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सोमवार, 26 जुलाई 2021

माहेश्वरियों में श्रावण (सावन) माह का बहुत महत्त्व है


श्रावण मास का महत्व -
परम पुरुष (शिव) और प्रकृति (भवानी) का प्रणय ही श्रावण की आध्यात्मिक आर्द्रता है. भगवान महेश और जगतजननी पार्वती के प्रणय (प्रेम) का महीना है श्रावण. तो जिस श्रावण मास में भगवान महेशजी (शिव) का सर्वत्र पूजन हो, उसमें उनकी शक्ति पार्वती की उपेक्षा कैसे की जा सकती है? इसलिए श्रावण माह सदा से ही महेश-पार्वती की आराधना का पर्वकाल रहा है. श्रावण महेश-पार्वती के प्रणय का माह होने के कारन इस माह में भगवान महेशजी और जगतजननी पार्वती की एकत्रित पूजा-अर्चना का महत्व है. शिव के साकार स्वरुप की आराधना का महत्व है. वस्तुतः शिवलिंग/शिवपिंड भगवान शिव के निराकार स्वरूप का प्रतीक है और मूर्ति साकार स्वरुप का प्रतिक है इसलिए श्रावण में महेश-पार्वती की प्रतिमा (मूर्ति) अथवा तसबीर की पूजा का महत्व है.

श्रावण माह के प्रत्येक सोमवार को महेशजी की और प्रत्येक मंगलवार को देवी पार्वती की पूजा का महत्व बताया गया है. इसीलिए श्रावण के प्रत्येक मंगलवार को मंगलागौरी की विशेष पूजा होती है. श्रावण में ही आदिशक्ति पार्वती को समर्पित हरितालिका तीज का पर्व भी मनाया जाता है. सुहागन महिलाएं अपने पति के लम्बी उम्र के लिए और कुमारिकाएं सुयोग्य वर (पति) पाने के लिए हरितालिका तीज का व्रत करती है. इस माह में महेश-पार्वती के पूजन मात्र से सम्‍पूर्ण महेश परिवार (शिव परिवार) की प्रसन्‍नता-आशीर्वाद प्राप्‍त होता है.

माहेश्वरियों में श्रावण (सावन) माह का बहुत महत्त्व है. जैसे जैनों में चातुर्मास का महत्त्व है, जैसे मुस्लिमों में रमजान के महीने का महत्त्व होता है उसी तरह माहेश्वरियों में श्रावण माह का महत्त्व है. माहेश्वरी अपने आप को भगवान महेश-पार्बती की संतान मानते है ; श्रावण महिना भगवान महेश-पार्बती के आराधना का पर्व है. इस महीने में प्रतिदिन नित्य प्रार्थना, मंगलाचरण, महेश मानस पूजा, ओंकार (ॐ) का जप और अन्नदान किया जाता है. श्रावण माह (महीने) में की गयी आराधना से स्वास्थ्य-धन-धान्य-सम्पदा आदि ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, पति-पत्नी में प्रेम प्रगाढ़ (गहरा) होता है, दाम्पत्य जीवन सुखी होता है, परिवार में आपसी प्यार बढ़ता है. राजस्थानी समाज में खासकर माहेश्वरी समाज में परंपरा के अनुसार श्रावण के महीने में हास्य-व्यंग कवि सम्मेलनों का आयोजन किया जाता है.

शमीपत्र चढाने का महत्व -
माहेश्वरीयों में महेशजी को 'समीपत्र' चढाने की परंपरा रही है. मान्यता है की महेश-पार्वती को शमीपत्र चढाने से धन-धान्य-समृद्धि की प्राप्ति होती है. पति-पत्नी मिलकर एकसाथ महेश-पार्वती को शमीपत्र चढाने से उनका आपसी प्रेम बढ़ता है. भक्त भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए बेलपत्र चढ़ाते हैं लेकिन माहेश्वरीयों में महेशजी को समीपत्र (शमीपत्र) चढाने की परंपरा रही है. इस संबंध में एक पौराणिक कथा के अनुसार जब 89 हजार ऋषियों ने महादेव को प्रसन्न करने की विधि परम पिता ब्रह्मा से पूछी तो ब्रह्मदेव ने बताया कि महादेव सौ कमल चढ़ाने से जितने प्रसन्न होते हैं, उतना ही एक नीलकमल चढ़ाने पर होते हैं. ऐसे ही एक हजार नीलकमल के बराबर एक बेलपत्र और एक हजार बेलपत्र चढ़ाने के फल के बराबर एक समीपत्र (शमीपत्र) का महत्व होता है.

श्रावण के सोमवार की सरल व्रत विधि के अनुसार भगवान महेशजी के साथ माता पार्वती, गणेशजी, और नंदी जी की पूजा होती है। विधि‍विधान एवं पवित्र तन-मन से किए इन श्रावण सोमवार व्रतों से व्रती पुरुष का दुर्भाग्‍य भी सौभाग्‍य में परिवर्तित हो जाता है. यह व्रत मनो:वांछित धन, धान्‍य, स्‍त्री, पुत्र, बंधु-बांधव एवं स्‍थाई संपत्ति प्रदान करने वाला है. श्रावण मास के व्रत से महेश-पार्वती की कृपा व अभीष्‍ट सिद्धि-बुद्धि की प्राप्ति होती है.

क्या आपके पूजा में (पूजाघर में) महेश परिवार (भगवान महेशजी, सर्वकुलमाता आदिशक्ति माँ भवानी एवं सुखकर्ता-दुखहर्ता गणेशजी) बिराजमान है?
.....यदि नही है तो सावन (श्रावण) माह के पावनपर्व पर सोमवार के दिन "महेश परिवार" को विधिपूर्वक अपने पूजा में स्थापित करें. प्रतिदिन (खासकर सोमवार के दिन) सपरिवार भगवान महेशजी की आरती करें. आपकी एवं आपके घर-परिवार की सुख-समृद्धि दिन ब दिन बढ़ती जाएगी. पौराणिक मान्यता है की जिस घर-परिवार में 'महेश परिवार' की फोटो या मूर्ति श्रध्दापूर्वक बिराजमान होती है वहां पूरा परिवार बड़े प्यार से मिल-जुलकर रहता है; साथ ही सुख-समृद्धि-सम्पदा की दिन-प्रतिदिन वृद्धि होती है.

जय भवानी....... जय महेश !

