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रविवार, 16 जून 2024

गर्दन का दर्द.....

गर्दन का दर्द.........

⚫⚫ परिचय......

 हमारे शरीर में रीढ़ की हड्डी में कुल मिलाकर 33 कशेरुकाएं होती हैं जिसमें 7 कशेरुकाएं गर्दन से सम्बन्धित होती हैं। इन कशेरुकाओं को सरवाइकल वर्टिबा कहते हैं। इन कशेरुकाओं से निकली वातनाड़ियां मस्तिष्क, आंख, नाक, कान, माथा, मुंह, दांत, तालु, जीभ, थाइरायड ग्रंथि तथा कुहनियों का संचालन करती हैं। इसलिए यदि गर्दन में कोई रोग हो जाता है तो इसका प्रभाव शरीर के सभी अंगों पर भी पड़ता है।

⚫⚫ गर्दन में दर्द होने के लक्षण......

इस रोग के हो जाने पर गर्दन में अकड़न व दर्द होना शुरू हो जाता है। कुछ समय बाद गर्दन में धीरे-धीरे दर्द तथा अकड़न बढ़ती जाती है। इस रोग के कारण दर्द कभी कंधे व सिर व दोनों बाजुओं में शुरू हो जाता है। इस रोग के कारण रोगी की एक या दोनों बाजुओं में सुन्नता होने लगती है। जिसके कारण रोगी को सब्जी काटने या लिखने से कठिनाई महसूस होती है, सिर में चक्कर भी आने लगते हैं, हाथ पैरों की पकड़ कमजोर पड़ जाती है तथा गर्दन को इधर-उधर घुमाने में परेशानी होने लगती है। इस रोग के कारण रोगी को बेचैनी जैसी समस्याएं भी होने लगती हैं।

⚫⚫ गर्दन में दर्द होने के कारण......

अपने भोजन में तली-भुनी, ठण्डी-बासी या मसालेदार पदार्थों का अधिक सेवन करने के कारण भी गर्दन में दर्द का रोग हो सकता है।

गर्दन में दर्द गलत तरीके से बैठने या खड़े रहने से भी हो जाता है जैसे-खड़े रहना या कूबड़ निकालकर बैठना।

भोजन में खनिज लवण तथा विटामिनों की कमी रहने के कारण भी गर्दन में दर्द की समस्या हो सकती है।

कब्ज बनने के कारण भी गर्दन में दर्द हो सकता है।

पाचनशक्ति में गड़बड़ी हो जाने के कारण गर्दन में दर्द का रोग हो सकता है।

अधिक चिंता, क्रोध, ईर्ष्या, शोक या मानसिक तनाव की वजह से भी गर्दन में दर्द हो सकता है।

किसी दुर्घटना आदि में किसी प्रकार से गर्दन पर चोट लग जाने के कारण भी गर्दन में दर्द का रोग हो सकता है।अधिक शारीरिक कार्य करने के कारण गर्दन में दर्द हो सकता है।

मोटे गद्दे तथा नर्म गद्दे पर सोने के कारण गर्दन में दर्द हो सकता है।

गर्दन का अधिक कार्यो में इस्तेमाल करने के कारण गर्दन में दर्द हो सकता है।

अधिक देर तक झुककर कार्य करने से गर्दन में दर्द हो सकता है।

व्यायाम न करने के कारण भी गर्दन में दर्द हो सकता है।

अधिक दवाइयों का सेवन करने के कारण भी गर्दन में दर्द हो सकता है।

शारीरिक कार्य न करने के कारण भी यह रोग हो सकता है।

चिंता, क्रोध, मानसिक तनाव, ईर्ष्या तथा शोक आदि के कारण भी गर्दन में दर्द हो सकता है।

किसी दुर्घटना में गर्दन पर चोट लगने के कारण भी यह रोग हो सकता है।

⚫⚫ गर्दन के दर्द को प्राकृतिक चिकित्सा से ठीक करने के लिए उपचार.....

गर्दन के दर्द को ठीक करने के लिए प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार सबसे पहले रोगी के गलत खान-पान के तरीकों को दूर करना चाहिए और फिर रोगी का उपचार करना चाहिए।

इस रोग से पीड़ित रोगी को हमेशा पौष्टिक भोजन करना चाहिए। रोगी को अपने भोजन में विटामिन `डी` लोहा, फास्फोरस तथा कैल्शियम का बहुत अधिक प्रयोग करना चाहिए ताकि हडि्डयों का विकास सही तरीके से हो सके और हडि्डयों में कोई रोग पैदा न हो सके।

शरीर में विटामिन `डी` लोहा, फास्फोरस तथा कैल्शियम मात्रा को बनाये रखने के लिए व्यक्ति को अपने भोजन में गाजर, नीबू, आंवला, मेथी, टमाटर, मूली आदि सब्जियों का अधिक सेवन करना चाहिए। फलों में रोगी को संतरा, सेब, अंगूर, पपीता, मौसमी तथा चीकू का सेवन अधिक करना चाहिए।

गर्दन में दर्द से पीड़ित व्यक्ति को चोकरयुक्त रोटी व अंकुरित खाना देने से बहुत जल्दी लाभ होता है।

गर्दन के दर्द को ठीक करने के लिए प्राकृतिक चिकित्सा के ही एक भाग जल चिकित्सा का सहारा लिया जा सकता है। इस उपचार के द्वारा रोगी को स्टीमबाथ (भापस्नान) कराया जाता है और उसकी गर्दन पर गरम-पट्टी का सेंक करते है तथा इसके बाद रोगी को रीढ़ स्नान कराया जाता है जिसके फलस्वरूप रोगी की गर्दन का दर्द जल्दी ही ठीक हो जाता है। इस प्रकार से उपचार करने से रोगी के शरीर में रक्त-संचालन (खून का प्रवाह) बढ़ जाता है और रोमकूपों द्वारा विजातीय पदार्थ बाहर निकल जाते हैं जिसके फलस्वरूप रोगी की गर्दन का दर्द तथा अकड़न होना दूर हो जाती है।

गर्दन के दर्द तथा अकड़न को दूर करने के लिए सूर्य किरणों द्वारा बनाए गए लाल व नारंगी जल का उपयोग करने से रोगी को बहुत अधिक फायदा होता है। सूर्य की किरणों में हडि्डयों को मजबूत करने के लिए विटामिन `डी` होता है। सूर्य की किरणों से शरीर में विटामिन `डी` को लेने के लिए रोगी को पेट के बल खुले स्थान पर जहां पर सूर्य की किरणें पड़ रही हो उस स्थान पर लेटना चाहिए। ताकि सूर्य की किरणें सीधी उसकी गर्दन व रीढ़ की हड्डी पर पड़े। इस क्रिया को करते समय सिर पर कोई कपड़ा रख लेना चाहिए ताकि सिर पर छाया रहें।

गर्दन के दर्द को ठीक करने के लिए रोगी की गर्दन पर सरसों या तिल के तेल की मालिश करनी चाहिए। मालिश करते समय यह ध्यान देना चाहिए कि मालिश हमेशा हल्के हाथों से करनी चाहिए। मालिश यदि सूर्य की रोशनी के सामने करें तो रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।

 योगासन के द्वारा भी गर्दन के दर्द तथा अकड़न को ठीक किया जा सकता है। योगासन द्वारा गर्दन के दर्द तथा अकड़न को ठीक करने के लिए सबसे पहले गर्दन को पीछे की ओर ले जाएं और फिर धीरे-धीरे गर्दन को आगे की ओर झुकाएं। फिर ठोड़ी को कंठ कूप से लगाएं। इसके कुछ देर बाद गर्दन को दाएं से बाएं तथा फिर बाएं से दाएं हल्के झटके के साथ घुमाएं।

गर्दन के दर्द तथा अकड़न को दूर करने के लिए भुजंगासन, धनुरासन या फिर सर्पासन करना लाभकारी रहता है।

 गर्दन के दर्द तथा अकड़न को ठीक करने के लिए प्राणायाम व ध्यान का अभ्यास करें।

गर्दन के दर्द तथा अकड़न की समस्या को दूर करने के लिए रोजाना सुबह के समय में खुली ताजी हवा में घूमें।

 गर्दन में दर्द होने पर इसका उपचार करने के लिए सबसे पहले गर्दन में दर्द होने के कारणों को दूर करना चाहिए।

 योगाभ्यास तथा विशेष व्यायाम से गर्दन के दर्द से पूरी तरह छुटकारा मिल सकता है।

गर्दन के दर्द से पीड़ित रोगी को अपने कंधों को ऊपर से नीचे की ओर करना।

 कंधों को सामने तथा पीछे की ओर गतिशील करना चाहिए इससे गर्दन का दर्द ठीक हो जाता है।

कंधों को घड़ी की दिशा में सीधी तथा उल्टी दिशा में घुमाना चाहिए जिससे गर्दन कां दर्द ठीक हो जाता है।

 गर्दन से पीड़ित रोगी को अपनी उंगुलियों को गर्दन के पीछे आपस में फंसाना चाहिए और फिर फंसी उंगुलियों की तरफ दबाव देते हुए अपने कोहनी को आगे से पीछे की ओर गतिशील करना चाहिए जिसके फलस्वरूप गर्दन का दर्द जल्दी ही ठीक हो जाता है।

 गर्दन से पीड़ित रोगी को अपने भोजन में विटामिन `डी लोहा, कैल्शियम, फास्फोरस की अधिकता वाले खाद्य पदार्थों का अधिक उपयोग करना चाहिए।

 संतरा, सेब, मौसमी, अंगूर तथा पपीता व चीकू का उपयोग भोजन में अधिक करना चाहिए।

⚫⚫ गर्दन में दर्द तथा अकड़न से बचने के लिए कुछ सावधानियां......

सोने के लिए व्यक्ति को सख्त तख्त का ही प्रयोग करना चाहिए।

सोते समय गर्दन के नीचे तकिए का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

किसी भी कार्य को करते समय अपनी रीढ़ की हड्डी को तनी हुई और बिल्कुल सीधी रखनी चाहिए।

गर्दन के दर्द तथा अकड़न का उपचार करते समय अधिक सोच-विचार नहीं करना चाहिए।

गर्दन में दर्द तथा अकड़न की समस्या से बचने के लिए वह कार्य नहीं करना चाहिए जिससे गर्दन या आंखों पर अधिक बोझ या तनाव पड़े।

गर्दन में दर्द तथा अकड़न की समस्या से बचने के लिए प्रतिदिन 6 से 8 घण्टे की तनाव रहित नींद लेना बहुत ही जरूरी है।

गर्दन के दर्द तथा अकड़न से बचने के लिए यह ध्यान देना चाहिए कि यदि खड़े है तो तनकर खड़े हो तो अपनी पीठ सीधी रखनी चाहिए।

आगे की ओर झुककर किसी भी कार्य को नहीं करना चाहिए।

नाभि टलना,नाभि का खिसकना......

नाभि टलना,नाभि का खिसकना......
 

