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मंगलवार, 16 जुलाई 2024

सप्त धातु......7 धातु + 3 दोष ( वात पित कफ) + 1 मल =11आयुर्वेद के अनुसार शरीर में सप्त धातु होतें हैं। पूरा शरीर इनके द्वारा ही ऑपरेट होता है।

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सप्त धातु......

7 धातु + 3 दोष ( वात पित कफ) + 1 मल =11

आयुर्वेद के अनुसार शरीर में सप्त धातु होतें हैं।

 पूरा शरीर इनके द्वारा ही ऑपरेट होता है।

 आज हम आपको जो सप्त धातु पोषक चूर्ण के बारे में बताने जा रहें हैं। ये उत्तम रसायन है।

यह नस नाड़ियों एवम वात वाहिनियों को शक्ति प्रदान करता है।
सात्विक भोजन और सदाचरण के साथ इसके निरंतर सेवन से रोग प्रतिरोधक शक्ति बनी रहती है, और वृद्ध अवस्था के रोग नहीं सताते।


▪️अश्वगंधा (असगंध)  - 100 ग्राम,

▪️आंवला चूर्ण - 100 ग्राम,

▪️हरड  - 100 ग्राम,

इन तीनो चीजों के चूर्ण को आपस में मिला लीजिये, अभी इसमें 400 ग्राम पीसी हुयी खांड मिश्री मिला लीजिये।

और इसको किसी कांच की भरनी में भर कर रख लीजिये।

प्रतिदिन एक चम्मच गर्म पानी के साथ या गर्म दूध के साथ ये चूर्ण पूरे साल फांक सकते हैं।

जो व्यक्ति पूरी उम्र इसको खायेगा उसकी तो आयु कितनी होगी इसका अंदाजा भी लगा पाना मुश्किल है।

 अगर कोई व्यक्ति इसको 3 महीने से 1 साल तक खायेगा तो उसका शरीर भी कई सालों तक निरोगी रहेगा।

इस योग को बनाने के लिए बस एक बात का ध्यान रखें के सभी वस्तुएं साफ़ सुथरी ले कर ही चूर्ण बनवाएं।

कीड़े वाली अश्वगंधा ना लें।

इसलिए ये सामग्री किसी विश्वसनीय दुकानदार से ही लें......

◼️◼️सप्त धातुओं का वर्णन.....

▪️1. रस

▪️2. रक्त

▪️3. मांस

▪️4. मेद

▪️5. अस्थि

▪️6. मज्जा

▪️7. शुक्र

अगर कोई रोगी या बीमार व्यक्ति जिसको चाहे कब्ज हो या कोई भी बड़ा रोग हो उसको इस चूर्ण को सेवन करने से पहले एक बार शरीर को शोध लेना चाहिए।

उसके लिए हमने एक बेहतरीन चूर्ण बताया था ।

शरीर शोधन चूर्ण शरीर की सात धातुओं को पोषण देने वाला बहुत उत्तम चूर्ण है।

पहले वाली धातु अपने से बाद वाली धातु को पोषण देती है ,और धातुओं को जितना भी पोषण मिलेगा शरीर उतना ही मजबूत होगा ।

 यह आयुर्वेद का एक बहुत गूढ़ सिद्धांत है।

इस पोस्ट में हम इस बारे में ज्यादा गहराई में ना जाते हुये आपको एक ऐसे चूर्ण के बारे में बता रहे हैं ।

जो इन सात धातुओं को पोषण देता है और इसको घर पर निर्मित करना भी बहुत आसान है।

▪️अश्वगंधा  -100 ग्राम

 ▪️तुलसी बीज - 50 ग्राम

▪️सौंठ  -100 ग्राम

▪️हल्दी चूर्ण - 50 ग्राम

 ▪️हरड़ -  30 ग्राम

▪️ बहेड़ा - 60 ग्राम

▪️आवंला  - 90 ग्राम

इन सभी चीजों को ऊपर लिखी गयी मात्रा में लेकर धूप में सुखाकर मिक्सी में पीस कर और सूती कपड़े में छानकर चूर्ण तैयार कर लें । 

एयर टाईट डिब्बे में बंद रखने पर यह चूर्ण 6-8 महीने तक खराब नही होता है ।

 ये सभी चीजें आपको अपने आस पास किसी जड़ी-बूटी वाले के पास बहुत आसानी से मिल जायेंगी ।

▪️▪️सेवन विधी .....

10 साल से कम उम्र के बच्चों को चौथाई से एक ग्राम, 16 साल तक के किशोर को 2 ग्राम और उससे बड़े व्यक्ति को 3-5 ग्राम तक सेवन करना है।

 रात को सोते समय पानी, शहद, मलाई अथवा दूध के साथ ।

◼️◼️इस चूर्ण के सेवन से मिलने वाले लाभ .....

 ▪️शरीर में समस्त धातुओं को उचित पोषण देता है जिससे शरीर मजबूत और गठीला बनता है ।

 ▪️पाचन सही रखता है जिससे खाया पिया शरीर को पूरी तरह से लगता है।

 ▪️बालों में चमक और मजबूती लाता है।

 ▪️त्वचा कांतिमय बनती है ।

 ▪️शरीर में कैल्शियम की कमी नही होती जिससे हड्डियॉ मजबूत होती हैं।

▪️ वात दोष के बढ़ने से हो जाने वाले रोगों से बचाव रहता है।

▪️शरीर में एलर्जी और अन्य इंफेक्शन जल्दी से नही होते हैं ।


www.sanwariyaa.blogspot.com

इस देश के अंदर पाकिस्तानियों को हम कब तक ढोते रहेंगे ?

इस देश के अंदर पाकिस्तानियों को हम कब तक  ढोते रहेंगे ? 