भले मोदी कुछ जागृति पैदा करने में सफल हुए हों, पर बिना संपूर्ण जागृति समग्र हिंदुओं के दुर्भाग्य का अंत नही होगा।

कभी कभी सोचता हूँ कि 1500 ई. के बाद के कितने साहसी और बुद्धिमानी रहे होंगे ब्रिटेन के लोग, जिन्होंने एक ठण्डे प्रदेश से निकलकर अंजान रास्ते और अंजान जगहों पर जाकर लोगों को गुलाम बनाया। अभी भी देखा जाए तो ब्रिटेन की जनसंख्या और क्षेत्रफल गुजरात के बराबर है लेकिन उन्होंने दशकों नहीं शताब्दियों तक दुनियां को गुलाम रखा। 

भारत की करोड़ों की जनसंख्या को मात्र कुछ लाख या हजार लोगों ने गुलाम बनाकर रखा, और केवल गुलाम ही नहीं बनाया खूब हत्यायें की, लूटपाट की। उनको अपनी कौम पर कितना गर्व होगा कि इत्तू से देश के इत्तू से लोग पूरी दुनिया को नाच नचाते रहे। भारत के एक जिले में शायद ही 50 से ज्यादा अंग्रेज रहे होंगे लेकिन लाखों लोगों के बीच अपनी धरती से हजारों मील दूर आकर अपने से संख्या में कई गुना लोगों को इस तरह गुलाम रखने के लिए अद्भुत साहस रहा होगा।

अगर इतिहास देखता हूँ तो पता चलता है कि उनके पास हम पर अत्याचार करने के लिए लोग भी नहीं थे तो उन्होंने हम में से ही कुछ लोगों को भर्ती किया था हम पर अत्याचार करने के लिए, हमें लूटने के लिए। मुझे सोचकर ही अजीब लगता है कि हम लोग अंग्रेजों के सैनिक बन कर अपने ही लोगों पर अत्याचार करते थे। चंद्रशेखर, बिस्मिल जैसे मात्र कुछ गिनती के लोग थे जिन्हें हमारा ही समाज हेय दृष्टि से देखता था। आज वही नपुंसक समाज उन चंद लोगों के नाम के पीछे अपना कायरतापूर्ण इतिहास छुपाकर झूठा दम्भ भरता है।

अरब के रेगिस्तान से कुछ भूखे, जाहिल, आतातायी लोग आए और उन्होंने भी हमको लूटा, मारा, बलात्कार किया और हम वहाँ भी नाकाम रहे। उन्होंने हमारे मन्दिर तोड़े, हमारी स्त्रियों के बलात्कार किये लेकिन हमने क्या किया कि वो दिन में विवाह में लूटपाट करते हैं तो रात को चुपचाप विवाह करने लगे, जवान लड़कियों को उठा ले जाते हैं तो बचपन में ही शादी करने लगे और अगर उसमें ही असुरक्षा हो तो बेटी पैदा होते ही मारते रहे। बुरा लगता तो ठीक है लेकिन यही हमारी सच्चाई है।  

हमने 1000 सालों की दुर्दशा से कुछ नहीं सीखा। आज एक जनसँख्या उन्हीं अरबी अत्याचारियों को अपना पूर्वज मानने लगी है। कुछ उन ईसाइयों को अपना पूर्वज मानने लगी है.. यानि हम स्वाभिमानहीन लोग हैं, स्वतंत्रता मिलने पर भी हम मानसिक गुलाम ही रहें। दूसरी तरफ हमारी व्यवस्थाएं भी सड़ी हुई हैं जिन्होंने इन  सभी नाकामियों का कभी मंथन ही नहीं किया। हमारे ऊपर जब आक्रमण हो रहे थे और हम जब एक युद्धकाल से गुजर रहे थे, हमारी बहुसंख्यक जनसँख्या इस मानसिकता में थी कि "कोउ हो नृप हमें का हानि" ..मतलब उनको युद्ध से राज्य से राजा से कोई मतलब नहीं था।  ये सब बस क्षत्रिय के काम थे। उनको करना है तो करें, नहीं करना तो नहीं करें। यही कारण था कि मुस्लिम आक्रमण से राजस्थान क्षेत्र छोड़कर समस्त भारत धराशाही हो गया था क्योंकि राजस्थान में क्षत्रिय जनसँख्या अधिक थी तो संघर्ष करने में सफल रहे। ऐसे ही कुछ क्षेत्र और थे जो इसमें सफल हुए।

*आज युद्धकाल में इस्राइल बुरी तरह शत्रुओं से घिरा हुआ है लेकिन सुरक्षित है क्योंकि वहाँ के प्रत्येक व्यक्ति की देश और धर्म की सुरक्षा की जिम्मेदारी है* लेकिन हमने ये कार्य केवल क्षत्रियों पर छोड़ दिया था.. जबकि फ़ौज में भी युद्ध के समय माली, नाई, पेंटर, रसोइया आदि सभी लड़ाका बनकर तैयार रहते हैं। लेकिन हमने युद्धकाल में भी परिस्थितियों को नहीं समझा और अपनी योजनायें नहीं बनाई अपनी व्यवस्थाएँ नहीं बदली। 

*मुझे अम्बेडकर जी का वह कथन सोचने पर मजबूर का देता है कि "अगर समाज के एक बड़े वर्ग को युद्ध से दूर नहीं किया गया होता तो भारत कभी गुलाम नहीं बनता"। जरा विचार करके देखिए कि मुस्लिम एवं अंग्रेजों से जिस तरह क्षत्रिय लड़े, और पूरी पूरी रियायत मिट गई, अगर पूरा हिन्दू समाज क्षत्रिय बनकर लड़ा होता तो क्या हम कभी गुलाम हो सकते थे? सामान्य परिस्थिति में समाज को चलाने के लिए उसको वर्गीकृत किया ही जाता है लेकिन विपत्तिकाल में नीतियों में परिवर्तन भी किया जाता है, लेकिन हम इसमें पूरी तरह नाकाम लोग हैं। इसलिए 1000 सालों से दुर्भाग्य हमारे पीछे पड़ा है। 2000 साल से हमारा पुरोहित वर्ग, समाज को जगाने, एक करने से ज्यादा, यह सिद्ध करने मे लगा रहा की पानी का कलश दांए रखना चाहिए कि बाँए!!!*

अटल जी का एक भाषण सुन रहा था जिसमें वो कह रहे थे कि एक युद्ध जीतने के बाद जब 1000 अंग्रेजी सैनिक ने जुलूस निकाला था तो सड़क के दोनों तरफ 20000 भारतीय उनको देखने आए थे। अगर ये 20000 लोग पत्थर डण्डे से भी मारते तो 1000 सैनिक को भागते ही बनता लेकिन ये 20 हजार लोग केवल युद्व के मूक दर्शक थे।

आज भी कुछ खास नहीं बदला। मुगलों और अंग्रेजों का स्थान एक खास Dynasty ने ले लिया और वामपंथियों/सेकुलरों के रूप में खतरनाक गद्दारों की फौज भी पैदा हो गई। 
लेकिन सबसे बड़ी विडंबना है कि हम आज भी बंटे हुए हैं। 100 करोड़ होकर भी मूक दर्शक बने हुए हैं। 

1-1 पत्थर भी मारने मे भय लगता है!!!

