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सोमवार, 10 अक्टूबर 2022

क्या आप जानते हैं कि भूत प्रेत भी आपका खाना खाते हैं ?


 क्या आप जानते हैं कि भूत प्रेत भी आपका खाना खाते हैं ?

आज मैं इस विषय में आपको कुछ गंभीर बातें बताऊंगा। एक ऐसा सत्य बताऊंगा, जो आज तक लोगों को नहीं पता।

जैसा कि हम सब जानते हैं, भूत प्रेत वो आत्माएं होती हैं, जिन्होंने अपना शरीर खो दिया है और जो इस पृथ्वी लोक पर भटक रही हैं। ये वो अभागी आत्माएं हैं, जिनके लिए न मुक्ति का द्वार खुला है और न ही इन्हें कोई नया जन्म मिला है। इन्हें नहीं पता ये कहाँ जाएं, क्या करें। ये बस हम इंसानों की दुनिया में रह रही हैं, इसी इंतजार में कि किसी दिन इनका भी वक्त आएगा, जब इन्हें इस प्रेत योनि से छुटकारा मिलेगा। पर तब तक हम इंसानों को जीते देख, खाते देख, पीते देख, मौज करते देख उनका भी मन तड़प उठता है। कुछ ऐसी इच्छाएं होती हैं, जो शरीर के नष्ट हो जाने के बाद भी बनी रहती हैं जैसे भोजन करने की इच्छा, भोग विलास की इच्छा, सेक्स करने की इच्छा, किसी प्रियजन से मोह रखने की इच्छा और ये इच्छाएं आत्मा के अंदर होती हैं, इसमें शरीर का कोई लेना देना नहीं है। हालांकि शरीर ही एक माध्यम है जिसके द्वारा हम इन इच्छाओं को पूरा कर सकते हैं, जैसे भोजन की इच्छा शरीर द्वारा ही पूरी की जा सकती है। विलास की, काम की इच्छा भी शरीर के द्वारा ही पूरी की जा सकती है और अगर आप किसी को चाहते हैं, किसी से प्यार करते हैं, किसी के प्रति का आपका मोह है चाहे आपका बेटा है, चाहे बेटी, चाहे पति है, चाहे पत्नी है तो आप शारीरिक रूप से ही उसके साथ रह कर, उसको प्यार दे कर, अपना मोह और अपना प्यार प्रदर्शित कर सकते हैं। पर एक प्रेत या एक आत्मा क्या करे ! उसके पास तो शरीर है ही नहीं ! इसीलिए वो उन इच्छाओं को पूरा करने के लिए शरीर का सहारा लेती हैं। हम जैसे इंसानों का सहारा लेती हैं, जिनके पास शरीर है। सबसे ज्यादा जो एक यूँ कह लीजिए, एक कॉमन चीज है, वो है पेट की भूख। इंसानों को इसलिए होती है क्योंकि उनके पास शरीर है। उनका शरीर भोजन माँगता है, चलने के लिए। पर जो उस भोजन का स्वाद है, वो इन आत्माओं को मरणोपरांत भी याद रहता है, शरीर नष्ट हो जाने के बाद भी याद रहता है। जो इन्होंने कभी भोगा था, जब ये कभी जिंदा थे। यूँ कह लीजिए जिंदा तो ये हमेशा ही हैं, जब कभी इनके पास शरीर था। अब क्योंकि उस भोजन का स्वाद ये नहीं ले पा रहे इसलिए अक्सर काफी आत्माओं का एक ही जो है अभिलाषा रह जाती है, वो ये होती है कि हम उस भोजन की अनुभूति दुबारा करें और इसको दुबारा करने के लिए वो किसी न किसी इंसान के चिपकती हैं।

