जय श्री कृष्णा, ब्लॉग में आपका स्वागत है यह ब्लॉग मैंने अपनी रूची के अनुसार बनाया है इसमें जो भी सामग्री दी जा रही है कहीं न कहीं से ली गई है। अगर किसी के कॉपी राइट का उल्लघन होता है तो मुझे क्षमा करें। मैं हर इंसान के लिए ज्ञान के प्रसार के बारे में सोच कर इस ब्लॉग को बनाए रख रहा हूँ। धन्यवाद, "साँवरिया " #organic #sanwariya #latest #india www.sanwariya.org/
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बुधवार, 15 अगस्त 2018
राष्ट्रीय ध्वजतिरंगा फहराने के नियम सख्त आचार संहिता -फ्लैग कोड ऑफ इंडिया
शुक्रवार, 10 अगस्त 2018
आज का पंचांग 10 August 20108
. ।। 🕉 ।।
🚩🌞 *सुप्रभातम्* 🌞🚩
◆ ««« *आज का पंचांग* »»»◆
कलियुगाब्द.......................5120
विक्रम संवत्......................2075
शक संवत्.........................1940
मास.................................श्रावण
पक्ष...................................कृष्ण
तिथी...............................चतुर्दशी
संध्या 07.07 पर्यंत पश्चात अमावस्या
रवि..............................दक्षिणायन
सूर्योदय...................06.01.37 पर
सूर्यास्त....................07.02.01 पर
सूर्य राशि...............................कर्क
चन्द्र राशि..............................कर्क
नक्षत्र....................................पुष्य
रात्रि 02.51 पर्यंत पश्चात अश्लेशा
योग....................................सिद्धि
दोप 03.45 पर्यंत पश्चात व्यतिपात
करण...................................विष्टि
प्रातः 08.57 पर्यंत पश्चात शकुन
ऋतु......................................वर्षा
दिन..................................शुक्रवार
🇬🇧 *आंग्ल मतानुसार* :-
10 अगस्त सन 2018 ईस्वी ।
☸ शुभ अंक......................2
🔯 शुभ रंग...............आसमानी
👁🗨 *राहुकाल* :-
प्रात: 10.55 से 12.31 तक ।
🚦 *दिशाशूल* :-
पश्चिमदिशा - यदि आवश्यक हो तो जौ का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें।
✡ *चौघडिया* :-
प्रात: 07.41 से 09.17 तक लाभ
प्रात: 09.17 से 10.54 तक अमृत
दोप. 12.31 से 02.07 तक शुभ
सायं 05.21 से 06.57 तक चंचल
रात्रि 09.44 से 11.08 तक लाभ ।
📿 *आज का मंत्र* :-
।। ॐ सदाशिवदेवतायै नमः ।।
📢 *संस्कृत सुभाषितानि* --
अपि स्वर्णमयी लंका न मे लक्ष्मण रोचते।
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी॥
अर्थात :-
हे लक्ष्मण! सोने की लंका भी मुझे अच्छी नहीं लगती है। माता और मातृभूमि स्वर्ग से भी बढ़ कर हैं॥
🍃 *आरोग्यं सलाह* :-
*उल्टी का आयुर्वेदिक उपचार -*
*1. नींबू का रस -*
नींबू पानी पीना आपके पाचन तंत्र को आगे बढ़ने में मदद कर सकता है। नींबू का रस और शहद को बराबर हिस्सों में लीजिए। मतली और उलटी में आपको राहत प्रदान कर सकता है। इसके लिए आप इंडेक्स उंगली से इस मिश्रण को चाटिए। इसके अलावा एक चम्मच नींबू का रस और मिंट का रस को मिलाकर मिश्रण तैयार करें और उसमें अदरक और शहद की कुछ बूंदें डालें। मतली और उल्टी से राहत प्राप्त करने के लिए इसे दिन में दो बार या तीन बार लें।
*2. जीरा -*
जीरा के स्वास्थ्य लाभ में पाचन में सहायता करने, प्रतिरक्षा में सुधार करने और त्वचा विकारों और अनिद्रा का इलाज करने की क्षमता शामिल है। उलटी या मतली में एक कप गर्म पानी में एक चम्मच जीरा और जायफल की एक चुटकी भी प्रभावी साबित हो सकती है
⚜ *आज का राशिफल* :-
🐏 *राशि फलादेश मेष* :-