  आम लोगों की भाषा में धरण कहते हैं यह एक ऐसी परेशानी है जिसकी वजह से पेट में दर्द होता है। रोगी को समझ में भी नहीं आता कि ये दर्द किस वजह से हो रहा है, पेट दर्द की दवा लेने के बाद भी यह दर्द खत्म नहीं होता। और केवल दर्द ही नहीं, कई बार नाभि खिसकने से दस्त भी लग जाते हैं।

 योग में नाड़ियों की संख्या बहत्तर हजार से ज्यादा बताई गई है और इसका मूल उदगम स्त्रोत नाभि स्थान है। इसलिए किसी भी नाड़ी के अस्वस्थ होने से इसका कुछ प्रतिशत असर नाभि स्थान पर जरूर होता है।

 ◼️अन्य कारण .....

  कुछ ऐसे कारण हैं जहां ना चाहते हुए भी हम नाभि खिसकने का शिकार हो जाते हैं। जैसे कि खेलते-कूदते समय भी नाभि खिसक जाती है। 

असावधानी से दाएं-बाएं झुकने, दोनों हाथों से या एक हाथ से अचानक भारी बोझ उठाने, तेजी से सीढ़ियां चढ़ने-उतरने, सड़क पर चलते हुए गड्ढे में अचानक पैर चले जाने या अन्य कारणों से किसी एक पैर पर भार पड़ने या झटका लगने से नाभि इधर-उधर हो जाती है।

◼️कैसे पहचानें नाभि का
खिसकना .....

कैसे पहचानें कि नाभि ही अपने स्थान से खिसक गई है। क्योंकि पेट दर्द होना आम बात है, कुछ गलत आहार लेने से या फिर अन्य समस्याओं से भी पेट दर्द हो सकता है। इसके अलावा दस्त लगना भी कोई बहुत बड़ी बीमारी नहीं है। किंतु ये कैसे पहचाना जाए कि किसी व्यक्ति विशेष की परेशानी का कारण नाभि खिसकना ही है।

◼️पहला तरीका .....

इसकी पहचान एक लिए कुछ खास तरीके बताए गए हैं। सबसे आसान तरीका है लेटकर नाभि को दबाकर जांच करना।

 रोगी को शवासन यानि कि बिलकुल सपाट लिटाकर, उसकी नाभि को हाथ की चारों अंगुलियों से दबाएं।

 यदि नाभि के ठीक बिलकुल नीचे कोई धड़कन महसूस हो तो इसका मतलब है कि नाभि अपने स्थान पर ही है।

लेकिन यही धड़कन यदि नाभि के नीच ना होकर कहीं आसपास महसूस हो रही हो, तो समझ जाएं कि नाभि अपनी जगह पर नहीं है।

◼️दूसरा तरीका .....

धरण गिरी है या नहीं इसे पहचानने का एक और तरीका है जो काफी प्रचलित भी है।

 इसके लिए रोगी के दोनों हाथों की रेखाएं मिला कर छोटी अंगुली की लम्बाई चेक करें, दोनों अंगुलियों की रेखाएं बिलकुल बराबर रखें।

  यदि मिलाने पर अंत में दोनों अंगुलियों की लंबाई में थोड़ा सा भी अंतर दिखे, तो इसका मतलब है कि धरण गिरी हुई है।

 इन दो तरीकों से आसानी से नाभि खिसकने की पुष्टि की जा सकती है। अब यदि रोगी की परेशानी का कारण जान लेने के बाद, उसका निवारण भी जानना आवश्यक है।

◼️औषधियों से उपचार .....

▪️1. सरसों ..... सरसों के तेल को नाभि पर लगाने से नाभि अपने स्थान पर आ जाती है। रोग के बढ़ने पर रूई का फोया तेल में भिगोकर नाभि पर रखें।

 नाभि के जगह से हट जाने से अक्सर पेट में दर्द, गैस, दस्त, भूख न लगना आदि लक्षण उत्पन्न होते हैं। नाभि पर कोई भी तेल खासकर सरसों का तेल लगाने से लाभ होता है। तेज दर्द होने पर रूई में तेल लगाकर नाभि पर रखने से नाभि का दर्द समाप्त हो जाता है।

▪️2. सौंफ .... गुड़ और सौंफ 20-20 ग्राम की मात्रा में लेकर प्रतिदिन सुबह खाली पेट खाने से नाभि का टलना ठीक होता है और तेज दर्द में आराम मिलता है।

 2 चम्मच सौंफ को पीसकर गुड में मिलाकर प्रतिदिन लगातार 5 दिनों तक लेने से नाभि का हटना ठीक होता है।

▪️3. दही ...500 ग्राम दही में एक चम्मच पिसी हुई हल्दी को मिलाकर खाने से नाभि अपने स्थान से नहीं हटता है।

▪️4. गुड़ .... थोड़ा सा गुड़ में नमक मिलाकर नाभि बैठाने के बाद खाने से अपने नाभि दर्द में जल्द आराम मिलता है।

▪️▪️अन्य उपाय ....

 नाभि खिसक गई है या नहीं, यह हमारे पांव की मदद से भी जाना जा सकता है। इसके लिए पीठ के बल लेट जाएं, दोनों पैरों को 10 डिग्री एंगल पर जोड़ें। ऐसा करने पर यदि आपको दोनों पैर की लंबाई में अंतर दिखे, यानि कि एक पांव दूसरे से बड़ा है तो यकीनन नाभि टली हुई हैं।

 अब पुष्टि होने पर इसे ठीक करने के लिए छोटे पैर की टांग को धीरे-धीरे ऊपर उठाएं। इसे कुछ-कुछ इंच तक धीरे से ही ऊपर की ओर उठाएं, तकरीबन 9 इंच की ऊंचाई पर आने के बाद फिर धीरे-धीरे नीचे रखकर लंबी सांस लें। यही क्रिया दो बार और करें। इस क्रिया को सुबह शाम ख़ाली पेट करना है, इससे नाभि अपने स्थान पर आ जाती है।

◼️सावधानी .....

यह नाभि यदि अपनी सही जगह पर आने की बजाय कहीं और खिसक गई तो बड़ा रोग हो सकता है। ऊपर की ओर खिसकने से सांस की दिक्कत हो जाती है, लीवर की ओर चले जाने से वह खराब हो जाता है। यदि नाभि पेट के बिलकुल मध्य में आ जाए तो मोटापा हो जाता है। इसलिए इससे अनजाने में छेड़ खानी करने की कभी ना सोचें।

 खास ख्याल रखने की जरूरत है। जब पता चल जाए कि नाभि खिसकने जैसी दिक्कत हो गई है, तो कुछ बातों का परहेज करना चाहिए। जैसे कि गलती से भी भारी वजन ना उठाएं। यदि मजबूरी में उठाना भी पड़े तो उसे झटके से ना उठाएं!

▪️▪️और भी कुछ उपाय है जिंससे ठीक हो जाएगी नाभि खिसकने की परेशानी...


◼️नाभि टलने को परखिये....

आमतौर पर पुरुषों की नाभि बाईं ओर तथा स्त्रियों की नाभि दाईं ओर टला करती हैं 

◼️नाभि टलने पर क्या करे ?....

मरीज को सीधा (चित्त) सुलाकर उसकी नाभि के चारों ओर सूखे आँवले का आटा बनाकर उसमें अदरक का रस मिलाकर बाँध दें एवं उसे दो घण्टे चित्त ही सुलाकर रखें। दिन में दो बार यह प्रयोग करने से नाभि अपने स्थान पर आ जाती है तथा दस्त आदि उपद्रव शांत हो जाते हैं।

नाभि खिसक जाने पर व्यक्ति को मूँग दाल की खिचड़ी के सिवाय कुछ न दें। दिन में एक-दो बार अदरक का 2 से 5 मिलि लीटर रस पिलाने से लाभ होता है।

▪️▪️नाभि कैसे स्थान पर लाये.....

◼️1- ज़मीन पर दरी या कम्बल बिछा ले। अभी बच्चो के खेलने वाली प्लास्टिक की गेंद ले लीजिये। अब उल्टा लेट जाए और इस गेंद को नाभि के मध्य रख लीजिये। पांच मिनट तक ऐसे ही लेटे रहे। खिसकी हुई नाभि (धरण) सही होगी। फिर धीरे से करवट ले कर उठ जाए, और ओकडू बैठ जाए और एक आंवला का मुरब्बा खा लीजिये या फिर 2 आटे के बिस्कुट खा लीजिये। फिर धीरे धीरे खड़े हो जाए।

◼️2- कमर के बल लेट जाएं और पादांगुष्ठनासा स्पर्शासन कर लें। इसके लिए लेटकर बाएं पैर को घुटने से मोड़कर हाथों से पैर को पकड़ लें व पैर को खींचकर मुंह तक लाएं। सिर उठा लें व पैर का अंगूठा नाक से लगाने का प्रयास करें। जैसे छोटा बच्चा अपना पैर का अंगूठा मुंह में डालता है। कुछ देर इस आसन में रुकें फिर दूसरे पैर से भी यही करें। फिर दोनों पैरों से एक साथ यही अभ्यास कर लें। 3-3 बार करने के बाद नाभि सेट हो जाएगी।

◼️3- सीधा (चित्त) सुलाकर उसकी नाभि के चारों ओर सूखे आँवले का आटा बनाकर उसमें अदरक का रस मिलाकर बाँध दें एवं उसे दो घण्टे चित्त ही सुलाकर रखें। दिन में दो बार यह प्रयोग करने से नाभि अपने स्थान पर आ जाती है हैं।

नाभि सेट करके पाँव के अंगूठों में चांदी की कड़ी भी पहनाई जाती हैं, जिस से भविष्य में नाभि टलने का खतरा कम हो जाता हैं। अक्सर पुराने बुजुर्ग लोग धागा भी बाँध देते हैं।

◼️नाभि के टलने पर और दर्द होने पर 20 ग्राम सोंफ, गुड सम भाग के साथ मिलाकर प्रात: खाली पेट खायें। अपने स्थान से हटी हुई नाभि ठीक होगी। और भविष्य में नाभि टलने की समस्या नहीं होगी।

शुक्रवार, 14 जून 2024

सोशल मीडिया पर चल रहे कि अयोध्या में विकास के दौरान तोड़े गए दुकानों व मकान के कारण अयोध्या में हारी भाजपा, इस पर जिला प्रशासन ने दिया जवाब

प्रेस विज्ञप्ति/ सूचना विभाग


सोशल मीडिया पर चल रहे कि अयोध्या में विकास के दौरान तोड़े गए दुकानों व मकान के कारण अयोध्या में हारी भाजपा, इस पर जिला प्रशासन ने दिया जवाब


अयोध्या।

जिलाधिकारी नितीश कुमार ने बताया कि अयोध्या धाम की ऐतिहासिक एवं पौराणिक विरासतों को संजोते एवं संवारते हुये एक आधुनिक शहर के रूप में विकसित करने की संकल्पना को दृष्टिगत रखते हुये अयोध्या में यातायात एवं आवागमन की सुविधा को आधुनिक एवं सुगम बनाने के लिए विभिन्न प्रमुख मार्गो/पथों का उनके किनारे स्थित दुकानदारों, भवन स्वामियों एवं भू-स्वामियों से समन्वय स्थापित कर तथा उन्हें नियमानुसार पुर्नस्थापित कर अनुग्रह धनराशि व मुआवजा प्रदान करते हुये सौन्दर्यीकरण/चैड़ीकरण किया गया है। 