भले मोदी कुछ जागृति पैदा करने में सफल हुए हों, पर बिना संपूर्ण जागृति समग्र हिंदुओं  के दुर्भाग्य का अंत नही  होगा।
🕉️🇮🇳🕉️

रविवार, 25 जुलाई 2021

बिल्व वृक्ष-शिव प्रिय अमृततुल्य वृक्ष


★★★बिल्व वृक्ष-शिव प्रिय अमृततुल्य वृक्ष!!

1. बिल्व वृक्ष के आसपास सांप नहीं आते l
2. अगर किसी की शव यात्रा बिल्व वृक्ष की छाया से होकर गुजरे तो उसका मोक्ष हो जाता है l
3. वायुमंडल में व्याप्त अशुध्दियों को सोखने की क्षमता सबसे ज्यादा बिल्व वृक्ष में होती है l
4. चार, पांच, छः या सात पत्तो वाले बिल्व पत्र पाने वाला परम भाग्यशाली और शिव को अर्पण करने से अनंत गुना फल मिलता है l 
5. बेल वृक्ष को काटने से वंश का नाश होता है एवं बेल वृक्ष लगाने से वंश की वृद्धि होती है।
6. सुबह शाम बेल वृक्ष के दर्शन मात्र से पापो का नाश होता है।
7. बेल वृक्ष को सींचने से पित्र तृप्त होते है।
8. बेल वृक्ष और सफ़ेद आक् को जोड़े से लगाने पर अटूट लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
9. बेल पत्र और ताम्र धातु के एक विशेष प्रयोग से ऋषि मुनि स्वर्ण धातु का उत्पादन करते थे ।
10. जीवन में सिर्फ एक बार और वो भी यदि भूल से भी शिव लिंग पर बेल पत्र चढ़ा दिया हो तो भी जीव सभी पापों से मुक्त हो जाते है l
11. बेल वृक्ष का रोपण, पोषण और संवर्धन करने से महादेव से साक्षात्कार करने का अवश्य लाभ मिलता है।

★कृपया बिल्व पत्र का पेड़ जरूर लगाये । बिल्व पत्र के लिए पेड़ को क्षति न पहुचाएं l

★★शिवजी की पूजा में ध्यान रखने योग्य बात l 

★शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव को कौन सी चीज़ चढाने से मिलता है क्या फल - 
किसी भी देवी-देवता का पूजन करते समय उनको अनेक चीज़ें अर्पित की जाती है। प्रायः भगवान को अर्पित की जाने वाली हर चीज़ का फल अलग होता है। शिव पुराण में इस बात का वर्णन मिलता है की भगवान शिव को अर्पित करने वाली अलग-अलग चीज़ों का क्या फल होता है। शिवपुराण के अनुसार जानिए कौन सा अनाज भगवान शिव को चढ़ाने से क्या फल मिलता है:
1. भगवान शिव को चावल चढ़ाने से धन की प्राप्ति होती है।
2. तिल चढ़ाने से पापों का नाश हो जाता है।
3. जौ अर्पित करने से सुख में वृद्धि होती है।
4. गेहूं चढ़ाने से संतान वृद्धि होती है।यह सभी अन्न भगवान को अर्पण करने के बाद गरीबों में वितरीत कर देना चाहिए।

★शिव पुराण के अनुसार जानिए भगवान शिव को कौन सा रस (द्रव्य) चढ़ाने से उसका क्या फल मिलता है -

1. ज्वर (बुखार) होने पर भगवान शिव को जलधारा चढ़ाने से शीघ्र लाभ मिलता है। सुख व संतान की वृद्धि के लिए भी जलधारा द्वारा शिव की पूजा उत्तम बताई गई है।
2. नपुंसक व्यक्ति अगर शुद्ध घी से भगवान शिव का अभिषेक करे, ब्राह्मणों को भोजन कराए तथा सोमवार का व्रत करे तो उसकी समस्या का निदान संभव है।
3. तेज दिमाग के लिए शक्कर मिश्रित दूध भगवान शिव को चढ़ाएं।
4. सुगंधित तेल से भगवान शिव का अभिषेक करने पर समृद्धि में वृद्धि होती है।
5. शिवलिंग पर ईख (गन्ना) का रस चढ़ाया जाए तो सभी आनंदों की प्राप्ति होती है।
6. शिव को गंगाजल चढ़ाने से भोग व मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है।
7. मधु (शहद) से भगवान शिव का अभिषेक करने से राजयक्ष्मा (टीबी) रोग में आराम मिलता है।

★शिव पुराण के अनुसार जानिए भगवान शिव को कौन का फूल चढ़ाया जाए तो उसका क्या फल मिलता है -

1. लाल व सफेद आंकड़े के फूल से भगवान शिव का पूजन करने पर भोग व मोक्ष की प्राप्ति होती है।
2. चमेली के फूल से पूजन करने पर वाहन सुख मिलता है।
3. अलसी के फूलों से शिव का पूजन करने से मनुष्य भगवान विष्णु को प्रिय होता है।
4. शमी पत्रों (पत्तों) से पूजन करने पर मोक्ष प्राप्त होता है।
5. बेला के फूल से पूजन करने पर सुंदर व सुशील पत्नी मिलती है।
6. जूही के फूल से शिव का पूजन करें तो घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती।
7. कनेर के फूलों से शिव पूजन करने से नए वस्त्र मिलते हैं।
8. हरसिंगार के फूलों से पूजन करने पर सुख-सम्पत्ति में वृद्धि होती है।
9. धतूरे के फूल से पूजन करने पर भगवान शंकर
 सुयोग्य पुत्र प्रदान करते हैं, जो कुल का नाम रोशन करता है।
10. लाल डंठलवाला धतूरा पूजन में शुभ माना गया है।
11. दूर्वा से पूजन करने पर आयु बढ़ती है।


          !!!! शुभमस्तु !!!!

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सुबह सिर्फ एक दो मुट्ठी चने खाकर हेल्थ जबरदस्त हो सकती है.


*सुबह सिर्फ एक दो मुट्ठी चने खाकर हेल्थ जबरदस्त हो सकती है.!*

*(1).* एक सस्ता और आसान सा दिखने वाला चना हमारे  सेहत के लिए कितना फायदेमंद है जानिये...

