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मंगलवार, 1 जून 2021
अनलॉक में क्या खुला रहेगा क्या होगा बंद
रविवार, 30 मई 2021
राघवयादवीयम् : सीधा पढ़ें तो राम कथा, उल्टा पढ़े कृष्ण की गाथा".
राघवयादवीयम एक संस्कृत स्त्रोत्र है। यह कांचीपुरम के १७वीं शती के कवि वेंकटाध्वरि द्वारा रचित एक अद्भुत ग्रन्थ है।
इस ग्रन्थ को ‘अनुलोम-विलोम काव्य’ भी कहा जाता है। पूरे ग्रन्थ में केवल ३० श्लोक हैं। इन श्लोकों को सीधे-सीधे पढ़ते जाएँ, तो रामकथा बनती है और विपरीत (उल्टा) क्रम में पढ़ने पर कृष्णकथा। इस प्रकार हैं तो केवल 30 श्लोक, लेकिन कृष्णकथा के भी ३० श्लोक जोड़ लिए जाएँ तो बनते हैं ६० श्लोक। पुस्तक के नाम से भी यह प्रदर्शित होता है, राघव (राम) + यादव (कृष्ण) के चरित को बताने वाली गाथा है राघवयादवीयम। उदाहरण के तौर पर पुस्तक का पहला श्लोक हैः
- वंदेऽहं देवं तं श्रीतं रन्तारं कालं भासा यः।
- रामो रामाधीराप्यागो लीलामारायोध्ये वासे ॥ १॥[1]
- अनुलोम अर्थ
मैं उन भगवान श्रीराम के चरणों में प्रणाम करता हूँ जिनके ह्रदय में सीताजी रहती हैं तथा जिन्होंने अपनी पत्नी सीता के लिए सहयाद्रि की पहाड़ियों से होते हुए लंका जाकर रावण का वध किया तथा वनवास पूरा कर अयोध्या वापस लौटे।
- विलोम श्लोक
- सेवाध्येयो रामालाली गोप्याराधी भारामोराः।
- यस्साभालंकारं तारं तं श्रीतं वन्देऽहं देवम् ॥ १॥
- विलोम अर्थ
- मैं रूक्मिणी तथा गोपियों के पूज्य भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में प्रणाम करता हू जो सदा ही मां लक्ष्मी के साथ विराजमान हैं तथा जिनकी शोभा समस्त रत्नों की शोभा को हर लेती है।
- " राघवयादवीयम" के ये 60 संस्कृत श्लोक इस प्रकार हैं:-
- राघवयादवीयम् रामस्तोत्राणि वंदेऽहं देवं तं श्रीतं रन्तारं कालं भासा यः । रामो रामाधीराप्यागो लीलामारायोध्ये वासे ॥ १॥ विलोमम्: सेवाध्येयो रामालाली गोप्याराधी भारामोराः । यस्साभालंकारं तारं तं श्रीतं वन्देऽहं देवम् ॥ १॥
- साकेताख्या ज्यायामासीद्याविप्रादीप्तार्याधारा । पूराजीतादेवाद्याविश्वासाग्र्यासावाशारावा ॥ २॥ विलोमम्: वाराशावासाग्र्या साश्वाविद्यावादेताजीरापूः । राधार्यप्ता दीप्राविद्यासीमायाज्याख्याताकेसा ॥ २॥
- कामभारस्स्थलसारश्रीसौधासौघनवापिका । सारसारवपीनासरागाकारसुभूरुभूः ॥ ३॥ विलोमम्: भूरिभूसुरकागारासनापीवरसारसा । कापिवानघसौधासौ श्रीरसालस्थभामका ॥ ३॥
- रामधामसमानेनमागोरोधनमासताम् । नामहामक्षररसं ताराभास्तु न वेद या ॥ ४॥ विलोमम्: यादवेनस्तुभारातासंररक्षमहामनाः । तां समानधरोगोमाननेमासमधामराः ॥ ४॥
- यन् गाधेयो योगी रागी वैताने सौम्ये सौख्येसौ । तं ख्यातं शीतं स्फीतं भीमानामाश्रीहाता त्रातम् ॥ ५॥ विलोमम्: तं त्राताहाश्रीमानामाभीतं स्फीत्तं शीतं ख्यातं । सौख्ये सौम्येसौ नेता वै गीरागीयो योधेगायन् ॥ ५॥
