पूरे भारतवर्ष व नेपाल में हमारे परिवारों की संख्या 174558 है l सरकार व अपने नियमानुसार एक परिवार की सदस्य संख्या 4 मानते है, तो हम 698232 हुए l यदि गणना की शुद्ध संख्या सामने नहीं आई तो ऐसा भी मान लें तो भी ज्यादा से ज्यादा 7-8 लाख होंगे हम l भारतवर्ष की 120 करोड़ की आबादी वाले देश मै हम अब 12 से 7-8 लाख पर आ गए है l देश की आबादी बढ़ रही है, हम घट रहे हैl ऐसे मै हमें भी सावधान होना होगा, अभी समय है, विचार करें व अपने समाज के अस्तित्व को बचाने के लिए गंभीर चिंतन करें, अन्यथा आने वाले 100 वर्षो मै हमारा अस्तित्व खतरे मै पड़ जायेगा l
हमारे पूर्वज राजस्थान से लोटा-डोरी लेकर निकले थे, किन्तु जहाँ भी गए, धेर्यशील बन कठिन परिस्थियों मै भी मेहनत लगन व कर्तब्यनिष्ठ बन दूध में शक्कर की तरह मिल गए व हर प्रान्त में अपने अस्तित्व को बनाया व सर्वोपरि बने स्वयं ने भी अर्थाजन किया व स्थानीय लोगो को भी रोजगार दिलवाया l उनके अन्नदाता बने l हम शिछित भी है, संपन्न भी है, लक्ष्मी की कृपा है हम पर, क्योकि हमारे आचरण मै सुचिता है, खान-पान मै शुद्धता है, सात्विकता है, अध्यात्म में व धर्म मै हमारी आस्था है, सामाजिक व पारिवारिक सुसंस्कार व ईश्वर भक्ति के प्रति समर्पित व श्रद्धालु है l हमारे बुजुर्गो ने मोटा खाया, मोटा पहना, मेहनत की, धन कमाया व परोपकार में लगाया l आज हम किसी भी धर्म स्थान पर चले जाये, माहेश्वरियो के द्वारा बनायीं हुई धर्मशाला, मन्दिर, भोजनालय आदि मिलेंगे, जो हमारे बुजुर्गों के परोपकारी स्वभाव व हमारी आध्यात्मिक शक्ति सुसंस्कारिता के परिचायक है l
अमेरिका के एक सर्वे के अनुसार माहेश्वरी विश्व के दुसरे नंबर की श्रेष्ठ जाती है l व्यापारी व औद्योगिक गुणों मै भी हमारी कोई बराबरी वाला नहीं l ईमानदारी, मेहनत, लगन व कर्तब्यनिष्ठा कूट-कूट कर भरी है हममे l आपराधिक छेत्र से दूर है हम l इसलिए राष्ट्र मै अपनी विशेष पहचान बनी हुई है l पर कभी सोचा हमने कि :-
01. हमारे 30% बच्चे देश के बाहर जा रहे है ?
02. हमारी बच्चियां उच्च शिच्छा प्राप्त करने के दरम्यान अंतर्जातीय विवाह कर रही है ?
अ) एक लड़की के अंतर्जातीय विवाह से एक परिवार खत्म हो जाता है l
ब) एक लड़की के अंतर्जातीय विवाह से हमारी संस्कृति व हमारे जीन्स की श्रेष्ठता मै कमी आ जाती है l
स) उच्च शिछित बच्चे-बच्चियां बड़ी-बड़ी नौकरी मै लगे हुए है l लड़कियां अपने व्यक्तित्व विकास में (बच्चो को) परिवार बढाने मै बाधक समझती है l
द) कुछ दम्पति एक बच्चा पैदा कर के अपने परिवार की इति श्री समझ लेते है l
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ऐसे मै हम क्या करें ?????