उन्होंने बताया कि रामपथ, भक्तिपथ, रामजन्मभूमि पथ एवं पंचकोसी एवं चैदहकोसी परिक्रमा मार्ग के सौन्दर्यीकरण एवं चैड़ीकरण से कुल 4616 दुकानदार प्रभावित हुये, जिसमें से 4215 दुकानदार/व्यापारी जिनकी दुकानें आंशिक रूप से चैड़ीकरण में प्रभावित हुई, इन सभी को कुछ अन्तराल के लिए व्यापार प्रभावित होने के एवज में प्रति दुकानदार (आंशिक रूप से तोड़ी गयी दुकान के आकार के आधार पर) अनुग्रह धनराशि का भुगतान किया गया। साथ ही प्रशासन द्वारा उनकी दुकानों का व्यापक सौन्दर्यीकरण भी कराया गया और ये सभी दुकानदार उसी स्थान/दुकान पर अपने-अपने व्यापार/दुकान का संचालन कर रहे है और वर्तमान समय में उनका व्यापार कई गुना बढ़कर सुचार रूप से चल रहा है। इसी के साथ ही उक्त मार्गों के सौन्दर्यीकरण/चैड़ीकरण में कुल 401 दुकानदार पूर्ण रूप से स्थानान्तरित हुये जिनमें से 339 दुकानदारों को प्राधिकरण द्वारा दुकान आवंटित किया गया है तथा इनका व्यापार अन्य स्थल पर स्थानान्तरित होने पर कुछ अन्तराल के लिए व्यापार प्रभावित होने के एवज में प्रति दुकानदार एक से 10 लाख रूपये तक (हटायी गयी दुकान के आकार के आधार पर) अनुग्रह धनराशि का भुगतान उनके खाते में अलग से किया गया है। उक्त मार्गो/पथों के सौन्दर्यीकरण/चैड़ीकरण से पूर्ण रूप से स्थानान्तरित कुल 79 परिवारों को बसा दिया गया है। इस कार्य से कुल 1845 भू-स्वामी/भवन स्वामी प्रभावित हुये, जिन्हें नियमानुसार रू0 300.67 करोड़ की धनराशि मुआवजे एवं अनुग्रह धनराशि के रूप में उनके खाते में प्रदान किया जा चुका है।

इसी प्रकार अयोध्या धाम तक हवाई आवागमन की सुविधा को सुगम बनाने हेतु नवनिर्मित महर्षि बाल्मीकि अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट के निर्माण के लिए प्रभावित समस्त परिवारों को नियमानुसार पुर्नवासित कराया गया है तथा प्रभावित खातेदारों से समन्वय स्थापित कर उनके सहमति के आधार पर भूमि अर्जन का कार्य किया गया, जिसमें कुल 952.39 करोड़ रूपये का भुगतान भू-स्वामियों/भवन स्वामियों के खाते में किया गया।   

*रामजन्म भूमि पथ:-*

01. उक्त पथ पर कुल दुकानदारों की संख्या-14

02. पूर्ण विस्थापित दुकानदार-07

03. ऐसे दुकानदार जिनका व्यापार दुकान टूटने से प्रभावित हो रहा था उनके व्यापार को पुर्नस्थापित करने के लिए अनुग्रह धनराशि के रूप में आर0 एण्ड आर0 का भुगतान किया गया। उक्त पथ पर 14 दुकानदारों को दुकान के लम्बाई चैड़ाई के क्रम में पी0डब्लू0डी0 द्वारा मूल्यांकन के उपरान्त 10.00 लाख रूपये तक तथा न्यूनतम 1.00 लाख रूपये तक किया गया।

04. पूर्ण विस्थापित 07 दुकानदारों को प्राधिकरण द्वारा निर्मित दुकाने आवष्टित की गयी तथा व्यापार प्रभावित होने के कारण अनुग्रह धनराशि (आर0 एण्ड आर0) का भुगतान किया गया। 

05. मकान व जमीन के मूल्यांकन के उपरान्त 11 भू-स्वामी/भवन स्वामी से सहमति के क्रम में रजिस्ट्री कराकर मुआवजे का भुगतान किया गया।

06. रामजन्म भूमि पथ में कुल 14.12 करोड़ रूपये का भुगतान भू-स्वामी/भवन स्वामी/दुकानदारों को किया गया।


*भक्ति पथ:-*

01. उक्त पथ पर कुल दुकानदारों की संख्या-397

02. पूर्ण विस्थापित दुकानदार-88

03. ऐसे दुकानदार जिनका व्यापार दुकान टूटने से प्रभावित हो रहा था उनके व्यापार को पुर्नस्थापित करने के लिए अनुग्रह धनराशि के रूप में आर० एण्ड आर० का भुगतान किया गया। उक्त पथ पर 397 दुकानदारों को दुकान के लम्बाई चैड़ाई के क्रम में पी0डब्लू0डी0 द्वारा मूल्यांकन के उपरान्त 10.00 लाख रूपये तक तथा न्यूनतम 1.00 लाख रूपये तक किया गया। 

04. उक्त पथ पर 309 दुकानदार जो विस्थापित नहीं हो रहे थे उनको मूल्यांकन के उपरान्त अनुग्रह धनराशि का भुगतान किया गया तथा प्रशासन द्वारा उनकी दुकानों का सौन्दीर्यकरण कराया गया। वर्तमान समय में उनका व्यापार सुचारू रूप से पूर्व के भांति चल रहा है।

05. विस्थापित होने वाले 88 दुकानदारों को प्राधिकरण द्वारा निर्मित दुकानें आवण्टित की गयी तथा व्यापार प्रभावित होने के कारण अनुग्रह धनराशि (आर० एण्ड आर०) का भुगतान किया गया। यह भी स्पष्ट करना है कि भक्ति पथ से विस्थापित सभी दुकानदार हनुमानगढ़ी के परिधि में विभिन्न पटिटयों में सम्मानित महन्थों से सम्पर्क स्थापित कर पूर्व के भांति किराये पर दुकान लेकर व्यवसाय कर रहे हैं। 

06. मकान व जमीन के मूल्यांकन के उपरान्त कुल 09 भू-स्वामी/भवन स्वामी से सहमति के क्रम में रजिस्ट्री कराकर मुआवजे का भुगतान किया गया।

07. भक्ति पथ में कुल 23.66 करोड़ रूपये का भुगतान भू-स्वामी/भवन स्वामी/दुकानदारों को किया गया।


*राम पथ:-*

01. उक्त पथ पर कुल दुकानदारों की संख्या-2338 

02. पूर्ण विस्थापित दुकानदार-306

03. ऐसे दुकानदार जिनका व्यापार दुकान टूटने से प्रभावित हो रहा था उनके व्यापार को पुर्नस्थापित करने के लिए अनुग्रह धनराशि के रूप में आर० एण्ड आर० का भुगतान किया गया। उक्त पथ पर 2338 दुकानदारों को दुकान के लम्बाई चैड़ाई के क्रम में पी0डब्लू0डी0 द्वारा मूल्यांकन के उपरान्त 10.00 लाख रूपये तक तथा न्यूनतम 1.00 लाख रूपये तक किया गया।

04. उक्त पथ पर 2038 दुकानदार जो विस्थापित नहीं हो रहे थे उनको मूल्यांकन के उपरान्त व्यापार पुर्नस्थापित करने के लिए अनुग्रह धनराशि का भुगतान किया गया तथा प्रशासन द्वारा उनकी दुकानों का सौन्दीर्यकरण कराया गया। वर्तमान समय में उनका व्यापार सुचारू रूप से पूर्व के भांति चल रहा है। 

05. विस्थापित होने वाले 306 दुकानदारों को प्राधिकरण द्वारा निर्मित दुकानें आवण्टित की गयी तथा व्यापार प्रभावित होने के कारण अनुग्रह धनराशि (आर0 एण्ड आर0) का भुगतान किया गया।

06. ऐसे परिवार जो पूर्ण रूप से विस्थापित हुए हैं उनको चक्रतीर्थ के मां० काशीराम कालोनी में बसाया गया।

07. रामपथ पर 2173 भू-स्वामी/भवन स्वामी से उनके मकान/जमीन के मूल्यांकन के उपरान्त सहमति के क्रम में रजिस्ट्री कराकर सम्बन्धित भवन स्वामी/भू-स्वामी को मुआवजे की धनराशि का वितरण किया गया।

08. राम पथ में कुल 114.69 करोड रूपये का भुगतान भू-स्वामी/भवन स्वामी/दुकानदारों को किया गया।


*पंचकोसी परिक्रमा मार्ग:-*

01. उक्त पथ पर कुल दुकानदारों की संख्या-510

02. पूर्ण विस्थापित परिवार-25 

03. ऐसे दुकानदार जिनका व्यापार दुकान टूटने से प्रभावित हो रहो था उनके व्यापार को पुर्नस्थापित करने के लिए अनुग्रह धनराशि के रूप में आर० एण्ड आर० का भुगतान किया गया। उक्त पथ पर 510 दुकानदारों को दुकान के लम्बाई चैडाई के क्रम में पी०डब्लूडी द्वारा मूल्यांकन के उपरान्त 10.00 लाख रूपये तक तथा न्यूनतम 1.00 लाख रूपये तक किया गया। 

04. उक्त पथ पर ऐसे दुकानदार जिनका विस्थापित नहीं हो रहा है। वह अपने बचे हुए भू-भाग पर दुकान बना करके व्यवसाय कर रहे हैं। प्रभावित भू-भाग का मूल्यांकन के अनुसार व्यापार प्रभावित होने के कारण अनुग्रह धनराशि (आर० एण्ड आर०) का भुगतान किया गया।

05. विस्थापित होने वाले 25 परिवारों को उनके निकट स्थान पर पुर्नवासित कराया गया है तथा इनके मकान का मूल्यांकन कराते हुए मकान का सहमति के आधार पर रजिस्ट्री कराया गया और उनके मुआवजे का भुगतान किया गया।

06. पंचकोसी परिक्रमा मार्ग में पड़ने वाले कुल 153 भू-स्वामी/भवन स्वामी से उनके मकान/जमीन के मूल्यांकन के उपरान्त सहमति के क्रम में रजिस्ट्री कराकर सम्बन्धित भवन स्वामी/भू-स्वामी को मुआवजे की धनराशि का वितरण किया गया।

07. पंचकोसी परिक्रमा मार्ग में कुल 29.00 करोड रूपये का भुगतान भू-स्वामी/भवन स्वामी/दुकानदारों को किया गया।


*14 कोसी परिक्रमा मार्ग:-*

01. उक्त पथ पर कुल दुकानदारों की संख्या-1357

02. ऐसे दुकानदार जिनका व्यापार दुकान टूटने से प्रभावित हो रहा था उनके व्यापार को पुर्नस्थापित करने के लिए अनुग्रह धनराशि के रूप में आर० एण्ड आर० का भुगतान किया गया। उक्त पथ पर 1357 दुकानदारों को दुकान के लम्बाई चैड़ाई के क्रम में पी०डब्लू०डी० द्वारा मूल्यांकन के उपरान्त 10.00 लाख रूपये तक तथा न्यूनतम 1.00 लाख रूपये तक किया गया।

03. चैदहकोसी परिक्रमा मार्ग में पड़ने वाले 826 भू-स्वामी/भवन स्वामी से उनके मकान/जमीन के मूल्यांकन के उपरान्त सहमति के क्रम में रजिस्ट्री कराकर सम्बन्धित भवन स्वामी/भू-स्वामी को मुआवजे की धनराशि का वितरण किया गया। 