- मारमं सुकुमाराभं रसाजापनृताश्रितं । काविरामदलापागोसमावामतरानते ॥ ६॥ विलोमम्: तेन रातमवामास गोपालादमराविका । तं श्रितानृपजासारंभ रामाकुसुमं रमा ॥ ६॥
- रामनामा सदा खेदभावे दया-वानतापीनतेजारिपावनते । कादिमोदासहातास्वभासारसा-मेसुगोरेणुकागात्रजे भूरुमे ॥ ७॥ विलोमम्: मेरुभूजेत्रगाकाणुरेगोसुमे-सारसा भास्वताहासदामोदिका । तेन वा पारिजातेन पीता नवायादवे भादखेदासमानामरा ॥ ७॥
- सारसासमधाताक्षिभूम्नाधामसु सीतया । साध्वसाविहरेमेक्षेम्यरमासुरसारहा ॥ ८॥ विलोमम्: हारसारसुमारम्यक्षेमेरेहविसाध्वसा । यातसीसुमधाम्नाभूक्षिताधामससारसा ॥ ८॥
- सागसाभरतायेभमाभातामन्युमत्तया । सात्रमध्यमयातापेपोतायाधिगतारसा ॥ ९॥ विलोमम्: सारतागधियातापोपेतायामध्यमत्रसा । यात्तमन्युमताभामा भयेतारभसागसा ॥ ९॥
- तानवादपकोमाभारामेकाननदाससा । यालतावृद्धसेवाकाकैकेयीमहदाहह ॥ १०॥ विलोमम्: हहदाहमयीकेकैकावासेद्ध्वृतालया । सासदाननकामेराभामाकोपदवानता ॥ १०॥
- वरमानदसत्यासह्रीतपित्रादरादहो । भास्वरस्थिरधीरोपहारोरावनगाम्यसौ ॥ ११॥ विलोमम्: सौम्यगानवरारोहापरोधीरस्स्थिरस्वभाः । होदरादत्रापितह्रीसत्यासदनमारवा ॥ ११॥
- यानयानघधीतादा रसायास्तनयादवे । सागताहिवियाताह्रीसतापानकिलोनभा ॥ १२॥ विलोमम्: भानलोकिनपातासह्रीतायाविहितागसा । वेदयानस्तयासारदाताधीघनयानया ॥ १२॥
- रागिराधुतिगर्वादारदाहोमहसाहह । यानगातभरद्वाजमायासीदमगाहिनः ॥ १३॥ विलोमम्: नोहिगामदसीयामाजद्वारभतगानया । हह साहमहोदारदार्वागतिधुरागिरा ॥ १३॥
- यातुराजिदभाभारं द्यां वमारुतगन्धगम् । सोगमारपदं यक्षतुंगाभोनघयात्रया ॥ १४॥ विलोमम्: यात्रयाघनभोगातुं क्षयदं परमागसः । गन्धगंतरुमावद्यं रंभाभादजिरा तु या ॥ १४॥
- दण्डकां प्रदमोराजाल्याहतामयकारिहा । ससमानवतानेनोभोग्याभोनतदासन ॥ १५॥ विलोमम्: नसदातनभोग्याभो नोनेतावनमास सः । हारिकायमताहल्याजारामोदप्रकाण्डदम् ॥ १५॥
- सोरमारदनज्ञानोवेदेराकण्ठकुंभजम् । तं द्रुसारपटोनागानानादोषविराधहा ॥ १६॥ विलोमम्: हाधराविषदोनानागानाटोपरसाद्रुतम् । जम्भकुण्ठकरादेवेनोज्ञानदरमारसः ॥ १६॥
- सागमाकरपाताहाकंकेनावनतोहिसः । न समानर्दमारामालंकाराजस्वसा रतम् ॥ १७ विलोमम्: तं रसास्वजराकालंमारामार्दनमासन । सहितोनवनाकेकं हातापारकमागसा ॥ १७॥
- तां स गोरमदोश्रीदो विग्रामसदरोतत । वैरमासपलाहारा विनासा रविवंशके ॥ १८॥ विलोमम्: केशवं विरसानाविराहालापसमारवैः । ततरोदसमग्राविदोश्रीदोमरगोसताम् ॥ १८॥
- गोद्युगोमस्वमायोभूदश्रीगखरसेनया । सहसाहवधारोविकलोराजदरातिहा ॥ १९॥ विलोमम्: हातिरादजरालोकविरोधावहसाहस । यानसेरखगश्रीद भूयोमास्वमगोद्युगः ॥ १९॥
- हतपापचयेहेयो लंकेशोयमसारधीः । राजिराविरतेरापोहाहाहंग्रहमारघः ॥ २०॥ विलोमम्: घोरमाहग्रहंहाहापोरातेरविराजिराः । धीरसामयशोकेलं यो हेये च पपात ह ॥ २०॥
