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रविवार, 10 नवंबर 2024

बिना धर्मशास्त्र पढ़े शुद्ध पञ्चाङ्ग बनाने की विधि

बिना धर्मशास्त्र पढ़े शुद्ध पञ्चाङ्ग बनाने की विधि

सृष्टि के आरम्भ का स्क्रीनशॉट संलग्न है ।
इसमें दिन=२२, मास=१२ और ईस्वी = −1955929993 है । ईस्वी पर ध्यान न दें,अहर्गण = −714402296627 अर्थात् वर्तमान कलियुग−आरम्भ से 714402296627 दिन पहले वर्तमान सृष्टि का आरम्भ था,रविवार के दिन ।

संलग्न स्क्रीनशाटॅ में उससे दो दिन पहले से आरम्भ है जिस कारण अहर्गण दो दिन पहले ⋅⋅⋅२७ के बदले ⋅⋅⋅२९ है क्योंकि अहर्गण ऋणात्मक है ।

सामान्य सनातनी वर्ष में ३६० तिथियाँ एवं मलमास (अधिमास) वाले सनातनी वर्ष में ३९० तिथियाँ होती हैं ।

जिस वर्ष में क्षयमास होता है उसमें दो अधिमास होते हैं जिस कारण उस वर्ष में भी ३९० तिथियाँ होती हैं ।

हर सनातनी वर्ष का आरम्भ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही होता है जिसकी १५वीं तिथि को पूर्णमासी होता है जब चन्द्रमा चित्रा में अथवा बगल में होते हैं और अगले दिन वैशाख का आरम्भ होता है । इस नियम का अनुसरण करते हुए “कुण्डली−सॉफ्टवेयर” के पञ्चाङ्ग बटन द्वारा एवं पृथक “अधिमास” सॉफ्टवेयर की उसमें सहायता लेते हुए समूची सृष्टि का विस्तृत पञ्चाङ्ग बनाया जा सकता है ।

आजकल पण्डितों की परिपाटी है कि जिस वर्ष में क्षयमास होता है उसमें दो अधिमास होने के कारण क्षयमास और एक अधिमास का लोप मानकर केवल एक अधिमास को पञ्चाङ्ग में दिखाया जाता है किन्तु यह शास्त्रविरुद्ध है क्योंकि ऐसा करने पर क्षयमास और उस तथाकथित लुप्त मलमास में सामान्य धार्मिक मास वाले धर्मकर्म करने पड़ेंगे जो अनुचित है । ऐसा योग बहुत दिनों पर आता है,लाहिड़ी जी की पुस्तक Advance Ephemeris के पृष्ठ ९२ में १९१३−२०२६ ईस्वी के ११४ वर्षों के मलमासों की सूची है जिसमें उनके दृग्ग्णितीय सारिणी की मलमास−सूची है किन्तु नीचे पादटिप्पणी में उसी सारिणी को सूर्यसिद्धान्तीय बनाने के सुझाव हैं । यह सारिणी बंगाल की है,अतः दूरस्थ स्थलों के लिए गलत हो जायगी । बंगाल के लिए भी उनकी सारिणी की जाँच “अधिमास” सॉफ्टवेयर द्वारा कर लें ।

एक सौरवर्ष (सूर्यसिद्धान्तीय वर्ष) में 365.25875648148148148148148148148 सावनदिन होते हैं जिसका प्रमाण यह है कि सूर्यसिद्धान्त के अनुसार एक महायुग में 1577917828 सावनदिन होते हैं,और सूर्यसिद्धान्त एवं पुराणों के अनुसार एक महायुग में ४३२०००० सौरवर्ष होते हैं । सूर्योदय से अगले सूर्योदय को सूर्य−सावनदिन कहते हैं,बुध के पूर्वी क्षितिज पर दैनिक उदय से अगले उदय तक को बुधसावनदिन कहते हैं,आदि⋅⋅⋅ । केवल “सावनदिन” का अर्थ सूर्य−सावनदिन होता है । सूर्य के एक अंश भ्रमण को सौरदिन कहते हैं,संक्रान्ति से ३० सौरदिनों तक अर्थात् अगली संक्रान्ति तक के काल को सौरमास कहते हैं । संक्रान्ति के धार्मिक कर्म सौरदिन के अनुसार होते हैं,वरना समूचे वर्ष के समस्त धार्मिक कर्म सूर्योदयकालीन तिथि के अनुसार होते हैं । जन्माष्टमी,दीपावली जैसे कुछ विशिष्ट पर्वों के विशिष्ट नियम होते हैं किन्तु निम्न विधि ध्यान से पढ़ेंगे तो उनका निर्णय भी सही तरीके से कर सकेंगे ।

संलग्न स्क्रीनशॉट में सृष्टि के प्रथम सावनदिन का विस्तृत पञ्चाङ्ग भी है जिसका आरम्भ है ग्रहस्पष्ट से और नीचे “पर्वादि” के आगे “तिथ्यन्त = निशीथोत्तर” लिखा है । किसी भी सावनदिन के चार खण्ड होते हैं,(१) सूर्योदय से स्पष्ट मध्याह्न तक,(२) स्पष्ट मध्याह्न से सूर्यास्त तक,(३) सूर्यास्त से स्पष्ट मध्यरात्रि अथवा निशीथ तक,(४) और वहाँ से सूर्योदय तक । वाञ्छित सावनदिन के किस खण्ड में सूर्योदयकालीन तिथि का अन्त है वह सॉफ्टवेयर से देख लें,जैसा कि सृष्टि के प्रथम सावनदिन की सूर्योदयकालीन तिथि का अन्त “निशीथोत्तर” है । तब अपने स्थान के सर्वाधिक प्रचलित पारम्परिक पञ्चाङ्ग की ११४ वर्षों अथवा १९ के गुणक वर्षों के सारे पिछले पञ्चाङ्ग इकट्ठे करके उसमें देखें कि वाञ्छित मास के उसी पक्ष की उसी तिथि का अन्त उसी खण्ड,जैसे कि निशीथोत्तर,में किन−किन वर्षों में है,और तब उनमें जो जो सूर्योदयकालीन तिथि पर आधारित धार्मिक व्रत−पर्व आदि हैं उसकी नकल उतार लें । धर्मशास्त्र पढ़कर व्रत−पर्व बनाने पर कभी कभार गलती भी हो सकती है किन्तु बिना धर्मशास्त्र पढ़े उक्त विधि द्वारा आप अपने क्षेत्र का सर्वमान्य शास्त्रीय पञ्चाङ्ग बना सकते हैं — पूरी सृष्टि और पूरे संसार के किसी भी स्थान का । इस विधि की सटीकता का कारण यह है कि सर्वाधिक प्रचलित पारम्परिक स्थानीय पञ्चाङ्ग,जैसे कि काशी के लिए हृषीकेश पञ्चाङ्ग, में स्थानीय पण्डित समुदाय के सामूहिक निर्णय के अनुसार व्रतपर्व होते हैं । दृग्गणित और सूटबूट वाले पण्डितों के पञ्चाङ्ग का उपयोग इस कार्य में न करें,वे पक्के नास्तिक होते हैं किन्तु सच्चे आस्तिकों से कई गुणे तेज “जय श्री राम” के उद्घोष लगाते हैं । हाल के कुछ दशकों के पञ्चाङ्ग अल्प विश्वसनीय हैं क्योंकि उनपर आधुनिकतावादियों का वर्चस्व है,पुराने पण्डितों की धर्म में अधिक आस्था रहती थी,अतः पुराने पञ्चाङ्गों का सङ्कलन करके उपरोक्त तिथिखण्ड−सारिणी बना लेंगे तो स्वयं पञ्चाङ्गकार बन जायेंगे । 

प्रथम Row में सभी वर्षों की संख्या भरें,शेष Rows में १ से १५ तक तिथियाँ भरें,कभी कभी तिथिवृद्धि होने से एक संख्या बढ़ जाती है जिस कारण कुल १६ तिथियों सहित वर्ष को मिलाकर कुल १७ Rows हैं । पत्र का शीर्षक “मास पक्ष” रखें, जैसे कि “चैत्र शुक्लपक्ष” ।

इससे भी अधिक पाण्डित्य चाहिए तो चौखम्बा की पुस्तक “वर्षकृत्य” पढ़ें,दुर्भाग्यवश वह केवल संस्कृत में है,उसमें वर्ष के सभी धार्मिक कर्मों का विस्तार से वर्णन है किन्तु पूजन में उसकी आवश्यकता पड़ेगी,पञ्चाङ्ग बनाने में नहीं ।

स्वयं पञ्चाङ्गकार बनना सीख ही लें,क्योंकि अब अच्छे स्थानीय पञ्चाङ्ग भी व्यवसायवादियों के आधिपत्य में जा रहे हैं जिनकी रुचि केवल धन में है,धर्म में नहीं;और संस्कृत विषविद्यालयों में भी प्रोफेसर्पों का वर्चस्व होता जा रहा है ।यद्यपि गणित में दक्ष न होने के कारण अधिकांश संस्कृत प्रोफेसर मुझे गरियाते हुए मिलेंगे किन्तु अभीतक उनमें से भारी बहुमत की आस्था धर्मशास्त्र में है और उनमें ऐसे बहुत से विद्वान हैं जो धर्मशास्त्र का अच्छा ज्ञान भी रखते हैं किन्तु दुर्भाग्य है कि मेरा विरोध करते हैं जिस कारण मेरे सॉफ्टवेयर का लाभ नहीं उठा पाते । इसका कारण है भ्रष्ट अधिकारियों से मिलीभगत के फलस्वरूप कई भ्रष्ट प्रोफेसर्पों का वर्चस्व फण्ड में घोटाला करने के उद्देश्य से स्थापित है । राजधन का प्रवेश होगा तो धर्म का क्षय होगा ही,क्योंकि राजधन में निरीह जनता के आँसू और कभी−कभार रक्त भी मिश्रित रहता है । सच्चे ब्राह्मण राजधन से दूर रहते थे,अग्रहार आदि दान लेने की परिपाटी कुषाण काल से आरम्भ हुई जिसे गुप्त राजाओं ने बढ़ाया,और धनलोलुपों का बाहुल्य होने के ही कारण समाज धर्मच्युत हुआ तो दासता झेलनी पड़ी ।

