"साँवरिया"
वेसे तो आप सभी साँवरिया सेठ के बारे मैं जानते होंगे | साँवरिया सेठ प्रभु श्री कृष्ण का ही एक रूप है जिन्होंने भक्तो के लिए कई सारे रूप धरकर समय समय पर भक्तों की इच्छा पूरी की है | कभी सुदामा को तीन लोक दान करके, कभी नानी बाई का मायरा भरके, कभी कर्मा बाई का खीचडा खाकर, कभी राम बनके कभी श्याम बनके, प्रभु किसी न किसी रूप में भक्तों की इच्छा पूरी करते हैं | और आप, मैं और सभी मनुष्य तो केवल एक निमित्त मात्र है | भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा है कि "मैं सभी के लिए समान हूँ " मनुष्य को अपने कर्मो का फल तो स्वयं ही भोगना पड़ता है | आप सभी लोग देखते हैं कि कोई मनुष्य बहुत ही उच्च परिवार जेसे टाटा बिरला आदि में जन्म लेता है और कोई मनुष्य बहुत ही निम्न परिवार जेसे आदिवासी आदि के बीच भी जन्म लेता है कोई मनुष्य जन्म से ही बहुत सुन्दर होता है कि कोई भी उस पर मोहित हो जाये और कोई मनुष्य इतना बदसूरत पैदा होता है कि लोग उसको देखकर दर जाए, किसी के पास तो इतना धन होता है कि वो धन का बिस्तर बनवाकर भी उसपर सो सकता है और कोई दाने दाने का भी मोहताज़ है, कोई शारीरिक रूप से इतना बलिष्ठ होता है कि कोई उसका मुकाबला नहीं कर सकता और इसके विपरीत कोई इतना अपंग पैदा होता है जिसको देखकर हर किसी को दया आ जाये | कई बच्चे जन्म लेते ही मार दिए जाते है या जला दिए जाते है या किसी ना किसी अनीति का शिकार हो जाते है जबकि उन्होंने तो कुछ भी नहीं किया
तो फिर नियति का एसा भेदभाव क्यों ? क्या भगवान् को उन पर दया नहीं आती ?
आप सोच रहे होंगे कि इसका मतलब भगवान ने भेदभाव किया, नहीं !!!
आपने देखा होगा एक ही न्यायाधीश किसी को फांसी कि सजा देता है और किसी को सिर्फ अर्थ दंड देकर छोड़ देता है तो क्या न्यायाधीश भेदभाव करता है ? नहीं ना ! हम जानते हैं कि हर व्यक्ति को उसके अपराध के अनुसार दंड मिलता है
बिलकुल उसी प्रकार मनुष्य का जन्म, सुन्दरता, कुल आदी उसके कर्मों के अनुसार ही निर्धारित होते है इसलिए मनुष्य को अपने कर्मों का आंकलन स्वयं ही कर लेना चाहिए और कलियुग में तो पग पग पर पाप स्वतः ही हो जाते है किन्तु पुण्य करने के लिए प्रयत्न करने पड़ते हैं
इसीलिए "अपने लिए तो सभी करते हैं दूसरों के लिए कर के देखो "
मैं एक बहुत ही साधारण इंसान हूँ | जीवन में कई सारे अनुभव से गुजरते हुए में आज अपने आप को आप लोगों के सामने स्थापित कर पाया हूँ . बचपन से लेकर आज तक आप सभी लोगो ने अपने जीवन में कई लोगो को भूखे सोते देखा होगा, कई लोग ऐसे भी होते हैं जिनके पास पहनने को कपडे नहीं है, किसी को पढना है पर किताबें नहीं है, कई बालक नहीं चाहते हुए भी किस्मत के कारण भीख मांगने को मजबूर हो जाते है | इन सभी परिस्थितियों को हम सभी अपने जीवन में भी कही ना कही देखते ही हैं लेकिन बहुत कम लोग ही उन पर अपना ध्यान केन्द्रित करते है या उन लोगो के बारे में सोच पाते है किन्तु भगवान् की दया से आज मुझे उन सभी की मदद करने की प्रेरणा जागृत हुई और इसलिए आज मेने एक संकल्प लिया है उन अनाथ भाई बहिनों की मदद करने का, जिनका इस दुनिया में भगवान् के अलावा कोई नहीं है और मेने निश्चय किया है कि उन भाइयों की मुझसे जिस भी प्रकार कि मदद होगी मैं करूँगा | मैं इसमें अपना तन -मन -धन मुझसे जितना होगा बिना किसी स्वार्थ के दूंगा . आज दिनांक 31-07-2009 से सावन के महीने में भगवान का नाम लेकर इस अभियान हेतु इस वेबसाइट की शुरुआत कर रहा हूँ | और इस वेबसाइट को बनाने का मेरा और कोई मकसद नहीं है बस मैं सिर्फ उन निस्वार्थ लोगो से संपर्क रखना चाहता हूँ जो इस तरह की सोच रखते है और दुसरो को मदद करना चाहते है मुझे उनसे और कुछ नहीं चाहिए बस मेरे इस संकल्प को पूरा करने के लिए मुझे अपनी शुभकामनाये और आशीर्वाद ज़रूर देना ताकि मैं बिना किसी रुकावट के गरीब लोगो की मदद कर सकूँ .