*(2).* काले चने भुने हुए हों, अंकुरित हों या इसकी सब्जी बनाई हो, यह हर तरीके से सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं।

*(3).* इसमें भरपूर मात्रा में कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन्स, फाइबर, कैल्शियम, आयरन और विटामिन्स पाए जाते हैं।

*(4).* शरीर को सबसे ज्यादा फायदा अंकुरित काले चने खाने से होता है, क्योंकि अंकुरित चने क्लोरोफिल, विटामिन ए, बी, सी, डी और के, फॉस्फोरस, पोटैशियम, मैग्नीशियम और मिनरल्स का अच्छा स्रोत होते हैं।
साथ ही इसे खाने के लिए किसी प्रकार की कोई खास तैयारी नहीं करती पड़ती।
रातभर भिगोकर सुबह एक-दो मुट्ठी खाकर हेल्थ अच्छी हो सकती है।

*(5).* चने ज्यादा महंगे भी नहीं होते और इसमें बीमारियों से लड़ने के गुण भी छिपा हुए हैं।
कब्ज से राहत मिलती है, चने में मौजूद फाइबर की मात्रा पाचन के लिए बहुत जरूरी होती है।

*(6).* रातभर भिगोए हुए चने से पानी अलग कर उसमें नमक, अदरक और जीरा मिक्स कर खाने से कब्ज जैसी समस्या से राहत मिलती है।
साथ ही जिस पानी में चने को भिगोया गया था, उस पानी को पीने से भी राहत मिलती है।
लेकिन कब्ज दूर करने के लिए चने को छिलके सहित ही खाएं।

*(7).* ये एनर्जी बढ़ाता है।
कहा तो यहाँ तक जाता है इंस्टेंट एनर्जी चाहिए, तो रात भर भिगोए हुए या अंकुरित चने में हल्का सा नमक, नींबू, अदरक के टुकड़े और काली मिर्च डालकर सुबह नाश्ते में खाएं, बहुत फायदेमंद होता है।
चने का सत्तू भी खा सकते हैं।
यह बहुत ही फायदेमंद होता है।
गर्मियों में चने के सत्तू में नींबू और नमक मिलाकर पीने से शरीर को एनर्जी तो मिलती ही है, साथ ही भूख भी शांत होती है।

*(8).* पथरी की प्रॉब्लम दूर करता है।
दूषित पानी और खाने से आजकल किडनी और गॉल ब्लैडर में पथरी की समस्या आम हो गई है।
हर दूसरे-तीसरे आदमी के साथ स्टोन की समस्या हो रही है।
इसके लिए रातभर भिगोए हुए काले चने में थोड़ी सी शहद की मात्रा मिलाकर खाएं।
रोजाना इसके सेवन से स्टोन के होने की संभावना काफी कम हो जाती है और अगर स्टोन है तो आसानी से निकल जाता है।
इसके अलावा चने के सत्तू और आटे से मिलकर बनी रोटी भी इस समस्या से राहत दिलाती है।

*(9).* काला चना शरीर की गंदगी को पूरी तरह से बाहर भी निकालता है।

*अन्य फायदे...*
● एनर्जी बढ़ाता है,
● डायबिटीज से छुटकारा मिलता है,
● एनीमिया की समस्या दूर होती है,
● बुखार में पसीना आने की समस्या दूर होती है,
● पुरुषों के लिए फायदेमंद,
● हिचकी में राहत दिलाता है,
● जुकाम में आराम मिलता है,
● मूत्र संबंधित रोग दूर होते हैं,
● त्वचा की रंगत निखारता है।

*डायबिटीज से छुटकारा दिलाता है।*
चना ताकतवर होने के साथ ही शरीर में एक्स्ट्रा ग्लूकोज की मात्रा को कम करता है जो डायबिटीज के मरीजों के लिए कारगर होता है। लेकिन इसका सेवन सुबह सुबह खाली पेट करना चाहिए।
चने का सत्तू डायबिटीज़ से बचाता है।
एक से दो मुट्ठी ब्लड चने का सेवन ब्लड शुगर की मात्रा को भी नियंत्रित करने के साथ ही जल्द आराम पहुंचाता है।

*एनीमिया की समस्या दूर होती है।*
शरीर में आयरन की कमी से होने वाली एनीमिया की समस्या को रोजाना चने खाकर दूर किया जा सकता है।
चने में शहद मिलाकर खाना जल्द असरकारक होता है।
आयरन से भरपूर चना एनीमिया की समस्या को काफी हद तक कम कर देता है।
चने में 27% फॉस्फोरस और 28% आयरन होता है जो न केवल नए बल्ड सेल्स को बनाता है, बल्कि हीमोग्लोबिन को भी बढ़ाता है।

*हिचकी में राहत दिलाए*
हिचकी की समस्या से ज्यादा परेशान हैं, तो चने के पौधे के सूखे पत्तों का धूम्रपान करने से हिचकी आनी बंद हो जाती है।
साथ ही चना आंतों/इंटेस्टाइन की बीमारियों के लिए भी काफी फायदेमंद होता है।

*बुखार में पसीना आने पर*
बुखार में ज्यादा पसीना आने पर भुने हुए चने को पीसकर, उसमें अजवायन मिलाएं।
फिर इससे मालिश करें।
ऐसा करने से पसीने की समस्या खत्म हो जाती है।

*मूत्र संबंधित रोग में आराम*
भुने हुए चने का सेवन करने से बार-बार पेशाब जाने की बीमारी दूर होती है।
साथ ही गुड़ व चना खाने से यूरीन से संबंधित किसी भी प्रकार की समस्या में राहत मिलती है।
रोजाना भुने हुए चनों के सेवन से बवासीर ठीक हो जाती है।

*पुरुषत्व के लिए फायदेमंद*
चीनी मिट्टी के बर्तन में रात भर भिगोए हुए चने को चबा चबाकर खाना पुरुषों के लिए बहुत फायदेमंद होता है।
पुरुषों की कई प्रकार की कमजोरी की समस्या खत्म होती है।
जल्द असर के लिए भीगे हुए चने के साथ दूध भी पिएं।
भीगे हुए चने के पानी में शहद मिलाकर पीने से पुरुषत्व बढ़ता है।

*त्वचा की रंगत निखारता है।*
चना केवल हेल्थ के लिए ही नहीं, स्किन के लिए भी बहुत फायदेमंद है।
चना खाकर चेहरे की रंगत को बढ़ाया जा सकता है। वैसे चने की फॉर्म बेसन को हल्दी के साथ मिलाकर चेहरे पर लगाना सबसे ज्यादा फायदेमंद होता है।
नहाने से पहले बेसन में दूध या दही मिक्स करें और इसे चेहरे पर 15-20 लगा रहने दें।
सूखने के बाद ठंडे पानी से धो लें।
रंगत के साथ ही कील मुहांसों, दाद-खुजली और त्वचा से जुड़ी कई प्रकार की समस्याएं दूर होती हैं।

*युवा महिलाओं को हफ्ते में कम से कम एक बार चना और गुड़ खाना चाहिए।*
गुड़ आयरन का समृद्ध स्रोत है और चने में बड़ी मात्रा में प्रोटीन होता है।
ये दोनों मिलकर महिलाओं की माहवारी के दौरान होने वाले रक्त के नुकसान को पूरा करते हैं।
तथा सभी महिलाओं को आने वाले माघ महीने में हर रोज कम से कम 40-60 मिनट धूप में बैठकर तिल के लड्डू या गजक खाने चाहिए, जिसमें कैल्शियम की मात्रा काफी ज्यादा होती है। इससे उनके शरीर में कैल्शियम और विटामिन डी की कमी पूरी हो जाएगी।

*जुकाम में राहत*
गर्म चने को किसी साफ कपड़े में बांधकर सूंघने से जुकाम ठीक हो जाता है।