धर्म की स्थापना का नारा बहुत लोग लगाते हैं,किन्तु सही पञ्चाङ्ग के बिना धर्म की स्थापना असम्भव है । अतः स्वयं पञ्चाङ्गकार बनना सीख ही लें । इसकी पद्धति निम्न है ।

एक पन्ने पर आड़ी तिरछी रेखाओं की ऐसी सारिणी बनायें जिसमें १७ क्षैतिज Rows एवं यथासम्भव उर्ध्व Columns हों । वेदाङ्ग ज्योतिष की परम्परा के अनुसार Columns के गुणक में होनी चाहिए,न्यूनतम ५७ और अधिकतम ११४ अथवा अधिक वर्षों के पुराने पञ्चाङ्ग उपलब्ध रहेंगे तो उतने ही Columns बनेंगे,एक पन्ने में न बनें तो अधिक पन्ने उसी में गोन्द द्वारा चिपका दे । वर्ष के हर पक्ष के लिए ऐसा एक पत्र चाहिए । उसकी हर तिथि के आगे ५७−११४ वर्षों की उसी मास पक्ष तिथि के तिथिखण्डों की संख्या १ से ४ तक भर दें,जैसे कि चौथे खण्ड निशीथोत्तर की संख्या ४ है । ऐसी सारिणी बन जायगी तो सृष्टि के आरम्भ से अन्त तक किसी भी वर्ष का शुद्ध पञ्चाङ्ग उस स्थान के लिए आप आसानी से बना सकेंगे जहाँ के पारम्परिक पञ्चाङ्ग की सहायता से आपने उक्त सारिणी बनायी थी । मैंने मिथिला के डेढ़ सौ वर्षों के पञ्चाङ्गों द्वारा सारिणी बनायी थी किन्तु मेरे तथाकथित शिष्य ने मेरे समूचे पुस्तकालय को नष्ट कर डाला । उससे अच्छा चुरा ही लेता,उसके घर में तो रहता!उस सारिणी के फोटोस्टैट के कुछ पन्ने कहीं बचे हैं,मिल गये तो स्क्रीनशॉट पोस्ट कर दूँगा ।

बहुत पुराने मिथिला पञ्चाङ्गों का एक बण्डल भी बचा है,किन्तु अब उनता श्रम करना दूभर है । हृषीकेश पञ्चाङ्ग का प्रभावक्षेत्र अधिक है,अतः इसके सारे पुराने पञ्चाङ्गों का सङ्कलन करें और सारिणी बनायें । आपस में सहयोग की भावना से कुछ लोग जुट जायें तो सम्भव है । तब यदि उसे “कुण्डली सॉफ्टवेयर” में जोड़ दिया जाय तो ४३० करोड़ वर्षों का पूरे संसार का विस्तृत पञ्चाङ्ग तैयार हो जायगा जिसकी सत्यता का खण्डन कोई पण्डित नहीं कर सकेगा ।

ADDED=
विश्व इतिहास में पहली बार पञ्चाङृग बनाने की सही और सुगम पद्धति सार्वजनिक की जा रही है जिसके नीचे कई टिप्पणियों को देखकर लगता हे कि जिनलोगों की इस विषय में रुचि नहीं है वे चुप भी नही रह सकते,अनजाने में विषयान्तर करके लोगों का ध्यान भटकाना चाहते हैं ।

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शुक्रवार, 8 नवंबर 2024

मनुष्य योनि में किए गये कर्मों का ही भुगतना।

 

मादा बिच्छू की मृत्यु बहुत बहुत बहुत ही दु:खदायी रूप में होती है!! नीचे दिया गया चित्र एक मादा बिच्छु का है , इसकी अस्थिमज्जा पर मौजूद ये इसके बच्चे हैं, ये सभी बच्चे जन्म लेते ही अपनी मां की पीठ पर बैठ जाते हैं और अपनी भूख मिटाने हेतु तुरंत ही अपनी माँ के शरीर को ही खाना प्रारम्भ कर देते हैं, और तब तक खाते हैं जब तक कि उसकी केवल अस्थियां ही शेष ना रह जाए। वो तड़पती है , कराहती है , लेकिन ये पीछा नहीं छोड़ते , और ये उसे पलभर में नहीं मार देते बल्कि कई दिनों तक यह मौत से बदतर असहनीय पीड़ा को झेलती हुई दम तोड़ती है। मादा बिच्छु की मौत होने पश्चात् ही ये सभी उसकी पीठ से नीचे उतरते हैं !

लख चौरासी के कुचक्र में ऐसी असंख्य योनियां हैं , जिनकी स्थितियां अज्ञात हैं , कदाचित् इसीलिए भवसागर को अगम और अपार कहा गया है।*

ऋषिमत के मुताबिक यह भी मनुष्य योनि में किए गये कर्मों का ही भुगतान है। अर्थात् इन्सान इस मनुष्य जीवन में जो कर्म करेगा , नाना प्रकार की असंख्य योनियों में इन कर्मों के आधार से ही उसे दुःख सुख मिलते रहेंगे।

यह तय है !!!*

चलती चक्की देखकर दिया कबीरा रोय

दोय पाटन के बीच में, साबुत बचा ना

मेरा हिसाब कर दीजिये।

 

एक महिला भागी भागी डाक्टर के क्लिनिक पर गईं, वी थोड़ी घबराई और सहमी हुई थी।

डाक्टर साहब की नज़र उस खूबसूरत महिला पर पड़ी तो उसे नंबर से पहले बुलवा लिया।

"जी, क्या प्राब्लम है आपकी?" डाक्टर ने पूछा। (डॉक्टर थोड़े दिलफेंक किस्म के थे)

महिला: "जी मुझे कोई प्राब्लम नहीं है.. प्राब्लम मेरे हसबैंड की है मुझे लगता है कि वो मानसिक रोगी होते जा रहे हैं।"

डाक्टर: "अच्छा, क्या करते हैं? आप पर हाथ उठाते हैं या आपके साथ मिसबिहेव करते हैं?"

महिला: "नहीं नहीं, धमकियां देते हैं और ये भी कहते हैं कि "मेरा हिसाब कर दो".. *"मेरा हिसाब कर दो।"*

डाक्टर: "आप परेशान न हों, कहां हैं आपके हसबैंड साथ नहीं लाए आप उनको?"

महिला: "डाक्टर साहब, मैं उनको साथ नहीं ला सकती थी, वो घर पर हैं"।

डाक्टर: "जी, मैं समझ सकता हूँ।"

डाक्टर साहब हर खूबसूरत औरत के साथ गहरा रिश्ता बना लेते थे।

महिला: अगर आप अपनी गाड़ी और ड्राइवर मेरे साथ भिजवा दें तो मैं अपने हसबैंड को आसानी से ले आऊंगी।"

डाक्टर ने अपने ड्राइवर को आदेश दिया कि मैडम के साथ जाओ.. अब महिला क्लिनिक से निकलकर गाड़ी में बैठ गईं और ड्राइवर से कहा कि फलां ज्वैलरी शाॅप ले चलो।

ज्वैलरी शाॅप आते ही महिला काफी नाज़ो अंदाज से उतरीं और शाॅप में चली गईं.. एक बहुत ही महंगा सा सेट पसंद किया पैक करवाया और जब पेमेंट की बारी आई तो...

महिला बोलींः "मैं फलां डाक्टर की वाइफ हूँ अभी मुझे ये सेट लेना बहुत जरूरी था इसलिये जल्दी में आ गई मेरे पास पूरे पैसे भी नहीं हैं और न ही कार्ड है.. आप मेरे साथ अपने शाॅप के किसी आदमी को भेज दीजिये और डाक्टर साहब पेमेंट दे देंगे।"

ज्वैलरी शाॅप के मालिक ने सोचा कि बड़ा अमाउंट है मुझे ही जाना चाहिए इस बहाने घूम भी लूंगा और वो जाकर गाड़ी में बैठ गये..पर महिला गाड़ी में नहीं बैठीं और ड्राइवर से कहा कि इनको डाक्टर साहब के पास ले जाओ..

ड्राइवर ज्वेलरी शाॅप के मालिक को लेकर क्लिनिक पहुंचा और डाक्टर से बोला कि "मैडम नहीं आईं मगर उन्होंने इन साहब को भेजा है।"

डाक्टर साहब ने धीरज रखते हुए ड्राइवर के साथ आए सज्जन को देखा और इंतज़ार करने को कहा .. जब उनकी बारी आई तो डाक्टर साहब बड़े नरम लहजे में बोलेः "हां तो बताइये जनाब, कैसे हैं आप?