-जब पाकिस्तान जीता तो हिंदुस्तान में रहने वाले मुसलमानों ने कल जमकर पटाखे फोड़े और आतिशबाजी की... कल दिल्ली में उन इलाकों से पटाखों की आवाजें आती रहीं जहां शाहीनबाग आंदोलन का सबसे ज्यादा जोर था और ऐसा लगा कि ये कोई पटाखों की आवाज नहीं है... ये उन अदृश्य जूतों की आवाज थी जो हिंदू को कायदे से बार बार लगाए जाते हैं और हिंदू हर बार ऐसे जूतों को ना सिर्फ सहता है बल्कि सहने का आदी हो चुका है

-वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर ने तक दिल्ली के सीलमपुरी और तमाम मुस्लिम बहुल इलाकों में फोड़े गए पटाखों पर ट्वीट किया और कहा कि पाकिस्तान की जीत पर जो लोग पटाखें फोड़ रहे हैं वो लोग दिवाली पर पटाखे ना जलाने का ज्ञान बिलकुल भी ना दें । 

-पाकिस्तान के गृहमंत्री रहमान मलिक ने कल एक बयान जारी करके पाकिस्तान की जीत को समूचे आलमे इस्लाम की जीत बताया है । और कहा है कि पाकिस्तान की जीत का जश्न हिंदुस्तान का मुसलमान भी मना रहा है

- शोएब अख्तर ने भी ट्वीट करके ये बयान दिया है कि पाकिस्तान की जीत का जश्न भारत के अंदर रहने वाले लोगों ने भी मनाया है... उन्होंने खुलकर भारत के मुसलमानों की तरफ संकेत किया है कि पाकिस्तान की जीत पर भारत के मुसलमान खुश हैं

-सवाल ये है कि ये कोई दबी छुपी बात नहीं है कि हिंदुस्तान का मुसलमान पाकिस्तान के जीतने पर खुश होता है... गली नुक्कड़ की चाय की दुकानों पर बैठने वाले लोग इन बातों को बहुत अच्छी तरह जानते और समझते हैं कि मैं जिस गांव का रहना वाला हूं वहां के मुसलमान बिलकुल खुलकर चाय की दुकानों पर पाकिस्तान क्रिकेट टीम का समर्थन करते हैं । मेरे आपके सभी के इस तरह के अनुभव रहे हैं लेकिन इसे बाद भी हम गांधी और नेहरू के किए गए पापों को भुगतने के लिए मजबूर रहे हैं

-रविवार की रात को देश के मुस्लिम बहुल इलाकों में जश्न मनाया गया और इस जश्न के तमाम वीडियो भारत के अंदर सोशल मीडिया फेसबुक ट्विटर व्हाट्सएप पर वायरल हो रहे हैं । पटाखों की आवाजें दिल्ली के लोगों ने अपने कानों से सुनी है कोई दबी छुपी बात नहीं है

-लेकिन इसके बाद भी पूरी भारत सरकार दिल जीतने की मुहिम में जुटी हुई है । अभी यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इंडिया टीवी को दिए गए एक इंटरव्यू में ये बताया था कि यूपी में 20 प्रतिशत मुसलमान हैं लेकिन सरकारी योजनाओं का लाभ लेने वालों में 37 प्रतिशत मुसलमान हैं । यहां का खाकर यहां का पानी पीकर यहां की सरकार से मदद लेकर... सरकारी राशन पर कब तक पाकिस्तान की सोच वाले लोगों को पाला पोसा जाता रहेगा

-हमें इस बात का बहुत दुख और अफसोस है कि हम आज भी इन मामलों पर ब्लैक एंड व्हाइट में कुछ भी नहीं सोच पा रहे हैं... हम सभी लोग कन्फ्यूज हैं... 


(नोट- कई मित्रों ने मेरा नंबर 7011795136 को दिलीप नाम से सेव तो कर लिया है लेकिन मिस्ड कॉल नहीं की है... जो मित्र मुझे मिस्ड कॉल भी करेंगे और मेरा नंबर भी सेव करेंगे... यानी ये दोनों काम करेंगे सिर्फ उनको ही मेरे लेख सीधे व्हाट्सएप पर मिल पाएंगे...क्योंकि मैं ब्रॉडकास्ट लिस्ट से ही मैसेज भेजता हूं और इसमें मैसेज उन्हीं को मिलेगा जिन्होंने मेरा नंबर सेव किया होगा... जिन मित्रों को मेरे लेख व्हाट्सएप पर पहले से मिल रहे हैं वो मिस्ड कॉल ना करें... प्रार्थना है)

-कल पाकिस्तान ने विश्वकप में जो मैच जीता है ... वो भी भारत के हिंदुओं के लिए एक ऐतिहासिक सबक हो सकता है... जिस तरह पृथ्वीराज चौहान ने तराइन के पहले युद्ध में मुहम्मद गोरी को हराया था और फिर इसके बाद उसके माफ कर दिया था... उसका नतीजा दूसरे तराइन के युद्ध के बार सिर्फ पृथ्वीराज चौहान को नहीं बल्कि पूरे हिंदुस्तान को भुगतना पड़ा । आंखें तो पृथ्वीराज चौहान की फोड़ी गई लेकिन उम्मीद की रोशनी तो पूरे भारत की ही चली गई 

-खेल या युद्ध... हार या जीत... कई बार परिस्थितियों और किस्मत पर भी निर्भर करती है... जिस तरह लगातार विश्वकप में पाकिस्तान भारत से हारता रहा और अचानक जीत गया । ठीक उसी तरह ये जरूरी नहीं है कि हर बार भारत की सेना पाकिस्तान को हराती ही रहेगी... कभी ना कभी ऐसे ग्रह नक्षत्र और परिस्थितियां ऐसी जरूर बदलेंगी जब पाकिस्तान भारत पर बड़ी विजय हासिल कर लेगा । बंद घड़ी भी 24 घंटे में एक बार सही समय बताती ही है । 

-मैं कभी नहीं चाहता  हूं कि ऐसा हो लेकिन कड़वी और सच बात यानी कटुसत्य बोले बिना नहीं रह सकता हूं । आप अपने घर के अंदर तब तक ही सेफ हैं जब तक बॉर्डर पर आर्मी खड़ी है वरना बाहर का पाकिस्तान और अंदर का पाकिस्तान 2 मिनट के अंदर आपको दबोच लेगा । ये जो पाकिस्तान के नेता फजलुर्रहमान... रोज नारे लगाते हैं कि चलो इस्लामाबाद... वो जब भारत की सेना हार जाएगी तो नारा लगाएंगे... चलो दिल्ली । मुझे आतंकी हाफिज सईद का वो बयान रह रह कर याद आता रहता है जो उसने अपने एक भाषण में दिया था.. इंशाल्लाह... दिल्ली दुल्हन बनेगी ! हमारे लिए दिल्ली दुल्हन बनेगी ! 

