले बच्चों में मुस्लिम बहुसंख्यक और हिंदू अल्पसंख्यक हैं। इस दर से 2050 तक भारत में मुसलमान बहुसंख्यक हो जायेंगे।

   भारत को मुस्लिम देश बनने से कोई नहीं रोक पाएगा और भारत तुरंत दंगों की आग में जल जाएगा। हम मुसलमान हिंदुओं को मारकर ख़त्म कर देंगे. आज, सरकारी आंकड़ों के अनुसार, मुसलमान आबादी का लगभग 20% हैं, लेकिन वास्तव में वे 25% से अधिक हैं।

   सरकारी आंकड़े गलत हैं क्योंकि वहाबी मुसलमान जानबूझकर वास्तविक संख्या छिपाते हैं और काफिर हिंदुओं को अनजान रखने के लिए इस बढ़ती आबादी को अपने हथियार के रूप में दर्ज नहीं करते हैं।

   भारत में धर्मनिरपेक्षता के नाम पर महाधोखाधड़ी चल रही है, लेकिन अभागे हिंदू अभी भी गहरी नींद में हैं।

   हिंदुओं ने कश्मीर को देखकर सबक क्यों नहीं सीखा, जहां हिंदुओं को अपनी सारी संपत्ति और महिलाएं और लड़कियां छोड़नी पड़ीं।

   भारत तब तक धर्मनिरपेक्ष है जब तक हिंदू बहुसंख्यक हैं। वे नहीं जानते कि अल्पसंख्यक होने पर उनका क्या होगा????

   ये बात इन मूर्ख हिंदुओं को पाकिस्तान और बांग्लादेश के काफिरों के आंकड़ों से भी समझ नहीं आती.

   हिन्दू कभी नहीं बोलेगा, चुप रहेगा, उच्च नैतिक पद ग्रहण करेगा, ......तो उसका भाग्य अवश्य डूब जायेगा...

   पाकिस्तान और बांग्लादेश या कश्मीर .. उदाहरण के लिए, हिंदुओं का अंत निश्चित है।

   केरल, बंगाल, उत्तर प्रदेश, हैदराबाद और अन्य राज्यों के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों पर विचार करें।

   कभी भी ऐसे इलाके में न जाएं जहां आपके शहर में मुस्लिम लोग हों, हो सकता है कि उनकी घूरती निगाहों के बीच आपकी सांसें अटक रही हों!

   इसके अलावा जांबिया और मलेशिया जैसे देश इसके उदाहरण हैं.

   मुस्लिम बहुमत के आगमन के साथ ही इन धर्मनिरपेक्ष देशों को इस्लामिक देश घोषित कर दिया गया।

   लंदन, स्वीडन, फ्रांस और नॉर्वे जैसे देशों में रोजाना हिंसा होती है।

   क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों हो रहा है? कौन करता है? प्रयोजन क्या है???

   लोगों के बीच इस तरह की दहशत पैदा करना और उनके दिलों में बोलने का साहस किए बिना भय पैदा करना शांतिरक्षा रणनीति का हिस्सा है! क्या आप नहीं समझते, वे नमाज के नाम पर दिन में 5 बार मस्जिद में इकट्ठा होते हैं और आपके खिलाफ साजिश रचते हैं!!! वे प्रतिज्ञा लेते हैं और दिन में 5 बार तुम्हें ख़त्म करने का निर्णय लेते हैं....!!!

   इसलिए, आंखें और मुंह बंद करना प्रभावी नहीं है। अब समय आ गया है कि हम अपनी आँखें खोलें, अपना मुँह खोलें और लोगों के बीच जागरूकता फैलाएँ

   कम समय!!! सोचो और समझो?

   अग्रवाल साहब ने अपने नौकर अब्दुल से पूछा, मेरे 2 बच्चे हैं और मैं उनके भविष्य को लेकर चिंतित हूं, लेकिन तुम्हारे तो 12 बच्चे हैं और तुम्हें अभी तक कोई चिंता नहीं है।

   अब्दुल्ला- 25 साल बाद मेरे 12 बेटे तुम्हारी दुकान संभालेंगे. आप तो हमारे लिए ही कमाते हैं, फिर मुझे क्यों परवाह होगी. ये उनकी मनःस्थिति है.