शुक्रवार, 23 जुलाई 2021

केमिकल का कमाल, खराब मुरझाई हुई हरी सब्जी एक दम ताजी

केमिकल का कमाल,

खराब मुरझाई हुई हरी सब्जी एक दम ताजी ।

जमीन में भी इतनी ताजी नही होती है जितनी इस केमिकल से होती है।

पोस्ट के साथ दिए गए वीडियो में देखिए कैसे मुरझाई हुई सब्जियों पर केमिकल का प्रयोग करके उसे एकदम ताजी बना देते है




देखिए वीडियो हम जाने अनजाने में कितना जहर खा रहे है।
और यह भी जानिए की इस प्रकार के या अन्य केमिकल का हमारे स्वास्थ्य पर कितना प्रभाव पड़ता है

सब्जियों के साथ क्षेत्रवासी जहर खाने को मजबूर हैं। सब्जियों के साथ यह जहर लोगों के पेट में जा रहा है। इस बारे में न तो किसान जानते हैं और न ही सब्जी विक्रेता और उपभोक्ता। पूछताछ में जो जानकारी प्राप्त हुई है, उसमें घातक रासायनिक तत्वों का प्रयोग स्वास्थ्य एवं श्वास के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभकारी हरी सब्जियां लोगों में विकृति एवं गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती हैं। लोग सब्जियों के साथ बीमारियां घर ले जा रहे हैं। किसान जाने- अनजाने में यह जहर खाने को मजबूर हैं। न अच्छे किस्म के बीज हैं न खाद न पानी और न ही अपेक्षित सुविधा है। उसके बावजूद भी ज्यादा पैदावार की होड़ ने किसानों को कृत्रिम उपाय अपनाने को विवश कर दिया है।

किसान बने अंजान

दवाओं व रसायनिक छिडक़ाव से फसल अच्छी होती है, यह तो किसानों को पता है। लेकिन यह नहीं मालूम कि इससे सब्जियां जहरीली हो जाती हैं। इस कारण वे जहर छिडक़ते रहते हंै। यानी वे अनजाने में ऐसा कर रहे हैं। इसके प्रति आगाज करने के लिए कोई प्रभावी सरकारी या गैर सरकारी कार्यक्रम किसानों तक नहीं पहुंच पाए हैं। जिसमें सब्जियों में जहर के प्रयोग पर रोक लग सके।

सब्जी का रोज लाखों का कारोबार

क्षेत्र में प्रतिदिन लाखों रुपए का सब्जी का कारोबार किया जाता है। इसलिए किसान ज्यादा पैदावार के लिए घातक रसायनों का सहारा लेने के साथ पानी की कमी के कारण अपने आस-पास बहते नालों के गंदे पानी से खेती करते हैं।

किडनी-कैंसर को बढ़ावा

इन सब्जियों में कई तरह के पेस्टीसाइड व मेटल्स जैसे कीटाणु की मात्रा ज्यादा होने लगी है। जो सब्जियों के साथ शरीर में जाकर स्वास्थ्य को भारी नुकसान पहुंचाते हैं। यह जहर शरीर के विभिन्न संवेदनशील अंगों में जमा होता रहता है। इस संबंध में कस्बे के राजकीय अस्पताल के चिकित्सक ने बताया कि सब्जियों में सीसा, कॉपर और क्रोमियम जैसी खतरनाक धातुएं और एंडोसल्फॉन, एचसीएन जैसे घातक पेस्टीसाइड के प्रभाव से उल्टी-दस्त किडनी फेल व कैंसर जैसी बीमारियां सामने आती हंै।

कृषि विशेषज्ञ की राय

कृषि पर्यवेक्षक ने बताया कि किसानों द्वारा पैदावार को बढ़ाने के लिए फसलों पर रसायनिक पेस्टीसाइड का उपयोग बहुतायत में किया जाता है। रसायनिक खादों के बढ़ते प्रयोग से हरी सब्जियों का स्वाद गायब हो चला है। कम समय में ज्यादा सब्जियां तैयार करने के लिए प्रतिबंधित ऑक्सीटोसीन इंजेक्शन मुफीद साबित हो रहा है। पैदावार बढ़ाने की आपाधापी में रसायनों का उपयोग उपभोक्ताओं के लिए जहर साबित हो रहा है। अच्छे तेल-मसालों के उपयोग के बाद भी सब्जियों का स्वाद लोगों को रास नहीं आ रहा है।

फल और सब्जियां स्वस्थ्य आहार का हिस्सा जरूर हैं, लेकिन इनके इस्तेमाल से पहले इनमें मौजूद कीटनाशक और जहरीले रसायनों को निकालना जरूरी है। इसमें लापरवाही कई बीमारियों का शिकार बना सकती है।

विशेषज्ञों के मुताबिक फल और सब्जियों को कीट-पतंगों से बचाने और उसके पैदावार को बढ़ाने के लिए अक्सर कीटनाशक और जहरीले रसायनों का प्रयोग किया जाता है। इनमें आर्सेनिक, डायल्ड्रिन, डीडीआई, डाइऑक्सिन का आमतौर पर उपयोग किया जाता है। जो इंसानी स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं।


ऐसे जहरीले रसायनों को प्रयोग टमाटर, सेब, आड़ू, गोभी, पालक, सलाद, नाशपाती, अंगूर, अजवाइन आदि में प्रयोग किया जाता है। किसान इसके पौधे लगाने के बाद अक्सर ऐसे रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग हरी पत्तिदार सब्जियों पर भी करते हैं। जिससे पौधे जहरीले कीटनाशकों अवशोषित कर लेता है। इसके अंश फलों और सब्जियों में भी मौजूद होते हैं।

बुरी तरह स्वास्थ्य हो सकता है प्रभावित: सफदरजंग अस्पताल के सामुदायिक मेडिसिन विभाग के निदेशक और एचओडी प्रोफेसर डॉक्टर जुगल किशोंर के मुताबिक वयस्कों में ऐसे फल और सब्जियों के सेवन से तंत्रिका तंत्र बाधित करने के साथ हार्मोन भी प्रभावित करता है। वहीं एलर्जी, उच्च रक्तचाप, अवसाद, बांझपन, अस्थमा के साथ कैंसर जैसी घातक बीमारियों को भी उतपन्न कर सकता है।

वहीं बच्चों में इसका दुष्प्रभाव ज्यादा होता है, क्योंकि शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बच्चों के आहार में विशेषतौर पर फल और सब्जियों की तादाद बढ़ाई जाती है। नतीजतन मस्तिष्क से संबंधित विकार के साथ उनकी याददाश्त को भी प्रभावित कर सकता है। इन कीटनाशक और रासायनिक दुष्प्रभाव के कारण बच्चा मंद बुद्धि भी हो सकता है। व्यस्कों और बच्चे दोनों का पाचन तंत्र भी प्रभावित होने के आसार
रहते हैं।