ज्वेलरी शाॅप के मालिक ने जवाब दियाः "जी डाक्टर साहब, मैं ठीक हूँ।"

डाक्टर साहबः "तो क्या परेशानी और तकलीफ है आपको?"

ज्वेलरी शाॅप का मालिक: *"डाक्टर साहब"*

*"मेरा हिसाब कर दीजिये।"*...😎😜..

मंगलवार, 5 नवंबर 2024

साइबर क्राइम #cybercrime पर एक सलाह (लंबा संदेश है, लेकिन बहुत उपयोगी है)।


साइबर क्राइम पर एक सलाह (लंबा संदेश है, लेकिन बहुत उपयोगी है)।

  1. अगर आपको कोई कॉल करके कहे कि TRAI आपकी फोन सेवा बंद कर रही है, तो प्रतिक्रिया न दें। यह एक ठगी है।

  2. अगर FedEx से कॉल आए और पैकेज के बारे में पूछताछ के लिए कोई बटन दबाने को कहा जाए, तो प्रतिक्रिया न दें। यह एक ठगी है।

  3. अगर कोई पुलिस अधिकारी आपको कॉल करके आपके आधार कार्ड के बारे में बात करे, तो प्रतिक्रिया न दें। यह एक ठगी है।

  4. अगर आपको 'डिजिटल अरेस्ट' के तहत होने का दावा किया जाए, तो प्रतिक्रिया न दें। यह एक ठगी है।




  5. अगर कहा जाए कि आपके नाम से भेजे गए पैकेज में ड्रग्स पाए गए हैं, तो प्रतिक्रिया न दें। यह एक ठगी है।

  6. अगर आपसे कहा जाए कि आप किसी को इस बारे में न बताएं, तो उनकी बात न मानें। साइबर क्राइम पुलिस को 1930 पर सूचित करें।

  7. अगर वे आपसे WhatsApp या SMS से संपर्क करें, तो प्रतिक्रिया न दें। यह एक ठगी है।

  8. अगर कोई कॉल करके कहे कि गलती से आपके UPI आईडी पर पैसे भेज दिए हैं और उसे वापस चाहते हैं, तो प्रतिक्रिया न दें। यह एक ठगी है।

  9. अगर कोई कॉल करके कहे कि वह सेना या CRPF से है और आपकी कार, वॉशिंग मशीन या सोफा खरीदना चाहता है और अपनी आईडी दिखाता है, तो प्रतिक्रिया न दें। यह एक ठगी है।

  10. अगर कोई Swiggy या Zomato से कॉल करके पता सत्यापित करने के लिए बटन दबाने को कहे, तो प्रतिक्रिया न दें। यह एक ठगी है।

  11. अगर वे ऑर्डर या राइड रद्द करने के लिए OTP साझा करने को कहें, तो प्रतिक्रिया न दें। किसी भी स्थिति में, OTP किसी से भी साझा न करें।

  12. वीडियो कॉल पर कभी भी जवाब न दें।

  13. अगर आपको संदेह हो, तो फोन बंद करें और उस नंबर को ब्लॉक कर दें।

  14. किसी भी नीले रंग के लिंक पर क्लिक न करें।

  15. अगर आपको पुलिस, CBI, ED, या आयकर विभाग से नोटिस मिले, तो ऑफलाइन सत्यापित करें।

  16. हमेशा यह जांचें कि ऐसे पत्र अधिकृत सरकारी पोर्टल्स से आए हैं या नहीं।

डिजिटल सुरक्षा के लिए, किसी को भी फोन या संदेश पर अपना पता, स्थान, फोन नंबर, आधार, पैन, जन्म तिथि, या कोई भी व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें। यहां तक कि कॉल पर अपना नाम भी साझा करने से बचें। उन्हें बताएं कि चूंकि उन्होंने आपको कॉल किया है, इसलिए उन्हें आपका नाम, नंबर और जो भी जानकारी वे 'सत्यापित' करना चाहते हैं, पहले से पता होना चाहिए। भले ही उनके पास आपकी जानकारी हो, पुष्टि करने या किसी वार्तालाप में फंसने से बचें। बस कॉल काटें और नंबर को ब्लॉक कर दें।

इन सभी मामलों में और इसी प्रकार के अन्य मामलों में, खुद को सुरक्षित रखने का सबसे आसान तरीका है - कॉल काटें, नंबर नोट करें और ब्लॉक करें। कॉल के दौरान किसी भी बटन को न दबाएं, उनकी बात न सुनें। केवल कॉल काटें, नंबर ब्लॉक करें। याद रखें, अगर वे आप पर दबाव बना रहे हैं, डराने की कोशिश कर रहे हैं, या तुरंत प्रतिक्रिया देने को मजबूर कर रहे हैं, तो यह एक ठगी है।

साइबर ठग नए-नए तरीके से आपको फंसाने और ठगने की कोशिश कर रहे हैं। एक व्यावहारिक उपाय है कि किसी भी बैंक से जुड़े लेनदेन के लिए स्मार्टफोन का उपयोग न करें; इसके बजाय पुराने कीपैड फोन का उपयोग करें।

उपरोक्त सभी के बावजूद, अगर आप ठगी का शिकार हो जाते हैं, तो अपनी प्रतिष्ठा की परवाह किए बिना बिना किसी झिझक के स्थानीय साइबर पुलिस में रिपोर्ट करें, क्योंकि यही वह चीज़ है जिसे ठग आपके खिलाफ इस्तेमाल करते हैं।
















 साइबर क्राइम रोकथाम के लिए गृहमंत्री अमित शाह का बड़ा फैसला। हर महीने आई4सी टीम करेगी राज्यों का दौरा। साइबर ठगों पर सबसे बड़ा वार हेल्पलाइन 1930 के ज़रिए हुआ संभव। 2 साल में धोखाधड़ी के 306 करोड़ रुपए लोगों को मिली वापस। गृहमंत्री अमित शाह के निर्देश पर अब इससे जुड़ेंगे देशभर के थाने। सायबर हेल्पलाइन कैसे काम करती है, देखिए।


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#helpline
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सोमवार, 4 नवंबर 2024

ब्रह्मा की उन्चालिसवी (39) पीढ़ी में श्रीराम का जन्म हुआ |

1:~लंका में राम जी = 111 दिन रहे।
2:~लंका में सीताजी = 435 दिन रहीं।
3:~मानस में श्लोक संख्या = 27 है।
4:~मानस में चोपाई संख्या = 4608 है।
5:~मानस में दोहा संख्या = 1074 है।
6:~मानस में सोरठा संख्या = 207 है।
7:~मानस में छन्द संख्या = 86 है।

8:~सुग्रीव में बल था = 10000 हाथियों का।
9:~सीता रानी बनीं = 33वर्ष की उम्र में।
10:~मानस रचना के समय तुलसीदास की उम्र = 77 वर्ष थी।
11:~पुष्पक विमान की चाल = 400 मील/घण्टा थी।
12:~रामादल व रावण दल का युद्ध = 87 दिन चला।
13:~राम रावण युद्ध = 32 दिन चला।
14:~सेतु निर्माण = 5 दिन में हुआ।

15:~नलनील के पिता = विश्वकर्मा जी हैं।
16:~त्रिजटा के पिता = विभीषण हैं।
17:~विश्वामित्र राम को ले गए =10 दिन के लिए।
18:~राम ने रावण को सबसे पहले मारा था = 6 वर्ष की उम्र में।
19:~रावण को जिन्दा किया = सुखेन बेद ने नाभि में अमृत रखकर।

श्री राम के दादा परदादा का नाम क्या था?
नहीं तो जानिये-
1 - ब्रह्मा जी से मरीचि हुए,
2 - मरीचि के पुत्र कश्यप हुए,
3 - कश्यप के पुत्र विवस्वान थे,
4 - विवस्वान के वैवस्वत मनु हुए.वैवस्वत मनु के समय जल प्रलय हुआ था,
5 - वैवस्वतमनु के दस पुत्रों में से एक का नाम इक्ष्वाकु था, इक्ष्वाकु ने अयोध्या को अपनी राजधानी बनाया और इस प्रकार इक्ष्वाकु कुलकी स्थापना की |
6 - इक्ष्वाकु के पुत्र कुक्षि हुए,
7 - कुक्षि के पुत्र का नाम विकुक्षि था,
8 - विकुक्षि के पुत्र बाण हुए,
9 - बाण के पुत्र अनरण्य हुए,
10- अनरण्य से पृथु हुए,
11- पृथु से त्रिशंकु का जन्म हुआ,
12- त्रिशंकु के पुत्र धुंधुमार हुए,
13- धुन्धुमार के पुत्र का नाम युवनाश्व था,
14- युवनाश्व के पुत्र मान्धाता हुए,
15- मान्धाता से सुसन्धि का जन्म हुआ,
16- सुसन्धि के दो पुत्र हुए- ध्रुवसन्धि एवं प्रसेनजित,
17- ध्रुवसन्धि के पुत्र भरत हुए,
18- भरत के पुत्र असित हुए,
19- असित के पुत्र सगर हुए,
20- सगर के पुत्र का नाम असमंज था,
21- असमंज के पुत्र अंशुमान हुए,
22- अंशुमान के पुत्र दिलीप हुए,
23- दिलीप के पुत्र भगीरथ हुए, भागीरथ ने ही गंगा को पृथ्वी पर उतारा था.भागीरथ के पुत्र ककुत्स्थ थे |
24- ककुत्स्थ के पुत्र रघु हुए, रघु के अत्यंत तेजस्वी और पराक्रमी नरेश होने के कारण उनके बाद इस वंश का नाम रघुवंश हो गया, तब से श्री राम के कुल को रघु कुल भी कहा जाता है |
25- रघु के पुत्र प्रवृद्ध हुए,
26- प्रवृद्ध के पुत्र शंखण थे,
27- शंखण के पुत्र सुदर्शन हुए,
28- सुदर्शन के पुत्र का नाम अग्निवर्ण था,
29- अग्निवर्ण के पुत्र शीघ्रग हुए,
30- शीघ्रग के पुत्र मरु हुए,
31- मरु के पुत्र प्रशुश्रुक थे,
32- प्रशुश्रुक के पुत्र अम्बरीष हुए,
33- अम्बरीष के पुत्र का नाम नहुष था,
34- नहुष के पुत्र ययाति हुए,
35- ययाति के पुत्र नाभाग हुए,
36- नाभाग के पुत्र का नाम अज था,
37- अज के पुत्र दशरथ हुए,
38- दशरथ के चार पुत्र राम, भरत, लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न हुए |
इस प्रकार ब्रह्मा की उन्चालिसवी (39) पीढ़ी में श्रीराम का जन्म हुआ | शेयर करे ताकि हर हिंदू इस जानकारी को जाने..।
*यह जानकारी  महीनों के परिश्रम के बाद आपके सम्मुख प्रस्तुत है । पांच ग्रुप  को भेज कर धर्म लाभ कमाये*
 *राम_चरित_मानस🚩जय श्री राम*