04. चैदहकोसी परिक्रमा मार्ग में कुल 119.20 करोड़ रूपये का भुगतान भू-स्वामी/भवन स्वामी/दुकानदारों को किया गया।


*एयरपोर्ट:-*

01. कुल भूमि 823.21 एकड़

02. खातेदारों की निजी भूमि-499.6846 एकड

03. सहमति के आधार पर क्रय (रजिस्ट्री) की गयी भूमि 478.774 एकड़ (95.82 प्रतिशत)

04. अर्जन के माध्यम से प्राप्त भूमि-20.910 एकड़ (4.18 प्रतिशत)

05. कुल परिसम्पत्तियों की संख्या जिन्हें क्रयध् रजिस्ट्री कराया गया-668

06. ग्राम-जनौरा के मजरे राजाबोध पुरवा, भुजवा की बगिया, शंकर का पुरवा, त्रिभवन नगर, बल्दी पाण्डेय का पुरवा ग्राम-गंजा, ग्राम-धरमपुर सहादत तथा ग्राम-कुशमाहा के ऐसे परिवार जो एयरपोर्ट विस्तारीकरण में विस्थापित हुए उनको मलिकपुर, अचारी सगरा, सरेठी, पूरा हुसैन खां, हांसापुर, शमसुद्दीनपुर आदि उपलब्ध स्थानों पर परिवारों की संख्या को देखते हुए पुर्नवासित कराया गया।

07. परियोजना में कुल 952.39 करोड रूपये का भुगतान भू-स्वामी/भवन स्वामी को किया गया।

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दिल्ली में पर्दे के पीछे हुई तेजी से बदलती घटनाएँ

दिल्ली में पर्दे के पीछे हुई तेजी से बदलती घटनाएँ

लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद यह स्पष्ट हुआ कि भाजपा को केवल 240 सीटें मिलेंगी। उस समय श्री मोदी, राजनाथ सिंह, अमित शाह और नड्डा ने विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया कि हम विपक्ष में बैठेंगे। और गठबंधन के साथियों को फोन कर सूचित किया गया कि आप स्वतंत्र हैं अपना निर्णय लेने के लिए। इंडी अलायंस को शासन करना चाहिए। सबसे पहले चिराग पासवान और शिंदे ने कहा कि हम आपके फैसले में शामिल हैं और हम भी विपक्ष में बैठने के लिए तैयार हैं। ध्यान दें कि मोदी पार्टी कार्यालय में दोपहर चार बजे आने वाले थे, लेकिन वे देर शाम आए, इसका कारण यही था।
दिल्ली के सत्ता के गलियारों में रहने वाले मेरे एक मित्र ने यह रोमांचक और बेहद नाटकीय घटनाक्रम, जो एक आम आदमी की समझ से परे है, मुझे 5 जून को ही बताया था।

मोदी ने दोपहर में नायडू और नीतीश को फोन किया था ताकि उन्हें यह बता सकें कि आप अपना देख लो, हमें कोई आपत्ति नहीं है। मोदी के इस फैसले को सुनकर दोनों हक्के-बक्के रह गए। दोनों ही ठंडे पड़ गए क्योंकि उन्हें इंडी दलों की स्थिति का पता था। मोदी के इस निर्णय की खबर इंडी दलों को भी पहुंचाई गई।

खडगे, जयराम रमेश को तो झटका ही लगा क्योंकि वे मानसिक रूप से इस स्थिति का सामना करने के लिए तैयार नहीं थे। फिर भी उन्होंने यह खबर बाहर न आने देते हुए केवल शरद पवार को नीतीश और नायडू से बात करने के लिए कहा। उनकी विनती पर पवार ने नीतीश को फोन किया।
नीतीश ने शरद पवार से पूछा कि आपको कैसे पता चला कि मोदी विपक्ष में बैठने को तैयार हो गए हैं? शरद पवार ने नीतीश से कहा कि मुझे यह नहीं पता है। मुझे केवल आपके संपर्क में रहने के लिए कहा गया है। तब नीतीश जी ने शरद पवार को सब कुछ बताया, और यह भी पूछा कि सभी के खाते में 8500 रुपये देने होंगे और संपत्ति का वितरण पिछड़े वर्ग के लोगों को करना होगा, यह दो बड़े वादे कांग्रेस ने लोगों से किए हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रधानमंत्री कौन होगा? यह सुनकर पवार को समझ आया कि उन्हें अंधेरे में रखा गया है। उन्होंने सबसे पहले अखिलेश यादव को फोन किया और बताया कि भाई, ऐसा हुआ है और कांग्रेस हमें अंधेरे में रखकर कुछ साजिश कर रही है। इतने पर पवार ने खडगे को फोन करके नाराजगी जताई कि आपने मुझे क्यों नहीं बताया कि भाजपा विपक्ष में बैठने को तैयार है? खडगे ने पवार से कहा कि यह खबर उड़ते-उड़ते आई थी इसलिए नहीं बताया। पवार ने कहा कि पहले प्रधानमंत्री तय करें और फिर आगे बढ़ें। इसी बीच अखिलेश यादव ने भी खडगे को फोन करके कहा कि मुझसे पूछे बिना कुछ नहीं करना, नहीं तो मैं अकेला अलग बैठ जाऊंगा। यह खबर इंडी गठबंधन में फैल गई, जबकि नतीजे आ ही रहे थे, लेकिन हर जगह हड़कंप मच गया।
इंडी दलों के सामने सबसे बड़ी समस्या यह थी कि प्रति व्यक्ति 8500 रुपये/माह और अमीर लोगों के पैसे लेकर उनका वितरण पिछड़े वर्ग में कैसे किया जाए, क्योंकि कांग्रेस ने जल्द से जल्द पैसे देने का वादा किया था।
पर्दे के पीछे जबरदस्त उठा-पटक चल रही थी। इंडी दलों को तो छोड़ें, नायडू और नीतीश कुमार को भी उम्मीद नहीं थी कि मोदी और शाह ऐसा फैसला लेंगे।
नीतीश कुमार और चंद्रबाबू ने भाजपा के बड़े नेताओं से फोन पर संपर्क किया और उन्हें आश्वासन दिया कि हम भाजपा के साथ ही रहना चाहते हैं, मोदी को तुरंत सरकार बनानी चाहिए।
भाजपा की 240 सीटें और पासवान, शिंदे सहित अन्य छोटे सहयोगियों को मिलाकर संख्या 264 हो जाती थी। इतना मजबूत विपक्ष होते हुए हम इंडी गठबंधन के साथ गठबंधन नहीं करेंगे। सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि मोदी और शाह विपक्ष में बैठकर कोई भजन नहीं करने वाले थे, यह निश्चित था।
इधर मोदी और शाह को जयंत चौधरी के माध्यम से इंडी गठबंधन के भीतर के गड़बड़ी का पता चल गया था।
उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में भाजपा ने मुस्लिम वर्ग में यह अफवाह फैला दी कि कांग्रेस का सरकार बन गई है और बैंक में सभी को 8500 रुपये मिलेंगे। इस वजह से बंगलोर और लखनऊ में बैंकों में मुस्लिम महिलाओं की लंबी कतारें लग गई थीं।

इंडी गठबंधन के नेताओं के बीच सवाल खड़ा हो गया कि अगर हम सरकार बनाते हैं, तो हमें वादे के अनुसार तुरंत 100000 रुपये प्रति वर्ष देने होंगे, भले ही हम समान संपत्ति के वितरण को कुछ समय बाद करने का वादा कर सकते हैं, लेकिन यह 8500 रुपये/प्रति माह कैसे देंगे? इस तरह प्रधानमंत्री बनना मतलब सूली पर चढ़ने जैसा होगा। महिलाओं की आधी जनसंख्या को ही मानें तो प्रति महिला एक लाख रुपये के हिसाब से साठ लाख करोड़ रुपये प्रति वर्ष होते हैं। और इधर तो लोग बैंकों में भी आना शुरू कर चुके हैं। भाजपा ने हवा फैला दी कि बैंक जाओ और पैसे ले लो।
इस पर यह समाधान निकला कि फिर ऐसा करें कि नीतीश और नायडू हमें, मतलब इंडी दलों को समर्थन दें, कांग्रेस भी बाहरी समर्थन दिखाएगी और सरकार में शामिल नहीं होगी। मतलब ये पैसे देने और संपत्ति के समान वितरण करने का सवाल ही नहीं उठेगा। कांग्रेस बता सकेगी कि हमारी सरकार नहीं है, हमारी बात नहीं मानी जाती, इसलिए हम सरकार में शामिल नहीं हुए। इससे कांग्रेस फिर से अपनी जनता के बीच अच्छी छवि बनाए रख सकेगी। कांग्रेस एक बार फिर चित भी मेरी पट भी मेरी का खेल खेल रही थी।
इस पर नीतीश और नायडू ने साफ कहा कि कांग्रेस का बाहरी समर्थन देने का रिकॉर्ड अच्छा नहीं है। उन्होंने ऐसे ही चरण सिंह, चंद्रशेखर, देवगौड़ा, गुजराल को बाहरी समर्थन दिया था और फिर अचानक वापस ले लिया था और इन सभी की सरकारें कुछ ही दिनों में गिर गई थीं। हम आपके साथ नहीं आएंगे, और वहां इतनी मजबूत विपक्ष होने पर मोदीजी शांत नहीं बैठेंगे। इतना ही नहीं, बिहार में भाजपा समर्थन वापस लेगी, यह अलग बात है और बिहार में तेजस्वी का मुख्यमंत्री पद का दावा पहले से ही था, जिससे नीतीश कुमार के सामने इधर कुआं उधर खाई जैसी स्थिति थी। सोचिए, नतीजे आने के दौरान कितनी तेजी से राजनीतिक घटनाक्रम पर्दे के पीछे चल रहा था। इसी वजह से नीतीश कुमार और नायडू ठंडे पड़ गए और उन्होंने मोदी और शाह से सरकार बनाने का अनुरोध किया और समर्थन देने का आश्वासन दिया।