-ये सोच है पाकिस्तान की और भारत के अंदर रहने वाले पाकिस्तान के समर्थकों की... मेरी भारत सरकार से और देश के लोगों से भी ये अपील है कि जिन लोगों ने पाकिस्तान की जीत पर पटाखें फोड़े हैं इसकी उचित तरीके से जांच करवाकर फैसला लें या तो इन लोगों को फांसी की सजा दी जाए या फिर इन लोगों को देश निकाला दिया जाए । 

-आखिर देश के गद्दारों पर... देश के दुश्मनों पर फैसला तो करना ही होगा... श्रीमदभगवतगीता में स्पष्ट लिखा है... संशयात्मा विनश्यती.. यानी जो संशय में रहता है शक में रहता है वो नष्ट हो जाता है ! ठीक इसी तरह हिंदू अगर संशय में रहेगा और कोई एक्शन नहीं लेगा तो नष्ट हो जाएगा  ।

-भारत के समस्त लोगों ने मेरी ये अपील है कि इस लेख को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाएं । देश के पहले गृहमंत्री सरदार पटेल ने 1947 के एक भाषण में कहा था कि जिन लोगों को पाकिस्तान से मोहब्बत है वो पाकिस्तान चले जाएं यहां भारत के अंदर रहकर पाकिस्तान से दोस्ती नहीं चलेगी । सरदार पटेल की ये बात हर मोबाइल तक पहुंचनी चाहिए । 

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कुछ माता-पिता बड़े समझदार होते हैं, वे अपने बच्चों को सगाई, शादी, लगन, तेरहवीं, उठावना के फंक्शन में नहीं भेजते

*कुछ माता-पिता बड़े समझदार होते हैं, वे अपने बच्चों को सगाई, शादी, लगन, तेरहवीं, उठावना के फंक्शन में नहीं भेजते कि उनकी पढ़ाई में बाधा न हो. उनके बच्चे किसी रिश्तेदार के यहाँ आते-जाते नहीं, न ही किसी का घर आना-जाना पसंद करते हैं. वे हर उस बात से बचते हैं जहां उनका समय बर्बाद होता हो. उनके माता-पिता उनके करियर और व्यक्तित्व निर्माण को लेकर बहुत सजग रहते हैं, वे बच्चे सख्त पाबंदी मे जीते हैं. दिन भर पढ़ाई करते हैं, महंगी कोचिंग जाते हैं, अनहेल्दी फूड नहीं खाते, नींद तोड़कर अलसुबह साइकिलिंग या स्विमिंग को जाते हैं. 
महंगी कारें, गैजेट्स और क्लोदिंग सीख जाते हैं क्योंकि देर सवेर उन्हें अमीरों की लाइफ स्टाइल जीना है. फिर वे बच्चे औसत प्रतिभा के हों कि होशियार, उनका अच्छा करियर बन ही जाता है क्योंकि स्कूल से निकलते ही उन्हें बड़े शहरों के महंगे कॉलेजों में भेज दिया जाता है जहां जैसे-तैसे उनकी पढ़ाई भी हो जाती है और प्लेसमेंट भी. अब वह बच्चे बड़े शहरों में रहते हैं और छोटे शहरों को हिकारत से देखते हैं. मजदूर, रिक्शा वालों, खोमचे वालों की गंध से बचते हैं. 
छोटे शहरों के गली-कूचे, धूल गंध देखकर नाक-भौं सिकोड़ते हैं. रिश्तेदारों की आवाजाही उन्हें खामखा की दखल लगती है. फिर वे विदेश चले जाते हैं और अपने देश को भी हिकारत से देखते हैं. वे बहुत खुदगर्ज और संकीर्ण जीवन जीने लगते हैं. 
अब माता-पिता की तीमारदारी और खोज खबर लेना भी उन्हें बोझ लगने लगता है. पुराना मकान, पुराना सामान, पैतृक प्रॉपर्टी को बचाए रखना उन्हें मूर्खता लगने लगती है, वे जल्दी ही उसे बेचकर 'राइट इन्वेस्टमेंट' करना चाहते हैं. माता-पिता से वीडियो चैट में उनकी बातचीत का मसला अक्सर यहीं रहता है.

*इधर दूसरी तरफ कुछ ऐसे बच्चे होते हैं जो सबके सुख-दुख में जाते हैं जो किराने की दुकान पर भी जाते हैं. बुआ, चाचा, दादा-दादी को अस्पताल भी ले जाते हैं. 
तीज त्यौहार, श्राद्ध, बरसी के सब कार्यक्रमों में हाथ बँटाते हैं क्योंकि उनके माता-पिता ने उन्हें  सिखाया है कि सब के सुख-दुख में शरीक होना चाहिए और किसी की तीमारदारी, सेवा और रोजमर्रा के कामों से जी नहीं चुराना चाहिए. इन बच्चों के माता-पिता, उन बच्चों के माता-पिता की तरह समझदार नहीं होते क्योंकि वे इन बच्चों का क़ीमती समय गैरजरूरी कामों में नष्ट करवा देते हैं. फिर ये बच्चे शहर में ही रहे आते हैं और जिंदगी भर निभाते हैं सब रिश्ते, कुटुम्ब के दायित्व, कर्तव्य. यह बच्चे, उन बच्चों की तरह बड़ा करियर नहीं बना पाते इसलिए उन्हें असफल और कम होशियार मान लिया जाता है. 