जय श्री राम 🙏🙏 🙏🙏

शनिवार, 26 अक्तूबर 2024

#दिवाली की रात संपूर्ण लक्ष्मी पूजन की सरल विधि**31अक्टूबर2024*

*#दिवाली की रात संपूर्ण लक्ष्मी पूजन की सरल विधि*

*31अक्टूबर2024* 
*#लक्ष्मी पूजन संपूर्ण विधि*

सनातन धर्म में दीपावली पर अपने घर में सद्गुरुदेव, भगवान गणपति, माँ लक्ष्मी, माँ सरस्वती एवं कुबेर इनके विशेष पूजन का विधान है । वैदिक मान्यता के अनुसार दीपावली पर मंत्रोच्चारणपूर्वक इन पंच देवों के स्मरण पूजन से अंतर एवं बाह्य महालक्ष्मी की अभिवृद्धि तथा जीवन में सुख-शांति का संचार होता है । सर्वसाधारण श्रद्धालु भावपूर्वक वैदिक विधि-विधान का लाभ ले सकें, इस हेतु लक्ष्मी पूजन की अत्यंत संक्षिप्त विधि यहाँ प्रस्तुत की जा रही है ।

● विधि :-

1️⃣🪔 स्वयं स्वच्छ व पवित्र पूजा गृह में ईशान कोण अथवा पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ जायें तथा अपने सम्मुख दायीं ओर लाल व बायीं ओर सफेद कपड़े का आसन बिछाएँ ।

2️⃣🪔 लाल आसन पर गेहूँ से स्वास्तिक बनाएं । सफेद आसन पर चावल का अष्टदल कमल बनायें । अब घी का दीपक जलाकर अपने सम्मुख दायीं ओर रख दें ।

🌷🌷 ॐ दीपस्थ देवताय नमः – इस मंत्र से दीपक को पुष्प एवं चावल चढ़ायें ।

3️⃣🪔 अब स्वयं को व अन्य परिवारजनों को "ॐ गं गणपतये नमः" मंत्र से तिलक लगायें व ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र से सभी को मौली बाँध दें ।

4️⃣🪔 ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय‘ मंत्र को उच्चारित कर अपनी शिखा को गाँठ लगायें….फिर

🌷 ॐ केशवाय नमः स्वाहा,
🌷 ॐ माधवाय नमः स्वाहा,
🌷 ॐ नारायणाय नमः स्वाहा

इन तीन मंत्रों से तीन आचमनी जल हाथ पर लेकर पीयें व ‘ॐ गोविन्दाय नमः’ इस मंत्र से हाथ धो लें ।

 5️⃣🪔 अब अपने बायें हाथ में जल लेकर दायें हाथ से अपने शरीर व पूजन-सामग्री पर निम्न मंत्र से छींटें.. ~

🌷🌷 ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा ।
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः ॥

6️⃣🪔 फिर अपने आसन के नीचे एक पुष्प रखकर 🌷‘ॐ हाँ पृथिव्यै नमः’ इस मंत्र से भूमि एवं अपने आसन को मानसिक प्रणाम कर लें ।

7️⃣🪔 इसके बाद मलिन वृत्तियों, विघ्नों आदि से रक्षा के निमित्त निम्न मंत्र से अपने चारों ओर चावल या सरसों के कुछ दाने डालें ।

🌷 ॐ अपसर्पन्तु ते भूता ये भूता भूमिसंस्थिताः ।

🌷 ये भूता विघ्नकर्तारस्ते नश्यन्तु शिवाज्ञया ॥

भूमि पर स्थित जो विघ्न डालने वाली मलिन वृत्तियाँ हैं, वे सब कल्याणकारी देव की कृपा से दूर हो, नष्ट हो ।

8️⃣🪔 अब हाथ में कुछ पुष्प लेकर निम्न मंत्र से अपने श्री सद्गुरुदेव का स्मरण करें~

🌷🌷 ॐ आनन्दमानन्दकरं प्रसन्नं स्वरूपं निजभाव युक्तं ।
योगीन्द्र मीड्यं भवरोग वैद्यं श्री सद्गुरु नित्यं नमामि ॥

आनंद स्वरूप, आनंद दाता, सदैव प्रसन्न रहने वाले, ज्ञान स्वरूप, निजस्वभाव में स्थित, योगियों, इन्द्रादि के द्वारा स्तुति के योग्य एवं भवरोग के वैद्य जन-विधि श्री सद्गुरुदेव को मैं नित्य नमस्कार करता हूँ । फिर गुरुदेव को मानसिक प्रणाम करके पुष्प अपने आगे थाली में रख दें । लाल व सफेद आसन के बीच पुष्पासन पर सदगुरुदेव का श्रीचित्र स्थापित करें ।

9️⃣🪔 तत्पश्चात् भगवान गणपति का मानसिक ध्यान इस प्रकार करें :-

🌷🌷 ॐ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटिसमप्रभ: ।
निर्विघ्नं कुरु में देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥

कोटि सूर्यों के समान महा तेजस्वी, विशालकाय और टेढ़ी सूंड वाले गणपति देव ! आप सदा मेरे सब कार्यों में विघ्नों का निवारण करें ।

🔟🪔 भगवान गणपति की मूर्ति को थाली में रखकर ‘ॐ गं गणपतये नमः’ मंत्र से स्नान करायें । फिर शुद्ध कपड़े से पोछकर गेहूँ के स्वास्तिक पर दूर्वा का आसन रखकर उस पर बैठा दें । 
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1️⃣1️⃣🪔 फिर ‘ॐ गं गणपतये नमः’ इसी मंत्र से उनको तिलक करें, पुष्प-दूर्वा चढ़ायें, धूप करें, गुड़ का नैवेद्य दें, दीपक से आरती करें ।

 इसके बाद ‘ॐ भूर्भुवः स्वः ऋद्धि सिद्धि सहित श्रीमन्महागणाधिपतये नमः’ इस मंत्र से मानसिक प्रणाम करें ।

1️⃣2️⃣🪔 अब माँ लक्ष्मी के पूजन हेतु भगवान नारायण सहित उनका इस प्रकार ध्यान करें :-

🌷🌷 सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनी ।
हरिप्रिये महादेवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते ॥
नमस्तेऽस्तु महामाये सर्वस्यातिहरे देवि l

शंखचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते ॥

यस्यस्मरणमात्रेण जन्मसंसारबन्धनात् ।

विमुच्यते नमस्तस्मै विष्णवे प्रभ विष्णवे ॥

‘सिद्धि-बुद्धि प्रदात्री, भुक्ति-मुक्ति दात्री, विष्णुप्रिया महादेवी महालक्ष्मी ! तुझे नमस्कार है । सबके दुःखों का हरण करने वाली महादेवी, हे महामाया ! तुझे नमस्कार है । शंख-चक्र-गदा हाथ में धारण करने वाली हे महालक्ष्मी ! तुझे नमस्कार है । जिनके स्मरणमात्र से (प्राणी) जन्मरूप संसार के बंधन से मुक्त हो जाता है, उन समर्थ भगवान विष्णु को नमस्कार है ।

1️⃣3️⃣🪔 इसके बाद थाली में लक्ष्मी जी की मूर्ति या चाँदी के श्रीयंत्र अथवा चांदी के सिक्के को नारायण सहित ध्यानकरते हुए निम्न मंत्र से स्नान करायें :-

🌷🌷 गंगा सरस्वती रेवा पयोष्णी नर्मदा जलैः ।

स्नापितोऽसि महादेवी ह्यतः शांतिं प्रयच्छमे ॥

1️⃣4️⃣🪔 फिर लक्ष्मी जी की मूर्ति या श्रीयंत्र को चावल के अष्टदल कमल पर स्थापित करें ।
फिर निम्न मंत्र :-

‘श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा ।’

यह मंत्र को पढ़ते हुए कुमकुम का तिलक करें, मौली चढ़ायें, पुष्प माला पहनायें, धूप करें, दीपक कपूर की आरती दें तथा नैवेद्य चढ़ायें । फिर पान के पत्ते पर सुपारी, इलायची, लौंग आदि रखकर चढ़ायें ।