   सियालकोट, लाहौर, गुजरांवाला और करणजी में हिंदुओं द्वारा बनाई गई विशाल हवेलियाँ हमारे लिए बनाई गई थीं। स्वतंत्र भारत में भी, कश्मीर में कश्मीरी हिंदुओं ने हमारे लिए बड़ी-बड़ी हवेलियाँ बनाईं और अंत में हमने उन पर कब्ज़ा कर लिया और हमें आपकी चिंता करने की ज़रूरत नहीं है।

 ▶️ *यह तथ्य हर हिंदू भाई को भेजें। आंखें खोलें और कान साफ करें और प्रत्येक का निरीक्षण करें।*


 स्रोत:
Un https://twitter.com/ndskaushal/status/1729322885230272741?t=TSIgXD8yAyK3zJK8Gc75iw&s=

मोदी का विरोध करके, आप समर्थन किसका कर रहे हैं!!* *ये बडा गंभीर सवाल है,* *इसलिए निर्णय भी गंभीरता पूर्वक ही होना चाहिये !!*

.   *जब आप फुर्सत में हों, तब पढ़ लीजियेगा समय ना हो बिल्कुल भी अधूरा ना पढ़ें,*
    *जब फुर्सत में समय मिले तभी पढ़ें, किंतु पढ़ना धैर्य और शांति से, फिर निष्कर्ष निकालना❗️*
             *2024  BJP*
                    *VS*
*Congress + Left + BSP + SP + NC + PDP + RJD + Shiv Sena + TMC + DMK + AAP + AIMIM + ABP NEWS + Scroll + The Wire + Award Wapsi Gang + Seculer Gang + JNU/AMU + SFJ + Khalistani + Pakistan + CHINA.*

   *मोदी जी को हिंदू और मुसलमान दोनों हटाना चाहते हैं, किंतु दोनों के बीच अंतर देखिये :*
    *हिन्दू पेट्रोल का दाम देख रहा है* 
                   *और*
*मुसलमान,व रोहिंग्या मुसलमान  भारत को इस्लामिक देश बनाने को देख रहा है*❗️ 

