नाभि दर्शना अप्सरा साधना बेहद आसान है. इसलिए इसे करने के लिए अधिकतर लोग लालायित रहते हैं. आपने कई ऐसी नाभि दर्शना अप्सरा शाबर मंत्र सिद्धि के बारे सुना होगा जो आसानी से सिद्ध हो जाती है और साधक की हर इच्छा को पूरा करती है.
मुख्य रूप से इस तरह
की
साधना
का
उदेश्य
समृद्धि
और
यश
पाना
होता
है.
नाभि दर्शना अप्सरा
साधना
पूर्ण
विधि
काफी
आसान
भी
होती
है
और
लम्बे
समय
तक
चलने
वाली
साधना
भी
ये
आप
पर
निर्भर
है
की
आप
कौनसी
साधना
करना
चाहते
है.
अप्सरा
सिद्धि
के
बाद
कभी
भी
प्रत्यक्ष
दर्शन
नहीं
देती
है.
ये
आपको
अपने
होने
का
अहसास
करवाती
है.
आप नाभि दर्शना
अप्सरा
की
साधना
के
पूर्ण
होने
के
बाद
अप्सरा
का
अहसास
अपने
आसपास
कर
सकते
है
क्यों
की
ये
जहाँ
भी
होती
है
वहां
का
माहौल
सुगंधमय
हो
जाता
है.
नाभि दर्शना अप्सरा
शाबर
मंत्र
की
साधना
के
दौरान
सबसे
बड़ी
मुश्किल
होती
है
नाभि
दर्शना
अप्सरा
यंत्र
की
स्थापना
की
अगर
नाभि
दर्शना
अप्सरा
यंत्र
आपके
पास
ना
हो
तो
आप
अष्टदल
पद्म
के
ऊपर
चावल
की
ढेरी
बनाकर
उसके
ऊपर
सुपारी
रखकर
उस
शक्ति
का
आवाहन
कर
सकते
हैं.
नाभि दर्शना अप्सरा
शाबर
मंत्र
नाभि दर्शना अप्सरा
मंत्र
में
21 माला
का
विधान
है.
एक
दिवसीय
साधना
होने
की
वजह
से
ये
साधना
जितनी
आसान
लगती
है
उससे
कही
ज्यादा
खतरनाक
इसके
दुष्प्रभाव
है.
अप्सरा
साधना
के
बाद
साधक
को
जो
अलौकिक
रहस्यों
की
समझ
होती
है
वो
उसके
Third eye activation की वजह
से
होती
है.
पारलौकिक जगत के रहस्य
को
देखने
के
बाद
साधक
मानसिक
संतुलन
रख
पाता
है
या
नहीं
ये
उसके
मस्तिष्क
की
स्थिरता
पर
निर्भर
करता
है.
अगर
आप
इस
तरह
की
साधना
कर
रहे
है
तो
सावधान
रहे
क्यों
की
आसान
दिखने
वाली
साधनाओ
के
अपने
खतरे
होते
है.
एक शब्द में
कहे
तो
ये
एक
दिवसीय
साधना
है
और
जो
साधक
ये
साधना
कर
लेता
है
उसे
सुख,
यौवन
की
प्राप्ति
हो
जाती
है.
जब
कोई
साधक
शुरुआती
स्तर
पर
होता
है
और
उसे
अप्सरा
सिद्धि
हो
जाती
है
तो
वो
अपना
जीवन
खुशियों
से
भर
सकता
है.
अप्सरा साधना सिद्धि
बेहद
आसान
है
लेकिन,
ये
साधक
के
स्थिर
चित
पर
निर्भर
करती
है
की
उसे
अप्सरा
की
प्राप्ति
होती
है
या
नहीं.
ऐसा माना जाता
है
की
अप्सरा
साधना
करने
के
बाद
साधक
का
जीवन
वासना
से
परे
हो
जाता
है
और
वो
भोग
से
ऊपर
उठकर
साधना
में
आगे
बढ़ना
शुरू
कर
देता
है.
यहाँ
शेयर
किया
गया
नाभि
दर्शना
अप्सरा
शाबर
मंत्र
एक
दिवसीय
साधना
का
भाग
है.
अगर आप अप्सरा
साधना
विधि
विधान
के
साथ
पूरा
करना
चाहते
है
तो
इस
साधना
से
शरूआत
करे.
आपको
अलौकिक
रहस्यों
के
अनुभव
भी
होंगे
और
साधना
मार्ग
में
आगे
बढ़ने
का
मौका
भी
मिलेगा.
कौन हैं अप्सरा?
