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बुधवार, 12 अप्रैल 2023

फ्रीडम 251 मोबाइल का क्या हुआ?

 

फ्रीडम 251 एक कम कीमत वाला स्मार्टफोन था जिसे 2016 में भारत में काफी धूमधाम से लॉन्च किया गया था। कीमत मात्र रु. 251 (लगभग $4), डिवाइस को दुनिया के सबसे सस्ते स्मार्टफोन के रूप में पेश किया गया था और इसने उपभोक्ताओं से काफी चर्चा और रुचि पैदा की थी। हालाँकि, लॉन्च विवाद में फंस गया था, और तब से डिवाइस का भाग्य अनिश्चित रहा है।

फ्रीडम 251, रिंगिंग बेल्स के पीछे की कंपनी, भारतीय स्मार्टफोन बाजार में एक अपेक्षाकृत अज्ञात फर्म थी। कंपनी ने दावा किया कि उसने जनता को एक किफायती स्मार्टफोन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से डिवाइस को इन-हाउस विकसित किया है। हालांकि, संशयवादियों ने इस तरह के कम लागत वाले डिवाइस की व्यवहार्यता के बारे में चिंता जताई और कुछ ने रिंगिंग बेल्स पर एक घोटाला करने का आरोप लगाया।

संदेह के बावजूद, कंपनी फरवरी 2016 में फ्रीडम 251 के लॉन्च के साथ आगे बढ़ी। डिवाइस में 4 इंच का डिस्प्ले, 1.3 गीगाहर्ट्ज क्वाड-कोर प्रोसेसर, 1 जीबी रैम और 8 जीबी की इंटरनल स्टोरेज जैसी बुनियादी विशेषताएं थीं। . इसमें 3.2 मेगापिक्सल का रियर कैमरा और 0.3 मेगापिक्सल का फ्रंट कैमरा भी था। डिवाइस एंड्रॉइड 5.1 लॉलीपॉप पर चलता था और कई ऐप के साथ आता था।

फ्रीडम 251 का लॉन्च एक अराजक मामला था, कंपनी को लॉन्च के कुछ ही घंटों के भीतर लाखों प्री-ऑर्डर प्राप्त हुए। हालाँकि, कंपनी जल्द ही मुश्किल में पड़ गई जब यह पता चला कि उसने सरकार और नियामक निकायों से आवश्यक प्रमाणपत्र और अनुमोदन प्राप्त नहीं किए थे। डिवाइस की गुणवत्ता और व्यवसाय मॉडल की व्यवहार्यता के बारे में भी चिंताएं थीं।

फ्रीडम 251 का भविष्य अस्पष्ट है। डिवाइस के पीछे की कंपनी, रिंगिंग बेल्स, तब से बंद है, और कंपनी के संस्थापकों के ठिकाने अज्ञात हैं। डिवाइस को प्री-ऑर्डर करने वाले कुछ उपभोक्ताओं को रिफंड मिला, जबकि अन्य को खाली हाथ छोड़ दिया गया। डिवाइस को कभी भी व्यापक रूप से वितरित या दुकानों में बेचा नहीं गया था, और यह भारतीय स्मार्टफोन बाजार के इतिहास में एक जिज्ञासु फुटनोट बना हुआ है।

अंत में, फ्रीडम 251 की कहानी प्रचार के खतरों और पारदर्शिता और नियामक अनुपालन के महत्व के बारे में एक सतर्क कहानी है। जबकि जनता के लिए कम लागत वाले स्मार्टफोन का विचार एक आकर्षक है, यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि ऐसे उपकरण सुरक्षित, विश्वसनीय और एक व्यवहार्य व्यवसाय मॉडल द्वारा समर्थित हों।

शादी एक पवित्र बंधन है.. मर्यादाओं मे रहे ..🙏🏻अपनी पुरानी परंपरा ही ठीक है.....दिखावे से बचे।

 

एक शुद्ध #भारतीय विवाह

जयपुर राजस्थान में वर पक्ष की मांगो से आश्चर्यचकित हुआ वधु परिवार,

विवाह पूर्व एक लड़के की अनोखी मांगों से लड़की वाले हैरान हैं

☆लड़के की मांगों की चर्चा पूरे शहर में हो रही है।

☆यह मांगें दहेज को लेकर नहीं बल्कि विवाह संपन्न कराने के तरीके और अनुचित परंपराओं को लेकर हैं !!

मांगें इस प्रकार से हैं::

01 कोई प्री वैडिंग शूट नहीं होगा.

02 🌹 दुल्हन शादी में लहंगे की बजाय साड़ी पहनेगी.

03 🌹 मैरिज लॉन में ऊलजुलूल अश्लील कानफोड़ू संगीत की बजाय, हल्का इंस्ट्रूमेंटल संगीत बजेगा.

04🌹 वरमाला के समय केवल दूल्हा दुल्हन ही स्टेज पर रहेंगे.