ये वेबसाइट आप जेसे लोगों से संपर्क रखने के उद्देश्य से बनाई हैअगर आप मेरे इस काम मैं सहयोग करना चाहते हैं तो अपनी श्रद्धानुसार तन-मन-धन से जिस भी प्रकार आप से हो सके आपके स्वयं के क्षेत्र में ही आप अपने घर मैं जो भी चीज़ आपके काम नहीं आ रही हो जैसे - कपडे , बर्तन , किताबे इत्यादि को फेंके नहीं और उन्हें किसी गरीब के लिए इकठ्ठा कर के रखे और यदि कोई पैसे की मदद करने की इच्छा रखता हो तो वो भी खुद ही रोजाना अपनी जेब खर्च में से बचत करना शुरू कर दे ताकि वो भी किसी गरीब के काम आ सके इस तरह एक दिन बचाते बचाते बिना किसी अतिरिक्त खर्च के आपके पास बहुत सारे कपडे , बर्तन , किताबें और पैसे हो जायेंगे जो की उन लोगो के काम आ जायेंगे जिनके पास कुछ भी नहीं है |
कलियुग में पाप तो स्वतः हो जाते हैं किन्तु पुण्य करने के लिए प्रयत्न करने पड़ते है |
"अपने लिए तो सभी करते हैं दूसरों के लिए कर के देखो कलियुग
में राष्ट्र सेवा, गौ सेवा, और दीन दुखियों की सेवा ही सबसे बड़ा पुण्य का
काम है "साँवरिया" का मुख्य उद्देश्य सम्पूर्ण भारत में गरीबों, दीन
दुखियों, असहाय एवं निराश्रितों के उत्थान के लिए यथाशक्ति प्रयास करना है
"साँवरिया" के अनुसार यदि भारत का हर सक्षम व्यक्ति अपने बिना जरुरत की
वस्तु/कपडे/किताबे और अपनी धार्मिक कार्यों के लिए की गयी बचत आदि से सिर्फ
एक गरीब असहाय व्यक्ति की सहायतार्थ देना शुरू करे तो भारत से गरीबी,
निरक्षरता, बेरोजगारी और असमानता को गायब होने में ज्यादा समय नहीं लगेगा |
आज भी देश में ३० करोड़ से ज्यादा भाई बहिन भूखे सोते हैं अतः भारत के
उच्च परिवारों की जन्मदिन/विवाह समारोह एवं कार्यक्रमों में बचे हुए भोजन
पानी जो फेंक दिया जाता है यदि वही भोजन उसी क्षेत्र मैं भूखे सोने वाले
गरीब और असहाय व्यक्तियों तक पहुंचा दिया जाये तो आपकी खुशिया दुगुनी हो
जाएगी और आपके इस प्रयास से देश में भुखमरी से मरने वाले लोगो की असीम दुआए
आपको मिलेगी तथा देश में भुखमरी के कारण होने वाली लूटपाट/ चोरी/ डकेती
जैसी घटनाएँ कम होकर देश में भाईचारे की भावना फिर से पनपने लगेगी और एक
दिन एसा भी आएगा जब देश में कोई भी भूखा नहीं सोयेगा |
"साँवरिया"
का लक्ष्य ऐसे भारत का सपना साकार करना है जहाँ न गरीबी/ न निरक्षरता/न
आरक्षण/ न असमानता/ न भुखमरी और न ही भ्रष्टाचार हो| चारो ओर सभी लोग
सामाजिक और आर्थिक रूप से सक्षम और विकसित हो, जहाँ डॉलर और रुपया की कीमत
एक समान हो और मेरा भारत जो पहले भी विश्वगुरु था उसका गौरव फिर से पहले
जैसा हो जाये |
"सर्वे भवन्तु सुखिनः "
--
Jai shree krishna
Thanks,
Regards,
कैलाश चन्द्र लढा(भीलवाड़ा)www.sanwariya.org
sanwariyaa.blogspot.com
https://www.facebook.com/