समय गुजरता जाता है, फिर कभी कभार, वे 'सफल बच्चे' अपनी बड़ी गाड़ियों या फ्लाइट से  छोटे शहर आते हैं, दिन भर ए.सी. में रहते हैं, पुराने घर और गृहस्थी में सौ दोष देखते हैं. फिर रात को, इन बाइक, स्कूटर से शहर की धूल-धूप में घूमने वाले, 'असफल बच्चों' को ज्ञान देते हैं कि तुमने अपनी जिंदगी बर्बाद कर ली है. 
असफल बच्चे लज्जित और हीन भाव से सब सुन लेते हैं. फिर वे 'सफल बच्चे' जाते  वक्त इन असफल बच्चों को, पुराने मकान में रह रही उनकी मां-बाप, नानी, दादी का ख्याल रखने की हिदायतें देकर, वापस बड़े शहरों को लौट जाते हैं. 
फिर उन बड़े शहरों में रहने वाले बच्चों की, इन छोटे शहर में रह रही मां, पिता, नानी के घर कोई सीपेज या रिपेयरिंग का काम होता है तो यही 'असफल बच्चे' बुलाए जाते हैं. सफल बच्चों के उन वृद्ध मां-बाप के हर छोटे बड़े काम के लिए  यह 'असफल बच्चे' दौड़े चले आते हैं. कभी पेंशन, कभी किराना, कभी मकान मरम्मत, कभी पूजा. 

जब वे 'सफल बच्चे' मेट्रोज़ के किसी एयर कंडीशंड जिम में ट्रेडमिल कर रहे होते हैं तब छोटे शहर के यह 'असफल बच्चे' उनके बूढ़े पिता का चश्मे का फ्रेम बनवाने, किसी दुकान के काउंटर पर खड़े होते हैं और मरने पर अग्नि देकर तेरहवीं तक सारे क्रियाकर्म भी करते हैं. 
सफल यह भी हो सकते थे, इनकी प्रतिभा और मेहनत में कोई कमी न थी, मगर इन बच्चों और उनके माता-पिता में शायद जीवन दृष्टि अधिक थी कि उन्होंने धन दौलत से ज़्यादा मानवीय संबंधों और सामाजिक मेल मिलाप को तरजीह दी. 
सफल बच्चों से कोई अड़चन नहीं है मगर, बड़े शहरों में रहने वाले, आपके वे 'सफल बच्चे' अगर 'सोना' हैं तो छोटे शहरों में रहने वाले यह बच्चे किसी 'हीरे' से कम नहीं. 

आपके हर छोटे बड़े काम के लिए दौड़े आने वाले यह 'सोनू, छोटू, बबलू' उन करियर सजग बच्चों से कहीं अधिक तवज्जो और सम्मान के हकदार हैं.👏👏👏

ब्राह्मणों के 8 प्रकार जानिए कौन से

🌹🌷🚩 जय सियाराम जय हनुमान 🌹🌷🚩शुभ रात्रि वंदन🌹🌷🚩
ब्राह्मणों के 8 प्रकार जानिए कौन से
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प्राचीन काल में हर जाति, समाज आदि का व्यक्ति ब्राह्मण बनने के लिए उत्सुक रहता था। ब्राह्मण होने का अधिकार सभी को आज भी है। चाहे वह किसी भी जाति, प्रांत या संप्रदाय से हो वह गायत्री दीक्षा लेकर ब्राह्मण बन सकता है, लेकिन ब्राह्मण होने के लिए कुछ नियमों का पालन करना होता है। हम उस ब्राह्मण समाज की बात नहीं कर रहे हैं जिनमें से अधिकतर ने अपने ब्राह्मण कर्म छोड़कर अन्य कर्मों को अपना लिया है। हालांकि अब वे ब्राह्मण नहीं रहे लेकिन कहलाते अभी भी ब्राह्मण ही है।

👉स्मृति-पुराणों में ब्राह्मण के 8 भेदों का वर्णन मिलता है:- मात्र, ब्राह्मण, श्रोत्रिय, अनुचान, भ्रूण, ऋषिकल्प, ऋषि और मुनि। आठ प्रकार के ब्राह्मण श्रुति में पहले बताए गए हैं। इसके अलावा वंश, विद्या और सदाचार से ऊंचे उठे हुए ब्राह्मण ‘त्रिशुक्ल’ कहलाते हैं। ब्राह्मण को "धर्मज्ञ " "विप्र" और "द्विज" भी कहा जाता है।*

उपनाम में छुपा है पूरा इतिहास

1👉मात्र : ऐसे ब्राह्मण जो जाति से ब्राह्मण हैं लेकिन वे कर्म से ब्राह्मण नहीं हैं उन्हें मात्र कहा गया है। ब्राह्मण कुल में जन्म लेने से कोई ब्राह्मण नहीं कहलाता। बहुत से ब्राह्मण ब्राह्मणोचित उपनयन संस्कार और वैदिक कर्मों से दूर हैं, तो वैसे मात्र हैं। उनमें से कुछ तो यह भी नहीं हैं। वे बस शूद्र हैं। वे तरह तरह के देवी-देवताओं की पूजा करते हैं और रा‍त्रि के क्रियाकांड में लिप्त रहते हैं। वे सभी राक्षस धर्मी भी हो सकते हैं।

2👉 ब्राह्मण : ईश्वरवादी, वेदपाठी, ब्रह्मगामी, सरल, एकांतप्रिय, सत्यवादी और बुद्धि से जो दृढ़ हैं, वे ब्राह्मण कहे गए हैं। तरह-तरह की पूजा-पाठ आदि पुराणिकों के कर्म को छोड़कर जो वेदसम्मत आचरण करता है वह ब्राह्मण कहा गया है।

3👉 श्रोत्रिय : स्मृति अनुसार जो कोई भी मनुष्य वेद की किसी एक शाखा को कल्प और छहों अंगों सहित पढ़कर ब्राह्मणोचित 6 कर्मों में सलंग्न रहता है, वह ‘श्रोत्रिय’ कहलाता है।