दु:खद समाचार मिल सकता है। विरोध होगा। व्यर्थ भागदौड़ होगी। लाभ के अवसर टलेंगे। विवाद न करें। कार्य निर्णय बहुत शांति से विचार करके करना ही शुभ है। स्वास्थ्य की ओर ध्यान दें। रुका धन मिलेगा।
🐂 *राशि फलादेश वृष* :-
सुख के साधन जुटेंगे। प्रयास सफल रहेंगे। मान-सम्मान मिलेगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। प्रसन्नता रहेगी। नौकरी में मनचाही पदोन्नति मिलने के योग बनेंगे। धर्म के कार्यों में रुचि आपके मनोबल को ऊंचा करेगी। अजनबियों पर विश्वास न करें।
👫 *राशि फलादेश मिथुन* :-
फालतू खर्च होगा। अतिथियों का आगमन होगा। शुभ समाचार मिलेंगे। मान बढ़ेगा। विवाद न करें। आर्थिक स्थिति में सुधार की संभावना है। व्यापार में नए अनुबंध होंगे। व्ययों में कमी करना चाहिए। व्यापार अच्छा चलेगा। जीवनसाथी से मतभेद।
🦀 *राशि फलादेश कर्क* :-
व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। नेत्र पीड़ा संभव है। विवाद न करें। रोजगार मिलेगा। भेंट व उपहार की प्राप्ति होगी। आपकी मिलनसारिता व धैर्यवान प्रवृत्ति आपके जीवन में आनंद का संचार करेगी। स्थायी संपत्ति में वृद्धि होगी।
🦁 *राशि फलादेश सिंह* :-
कुसंगति से बचें। लेन-देन में सावधानी रखें। शारीरिक कष्ट संभव है। व्ययवृद्धि से तनाव रहेगा। विवाद न करें। सार्वजनिक कार्यों में समय व्यतीत होगा। संतान की ओर से शुभ समाचार मिलेंगे। स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। रोजगार के क्षेत्र में उन्नति होगी।
👱🏻♀ *राशि फलादेश कन्या* :-
वैवाहिक प्रस्ताव मिल सकता है। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। यात्रा सफल रहेगी। लाभ होगा। उत्तम मनोबल आपकी सभी समस्याओं को हल कर देगा। प्रतिष्ठित जनों से मेलजोल बढ़ेगा। व्यापार में नए प्रस्ताव मिलेंगे।
⚖ *राशि फलादेश तुला* :-
नई योजना बनेगी। कार्य का विस्तार होगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। अपनी वस्तुएं संभालकर रखें। काम के प्रति दृढ़ता से कार्य में अनुकूल सफलता मिल सकेगी। पारिवारिक सुख व धन बढ़ेगा। वाणी संयम आवश्यक है।
🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक* :-
धर्म-कर्म में रुचि रहेगी। कानूनी अड़चन दूर होगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। समाज के कामों में उत्साहपूर्वक भाग लेंगे। नौकरी में तबादला तथा पदोन्नति के योग हैं। अनावश्यक क्रोध न करें। धन संबंधी काम पूरे होंगे।
🏹 *राशि फलादेश धनु* :-
पुराना रोग उभर सकता है। चोट, चोरी व विवाद आदि से हानि संभव है। आय में कमी रहेगी। धैर्य रखें। स्वास्थ्य की समस्या हल होगी। ईश्वर के प्रति आस्था बढ़ेगी। जीवनसाथी की भावनाओं को समझें। आर्थिक निवेश लाभकारी रहेगा।
🐊 *राशि फलादेश मकर* :-
परिवार की चिंता रहेगी। जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। कानूनी अड़चन दूर होगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। परोपकार करके मानसिक सुख अर्जित करेंगे। व्यापारिक स्थिति आशाजनक रहेगी। पारिवारिक, मांगलिक कार्य की योजना बनेगी। कर्ज लेने से बचना चाहिए।
🏺 *राशि फलादेश कुंभ* :-
शत्रु परास्त होंगे। भूमि व भवन की खरीद-फरोख्त हो सकती है। रोजगार मिलेगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। नवीन गतिविधियां लाभकारी रहेंगी। व्यापार में नई योजनाओं का प्रारंभ होगा। पराक्रम के प्रति निष्क्रियता के कारण मन अप्रसन्न रहेगा।