गुज्जुभाई मन ही मन हंस रहे थे। उन्होंने यह सब जानबूझकर नाटक किया था। उन्हें एक तरफ इंडी दलों और सभी हितधारकों को दिखाना था कि 8500 रुपये प्रति माह और संपत्ति का समान वितरण का उनका वादा कितना फर्जी है। साथ ही, यह दिखाना था कि यह आने वाले इंडी गठबंधन सरकार के लिए कैसे गले की फांस है। उसी समय, एनडीए के दो प्रमुख घटक दल नीतीश और नायडू की बार्गेनिंग पॉवर कम करनी थी, इसलिए गुज्जुभाई ने हाथ ऊपर उठाकर देने का नाटक किया।
नीतीश और नायडू का दिमाग दो घंटे में ठिकाने पर लाना पहला काम था, जो सफल रहा। फिर अमित शाह ने दूसरा बम फेंका कि सीसीएस यानी कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी पूरी तरह भाजपा की होगी, मतलब गृह, वित्त, रक्षा और विदेश मंत्रालय हमारे पास रहेंगे। मरता क्या न करता, दोनों ने तुरंत सहमति दी। उसके बाद रात साढ़े सात बजे नरेंद्र मोदी भाजपा कार्यालय पहुंचे और उन्होंने सरकार बनाने का ऐलान किया। मोदी का भाषण कितना आत्मविश्वास से भरा था, यह आप याद करें।
इस तरह तेज राजनीतिक घटनाक्रम पर्दे के पीछे चल रहा था, जिसकी वजह से नीतीश कुमार बार-बार एनडीए की बैठक में कहते रहे कि सरकार जल्दी बनाओ और 9 जून की बजाय 8 जून को शपथ लो और हमारा टेंशन दूर करो।
इधर 5 जून और 6 जून को भी लखनऊ और बंगलोर में लोग बैंकों और कांग्रेस कार्यालयों में पैसे लेने आते रहे। भाजपा ने हवा फैला दी थी कि जाओ पैसे मिल रहे हैं।
इसीलिए शाम को इंडी गठबंधन की बैठक में यह निर्णय हुआ कि हम कोई फोड़-फोड़ न करें, नहीं तो हमें लोकक्षोभ का सामना करना पड़ेगा और बदनामी होगी और फिर जनता हम पर विश्वास नहीं करेगी। राहुल गांधी की जल्दी से 8500 रुपये वाली घोषणा ऐसी विपत्ति बन गई।

इसलिए खडगे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि हम सही समय आने पर भाजपा सरकार को हराएंगे और हम कोई सरकार नहीं बनाएंगे।
इसे चाणक्य नीति कहते हैं, एक पत्थर से दो पक्षी मारना। एनडीए में नीतीश और नायडू,

 इन दोनों पक्षों को गुज्जुभाई ने ठिकाने लगाया। आज 10 जून को घोषित मंत्रिमंडल के बंटवारे से पूरी स्थिति पर मोदी और शाह का नियंत्रण साबित होता है।
यह अटल और आडवाणी की भाजपा नहीं है, यह ध्यान में रखते हुए हमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
इसे ऑफेंसिव डिफेंस कहते हैं।
मोदी पूरी ताकत के साथ एक्शन में हैं।

बुधवार, 12 जून 2024

झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई (पुण्य तिथि) 12 जून विशेष

झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई (पुण्य तिथि) 12 जून विशेष 

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सिंहासन हिल उठे राजवंषों ने भृकुटी तानी थी,
बूढ़े भारत में आई फिर से नयी जवानी थी,
गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,
दूर फिरंगी को करने की सब ने मन में ठानी थी.
चमक उठी सन सत्तावन में, यह तलवार पुरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.

कानपुर के नाना की मुह बोली बहन छब्बिली थी,
लक्ष्मीबाई नाम, पिता की वो संतान अकेली थी,
नाना के सॅंग पढ़ती थी वो नाना के सॅंग खेली थी
बरछी, ढाल, कृपाण, कटारी, उसकी यही सहेली थी.
वीर शिवाजी की गाथाएँ उसकी याद ज़बानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.

लक्ष्मी थी या दुर्गा थी वो स्वयं वीरता की अवतार,
देख मराठे पुलकित होते उसकी तलवारों के वार,
नकली युध-व्यूह की रचना और खेलना खूब शिकार,
सैन्य घेरना, दुर्ग तोड़ना यह थे उसके प्रिय खिलवाड़.
महाराष्‍ट्रा-कुल-देवी उसकी भी आराध्या भवानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.

हुई वीरता की वैभव के साथ सगाई झाँसी में,
ब्याह हुआ बन आई रानी लक्ष्मी बाई झाँसी में,
राजमहल में बाजी बधाई खुशियाँ छायी झाँसी में,
सुघत बुंडेलों की विरूदावली-सी वो आई झाँसी में.
चित्रा ने अर्जुन को पाया, शिव से मिली भवानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.

उदित हुआ सौभाग्या, मुदित महलों में उजियली च्छाई,
किंतु कालगती चुपके-चुपके काली घटा घेर लाई,
तीर चलाने वाले कर में उसे चूड़ियाँ कब भाई,
रानी विधवा हुई है, विधि को भी नहीं दया आई.
निसंतान मारे राजाजी, रानी शोक-सामानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.

बुझा दीप झाँसी का तब डॅल्लूसियी मान में हरसाया,
ऱाज्य हड़प करने का यह उसने अच्छा अवसर पाया,
फ़ौरन फौज भेज दुर्ग पर अपना झंडा फेहराया,
लावारिस का वारिस बनकर ब्रिटिश राज झाँसी आया.
अश्रुपुर्णा रानी ने देखा झाँसी हुई वीरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.

अनुनय विनय नहीं सुनती है, विकट शासकों की मॅयैया,
व्यापारी बन दया चाहता था जब वा भारत आया,
डल्हौसि ने पैर पसारे, अब तो पलट गयी काया
राजाओं नव्वाबों को भी उसने पैरों ठुकराया.
रानी दासी बनी, बनी यह दासी अब महारानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.

छीनी राजधानी दिल्ली की, लखनऊ छीना बातों-बात,
क़ैद पेशवा था बिठुर में, हुआ नागपुर का भी घाट,
ऊदैपुर, तंजोर, सतारा, कर्नाटक की कौन बिसात?
जबकि सिंध, पंजाब ब्रह्म पर अभी हुआ था वज्र-निपात.
बंगाले, मद्रास आदि की भी तो वही कहानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.

रानी रोई रनवासों में, बेगम गुम सी थी बेज़ार,
उनके गहने कपड़े बिकते थे कलकत्ते के बाज़ार,
सरे आम नीलाम छपते थे अँग्रेज़ों के अख़बार,
"नागपुर के ज़ेवर ले लो, लखनऊ के लो नौलख हार".
यों पर्दे की इज़्ज़त परदेसी के हाथ बीकानी थी
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.

कुटियों में भी विषम वेदना, महलों में आहत अपमान,
वीर सैनिकों के मान में था अपने पुरखों का अभिमान,
नाना धूंधूपंत पेशवा जूटा रहा था सब सामान,
बहिन छबीली ने रण-चंडी का कर दिया प्रकट आहवान.
हुआ यज्ञा प्रारंभ उन्हे तो सोई ज्योति जगानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.

महलों ने दी आग, झोंपड़ी ने ज्वाला सुलगाई थी,
यह स्वतंत्रता की चिंगारी अंतरतम से आई थी,
झाँसी चेती, दिल्ली चेती, लखनऊ लपटें छाई थी,
मेरठ, कानपुर, पटना ने भारी धूम मचाई थी,
जबलपुर, कोल्हापुर, में भी कुछ हलचल उकसानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.

इस स्वतंत्रता महायज्ञ में काई वीरवर आए काम,
नाना धूंधूपंत, तांतिया, चतुर अज़ीमुल्ला सरनाम,
अहमदशाह मौलवी, ठाकुर कुंवर सिंह, सैनिक अभिराम,
भारत के इतिहास गगन में अमर रहेंगे जिनके नाम.
लेकिन आज जुर्म कहलाती उनकी जो क़ुर्बानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.

इनकी गाथा छोड़, चले हम झाँसी के मैदानों में,
जहाँ खड़ी है लक्ष्मीबाई मर्द बनी मर्दनों में,
लेफ्टिनेंट वॉकर आ पहुँचा, आगे बड़ा जवानों में,
रानी ने तलवार खींच ली, हुआ द्वंद्ध आसमानों में.
ज़ख़्मी होकर वॉकर भागा, उसे अजब हैरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.

रानी बढ़ी कालपी आई, कर सौ मील निरंतर पार,
घोड़ा थक कर गिरा भूमि पर, गया स्वर्ग तत्काल सिधार,
यमुना तट पर अँग्रेज़ों ने फिर खाई रानी से हार,
विजयी रानी आगे चल दी, किया ग्वालियर पर अधिकार.
अँग्रेज़ों के मित्र सिंधिया ने छोड़ी राजधानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.

विजय मिली, पर अँग्रेज़ों की फिर सेना घिर आई थी,
अबके जनरल स्मिथ सम्मुख था, उसने मुंहकी खाई थी,
काना और मंदरा सखियाँ रानी के संग आई थी,
यूद्ध क्षेत्र में ऊन दोनो ने भारी मार मचाई थी.
पर पीछे ह्यूरोज़ आ गया, हाय! घिरी अब रानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.

तो भी रानी मार काट कर चलती बनी सैन्य के पार,
किंतु सामने नाला आया, था वो संकट विषम अपार,
घोड़ा अड़ा, नया घोड़ा था, इतने में आ गये अवार,
रानी एक, शत्रु बहुतेरे, होने लगे वार-पर-वार.
घायल होकर गिरी सिंहनी, उसे वीर गति पानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.

रानी गयी सिधार चिता अब उसकी दिव्य सवारी थी,
मिला तेज से तेज, तेज की वो सच्ची अधिकारी थी,
अभी उम्र कुल तेईस की थी, मनुज नहीं अवतारी थी,
हमको जीवित करने आई बन स्वतंत्रता-नारी थी,
दिखा गयी पथ, सीखा गयी हमको जो सीख सिखानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.

जाओ रानी याद रखेंगे ये कृतज्ञ भारतवासी,
यह तेरा बलिदान जागावेगा स्वतंत्रता अविनासी,
होवे चुप इतिहास, लगे सच्चाई को चाहे फाँसी,
हो मदमाती विजय, मिटा दे गोलों से चाहे झाँसी.
तेरा स्मारक तू ही होगी, तू खुद अमिट निशानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी।
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ना तुम गलत,ना में...(यह बंधन तो..प्यार का बंधन है) -*रामानंद काबरा*

*ना तुम गलत,ना में..*.
(यह बंधन तो..प्यार का बंधन है)