4👉 अनुचान : कोई भी व्यक्ति वेदों और वेदांगों का तत्वज्ञ, पापरहित, शुद्ध चित्त, श्रेष्ठ, श्रोत्रिय विद्यार्थियों को पढ़ाने वाला और विद्वान है, वह ‘अनुचान’ माना गया है।

5👉 भ्रूण : अनुचान के समस्त गुणों से युक्त होकर केवल यज्ञ और स्वाध्याय में ही संलग्न रहता है, ऐसे इंद्रिय संयम व्यक्ति को भ्रूण कहा गया है।

6👉 ऋषिकल्प :जो कोई भी व्यक्ति सभी वेदों, स्मृतियों और लौकिक विषयों का ज्ञान प्राप्त कर मन और इंद्रियों को वश में करके आश्रम में सदा ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए निवास करता है उसे ऋषिकल्प कहा जाता है।

7 👉 ऋषि :ऐसे व्यक्ति तो सम्यक आहार, विहार आदि करते हुए ब्रह्मचारी रहकर संशय और संदेह से परे हैं और जिसके श्राप और अनुग्रह फलित होने लगे हैं उस सत्यप्रतिज्ञ और समर्थ व्यक्ति को ऋषि कहा गया है।

8👉 मुनि : जो व्यक्ति निवृत्ति मार्ग में स्थित, संपूर्ण तत्वों का ज्ञाता, ध्याननिष्ठ, जितेन्द्रिय तथा सिद्ध है ऐसे ब्राह्मण को ‘मुनि’ कहते हैं।

उपरोक्त में से अधिकतर 'मात्र'नामक ब्राह्मणों की संख्‍या ही अधिक है।

सबसे पहले ब्राह्मण शब्द का प्रयोग अथर्वेद के उच्चारण कर्ता ऋषियों के लिए किया गया था। फिर प्रत्येक वेद को समझने के लिए ग्रन्थ लिखे गए उन्हें भी ब्रह्मण साहित्य कहा गया। ब्राह्मण का तब किसी जाति या समाज से नहीं था। 
 
समाज बनने के बाद अब देखा जाए तो भारत में सबसे ज्यादा विभाजन या वर्गीकरण ब्राह्मणों में ही है जैसे:- सरयूपारीण, कान्यकुब्ज , जिझौतिया, मैथिल, मराठी, बंगाली, भार्गव, कश्मीरी, सनाढ्य, गौड़, महा-बामन और भी बहुत कुछ। इसी प्रकार ब्राह्मणों में सबसे ज्यादा उपनाम (सरनेम या टाईटल ) भी प्रचलित है। कैसे हुई इन उपनामों की उत्पत्ति जानते हैं उनमें से कुछ के बारे में।
 
*एक वेद को पढ़ने  वाले ब्रह्मण को पाठक कहा गया।*
*दो वेद पढ़ने वाले को द्विवेदी कहा गया, जो कालांतर में दुबे हो गया।*
*तीन वेद को पढ़ने वाले को त्रिवेदी कहा गया जिसे त्रिपाठी भी कहने लगे,जो कालांतर में तिवारी हो गया।*
*चार वेदों को पढ़ने वाले चतुर्वेदी कहलाए, जो कालांतर में चौबे हो गए।*
*शुक्ल यजुर्वेद को पढ़ने वाले शुक्ल या शुक्ला कहलाए।*  
*चारो वेदों, पुराणों और उपनिषदों के ज्ञाता को पंडित कहा गया, जो आगे चलकर पाण्डेय, पांडे, पंडिया, पाध्याय हो गए। ये पाध्याय कालांतर में उपाध्याय हुआ।*
*शास्त्र धारण करने वाले या शास्त्रार्थ करने वाले शास्त्री की उपाधि से विभूषित हुए।*
 
*इनके अलावा प्रसिद्द ऋषियों के वंशजो ने अपने  ऋषिकुल या गोत्र के नाम को ही उपनाम की तरह अपना लिया, जैसे :- भगवन परसुराम भी भृगु कुल के थे। भृगु कुल के वंशज भार्गव कहलाए, इसी तरह गौतम, अग्निहोत्री, गर्ग, भरद्वाज आदि।*
 
*बहुत से ब्राह्मणों को अनेक शासकों ने भी कई  तरह की उपाधियां दी, जिसे बाद में उनके वंशजों ने उपनाम की तरह उपयोग किया। इस तरह से ब्राह्मणों के उपनाम प्रचलन में आए। जैसे, राव, रावल, महारावल, कानूनगो, मांडलिक, जमींदार, चौधरी, पटवारी, देशमुख, चीटनीस, प्रधान,*
 
*बनर्जी, मुखर्जी, जोशीजी, शर्माजी, भट्टजी, विश्वकर्माजी, मैथलीजी, झा, धर, श्रीनिवास, मिश्रा, मेंदोला, आपटे आदि हजारों सरनेम है जिनका अपना अलग इतिहास है।
🌹🌷🚩 जय सियाराम जय हनुमान 🌹🌷🚩शुभ रात्रि वंदन🌹🌷🚩

धोरों का आनंद लेने अगर जैसलमेर या ओसियां जा रहे है तो रुकिए,बारिश में बहते झरनों का आनंद लेने कहीं पहाड़ी वाले पर्यटन स्थल पर जा रहे है तो भी रुकिए,

धोरों का आनंद लेने अगर जैसलमेर या ओसियां जा रहे है तो रुकिए,

बारिश में बहते झरनों का आनंद लेने कहीं पहाड़ी वाले पर्यटन स्थल पर जा रहे है तो भी रुकिए,

शुद्ध मारवाड़ी भोजन - भजन का आनंद लेने घर से दूर कहीं जा रहे है तो क्षणिक रुकिए,

वृंदावन में भगवान श्री कृष्ण द्वारा चराई जाने वाली गौमाता को साक्षात देखना और सेवा करना चाहते है तो जरूर रुकिए,