   *हिन्दू मोदी से कुछ मुद्दों पर रूठे हैं, और कांग्रेस को लाना चाहते हैं और मुसलमान भारत को इस्लामी राष्ट्र बनाना चाहते हैं, इसलिए कांग्रेस को लाना चाहते हैं !* 
     *कारण जो भी हो उद्देश्य सबका एक ही है ऐन-केन प्रकारेण मोदी को हटाकर अपने ऐजेंडे को सफलतापूर्वक अंजाम देना !l*
     *भारत में बहुत से लोग हैं, जो भ्रष्ट नेताओं की बातों में आकर, नरेन्द्र मोदी का विरोध करते हैं !*
  *अच्छा है, लोकतंत्र है विरोध करें या समर्थन, ये तो आपका अपना अधिकार है, पर मोदी का विरोध करके, आप समर्थन किसका कर रहे हैं!!*
         *ये बडा गंभीर सवाल है,*
    *इसलिए निर्णय भी गंभीरता पूर्वक ही होना चाहिये !!*
     *क्या.. अखिलेश, लालू, मायावती, सोनिया, राहुल, केजरीवाल, ममता बनर्जी, वामपंथी या विपक्षी परिवारवादी ये सब नरेन्द्र मोदी से बेहतर हैं या इनका रिकॉर्ड बेहतर है ⁉️*
                       *नहीं*
     *क्या , नरेन्द्र मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्रीकाल की तुलना में ममता बनर्जी, अखिलेश आदि का कार्यकाल बेहतर नजर आता है❓*
                           *नहीं*
    *तुलना करना है तो पिछले 65 सालों की तुलना मोदी के दस साल के विकास से तुलना करिए, गुजरात के किसी छोटे शहर में जाकर, एक नजर मार लीजिये और फिर इन अन्य राज्यों की राजधानी का भ्रमण कीजिये !l*
    *राजनीति में प्रवेश के समय लालू और मुल्लायम परिवार, दोनों के घर की स्थिति ऎसी थी कि इनके पास साइकिल और लालटेन खरीदने तक के पैसे नहीं थे,*
   *जाति के नाम पर चलने वाले ये नेता आज अरबपति हैं,*
     *रामगोपाल चार्टर्ड प्लेन में घूमता है, तो शिवपाल ऑडी में और अखिलेश के पास विदेशों में होटल व टापू हैं।*
    *कहाँ से आया इतना अकूत धन, क्या ये लोग नरेन्द्र मोदी से बेहतर हैं❓*
                            *नहीं*
    *सोनिया जी के बेटा - बेटी और दामाद, आज सभी अरबपति हैं, क्या ये नरेन्द्र मोदी से बेहतर हैं❓
                            *नहीं*
     *क्या 35 साल बंगाल में राज करने वाले वामपंथी, नरेन्द्र मोदी से बेहतर हैं ❓*
                           *नहीं*
    *आठ साल केजरीवाल ने विज्ञापन चलाकर, दिल्ली के लोगों को चूना लगाया, WIFI, CCTV, 150 कॉलेज, 500 स्कूल, शराब-पानी घोटाले से लेकर घोटालों की झड़ी लगाने और बांग्लादेशी, रोहिंग्या घुसपैठियों को पालने वाला क्या ये कुकुरमुत्ता नरेंद्र मोदी से बेहतर है❓*
                           *नहीं*
    *जब मायावती राजनीति करने निकली थी और काशीराम की साथी थी, तब उसके घर में दिया जलाने का धन नहीं था, साईकिल से प्रचार करती थी, आज उसका सैंडल भी प्लेन से आता है, उसके भाई के पास 497 कंपनियां हैं, क्या ये नरेंद्र मोदी से बेहतर है❓*
    *क्या नरेन्द्र मोदी के परिवार में कम्पनी हैं ❓*
    *मोदी का विरोध करने वालों, विरोध करो, पर समर्थन किसका करना है, ये तो तय करो,*
     *कोई बेहतर विकल्प हो, तो बताना !*
   *थोड़ा देश का भी सोचो, कितना बर्बाद करवाना है, कितना लुटवाना है ⁉️*
    *बाहर निकलो जातियों के बंधनों से ❕*
     *ये विपक्षी लूटेरे हमें ही लूटते हैं❗️*
     *मुझे नहीं मालूम कि मैं मोदी को क्यों पसंद करता हूँ, लेकिन मेरे पास कांग्रेस, सपा, बसपा, आप को नापसंद करने के बहुत कारण हैं❗️* 
    *मुझे नहीं मालूम कि अच्छे दिन आयेंगे या नहीं, पर मोदी जी के अतिरिक्त और कोई राजनेता दूर - दूर तक दिखाई नहीं देता, जो भारत के हिन्दुओं का हितैषी और अच्छे दिनों के लिए तन और मन से प्रयत्न करता हो !l* 
     *मुझे ये भी नहीं मालूम कि मोदी जी भारत को हिन्दू राष्ट्र बना पायेंगे या नहीं, लेकिन ये पूरा यकीन है कि वो पूरी संजीदगी और गंभीरता से विकसित भारत बनाने व भारत माता को पुनः विश्वगुरु का दर्जा दिलवाने हेतु प्रयासरत हैं !l*
     *मुझे फर्क नहीं पड़ता, कि मोदी जी के पास इतिहास की जानकारी है या नहीं,*
    *पर मुझे पक्का यकीन है, कि उनके पास भविष्य की पूरी तैयारी है!*
     *देश के लिए मतदान अवश्य करें।*
         *"Vote for only - BJP"*
    *कम से कम 100 लोगों को भेजें ‼️*  
*जय भाजपा 🪷 जय सनातन🚩 जय भारत 🇮🇳*

बुधवार, 15 मई 2024

पंचमी तिथि का आध्यात्मिक एवं ज्योतिषीय महत्त्व

पंचमी तिथि का आध्यात्मिक एवं ज्योतिषीय महत्त्व
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हिंदू पंचाग की पांचवी तिथि पंचमी है। इस तिथि को श्रीमती और पूर्णा तिथि के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस तिथि में शुरू किए गए कार्य का विशेष फल प्राप्त होता है। हिंदू धर्म में पंचमी तिथि को सबसे महत्वपूर्ण तिथि माना जाता है। पंचमी तिथि का निर्माण शुक्ल पक्ष में तब होता है जब सूर्य और चंद्रमा का अंतर 49 डिग्री से 60 डिग्री अंश तक होता है। यह तिथि चंद्रमा की पांचवी कला है, इस कला में अमृत का पान वषटरकार करते हैं। वहीं कृष्ण पक्ष में पंचमी तिथि का निर्माण सूर्य और चंद्रमा का अंतर 229 से 240डिग्री अंश तक होता है। पंचमी  तिथि के स्वामी नाग देवता माने गए हैं। जीवन में संकटों को दूर करने के लिए इस तिथि में जन्मे जातकों को नाग देवता और भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। 