- ताटकेयलवादेनोहारीहारिगिरासमः । हासहायजनासीतानाप्तेनादमनाभुवि ॥ २१॥ विलोमम्: विभुनामदनाप्तेनातासीनाजयहासहा । ससरागिरिहारीहानोदेवालयकेटता ॥ २१॥
- भारमाकुदशाकेनाशराधीकुहकेनहा । चारुधीवनपालोक्या वैदेहीमहिताहृता ॥ २२॥ विलोमम्: ताहृताहिमहीदेव्यैक्यालोपानवधीरुचा । हानकेहकुधीराशानाकेशादकुमारभाः ॥ २२॥
- हारितोयदभोरामावियोगेनघवायुजः । तंरुमामहितोपेतामोदोसारज्ञरामयः ॥ २३॥ विलोमम्: योमराज्ञरसादोमोतापेतोहिममारुतम् । जोयुवाघनगेयोविमाराभोदयतोरिहा ॥ २३॥
- भानुभानुतभावामासदामोदपरोहतं । तंहतामरसाभक्षोतिराताकृतवासविम् ॥ २४॥ विलोमम्: विंसवातकृतारातिक्षोभासारमताहतं । तं हरोपदमोदासमावाभातनुभानुभाः ॥ २४॥
- हंसजारुद्धबलजापरोदारसुभाजिनि । राजिरावणरक्षोरविघातायरमारयम् ॥ २५॥ विलोमम्: यं रमारयताघाविरक्षोरणवराजिरा । निजभासुरदारोपजालबद्धरुजासहम् ॥ २५॥
- सागरातिगमाभातिनाकेशोसुरमासहः । तंसमारुतजंगोप्ताभादासाद्यगतोगजम् ॥ २६॥ विलोमम्: जंगतोगद्यसादाभाप्तागोजंतरुमासतं । हस्समारसुशोकेनातिभामागतिरागसा ॥ २६॥
- वीरवानरसेनस्य त्राताभादवता हि सः । तोयधावरिगोयादस्ययतोनवसेतुना ॥ २७॥ विलोमम् नातुसेवनतोयस्यदयागोरिवधायतः । सहितावदभातात्रास्यनसेरनवारवी ॥ २७॥
- हारिसाहसलंकेनासुभेदीमहितोहिसः । चारुभूतनुजोरामोरमाराधयदार्तिहा ॥ २८॥ विलोमम् हार्तिदायधरामारमोराजोनुतभूरुचा । सहितोहिमदीभेसुनाकेलंसहसारिहा ॥ २८॥
- नालिकेरसुभाकारागारासौसुरसापिका । रावणारिक्षमेरापूराभेजे हि ननामुना ॥ २९॥ विलोमम्: नामुनानहिजेभेरापूरामेक्षरिणावरा । कापिसारसुसौरागाराकाभासुरकेलिना ॥ २९॥
- साग्र्यतामरसागारामक्षामाघनभारगौः ॥ निजदेपरजित्यास श्रीरामे सुगराजभा ॥ ३०॥ विलोमम्: भाजरागसुमेराश्रीसत्याजिरपदेजनि ।स गौरभानघमाक्षामरागासारमताग्र्यसा ॥ ३०॥
- ॥ इति श्रीवेङ्कटाध्वरि कृतं श्री ।।
- कृपया अपना थोड़ा सा कीमती वक्त निकाले और उपरोक्त श्लोको को गौर से अवलोकन करें कि यह दुनिया में कहीं भी ऐसा न पाया जाने वाला ग्रंथ है ।* जय श्री राम 🚩
रचनाकार
इसकी रचना श्री वेंकटद्वारी ने की थी जिनका जन्म कांचीपुरम के निकट अरसनीपलै में हुआ था। वे वेदान्त देशिक के अनुयायी थे। वे काव्यशास्त्र के पण्डित थे। उन्होने १४ ग्रन्थों की रचना की जिनमें से 'लक्ष्मीसहस्रम्' सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। कहते हैं कि इस ग्रन्थ की रचना पूर्ण होते ही उनकी दृष्टि वापस प्राप्त हो गयी थी।
संदर्भ
"राघवयादवीयम् : सीधा पढ़ें तो राम कथा, उल्टा पढ़े कृष्ण की गाथा". मूल से 13 फ़रवरी 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 13 फ़रवरी 2017.
शनिवार, 29 मई 2021
दही से बना घी सर्वोत्तम होता या फिर मलाई से बना घी?
दही से बना घी सर्वोत्तम होता या फिर मलाई से बना घी?