05🌹 वरमाला के समय दूल्हे या दुल्हन को.. उठाकर उचकाने वालों को विवाह से निष्कासित कर दिया जायेगा.

06🌹 पंडितजी द्वारा विवाह प्रक्रिया शुरू कर देने के बाद कोई ,उन्हें रोके टोकेगा नहीं.

07🌹 कैमरामैन फेरों आदि के चित्र दूर से लेगा न कि बार बार पंडितजी को टोक कर..!

ये देवताओं का आह्वान करके उनके साक्ष्य में किया जा रहा विवाह समारोह है.. ना की किसी फिल्म की शूटिंग.

08🌹 दूल्हा दुल्हन द्वारा कैमरामैन के कहने पर उल्टे सीधे पोज नहीं बनाये जायेंगे.

09🌹विवाह समारोह दिन में हो और शाम तक विदाई संपन्न हो। जिससे किसी भी मेहमान को रात 12 से 1 बजे खाना खाने से होने वाली समस्या जैसे अनिद्रा, एसिडिटी आदि से परेशान ना होना पड़े।

इसके अतिरिक्त मेहमानों को अपने घर पहुंचने में मध्य रात्रि तक का समय ना लगे और असुविधा ना हो।

10🌹नवविवाहित को सबके सामने.. आलिंगन के लिए कहने वाले को तुरंत विवाह से निष्कासित कर दिया जायेगा.

11. विवाह में किसी प्रकार का मांस मदिरा वर्जित होगा, विवाह में देवी देवताओं का आवाह्न किया जाता है, मांस मदिरा देखकर देवी देवता रूष्ट होकर , दुल्ले दुल्हन को बिना आशीर्वाद दिए चले जाते हैं।

🌹ज्ञात हुआ है लड़की वालों ने लड़के की सभी मांगे सहर्ष मान ली है..!!

समाज सुधार करने के लिए सुंदर सुझाव.! सभी के लिए अनुकरणीय..!!

🙏🏻शादी एक पवित्र बंधन है.. मर्यादाओं मे रहे ..🙏🏻अपनी पुरानी परंपरा ही ठीक है.....दिखावे से बचे।

सनातन धर्म की जय हो। जय श्री राम 🚩

सांपों को मारने वाले लोगों को सज़ा भुगतनी पड़ती है


 सांपों को मारने वाले लोगों को गरुड़ पुराण जो कि श्रीविष्णु एवं उनके वाहन गरुड़ के मध्य संवाद है। उसके अनुसार यदि कोई मनुष्य जान बूझकर किसी सर्प की हत्या करता है तो उनके अगले जन्म में कालसर्प दोष दुर्योग कुंडली में बन जाता है।

१८ पुराणों में से एक गरूड़ पुराण में कहा गया है। यह १८ वां पुराण है इसकी जानकारी मुझे पिछले वर्ष मेरे पिता की मृत्यु हुई तब ये सारी ज्ञानभरी जानकारी प्राप्त हुई, कि किस कर्मों के अनुसार क्या फल मिलता है?

पुराण में ही कहा गया है कि जिस गृह में सांप निवास करते हैं उस घर को तत्काल छोड़ देने में ही भलाई है क्योंकि इससे घर में किसी सदस्य की अकाल मृत्यु हो सकती है।

  • मनुष्य हो या पशु/ पक्षी या सरीसृप वर्ग के जीव प्रत्येक जीव की हत्या करने पर दंड अवश्य मिलती है।
  • जो भी मनुष्य किसी जीव की निर्ममता पूर्वक हत्या करता है उसे उसका दंड निश्चित रूप से भोगना पड़ता है।
  • धर्म शास्त्रों में इस संबंध में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि प्रत्येक मनुष्य को सरीसृप जीवों की हत्या करने से बचना चाहिए। यदि कोई भी व्यक्ति सांप की हत्या करता है तो उस व्यक्ति को इसका परिणाम कई जन्मों तक भोगना पड़ता है।
  • ज्योतिषशास्त्र में भी ऐसा कहा गया है कि सांप की हत्या करने या कष्ट पहुंचाने वाले व्यक्ति को उसके द्वारा किए गए इस पाप से छुटकारा नहीं मिलता है। यह भी कहा जाता है कि जो ऐसा करता है अगले जन्म में उनकी कुण्डली में कालसर्प नामक योग बनता है। इस योग के चलते व्यक्ति को जीवन में भयंकर परेशानियां घेर लेती हैं।
  • अनेक प्रयासों के पश्चात भी अवरोध /असफलताएं सर्पों की हत्या करने वालों की पीछा नहीं छोड़ती है।
  • जो लोग सर्पों को डंडे से पीट - पीट कर मारते हैं, ऐसे भी सभी क्षेत्रों में पिछड़े हुए होते हैं। समस्या उनका पीछा नहीं छोड़ती है।
  • अतः मेरा यह व्यक्तिगत रूप से मानना है कि हमें सांपों को ही नहीं अपितु किसी भी जीव को नहीं मारना चाहिए। ना ही किसी भी प्रकार का शारीरिक कष्ट पहुंचाना चाहिए। बुरे कर्म का बुरा परिणाम भोगना ही पड़ता है।

भगवान भी किसी औरत के चरित्र को बता क्यों नही सकते?