 🍎🍎फल, दक्षिणा आदि सब इसी मंत्र से चढ़ायें ।

 1️⃣5️⃣🪔 तत्पश्चात् निम्न मंत्र से क्षमा-प्रार्थना करें :

🌷🌷 ‘आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम् ।

पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वरि ।।’

1️⃣5️⃣🪔 इसके बाद निम्न मंत्र की एक माला करें :

🌷🌷 ॐ नमो भाग्यलक्ष्म्यै च विद्महे ।

अष्टलक्ष्म्यै च धीमहि ।

तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात् ।।

1️⃣6️⃣ फिर हाथ में जल लेकर संकल्प करें कि भगवान व गुरु की भक्ति प्राप्ति के निमित्त सत्कर्म की सिद्धि हेतु हमने जो भगवान लक्ष्मी-नारायण का पूजन जप किया है, वह परब्रह्म परमात्मा को अर्पण है ।
*(सीखें वैदिक ज्योतिष बेसिक पाठ्यक्रम2माह(फीस 551/2माह-,व्हाट्सएप करें 9717838787)*
1️⃣7️⃣🪔 फिर आरती करके ‘ॐ तं नमामि हरिं परम्’ इसका तीन बार उच्चारण करें । 

1️⃣8️⃣🪔 जहाँ लक्ष्मी-पूजन किया है उन्हीं दोनों स्थापनों के सामने ही कलश-पूजन करें ।

 🌷🌷कलश-पूजन :

 💦 जल से भरे हुए तांबे के कलश को मौली बाँधकर उस पर पीपल के पांच पत्ते रखें, उस पर एक नारियल रखें व सभी तीर्थ-नदियों का निम्न मंत्र से आवाहन करें :-

🌷🌷 गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति ।

नर्मदे सिंधु कावेरि जलेऽस्मिन् संनिधिं कुरु ॥

1️⃣9️⃣🪔 फिर भगवान सूर्य को प्रार्थना करें कि वे इस कलश को तीर्थत्व प्रदान करें :-

🌷🌷ब्रह्माण्ड कर तीर्थानि करे स्पृष्टानि ते रवै ।

तेन सत्येन मे देव तीर्थ देहि दिवाकर ।।

2️⃣0️⃣🪔 इसके बाद उस कलश को पूर्व आदि चारों दिशाओं में तिलक करेंगे । नारियल पर भी तिलक कर व चावल चढ़ाकर अपने आगे भूमि पर कुमकुम से एक स्वास्तिक बनाकर उस पर स्थापित करें ।

2️⃣1️⃣🪔 अब भगवान वासुदेव को प्रार्थना करें कि वरुण कलश के रूप में स्थित आप हमारे परिवार में शांति व सात्विक लक्ष्मी की वृद्धि करें । 

2️⃣2️⃣🪔 अब हाथ में पुष्प लेकर निम्न मंत्र से माँ सरस्वती का मानसिक ध्यान कर पुष्प श्वेत आसन पर चढ़ा दें :-

शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमामाद्यां जगद्व्यापिनीं वीणापुस्तकधारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम् ।

हस्ते स्फाटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम् वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम् ॥

जिनका रूप श्वेत है, जो ब्रह्म विचार परम तत्व हैं, जो सब संसार में व्याप रही हैं, जो हाथों में वीणा और पुस्तक धारण किये रहती हैं, अभय देती हैं, मूर्खता रूपी अंधकार को दूर करती हैं, हाथ में स्फटिक मणि की माला लिये रहती हैं, कमल के आसन पर विराजमान हैं और बुद्धि देने वाली हैं, उन आद्या परमेश्वरी भगवती सरस्वती की मैं वंदना करता हूँ ।

2️⃣3️⃣ फिर ‘ॐ कुबेराय नमः’ इस मंत्र से कुबेर का ध्यान करते हुए अपनी तिजोरी आदि में हल्दी, दक्षिणा, दूर्वा आदि रखें ॥ॐ शुभमस्तु ॥
॥जय सिया राम जी॥

रविवार, 20 अक्तूबर 2024

मौसम के अनुसार तेल का प्रयोग


मौसमी तेल का उपयोग....

हर तीन माह में मौसम परिवर्तन और शरीर की तासीर के अनुसार तेल खाद्य पदार्थों को ज्यादा फ्राइ करने से बचें। ग्रिलिंग करें। मौसमी तेल का प्रयोग भी प्रभावी होता है।

◼️हैल्दी-ऑयल....

खाद्य पदार्थों को ज्यादा फ्राइ करने से बचें। ग्रिलिंग करें। मौसमी तेल का प्रयोग भी प्रभावी होता है। विशेषज्ञ के अनुसार हर तीन माह में मौसम, शरीर की प्रकृति और तासीर के अनुसार तेल बदलते रहना चाहिए।

◼️मूंगफली....

सर्दियों में आयरन, जिंक, विटामिन-ई युक्त तेल को कफ व वात प्रकृति के लोग खा सकते हैं।

◼️फायदा...

कोलेस्ट्रॉल, बीपी नियंत्रित करता है। त्वचा, अल्जाइमर में भी फायदेमंद है।

◼️तिल....

बारिश में प्रोटीन, कैल्शियम, फास्फोरस, विटामिन ए,बी,सी से युक्त तेल दोनों तासीर के साथ वात, पित्त प्रकृति के लोग खा सकते है।

◼️फायदा....

भूख की कमी, मेनोपॉज, कमजोरी, लकवा, डायबिटीज, बाल संबंधी समस्या में लाभकारी है। निमोनिया, अस्थमा रोगियों को तिल के तेल के साथ सेंधा नमक डालकर गुनगुना होने पर छानकर मालिश करें।

◼️सरसों....

बारिश के मौसम में प्रोटीन, पोटेशियम, मैग्नीशियम, विटामिन ई और कैल्शियम से भरपूर इस तेल को गर्म तासीर के साथ ही कफ प्रकृति के लोग खा सकते है।

◼️फायदा....

यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। त्वचा, बाल, पाचन तंत्र संबंधी, सायनस में लाभकारी है। कफ, त्वचा संबंधी समस्या में तेल को उबाल लें। ठंडा कर मालिश करनी चाहिए।

◼️जैतून....

कैल्शियम, आयरन, पोटैशियम व विटामिन युक्त तेल गरम तासीर के साथ कफ व वात प्रकृति के लोग खाएं।

◼️फायदा...

कोलेस्ट्रॉल का स्तर संतुलित रखने के अलावा तेल कैंसर के खतरे को कम। मधुमेह, हाइ बीपी, त्वचा, अल्जाइमर और डिमेंशिया में लाभकारी है।

◼️देसी गाय के घी के गुण....

 पोषक तत्व और कैलोरी युक्त ठंडी तासीर के साथ वात व पित्त प्रकृति के लोग खा सकते हैं। दिन में दो से चार छोटी चम्मच लें।

◼️फायदा...

कमजोर हृदय और लो बीपी के रोगियों के लिए घी लाभकारी है। पढने वालों और अधिक मानसिक परिश्रम करने वालों के लिए गाय का घी लाभकारी है। कठोर परिश्रमी के लिए भैंस का घी लाभकारी है।

◼️तनाव और त्वचा में फायदेमंद...

सोयाबीन तेल ...

प्रोटीन, विटामिन ए, कैल्शियम, आयरन, फॉस्फोरस, ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त होता है।

◼️फायदा...

हार्ट अटैक की आशंका कम करता है। तनाव, त्वचा, हड्डी सम्बन्धी, शुगर में फायदेमंद है।

◼️नारियल तेल...

गर्मियों में विटामिन ए, सी, डी, कैल्शियम, आयरन युक्त तेल वात, पित्त प्रकृति के लोग खा सकते है।

◼️फायदा...

 कोलेस्ट्रॉल सही रखने के अलावा यह तेल पाचन तंत्र, हड्डियों को मजबूत करता है।

गर्म तेल का दोबारा प्रयोग न करें।

बार-बार तेल गर्म करने से उसके मुख्य तत्त्व नष्ट हो जाते हैं। जितनी बार तेल गर्म होता है, उसमें फ्री रेडिकल्स बनते हैं। इनके रिलीज होने से तेल में एंटी ऑक्सीडेंट खत्म हो जाते हैं। हमारी सेहत को नुकसान पहुंचाता है। इस तेल के इस्तेमाल से शरीर में कोलेस्ट्रॉल का बढऩा, हृदय, एसिडिटी, गले संबंधी रोग और अल्जाइमर, पार्किसंस होने की आशंका रहती है। फिर से फ्राइ करने के लिए भी प्रयोग नहीं करें।

◼️मात्रा से अधिक लेने पर होती दिक्कत...

सरसों का तेल को मात्रा के अनुसार प्रयोग करें। सीमित मात्रा से अधिक खाने पर त्वचा और रक्त सम्बन्धी समस्याएं हो सकती गर्भवती और एलर्जी वाले डॉक्टरी सलाह से इसका प्रयोग करें। इसके अलावा जैतून का तेल सीमित मात्रा से अधिक खाने पर रक्तचाप में गिरावट, वजन बढना और गुर्दे व पाचन संबंधी समस्या हो सकती है।
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आयुर्वेद अपनाए स्वस्थ जीवन पाए....