यदि आप देसी घी के बारे मे जानने के इच्छुक हैं।तो आप की जानकारी के लिए बताना आवश्यक है कि देसी घी की दो प्रकार की किस्म होती है एक घी को कच्चा घी कहा जाता है ज्यादातर बहुदेशी कम्पनियाँ अपने प्लांटस मे कच्चे घी का ही उत्पादन करती हैं इस प्रक्रिया मे दूध से सप्रेटा और सप्रेटे से सीधे घी उत्पादित होता है। बाजार मे 95% कच्चा ही उपलब्ध होता हुआ है
पक्के घी की प्रक्रिया
घी वही होता था जो पुरानी पद्धति से बनता था। उसका रंग, स्वाद, सुगंध और गुण अलग होते थे। दूध को गर्म करके साधारण तापमान पर वापस आने के बाद उसमें जामन डाल कर जमाया जाता था। जमे हुए दही को बिलोकर उस से घी निकाला जाता था।
रही बात बाजार मे बिकने वाले घी कि तो मिल्क फूड,मदर डेयरी, अमूल, मधूसूदन इत्यादि ब्रांड ये सब कच्चे घी हैं। हाँ एक दो ब्रांड के पक्के घी भी बाजार मे उपलब्ध हैं।
आजकल कच्चे दूध से घी निकाला जाता है। फिर दूध से मावा या दूध पाउडर बनाया जाता है। करोड़ों लिटर दूध इन उत्पादों में खप जाता है। इतना दही उपयोग में नहीं आ सकता इसलिये दही से घी निकालने की परंपरा लुप्त हो गयी है। दही वाला घी खाना हो तो घर में बनायें। कंपनियों से मिलने वाला घी दही वाला नहीं होता।
अमूल, पतंजलि… जैसी सभी कपंनियां का घी बनाने का तरीका अलग होता है और घर पर बनाये देशी घी को बनाने का तरीका अलग होता है। घी का स्वाद, खुशबू, गुण आदि घी को बनाने के तरीके पर निर्भर करते हैं।
पैकेट में मिलने वाला घी, कपंनियां सीधे दूध से फैट निकालकर कर बनाती हैं। घी बनाने के लिये दूध से उसकी सारी चिकनाई निकाल ली जाती है, इस चिकनाई(फैट) को गर्म करके घी बना लिया जाता है। और पीछे दूध भी वैसा का वैसा रह जाता है और इस दूध को पैकेटों में पैक करके बेच दिया जाता है। जबकि घर पर घी बनाने के लिये पहले दूध को अच्छी तरह गर्म किया जाता है और फिर इस दूध में जामन लगाकर दही बनाया जाता है। और इस दही को अच्छी तरह बिलौकर मक्खन निकाला जाता है और अतं में मक्खन को गर्म करके घी बनता है। इसलिये घर बनाया हुआ देशी घी सुंगधित, स्वादिष्ट और गुणों से भरपुर होता है।
हमारे यहां दूध अच्छी क्वालिटी का मिल जाता है ।हमारे यहां 2 लीटर दूध प्रतिदिन आता है सो सप्ताह में 1.5 लीटर मलाई एकत्रित हो जाती है जिसे हम फ्रिज में ही रखते हैं।फिर बाहर निकाल कर उसमें 2 टी स्पून दही अच्छी तरह से मिक्स कर रात भर ढक कर रूम टेंप्रेचर पर रखते हैं।
अगले दिन सुबह इसे ब्लेंडर से मथते हैं।
जब मख्खन छुटने लगता है तब एक लीटर पानी डालते हैं।
अब मख्खन और छाछ अलग हो जाते हैं। इन्हे अलग अलग बर्तनों में निकाल लेते हैं।यह छाछ बहुत स्वादिष्ट व स्वास्थ्यवर्द्धक होती है। एक गिलास छाछ में चिमटी नमक डालकर ऊपर से भुना हुआ जीरा कूटकर डालें और गटागट पी जाएं पूरा डाइजेस्टिव सिस्टम सर्विसिंग हो जाएगा। आप चाहे तो कढ़ी बना सकते हैं । किसी को दे भी सकते हैं।हमारी सहायिका दीदी ले जाती है।
ताजा मक्खन थोड़ा सा अपने लड्डू गोपाल के लिए । इसे ब्रेड पराठें आदि पर लगाकर खाते हैं।बहुत स्वादिष्ट लगता है।
बाकी गर्म करते हैं।
40 या 50 मिनट तक पैर दुखने वाला बोरिंग काम बहुत जानलेवा होता है। गैस के पास ही खड़ा रहना पड़ता है ।क्योकि बीच बीच में चलाना पड़ता है।
हो गया घी तैयार।अब इसे छान लेते है ।
ये बेरी है इसमें पिसी हुई शक्कर मिक्स कर खा सकते हैं यह थोड़ी खट्टी मीठी लगती है। बच्चों को बहुत पसंद आती है।
🙏
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भादवे का घी - मरे हुए को जिंदा करने के अतिरिक्त, यह सब कुछ कर सकता है
कुछ ज़रूरी बातें जिनसे आप पौष्टिक और स्वादिष्ट दही बना सकते हैं:
दही ज़माने का सरल तरीक़ा:
