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बुधवार, 12 जून 2024

ना तुम गलत,ना में...(यह बंधन तो..प्यार का बंधन है) -*रामानंद काबरा*

*ना तुम गलत,ना में..*.
(यह बंधन तो..प्यार का बंधन है)

*सन 1980 के आसपास*
 का समय था, एक दस्यु सुंदरी  फूलन देवी का नाम हरेक की जबान पर था। दस्यु सुंदरी  के रूप में कुख्यात ओर जिस पर 22 मर्दों की जान लेने,30  लूटपाट ओर 18 अपहरण के केस लगे होने के बाद भी जब उसने आत्मसमर्पण किया था,तब भी उसने कभी अपने को गुनाहगार नही माना,उसका कहना था,मेरी जगह कोई और होता तो भी ऐसा ही करता।
अब यदि यह भी इतने घोर अपराध करने के बाद में भी कोई अपने को गलत नही मानता तो क्या हम जिससे रोज संपर्क में आते है,क्या वो अपनी गलती मानने या आलोचना सुनने के लिए तैयार होगा?,हम किसी दूसरे की बात नही भी करे,अपने संव्य पर  लेके देखे तो क्या हम कभी किसी विवाद या मतभेद पर अपने को गलत मानते है? सच्चाई यह है कि हमे किसी की गलती निकालनी हो तो  हम प्रधानमंत्री से लेकर एक सन्तरी तक कि निकाल देंगे,लेकिन कोई यदि हमारी निकालने लग जाये तो क्या हम बरदास्त कर पाते है?
हां, कोई भी-शिकायत आलोचना या बुराई यदि हम गलत है तो भी सुनना पसंद नही करते।कोई कह भी देगा तो हम तुरन्त रिएक्ट करेंगे, तो क्या इसका मतलब गलतियां होती ही नही है? लेकिन किसी के द्वारा की गई आलोचना हमारे अहंकार को चोट पहुंचाती है..  इसलिए हम बहस करते रहेंगे,चिलम चिलो करते रहंगे..जोर शोर से अपना पक्ष रखते रहेंगे।रिश्तो की बलि ले लेंगे। पर झुकना स्वीकार नही करेंगे।
तो सवाल आता है?फिर समाधान कैसे हो? क्या फिर हर दिन संबंधों को कसौटी पर लगाते रहे?रिश्ते दांव पर लगाते रहे?
 *2020 में 3 कर्षि कानूनों को लेकर पंजाब हरियाणा दिल्ली बॉर्डर पर जबरदस्त  किसान आंदोलन हूवा।यह बहुत लंबा खींचता जा रहा था*।आम नागरिकों को भी बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा था, आंदोलन में बहुत सी अप्रिय घटनाएं भी हुई। विपक्ष ने खूब हवा दी।और पीछे से मदद भी की..भारत सरकार को इसे सख्ती से कुचलना नही था,क्योंकि मोदी जी की यह कार्यप्रणाली का हिस्सा नही है। फिर 26 जनवरी का कांड भी हो गया..
अनेक वार्ताएं भी हुई..किसान टस से मस नही हो रहा था,प्रधान मंत्री जी  एक दिन रेडियो पर आकर घोषणा कर दी,हम किसानों की बेहतरी के लिए 3 कानून लेके आये थे,लेकिन शायद हम उनको ठीक से समझा नही सके,इसलिए इन कानूनों को हम वापस लेते है।
*ओर देखते ही देखते इस आंदोलन की हवा निकल गयी*।
ऐसा रिश्तो में,परस्पर संबंधों में जब हम विवाद को बहुत खींच लेते है,तो उसके दुष्परिणाम सामने आने लगते है।आज जो  परिवारों में,पति पत्नियों के मध्य ,भाई भाई के मध्य,पड़ोसियों के मध्य ,एक समुदाय से दूसरे समुदाय के मध्य किसी भी गलत फहमी को लेकर तलवारे खींच जाती है।और जब कोई विवेक पूर्ण ढंग से इसका समय पर हल नही खोजता तो, उसके बड़े नुकशान सामने आते है।
*अभी लोकसभा के चुनाव में राजकोट के सांसद रुपाला जी ने कोई विवादास्पद बयान दे दिया*..देश की एक मार्शल कोम को यह नागवारा गुजरा..उनके स्वाभिमान को आहत करने वाला और  गैर जरुरी बयान था।रुपाला जी ने स्पष्ठ भी किया, माफी भी मांगी,ओर यह साबित करने की कोशिश करते रहे कि,उनका अभिप्राय यह नही था। *लेकिन उनकी पार्टी ने उनके खिलाफ कोई एक्शन नही लिया तो,चुनावो में भाजपा को केवल इस बात के लिए  इतना बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ा*। चुनाव 2024 के क्लीन स्वीप सा माहौल को एक बड़ी कोम की नाराजगी को सही वक्त पर संतुष्ठ ओर उचित कदम नही उठाने से इस चुनाव को संघर्ष मय बना दिया।बल्कि विलुप्त होरहे विपक्ष को वापस प्राण वायु दे दी।
  *आज कोडक, एच एम टी, अम्बेसेडर जैसी एक समय की मार्किट की लीडिंग कम्पनियों के सीईओ को जब अपने  उत्पाद में नवाचार संबंधी कोई सुझाव होता तो वो ध्यान ही नही धरते*, ओर अपने को सही मानते रहते..कालांतर हमने देखा सभी फेल हो गए।यही दूसरी तरफ  हर जापानियों के खून में है कि वो गलतियो को मूल्यवान मानते है।और वे गलती खोजने को अपनी उपलब्धि जैसा मानते है,क्योंकि यही भाव उसके सुधार की कुंजी है।और इसीलिए *मेड इन जापान* लिखा देखने के बाद  गुणवत्ता के लिए चिंता का कोई अवसर ही नही होता।
यह तमाम बातें ,हमारे जीवन के व्यवहार,आचरण और समझ के हिस्से है।जो जितना जल्दी इनको समझ लेता है,जो ढल जाता है,जो सुधार आमंत्रित कर लेता है..इसका  इतना सा  अर्थ है कि वो *अपने जीवन को सुंदर ओर सुखमय बना लेता है। जो लोग रिश्तो में जिद कर लेते है,उनके रिश्ते बिगड़ जाते है, रिश्तो में प्रेम ओर उनको अटूट बनाये रखने के लिए जिद छोड़ देनी चाहिए।जीवन मे सुख शांति और प्रेम चाहते है तो लोगो के सामने झुकना सीखे।यदि हम प्रेम से आज झुक रहे है तो कल वो भी झुकेंगे*।
हम रिश्तो को ही नही,संस्कृति को बचा रहे होते है।
यह नींर्णय की कौन गलत कोन सही..इसकी कोई अहमियत नही है।इसका कोई मूल्य नही।

*रामानंद काबरा*

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