सोमवार, 7 अक्तूबर 2024

ये है हमारे तथाकथित राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद्र गांधी की जीवनी जो खुद ने लिखी थी।

#खोपड़ी_हिल_न_जाए_तो_कहना

15 साल की उम्र में वेश्या की चोखट से हिम्मत न जुटा पाने के कारण वापस लौट आये।

16 साल की उम्र में पत्नी से सम्भोग की इच्छा से मुक्त नहीं हो पाए जब उनके पिता मृत्यु शैया पर थे।

21 साल की उम्र में फिर उनका मन पराई स्त्री को देखकर विकारग्रस्त होता है।

28 साल की उम्र में हब्सी स्त्री के पास जाते है लेकिन शर्मसार होकर वापिस आ जाते है।

31 साल की उम्र में 1 बच्चे के पिता बन जाते है।

40 साल की उम्र में अपने दोस्त हेनरी पोलक की पत्नी के साथ आत्मीयता महसूस करते है।

41 साल की उम्र में मोड नाम की लड़की से प्रभवित होते है।

48 की उम्र में 22 साल की एस्थर फेरिंग के मोहजाल में फंस जाते है।

51 की उम्र में 48 साल की सरला देवी चोधरानी के प्रेम में पड़ते हैं।

56 की उम्र में 33 साल की मेडलिन स्लेड के प्रेम में फंसते है।

60 की उम्र में 18 साल की महाराष्ट्रियन प्रेमा के माया जाल में फंस जाते है।

64 की उम्र में 24 साल की अमेरिका की नीला नागिनी के संपर्क में आते हैं।

65 की उम्र में 37 साल की जर्मन महिला मार्गरेट स्पीगल को कपडे पहनना सिखाते हैं।

69 की उम्र में 18 साल की डॉक्टर शुशीला नैयरसे नग्न होकर मालिश करवाते हैं।

72 की उम्र में बाल विधवा लीलावती आसर, पटियाला के बड़े जमींदार की बेटी अम्तुस्स्लाम , कपूरथला खानदान की राजकुमारी अमृत कौर तथा मशहूर समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण की पत्नी प्रभावती जैसी महिलाओ के साथ सोते  हैं।

76 की उम्र में 16 साल की आभा वीणा और कंचन नाम की युवतियों को नग्न होने को कहते हैं  जिस पर ये लडकिया कहती है की उन्हें ब्रह्मचर्य के बजाय सम्भोग की जरूरत है।

77 की उम्र मे मनु के साथ नोआखाली की सर्द रातें शरीर को गर्म रखने के लिए नग्न सोकर गुजारते हैं और 79 के अंतिम क्षणों तक आभा और मनु के साथ एक साथ बिस्तर पर सोते हैं।

ऐसे थे कांग्रेस के महान "बापू मोहनदास गाँधी"।
होश सँभालने के बाद और आखिरी दम तक महिलाओं में ही लगे रहे, और इन्होने आज़ाद करवाया भारत को? वो भी बिना खडग बिना ढाल?

गंदगी तो दुनिया में बहुत है दुःख इस बात का नहीं, दुःख तो इस बात का है कि इस गंदगी को कांग्रेस ने भारत का राष्ट्रपिता घोषित कर दिया। दुर्भाग्य की बात यह है कि कांग्रेस से लेकर सब इनके मिथ्या प्रचार और जय जयकार में लगे हैं।

ये है हमारे तथाकथित राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद्र गांधी की जीवनी जो खुद ने लिखी थी।

जिसको शक हो तो गूगल और इतिहास की किताबों से सम्पर्क करें।

Congress का क्या है,  बोस को bhagoda , war criminal ghoshit कर रखा था,  Bhagat sing chandr Shekhar azad को atankvadi

बँटवारे के बाद लगभग पंद्रह साल तक मुसलमान भारत से पाकिस्तान और पाकिस्तान से भारत आते जाते रहे । बहुत से लोग तो बरसों तक तय नहीं कर पा रहे थे कि यहाँ रहें या वहाँ रहें । हमारे एक सहपाठी थे उनकी महत्वाकांक्षा थी कि वह एयर फोर्स में पायलट बनेंगे , अगर भारत में चयन नहीं हुआ तो पाकिस्तान चले जायेंगे , उनके परिवार के बहुत से लोग पाकिस्तान में बस गये थे । मुसलमानों के दोनों हाथ में लड्डू थे । हमारे बरेली के हाशम सुर्मे वाले बताते हैं कि उनके दो ताया कराची चले गये और वहाँ बरेली का मशहूर सुर्मा बेच रहे हैं बचे दो भाई बरेली का कारोबार संभाले हुए हैं । यूनानी दवायें बनानी वाली हमदर्द भी आधी हिंदुस्तान में रह गई आधी पाकिस्तान चली गई और वहाँ भी रूह अफ़्ज़ा पिला रही है ।

साहिर लुधियानवी का पाकिस्तान में वारंट कटा तो रातोरात भारत भाग आये , कुर्रतुल ऐन हैदर भारत से पाकिस्तान गईं थीं जहाँ उन्होंने उर्दू का अमर उपन्यास आग का दरिया लिखा जो लाहौर से छपा । यह उपन्यास प्राचीन भारत से बँटवारे तक के इतिहास के समेटते हुये भारत की संस्कृति को महिमा मंडित करता था जो पाकिस्तानी मुल्लाओं को बर्दाश्त नहीं हुआ और क़ुर्रतुल ऐन हैदर को इतनी धमकियाँ मिलीं कि वह सन ५९ में भारत वापस आ गईं और संयोग से उसी बरस जोश मलीहाबादी पाकिस्तान के लिये हिजरत कर गये । जोश की आत्मकथा यादों की बारात में वह अपने इस निर्णय के लिये पछताते दीख रहे हैं । बड़े गुलाम अली खाँ भी इसी तरह भारत वापस आ गये ।

यह सुविधा मुसलमानों को ही थी कि जब जहाँ चाहे जा के बस जायें । हिंदू एक भी भारत से पाकिस्तान नहीं गया बसने । पाकिस्तान के पहले क़ानून मंत्री प्रसिद्ध दलित नेता जेएन मंडल बड़ी बेग़ैरती के साथ पाकिस्तान छोड़ने पर मजबूर हुए और भारत में कहीं गुमशुदगी में मर गये । 

पाकिस्तान एक मुल्क नहीं मौलवियों की एक मनोदशा है कि इस्लाम हुकूमत करने के लिये पैदा हुआ है तो वह जहाँ भी रहेगा या तो हुकूमत करेगा या हुकूमत के लिये जद्दोजहद करेगा । मुसलमान कोई नस्ल या जाति नहीं है अपितु दुनिया के किसी कोने का इंसान मुसलमान बन सकता है और धर्म परिवर्तन करते ही उसकी मानसिकता सोच और व्यक्तित्व बदल जाता है और वह स्वयं को उन मुस्लिम विजेताओं के साथ जुड़ा हुआ महसूस करने लगता है जिन्होंने उसके हिंदू पूर्वजों पर विजय पाई थी और मुसलमान बनने पर मजबूर किया था । सच्चाई यही है कि उपमहाद्वीप के लगभग ९९% मुसलमान कन्वर्टेड हिंदू हैं । यहाँ तक कि पठान भी ।

आज आज़म ख़ान इस बात को लेकर रंजीदा हैं कि उनके पूर्वज पाकिस्तान नहीं गये इस बात की उन्हें सज़ा दी जा रही है । आज़म ख़ाँ के वोटरों में हिंदू भी शामिल रहे होंगे वरना सिर्फ मुस्लिम वोटों से न वह विधायक बन सकते थे न सांसद । बिना एक पैसा स्टांप शुल्क चुकाये उन्होंने करोड़ों रुपये की ज़मीन जुटा कर उस मुहम्मद अली जौहर के नाम से यूनीवर्सिटी बना ली जिसने इस नापाक मुल्क में न दफ़नाये जाने की वसीयत की थी और आज एक दूसरे  मुल्क इज़्राइल में दफ़्न है । इस यूनीवर्सिटी के वह आजीवन कुलपति रहेंगे । और यह मुल्क उनकी क्या ख़िदमत कर सकता है ।

मुसलमानों में एक कट्टरपंथी मौलानाओं की अलग अन्तर्धारा चलती रहती है जिसके आगे आम मुसलमान बेबस हो जाता है । समय समय पर यह आम मुसलमान भी विक्टिम कार्ड खेलता रहता है । कभी अज़हरुद्दीन भी कहते सुने गये थे कि उन्हें मुसलमान होने के कारण प्रताड़ित किया जा रहा है । मिर्ज़ा मुहम्मद रफी सौदा का एक शेर है जो उन्होंने कभी नवाब अवध के दरबार में अर्ज किया था , बहुत से मुसलमानों की भावनाओं की अभिव्यक्ति इन दो लाइनों में बयाँ है । आज़म ख़ाँ भी उन्हीं में से एक हैं,

हो जाये अगर शाहे ख़ुरासाँ का इशारा,
सजदा न करूँ हिंद की नापाक ज़मीं पर ।

और हम वंदे मातरम की उम्मीद करते हैं ।

श्रीकृष्ण ने कहा है कि, धर्म-अधर्म के बीच में यदि आप NEUTRAL रहते हैं, अथवा NO POLITICS का ज्ञान देते हैं, तो आप अधर्म का साथ देते हैं

भीम ने गदा युद्ध के नियम तोड़ते हुए दुर्योधन को कमर के नीचे मारा
ये देख बलराम बीच में आए और भीम की हत्या करने की ठान ली।

तब श्रीकृष्ण ने अपने भाई बलराम से कहा.