 एक जवान औरत कुएं के पास पानी भर रही थी तभी एक आदमी वहाँ पहुँचा। उस आदमी ने औरत से थोड़ा पानी पिलाने के लिए कहा खुशी से उस औरत ने उसे पानी पिलाया।

पानी पीने के बाद उस आदमी ने औरत से पूछा कि क्या आप मुझे बता सकती हैं की भगवान भी किसी औरत के चरित्र को बता क्यों नही सकते?

इतना कहने पर वह औरत जोर जोर से चिल्लाने लगी बचाओ... बचाओ...

उसकी आवाज सुनकर गांव के लोग कुए की तरह दौड़ने लगे तो उस आदमी ने कहा कि आप ऐसा क्यों कर रही है, तो उस औरत ने कहा ताकि गांव वाले आए और आपको खूब पीटें और इतना पीटे की आपके होश ठिकाने लग जाए।

यह बात सुनकर उस आदमी ने कहा मुझे माफ करें, मैं तो आपको एक भली और इज्ज़तदार औरत समझ रहा था।

तभी उस औरत ने कुएं के पास रखा मटके का सारा पानी अपने शरीर पर डाल लिया और अपने शरीर को पूरी तरह भींगा डाला। इतने देर में गांव वाले भी कुएं के पास पहुंच गए।

गांव वालों ने उस औरत से पूछा कि क्या हुआ ?

औरत ने कहा मैं कुएं में गिर गई थी इस भले आदमी ने मुझको बचा लिया। यदि यह आदमी यहां नही रहता तो आज मेरी जान चली जाती।

गांव वालों ने उस आदमी की बहुत तारीफ की और उसको कंधों पर उठा लिया। उसका खूब आदर सत्कार किया और उसको इनाम भी दिया।

जब गांव वाले चले गए तो औरत ने उस आदमी से कहा कि अब समझ में आया औरतों का चरित्र???

अगर आप औरत को दुःख देंगे और उसे परेशान करेंगे तो वह आपका सब सुख- चैन छीन लेगी और अगर आप उसे खुश रखेंगे तो वह आपको मौत के मुंह से भी निकाल लेगी।

मंगलवार, 11 अप्रैल 2023

गौमाता के लिए शहर से लेकर गांव तक हर घर में यह आंदोलन खड़ा होना समय की मांग है।

हर कोई एक छोटे से काम से शुरुआत कीजिए। इसे घर में बच्चों से लेकर बड़े तक कोई भी आसानी से कर सकता है।


पानी की बोतल आसानी से कहीं भी मिल सकती है। हर घर में हर दिन कम से कम एक या एक से अधिक प्लास्टिक की थैलियाँ आती हैं, (जैसे तेल की थैली, दूध की थैली, किराने की थैली, शैम्पू, साबुन, मैगी, कुरकुरे आदि) वही थैलियां हमें रोज कूड़ेदान की जगह पानी की बोतल में डालनी हैं।

आप सप्ताह में एक बार बोतल को भर सकते हैं और उचित ढक्कन के साथ कूड़ेदान में फेंक दें। ऐसा करने से जानवर बिखरा हुआ प्लास्टिक नहीं खाएंगे।

प्लास्टिक कचरे और पानी की बोतलों का उचित निपटान होगा। कचरा विभाग को कूड़ा जमा करने में भी सुविधा होगी।

इतने छोटे से काम से पर्यावरण, धरती और आने वाली पीढ़ी को बहुत बड़ा फायदा होगा। जितना हो सके इस काम को 100% करने की कोशिश करें, जितने समय में हर कोई कर सकता है।

शहर से लेकर गांव तक हर घर में यह आंदोलन खड़ा होना समय की मांग है। विनम्र निवेदन है कि हर घर इस जरूरत को पहचानें और इस शुभ कार्य की शुरुआत करें।

*प्लास्टिक योजना के साथ भारत।*😊🎙💐          www.sanwariyaa.blogspot.com

रविवार, 9 अप्रैल 2023

यह बंद फैक्ट्री है रानीबाग उत्तराखण्ड में एचएमटी की. किसी समय यह भारत का वक्त बताती थी

भुतहा सी नज़र होने वाली यह बंद फैक्ट्री है रानीबाग उत्तराखण्ड में एचएमटी की. किसी समय यह भारत का वक्त बताती थी. भारत की इकमात्र घड़ी कंपनी थी, भारत सरकार का उपक्रम थी. कभी इसकी घड़ी लेने के लिए सालों की वेटिंग होती थी. 
 