मैंने अपनी माँ को इसी तरीक़े से दही जमाते बचपन से देखा है। एक पतीले में दूध (जितनी दही जमानी हो उस मात्रा में अंदाज़े से दूध लें) लें और उसे उबाल आने तक गरम करें। जब दूध उबलता है तो उसकी सतह पर थोड़ा सूखी सी दिखने वाली परत जम जाती है। जब ऐसा हो तो समझें कि दूध जमाने के लिए तैयार है। चूल्हा बंद कर दें और दूध को ठंडा होने दें। चाहें तो दूध को दही जमाने वाले बर्तन में डाल लें जिससे दूध जल्दी ठंडा हो सके। जब दूध हल्का गुनगुना हो, तब एक चम्मच पहले से बनी दही गुनगुने दूध में डालें। इसे हम जामन कहते हैं।
- अब दूध को अच्छी तरह से उछालें ताकि दही उसमें अच्छी तरह से मिल जाए और उसमें बढ़िया सा झाग आ जाए। इससे दही बहुत बढ़िया जमती है। यह ठीक वैसे ही उछालें जैसे जब आप गरम दूध को ठंडा करने के लिए दो गिलास के बीच दूध को उछालते हैं।
- ध्यान रखें कि दही को एक अलग बर्तन में जमाएँ; दूध जिसमें उबला है, उसमें नहीं।
अब दही वाले बर्तन को एक ऐसी जगह पर रखें, जहाँ कोई उसे हाथ ना लगाए। मैं अक्सर उसे माइक्रोवेव के अंदर रख देती हूँ। गरमियों में बाहर भी रख सकते हैं, क्यूँकि उसे और गरमाहट की ज़रूरत नहीं होती। गरमियों में दही अक्सर 4–5 घंटों में जम जाती है। सर्दियों में 6–7 घंटे लग सकते हैं। सर्दियों में आप दही के बर्तन को एक कपड़े में लपेट कर रख सकती हैं।
कुछ ज़रूरी बातें जिनसे आप पौष्टिक और स्वादिष्ट दही बना सकते हैं:
- जामन वाला दही खट्टा ना हो। इससे नयी दही भी खट्टी ही होगी।
- किसी उपलक्ष्य पर इस्तेमाल करने के लिए बढ़िया दही बनाने के लिए आप होल मिल्क का इस्तेमाल करें, टोंड मिल्क का नहीं। अन्यथा रोज़ के सेवन के लिए टोंड मिल्क इस्तेमाल कर सकती हैं, क्यूँकि होल मिल्क से बनी दही उन लोगों के लिए हानिकारक हो सकती है जो वज़न कम करना चाहते हैं या संतुलित रकहन चाहते हैं। बाद यह बहुत मलाईदार और गाढ़ा नहीं होगा।
- जिस पतीले में दूध उबाला गया, उसमें दही ना जमाएँ।
- याद रखें, दूध बहुत ज़्यादा गरम ना हो वरना दही खट्टा जम सकता है।
- दूध बहुत ज़्यादा ठंडा भी ना हो, इससे दही जमने में दिक़्क़त आ सकती है और वह पानी-पानी हो जाएगी।
- सेहत की आगे बात करें, तो आप दही को एक मिट्टी के बर्तन में जमा सकते हैं। यह बहुत फ़ायदेमंद होती है और अत्यधिक स्वादिष्ट भी। बस दही ज़माने से पहले बर्तन को अच्छी प्रकार से धो लें।
- दही के सेवन आप पौष्टिक तरीक़ों से कर सकते हैं, जैसे कि, मट्ठा बना कर पीना, दही में अलसी के बीज, धनिया और पुदीना डाल कर खाना इत्यादि। शक्कर मिलाकर खाने से दूर रहें। घर का बना पनीर बना कर खाएँ और पकाएँ। दही का पौष्टिक रायता बना सकते हैं।
लिवर,किडनी, हार्ट, दिमाग की सफाई के लिए
🏵️लिवर की सफाई के लिए🏵️
20 ग्राम काली किशमिस और 1 ग्लास पानी लेकर मिक्सर मे ज्युस बनाकर सुबह खाली पेट 15 दिनों तक सेवन करने से लिवर की सफाई होती है |
किडनी की सफाई के लिए
हरा धनिया 40 ग्राम +1 ग्लास पानी मिक्स करके मिक्सर मे पिस करके सुबह खाली पेट लिजिए यह 10 दिनों तक करने से किडनी की सफ़ाई होती है। और हमारी किडनी स्वस्थ रहती है।
हार्ट की सफाई के लिए
60 ग्राम अलसी को मिक्सर मे पीस लिजिए फिर सुबह शाम खालीपेट 10-10 ग्राम की मात्रा मे सेवन से हमारा हार्ट (हृदय) स्वस्थ रहता है यह उपाय 1 महिने तक करनां है।
दिमाग की सफाई के लिए
बादाम 8 और अखरोट 2 नग लेकर रात को 1 ग्लास पानी मे भिगोकर सुबह खाली पेट सेवन करें। यह पूरे 2 महिनों तक करने से दिमाग को पूरी तरह से जहरमुक्त किया जा सकता है।
फेंफडो की सफाई के लिए
2 चम्मच शहद + 1 चम्मच नींबू का रस + 1 चम्मच अदरक का रस सभी चीजो को मिक्स करके सुबह खाली पेट सेवन करने से बिड़ी, सिगरेट, गुटखा या तंबाकु से जो नुकसान हमारे फेंफडो को हुआ है उन्हे सुधार होगा और हमारे फेंफडे पुरी तरह से स्वस्थ हो जाते है। यह प्रयोग करीब 20 दिनों तक करनां है।
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कर्ण मुख नासिका सूक्ष्म क्रिया योग : मुंह, दांत, नाक और श्रवण कान को स्वस्थ व बेहतर कार्यकुशलता के लिए
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मधुमेह : जानिए डायबिटीज के लक्षण, प्रकार, कारण, बचाव के तरीके और उपचार
डायबिटिज क्या है ?