पंचमी तिथि का ज्योतिष में महत्त्व
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यदि पंचमी  तिथि शनिवार को पड़ती है तो मृत्युदा योग बनाती है। इस योग में शुभ कार्य करना वर्जित है। इसके अलावा पंचमी तिथि गुरुवार को होती है तो सिद्धा कहलाती है। ऐसे समय कार्य सिद्धि की प्राप्ति होती है। वहीं पौष माह के दोनों पक्षों की पंचमी तिथि शून्य फल देती है। वहीं शुक्ल पक्ष की पंचमी  में भगवान शिव का वास कैलाश पर होता है और कृष्ण पक्ष की पंचमी  में शिव का वास वृषभ पर होता है इसलिए दोनों पक्षों में शिव का पूजन करने से शुभ फल प्राप्त होता है। 

पंचमी  तिथि में जन्मे जातक व्यवहारकुशल और ज्ञानी होते हैं। ये लोग मातृपितृ भक्त होते हैं। इन्हें दान और धार्मिक कार्यों में रुचि होती है। ये जातक हमेशा न्याय के मार्ग पर चलते हैं। इस तिथि में जन्मे लोग कार्यों के प्रति निष्ठावान और सजग होते हैं। इन लोगों को उच्च शिक्षा प्राप्त होती है और विदेश यात्रा भी करते हैं। ये अपने गुणों की वजह से समाज में मान-सम्मान भी प्राप्त करते हैं। 

पंचमी तिथि में किये जाने वाले शुभ कार्य
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कृष्ण पक्ष पंचमी तिथि में में यात्रा, विवाह, संगीत, विद्या व शिल्प आदि कार्य करना लाभप्रद रहता है। 
वैसे तो पंचमी तिथि सभी प्रवृतियों के लिए यह तिथि उपयुक्त मानी गई है लेकिन इस तिथि में किसी को ऋण देना वर्जित माना गया है और शुक्ल पक्ष की पंचमी में आप शुभ कार्य नहीं कर सकते हैं। इसके अलावा किसी भी पक्ष की पंचमी तिथि में कटहल, बेला और खटाई का सेवन नहीं करना चाहिए। 

पंचमी तिथि के प्रमुख हिन्दू त्यौहार एवं व्रत व उपवास
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ऋषि पंचमी👉 भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को ऋषि पंचमी का व्रत किया जाता है। इस दिन सप्तऋषियों की पूजा अर्चना करने का विधान है। मान्यता है कि यदि कोई भी स्त्री शुद्ध मन से इस व्रत को करें तो उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और अगले जन्म में उसे सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

रंग पंचमी👉  महाराष्ट्र में खासतौर पर मनाया जाने वाला पर्व रंगपंचमी चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। कहा जाता है कि इस दिन देवी-देवताओं की होली होती है। रंगपंचमी अनिष्टकारी शक्तियों पर विजय प्राप्ति का उत्सव भी है। 

नाग पंचमी  👉 श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता की पूजा अर्चना की जाती है। कहा जाता है कि इस दिन पूजा करने से कुंडली में स्थित कालसर्प दोष समाप्त हो जाता है|

विवाह पंचमी 👉 मार्गशीर्ष महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी को विवाह पंचमी का पर्व मनाते हैं। इस तिथि में भगवान राम और माता सीता का विवाह हुआ था। इस पावन दिन सभी को राम-सीता की आराधना करते हुए अपने सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए प्रभु से आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए।  

बसंत पंचमी 👉 माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी को बसंत पंचमी कहा जाता है। इस दिन बुद्धि की देवी मां सरस्वती का प्रादुर्भाव हुआ था। इसलिए इस दिन मां सरस्वती के पूजन का विधान है। गृह प्रवेश से लेकर नए कार्यों की शुरुआत के लिए भी इस तिथि को शुभ माना जाता है।

सौभाग्य पंचमी 👉 कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को सौभाग्य पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन धन की देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। यह दिन व्यापारियों के लिए बेहद शुभ होता है। 