इस कंपनी के पास भारत के सर्वश्रेष्ठ डिज़ायनर थे, इंजीनियर थे. बस नहीं थी तो इच्छा शक्ति समय के साथ चलने की, ग्राहकों को भगवान मानने की. सारी दुनिया क्वार्ट्ज़ टेक्नोलॉजी में आ चुकी थी लेकिन एचएमटी की ज़िद थी कि वह मैन्युअल चाभी भरने वाली घड़ियाँ ही बनायेंगे. उसमे भी डिमांड सप्लाई का गैप इतना कि ग्राहकों को सालों इंतज़ार करना पड़ता था, रिश्वत देनी पड़ती थी. 
 
कंपनी का मैनेजमेंट सब तरह से कमाता था. ग्राहकों से ब्लैक में पैसा ले कर. पॉवर फ़ुल लोगों को समय से घड़ी देकर एहसान कर और सबसे ज्यादा क्वार्ट्ज़ की इलेक्ट्रॉनिक घड़ियाँ न बना कर अवैध रूप से विदेशी कंपनियों को मार्केट का हिस्सा देकर. एक समय भारत में बिकने वाली अस्सी प्रतिशत घड़ियाँ अवैध रूप से भारत आती थीं. मज़ेदार बात थी कि उन घड़ियों के विज्ञापन आदि भी होते थे, फुल ऑफिस थे, बस वैध तरीक़े से भारत में बिक नहीं सकती थीं. ग्राहक भी वही ख़रीदते, दुकानदार भी वही बेचते, बस भारत सरकार का भ्रम था कि भारत में हम केवल एचएमटी की घड़ी ही बिकने देंगे.
इसके पीछे एक पहाड़ी नाला बहता है एचएमटी के कर्मचारी प्लास्टिक के डिब्बे में घड़ी के पुर्जे रख कर फेंक देते थे और उनके रिश्तेदार आगे जाकर उसे निकाल लेते थे और उसे घड़ी साजो  को बेचते थे
 
फिर एंट्री हुई टाटा की. टाइटन कंपनी आई. उन्होंने डिसाइड किया कि वह केवल इलेक्ट्रॉनिक घड़ी बनायेंगे. एचएमटी के पास उनसे मुक़ाबले की रण नीति यह कि हम सरकारी हैं सरकार से बोल किसी प्राइवेट कंपनी को न आने देंगे. पर टाटा भी इतने हल्के न थे. टाइटन ने एचएमटी से ही रिआटायर्ड अधिकारी, इंजीनियर लिए. और पचास साल पुरानी कंपनी एचएमटी ने केवल एक साल के अंदर अपनी बादशाहत खो दी और टाइटन नंबर एक कंपनी हो गई. बस तीन सालों के अंदर एचएमटी की घड़ी भारत में कोई मुफ़्त ख़रीदने वाला न बचा.
 
आज यह फैक्ट्री अपने गुजरे कल के इतिहास की गवाह है. गवाह है कि जो व्यवसाय के साथ नहीं चलता है, ग्राहकों का सम्मान नहीं करता है एक दिन वह मिट्टी में मिल ही जाता है. भले ही कभी उसकी मोनोपोली रही हो.
और उन्ही कर्मचारीयों मे से कुछ आज कह रहे होंगे की मोदी ने देश बेच दिया

श्री राम के दादा परदादा का नाम क्या था? नहीं तो जानिये-

1:~लंका में राम जी = 111 दिन रहे।
2:~लंका में सीताजी = 435 दिन रहीं।
3:~मानस में श्लोक संख्या = 27 है।
4:~मानस में चोपाई संख्या = 4608 है।
5:~मानस में दोहा संख्या = 1074 है।
6:~मानस में सोरठा संख्या = 207 है।
7:~मानस में छन्द संख्या = 86 है।

8:~सुग्रीव में बल था = 10000 हाथियों का।
9:~सीता रानी बनीं = 33वर्ष की उम्र में।
10:~मानस रचना के समय तुलसीदास की उम्र = 77 वर्ष थी।
11:~पुष्पक विमान की चाल = 400 मील/घण्टा थी।
12:~रामादल व रावण दल का युद्ध = 87 दिन चला।
13:~राम रावण युद्ध = 32 दिन चला।
14:~सेतु निर्माण = 5 दिन में हुआ।

15:~नलनील के पिता = विश्वकर्मा जी हैं।
16:~त्रिजटा के पिता = विभीषण हैं।

17:~विश्वामित्र राम को ले गए =10 दिन के लिए।
18:~राम ने रावण को सबसे पहले मारा था = 6 वर्ष की उम्र में।
19:~रावण को जिन्दा किया = सुखेन बेद ने नाभि में अमृत रखकर।