अप्सराओं की उत्पत्ति
के
सम्बन्ध
में
यह
निश्चित
तथ्य
है
कि
समुद्र-मंथन
में
पहले
रम्भा
अप्सरा
की
उत्पत्ति
हुई,
और
उसके
पश्चात्
अमृत
घट
और
तत्काल
पश्चात्
भगवती
लक्ष्मी
प्रकट
हुईं,
इसलिए
अप्सराओं
का
महत्व
अन्य
रत्नों
की
अपेक्षा
अत्यधिक
है.
रूप, रस और जल तत्व
प्रधान
होने
के
कारण
ही
इनका
नाम
अप्सरा
पड़ा
और
इनके
गुण
देवताओं
के
गुणों
के
समान
ही
पूर्ण
रूप
से
प्रभावशाली
हैं.
नाभि दर्शना अप्सरा
शाबर
मंत्र
की
साधना
को
पूरा
करने
वाले
साधक
में
अलौकिक
रहस्यों
को
समझने
की
समझ
आ
जाती
है.
ये भी कहा
जाता
है
कि
इन्द्र
ने
108 ॠचाओं
की
रचना
करके
इन
अप्सराओं
को
प्रकट
किया.
रम्भा
के
अलावा
जिन
अन्य
अप्सराओं
का
वेदों
और
पुराणों
में
जिक्र
आता
है,
उनके
नाम
हैं
उर्वशी,
मेनका,
और
तिलोत्तमा.
नाभि
दर्शना
अप्सरा
शाबर
मंत्र
की
उत्पति
भी
इसी
समय
हुई
थी.
साधना-पथ में
साधक
अपने
मन
पर
नियंत्रण
चाहता
है
जिससे
कि
वह
अपने
अंतर्मन
में
उतर
कर
मनन
कर
सके,
पर
मन
में
तो
कामनाएं
बसती
हैं
और
वे
मूलतः
प्रेम-जनित
होती
हैं.
अब
हृदय
अर्थात्
उर
में
जो
बस
जाती
है,
उसे
उर्वशी
कहते
हैं
और
उर्वशी
तो
हम
सबके
मन
में
है.
उर्वशी-जनित भाव
के
कारण
ही
तो
प्रेम
की
तरंगें
मन
में
उठती
हैं
और
प्रीत
में
किसी
प्रकार
की
बंदिश
नहीं
होती.
शरद पूर्णिमा की रात
जब
आसमान
से
चांदनी
की
शीतल
किरणें
भी
प्रेम
में
संतप्त
युगलों
को
दग्ध
कर
देती
हैं,
उस
रात्रि
में
नाभि
दर्शना
अप्सरा
साधकों
के
आह्वान
पर
सुरपुर
से
धरती
पर
आती
है.
ब्रह्म साधना से भी आवश्यक
और
उसे
करने
से
पूर्व
अप्सरा
साधना
साधक
को
करनी
चाहिए.
नाभि दर्शना अप्सरा
की
साधना
नाभि दर्शना अप्सरा
शाबर
मंत्र
को
सिद्ध
करने
के
पीछे
कई
रहस्य
है.
सौन्दर्य
की
साक्षात्
प्रतिमूर्ति,
वय
में
षोडशी
और
कोमलता
से
लबालब
कमनीय
शरीर
जो
अपने
यौवन
से
इतराया
और
प्रेम
से
सिंचित
है.
प्रतिपल
भीनी
खुशबू
में
नहाया
तन
नाभि-दर्शना
के
आने
की
सूचना
देता
है.
इस अप्सरा की काली
और
लम्बी
आंखें,
लहराते
हुए
झरने
की
तरह
केश
और
चन्द्रमा
की
तरह
मुस्कुराता
हुआ
चेहरा,
कमल
नाल
की
तरह
लम्बी
बांहें
और
सुन्दरता
से
लिपटा
हुआ
पूरा
शरीर
एक
अजीब
सी
मादकता
बिखेर
देता
है.
इन्हें इन्द्र का वरदान
प्राप्त
है
कि
जो
इसके
सम्पर्क
में
आता
है,
वह
पुरुष
पूर्ण
रूप
से
रोगों
से
मुक्त
होकर
चिर
यौवनमय
बन
जाता
है,
उनके
शरीर
का
कायाकल्प
हो
जाता
है,
और
पौरुष
की
दृष्टि
से
वह
अत्यन्त
प्रभावशाली
बन
जाता
है.
नाभि दर्शना अप्सरा
शाबर
मंत्र
साधना
विधान
इस साधना को आप शरद
पूर्णिमा,
रमा
एकादशी,
रूप
चतुर्दशी
अथवा
किसी
भी
शुक्रवार
को
सम्पन्न
करें.
यह रात्रिकालीन साधना
है,
इस
साधना
को
रात्रि
में
10 बजे
के
पश्चात्
सम्पन्न
करना
चाहिये.