डायबिटीज या शुगर या मधुमेह एक ऐसी बीमारी है जो तब होती है जब हमारा रक्त शर्करा बहुत अधिक होती है । रक्त ग्लूकोज हमारे ऊर्जा का मुख्य स्रोत है और हमारे द्वारा खाए गए भोजन से आता है। इंसुलिन, एक हार्मोन है जो अग्न्याशय द्वारा बनाया जाता है, भोजन से ग्लूकोज को हमारी कोशिकाओं में ऊर्जा के लिए उपयोग करने में मदद करता है। कभी-कभी हमारा शरीर पर्याप्त इंसुलिन नहीं बनाता है या अच्छी तरह से इंसुलिन का उपयोग नहीं करता । तब ग्लूकोज हमारे रक्त में रहता है और हमारी कोशिकाओं तक नहीं पहुंचता है। समय के साथ, हमारे रक्त में बहुत अधिक ग्लूकोज इकत्रित होने लगता है, इसे ही मधुमेह कहा जाता है ।
डायबिटीज या शुगर एक गंभीर समस्या है। पिछले कुछ दशकों में डायबिटीज के मरीजों की संख्या काफी बढ़ गई है। डायबिटीज के बारे में लोगों को जागरूक करने और इससे बचाव के लिए हर साल 14 नवंबर को विश्व डायबिटीज दिवस मनाया जाता है। डायबिटीज की स्थिति में मरीज के खून में शुगर घुलने लगता है, जिसके कारण कई तरह की परेशानियां शुरू हो जाती है। ब्लड में शुगर की मात्रा बढ़ जाने पर हार्ट अटैक, किडनी फेल्योर, फेफड़ों और लिवर की कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। डायबिटीज शरीर के साथ-साथ मस्तिष्क को भी प्रभावित करता है इसलिए इससे बचाव बहुत जरूरी है। हालाँकि मधुमेह का कोई इलाज नहीं है, फिर भी मधुमेह के प्रबंधन और स्वस्थ रहने के लिए कदम उठा सकते हैं।
डायबिटीज के प्रकार-
मधुमेह सामान्यतः तीन प्रकार की होती है-
टाइप 1 डायबिटीज़-
यह एक असंक्रामक या स्वप्रतिरक्षित रोग है। स्वप्रतिरक्षित रोग का प्रभाव जब शरीर के लिए लड़ने वाले संक्रमण, प्रतिरक्षा प्रणाली के खिलाफ होता है तो यह स्थिति टाइप1 डायबिटीज़ की होती है। टाइप 1 डायबिटीज़ में प्रतिरक्षा प्रणाली पाचनग्रंथियां में इन्सुलिन पैदा कर बीटा कोशिकाओं पर हमला कर उन्हें नष्ट कर देती है। इस स्थिति में पाचन ग्रंथिया कम मात्रा में या ना के बराबर इन्सुलिन पैदा करती हैं। टाइप 1 डायबिटीज़ के मरीज़ को जीवन के निर्वाह के लिए प्रतिदिन इन्सुलिन की आवश्यकता होती है।
टाइप 2 डायबिटीज़-
टाइप 2 मधुमेह में शरीर इंसुलिन को अच्छी तरह से नहीं बनाता या उपयोग नहीं करता है। किसी भी उम्र में टाइप 2 मधुमेह विकसित हो सकता हैं, यहां तक कि बचपना में भी। हालांकि, इस प्रकार का मधुमेह ज्यादातर मध्यम आयु वर्ग और वृद्ध लोगों में होता है। टाइप 2 मधुमेह का सबसे आम प्रकार है।
45 वर्ष या अधिक आयु के लोगों में टाइप 2 मधुमेह विकसित होने की अधिक संभावना होती है ।यदि माता-पिता को मधुमेह होने पर टाइप 2 होनी की संभावाना रहती है । शरीर का अधिक वजन होने पर, शारीरिक निष्क्रियता, और कुछ स्वास्थ्य समस्याएं जैसे उच्च रक्तचाप होने पर टाइप 2 मधुमेह के विकास की संभावना को प्रभावित करते हैं। यदि महिला को गर्भवती होने पर गर्भकालीन मधुमेह हो, तो टाइप 2 डायबिटीज होने की संभावना अधिक होती है।
गर्भावधि मधुमेह-
गर्भवती होने पर गर्भकालीन मधुमेह कुछ महिलाओं में विकसित होता है। ज्यादातर बार, इस प्रकार का मधुमेह बच्चे के जन्म के बाद दूर हो जाता है। हालाँकि, यदि आपको गर्भकालीन मधुमेह होने पर जीवन में टाइप 2 मधुमेह विकसित होने की अधिक संभावना है। कभी-कभी गर्भावस्था के दौरान निदान किया गया मधुमेह वास्तव में टाइप 2 मधुमेह है।
अन्य प्रकार के मधुमेह-
कम सामान्य प्रकारों में मोनोजेनिक मधुमेह शामिल है, जो मधुमेह का एक विरासत में मिला हुआ रूप है, और सिस्टिक फाइब्रोसिस से संबंधित मधुमेह है।