श्री राम के दादा परदादा का नाम क्या था?
नहीं तो जानिये-
1 - ब्रह्मा जी से मरीचि हुए,
2 - मरीचि के पुत्र कश्यप हुए,
3 - कश्यप के पुत्र विवस्वान थे,
4 - विवस्वान के वैवस्वत मनु हुए.वैवस्वत मनु के समय जल प्रलय हुआ था,
5 - वैवस्वतमनु के दस पुत्रों में से एक का नाम इक्ष्वाकु था, इक्ष्वाकु ने अयोध्या को अपनी राजधानी बनाया और इस प्रकार इक्ष्वाकु कुलकी स्थापना की |
6 - इक्ष्वाकु के पुत्र कुक्षि हुए,
7 - कुक्षि के पुत्र का नाम विकुक्षि था,
8 - विकुक्षि के पुत्र बाण हुए,
9 - बाण के पुत्र अनरण्य हुए,
10- अनरण्य से पृथु हुए,
11- पृथु से त्रिशंकु का जन्म हुआ,
12- त्रिशंकु के पुत्र धुंधुमार हुए,
13- धुन्धुमार के पुत्र का नाम युवनाश्व था,
14- युवनाश्व के पुत्र मान्धाता हुए,
15- मान्धाता से सुसन्धि का जन्म हुआ,
16- सुसन्धि के दो पुत्र हुए- ध्रुवसन्धि एवं प्रसेनजित,
17- ध्रुवसन्धि के पुत्र भरत हुए,
18- भरत के पुत्र असित हुए,
19- असित के पुत्र सगर हुए,
20- सगर के पुत्र का नाम असमंज था,
21- असमंज के पुत्र अंशुमान हुए,
22- अंशुमान के पुत्र दिलीप हुए,
23- दिलीप के पुत्र भगीरथ हुए, भागीरथ ने ही गंगा को पृथ्वी पर उतारा था.भागीरथ के पुत्र ककुत्स्थ थे |
24- ककुत्स्थ के पुत्र रघु हुए, रघु के अत्यंत तेजस्वी और पराक्रमी नरेश होने के कारण उनके बाद इस वंश का नाम रघुवंश हो गया, तब से श्री राम के कुल को रघु कुल भी कहा जाता है |
25- रघु के पुत्र प्रवृद्ध हुए,
26- प्रवृद्ध के पुत्र शंखण थे,
27- शंखण के पुत्र सुदर्शन हुए,
28- सुदर्शन के पुत्र का नाम अग्निवर्ण था,
29- अग्निवर्ण के पुत्र शीघ्रग हुए,
30- शीघ्रग के पुत्र मरु हुए,
31- मरु के पुत्र प्रशुश्रुक थे,
32- प्रशुश्रुक के पुत्र अम्बरीष हुए,
33- अम्बरीष के पुत्र का नाम नहुष था,
34- नहुष के पुत्र ययाति हुए,
35- ययाति के पुत्र नाभाग हुए,
36- नाभाग के पुत्र का नाम अज था,
37- अज के पुत्र दशरथ हुए,
38- दशरथ के चार पुत्र राम, भरत, लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न हुए |
इस प्रकार ब्रह्मा की उन्चालिसवी (39) पीढ़ी में श्रीराम का जन्म हुआ | शेयर करे ताकि हर हिंदू इस जानकारी को जाने..।
*यह जानकारी  महीनों के परिश्रम के बाद आपके सम्मुख प्रस्तुत है । पांच ग्रुप  को भेज कर धर्म लाभ कमाये*
 *राम_चरित_मानस🚩जय श्री राम*

🙏🙏 🙏🙏

🚩 *राम काज किये बिना मोहें कहा विश्राम*
🙏🏻🚩 *जय श्रीराम* 🙏🏻🚩

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शनिवार, 8 अप्रैल 2023

क्या आप जानते हैं कि पौधों के लिए कौन सा फर्टिलाइजर सबसे बेस्ट होता है?


क्या आप जानते हैं कि पौधों के लिए कौन सा फर्टिलाइजर सबसे बेस्ट होता है? क्या कभी आपने सोचने की कोशिश की है कि नर्सरी में तो पौधा बहुत ही ज्यादा अच्छा दिखता है, उसमें बहुत ही ज्यादा फूल होते हैं, लेकिन जब हम उसे घर पर लेकर आते हैं तो उसमें फूल खिलना बंद क्यों हो जाते हैं? आपने भी शायद कई बार नर्सरी वालों से पूछा होगा कि आखिर ऐसा क्यों होता है, लेकिन क्या कभी जवाब मिला? कई ऐसे फर्टिलाइजर होते हैं जिन्हें नर्सरी वाले अपने पौधों में डालने की कोशिश करते हैं।


तो चलिए आज आपको ऐसे ही फर्टिलाइजर्स के बारे में बताते हैं जिन्हें अधिकतर नर्सरी वाले लोग अपने पौधों में डालते हैं।
1. डीएपी खाद

इसमें बराबर मात्रा में यूरिया और फास्फोरस होता है। कई बार ये बाज़ार से ही मिला हुआ मिल जाता है और कई बार इसे अलग से खरीदकर मिलाना भी होता है।



कैसे इस्तेमाल करते हैं ये खाद?