50 लाख या करोड़ रुपए खर्च कर अपना फार्म हाउस बनाकर छः महीने में एक बार जाने वाले परिवार, भी ध्यान दें, ब्याज से भी कम खर्च में पूरे फार्म हाउस का आनंद लीजिए,

जोधपुर से 20 किलोमीटर दूर मोकलावास गांव में अरना झरना की पहाड़ियों की गोद में बसी "गौ संवर्धन आश्रम" गोशाला में ये नजारे देखने को मिल जाएंगे और अगर बरसता सावन हो तो वहीं रेत के धोरों के साथ साथ दो दर्जन से ज्यादा छोटे बड़े पानी के झरनों का भी लुफ्त उठाया जा सकता है। धोरों व झरनों का ऐसा संगम कहीं ओर देखने को नहीं मिलेगा। 

इस मानसून में गौ संवर्धन आश्रम में वैदिक रसोई का निर्माण कराया है, जहां भोजन बनाने से लेकर परोसने व खिलाने तक में मिट्टी के बर्तन का इस्तेमाल किया जाता है। देसी थारपारकर गायों के दूध से अमृततुल्य शुद्ध देशी घी में बना चूरमा, मल्टी ग्रेन आटे से बने रोट, मिट्टी की हांडी में पकी पंचमेल दाल, साथ में बिलोने की छाछ, कुल्हड़ में जमा दही, सलाद, (हाथ से कूटे हुए मसालों से बना सम्पूर्ण भोजन, भोजन के सभी 18 तत्वों को सुरक्षित रख बनाया भोजन अमृत होता है).. गाय के गोबर से लीपे आंगन पर बैठ कर भोजन.. वाकई ये सिर्फ भोजन नहीं बल्कि ईश्वर का प्रसाद ही है जिसका स्वाद भुलाया नहीं जा सकता है।

यहां रविवार को गौ शाला में आप फोन पर आने की अग्रिम जानकारी देकर प्रसाद प्राप्त कर सकते है, इसके अलावा जो ग्रामीण वातावरण को और करीब से महसूस करना चाहते है वो शनिवार शाम में आकर रात्रि विश्राम भी कर सकते है। रात्रि में सत्संग, रविवार अलसुबह पहाड़ियों पर ट्रैकिंग, झरनों का लुफ्त व धोरों पर विचरण, मिट्टी गोबर से आयुर्वेद स्नान, कृष्ण गौ सेवा, लाइब्रेरी इत्यादि इत्यादि बहुत कुछ.. अपनी पिकनिक को यादगार बना सकते है। 

ये सब गोशाला इसलिए कर रही है ताकि भविष्य की पीढ़ी को हमारे लुप्त होते संस्कारों से रूबरू कराया जा सके, गृहणियों को वैदिक रसोई की जानकारी देकर अपनी रसोई से ही अपना हर प्रकार का इलाज करने में कुशल बनाया जा सके। अपनी संस्कृति - धर्म से फिर से कैसे जुड़ सकते है, ऐसे बहुत सी ज्ञानवर्धक जानकारियों के खजाने है यहां।

एक बार अपने परिवार संग, मित्रों के साथ या महिलाओं की किटी/क्लब पार्टी, जन्मदिन, विवाह सालगिरह, पूर्वजों की पुण्यतिथि इत्यादि विशेष अवसर पर यहां पधार कर गौ सेवा कर धन्य होने का सौभाग्य प्राप्त किया जा सकता है। 

संपर्क सूत्र : +91 98294 88058

क्या ये ही जिन्दगी है ? नहीं ??सब अपना नसीब साथ लेके आते हैं इसलिए कुछ समय अपने लिए भी निकालो । जीवन अपना है तो जीने के तरीके भी अपने रखो। शुरुआत आज से करो। क्यूंकि कल कभी नहीं आएगा।

*जितनी बार पढ़ो उतनी बार जिंदगी का सबक दे जाती है ये कहानी ....*
जीवन के 20 साल हवा की तरह उड़ गए । फिर शुरू हुई नोकरी की खोज । ये नहीं वो, दूर नहीं पास । ऐसा करते करते 2 3 नोकरियाँ छोड़ते एक तय हुई। थोड़ी स्थिरता की शुरुआत हुई।

फिर हाथ आया पहली तनख्वाह का चेक। वह बैंक में जमा हुआ और शुरू हुआ अकाउंट में जमा होने वाले शून्यों का अंतहीन खेल। 2- 3 वर्ष और निकल गए। बैंक में थोड़े और शून्य बढ़ गए। उम्र 25 हो गयी।

और फिर विवाह हो गया। जीवन की राम कहानी शुरू हो गयी। शुरू के एक 2 साल नर्म, गुलाबी, रसीले, सपनीले गुजरे । हाथो में हाथ डालकर घूमना फिरना, रंग बिरंगे सपने। पर ये दिन जल्दी ही उड़ गए।

और फिर बच्चे के आने ही आहट हुई। वर्ष भर में पालना झूलने लगा। अब सारा ध्यान बच्चे पर केन्द्रित हो गया। उठना बैठना खाना पीना लाड दुलार ।

समय कैसे फटाफट निकल गया, पता ही नहीं चला।
इस बीच कब मेरा हाथ उसके हाथ से निकल गया, बाते करना घूमना फिरना कब बंद हो गया दोनों को पता ही न चला।

बच्चा बड़ा होता गया। वो बच्चे में व्यस्त हो गयी, मैं अपने काम में । घर और गाडी की क़िस्त, बच्चे की जिम्मेदारी, शिक्षा और भविष्य की सुविधा और साथ ही बैंक में शुन्य बढाने की चिंता। उसने भी अपने आप काम में पूरी तरह झोंक दिया और मेने भी

इतने में मैं 35 का हो गया। घर, गाडी, बैंक में शुन्य, परिवार सब है फिर भी कुछ कमी है ? पर वो है क्या समझ नहीं आया। उसकी चिड चिड बढती गयी, मैं उदासीन होने लगा।