*सन 1980 के आसपास*
 का समय था, एक दस्यु सुंदरी  फूलन देवी का नाम हरेक की जबान पर था। दस्यु सुंदरी  के रूप में कुख्यात ओर जिस पर 22 मर्दों की जान लेने,30  लूटपाट ओर 18 अपहरण के केस लगे होने के बाद भी जब उसने आत्मसमर्पण किया था,तब भी उसने कभी अपने को गुनाहगार नही माना,उसका कहना था,मेरी जगह कोई और होता तो भी ऐसा ही करता।
अब यदि यह भी इतने घोर अपराध करने के बाद में भी कोई अपने को गलत नही मानता तो क्या हम जिससे रोज संपर्क में आते है,क्या वो अपनी गलती मानने या आलोचना सुनने के लिए तैयार होगा?,हम किसी दूसरे की बात नही भी करे,अपने संव्य पर  लेके देखे तो क्या हम कभी किसी विवाद या मतभेद पर अपने को गलत मानते है? सच्चाई यह है कि हमे किसी की गलती निकालनी हो तो  हम प्रधानमंत्री से लेकर एक सन्तरी तक कि निकाल देंगे,लेकिन कोई यदि हमारी निकालने लग जाये तो क्या हम बरदास्त कर पाते है?
हां, कोई भी-शिकायत आलोचना या बुराई यदि हम गलत है तो भी सुनना पसंद नही करते।कोई कह भी देगा तो हम तुरन्त रिएक्ट करेंगे, तो क्या इसका मतलब गलतियां होती ही नही है? लेकिन किसी के द्वारा की गई आलोचना हमारे अहंकार को चोट पहुंचाती है..  इसलिए हम बहस करते रहेंगे,चिलम चिलो करते रहंगे..जोर शोर से अपना पक्ष रखते रहेंगे।रिश्तो की बलि ले लेंगे। पर झुकना स्वीकार नही करेंगे।
तो सवाल आता है?फिर समाधान कैसे हो? क्या फिर हर दिन संबंधों को कसौटी पर लगाते रहे?रिश्ते दांव पर लगाते रहे?
 *2020 में 3 कर्षि कानूनों को लेकर पंजाब हरियाणा दिल्ली बॉर्डर पर जबरदस्त  किसान आंदोलन हूवा।यह बहुत लंबा खींचता जा रहा था*।आम नागरिकों को भी बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा था, आंदोलन में बहुत सी अप्रिय घटनाएं भी हुई। विपक्ष ने खूब हवा दी।और पीछे से मदद भी की..भारत सरकार को इसे सख्ती से कुचलना नही था,क्योंकि मोदी जी की यह कार्यप्रणाली का हिस्सा नही है। फिर 26 जनवरी का कांड भी हो गया..
अनेक वार्ताएं भी हुई..किसान टस से मस नही हो रहा था,प्रधान मंत्री जी  एक दिन रेडियो पर आकर घोषणा कर दी,हम किसानों की बेहतरी के लिए 3 कानून लेके आये थे,लेकिन शायद हम उनको ठीक से समझा नही सके,इसलिए इन कानूनों को हम वापस लेते है।
*ओर देखते ही देखते इस आंदोलन की हवा निकल गयी*।
ऐसा रिश्तो में,परस्पर संबंधों में जब हम विवाद को बहुत खींच लेते है,तो उसके दुष्परिणाम सामने आने लगते है।आज जो  परिवारों में,पति पत्नियों के मध्य ,भाई भाई के मध्य,पड़ोसियों के मध्य ,एक समुदाय से दूसरे समुदाय के मध्य किसी भी गलत फहमी को लेकर तलवारे खींच जाती है।और जब कोई विवेक पूर्ण ढंग से इसका समय पर हल नही खोजता तो, उसके बड़े नुकशान सामने आते है।
*अभी लोकसभा के चुनाव में राजकोट के सांसद रुपाला जी ने कोई विवादास्पद बयान दे दिया*..देश की एक मार्शल कोम को यह नागवारा गुजरा..उनके स्वाभिमान को आहत करने वाला और  गैर जरुरी बयान था।रुपाला जी ने स्पष्ठ भी किया, माफी भी मांगी,ओर यह साबित करने की कोशिश करते रहे कि,उनका अभिप्राय यह नही था। *लेकिन उनकी पार्टी ने उनके खिलाफ कोई एक्शन नही लिया तो,चुनावो में भाजपा को केवल इस बात के लिए  इतना बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ा*। चुनाव 2024 के क्लीन स्वीप सा माहौल को एक बड़ी कोम की नाराजगी को सही वक्त पर संतुष्ठ ओर उचित कदम नही उठाने से इस चुनाव को संघर्ष मय बना दिया।बल्कि विलुप्त होरहे विपक्ष को वापस प्राण वायु दे दी।
  *आज कोडक, एच एम टी, अम्बेसेडर जैसी एक समय की मार्किट की लीडिंग कम्पनियों के सीईओ को जब अपने  उत्पाद में नवाचार संबंधी कोई सुझाव होता तो वो ध्यान ही नही धरते*, ओर अपने को सही मानते रहते..कालांतर हमने देखा सभी फेल हो गए।यही दूसरी तरफ  हर जापानियों के खून में है कि वो गलतियो को मूल्यवान मानते है।और वे गलती खोजने को अपनी उपलब्धि जैसा मानते है,क्योंकि यही भाव उसके सुधार की कुंजी है।और इसीलिए *मेड इन जापान* लिखा देखने के बाद  गुणवत्ता के लिए चिंता का कोई अवसर ही नही होता।
यह तमाम बातें ,हमारे जीवन के व्यवहार,आचरण और समझ के हिस्से है।जो जितना जल्दी इनको समझ लेता है,जो ढल जाता है,जो सुधार आमंत्रित कर लेता है..इसका  इतना सा  अर्थ है कि वो *अपने जीवन को सुंदर ओर सुखमय बना लेता है। जो लोग रिश्तो में जिद कर लेते है,उनके रिश्ते बिगड़ जाते है, रिश्तो में प्रेम ओर उनको अटूट बनाये रखने के लिए जिद छोड़ देनी चाहिए।जीवन मे सुख शांति और प्रेम चाहते है तो लोगो के सामने झुकना सीखे।यदि हम प्रेम से आज झुक रहे है तो कल वो भी झुकेंगे*।
हम रिश्तो को ही नही,संस्कृति को बचा रहे होते है।
यह नींर्णय की कौन गलत कोन सही..इसकी कोई अहमियत नही है।इसका कोई मूल्य नही।

*रामानंद काबरा*

मंगलवार, 11 जून 2024

"सेंधा नमक के साथ इन अंग्रेजो ने कैसे किया था खिलवाड़ " भारत से कैसे गायब कर दिया गया... आप सोच रहे होंगे की ये सेंधा नमक बनता कैसे है ?? आइये आज हम आपको बताते है कि नमक मुख्यत: कितने प्रकार का होता है।

"सेंधा नमक के साथ इन अंग्रेजो ने कैसे किया था खिलवाड़ " 
भारत से कैसे गायब कर दिया गया... आप सोच रहे होंगे की ये सेंधा नमक बनता कैसे है ?? आइये आज हम आपको बताते है कि नमक मुख्यत: कितने प्रकार का होता है। एक होता है समुद्री नमक, दूसरा होता है सेंधा नमक "rock salt"सेंधा नमक बनता नहीं है पहले से ही बना बनाया है। पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज पत्थर के नमक को ‘सेंधा नमक’ या ‘सैन्धव नमक’, लाहोरी नमक आदि आदि नाम से जाना जाता है जिसका मतलब है ‘सिंध या सिन्धु के इलाक़े से आया हुआ’। वहाँ नमक के बड़े बड़े पहाड़ है सुरंगे है । वहाँ से ये नमक आता है। मोटे मोटे टुकड़ो मे होता है आजकल पीसा हुआ भी आने लगा है यह ह्रदय के लिये उत्तम, दीपन और पाचन मे मदद रूप, त्रिदोष शामक, शीतवीर्य अर्थात ठंडी तासीर वाला, पचने मे हल्का है । इससे पाचक रस बढ़ते हैं। अतः: आप ये समुद्री नमक के चक्कर से बाहर निकले। काला नमक ,सेंधा नमक प्रयोग करे, क्यूंकि ये प्रकृति का बनाया है, भारत मे 1930 से पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था विदेशी कंपनीयां भारत में नमक के व्यापार मे आज़ादी के पहले से उतरी हुई है , उनके कहने पर ही भारत के अँग्रेजी प्रशासन द्वारा भारत की भोली भाली जनता को आयोडिन मिलाकर समुद्री नमक खिलाया जा रहा है, हुआ ये कि जब ग्लोबलाईसेशन के बाद बहुत सी विदेशी कंपनियों अन्नपूर्णा,कैप्टन कुक ने नमक बेचना शुरू किया तब ये सारा खेल शुरू हुआ ! अब समझिए खेल क्या था ?? खेल ये था कि विदेशी कंपनियो को नमक बेचना है और बहुत मोटा लाभ कमाना है और लूट मचानी है तो पूरे भारत में एक नई बात फैलाई गई कि आयोडीन युक्त नामक खाओ , आयोडीन युक्त नमक खाओ ! आप सबको आयोडीन की कमी हो गई है। ये सेहत के लिए बहुत अच्छा है आदि आदि बातें पूरे देश में प्रायोजित ढंग से फैलाई गई । और जो नमक किसी जमाने में 2 से 3 रूपये किलो में बिकता था । उसकी जगह आयोडीन नमक के नाम पर सीधा भाव पहुँच गया 8 रूपये प्रति किलो और आज तो 20 रूपये को भी पार कर गया है।
दुनिया के 56 देशों ने अतिरिक्त आयोडीन युक्त नमक 40 साल पहले बैन कर दिया अमेरिका में नहीं है जर्मनी मे नहीं है फ्रांस में नहीं ,डेन्मार्क में नहीं , डेन्मार्क की सरकार ने 1956 में आयोडीन युक्त नमक बैन कर दिया क्यों ?? उनकी सरकार ने कहा हमने आयोडीन युक्त नमक खिलाया !(1940 से 1956 तक ) अधिकांश लोग नपुंसक हो गए ! जनसंख्या इतनी कम हो गई कि देश के खत्म होने का खतरा हो गया ! उनके वैज्ञानिकों ने कहा कि आयोडीन युक्त नमक बंद करवाओ तो उन्होने बैन लगाया। और शुरू के दिनों में जब हमारे देश में ये आयोडीन का खेल शुरू हुआ इस देश के बेशर्म नेताओं ने कानून बना दिया कि बिना आयोडीन युक्त नमक भारत में बिक नहीं सकता । वो कुछ समय पूर्व किसी ने कोर्ट में मुकदमा दाखिल किया और ये बैन हटाया गया।
आज से कुछ वर्ष पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था सब सेंधा नमक ही खाते थे ।
सेंधा नमक के फ़ायदे:- सेंधा नमक के उपयोग से रक्तचाप और बहुत ही गंभीर बीमारियों पर नियन्त्रण रहता है क्योंकि ये अम्लीय नहीं ये क्षारीय है (alkaline) क्षारीय चीज जब अमल मे मिलती है तो वो न्यूटल हो जाता है और रक्त अमलता खत्म होते ही शरीर के 48 रोग ठीक हो जाते हैं, ये नमक शरीर मे पूरी तरह से घुलनशील है । और सेंधा नमक की शुद्धता के कारण आप एक और बात से पहचान सकते हैं कि उपवास ,व्रत में सब सेंधा नमक ही खाते है। तो आप सोचिए जो समुद्री नमक आपके उपवास को अपवित्र कर सकता है वो आपके शरीर के लिए कैसे लाभकारी हो सकता है ??
सेंधा नमक शरीर में 97 पोषक तत्वों की कमी को पूरा करता है ! इन पोषक तत्वों की कमी ना पूरी होने के कारण ही लकवे (paralysis)  का अटैक आने का सबसे बडा जोखिम होता है सेंधा नमक के बारे में आयुर्वेद में बोला गया है कि यह आपको इसलिये खाना चाहिए क्योंकि सेंधा नमक वात, पित्त और कफ को दूर करता है।
यह पाचन में सहायक होता है और साथ ही इसमें पोटैशियम और मैग्नीशियम पाया जाता है जो हृदय के लिए लाभकारी होता है। यही नहीं आयुर्वेदिक औषधियों में जैसे लवण भास्कर, पाचन चूर्ण आदि में भी प्रयोग किया जाता है।
समुद्री नमक के भयंकर नुकसान :- ये जो समुद्री नमक है आयुर्वेद के अनुसार ये तो अपने आप में ही बहुत खतरनाक है! क्योंकि कंपनियाँ इसमें अतिरिक्त आयोडीन डाल रही है। अब आयोडीन भी दो तरह का होता है एक तो भगवान का बनाया हुआ जो पहले से नमक में होता है । दूसरा होता है “industrial iodine”  ये बहुत ही खतरनाक है। तो समुद्री नमक जो पहले से ही खतरनाक है उसमे कंपनिया अतिरिक्त industrial iodine डाल को पूरे देश को बेच रही है। जिससे बहुत सी गंभीर बीमरियां हम लोगों को आ रही है । ये नमक मानव द्वारा फ़ैक्टरियों में निर्मित है।