इसका 1 चम्मच 1 लीटर पानी में घोलकर पौधों में छिड़काव किया जा सकता है और उसके साथ ही पौधे में गुढ़ाई करके 1/4 चम्मच इस खाद को मिट्टी में छिड़का जा सकता है।

ये तरीका आपके उन सभी पौधों के लिए अच्छा साबित हो सकता है जिन्हें फास्फोरस की जरूरत होती है।


2. सिंगल सुपर फॉस्फेट

जिन लोगों के पास ज्यादा समय नहीं है उनके लिए फॉस्फेट से भरपूर ये खाद काफी जरूरी हो सकती है। ये खाद पत्तियों को चमकदार बनाती है और फूल और फलों को बड़ा बनाती है।



कैसे इस्तेमाल करते हैं ये खाद?

इसका 1 चम्मच 1 लीटर पानी में घोलकर पौधों में छिड़काव किया जा सकता है और उसके साथ ही पौधे में गुढ़ाई करके 1/2 चम्मच इस खाद को पत्तियों में छिड़का जा सकता है। इससे फंगस नहीं लगती है और परेशानी ज्यादा नहीं होती है। हालांकि, कई पौधों को ये सूट नहीं करती है इसलिए आपको पहले अपने पौधे के बारे में जानकारी ले लेनी चाहिए।
3. पोटाश खाद

ये ऑरेंज रंग की खाद होती है जो अधिकतर खेती में भी इस्तेमाल की जाती है। पोटाश ग्रोथ को आगे बढ़ाता है और अगर पौधा किसी कारण से मर रहा है या फिर उसमें किसी तरह से ग्रोथ नहीं हो रही तो इसे यूज करना चाहिए।


कैसे इस्तेमाल करते हैं ये खाद?

इसे भी इस्तेमाल करने का तरीका बिल्कुल वैसा ही है, लेकिन अगर आप इसे बड़े गमले में इस्तेमाल कर रहे हैं तो 1 चम्मच खाद डालें।

अगर इसका लिक्विड फर्टिलाइजर बना रहे हैं तो आप इसे रात भर पानी में डूबा रहने दें और फिर सुबह छिड़काव करें।

4. नीम खली

ये सबसे आसानी से मिलने वाला फर्टिलाइजर है और इससे मिट्टी में लगने वाली फंगस भी खत्म होती है। नीम खली को कई बार मिट्टी में पौधा लगाते समय भी मिलाया जाता है जिससे पौधों की ग्रोथ बिना किसी फंगस या रोग के हो सके।
कैसे इस्तेमाल करते हैं ये खाद?

हफ्ते में एक बार कम से कम एक चम्मच इसे मिट्टी की गुढ़ाई करके डालें। इससे मिट्टी में फंगस की समस्या बिल्कुल ही खत्म हो सकती है।

ये आपके घरेलू पौधों के लिए बहुत ही जरूरी खाद है जिसका इस्तेमाल हमेशा करते रहना चाहिए।


5. सरसों खली

नीम खली की तरह ही सरसों खली भी पौधों के लिए बहुत जरूरी खाद साबित हो सकती है हालांकि, ये उनकी ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए है।

इसमें कई तरह के न्यूट्रिएंट्स होते हैं जो इसे हर पौधे के लिए सही माना जा सकता है। वैसे गुलाब के पौधों के लिए भी ये काफी जरूरी होती है।
कैसे इस्तेमाल करते हैं ये खाद?

आप 5 लीटर पानी में 250 ग्राम खली मिलाएं और इसे 1 हफ्ते के लिए ऐसा ही छोड़ दें। इसमें पानी मिलाते रहें पर बहुत ज्यादा लिक्विड नहीं करना है। इसे लकड़ी की मदद से चलाते रहें ताकि लंप्स ना बनें और फिर इसे पौधों में इस्तेमाल किया जा सके। क्योंकि ये ज्यादातर सॉलिड फॉर्म में होती है इसलिए इसे लिक्विड बनाना जरूरी है।


ये सभी फर्टिलाइजर्स नर्सरी में रेगुलर यूज किए जाते हैं और ऐसे में आपके लिए ये यूजफुल साबित हो सकते हैं।

क्या करोगे इतनी संपत्ति कमाकर ? आज भी आधे से ज्यादा समाज को तो ये भी समझ नहीं कि उस पर क्या संकट आने वाला है ??