लक्ष्मी पंचमी 👉 चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को लक्ष्मी पंचमी कहते हैं। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस तिथि को व्रत रखने से घर में सुख-समृद्धि और धन-धान्य से भरापूरा रहता है।
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कठिनाइयां" जब आती हैं तो "कष्ट" देती हैं पर जब जाती हैंतो "आत्मबल" का ऐसा उत्तम उपहार दे जाती है,जो उन "कष्टों" "दुःखों" की तुलना में "हजारों" गुना "मूल्यवान" होता है।

कठिनाइयां" जब आती हैं तो "कष्ट" देती हैं  पर जब जाती हैं
तो "आत्मबल" का ऐसा उत्तम उपहार दे जाती है,
जो उन "कष्टों" "दुःखों" की तुलना में "हजारों" गुना "मूल्यवान" होता है।
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जब तक जीव ईश्वर को नहीं प्राप्त कर लेता,तब तक उसके जीवन में समग्रता और पूर्णता नहीं आ पाती। जीव की पूर्णता ईश्वर के प्रति समर्पित हो जाने में है। यही उसके जीवन का परम लक्ष्य है, परम साध्य है।
       
भगवान्‌ राम का यह दृष्टिकोण है कि वे न्याय उसे मानते हैं, जिससे भरत को राज्य मिले और अपना स्वार्थ-त्याग हो। और भरत भी न्याय उसे मानते हैं, जिससे श्रीराम को राज्य मिले।
     तो, श्रीराम और श्रीभरत दोनों की परिभाषा वह है, जिससे स्वयं के हिस्से में भोग के बदले त्याग पड़े, जिसमें संघर्ष के स्थान पर एक-दूसरे को देने की वृत्ति हो। यही रामराज्य है। जहाँ उचित लेने-देने की वृत्ति है, वह धर्मराज्य है और जहाँ परस्पर देने की वृत्ति है, वह रामराज्य। श्रीराम और श्रीभरत अपने चरित्र के माध्यम से यही दर्शन प्रस्तुत करते हैं। 
       श्रीभरत जब चित्रकूट से लौटकर आए तो उन्होंने 'सिंघासन प्रभु पादुका बैठारे निरुपाधि' -- 
प्रभु की चरण पादुकाओं को निर्विघ्नता पूर्वक सिंहासन पर विराजित करा दिया। अयोध्या के लोग चकित रह गए। यह एक नई बात थी। आज तक सिंहासन पर राजा विराजित होता था, उसको तिलक कराया जाता था, पर यह किसी ने नहीं देखा था कि सिंहासन पर चरण पादुका को, पदत्राण को, जूते को विराजित कराया जाए। इस प्रकार श्रीभरत ने संसार के समक्ष एक नए आदर्श, एक नए दर्शन की स्थापना कर दी। वे कर्त्तव्य से मुँह नहीं मोड़ते, चौदह वर्ष तक राज्य चलाने के लिए तैयार हैं ; केवल वे भगवान्‌ राम से आधार की याचना करते हैं -- 'बिनु आधार मन तोषु न साँती' -- 
क्योंकि बिना किसी आधार के उनके मन में न सन्तोष होगा ; न शान्ति। तब -- 
 प्रभु करि  कृपा  पाँवरी दीन्‍हीं।
 सादर भरत सीस धरि लीन्हीं।। -- 
प्रभु ने कृपा करके खड़ाऊँ दे दी और भरत ने उन्हें आदर पूर्वक सिर पर धारण कर लिया। यहीं पर भगवान्‌ राम और रावण का अन्तर प्रकट होता है। क्या विभीषण रावण के चरणों को हदय से नहीं लगा सकते थे ? क्या लक्ष्मण भगवान्‌ श्रीराम के चरणों को हृदय से नहीं लगाते हैं ? छोटा भाई जब बड़े भाई के चरणों को दबाता है, तो क्या वह उन चरणों को हृदय के पास नहीं ले जाता है ? तो विभीषण भी रावण के चरणों को हृदय से लगा सकते थे और तब वह श्रद्धा और प्रेम का प्रकट होना होता। पर क्रिया विभीषण की ओर से न होकर रावण की ओर से हो गई, रावण स्वयं अपना चरण, प्रहार करने के उद्देश्य से, विभीषण की छाती पर रख देता है, इसलिए वह अधर्म अन्याय हो गया।
        प्रभु ने भरतजी से संकेत में कहा -- भरत, तुम्हें मैंने पादुकाएँ दीं और तुमने सिर पर धारण कर लिया, यह कैसी बात है ? पादुकाएँ तो पैर में पहनने के लिए होती हैं ? तुमने मुझसे आधार माँगा था, इसीलिए मैंने पादुकाएँ दी। यदि उन्हें पैर में पहनो, तब तो वे आधार हैं, पर यदि सिर पर रखो तो भार है। तो मैंने तो आधार के बदले तुम्हें भार ही दे दिया ! इस पर भरत कहते हैं -- नहीं प्रभो, आपने तो आधार ही दिया है। आपने यह जो दिया है, वह मेरे लिए चौदह वर्ष तक राज्य चलाने के लिए सबसे बड़ा आधार है। भरत का सूक्ष्म संकेत यह है कि महाराज, पादुका आपके पद की है, किसी दूसरे का पद उसके लायक नहीं है। पादुका में तो मानो जीवन होता है। भले ही दो व्यक्तियों के पैर में एक ही नम्बर के जूते हों, पर हर व्यक्ति के पैर में कुछ न कुछ भिन्‍नता अवश्य होती है, इसलिए यदि कोई व्यक्ति दूसरे के जूते में पैर डाले, तो झट जूता बता देता है कि हम आपके पैर के नहीं हैं। 'दोहावली' में गोस्वामीजी लिखते हैं --
बिन आखिन की पनहीं पहिचानत लखि पाय।