आम तौर से उपयोग मे लाये जाने वाले समुद्री नमक से उच्च रक्तचाप (high BP ) ,डाइबिटीज़, आदि गंभीर बीमारियो का भी कारण बनता है । इसका एक कारण ये है कि ये नमक अम्लीय (acidic) होता है । जिससे रक्त अम्लता बढ़ती है और रक्त अमलता बढ्ने से ये सब 48 रोग आते है । ये नमक पानी कभी पूरी तरह नहीं घुलता हीरे (diamond ) की तरह चमकता रहता है इसी प्रकार शरीर के अंदर जाकर भी नहीं घुलता और अंत इसी प्रकार किडनी से भी नहीं निकल पाता और पथरी का भी कारण बनता है ।
रिफाइण्ड नमक में 98% सोडियम क्लोराइड ही है शरीर इसे विजातीय पदार्थ के रुप में रखता है। यह शरीर में घुलता नही है। इस नमक में आयोडीन को बनाये रखने के लिए Tricalcium Phosphate, Magnesium Carbonate, Sodium Alumino Silicate जैसे रसायन मिलाये जाते हैं जो सीमेंट बनाने में भी इस्तेमाल होते है। विज्ञान के अनुसार यह रसायन शरीर में रक्त वाहिनियों को कड़ा बनाते हैं, जिससे ब्लाक्स बनने की संभावना और आक्सीजन जाने में परेशानी होती है। जोड़ो का दर्द और गठिया, प्रोस्टेट आदि होती है। आयोडीन नमक से पानी की जरुरत ज्यादा होती है, एक  ग्राम नमक अपने से 23 गुना अधिक पानी खींचता है। यह पानी कोशिकाओं के पानी को कम करता है, इसी कारण हमें प्यास ज्यादा लगती है।
आप इस अतिरिक्त आयोडीन युक्त समुद्री नमक खाना छोड़िए और उसकी जगह सेंधा नमक खाइये !! सिर्फ आयोडीन के चक्कर में समुद्री नमक खाना समझदारी नहीं है, क्योंकि जैसा हमने ऊपर बताया आयोडीन हर नमक में होता है सेंधा नमक में भी आयोडीन होता है बस फर्क इतना है इस सेंधा नमक में प्रकृति के द्वारा बनाया आयोडीन होता है इसके इलावा आयोडीन हमें आलू, अरवी के साथ-साथ हरी सब्जियों से भी मिल जाता है।

सोमवार, 10 जून 2024

क्या भगवान शिव को अर्पित नैवेद्य ग्रहण करना चाहिए?

क्या भगवान शिव को अर्पित नैवेद्य ग्रहण करना चाहिए?
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सौवर्णे नवरत्नखण्ड रचिते पात्रे घृतं पायसं
भक्ष्यं पंचविधं पयोदधियुतं रम्भाफलं पानकम्।
शाकानामयुतं जलं रुचिकरं कर्पूरखण्डोज्ज्वलं
ताम्बूलं मनसा मया विरचितं भक्त्या प्रभो।। स्वीकुरु॥
*शिवमानसपूजा*

"मैंने नवीन रत्नजड़ित सोने के बर्तनों में घीयुक्त खीर, दूध, दही के साथ पाँच प्रकार के व्यंजन, केले के फल, शर्बत, अनेक तरह के शाक, कर्पूर की सुगन्धवाला स्वच्छ और मीठा जल और ताम्बूल — ये सब मन से ही बनाकर आपको अर्पित किया है। भगवन्! आप इसे स्वीकार कीजिए।"

सृष्टि के आरम्भ से ही समस्त देवता, ऋषि-मुनि, असुर, मनुष्य विभिन्न ज्योतिर्लिंगों, स्वयम्भूलिंगों, मणिमय, रत्नमय, धातुमय और पार्थिव आदि लिंगों की उपासना करते आए हैं। अन्य देवताओं की तरह शिवपूजा में भी नैवेद्य निवेदित किया जाता है। पर शिवलिंग पर चढ़े हुए प्रसाद पर *चण्ड* का अधिकार होता है।

गणों के स्वामी *चण्ड* भगवान शिवजी के मुख से प्रकट हुए हैं। ये सदैव शिवजी की आराधना में लीन रहते हैं और *भूत-प्रेत, पिशाच* आदि के स्वामी हैं। *चण्ड* का भाग ग्रहण करना यानी *भूत-प्रेतों का अंश खाना* माना जाता है।

शिव-नैवेद्य ग्राह्य और अग्राह्य
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शिवपुराण की *विद्येश्वरसंहिता* के २२वें अध्याय में इसके सम्बन्ध में स्पष्ट कहा गया है —

चण्डाधिकारो यत्रास्ति तद्भोक्तव्यं न मानवै:।
चण्डाधिकारो नो यत्र भोक्तव्यं तच्च भक्तित:॥ (२२।१६)

"जहाँ चण्ड का अधिकार हो, वहाँ शिवलिंग के लिए अर्पित नैवेद्य मनुष्यों को ग्रहण नहीं करना चाहिए। जहाँ चण्ड का अधिकार नहीं है, वहाँ का शिव-नैवेद्य मनुष्यों को ग्रहण करना चाहिए।"

किन शिवलिंगों के नैवेद्य में चण्ड का अधिकार नहीं है?

इन लिंगों के प्रसाद में *चण्ड* का अधिकार नहीं है, अत: ग्रहण करने योग्य है।

ज्योतिर्लिंग —बारह ज्योतिर्लिंगों (सौराष्ट्र में *सोमनाथ*, श्रीशैल में *मल्लिकार्जुन*, उज्जैन में *महाकाल*, ओंकार में *परमेश्वर*, हिमालय में *केदारनाथ*, डाकिनी में *भीमशंकर*, वाराणसी में *विश्वनाथ*, गोमतीतट में *त्र्यम्बकेश्वर*, चिताभूमि में *वैद्यनाथ*, दारुकावन में *नागेश्वर*, सेतुबन्ध में *रामेश्वर* और शिवालय में *द्युश्मेश्वर*) का नैवेद्य ग्रहण करने से सभी पाप भस्म हो जाते हैं।

शिवपुराण की *विद्येश्वरसंहिता* में कहा गया है कि *काशी विश्वनाथ* के स्नानजल का तीन बार आचमन करने से शारीरिक, वाचिक व मानसिक तीनों पाप शीघ्र ही नष्ट हो जाते हैं।

*स्वयम्भूलिंग* — जो लिंग भक्तों के कल्याण के लिए स्वयं ही प्रकट हुए हैं, उनका नैवेद्य ग्रहण करने में कोई दोष नहीं है।

*सिद्धलिंग* — जिन लिंगों की उपासना से किसी ने सिद्धि प्राप्त की है या जो सिद्धों द्वारा प्रतिष्ठित हैं, जैसे — *काशी* में शुक्रेश्वर, वृद्धकालेश्वर, सोमेश्वर आदि लिंग देवता-सिद्ध-महात्माओं द्वारा प्रतिष्ठित और पूजित हैं, उन पर चण्ड का अधिकार नहीं है, अत: उनका नैवेद्य सभी के लिए ग्रहण करने योग्य है।

*बाणलिंग (नर्मदेश्वर)* — बाणलिंग पर चढ़ाया गया सभी कुछ जल, बेलपत्र, फूल, नैवेद्य — प्रसाद समझकर ग्रहण करना चाहिए।

जिस स्थान पर (गण्डकी नदी) शालग्राम की उत्पत्ति होती है, वहाँ के उत्पन्न शिवलिंग, पारदलिंग, पाषाणलिंग, रजतलिंग, स्वर्णलिंग, केसर के बने लिंग, स्फटिकलिंग और रत्नलिंग इन सब शिवलिंगों के लिए समर्पित नैवेद्य को ग्रहण करने से चान्द्रायण व्रत के समान फल प्राप्त होता है।

शिवपुराण के अनुसार भगवान शिव की मूर्तियों में चण्ड का अधिकार नहीं है, अत: इनका प्रसाद लिया जा सकता है।

‘प्रतिमासु च सर्वासु न, चण्डोऽधिकृतो भवेत्॥

जिस मनुष्य ने शिव-मन्त्र की दीक्षा ली है, वे सब शिवलिंगों का नैवेद्य ग्रहण कर सकता है। उस शिवभक्त के लिए यह नैवेद्य ‘महाप्रसाद’ है। जिन्होंने अन्य देवता की दीक्षा ली है और भगवान शिव में भी प्रीति है, वे ऊपर बताए गए सब शिवलिंगों का प्रसाद ग्रहण कर सकते हैं।

शिव-नैवेद्य कब नहीं ग्रहण करना चाहिए?
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शिवलिंग के ऊपर जो भी वस्तु चढ़ाई जाती है, वह ग्रहण नहीं की जाती है। जो वस्तु शिवलिंग से स्पर्श नहीं हुई है, अलग रखकर शिवजी को निवेदित की है, वह अत्यन्त पवित्र और ग्रहण करने योग्य है।

जिन शिवलिंगों का नैवेद्य ग्रहण करने की मनाही है वे भी शालग्राम शिला के स्पर्श से ग्रहण करने योग्य हो जाते हैं।

शिव-नैवेद्य की महिमा
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जिस घर में भगवान शिव को नैवेद्य लगाया जाता है या कहीं और से शिव-नैवेद्य प्रसाद रूप में आ जाता है वह घर पवित्र हो जाता है। आए हुए शिव-नैवेद्य को प्रसन्नता के साथ भगवान शिव का स्मरण करते हुए मस्तक झुका कर ग्रहण करना चाहिए।

आए हुए नैवेद्य को *‘दूसरे समय में ग्रहण करूँगा’*, ऐसा सोचकर व्यक्ति उसे ग्रहण नहीं करता है, वह पाप का भागी होता है।

जिसे शिव-नैवेद्य को देखकर खाने की इच्छा नहीं होती, वह भी पाप का भागी होता है।

शिवभक्तों को शिव-नैवेद्य अवश्य ग्रहण करना चाहिए क्योंकि शिव-नैवेद्य को देखने मात्र से ही सभी पाप दूर हो जाते है, ग्रहण करने से करोड़ों पुण्य मनुष्य को अपने-आप प्राप्त हो जाते हैं।

शिव-नैवेद्य ग्रहण करने से मनुष्य को हजारों यज्ञों का फल और शिव सायुज्य की प्राप्ति होती है।

शिव-नैवेद्य को श्रद्धापूर्वक ग्रहण करने व स्नानजल को तीन बार पीने से मनुष्य ब्रह्महत्या के पाप से मुक्त हो जाता है।

मनुष्य को इस भावना का कि भगवान शिव का नैवेद्य अग्राह्य है, मन से निकाल देना चाहिये क्योंकि 'कर्पूरगौरं करुणावतारम्' शिव तो सदैव ही कल्याण करने वाले हैं। जो *‘शिव’* का केवल नाम ही लेते है, उनके घर में भी सब मंगल होते हैं।

