केमिकल का कमाल,
जमीन में भी इतनी ताजी नही होती है जितनी इस केमिकल से होती है।
पोस्ट के साथ दिए गए वीडियो में देखिए कैसे मुरझाई हुई सब्जियों पर केमिकल का प्रयोग करके उसे एकदम ताजी बना देते है
सब्जियों के साथ क्षेत्रवासी जहर खाने को मजबूर हैं। सब्जियों के साथ यह जहर लोगों के पेट में जा रहा है। इस बारे में न तो किसान जानते हैं और न ही सब्जी विक्रेता और उपभोक्ता। पूछताछ में जो जानकारी प्राप्त हुई है, उसमें घातक रासायनिक तत्वों का प्रयोग स्वास्थ्य एवं श्वास के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभकारी हरी सब्जियां लोगों में विकृति एवं गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती हैं। लोग सब्जियों के साथ बीमारियां घर ले जा रहे हैं। किसान जाने- अनजाने में यह जहर खाने को मजबूर हैं। न अच्छे किस्म के बीज हैं न खाद न पानी और न ही अपेक्षित सुविधा है। उसके बावजूद भी ज्यादा पैदावार की होड़ ने किसानों को कृत्रिम उपाय अपनाने को विवश कर दिया है।
किसान बने अंजान
दवाओं व रसायनिक छिडक़ाव से फसल अच्छी होती है, यह तो किसानों को पता है। लेकिन यह नहीं मालूम कि इससे सब्जियां जहरीली हो जाती हैं। इस कारण वे जहर छिडक़ते रहते हंै। यानी वे अनजाने में ऐसा कर रहे हैं। इसके प्रति आगाज करने के लिए कोई प्रभावी सरकारी या गैर सरकारी कार्यक्रम किसानों तक नहीं पहुंच पाए हैं। जिसमें सब्जियों में जहर के प्रयोग पर रोक लग सके।
सब्जी का रोज लाखों का कारोबार
क्षेत्र में प्रतिदिन लाखों रुपए का सब्जी का कारोबार किया जाता है। इसलिए किसान ज्यादा पैदावार के लिए घातक रसायनों का सहारा लेने के साथ पानी की कमी के कारण अपने आस-पास बहते नालों के गंदे पानी से खेती करते हैं।
किडनी-कैंसर को बढ़ावा
इन सब्जियों में कई तरह के पेस्टीसाइड व मेटल्स जैसे कीटाणु की मात्रा ज्यादा होने लगी है। जो सब्जियों के साथ शरीर में जाकर स्वास्थ्य को भारी नुकसान पहुंचाते हैं। यह जहर शरीर के विभिन्न संवेदनशील अंगों में जमा होता रहता है। इस संबंध में कस्बे के राजकीय अस्पताल के चिकित्सक ने बताया कि सब्जियों में सीसा, कॉपर और क्रोमियम जैसी खतरनाक धातुएं और एंडोसल्फॉन, एचसीएन जैसे घातक पेस्टीसाइड के प्रभाव से उल्टी-दस्त किडनी फेल व कैंसर जैसी बीमारियां सामने आती हंै।
कृषि विशेषज्ञ की राय
कृषि पर्यवेक्षक ने बताया कि किसानों द्वारा पैदावार को बढ़ाने के लिए फसलों पर रसायनिक पेस्टीसाइड का उपयोग बहुतायत में किया जाता है। रसायनिक खादों के बढ़ते प्रयोग से हरी सब्जियों का स्वाद गायब हो चला है। कम समय में ज्यादा सब्जियां तैयार करने के लिए प्रतिबंधित ऑक्सीटोसीन इंजेक्शन मुफीद साबित हो रहा है। पैदावार बढ़ाने की आपाधापी में रसायनों का उपयोग उपभोक्ताओं के लिए जहर साबित हो रहा है। अच्छे तेल-मसालों के उपयोग के बाद भी सब्जियों का स्वाद लोगों को रास नहीं आ रहा है।
फल और सब्जियां स्वस्थ्य आहार का हिस्सा जरूर हैं, लेकिन इनके इस्तेमाल से पहले इनमें मौजूद कीटनाशक और जहरीले रसायनों को निकालना जरूरी है। इसमें लापरवाही कई बीमारियों का शिकार बना सकती है।
विशेषज्ञों के मुताबिक फल और सब्जियों को कीट-पतंगों से बचाने और उसके पैदावार को बढ़ाने के लिए अक्सर कीटनाशक और जहरीले रसायनों का प्रयोग किया जाता है। इनमें आर्सेनिक, डायल्ड्रिन, डीडीआई, डाइऑक्सिन का आमतौर पर उपयोग किया जाता है। जो इंसानी स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं।
बुरी तरह स्वास्थ्य हो सकता है प्रभावित: सफदरजंग अस्पताल के सामुदायिक मेडिसिन विभाग के निदेशक और एचओडी प्रोफेसर डॉक्टर जुगल किशोंर के मुताबिक वयस्कों में ऐसे फल और सब्जियों के सेवन से तंत्रिका तंत्र बाधित करने के साथ हार्मोन भी प्रभावित करता है। वहीं एलर्जी, उच्च रक्तचाप, अवसाद, बांझपन, अस्थमा के साथ कैंसर जैसी घातक बीमारियों को भी उतपन्न कर सकता है।
आर्गेनिक उत्पाद ही विकल्प है इसका
आर्गेनिक फल और सब्जियों को बिना केमिकल जैविक और प्राकृतिक तरीके से उगाया जाता है जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी एवं पोषक तत्वों से भरपूर होते है
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