आपको कोई अधिकार नहीं है इस युद्ध में बोलने का क्योंकि आप न्यूट्रल रहना चाहते थे ताकि आपको न कौरवों का, न पांडवों का साथ देना पड़े। इसलिए आप चुपचाप तीर्थ यात्रा का बहाना करके निकल लिए।

(१) भीम को दुर्योधन ने विष दिया तब आप न्यूट्रल रहे,
(२) पांडवो को लाक्षागृह में जलाने का प्रयास किया गया, तब आप न्यूट्रल रहे,
(३) द्यूत क्रीड़ा में छल किया गया तब आप न्यूट्रल रहे,
(४) द्रौपदी का वस्त्रहरण किया आप न्यूट्रल रहे,
(५) अभिमन्यु की सारे युद्ध नियम तोड़ कर हत्या की गयी, तब भी आप न्यूट्रल रहे!

आपने न्यूट्रल रह कर, मौन रह कर, दुर्योधन के हर अधर्म का साथ ही दिया! अब आपको कोई अधिकार नहीं है कि आप कुछ बोलें।

क्योंकि धर्म-अधर्म के युद्ध में अगर आप न्यूट्रल रहते हैं तो आप भी अधर्म का साथ दे रहे हैं...

आज हमारा ये देश 712 ई. से धर्म युद्ध लड़ रहा है और हर नागरिक इसमें एक सैनिक है!
यदि मैं न्यूट्रल रह कर अधर्म का साथ देता हूँ तो मुझे भी अधिकार नहीं है शिकायत करने का कि देश में ऐसा वैसा बुरा क्यों हो रहा है, अगर मैं उस बुरे का विरोध नहीं करता।

भाजपा धर्म के साथ है या नहीं ये मैं नहीं जानता पर दूसरी पार्टियाँ और संग़ठन अधर्म के साथ हैं,
ये मैं पक्का जानता हूँ।

ये हर नागरिक का कर्त्तव्य है कि 
वो राष्ट्रहित में जो है उसका साथ दे ! 🚩
साभार

गुरुवार, 3 अक्तूबर 2024

चक्रवर्ती विक्रमादित्य...

🇮🇳चक्रवर्ती विक्रमादित्य...।।।।।।।🙏
🇮🇳कलि काल के 3000 वर्ष बीत जाने पर 101 ईसा पूर्व सम्राट विक्रमादित्य मालव का जन्म हुआ। उन्होंने 100 वर्ष तक राज किया।💯
विक्रमादित्य मालव ईसा मसीह के समकालीन थे और उस वक्त उनका शासन अरब तक फैला था। विक्रमादित्य मालव के बारे में प्राचीन अरब साहित्य में भी वर्णन मिलता है। नौ रत्नों की परंपरा उन्हीं से शुरू होती है। विक्रमादित्य मालव उस काल में महान व्यक्तित्व और शक्ति का प्रतीक थे।

विक्रमादित्य का शासन अरब और मिस्र तक फैला था और संपूर्ण धरती के लोग उनके नाम से परिचित थे। विक्रमादित्य भारत की प्राचीन नगरी उज्जयिनी के राजसिंहासन पर बैठे। विक्रमादित्य मालव अपने ज्ञान, वीरता और उदारशीलता के लिए प्रसिद्ध थे जिनके दरबार में नवरत्न रहते थे। कहा जाता है कि विक्रमादित्य बड़े पराक्रमी थे और उन्होंने शकों को परास्त किया था। 

देश में अनेक विद्वान ऐसे हुए हैं, जो विक्रम संवत को उज्जैन के राजा विक्रमादित्य मालव द्वारा ही प्रवर्तित मानते हैं। इसके अनुसार विक्रमादित्य मालव ने 3044 कलि अर्थात 57 ईसा पूर्व विक्रम संवत चलाया। नेपाली राजवंशावली अनुसार नेपाल के राजा अंशुवर्मन के समय (ईसापूर्व पहली शताब्दी) में उज्जैन के राजा विक्रमादित्य मालव के नेपाल आने का उल्लेख मिलता है।
भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, तजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, कजाकिस्तान, तुर्की, अफ्रीका, सऊदी अरब, नेपाल, थाईलैंड, इंडोनेशिया, कमबोडिया, श्रीलंका, चीन का बड़ा भाग इन सब प्रदेशो पर विश्व के बड़े भूभाग पर था ओर इतना ही नही सम्राट विक्रमादित्य मालव ने रोम के राजाओं को हराकर विश्व विजय भी कर लिया था।

"यो रूमदेशाधिपति शकेश्वरं जित्वा "।।

अर्थ: उन्होंने रोम के राजा और शक राजाओं को जीता। कुल मिलाकर 95 देश जीतें। आज भारत मे प्रजातंत्र है, लेकिन भारत में शांति नही है लेकिन इस प्रजातंत्र की नींव डालने की शुरुवात ही खुद महान राजा विक्रमादित्य ने की थी विक्रमादित्य की सेना का सेनापति प्रजा चुनती थी।
वह प्रजा द्वारा चुना हुआ धर्माध्यक्ष होता था प्रजा द्वारा अभिषिक्त निर्णायक होता था आज के समय मे अमरीका और रूस के राष्ट्रपति की जो शक्ति है वही शक्ति महाराज विक्रमादित्य मालव के सेनापति की होती थी। लेकिन यह सब भी अपना परम् वीर विक्रम को ही मानते थे।  महाराज विक्रम ने भी अपने आप को शासक नही, प्रजा का सेवक मात्र घोषित कर रखा था।

महाराज विक्रम बहुत ही शूरवीर और दानी थे।  शुंग वंश के बाद पंजाब के रास्ते से शकों ने भारत को तहस नहस कर दिया था लेकिन वीर विक्रम ने इन शकों को पंजाब के रास्ते से ही वापस भगाया। पुष्यमित्र शुंग की मृत्यु के बाद जो भारतीय असंगठित होकर शकों का शिकार हो रहे थे उन भारतीय को जीवन मंत्र देकर महाराज विक्रम ने विजय का शंख फूंककर पूरे भारत को संगठित कर दिया।

महाराजा वीर विक्रम जमीन पर सोते थे अल्पाहार लेते थे वे केवल योगबल पर अपने शरीर को वज्र सा मजबूत बनाकर रखते थे।  इन्होंने महान सनातन राष्ट्र की स्थापना कर सनातन धर्म का डंका पुनः बजाया था।

महाभारत के युद्ध के बाद वैदिक धर्म का दिया लगभग बुझ गया था, हल्का सा टिमटिमा मात्र रहा था।  इस युद्ध के बाद भारत की वीरता, कला, साहित्य, संस्कृति सब कुछ मिट्टी में मिल गयी थी।

ऐसा भी एक समय आया जब सारे भारतीय  ही "अहिंसा परमोधर्म" वाला बाजा बजा रहे थे। विदेशों से हमले हो रहे थे ओर हम अहिंसा में पंगु होकर बैठ गये भारत के अस्ताचल से सत्य सनातन धर्म के सूर्य का अस्त होने को चला था। प्रजा दुखी थी, विदेशी शक, हूण, कुषाण शासकों के आक्रमणों से त्राहि त्राहि मची थी। ऐसे महान विपत्तिकाल में "धर्म गौ ब्राह्मण हितार्थाय" की कहानी को चरितार्थ करने वाला प्रजा की रक्षा करने वाला, सत्य तथा धर्म का प्रचारक वीर पराक्रमी विक्रम मालव पैदा हुए।

#इनके पराक्रम का अंदाजा इस बात से लगा सकते है कि जावा सुमात्रा तक के सुदूर देशों तक इन्होंने अपने सेनापति नियुक्त कर रखे थे।
उत्तर पश्चिमी शकों का मान मर्दन करने के लिए मुल्तान के पास जागरूर नाम की जगह पर महाराज विक्रम और शकों के भयानक युद्ध हुआ।  विशेषकर राजपुताना के उत्तरपश्चिमी राज्य में शकों ने उत्पात मचा रखा था। मुल्तान में विक्रम की सेना से परास्त होकर शक जंगलो में भाग गए उसके बाद इन्होंने फिर कभी आंख उठाने की हिम्मत नही की लेकिन उनकी संतान जरूर फिर से आती रही।

विक्रमादित्य मालव के काल के सिक्कों पर "जय मालवाना" लिखा होता था विक्रमादित्य के मातृभूमि से प्रेम से इससे अच्छा उदाहरण क्या हो सकता है सिक्को पर अपना नाम न देकर अपनी मातृभूमि का नाम दिया।

आज हमारी सनातन संस्कृति केवल विक्रमादित्य मालव के कारण अस्तित्व में है अशोक मौर्य ने बोद्ध धर्म अपना लिया था और बोद्ध बनकर 25 साल राज किया था।  भारत में तब सनातन धर्म लगभग समाप्ति पर आ गया था।

#जब रामायण, और महाभारत जैसे ग्रन्थ खो गए थे, महाराज विक्रम ने ही पुनः उनकी खोज करवा कर स्थापित किया। विष्णु और शिव जी के मंदिर बनवाये और सनातन धर्म को बचाया। 
विक्रमादित्य मालव के 9 रत्नों में से एक कालिदास ने अभिज्ञान शाकुन्तलम् लिखा,  भारत का इतिहास है अन्यथा भारत का इतिहास क्या हम भगवान् कृष्ण और राम को ही खो चुके थे। आज उन्ही के कारण सनातन धर्म बचा हुआ है, हमारी संस्कृति बची हुई है।