नाभिअप्सरा साधना साधक
अपने
घर
में
या
किसी
भी
अन्य
स्थान
पर
एकांत
में
सम्पन्न
कर
सकता
है.
इस साधना में
बैठने
से
पूर्व
साधक
स्नान
कर
सुन्दर,
सुसज्जित
वस्त्र
पहनें
एवं
अपने
वस्त्रों
पर
सुगन्धित
इत्र
का
छिड़काव
करें.
साधक उत्तर दिशा
की
ओर
मुंह
कर
आसन
पर
बैठें.
इस साधना में
सुगन्धित
पुष्पों
का
प्रयोग
करना
चाहिये.
साधक
साधना
से
पहले
ही
दो
सुगन्धित
पुष्पों
की
माला
की
व्यवस्था
कर
लें.
नाभि दर्शना अप्सरा
शाबर
मंत्र
की
शुरुआत
में
सर्वप्रथम
अपने
सामने
लकड़ी
के
बाजोट
पर
पीला
वस्त्र
बिछाकर
उस
पर
गुरुचित्र
स्थापित
कर,
पंचोपचार
गुरु
पूजन
सम्पन्न
करें.
गुरुदेव
से
साधना
में
सफलता
का
आशीर्वाद
प्राप्त
कर,
मूल
साधना
सम्पन्न
करें
बाजोट पर एक ताम्र
पात्र
में
अद्वितीय
‘नाभि
दर्शना
महायंत्र’
को
स्थापित
करें.
केशर
से
यंत्र
पर
तिलक
कर
यंत्र
का
सुगन्धित
पुष्पों,
इत्र,
कुंकुम
इत्यादि
से
पूजन
करें.
यंत्र
के
सामने
सुगन्धित
अगरबत्ती
एवं
शुद्ध
घृत
का
दीपक
लगावें.
इसके बाद हाथ
में
जल
लेकर
संकल्प
करें,
कि
मैं
अमुक
नाम,
अमुक
पिता
का
पुत्र,
अमुक
गौत्र
का
साधक
नाभि
दर्शना
अप्सरा
को
प्रेमिका
रूप
में
सिद्ध
करना
चाहता
हूं,
जिससे
कि
वह
जीवन
भर
मेरे
वश
में
रहे,
और
मुझे
प्रेमिका
की
तरह
सुख
आनन्द
एवं
ऐश्वर्य
प्रदान
करे.
इसके बाद ‘नाभि
दर्शना
अप्सरा
माला’
से
नाभि
दर्शना
अप्सरा
मंत्र
जप
सम्पन्न
करें,
इसमें
21 माला
नाभि
दर्शना
अप्सरा
मंत्र
जप
उसी
रात्रि
को
सम्पन्न
हो
जाना
चाहिए.
॥ ॐ ऐं श्रीं
नाभिदर्शना
अप्सरा
प्रत्यक्षं
श्रीं
ऐं
फट्॥
अगर बीच में
घुंघरूओं
की
आवाज
आवे
या
किसी
का
स्पर्श
हो,
तो
साधक
विचलित
न
हों
और
अपना
ध्यान
न
हटावें,
अपितु
21 माला
मंत्र
जप
एकाग्रचित्त
होकर
सम्पन्न
करें,
इस
साधना
में
जितनी
ही
ज्यादा
एकाग्रता
होगी,
उतनी
ही
ज्यादा
सफलता
मिलेगी.
नाभि दर्शना अप्सरा
शाबर
मंत्र
के
21 माला
मंत्र
जप
पूरी
एकाग्रता
के
साथ
सम्पन्न
करने
के
पश्चात्
अप्सरा
माला
को
साधक
स्वयं
के
गले
में
डाल
दें.
तथा
सुगन्धित
पुष्पों
की
एक
माला
को
यंत्र
पर
चढ़ा
दे
तथा
दूसरी
माला
भी
स्वयं
के
गले
में
डाल
दें.
साधना में सिद्धि
के
संकेत
मंत्र जप की पूर्णता
पर
साधक
को
यह
आभास
या
प्रत्य
होने
लगता
है
कि
अप्सरा
घुटने
से
घुटना
सटाकर
बैठी
है.
जब
साधक
को
यह
आभास
या
प्रत्य
हो
जाएं
तो
साधक
नाभि
दर्शना
अप्सरा
से
वचन
ले
लें
कि
मैं
जब
भी
अप्सरा
माला
से
एक
मंत्र
जप
करूं,
तब
तुम्हें
मेरे
सामने
उपस्थित
होना
है.