इस बीच दिन बीतते गए। समय गुजरता गया। बच्चा बड़ा होता गया। उसका खुद का संसार तैयार होता गया। कब 10वि आई और चली गयी पता ही नहीं चला। तब तक दोनों ही चालीस बयालीस के हो गए। बैंक में शुन्य बढ़ता ही गया।

एक नितांत एकांत क्षण में मुझे वो गुजरे दिन याद आये और मौका देख कर उस से कहा " अरे जरा यहाँ आओ, पास बैठो। चलो हाथ में हाथ डालकर कही घूम के आते हैं।"

उसने अजीब नजरो से मुझे देखा और कहा कि "तुम्हे कुछ भी सूझता है यहाँ ढेर सारा काम पड़ा है तुम्हे बातो की सूझ रही है ।"
कमर में पल्लू खोंस वो निकल गयी।

तो फिर आया पैंतालिसवा साल, आँखों पर चश्मा लग गया, बाल काला रंग छोड़ने लगे, दिमाग में कुछ उलझने शुरू हो गयी।

बेटा उधर कॉलेज में था, इधर बैंक में शुन्य बढ़ रहे थे। देखते ही देखते उसका कॉलेज ख़त्म। वह अपने पैरो पे खड़ा हो गया। उसके पंख फूटे और उड़ गया परदेश।

उसके बालो का काला रंग भी उड़ने लगा। कभी कभी दिमाग साथ छोड़ने लगा। उसे चश्मा भी लग गया। मैं खुद बुढा हो गया। वो भी उमरदराज लगने लगी।

दोनों पचपन से साठ की और बढ़ने लगे। बैंक के शून्यों की कोई खबर नहीं। बाहर आने जाने के कार्यक्रम बंद होने लगे।

अब तो गोली दवाइयों के दिन और समय निश्चित होने लगे। बच्चे बड़े होंगे तब हम साथ रहेंगे सोच कर लिया गया घर अब बोझ लगने लगा। बच्चे कब वापिस आयेंगे यही सोचते सोचते बाकी के दिन गुजरने लगे।

एक दिन यूँ ही सोफे पे बेठा ठंडी हवा का आनंद ले रहा था। वो दिया बाती कर रही थी। तभी फोन की घंटी बजी। लपक के फोन उठाया। दूसरी तरफ बेटा था। जिसने कहा कि उसने शादी कर ली और अब परदेश में ही रहेगा।

उसने ये भी कहा कि पिताजी आपके बैंक के शून्यों को किसी वृद्धाश्रम में दे देना। और आप भी वही रह लेना। कुछ और ओपचारिक बाते कह कर बेटे ने फोन रख दिया।

मैं पुन: सोफे पर आकर बेठ गया। उसकी भी दिया बाती ख़त्म होने को आई थी। मैंने उसे आवाज दी "चलो आज फिर हाथो में हाथ लेके बात करते हैं "
वो तुरंत बोली " अभी आई"।

मुझे विश्वास नहीं हुआ। चेहरा ख़ुशी से चमक उठा।आँखे भर आई। आँखों से आंसू गिरने लगे और गाल भीग गए । अचानक आँखों की चमक फीकी पड़ गयी और मैं निस्तेज हो गया। हमेशा के लिए !!

उसने शेष पूजा की और मेरे पास आके बैठ गयी "बोलो क्या बोल रहे थे?"

लेकिन मेने कुछ नहीं कहा। उसने मेरे शरीर को छू कर देखा। शरीर बिलकुल ठंडा पड गया था। मैं उसकी और एकटक देख रहा था।

क्षण भर को वो शून्य हो गयी।
" क्या करू ? "

उसे कुछ समझ में नहीं आया। लेकिन एक दो मिनट में ही वो चेतन्य हो गयी। धीरे से उठी पूजा घर में गयी। एक अगरबत्ती की। इश्वर को प्रणाम किया। और फिर से आके सोफे पे बैठ गयी।

मेरा ठंडा हाथ अपने हाथो में लिया और बोली
"चलो कहाँ घुमने चलना है तुम्हे ? क्या बातें करनी हैं तुम्हे ?" बोलो !!
ऐसा कहते हुए उसकी आँखे भर आई !!......
वो एकटक मुझे देखती रही। आँखों से अश्रु धारा बह निकली। मेरा सर उसके कंधो पर गिर गया। ठंडी हवा का झोंका अब भी चल रहा था।

क्या ये ही जिन्दगी है ? नहीं ??

सब अपना नसीब साथ लेके आते हैं इसलिए कुछ समय अपने लिए भी निकालो । जीवन अपना है तो जीने के तरीके भी अपने रखो। शुरुआत आज से करो। क्यूंकि कल कभी नहीं आएगा।
।।सीताराम।।

#प्यारा_हिंदुस्तान_व्हाट्सएप_ग्रुप_परिवारकी एक अच्छी पहल,एक ऐसा ग्रुप जो #देश_धर्म_समाज हित के लिए सोचता भी है लिखता भी है और #जमीनी_स्तर पर कार्य करता भी है

#प्यारा_हिंदुस्तान_व्हाट्सएप_ग्रुप_परिवार
की एक अच्छी पहल,
जब पहली बार सेवा करने गए तब का चित्र गले में दुपट्टा डाले हुए जो हे वो है *स्वामी गोपाल दास जी* इनकी प्रेरण से सेवा आरंभ हुई।
और जो व्हाइट कुर्ते पजामे में खडे है वो है *हरिकिशन जी गहलोत* जो प्यारा हिंदुस्तान परिवार के सहयोग से चारा ले जाते हे, जब से सेवा शुरू हुई है तब से आप ही रोज सुबह अपनी पत्नि के साथ स्वयं के वाहन में 5:30 से 6:00 बजे के बीच चारा वाले से चारा कर ले जाते हैं। इनका जितना धन्यवाद करे उतना कम है।