मधुमेह अन्य बीमारियों का जनक-
मधुमेह नियंत्रित नहीं होने पर अन्यों रोगों को पैदा कर सकता है, जिनमें प्रमुख रूप से दिल की बीमारी, आघात, गुर्दे की बीमारी, आँखों की समस्या, दंत रोग, नस की क्षति, पैरों की समस्या आदि ।
हृदय रोग और स्ट्रोक
मधुमेह रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है और हृदय रोग और स्ट्रोक का कारण बन सकता है। आप अपने रक्त शर्करा, रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को प्रबंधित करके हृदय रोग और स्ट्रोक को रोकने के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं; और धूम्रपान नहीं करके।
निम्न रक्त शर्करा (हाइपोग्लाइसीमिया)-
हाइपोग्लाइसीमिया तब होता है जब आपका रक्त शर्करा बहुत कम हो जाता है। कुछ मधुमेह की दवाएं कम रक्त शर्करा को अधिक संभावना बनाती हैं। आप अपनी भोजन योजना का पालन करके और अपनी शारीरिक गतिविधि, भोजन और दवाओं को संतुलित करके हाइपोग्लाइसीमिया को रोक सकते हैं। नियमित रूप से आपके रक्त शर्करा का परीक्षण करने से भी हाइपोग्लाइसीमिया को रोकने में मदद मिल सकती है।
तंत्रिका क्षति (मधुमेह न्यूरोपैथी)-
मधुमेह न्यूरोपैथी तंत्रिका क्षति है जो मधुमेह से उत्पन्न हो सकती है। विभिन्न प्रकार के तंत्रिका क्षति आपके शरीर के विभिन्न हिस्सों को प्रभावित करते हैं। आपके मधुमेह का प्रबंधन तंत्रिका क्षति को रोकने में मदद कर सकता है जो आपके पैरों और अंगों और आपके दिल जैसे अंगों को प्रभावित करता है।
गुर्दे की बीमारी-
मधुमेह गुर्दे की बीमारी, जिसे मधुमेह अपवृक्कता भी कहा जाता है, मधुमेह के कारण गुर्दे की बीमारी है। आप अपने मधुमेह के प्रबंधन और अपने रक्तचाप के लक्ष्यों को पूरा करके अपने गुर्दे की रक्षा करने में मदद कर सकते हैं।
पैर की समस्या-
मधुमेह तंत्रिका क्षति और खराब रक्त प्रवाह का कारण बन सकता है, जिससे पैर की गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। सामान्य पैर की समस्याएं, जैसे कि एक कॉलस, दर्द या एक संक्रमण हो सकता है जिससे चलना मुश्किल हो जाता है।
नेत्र रोग-
मधुमेह आपकी आंखों को नुकसान पहुंचा सकता है और कम दृष्टि और अंधापन को जन्म दे सकता है। आंखों की बीमारी को रोकने का सबसे अच्छा तरीका आपके रक्त शर्करा, रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल का प्रबंधन करना है; और धूम्रपान नहीं करने के लिए। इसके अलावा, साल में कम से कम एक बार आंखों की जांच करवाएं।
दंत समस्याएं-
मधुमेह से आपके मुंह में समस्याएं हो सकती हैं, जैसे संक्रमण, मसूड़ों की बीमारी या शुष्क मुंह। अपने मुंह को स्वस्थ रखने में मदद करने के लिए, अपने रक्त शर्करा का प्रबंधन करें, अपने दांतों को दिन में दो बार ब्रश करें, अपने दंत चिकित्सक को वर्ष में कम से कम एक बार देखें, और धूम्रपान न करें।
यौन और मूत्राशय की समस्याएं-
मधुमेह वाले लोगों में यौन और मूत्राशय की समस्याएं अधिक होती हैं। इरेक्टाइल डिसफंक्शन, सेक्स में रुचि की कमी, मूत्राशय के रिसाव, और बनाए रखा मूत्र जैसी समस्याएं हो सकती हैं यदि मधुमेह आपके रक्त वाहिकाओं और नसों को नुकसान पहुंचाता है।
कुछ ऐसे ही लक्षणों के बारे में जानकारी दे रहें हैं जो शुगर की समस्या शुरू होते ही दिखाई पड़ने लगते हैं।
1 - ज़ख़्मों का जल्दी न भरना -
डायबिटिज़ के चलते एक समय के बाद रक्त का संचार (ब्लड सर्कुलेशन) भी प्रभावित होता है, जिसकी वजह से शरीर का घाव जल्दी नहीं भर पाता. इसलिए अगर छोटी से छोटी चोट, घाव, छालों को भरने में समय लगता है, तो यह इस बात की चेतावनी है कि अब आपको अपने डायबिटीज़ को कंट्रोल करना चाहिए।