अक्सर हम लोग जब खाना खाते हैं, किसी भी तरीके का भोजन करते हैं तो हम सोचते हैं कि हम अकेले हैं पर ऐसा नहीं है। ऐसा भी हो सकता है हमारे साथ कोई आत्मा बैठी हो। हम कहीं रेस्टोरेंट में खाना खा रहे हैं, कहीं बाहर सड़क पर खाना खा रहे हैं, कोई रोल बनवा लिया, कोई भी फास्ट फूड ले लिया, बर्गर ले लिया और हम उसे खाते हुए जा रहे हैं। हम किसी भी जगह पर हैं, वहाँ पर कोई भी आत्मा बैठी हो सकती है क्योंकि हमारे को भगवान ने ये चक्षु नहीं दिए कि हम ये देख सकें कि कहाँ पर कौन है। हम उस ब्रह्मांड के पार नहीं देख सकते क्योंकि हमारे पास वो चक्षु ही नहीं हैं। इसलिए हमें नहीं पता लगता। पर असल में, हकीकत में हर वक्त, हर जगह कोई न कोई प्रेत, कोई न कोई आत्मा विचरण कर रही है, बैठी है, घूम रही है और जब आप भोजन खाते हो तो उनकी सीधा दृष्टि आपके भोजन पर जाती है, आप पर जाती है कि आप कितना सुख भोग रहे हो ! क्या बढ़िया भोग ले रहे हो ! क्या स्वाद का मजा ले रहे हो और वो इतने अभागे हैं कि इस स्वाद से वंचित हैं। तो इसीलिए वो इंसान के शरीर में प्रवेश करके उस भोजन का आनंद लेती हैं।

अक्सर ऐसा हुआ है कि आपको भूख नहीं है तब भी आप ज्यादा खा रहे हैं। आप दो रोटी खाते हैं पर अचानक से आप तीन रोटी, चार रोटी खाने लग गए। आपको ये महसूस हो रहा कि आपके पेट में जगह नहीं है पर फिर भी आपका अपने ऊपर ही कोई कंट्रोल नहीं है और आप एक के बाद एक रोटियाँ खाते जा रहे हैं। ये एक ऐसी अवस्था है जो बताती है कि जो दो रोटी के ऊपर की जो भूख है, वो आपकी नहीं किसी और की है और वो अपनी इस भूख मिटाने के लिए आपके शरीर का इस्तेमाल कर रहा है। आपके ऊपर अपना कब्जा जमा रहा है, उस रोटी को खाने के लिए, उस भोजन को खाने के लिए।

अक्सर ऐसा होता है हम ज्यादा से ज्यादा खाना खा लेते हैं। हालांकि हमारा मन नहीं था और बाद में हमारी तबियत भी खराब होती है। हम कहते हैं यार क्यों खा लिया, पता नहीं क्यों खा लिया ? मन नहीं था, तब भी खा लिया ! क्योंकि वो मन किसी और का था।

और दूसरी बात कई दफा ऐसा भी होता है कि हमें कोई चीज आज तक नहीं पसंद थी खाने की। अचानक वो पसंद आने लगे। उसका स्वाद इतना अच्छा लगने लगे कि हम यही हैरान हो जाएं कि आज तक हमें ये चीज हमें बेकार लगती थी, खाते नहीं थे और अब हम कैसे खा रहे हैं ? तो वो स्वाद उस आत्मा को पसंद है जो उस इंसान के शरीर में है, जिसके द्वारा वो उस भोजन का भोग ले रही है। अब इसमें दो बातें हो सकती हैं। जरूरी नहीं कि हर बार किसी आत्मा का ही काम हो। आपकी खुद की शारीरिक एक ये अनुभूति भी हो सकती है। पर मैक्सिमम केसेज में ये किसी न किसी प्रेत या आत्मा का काम होता है। जो अपनी इच्छा आपके द्वारा पूरी करती है और फिर निकल जाती है।

अक्सर बहुत से मानव हैं, बहुत से लोग हैं जिनके शरीर में कोई न कोई आत्मा प्रवेश करके भोजन कर रही है और उन्हें ये बात नहीं पता क्योंकि वो प्रेत या वो आत्मा वो बात उजागर होने ही नहीं देते। उनका लक्ष्य सिर्फ उस भोजन को खाना होता है, जो इंसान खा रहा है। कुछ आत्मा इतनी ताकतवर हो जाती हैं कि उन्हें शरीर में लगातार रहने की भी जरूरत नहीं पड़ती किसी के। वो एक शरीर से दूसरे शरीर में प्रवेश आसानी से कर लेती हैं, सिर्फ अपने अलग अलग अनुभूतियों को, अलग अलग चीजों को भोगने के लिए, जो वो पहले भोगा करती थीं।