एक ऐसा ग्रुप जो #देश_धर्म_समाज हित के लिए सोचता भी है लिखता भी है और #जमीनी_स्तर पर कार्य करता भी है, भारत देश के भिन्न भिन्न राज्य शहर गांव ढाणी के मित्रो से बने ग्रुप ने एक और अच्छा कार्य किया है Swami Gopal Das जी की प्रेरणा से हम सभी प्यारा हिंदुस्तान परिवार मित्रो ने किसी ने 100 किसी ने 200 तो किसीने 500 रुपये की राशि गौ सेवा के लिए प्यारा हिंदुस्तान फंड के लिए दी, किसी ने कैश दी तो बाहर के मित्रो ने पेटीएम द्वारा बैंक एकाउंट द्वारा दी वो राशि मिलाकर आज गिरादडा गांव गौशाला में गाय माता को चारा देकर उपयोग कर रहे है, उसका शुभारंभ आज तिथि ग्यारस से किया है,आप सबकी प्रेरणा से सहयोग से ये पुण्य होता रहे यही अपेक्षा है
में प्यारा हिंदुस्तान के सभी मित्रो का आभार व्यक्त करता हु जो इस पुण्य कार्य मे सहयोग कर रहे है

*जय गौमाता🙏🏼😊🌹*

*कैसे शुरू हुई यह गौ सेवा*

यह गौ सेवा स्वामी गोपाल दास जी की प्रेरणा से शुरू की गई
इनकी प्रेरणा उनके आशीर्वाद से यह सेवा आज तक निरन्तर जारी है,
उनके सुझाव अनुसार प्रति व्यक्ति 100 रुपये गौ सेवा राशि निर्धारित की गई व केश का कार्य मुझे दिया गया, और देने वालो ने प्रतिमाह उदार मन से 100/200/300/500/1100/2100/6000 रुपये तक दिए और आज तक निरन्तर देते आ रहे है, व कई सदस्यों ने अपने जन्मदिन के अवसर पर व माता पिता के जन्मदिन व परिवार के किसी सदस्य की स्मृति मे भी विशेष सहयोग राशि दी है,
*जय गौमाता*

जब यह गौसेवा आरंभ हुई तो स्वामी गोपाल दास जी ने कहा था प्रत्येक सदस्य सिर्फ 100 रूपये दे, 100 रूपये भी बहुत होते हे सभी सदस्य दे तो। पर आप देख रहे हो कई सदस्य उदार हृदय से उससे भी ज्यादा दे रहे है। और आप देख भी रहे हे की इन्ही की बदौलत हर माह की पूर्ति हो रही है। मेरा सभी सदस्यो से निवेदन हे की आप इस सेवा का लाभ अवश्य ले 100 रूपये कोई ज्यादा नहीं है। आप नाम न लिखाना चाहे तो गुप्तदान भी दे सकते है पर सेवा अवश्य करे।

इस सेवा का सर्वप्रथम उपयोग 9 जुलाई 2018 तिथि एकादशी को *551 किलो हरा चारा रझको* *गिरादडा गांव श्री चारभुजा गौशाला* में किया गया पर वहां चारे की रोजाना जरूरत को देखते हुए रोज 200 रुपये का हरा चारा रझको भेजा जा रहा है,
जो आज तक भेजा जा रहा है व आप सभी के सहयोग से निरन्तर जारी रहेगा और इसका हिसाब में हर माह की पहली तारीखो को ग्रुप में लिखता हूँ,
*आप सभी सदस्यों से निवेदन है इस गौसेवा का अपने परिवार मित्रो को भी बताए ताकि उनमें भी गौसेवा का भाव जागे कोई 50 रुपये भी देता है तो भी ले क्योकि कण कण से घड़ा भरता है और सेवा के तो 50 रुपये भी 5 लाख के बराबर है*


जय गौमाता🙏🏻❣️
#जय_गौमाता🙏🏼
व्हाट्सएप ग्रुप का सदुपयोग करता
( प्यारा हिंदुस्तान परिवार )

*प्यार हिंदुस्तान एक ग्रुप ही नही बल्कि हिंदुत्व की वो पाठशाला है जो तन मन धन से #हिंदुत्व व गौसेवा को समर्पित है,,*

*स्वामी गोपाल दास जी* की प्रेरणा से पिछले "6 वर्ष" से रोज निरन्तर इस परिवार द्वारा "गिरादडा गांव चारभुजा नाथ गौशाला" में गौमाता हेतु नित्य चारा भेजा जा रहा है,, जो कि अब तक आपके सहयोग से 4 लाख से ऊपर सेवा भेज चुका है, व आप सभी सदस्यों के सहयोग से गोपुत्र एम्बुलेंस को 21 हजार की सहयोग राशि भेंट की गई उसी क्रम में आगे बढ़ते हुए प्यारा हिंदुस्तान के पर्यावरणप्रेमी दानदाताओं के सहयोग से गौशाला में 12 वृक्षो की नींव रखी गई पौधारोपण किया गया, और सबसे महत्वपूर्ण सबसे बड़ा दान #रक्तदान भी किया जाता है, इस ग्रुप के #रक्तयोद्धाओं ने जरूरत के समय व कोरोना कॉल में भी रक्तदान किया है,
इसके अलावा अन्य सामाजिक देशहित कार्यो में हमारा प्यारा हिंदुस्तान परिवार सहभागिता निभाता रहता है,, यह ग्रुप देश के उन सभी व्हाट्सएप ग्रुप के लिए प्रेरणा है कि हम व्हाट्सएप ग्रुप का उपयोग भी देश हित समाज हित गौ हित के लिये कर सकते है,,

नॉट इस ग्रुप में देश में 14 राज्यो के शहर गांव ढाणी से सदस्य जुड़े हुए है

जो भी सनातनी इस ग्रुप के माध्यम से गौसेवा का पुण्य करना करना चाहे उनका स्वागत है

गौसेवा राष्ट्रसेवा है
जय गौमाता जय चारभुजा नाथ🙏🏻

*इस जुलाई माह में गौसेवा को 6 वर्ष पूर्ण हुुए।*
*एकादशी तिथि से सेवा आरंभ हुई थी*

#जयश्रीराम #जय_वन्दे_गौमातरम🙏🏼🚩

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