     बिना आँख वाली जूती पैर को देखकर पहचान लेती है। यह पैर और जूते का सम्बन्ध है। अब उनकी बात और है, जो जूते की बात न सुनें और पहनकर चले जाएँ ! ऐसे लोग दूसरों के जूते ले जाने के आदी होते हैं तो भरत का संकेत यह है कि प्रभु, आपने पादुका देकर यह बता दिया कि अयोध्या का राज्य सिंहासन आपका है, और जैसे दूसरे की पादुका में अपना पैर नहीं डालना चाहिए, इसी प्रकार मेरे लिए यह कदापि उचित न होगा कि मैं आपकी पादुका में पैर डालूँ, अन्यथा मैं भी चोर की श्रेणी में ही खड़ा किया जाऊँगा। इसीलिए मैंने आपकी पादुकाओं को सिर पर रखा है। यह भरत का दर्शन है। वे यही मानते हैं कि पद एकमात्र ईश्वर का है और पादुकाएँ उन्हें प्रभु के पद का निरन्तर स्मरण दिलाती रहती हैं। इस प्रकार श्रीभरत अपने चरित्र और दर्शन के माध्यम से रामराज्य की भूमिका निर्मित करते हैं।
       दूसरी ओर रावण है, जो युद्ध में विजय तो चाहता है, पर उसे पराजय ही हाथ लगती है, क्योंकि उसके व्यवहार में अन्याय और अधर्म है। जब एक पुत्र या अनुज अपने पिता या अग्रज के चरणों का स्पर्श करता है, तब पुत्र या अनुज के अन्तःकरण में अपने पिता या अग्रज के लिए श्रद्धा होती है। उसी प्रकार, जब पिता या अग्रज अपने पुत्र या अनुज को चरण छूने देता है, हृदय से लगाने देता है, तब उसके अन्तःकरण में वात्सल्य उमड़ता है। अत: चरण और हृदय का मिलन मानो श्रद्धा और वात्सल्य का मिलन है। पर रावण और विभीषण के लिए चरण और हृदय का ऐसा मिलन अपमान और पीड़ा की ही सृष्टि करता है और अन्तत: विभीषण को रावण से पृथक्‌ कर देता है। वास्तव में रावण लड़ाई तभी हार जाता है, जब वह विभीषण का इस प्रकार तिरस्कार कर देता है। इस प्रकार ये दो दर्शन हमारे सामने आते हैं -- एक है भगवान्‌ राम का दर्शन और दूसरा है रावण का दर्शन। अब यह हम पर है कि अपने व्यवहार में हम किस दर्शन का चुनाव करते हैं। यदि हम अपने जीवन में धन्यता लाना चाहते हैं, तो हमें भी रावण को छोड़ राम की ओर उन्मुख होना होगा, जैसाकि विभीषणजी करते हैं। वे जीव का प्रतिनिधित्व करते हैं और विभीषण-शरणागति वस्तुत: जीव का ईश्वर के प्रति समर्पण ही है । जब तक विभीषण श्रीराम से नहीं मिले यानी जब तक जीव ईश्वर को नहीं प्राप्त कर लेता, तब तक उसके जीवन में समग्रता और पूर्णता नहीं आ पाती। जीव की पूर्णता ईश्वर के प्रति समर्पित हो जाने में है। यही उसके जीवन का परम लक्ष्य है, परम साध्य है।

जय श्री राम।

बगलामुखी साधना किन कार्यों के लिए उपयोगी है...?