इन बातों को रखें ध्यान
1.अच्छी गुणवत्ता वाली फल-सब्जियां खरीदें। खासतौर से जिनपर दाग-धब्बे न हों।
2.इन्हें काटने से पहले अच्छी तरह पानी से धो लें। सब्जियों को काटने और पकाने से पहले जरूर रनिंग वाटर से धोएं।
3.बाजार से कटे हुए फल खरीदकर कभी भी न खाएं।
4.फंगस और मॉउल्ड से प्रभावित सब्जियों और फलों का इस्तेमाल न करें।
5,हरी और पत्तिदार सब्जियों के पत्तों के ऊपरी आवरण पर खतरनाक रासायनों का अवशेष होता है। इसलिए इसे बारीकी से धोना आवश्यक है।
6.फल और सब्जियों को काटने के बाद किसी अच्छे साबुन से हाथ जरूर धोकर ही कोई अन्य कार्य करें।

आर्गेनिक उत्पाद ही विकल्प है इसका

आर्गेनिक फल और सब्जियों को बिना केमिकल जैविक और प्राकृतिक तरीके से उगाया जाता है जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी एवं पोषक तत्वों से भरपूर होते है

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गुरुवार, 22 जुलाई 2021

छिपे हुए कैमरों का पता कैसे लगाया जा सकता है?

कोई आपको देख रहा है

प्रौद्योगिकी ने उन्नत किया है कि जासूसी कैमरा एक छोटा, चिकना और चतुर डिजाइन है जिसे एक वस्तु के रूप में प्रच्छन्न किया जा सकता है। शॉपिंग मॉल में चेंजिंग रूम के अंदर हॉस्टल, होटल के कमरे, कारवां (एक अभिनेत्री के मामले में) और किराए के फ्लैट/पीजी आवास में रहने वाली महिलाओं के लिए यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा है।

हम खबरें सुनते आ रहे हैं कि छिपे हुए कैमरे का इस्तेमाल महिलाओं को नहाते समय और कपड़े बदलते समय कैद करने के लिए किया जाता है। प्रतिद्वंदी लाइव स्ट्रीम सुविधा का उपयोग करके बिना कैमरे को स्विच ऑन किए रिकॉर्ड कर सकते हैं, क्योंकि वे गति का पता लगाने में सक्षम हैं, और वे स्वचालित रूप से रिकॉर्डिंग शुरू कर देते हैं।

लाइव रिकॉर्ड किए गए वीडियो क्लाउड सर्वर में संग्रहीत होते हैं, और आप छिपे हुए कैमरे को तोड़कर रिकॉर्डिंग को नष्ट नहीं कर सकते।

2018 में चेन्नई में हुई एक भयानक घटना; कामकाजी महिला छात्रावास की मालिक ने कई जगहों पर स्पाई कैमरा छुपाया था, खासकर हर बाथरूम के अंदर 3 कैमरे।

हालाँकि, आप बग डिटेक्टर का उपयोग करके एक छिपे हुए कैमरे का पता लगा सकते हैं, लेकिन आपको इसे ऑनलाइन स्टोर से खरीदने के लिए खर्च करना होगा।

बुद्धिमान कैमरे का पता लगाने के लिए एक आसान तरीका उपलब्ध है, क्योंकि चेन्नई छात्रावास में महिलाओं ने एंड्रॉइड ऐप का उपयोग करके छिपे हुए कैमरे को ढूंढ लिया।

क्या आप नीचे दी गई वस्तु के रूप में प्रच्छन्न छिपे हुए कैमरे की पहचान कर सकते हैं?

स्मोक डिटेक्टर

2. डिजिटल अलार्म

3. एक बल्ब

4. ब्लू टूथ स्पीकर के अंदर

5. नाइट लैंप

6. एक गुड़िया में स्पाई कैमरा

यदि स्टफ्ड टॉय का रंग गहरा या व्यस्त पैटर्न है तो लेंस को नहीं देखा जा सकता है

7. सॉकेट में

8. अपने बाथरूम या बेडरूम में कोट हुक

9. फोटो फ्रेम के रूप में

10. लैंडलाइन टेलीफोन सॉकेट

11. आपके बाथरूम के अंदर वायु शोधक

11. आपके बाथरूम के अंदर वायु शोधक

इनमें से अधिकांश कैमरा इकाइयां रिमोट कंट्रोल और मोशन डिटेक्शन के साथ आती हैं, इस प्रकार इस भ्रामक तकनीक से गुप्त निगरानी पूरी तरह से संभव है। ऑनलाइन पोर्टल्स पर 2000 रुपये से कम में स्पाई कैमरे उपलब्ध होने के कारण, इन छिपे हुए कैमरों की पहचान करना और आपकी गोपनीयता की रक्षा करना कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।

छिपे हुए कैमरे की कुछ सामान्य विशेषताएं

उच्च रिज़ॉल्यूशन के साथ, ऑडियो रिकॉर्डिंग के साथ 1920X1080p HD वीडियो 30 fps और 120-डिग्री व्यू एंगल वीडियो रिकॉर्डिंग को परिपूर्ण बनाता है

प्रयोग करने में आसान - प्लग एंड प्ले। हाँ, जैसा कि कहा गया है, यह आसान है। बस वाईफाई कनेक्ट करें और काम में प्लग करें, जब आप रिकॉर्डिंग के साथ बस अनप्लग करें। आप अपने मोबाइल या लैपटॉप से ​​कहीं भी लाइव स्ट्रीम कर सकते हैं।

टेक्नोलॉजी - यह लूप रिकॉर्डिंग और अपग्रेडेड मोशन डिटेक्शन टेक्नोलॉजी के साथ आता है। लूप रिकॉर्डिंग आपको एसडी कार्ड स्टोरेज स्पेस के बारे में नहीं सोचने की चिंता करने की अनुमति देती है, यह स्वचालित रूप से रिकॉर्डिंग जारी रखने के लिए पुराने रिकॉर्ड को साफ कर देता है और अपग्रेडेड मोशन डिटेक्शन मोड एसडी कार्ड स्पेस का कुशलतापूर्वक उपयोग करने में मदद करता है, जब आप रिकॉर्डिंग मोड को नियमित रिकॉर्डिंग से मोशन डिटेक्शन में बदल देते हैं तो यह जीत जाता है 'जब तक आच्छादित क्षेत्र में कुछ हलचल न हो तब तक लगातार रिकॉर्ड न करें'

छिपे हुए कैमरों से खुद को कैसे बचाएं? -

हिडन कैमरा डिटेक्टर ऐप के लिए ऐप गूगल प्ले स्टोर सर्च में उपलब्ध हैं। ऐप्स आपके आस-पास के कैमरों का पता लगा सकते हैं और आपके मोबाइल फोन के माध्यम से छिपे हुए कैमरों का पता लगा सकते हैं।