🐋 *राशि फलादेश मीन* :-
विद्यार्थी वर्ग सफलता हासिल करेगा। पार्टी व पिकनिक का आनंद मिलेगा। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। रोजगार की चिंता रह सकती है। स्वास्थ्य ठीक रहेगा। मानसिक दृढ़ता से निर्णय लेकर कार्य करना चाहिए। व्यापार में लाभकारी परिवर्तन होंगे।
☯ आज का दिन सभी के लिए मंगलमय हो |
।। 🐚 *शुभम भवतु* 🐚 ।।
🇮🇳🇮🇳 *भारत माता की जय* 🚩🚩
गुरुवार, 9 अगस्त 2018
वृद्ध आश्रम
वृद्ध आश्रम
विशेष अनुरोध - - एक बार पूरी कहानी पढ़ियेगा ज़रूर 🙏🙏
निशा काम निपटा कर बैठी ही थी, की फोन की घंटी बजने लगी।
मेरठ से विमला चाची का फोन था
,”बिटिया अपने बाबू जी को आकर ले जाओ यहां से।
बीमार रहने लगे है , बहुत कमजोर हो गए हैं।
हम भी कोई जवान तो हो नहीं रहें है,अब उनका करना बहुत मुश्किल होता जा रहा है।
वैसे भी आखिरी समय अपने बच्चों के साथ बिताना चाहिए।”
निशा बोली,”ठीक है चाची जी इस रविवार को आतें हैं, बाबू जी को हम दिल्ली ले आएंगे।
” फिर इधर उधर की बातें करके फोन काट दिया।
बाबूजी तीन भाई है ,
पुश्तैनी मकान है तीनों वहीं रहते हैं।
निशा और उसका छोटा भाई विवेक दिल्ली में रहते हैं अपने अपने परिवार के साथ।
तीन चार साल पहले विवेक को फ्लैट खरीदने की लिए पैसे की आवश्यकता पड़ी,
तो बाबूजी ने भाईयों से मकान के अपने एक तिहाई हिस्से का पैसा लेकर विवेक को दे दिया था,
कुछ खाने पहनने के लिए अपने लायक रखकर।
दिल्ली आना नहीं चाहते थे इसलिए एक छोटा सा कमरा रख लिया था,
जब तक जीवित थे तब तक के लिए।
निशा को लगता था कि अम्मा के जाने के बाद बिल्कुल अकेले पड़ गए होंगे बाबू जी,
लेकिन वहां पुराने परिचितों के बीच उनका मन लगता था। दोनों चाचियां भी ध्यान रखती थी।
दिल्ली में दोनों भाई बहन की गृहस्थी भी मज़े से चल रही थी।
रविवार को निशा और विवेक का ही कार्यक्रम बन पाया मेरठ जाने का।
निशा के पति अमित एक व्यस्त डाक्टर है, महिने की लाखों की कमाई है,
उनका इस तरह से छुट्टी लेकर निकलना बहुत मुश्किल है, मरीजों की बिमारी न रविवार देखती है न सोमवार।
विवेक की पत्नी रेनू की अपनी जिंदगी है, उच्च वर्गीय परिवारों में उठना बैठना है उसका , इस तरह के छोटे मोटे पारिवारिक पचड़ों में पड़ना उसे पसंद नहीं।
रास्ते भर निशा को लगा विवेक कुछ अनमना , गुमसुम सा बैठा है।
वह बोली,”इतना परेशान मत हो, ऐसी कोई चिंता की बात नहीं है, उम्र हो रही है,
थोड़े कमजोर हो गए हैं ठीक हो जाएंगे।”
विवेक झींकते हुए बोला,”अच्छा खासा चल रहा था,पता नहीं चाचाजी को एसी क्या मुसीबत आ गई दो चार साल और रख लेते तो।
अब तो मकानों के दाम आसमान छू रहे हैं,तब कितने कम पैसों में अपने नाम करवा लिया तीसरा हिस्सा।”
निशा शान्त करने की मन्शा से बोली,
”ठीक है न उस समय जितने भाव थे बाजार में उस हिसाब से दे दिए।
और बाबूजी आखरी समय अपने बच्चों के बीच बिताएंगे तो उन्हें भी अच्छा लगेगा।”
विवेक उत्तेजित हो गया , बोला,”दीदी तेरे लिए यह सब कहना बहुत आसान है।
तीन कमरों के फ्लैट में कहां रखूंगा उन्हें।
रेनू से किट किट रहेगी सो अलग, उसने तो साफ़ मना कर दिया है वह बाबूजी का कोई काम नहीं करेंगी |
वैसे तो दीदी, लड़कियां हक़ मांग ने तो बडी जल्दी खड़ी हो जाती हैं ,
करने के नाम पर क्यों पीछे हट जाती है।
आज कल लड़कियों की शिक्षा और शादी के समय में अच्छा खासा खर्च हो जाता है।
तू क्यों नहीं ले जाती बाबूजी को अपने घर, इतनी बड़ी कोठी है ,जिय़ाजी की लाखों की कमाई है?”