नाभि दर्शना अप्सरा
शाबर
मंत्र
के
दौरान
मैं
जो
चाहूं
वह
मुझे
प्राप्त
होना
चाहिए,
पूरे
जीवन
भर
मेरी
आज्ञा
का
उल्लंघन
न
हो.
तब नाभि दर्शना
अप्सरा
साधक
के
हाथ
पर
अपना
हाथ
रखकर
वचन
देती
है,
कि
मैं
जीवन
भर
आपकी
इच्छानुसार
कार्य
करती
रहूंगी.
तब
इस
साधना
को
पूर्ण
समझें,
और
साधक
अप्सरा
के
जाने
के
बाद
अपने
साधना
स्थल
से
उठ
खड़ा
हो.
साधक को चाहिए
कि
वह
इस
घटना
को
केवल
अपने
गुरु
के
अलावा
और
किसी
के
सामने
स्पष्ट
न
करें,
क्योंकि
साधना
ग्रन्थों
में
ऐसा
ही
स्पष्ट
उल्लेख
आया
है.
साधना सम्पन्न होने
पर
नाभि
दर्शना
अप्सरा
महायंत्र
को
अपने
घर
में
किसी
गोपनीय
स्थान
पर
रख
दें,
जो
गले
में
अप्सरा
माला
पहनी
हुई
है,
वह
भी
अपने
घर
में
गुप्त
स्थान
पर
रख
दें,
जिससे
कि
कोई
दूसरा
उसका
उपयोग
न
कर
सके.
apsara sadhna ke nuksan
नाभि दर्शना अप्सरा
शाबर
मंत्र
में
सफलता
के
बाद
जब
भी
नाभिदर्शना
अप्सरा
को
बुलाने
की
इच्छा
हो,
तब
इस
महायंत्र
के
सामने
अप्सरा
माला
से
उपरोक्त
मंत्र
की
एक
माला
जप
कर
लें.
अभ्यास
होने
के
बाद
तो
यंत्र
या
माला
की
आवश्यकता
भी
नहीं
होती,
केवल
मात्र
सौ
बार
मंत्र
उच्चारण
करने
पर
ही
प्रत्य
प्रकट
हो
जाती
हैं.
नाभि दर्शना अप्सरा
साधना
मंत्र
को
स्त्रियां
भी
सिद्ध
कर
सकती
हैं,
नाभि
दर्शना
अप्सरा
के
रूप
में
उन्हें
अभिन्न
सखी
प्राप्त
हो
जाती
है,
और
उस
सखी
के
साहचर्य
से
साधिका
के
शरीर
का
भी
कायाकल्प
हो
जाता
है,
और
ऐसी
साधिका
अत्यन्त
सुन्दर,
यौवनमय
और
सम्मोहक
बन
जाती
हैं.
वास्तव में ही यह साधना
बालक
या
वृद्ध
किसी
भी
वर्ण
या
जाति
का
व्यक्ति
या
स्त्री
सम्पन्न
कर
सकते
हैं,
और
यदि
विश्वास
एवं
श्रद्धा
के
साथ
इस
साधना
को
सम्पन्न
करें,
तो
अवश्य
ही
पूर्ण
सफलता
मिलती
है.
नाभि दर्शना अप्सरा
शाबर
मंत्र
साधना
सिद्धि
विधान
अंतिम
शब्द
अगर आप अप्सरा
साधना
में
रूचि
रखते
है
तो
आपको
सबसे
आसान
और
एक
दिवसीय
नाभि
दर्शना
अप्सरा
शाबर
मंत्र
की
साधना
के
विधान
को
जरुर
पूरा
करना
चाहिए.
कलयुग
में
जहाँ
सात्विक
साधना
को
सिद्ध
करना
बेहद
मुश्किल
है
वही
अप्सरा
और
यक्षिणी
साधना
को
सिद्ध
करना
बेहद
आसान
है.
ये दोनों ही शक्तियां
पृथ्वी
के
वायुमंडल
में
सबसे
करीब
है.
अगर
आप
नाभि
दर्शना
अप्सरा
साधना
पूर्ण
विधि
को
फॉलो
करे
तो
आपको
अप्सरा
सिद्धि
हो
सकती
है.
ध्यान
रहे
की
गुरु
के
बगैर
ये
साधना
कर
रहे
है
तो
अपने
विवेक
और
चित
को
स्थिर
रखे.
कई बार हम जोश
जोश
में
साधना
की
शुरुआत
तो
कर
लेते
है
लेकिन,
आगे
बढ़ने
पर
जैसे
ही
हमें
अलौकिक
रहस्यों
के
दर्शन
होने
लगते
है
हम
अपना
विवेक
खो
देते
है.
ऐसे
में
ये
साधना
खतरनाक
हो
सकती
है.