बगलामुखी साधना किन कार्यों के लिए उपयोगी है...?
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बगलामुखी साधना में महाविद्याओं तथा उनकी उपासना पद्धतियों के बारे में संहिताओं, पुराणों तथा तंत्र ग्रंथों में बहुत कुछ दिया गया है। बगलामुखी देवी की गणना दस महाविद्याओं में है तथा संयम-नियमपूर्वक बगलामुखी के पाठ-पूजा, मंत्र जाप, अनुष्ठान करने से उपासक को सर्वाभीष्ट की सिद्धि प्राप्त होती है। शत्रु विनाश, मारण-मोहन, उच्चाटन, वशीकरण के लिए बगलामुखी से बढ़ कर कोई साधना नहीं है। मुकद्दमे में इच्छानुसार विजय प्राप्ति कराने में तो यह रामबाण है। बाहरी शत्रुओं की अपेक्षा आंतरिक शत्रु अधिक प्रबल एवं घातक होते हैं। अतः बगलामुखी साधना की, मानव कल्याण, सुख-समृद्धि हेतु, विशेष उपयोगिता दृष्टिगोचर होती है। यथेच्छ धन प्राप्ति, संतान प्राप्ति, रोग शांति, राजा को वश में करने हेतु कारागार (जेल) से मुक्ति, शत्रु पर विजय, आकर्षण ,विद्वेषण , मारण आदि प्रयोगों हेतु अनादी काल से बगलामुखी साधना द्वारा लोगों की इच्छा पूर्ति होती रही है। बगलामुखी के मंदिर वाराणसी (उत्तरप्रदेश) हिमाचलप्रदेश तथा दतिया (मध्यप्रदेश) में हैं, जहां इच्छित मनोकामना हेतु जा कर लोग दर्शन करते हैं, साधना करते हैं। मंत्र महोदधि में बगलामुखी साधना के बारे में विस्तार से दिया हुआ है। इसके प्रयोजन, मंत्र जप, हवन विधि एवं उपयुक्त सामान की जानकारी, सर्वजन हिताय, इस प्रकार है: उद्देश्य: धन लाभ, मनचाहे व्यक्ति से मिलन, इच्छित संतान की प्राप्ति, अनिष्ट ग्रहों की शांति, मुकद्दमे में विजय, आकर्षण, वशीकरण के लिए मंदिर में, अथवा प्राण प्रतिष्ठित बगलामुखी यंत्र के सामने इसके स्तोत्र का पाठ, मंत्र जाप, शीघ्र फल प्रदान करते है। जप स्थान: बगलामुखी मंत्र जाप अनुष्ठान के लिए नदियों का संगम स्थान, पर्वत शिखर, जंगल, घर का कोई भी स्थान, जहां शुद्धता हो, उपयुक्त रहता है। परंतु खुले स्थान (आसमान के नीचे) पर यह साधना नहीं करनी चाहिए। खुला स्थान होने पर ऊपर कपड़ा, चंदोबा तानना चाहिए। वस्त्र: इस साधना के समय केवल एक वस्त्र पहनना निषेध है तथा वस्त्र पीले रंग के होने चाहिएं, जैसे पीली धोती, दुपट्टा, अंगोछा ले कर साधना करनी चाहिए। पुष्प एवं माला: बगलामुखी साधना में सभी वस्तु पीली होनी चाहिएं, यथा पीले पुष्प, जप हेतु हल्दी की गांठ की माला, पीला आसन। भोजन: दूध, फलाहार आदि, केसर की खीर, बेसन, केला, बूंदियां, पूरी-सब्जी आदि। मंत्र एवं जप विधान: साधक अपने कार्य के अनुसार 

ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्व दुष्टाना वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्वा किलय बुद्धिविनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा ||