महाराज विक्रमादित्य मालव ने केवल धर्म ही नही बचाया उन्होंने देश को आर्थिक तौर पर सोने की चिड़िया बनाई, उनके राज को ही भारत का स्वर्णिम राज कहा जाता है।

विक्रमादित्य मालव के काल में भारत का कपडा, विदेशी व्यपारी सोने के वजन से खरीदते थे। भारत में इतना सोना आ गया था कि, विक्रमादित्य मालव काल में सोने की सिक्के चलते थे।
कई बार तो देवता (श्रेष्ठ ज्ञानी व्यक्ति) भी उनसे न्याय करवाने आते थे, विक्रमादित्य मालव के काल में हर नियम धर्मशास्त्र के हिसाब से बने होते थे। न्याय, राज सब धर्मशास्त्र के नियमो पर चलता था। विक्रमादित्य मालव का काल प्रभु श्रीराम के राज के बाद सर्वश्रेष्ठ माना गया है, जहाँ प्रजा धनी और धर्म पर चलने वाली थी।

#महान सम्राट विक्रम ने रोम के शासक जुलियस सीजर को भी हराकर उसे बंदी बनाकर उज्जैन की सड़कों पर घुमाया था तथा बाद में उसे छोड़ दिया गया था।

विक्रमादित्य के काल में दुनियाभर के ज्योतिर्लिंगों के स्थान का जीर्णोद्धार किया गया था। कर्क रेखा पर निर्मित ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख रूप से थे मुक्तेश्वर, गुजरात के सोमनाथ, उज्जैन के महाकालेश्वर और काशी के विश्वनाथ बाबा।

कर्क रेखा के आसपास 108 शिवलिंगों की गणना की गई है। विक्रमादित्य मालव ने नेपाल के पशुपतिनाथ, केदारनाथ और बद्रीनाथ मंदिरों को फिर से बनवाया था। इन मंदिरों को बनवाने के लिए उन्होंने मौसम वैज्ञानिकों, खगोलविदों और वास्तुविदों की भरपूर मदद ली। विक्रमादित्य मालव के समय ज्योतिषाचार्य मिहिर, महान कवि कालिदास थे।
विक्रमादित्य तो एक उदाहरण मात्र है, भारत का पुराना अतीत इसी तरह के शौर्य से भरा हुआ है। भारत पर विदेशी शासकों के द्वारा लगातार राज्य शासन के बावजूद निरंतर चले भारतीय संघर्ष के लिए ये ही शौर्य प्रेरणाएं जिम्मेदार हैं।

हम सबको इस महान सम्राट से प्रेरणा ले कर राष्ट्र व धर्म की रक्षा में उद्यत रहना चाहिए एवं हमारे गौरवपूर्ण इतिहास को जानना चाहिए।
#संपूर्ण_व्यवस्था_परिवर्तन
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प्राचीन सनातनी भारत में, शिक्षा और ज्ञान का एक विशाल इतिहास है। हमारे प्राचीन भारत के 25 प्राचीन विश्वविद्यालय...

#प्राचीन सनातनी भारत में, शिक्षा और ज्ञान का एक विशाल इतिहास है। 

हमारे प्राचीन भारत के 25 प्राचीन विश्वविद्यालय... 

दुनिया भर से हजारों प्रोफेसर और लाखों छात्र यहां रहते थे और कई विज्ञानों और विषयों का अध्ययन और अध्यापन करते थे। यहाँ पर कुछ प्रमुख प्राचीन विश्वविद्यालयों की जानकारी दी जा रही है......

1.#नालंदा विश्वविद्यालय (Nalanda University):

स्थान: बिहार
स्थापना: 5वीं शताब्दी ईस्वी
विशेषता: यह बौद्ध शिक्षा का प्रमुख केंद्र था और इसमें विभिन्न विज्ञान, दर्शन, और धर्म का अध्ययन किया जाता था। यहाँ पर 10,000 छात्र और 2,000 शिक्षक थे।

2.#तक्षशिला विश्वविद्यालय (Taxila University):

स्थान: #पाकिस्तान
स्थापना: 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व
विशेषता: यह भारत का सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय माना जाता है। यहाँ पर चिकित्सा, कानून, कला, सैन्य विज्ञान आदि की शिक्षा दी जाती थी।

3.#विक्रमशिला विश्वविद्यालय (Vikramshila University):

स्थान: बिहार
स्थापना: 8वीं शताब्दी ईस्वी
विशेषता: यह भी बौद्ध शिक्षा का प्रमुख केंद्र था।

4.ओदंतपुरी विश्वविद्यालय (Odantapuri University):

स्थान: बिहार
स्थापना: 8वीं शताब्दी ईस्वी
विशेषता: बौद्ध शिक्षा और साहित्य का प्रमुख केंद्र।

5.मिथिला विश्वविद्यालय (Mithila University):

स्थान: #बिहार
विशेषता: न्यायशास्त्र और तंत्र की शिक्षा के लिए प्रसिद्ध।

6.वल्लभी विश्वविद्यालय (Vallabhi University):

स्थान: #गुजरात
स्थापना: 6वीं शताब्दी ईस्वी
विशेषता: यहां पर धर्म, कानून, और चिकित्सा की शिक्षा दी जाती थी।

7.स्रृंगेरी मठ (Sringeri Math):

स्थान: कर्नाटक
विशेषता: अद्वैत वेदांत का प्रमुख केंद्र।

8.#कांचीपुरम विश्वविद्यालय (Kanchipuram University):

स्थान: तमिलनाडु
विशेषता: यहाँ पर तमिल साहित्य और दर्शन का अध्ययन किया जाता था।

9.पुष्पगिरी विश्वविद्यालय (Pushpagiri University):

स्थान: #ओडिशा
विशेषता: यह बौद्ध और जैन शिक्षा का केंद्र था।

10.उज्जयिनी विश्वविद्यालय (Ujjayini University):

स्थान: #मध्यप्रदेश
विशेषता: यहाँ पर ज्योतिष, खगोल विज्ञान, और गणित की शिक्षा दी जाती थी।

11.कृष्णापुर विश्वविद्यालय (Krishnapur University):

स्थान: #पश्चिम_बंगाल
विशेषता: विभिन्न विज्ञानों और संस्कृत की शिक्षा का केंद्र।

12.#नेल्लोर विश्वविद्यालय (Nellore University):

स्थान: आंध्र प्रदेश
विशेषता: यहां पर धर्म और तंत्र की शिक्षा दी जाती थी।

13.#सोमपुरा विश्वविद्यालय (Somapura University):

स्थान: #बांग्लादेश
विशेषता: यह बौद्ध शिक्षा का प्रमुख केंद्र था।

14.अमरावती विश्वविद्यालय (Amravati University):

स्थान: आंध्र प्रदेश
विशेषता: बौद्ध और जैन शिक्षा का केंद्र।

15.नागरजुनकोंडा विश्वविद्यालय (Nagarjunakonda University):

स्थान: #आंध्र प्रदेश
विशेषता: बौद्ध शिक्षा का प्रमुख केंद्र।

16.रत्नागिरी विश्वविद्यालय (Ratnagiri University):

स्थान: #ओडिशा
विशेषता: बौद्ध धर्म और तंत्र का केंद्र।

17.माल्कापुरम विश्वविद्यालय (Malkapuram University):

स्थान: #आंध्र प्रदेश
विशेषता: विभिन्न धर्मों और विज्ञानों की शिक्षा।

18.#त्रिसूर विश्वविद्यालय (Trissur University):

स्थान: केरल
विशेषता: कला, साहित्य और ज्योतिष की शिक्षा।

19.#विजयपुरा विश्वविद्यालय (Vijayapura University):

स्थान: कर्नाटक
विशेषता: धर्म, तंत्र, और ज्योतिष की शिक्षा।

20.कादयर विश्वविद्यालय (Kadayar University):

स्थान: #तमिलनाडु
विशेषता: तमिल साहित्य और कला का अध्ययन।

21.#मयंकट विश्वविद्यालय (Manyaket University):

स्थान: कर्नाटक
विशेषता: धर्म और तंत्र का प्रमुख केंद्र।

23.उडीपी मठ (Udipi Math):

स्थान: #कर्नाटक
विशेषता: अद्वैत वेदांत और धर्म की शिक्षा।

23.कण्णूर विश्वविद्यालय (Kannur University):

स्थान: #केरल
विशेषता: साहित्य, कला और ज्योतिष की शिक्षा।

24.अन्नूरधपुर विश्वविद्यालय (Anuradhapura University):

स्थान: श्रीलंका
विशेषता: बौद्ध धर्म और तंत्र का केंद्र।

25.कंथालूर शाला (Kanthaloor Shala):

स्थान: तमिलनाडु
विशेषता: विभिन्न विज्ञानों और तंत्र का प्रमुख केंद्र।

ये #प्राचीन विश्वविद्यालय शिक्षा के उच्चतम मानकों के प्रतीक थे और यहाँ पर #दुनिया भर से छात्र और शिक्षक ज्ञान प्राप्त करने और साझा करने के लिए आते थे। इन संस्थानों में विभिन्न विज्ञान, धर्म, कला, और तंत्र की शिक्षा दी जाती थी, जो #भारत की समृद्ध #सांस्कृतिक और बौद्धिक #धरोहर का हिस्सा हैं।

पूरा पढ़ने के लिए साभार...🙏
जयतु सनातन #संस्कृति...🚩

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