 क्या करोगे इतनी संपत्ति कमाकर ?
एक दिन पूरे काबुल (अफगानिस्तान) का व्यापार सिक्खों का था, आज उस पर तालिबानों का कब्ज़ा है | 

 -सत्तर साल पहले पूरा सिंध सिंधियों का था, आज उनकी पूरी धन संपत्ति पर पाकिस्तानियों का कब्ज़ा है |

-एक दिन पूरा कश्मीर धन धान्य और एश्वर्य से पूर्ण पण्डितों का था,  उन महलों और झीलों पर अब आतंक का कब्ज़ा हो गया और तुम्हें मिला दिल्ली में दस बाई दस का टेंट..|

-एक दिन वो था जब ढाका का हिंदू बंगाली पूरी दुनियाँ में जूट का सबसे बड़ा कारोबारी था | आज उसके पास सुतली बम भी नहीं बचा |
-ननकाना साहब, लवकुश का लाहौर, दाहिर का सिंध, चाणक्य का तक्षशिला, ढाकेश्वरी माता का मंदिर देखते ही देखते सब पराये हो गए |
पाँच नदियों से बने पंजाब में अब केवल दो ही नदियाँ बची |

-यह सब किसलिए हुआ.? केवल और केवल असंगठित होने के कारण। इस देश के  समाज की सारी समस्याओं की जड़ ही संगठन का अभाव है |

-आज भी बेकारण आया संकट देखकर बहुतेरा समाज गर्राया हुआ है |
कोई व्यापारी असम के चाय के बागान अपने समझ रहा है,
कोई आंध्रा की खदानें अपनी मान रहा है |
तो कोई सूरत का व्यापारी सोच रहा है ये हीरे का व्यापार सदा सर्वदा उसी का रहेगा |
-कभी कश्मीर की केसर की क्यारियों के बारे में भी हिंदू यही सोचा करता था |
-उसे केवल अपने घर का ध्यान रहा और पूर्वांचल का लगभग पचहत्तर प्रतिशत जनजाति समाज विधर्मी हो गया |
बहुत कमाया बस्तर के जंगलों से... आज वहाँ घुस भी नहीं सकते |
आज भी आधे से ज्यादा समाज को तो ये भी समझ नहीं कि उस पर क्या संकट आने वाला है ??
बचे हुए समाज में से बहुत से अपने आप को SICKular मानते हैं |
कुछ समाज लाल गुलामों का मानसिक गुलाम बनकर अपने ही समाज के खिलाफ कहीं बम बंदूकें, कहीं तलवार तो कहीं कलम लेकर विधर्मियों से ज्यादा हानि पहुंचाने में जुटा है |
ऐसे में पाँच से लेकर दस प्रतिशत ही बचता है जो अपने धर्म और राष्ट्र के प्रति संवेदनशील है,
धूर्त SICKulars ने उसे असहिष्णु और साम्प्रदायिक करार दे दिया|
इसलिए आजादी के बाद एक बार फिर हिंदू समाज दोराहे पर खड़ा है |

एक रास्ता है शुतुरमुर्ग की तरह आसन्न संकट को अनदेखा कर रेत में गर्दन गाड़ लेना ,
और दूसरा तमाम संकटों को भांपकर , सारे मतभेद भुलाकर , संगठित हो कर व संघर्ष कर अपनी धरती और संस्कृति बचाना |

  अगर आप पहला रास्ता अपनाते हैं तो आपकी चुप्पी और तटस्थता समय के इतिहास में एक अपराध के तौर पर दर्ज होगी।
 अगर आप दूसरे रास्ते पर चलते हैं तो आपके secular मित्र -संबंधी आपको कट्टर, संघी या अंधभक्त कहकर अपने आपको बड़का वाला चमचा सिद्ध करने की कोशिश जरूर करेंगे  लेकिन आप अपनी मातृभूमि और अपने सनातन धर्म के प्रति अपनी निष्ठा और कर्त्तव्य का परिचय देते हुए इस राष्ट्र की मूल संस्कृति को बचाने के लिए प्राणपण से डटे रहिए।
सोच आपकी, निर्णय आपका !

जय श्री राम
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आज से शुरू करें..खिचड़ी - सभी पोषक तत्वों का भंडार है।