अपरिचित स्थानों जैसे होटल के कमरे, अतिथि कक्ष, शॉवर के नीचे, यहां तक ​​कि आपके निजी कमरे, सार्वजनिक शौचालय आदि में रहने वाली महिलाएं ऐप का उपयोग कर सकती हैं।

ऐप कैसे काम करता है

छिपे हुए कैमरे का पता लगाने और किसी भी असामान्य चुंबकीय गतिविधि को खोजने के लिए आपको बस अपने फोन को अपने परिवेश में ले जाना होगा, जो एक हिडन कैमरा, स्पाई कैमरा, गुप्त कैमरा या एक छिपा हुआ उपकरण हो सकता है।

यदि मोबाइल स्पाई कैमरे के संपर्क में आता है तो उसे एक बीप ध्वनि और एक लाल बत्ती अलर्ट देना चाहिए।

सबसे पहले किसी अन्य कैमरा मोबाइल फोन या कैमरे का उपयोग करके ऐप का परीक्षण करें। आपके एंड्रॉइड फोन के ऐप को यह पता लगाना चाहिए कि यह दूसरे मोबाइल के कैमरे के संपर्क में कब आता है।

नोट- यह लेख हिडन कैमरा या हिडन कैमरा डिटेक्टर ऐप्स की मार्केटिंग के बारे में नहीं है। इस सामग्री का उद्देश्य जागरूकता पैदा करना और महिलाओं को विकृतियों से बचाना है

वीडियो रिकॉर्डिंग करते समय मोबाइल में ऐसी कौन सी सेटिंग है जो सब को नहीं पता होता?

चलिए आज हम आपको वीडियो रिकॉर्डिंग करते समय मोबाइल में ऐसी एक-दो सेटिंग है जो सब को नहीं पता होता जिसके बारे में बताते है।

बिंदु नम्बर 1.

ग्रिड (ग्रिड) -

इसके बारे में सब ने नाम सुना है और आपने अपने फ़ोन के कैमरे में भी इसे देखा है लेकिन उसका उपयोग ज़्यादातर लोगों ने कभी नहीं किया होगा। ये हम यक़ीन के साथ कह सकते है।

हम लोग ज़्यादातर इस तरह फ़ोटो या विड़ीयो रिकोर्ड करते है।

ये सही है लेकिन इससे थोड़ा और बेहतर बनाने के लिए ग्रिड का इस्तेमाल कर सकते है।

ग्रिड का करें इस्तेमाल

फोन से अच्छी फोटो/विड़ीयो क्लिक करने के लिए ग्रिड लाइंस का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। फोन से अच्छे शॉट्स लेने का यह पुराना और कारगर तरीका है।

  • ग्रिड का इस्तेमाल करने पर स्क्रीन के ऊपर तीन लाइन बन जाती हैं।
  • इन लाइनों की मदद से ऑब्जेक्ट को फोटो में आसानी से शामिल किया जा सकता है।
  • ग्रिडलाइंस को खोलने के लिए फोन की सेटिंग्स में जाना होगा, उसके बाद वहां से ग्रिड को ऑन कर सकते हैं।

अब यह कुछ इस तरह दिखाई देगा।

  • इससे आपके ऑब्जेक्ट पर असर पड़ता है। यह सिर्फ़ आपके ऑब्जेक्ट पर फ़ोकस करेगा और उसे बेहतरीन बनाने में मदद करता है।
  • इससे पर्टिक्युलर बॉक्स बने होते है जिसमें अलग-अलग ऑब्जेक्ट के हिसाब से विडीओ रिकोर्ड होती है।

बिंदु नम्बर 2.

आमतौर पर लोग बिना कैमरा की सेटिंग में बदलाव किए ही इसका उपयोग करने लग जाते है।(जैसा नया आता है सीधे कैमरा का उपयोग) अगर हम विडीओ बना रहे है तो इस चीज़ का ध्यान और देना होगा।

  • आजकल के फ़ोन उच्च क्वालिटी की विडीओ बनाने में सक्षम है लेकिन इसका उपयोग करने के लिए हमें ज़्यादा जगह भी चाहिए जोकि अब आने लग ही गई है।
  • फ़ोन के साथ कैमरे की सेटिंग डिफ़ॉल्ट आती है,(जिसे आप देख सकते है डिफ़ॉल्ट👇🏻) जिन्हें हमें बदलना होगा। जैसे-
  • आपको पिक्सल का ध्यान रखना होगा।
  • अगर आप स्लो मोशन विडीओ बना रहे है तो आपको 4K 60fps से बचना होगा इसमें कम लेंथ की विडीओ भी ज़्यादा साइज़ में बनती है।
  • अगर आप 4–5 मिनट की विडीओ बना रहे हो तो आप अपनी इच्छानुसार फ़ॉरमेट रख सकते है लेकिन लम्बी विडीओ बनाने पर इसका ध्यान रखे। क्योंकि -
  • ज़्यादा फ़ॉरमेट (4K, 30fps, 60fps) के साथ-साथ विडीओ का साइज़ तो बढ़ता ही है और साथ में ही आपका फ़ोन गर्म भी होगा और बैटरी भी ज़्यादा खर्च होती है। इसलिए इसका विशेषतौर पर ध्यान रखे।

उम्मीद करता हूँ यह टिप्स अपने बहुत काम आई होगी। बताना ज़रूर।

अमेरिका ने भारत से कहा है कि अंतरिक्ष को कूड़ेदान न बनायें.

एक तस्वीर देखिए।

यह लाल चिन्हित बिंदु, सभी मनुष्यों द्वारा बनाए गए उपग्रहों आदि का एक ३डी चित्र है। अब ज़ाहिर-सी बात है कि इनमें सबसे अधिक योगदान किसका होगा, बेशक रूस और अमेरिका का।

अमेरिका वह दयालु देश है जो खुद तो तरक्की करता है लेकिन वही तरक्की कोई दूसरा देश करे, तो उसे यह श्लोक याद आ जाता है-

“विश्व: शान्ति, अंतरिक्ष: शान्ति, वनस्पतयः शान्ति, सर्वज्ञाम शान्ति।”

इसने खुद यह परीक्षण एक नहीं, दो बार सबको करके दिखाया है, और कई बार छिपा कर कर चुका है। कब? अमेरिका ने पहली बार वर्ष १९५९ में पहला ए-सॅट परीक्षण किया था, और फिर २००७ में जब चीन ने यह परीक्षण किया, उसकी कड़ी निंदा करने के साथ साथ अमेरिका ने फिर से यह परीक्षण किया था, बस चीन को दिखाने के लिए कि अभी भी विश्व की महाशक्ति अमेरिका ही है।


विश्व में आतंकवाद को जन्म दिया किसने? अमेरिका ने।

फिर इसको एशिया की समस्या कहकर नज़रअंदाज़ किया, तब तक, जब तक भस्मासुर बनकर इसी आतंकवाद ने उसकी ही ऊंची इमारत को ध्वस्त कर दिया। तब जाकर उसे पता चला कि आतंकवाद विश्व की समस्या है।