*सुमंगलं तस्य गृहे विराजते।*
*शिवेति वर्णैर्भुवि यो हि भाषते।
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शनिवार, 8 जून 2024

जानबूझकर यह नैरेटिव सेट किया जा रहा* है कि बीजेपी ने अयोध्या खो दी है. *फैजाबाद नाम का उपयोग नहीं किया गया है और अयोध्या का उपयोग किया गया है।*

*🙏🏻एक बार जरूर ध्यान से पढ़े🙏🏻*

*नेरेटीव कैसे सेट किया जाता है इसका सटीक विश्लेषण*:✍️
 *" बीजेपी अयोध्या नही,बल्कि फैजाबाद (फैजाबाद में पांच विधानसभा है जिस में अयोध्या केवल एक है!!🙄)की सीट हारी है!लेकिन लोग अयोध्या न जाए इसलिए यह भ्रम जानबूझकर फैला रहे है।*"😳


२) *अयोध्या के( राम लहर के कारण ही) वजह से ही पूरे भारत में तीसरी बार बीजेपी सरकार बनाने जा रही है।भगवान श्रीराम  और अयोध्या के वजह से ही बीजेपी आज भी  तीसरी बार सरकार बना रही है।यह भी दुरुस्त करे*.....!!👆👆👆👆🙏

३)  बीजेपी अयोध्या हारी है ,यह खबर इतनी वायरल की गई कि *किसी को एक पल के लिए भी नहीं लगा कि अयोध्या नाम की कोई सीट है ही नहीं. इस सीट का नाम फैजाबाद है*। 😳
४) यहां तक कि अधिकांश आरडब्ल्यू भी इस कथा के झांसे में आ जाते हैं। 
बीजेपी ने अयोध्या की सीट नहीं हारी है, *फैजाबाद की सीट हारी है.*
५) अयोध्या फैजाबाद संसदीय क्षेत्र का छोटा सा हिस्सा है. फ़ैज़ाबाद के अंतर्गत 5 विधानसभा क्षेत्र हैं। अयोध्या 5 में से एक है. अयोध्या विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी को बढ़त मिली है जबकि बाकी 4 सीटों पर बीजेपी को एसपी से कम वोट मिले हैं.

५) *इसलिए बीजेपी ने अयोध्या नहीं खोई है. यह जीत गया है.*

६) *लेकिन जानबूझकर यह नैरेटिव सेट किया जा रहा* है कि बीजेपी ने अयोध्या खो दी है. *फैजाबाद नाम का उपयोग नहीं किया गया है और अयोध्या का उपयोग किया गया है।* 
७) *यूपी में बीजेपी की भारी हार हुई तो यह स्वाभाविक है कि पूरे भारत में बीजेपी समर्थक नाखुश और नाराज होंगे।लेकिन बीजेपी यूपी में 44 सीटें हार गई(वह भी इसलिए की क्षेत्रीय समस्या को नजरंदाज किया गया,ऐसे उम्मीदवार खड़े किए जिसे लोग जानते ही नहीं थे।), *केवल एक सीट को हाइलाइट किया गया और दिखाया गया कि हिंदुओं ने "अयोध्या" खो दी।*
८) *और ये सब उन लोगों ने किया है जिन्होंने आखिरी दिन तक राम मंदिर का विरोध किया. वे दर्शन के लिए भी नहीं गए*।
श्री राम के अस्तित्व पर संदेह करने वालों द्वारा ऐसी कहानी गढ़ी जाती है, मानो बाबर फिर से आ गया हो। 

९) *अब इस पर ध्यान दें - जब हम कहते हैं कि बीजेपी फ़ैज़ाबाद में हार गई, तो यह उसी तरह है जैसे बीजेपी ग़ाज़ीपुर, बारामूला, हैदराबाद, मुर्शिदाबाद (नाम पर भी गौर करें)आदि में हार गई। क्या आप समझते हैं?*

१०) लेकिन जब यह कहा जाता है कि बीजेपी ने अयोध्या खो दी तो संदेश अलग अर्थ लेकर जाता है. अयोध्या का संबंध श्री राम से है. यह हिंदू जागृति से जुड़ा है। अयोध्या शब्द सुनते ही हमारे मन में कई भावनाएँ उभर आती हैं। 

११) *दूसरी बात यह है कि हम आरडब्ल्यू किसी ऐसी चीज पर प्रतिबंध लगाने या उसका बहिष्कार करने में माहिर हैं जो हमें पसंद नहीं है। हम बिना किसी हिचकिचाहट के चीजों/व्यक्तियों पर प्रतिबंध लगाते हैं, उनका बहिष्कार करते हैं।*

शत्रु खेमे (आई.एन.डी.आई.) ने इस मानसिकता का बेहतरीन इस्तेमाल किया🤦🏻‍♀️

१२) *उन्होंने ऐसे पोस्ट/संदेश बनाए -  - हम अयोध्या नहीं जाएंगे यानी अयोध्या पर प्रतिबंध लगाओ'' कुछ बेवकूफों ने तो अपने टिकट भी कैंसिल कर दिए हैं*।

- अगर हम अयोध्या जाएंगे भी तो वहां रुकेंगे नहीं, वहां खाना नहीं खाएंगे, वहां शॉपिंग नहीं करेंगे वगैरह-वगैरह।

आरडब्ल्यू ने इसे उठाया और वायरल कर दिया। 

१३) *अरे जरा सोचो. आप अयोध्या में नहीं रहेंगे तो कहां रहेंगे? जाहिर तौर पर नजदीकी शहर फैजाबाद में जहां जिहादी मानसिकता वाले  संख्या में अधिक हैं, इसलिए वे हमारा पैसा कमाएंगे।*
१४) *इसका मतलब है कि पहले हिंदुओं को अयोध्या न आने के लिए उकसाएं, और अगर कोई जाए तो उन्हें अयोध्या में पैसा खर्च न करने के लिए उकसाएं, जहां हिंदू व्यापार करते हैं। परिणाम - स्थानीय हिंदुओं और आगंतुक हिंदुओं के बीच अविश्वास पैदा करना।*

१५) *बस एक प्रश्न - दक्षिण गोवा में भी भाजपा हार गई। आपमें से कितने लोग दक्षिण गोवा जाना बंद कर देंगे*?🤔 

१६) *नेरेटीव  को समझो और बहकावे में मत आओ*🙏

१७) *"भगवान श्रीराम और अयोध्या  के वजह से ही आज भारत में एक हिंदू शासक अपनी तीसरी बहुमत वाली मजबूत सरकार बनाने जा रहे हैं।*

*इसलिए भगवान श्रीराम और अयोध्या के साथ डट के खड़े रहे, नेरेटिव के झांसे में न आए।अयोध्या जाए ,भगवान श्रीराम जी का दर्शन करे।*🚩🚩🚩

*जय श्री राम* 🚩🚩🚩🚩🚩

शनिवार को भाग्योन्नति का उपाय

शनिवार को भाग्योन्नति का उपाय
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शनि देव सभी नवग्रहों में कुछ विशेष स्थान रखते हैं इसलिए हर जातक इनसे डरता है क्योंकि इन्हें इस संसार में न्यायाधिश होने का पद प्राप्त है। शनिदेव ही व्यक्ति के सभी अच्छे-बुरे कर्मों का फल प्रदान करते हैं। साढ़ेसाती और ढैय्या के काल में शनि राशि विशेष के लोगों को उनके कर्मों का फल देते हैं। यदि किसी व्यक्ति ने जाने-अनजाने कोई दुष्कर्म किया है तो शनिदेव उस व्यक्ति को उसके दुष्कर्मों की निश्चित सजा देते हैं। इसी कारण ज्योतिषशास्त्र में शनिदेव को क्रूर ग्रह भी माना जाता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार सूर्य पुत्र शनि ग्रह सबसे खतरनाक है। शास्त्रों ने इनका बखान हानिकर और एक सख़्त शिक्षक के रूप में किया है जो की धैर्य, प्रयास और धीरज का प्रतिनिधित्व करते हैं। शनि का कुंडली में बिगाड़ना जीवन में दुर्भाग्य लाता है। शनि ऐसा ग्रह है जिसके प्रति सभी का डर सदैव बना रहता है। शनि के कारण पूरे जीवन की दिशा, सुख-दुख आदि बातें निर्धारित होती हैं। शनि को कष्टप्रदाता भी माना जाता है।

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार ताला और चाबी क्रमश: शनि और शुक्र की कारक वस्तुएं होती है। शास्त्रों में शनि को ताला अौर शुक्र को उस ताले की चाबी कहा गया है। ताले का कार्य है चीजों को सुरक्षा प्रदान करना परंतु ताले को अवरोध की संज्ञा भी दी गई है। अगर आप से चाबी बार-बार कहीं खो जाती है। तो आपको सावधान हो जाना चाहिए। शुक्र और शनि के प्रभाव से आपकी गोपनियता को खतरा हो सकता है। ये संकेत है कि आने वाले दिनों में आपको उधार दिए गए पैसों से संबंधित परेशानियां हो सकती हैं आपका पैसा डूब सकता है। शुक्र-शनि का ये संकेत धन संबंधित रूकावटें और परेशानियों की तरफ इशारा करता है। चाबी के बार-बार खो जाने से आपके जीवन के गातिमान विषयों में रूकावटें आने लगती है। अगर आपके दैनिक जीवन में ताले और चाबी से संबंधित समस्या हो तो समझ लेना चाहिए कि गोचर में यानि वर्तमान में शुक्र और शनि की स्थिति आपके अनुकूल नहीं है।

अगर कभी-कभी आपसे चाबी खो जाती है तो ये साधारण बात है लेकिन अक्सर आपके साथ ऐसा होता है तो ये र्सिफ भूलने की बीमारी या आदत नहीं है। चाबी के गुम हो जाने में भविष्य में होने वाली घटना का संकेत छुपा होता है। चाबी का खोना स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं की तरफ भी इशारा करता है। शुक्र और शनि के प्रभाव से आपको पेट और शरीर के गुप्त स्थानों से संबंधित रोग होने की संभावना रहती है। अगर आपके जीवन में शनि या शुक्र से संबंधित कुछ परेशानी आ रही है जिसके कारण नौकरी, करियर या कारोबार में अनियमितता आ रही है तो इस के लिए आपको एक आसान उपाय बताने दे रहे हैं। 

👉उपाय: 👇
सबसे पहले आप ताले की दुकान पर जाकर लोहे का ताला खरीद लें परंतु ध्यान रखें ताला बंद होना चाहिए खुला ताला नहीं। ताला खरीदते समय उसे न दुकानदार को खोलने दें और न आप खुद खोलें। ताला सही है या नहीं यह जांचने के लिए भी न खोलें। बस बंद ताले को खरीदकर ले आएं। उसे ताले को एक डिब्बे में रखें और शुक्रवार की रात को ही अपने सोने वाले कमरे में बिस्तर के पास रख लें। शनिवार सुबह उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर ताले को बिना खोले किसी मंदिर या देवस्थान पर रख दें। ताले को रखकर बिना कुछ बोले, बिना पलटें वापिस अपने घर आ जाए।
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