कुछ लोग इतने अभागे होते हैं कि उनके शरीर में एक बार अगर किसी प्रेत ने प्रवेश किया, ये देख कर कि वो बंदा भोजन खा रहा है या मीठा खा कर आया है तो उस स्वाद को फील करने के लिए। तो वो प्रेत उसी शरीर में रह जाता है और उस शरीर को घर बना लेता है क्योंकि वो ये सोचता है कि आज ये इतना बढ़िया भोजन कर रहा है और इसके शरीर में आकर मैंने स्वाद को लिया। अगर मैं इसके शरीर में रहने लगे जाता हूँ तो मुझे तो रोज ऐसे तरीके के भोजन और पकवान खाने को मिलेंगे।

तो इसमें बहुत चीजें हैं। आप इन चीजों से न बच सकते हैं, न इससे पार जा सकते हैं। बस आप कुछ ऐसे छोटे उपाय कर सकते हैं, जिससे आपके साथ ये न हो क्योंकि अगर ये आप साथ हो रहा है तो भी आपको पता नहीं चलेगा और अगर आपके साथ नहीं हो रहा तो भी आपको पता नहीं चलेगा। ये चीज ऐसी है जिसको पता लगा पाना बहुत मुश्किल है। ये तभी पता लगती है जब आपके शरीर में बैठा प्रेत इतना पुराना हो जाता है कि वो फिर उसके बाद ठसक से अपना कब्जा जमाने के बाद आपको ये बताने की कोशिश करता है, ये दिखाने लगता है कि ये शरीर अब उसका है और तब तक पता नहीं कितने साल निकल जाते हैं, इंसान सोच भी नहीं सकता।

तो कैसे इस चीज को रोका जाए ? कैसे किसी भी प्रेत या भूत को रोका जाए कि वो आपका भोजन न खाए। जब भी आप भोजन करते हैं, चाहे आप घर में भोजन कर रहे, चाहे आप बाहर भोजन कर रहे हैं, भोजन का थोड़ा सा टुकड़ा (जो भी आप खा रहे हैं) निकाल कर एक कोने में रख दें। जिससे आपने उस आत्मा के, उस प्रेत के निमित्त का भोजन पहले ही निकाल दिया और साथ ही भोजन का थोड़ा सा टुकड़ा भगवान के चरणों में रख दें। भगवान से प्रार्थना करें भोजन करने से पहले कि हे ईश्वर मैं पनाह में आ कर इस भोजन को ग्रहण कर रहा हूँ और ये भोजन मैं आपको अर्पण करता हूँ। आप स्वयं इस भोजन को कर रहे हैं। जिस भी देव को आप मानते हैं। सिर्फ ये एक छोटी सी प्रार्थना कर लेने से और छोटा सा टुकड़ा उस भोजन में से निकाल देने से ही आपका काम बन जाएगा और उसमें छोटा सा टुकड़ा अगर आप किसी जानवर को डाल दें तो वो और भी उत्तम है।

ये छोटा सा उपाय आपको बहुत सी चीजों से बचाएगा। नजर दोष से भी बचाएगा क्योंकि अक्सर अगर कोई प्रेत नहीं देख रहा या कोई प्रेत आपका खाना नहीं खा रहा तो लोग जो आपको देख रहे, उनकी नजर लग जाती है। उस नजर को भी ये उपाय काटता है। जब एक बार आप ईश्वर को शामिल कर लेते हैं किसी भी अपने कार्य में तो फिर आपकी जीत ही जीत होती है। आपको कोई हरा नहीं सकता। आपको कोई मात नहीं दे सकता। आपका कोई बुरा नहीं कर सकता क्योंकि स्वयं आपने वो भोजन ईश्वर को अर्पण कर दिया और ईश्वर स्वयं वो भोजन कर रहे हैं और आप उनकी सत्ता में भोजन कर रहे हो। उनकी पनाह में भोजन कर रहे हो। ईश्वर से ऊपर तो कोई है ही नहीं।

कभी भी आप भोजन करें थोड़ा सा टुकड़ा निकाल दें और अपने ईश्वर को याद करें। अगर आप कोई ऐसी जगह पर भोजन कर रहे हैं जहाँ पर आपको वाकई लगता है कि जगह सुनसान है या डरावनी है या जगह ऐसी है जहाँ पर कोई न कोई ऐसी चीज हो सकती है तो आप थोड़ा सा गंगाजल ले कर अपने खाने में मिला कर उस भोजन को कर सकते हैं। तो ये कुछ ऐसी चीजें हैं, अगर आप अपने जिंदगी में इसको उतार लें तो काफी बड़ी परेशानीयों से बच सकते हैं।

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