मंत्र के सवा लाख, अथवा 10 हजार जाप, 7, 9, 11, या 21 दिन के अंदर पूरे करें। किसी (स्थान पर चौकी पर, अथवा पाटे पर पीला कपड़ा बिछाएं। उसपर पीले चावल से अष्ट दल कमल बनाएं। उसपर मां बगलामुखी का चित्र, या यंत्र स्थापित कर, षोडशी का पूजन कर, न्यासादी के उपरांत जप आरंभ करना चाहिए। ध्यान रहे कि प्रथम दिन जितनी संख्या में जप करें, प्रतिदिन उतने ही जप करने चाहिएं; कम, या अधिक जप नहीं। हवन: जप संख्या का दशांश हवन, हवन का दशांश तर्पण, तर्पण का दशांश मार्जन तथा मार्जन का दशांश् ब्राह्मण भोजन कराना चाहिए। इस प्रकार साधना करने से सिद्धि प्राप्त होती है। यथेच्छ धन प्राप्ति: चावल, तिल एवं दूध मिश्रित खीर से हवन करने पर इच्छा अनुसार धन लाभ होता है। संतान प्राप्ति: अशोक एवं करवीर के पत्रों द्वारा हवन से संतान सुख मिलता है। शत्रु पर विजय: सेमर के फलों के हवन से शत्रु पर विजय प्राप्त होती है। जेल से मुक्ति: गूगल के साथ तिल मिला कर हवन करने से कैदी जेल से छूट जाता है। रोग शांति हेतु: 4 अंगुल की रेडी़ की लकडियां, कुम्हार के चाक की मिट्टी तथा शहद, घी, बूरा (शक्कर) के साथ लाजा (खील) मिला कर हवन करने से सभी प्रकार के रोगों में शांति मिलती है। वशीकरण: सरसों के हवन से वशीकरण होता है। सब वश में हो जाते हैं। आकर्षण: शहद, घी, शक्कर के साथ नमक से हवन करने पर आकर्षण होता है। इस प्रकार, मनोकामना हेतु, श्रद्धा-विश्वास से जप द्वारा कार्य सिद्ध होते हैं।

श्री बगलामुखी तंत्र 
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शत्रु स्तंभन के प्रयोग में बगलामुखी तंत्र से बड़ा कोई तंत्र नहीं है।

मंत्र :- ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्व दुष्टाना वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्वा किलय बुद्धिविनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा ||

संकल्प मंत्र :-
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 मम श्री बगलामुखी अमुक मंत्र शिध्य्ठे श्री बगलामुखी प्रसदार्थमअमुक संख्या परिमित जप अहं करिष्ये।

विनियोग :-
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ॐ अस्य श्री बगलामुखी मंत्रस्य नारद ऋषि : ब्रुहतिछंद : बगलामुखी देवता ह्रीं बीजं स्वाहा शक्ति : ममाखिल्वाप्त्ये जपे विनियोग : ||

ऋषियादी न्यास :
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ॐ नारद ऋषिये नमः शिरसी ||१|
ब्रुहतिच्छान्द्से नमः मुखे ||२||
बागला देवताये नमः हृदि ||३||
ह्रीं बीजाय नमः गृह्ये ||४||
स्वाहा शक्तये नमः पादयो : ||५||
विनियोगाय नमः सर्वांगे ||६||

करन्यास :-
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ॐ ह्रीं अंगुष्ठाभ्यां नमः ||१||
बगलामुखी तर्जनीभ्यां नमः ||२||
सर्व दुष्ठाना मध्यमाभ्यां नमः ||३||
वाचं मुखं पदं स्तंभय अनामिकाभ्यां नमः ||४|
जिह्वा किलय कनिष्ठाभ्यान नमः ||५||
बुध्धि विनाशाय ह्रीं ॐ स्वाहा करतलकर प्रष्ठाभ्याम नमः ||६||

हृदयादिन्यास :-
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ॐ ह्रीं ह्द्याय नमः ||१||
बगलामुखी शिरसे स्वाहा ||२||
सर्वदुश्ताना शिखाये वष्ट ||३||
वाचं मुखं पदं स्तंभय कवचाय हूम ||४||
जिह्वा किलय नेत्र त्रयाय वौशत ||५||
बुध्धि विनाशाय ह्रीं ॐ स्वाहा अस्त्र्याय फट ||६||

इसके बाद संकल्प अनुसार मंत्र जप कर सकते है ध्यान रहे यह अनुष्ठान रात्रि के प्रथम प्रहर समाप्त होने पर आरम्भ करना उचित है। 
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