2 - नज़रें धुंधली होना -
मधुमेह से ग्रसित लोगों में आजकल डायबिटिक रेटिनोपैथी की शिकायत ज़्यादा देखी जा रही है. जिसमें नज़रें धुंधली होने लगती है और हम इसे अनदेखा करते हैं। रक्त में संचार (ब्लड सर्कुलेशन) की समस्या डायबिटिक लोगों में काफ़ी गंभीर हो सकती है।
3 - पैरों में झुनझुनी महसूस करना -
उँगलियों और टखनों में झुनझुनी होना, इस बीमारी के शुरूआती लक्षणों में से एक है. अगर आपको मधुमेह है और आप झुनझुनी के बाद सुन्नपन और जलन महसूस करते हैं, तो फ़ौरन स्क्रीनिंग टेस्ट करवाएं।
4 - बार- बार और तेज़ भूख लगना -
इंसुलिन की कमी की वजह से शरीर की कोशिकाएं ग्लूकोज को सोख नहीं पाती और शरीर में ऊर्जा की कमी होने लगती है जिस कारण मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति को सामान्य लोगों की अपेक्षा अधिक भूख लगती है।
5 - अत्यधिक थकान तथा कमजोरी का होना -
इंसुलिन मानव शरीर की शर्करा को ऊर्जा में बदलने का कार्य करता है लेकिन जैसे ही इन्सुलिन का निर्माण होना कम हो जाता है या बंद हो जाता है तो मानव शरीर में थकान या कमजोरी होने लगती है। अतः अत्यधिक थकान या कमजोरी होना भी शुगर की समस्या के शुरूआती लक्षणों में से है।
मधुमेह के सामान्य परीक्षण एवं सामान्य स्तर-
उपवास रक्त शर्करा परीक्षण- रात भर के उपवास के बाद रक्त का नमूना लिया जाएगा। 100 मिलीग्राम / डीएल (5.6 मिमीओल / एल) से कम उपवास रक्त शर्करा का स्तर सामान्य है। 100 से 125 मिलीग्राम / डीएल (5.6 से 6.9 मिमील / एल) से उपवास रक्त शर्करा के स्तर को प्रीबायोटिक माना जाता है। यदि यह 126 मिलीग्राम / डीएल (7 मिमील / एल) या दो अलग-अलग परीक्षणों पर अधिक है, तो आपको मधुमेह है।
मधुमेह का उपचार-ऐसे तो चिकित्सा के सभी पद्धतियों में मधुमेह का उपचार होने के साथ-साथ लाखों घरेलू नूसखें हैं किन्तु कोई भी उपचार इसे जड़ से खत्म नहीं कर सकता अतः मधुमेह से बचाव अथवा इसे नियंत्रित करने की उपाय ही इसका सर्वोत्तम उपचार है ।
शुगर से बचाव या नियत्रंण के उपाय- शुगर एक लाइलाज बीमारी है । इसे जड़ से खत्म नही किया जा सकता किन्तु इससे बचा जा सकता है । यदि हो वो भी जाये तो घबराने की बजाये इसे नियत्रिंत करने के उपाय कियो जाने चाहिये ।
वजन को नियंत्रण में रखें - हमेशा अपने वज़न का ध्यान रखें। मोटापा अपने साथ कई बीमारियों को लेकर आता है और डायबिटीज़ भी उन्हीं में से एक है। अगर आपका वज़न ज़रूरत से ज़्यादा बढ़ा हुआ या कम है, तो उस पर तुरंत ध्यान दें और वक़्त रहते इसे नियंत्रित करें।
व्यायाम करें - शारीरिक क्रिया स्वास्थ्य के लिए बहुत ज़रूरी है, क्योंकि अगर कोई शारीरिक श्रम नहीं होगा, तो वज़न बढ़ने का ख़तरा बढ़ जाता है और फ़िर मधुमेह हो सकता है। इसलिए, जितना हो सके व्यायाम करें। अगर व्यायाम करने का मन न भी करें तो सुबह-शाम टहलने जरूर जाएं, योगासन करें या सीढ़ियां चढ़ें।
धूम्रपान और शराब का सेवन कम कर दें या संभव हो तो बिलकुल छोड़ दें।
नियमित रूप से जांच - अपने ब्लड शुगर लेवल को जानने के लिए नियमित रूप से अपना डायबिटीज़ टेस्ट कराते रहें और उसका एक चार्ट बना लें, ताकि आपको अपने डायबिटीज़ के घटने-बढ़ने के बारे में पता रहे।
नियमित जांच से प्राप्त आंकड़ों पर कड़ी नजर रखें और हर स्थिंति में शुगर लेबल को खाली पेट 126 मिलीग्राम/डीएल
से कम और भोजन के दो घंटे बाद 180 मिलीग्राम / डीएल से कम करने का प्रयास करें । यही सर्वोत्म उपचार होगा ।
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