खिचड़ी खाओ😋



कुछ साल पहले मुझे प्राचीन भारत की विरासत में दिलचस्पी हुई। प्रकृति को बहुत करीब से देखने और समझने लगे। दुनिया में जंक फूड और फास्ट फूड का बढ़ता प्रचलन और इससे होने वाले नुकसान दिल तोड़ने वाले हैं। भारतीय खाद्य संस्कृति का अध्ययन किया। खिचड़ी एक ऐसी डिश है जो कई मायनों में अनोखी है। मैं जब छोटा था तब खिचड़ी खाता था, लेकिन खिचड़ी में इतनी ताकत होती है, इसका अंदाजा नहीं था। जूनागढ़ कृषि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर गोलकिया साहब के साथ मिलकर खिचड़ी के बारे में शोध किया। वडोदरा एम.एस. यूनिवर्सिटी में रहते हुए खिचड़ी पर रिसर्च की।
हज़ारों साल पहले थी खिचड़ी। आयुर्वेद, ऋषियों ने भी खिचड़ी की वकालत की थी। मूंग और चावल दोनों ही बहुत पवित्र और शक्तिशाली अनाज हैं। खिचड़ी एक शुभ आहार है। खिचड़ी दूध के समान पवित्र है। खिचड़ी देवी-देवताओं को भी प्रिय है। इसमें अपार और अतुलनीय गुण हैं। यह सिर्फ चार घंटे में पच जाता है। खिचड़ी खाने से दिमाग भी शांत होता है। हमारी एक कहावत है कि जैसा अन्न वैसा मन।मूंग-चावल की खिचड़ी में गाय का घी डालने से तन और मन को बहुत लाभ मिलता है।
कहा जाता है कि अगर भारत में जंक फूड की जगह खिचड़ी को लोकप्रिय बनाया जाए तो भारत की कई समस्याएं दूर हो जाएंगी। रोग कम होता है। लोगों का तन और मन स्वस्थ रहे। आत्महत्याएं कम होंगी। ब्रह्मा खिचड़ी में तरह-तरह की सब्जियां होती हैं जो खाने वाले को खाने से तृप्ति का एहसास कराती हैं और कई बीमारियों को दूर करती है। डूंगरी नी खिचड़ी ने वयस्कों और बच्चों को खिचड़ी के प्रति आकर्षित करने के लिए पनीर खिचड़ी पर शोध किया। * हमारे कई व्यंजन हैं खास -देशी हांडवा 500 साल पुराना है। कई चटनी 100-150 साल पुरानी हैं। यह सभी पोषक तत्वों का भंडार है। उनके अनुसार खिचड़ी में 16 प्रकार के पोषक तत्व होते हैं। इसमें ऊर्जा (280 कैलोरी), प्रोटीन (7.44 ग्राम), कार्बोहाइड्रेट (32 ग्राम), कुल वसा (12.64 ग्राम), आहार फाइबर (8 ग्राम), विटामिन ए (994.4 आईयू), विटामिन बी6 (0.24 मिलीग्राम), विटामिन सी शामिल हैं। (46.32 मिलीग्राम), विटामिन ई (0.32 आईयू), कैल्शियम (70.32 मिलीग्राम), एरियन (2.76 मिलीग्राम), सोडियम (1015.4 मिलीग्रामजी), पोटेशियम (753.64 मिलीग्राम), मैग्नीशियम (71.12 मिलीग्राम), फास्फोरस (138.32 मिलीग्राम) और जस्ता (1.12 मिलीग्राम)।



कहा जाता है कि मिट्टी के बर्तन में खिचड़ी बनाने से उसकी गुणवत्ता और स्वाद बढ़ जाता है। प्राचीन काल में लोग मिट्टी के बर्तनों में खिचड़ी बनाते थे। तैत्रिय उपनिषद के एक श्लोक के अनुसार, अन्न ब्रह्म है क्योंकि प्रत्येक जीव की उत्पत्ति अन्न से होती है। जन्म लेने के बाद वह केवल भोजन पर ही जीवित रहता है और अंत में मृत्यु भी भोजन में ही प्रवेश कर जाती है। * भगवदभगवान कृष्ण* ने गीता में कहा है कि, मैं मानव शरीर में जठराग्नि के रूप में वसु हूँ। उन्होंने यह भी कहा है कि, जो जीवन, बल, स्वास्थ्य, सुख और प्रेम को बढ़ाता है, जिसका क्षय नहीं होता और स्थिर रहता है, हृदय को कौन नहीं गिराता, रसीले, चिपचिपे पदार्थ सात्विक लोगों को प्रिय होते हैं। ये सभी गुण हमारी खिचड़ी में शामिल हैं। वह समय जल्द ही आएगा जब लोगों को शाश्वत सत्य का एहसास होगा कि भोजन ब्रह्म है और भारतीय भोजन वापस आ जाएगा। इसमें खिचड़ी सबसे अच्छी है, तो लोग खिचड़ी का उपयोग ज़रूर बढ़ायेंगे, उस समय लोगों के स्वास्थ्य में सुधार होगा। भले ही अब हम खिचड़ी को भूल गए हों, लेकिन हमारी खिचड़ी देश-विदेश के अनेक व्यंजनों से हजारों गुना श्रेष्ठ है। करोड़ों युवा एक तरफ रोज फास्ट फूड खाकर अपनी सेहत बर्बाद कर रहे हैं और दूसरी तरफ खिचड़ी जैसे सर्वोच्च भोजन से दूर रहकर भारी नुकसान भी उठा रहे हैं...!!
आज से शुरू करें..खिचड़ी

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