दुनिया में परमाणु अस्त्र का प्रयोग केवल एक ही देश ने किया है, कौन? अमेरिका।

जापान के दो शहरों को सदियों के लिए ध्वंस करने के बाद आज यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वीटो लेकर बैठा है। जबकि हमेशा शान्ति का नारा देने वाला भारत आज भी स्थायी सदस्य नहीं बन पाया।

पॅरिस प्रोटोकॉल से सबसे पहले कौन सा देश निकला? अमेरिका। और फिर वह प्रगतिशील देशों पर प्रदूषण का दोष लादता है, जबकि सबसे अधिक कार्बन यही छोड़ता है दुनिया में।

तो इसमें कोई हैरानी नहीं कि भारत जैसे राष्ट्र जहां अमेरिका को बस्तियों और गरीबी के अलावा कुछ और नहीं दिखता, वहां के वैज्ञानिकों ने सम्पूर्ण स्वदेशी कौशल से एन्टी-सॅटेलाइट मिसाइल बनाई और बिना किसी हिचकिचाहट खुद इसका सफल परीक्षण भी किया। इस पर अमेरिका को कूड़ादान नहीं दिखेगा तो और क्या दिखेगा?


इस बात पर मंगलयान को लेकर एक पुराना वाकया याद आता है। जब भारतीय संस्थान इसरो ने नासा के पास मंगल यात्रा में शामिल होने के लिए प्रस्ताव रखा था तब अमरीकी अख़बार 'न्यूयॉर्क times' ने इसका भद्दा मज़ाक उड़ाया था।

उन्होंने भारतीय वैज्ञानिक संस्थानों को गाय जैसा बेवकूफ करार दिया।

फिर भारत ने दुनिया का सबसे सस्ता मिशन बनाकर मंगलयान भेजा। फिर एक साथ कई सारे सॅटेलाइट भी भेजे, कम खर्च पर, और पूरी दुनिया इस बात पर भारत की वाहवाही करने लगी। सारे देश अपने-अपने सॅटेलाइट भारतीय संस्थान द्वारा सस्ते में भेजने के लिए आगे आए।

और भारतीय अख़बारों ने उसका बढ़िया बदला लिया।

फिर क्या! न्यूयॉर्क टाइम्स ने माफी मांगी। :)

प्रश्न था -

अमेरिका ने भारत से कहा है कि अंतरिक्ष को कूड़ेदान न बनायें .इस विषय पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है ?

आधार -

Watch 20,000 Satellites Orbit Earth In Real Time — Simply Amazing!

New York Times in cartoon apology

Dear New York Times Do You Still Think ISRO Should Be Kept Outside The 'Elite Club'

इजराइल की सी ब्रेकर मिसाइल क्यों चर्चा में है?

इजरायल ने पांचवी पीढ़ी की सी ब्रेकर मिसाइलको दुनिया के सामने पेश किया है। इस महाविनाशक मिसाइल को इजरायली हथियार निर्माता कंपनी राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम्स

ने बनाया है। बुधवार को इस मिसाइल का उद्धाटन इजरायली रक्षा मंत्री ने किया। इस मिसाइल को समुद्र या जमीन से फायर किया जा सकता है जो 300 किलोमीटर की रेंज में दुश्मन का खात्मा करने में सक्षम है। इजरायली कंपनी इस मिसाइल को भारत को ऑफर करने के प्लान पर भी काम कर रही है।

सी ब्रेकर मिसाइल

प्रिसिजन गाइडेड मिसाइल है सी ब्रेकर
सी ब्रेकर पांचवी पीढ़ी की लंबी दूरी तक मार करने वाली, ऑटोनोमस प्रिसिजन गाइडेड मिसाइल सिस्टम है। यह मिसाइल किसी भी देश की नौसेना और आर्टिलरी की क्षमता को कई गुना बढ़ा सकती है। इसे जमीन पर स्थित किसी भी सैन्य ठिकाने से या फिर किसी युद्धपोत से फायर किया जा सकता है। कंपनी से जुड़े सूत्रों ने बताया है कि आने वाले दिनों में इस मिसाइल को मेक इन इंडिया के जरिए भारत को ऑफर किया जा सकता है।

भारत में कल्याणी के साथ काम करती है यह कंपनी
इजरायल की यह कंपनी भारत में कल्याणी ग्रुप के साथ ज्वाइंट वेंचर चलाती है। इसे कल्याणी राफेल एडवांस्ड सिस्टम्स (KRAS) के नाम से जाना जाता है। कल्याणी ग्रुप अकेले में भारत फोर्ज के नाम से अपनी डिफेंस और एयरोस्पेस कंपनी को चलाती है। राफेल एडवांस्ड और कल्याणी साथ मिलकर भारतीय सशस्त्र बलों के लिए कई तरह के हथियारों और गाड़ियों पर काम कर रहे हैं।

सी ब्रेकर मिसाइल की विशेषता
सी ब्रेकर मिसाइल इलेक्ट्रो-ऑप्टिक्स, कंप्यूटर विजन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और निर्णय लेने वाले एल्गोरिदम से लैस है। ऐसे में अगर आखिरी समय में भी मिसाइल को अपना लक्ष्य बदलना पड़े तो इसे कोई परेशानी नहीं होगी। यह मिसाइल प्रिसिजन गाइडेड होने के कारण काफी सटीकता से लक्ष्य को भेदने में सक्षम है। इसमें एक उन्नत आईआईआर (इमेजिंग इन्फ्रा-रेड) सीकर लगा हुआ है, जो जमीन या समुद्र में स्थिर या गतिमान लक्ष्य को पिन पॉइंट एक्यूरेसी से हिट कर सकता है।

क्यों खतरनाक है सी ब्रेकर मिसाइल
यह मिसाइल समुद्र और जमीन दोनों ही जगहों पर काफी नीचे उड़ान भरती है। ऐसे में समुद्र या जमीन पर मौजूद दुश्मन के रडार इस मिसाइल के आहट को पहचान नहीं पाते हैं। जब मिसाइल दुश्मनों के बिलकुल नजदीक पहुंच जाती है जो उन्हें रिएक्ट करने का समय भी नहीं देती है। ऐसे में इस मिसाइल से दुश्मन का बचना लगभग नामुमकिन हो जाता है।

Spice 250: बालाकोट में तबाही मचाने वाले बम का छोटा वर्जन, इजरायल ने भारत को किया ऑफर


किसी भी प्लेटफॉर्म से किया जा सकता है लॉन्च
सी ब्रेकर मिसाइल को नौसेना के कई प्लेटफॉर्म से लॉन्च किया जा सकता है। इसमें फॉस्ट अटैक मिसाइल बोट, कोरवेट और फ्रिगेट भी शामिल हैं। समुद्री किनारों की रक्षा के लिए स्पाइडर लॉन्चर्स में इस मिसाइल को फिट किया जा सकता है। यह मिसाइल सभी प्रकार के मौसम में फायर की जा सकती है।

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