कुछ चुनिंदा कहावतों का संकलनby sudhirvyas |
भगवान
ने मनुष्य को हाथ-पांव दिए हैं जिससे वह अपना काम स्वयं कर ले। जो व्यक्ति
दूसरे पर निर्भर रहता है उसका कहीं आदर नहीं होता. सच कहा है- ' आस पराई
जो तके जीवित ही मर जाए ' :-
1. कल करे सो आज कर, आज करे सो अब, पल में परलय होयेगी, बहुरि करेगा कब॥
2. नाकों चने चाबाना दाँत खटटे कर देना
3. अब पछताए क्या होत जब चिडिया चुग गयी खेत
4. ओछे की प्रीत, बालू की भीत।
5. जैसे उदई, तैसेई भान, न उनके चुटिया, न उनके कान।
(इसका अर्थ इस रूप में लगाया जाता है जब किसी भी काम को करने के लिए एक जैसे स्वभाव के लोग मिल जायें और काम उनके कारण बिगड़ जाये।)
(इसका अर्थ इस रूप में लगाया जाता है जब किसी भी काम को करने के लिए एक जैसे स्वभाव के लोग मिल जायें और काम उनके कारण बिगड़ जाये।)
6. थोथा चना बाजे घना।
(कम योग्यता वाले लोग ज्यादा शोर मचाते हैं)
(कम योग्यता वाले लोग ज्यादा शोर मचाते हैं)
7. तीतर पारवी बादरी, विधवा काजर देय।
वे बरसे वे घर करें, ईमें नयी सन्देह
वे बरसे वे घर करें, ईमें नयी सन्देह
8. धूनी दीजे भांग की, बबासीर नहीं होय।
जल में घोलो फिटकरी, शौच समय नित धोय।
जल में घोलो फिटकरी, शौच समय नित धोय।
9. निन्नें पानी जो पियें, हर्र भूंजके खांय।
दूदन ब्यारी जो करें, तिन घर वैद्य न जॉय।
दूदन ब्यारी जो करें, तिन घर वैद्य न जॉय।
10. अधजल गगरी छलकत जाय।
भरी गगरिया चुप्पे जाय।
भरी गगरिया चुप्पे जाय।
11. बन्दर जोगी अगिन जल, सूजी सुआ सुनार।
जे दस होंय ना आपनें, कूटी कटक कलार।
जे दस होंय ना आपनें, कूटी कटक कलार।
12. तीतर पारवी बादरी, विधवा काजर देय।
वे बरसे वे घर करें, ईमें नयी सन्देह
वे बरसे वे घर करें, ईमें नयी सन्देह
13. धूनी दीजे भांग की, बबासीर नहीं होय। जल में घोलो फिटकरी, शौच समय नित धोय।
14. निन्नें पानी जो पियें, हर्र भूंजके खांय। दूदन ब्यारी जो करें, तिन घर वैद्य न जॉय।
15. आस पराई जो तके जीवित ही मर जाए
16. बन्दर जोगी अगिन जल, सूजी सुआ सुनार, जे दस होंय ना आपनें, कूटी कटक कलार।
17. वेल पत्र शाखा नहीं, पंक्षी बसे ना डार। वे फल हमखों भेजियो, सियाराम रखवार।
18. काबुल गये मुगल बन आये, बोलन लागे वानी। आव-आव कर मर गये, खटिया तर रओ पानी।
19. मन मोती मूंगा मतो, ढ़ोगा मठ गढ़ ताल। दल-मल बाजौ बन्धुआ, घर फुटे वेहाल
20. पय-पान-रस-पानहीं, पान दान सम्मान। जे दस मीटे चाहिए, साव-राज-दीवान।
21. कोदन की रोटी, और कल्लू लुगाई। पानी के मइरे में, राम की का थराई
22. आस-पास रबी बीच में खरीफ
नून-मिर्च डाल के, खा गया हरीफ।
नून-मिर्च डाल के, खा गया हरीफ।
23. सन के डंठल खेत छिटावै, तिनते लाभ चौगुनो पावै।
24. खाद पड़े तो खेत, नहीं तो कूड़ा रेत।
25. पानी को धन पानी में, नाक कटे बेईमानी में।
Posted By Dr. Sudhir Vyas at sudhirvyas's blog in WordPress
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