क्या मानव की श्रेष्ठ जातियों को बचाने के लिए हमें कोई प्रयास नहीं करने चाहिए ? पारसी जो विश्व मै प्रथम स्थान पर आते है, सुना है एक लाख से भी कम की संख्या पर आ गए है l
अब उनका समाज भी बालकों को पालने व पढ़ाने की जिम्मेदारी ले कर संख्या बढाने का आहवान कर रहा है l
अब हम क्या करें ? समाज की श्रेष्ठता के कारणों पर सर्वे करवायें l हम अपनी श्रेष्ठ गुणवत्ता के महत्व को नई पीढ़ी की साइंटिफिक तरीके से समझाये l
03. इंडिया टुडे के एक सर्वे के अनुसार भारतवर्ष मै सभी जातियों मै सबसे अधिक शिछित माहेश्वरी जाती है, जो 98.5% शिछित है l इसी तरह विशेषज्ञों से हमारी जाती की गुणवत्ता का सर्वे करवाया जाये व युवा वर्ग मै उनके महत्व को समझाया जाये l समाज की घटती संख्या का प्रचार-प्रसार किया जाये l
04. जीन्स की परंपरा, संस्कार-संस्कृति की श्रेष्ठता का क्या महत्व है l इसका प्रूफ सहित विष्लेषण करवाया जाये, उसका प्रचार-प्रसार किया जाये l बचपन से बच्चों मै जातीय प्रेम की भावना भरी जाये l युवाओ को प्रोत्साहित किया जाये l
05. जातीय श्रेष्ठता को नव पीढ़ी के सामने रखे l लेखों, चर्चा, परिचर्चा के द्वारा युवा पीढ़ी को समाज की और आकर्षित किया जाये l
06. सम्पन्नता को जरुरत से ज्यादा महत्व न दे l
07. धन के अनावश्यक प्रदर्शन पर रोक लगाये l
08. चुनाव व मंच को अनर्गल अधिक महत्व न दे l
09. सामाजिक संगठन चिंतनशील संगठन बने l
10. युवा पीढ़ी को समाज के मंच पर स्थान दे व सभाओ मै उनकी उपस्थिति को महत्वपूर्ण निरुपित कर बालकों को अपने धर्म के प्रति आकर्षित करें l हमें धर्मान्धता मै तो नहीं जाना, लेकिन जाती व देश पर गर्व करना तो सीखना तो जरुरी है l
हम अद्यमी समाज है, व्यापारी समाज जाही, उद्योग और व्यापार हमारे रग-रग मै भरा है l हमारे युवा नौकरी की ऑर आकर्षित हो कर अपने स्वाभाविक गुण और स्वास्थ्य, दोनों को ही नष्ट कर रहे है l नौकरी हमें स्वाभिमानपूर्ण गुणों से हटा कर पराश्रित कर रही है l पुराने ज़माने मै नौकरी निक्रिस्ट काम माना जाता था l
"उत्तम खेती मध्यम बान, अधम चाकरी भीख निदान "
लेकिन विदेशी कम्पनियां बड़े-बड़े पैकेज की ओर आकर्षित कर हमरे युवको को विदेश भेज रही है l हमारे युवको से रात-दिन काम करवाती है, उनका पारिवारिक, सामाजिक जीवन खत्म सा होता जा रहा है l उनमे स्नेह, अपनापन, संवेदनाएं, प्यार, सुख-दुःख बाँटने के लिए समय नहीं ? अब युवा पीढ़ी को समझना होगा l आज की पीढ़ी तर्क प्रधान है, हमारे कहने भर से नहीं मानेगी l उन्हें प्रमाण देकर समझाना होगा l सर्वे के द्वारा साछ्य व प्रमाण एकत्रित कर युवाओ के समछ तथ्य रखने होंगे l
इन सबके लिए सामाजिक मंचो को एक दिशा में एक लछ्य बनाकर संगठित होकर चलना होगा l एक विचारधारा में बंधकर समाज व सामाजिक विचारधारा को बचाने की ओर आगे बढ़ना होगा नहीं तो --
*हमारे बड़े-बड़े उद्योगों का क्या होगा ?
*हमारे बड़े-बड़े माहेश्वरी भवनों का क्या होगा ?
*हमारे बड़े-बड़े ट्रस्टो का क्या होगा ?
*हमारी 125 साल पुराणी महासभा ?
*हमारे श्रंखलाबध्द सामाजिक संगठनो का क्या होगा ?
*हमारी महिला संगठन व युवा संगठन ?
*सम्पन्नता संस्कारिता का क्या होगा ?
*जिसके लिए आज मेहनत कर रहे है, कल अनाम बन जायेंगे l इन सबका क्या भविष्य होगा ?
आज हमें संकल्प लेना होगा l "आवो मिलकर साथ चले"
समाज की चिंता रखें, चिंतन करें l युवा पीढ़ी का आहवान करें l मानव जीवन का लछ्य सिर्फ धनार्जन व व्यक्तिगत सुख ही नहीं है, बल्कि राष्ट्र हित व समाज हित सर्वोपरि है l हम सर्वश्रेष्ठ है, अतः आईये हम सर्वश्रेष्ठ प्रति की ओर अग्रसर होवें l
मै श्याम सुन्दर चांडक सभी प्रान्तों की 'महासभा', 'जिलासभा' व संगठनो से अनुरोध करता हूँ की उपरोक्त बातो पर गौर करके उचित आयोजन किये जाये ताकि आने वाला समय 'नवयुवको' का मार्ग 'पथ-प्रदर्शित' करता रहे l जय महेश.....जय माहेश्वरी l
एक नजर इस पर भी....
1947 में
हिंदू - 33 करोड (94%)
मुस्लिम - 3 करोड (5%)
अन्य - 1 करोड (1% )
2008 में
हिंदू – 82 करोड (75%) 61 साल में 249% वृद्धि दर @ 4.07% प्रति वर्ष
मुस्लिम - 25 करोड (23%) 61 साल में 833% वृद्धि दर @13.7% प्रति वर्ष
अन्य (ईसाई) - 3 करोड (2%)
2035 में स्थिति होगी:
मुस्लिम - 92.5 करोड (46.8%)
हिंदू - 90.2 करोड (45.6 %) वह भी तब जबकि एक व्यक्ति ने भी धर्म परिवर्तन नहीं किया हो
अन्य - 7.6 करोड (7.6% )
2040 से सभी हिंदू समारोह को बंद कर दिया जाएगा
2050 में स्थिति होगी:
मुस्लिम - 189.62 करोड (64%) भारत इस्लामी देश घोषित किया जाएगा
हिंदू - 95.7 करोड (32.3%)
अन्य -10.7 करोड (3.6%)