निशा को विवेक का इस तरह बोलना ठीक नहीं लगा।
पैसे लेते हुए कैसे वादा कर रहा था बाबूजी से
,”आपको किसी भी वस्तु की आवश्यकता हो आप निसंकोच फोन कर देना मैं तुरंत लेकर आ जाऊंगा।
बस इस समय हाथ थोड़ा तन्ग है।” नाममात्र पैसे छोडे थे बाबूजी के पास,
और फिर कभी फटका भी नहीं उनकी सुध लेने।
नशा बोली :”तू चिंता मत कर मैं ले जाऊंगी बाबूजी को अपने घर।”
सही है उसे क्या परेशानी, इतना बड़ा घर फिर पति रात दिन मरीजों की सेवा करते है,
एक पिता तुल्य ससुर को आश्रय तो दे ही सकते हैं।
बाबूजी को देख कर उसकी आंखें भर आईं।
इतने दुबले और बेबस दिख रहे थे,गले लगते हुए बोली,”पहले फोन करवा देते पहले लेने आ जाती।”
बाबूजी बोलें,” तुम्हारी अपनी जिंदगी है क्या परेशान करता।
वैसे भी दिल्ली में बिल्कुल तुम लोगों पर आश्रित हो जाऊंगा।”
रात को डाक्टर साहब बहुत देर से आएं,तब तक पिता और बच्चे सो चुके थे।
खाना खाने के बाद सुकून से बैठते हुएं निशा ने डाक्टर साहब से कहा,
” बाबूजी को मैं यहां ले आईं हूं। विवेक का घर बहुत छोटा है, उसे उन्हें रखने में थोड़ी परेशानी होती।
” अमित के एक दम तेवर बदल गए,वह सख्त लहजे में बोला,”
यहां ले आईं हूं से क्या मतलब है तुम्हारा?
तुम्हारे पिताजी तुम्हारे भाई की जिम्मेदारी है। मैंने बड़ा घर वृद्धाश्रम खोलने के लिए नहीं लिया था ,
अपने रहने के लिए लिया है।
जायदाद के पैसे हड़पते हुए नहीं सोचा था साले साहब ने कि पिता की करनी भी पड़ेगी।
रात दिन मेहनत करके पैसा कमाता हूं फालतू लुटाने के लिए नहीं है मेरे पास।”
पति के इस रूप से अनभिज्ञ थी निशा।
“रात दिन मरीजों की सेवा करते हो मेरे पिता के लिए क्या आपके घर और दिल में इतना सा स्थान भी नहीं है।”
अमित के चेहरे की नसें तनीं हुईं थीं,वह लगभग चीखते हुए बोला
,” मरीज़ बिमार पड़ता है तो पैसे देता है ठीक होने के लिए,
मैं इलाज करता हूं पैसे लेता हूं।
यह व्यापारिक समझोता है इसमें सेवा जैसा कुछ नहीं है।
यह मेरा काम है मेरी रोजी-रोटी है।
बेहतर होगा तुम एक दो दिन में अपने पिता को विवेक के घर छोड़ आओ।”
निशा को अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था।
जिस पति की वह इतनी इज्जत करती है वें ऐसा बोल सकते हैं। क्यों उसने अपने भाई और पति पर इतना विश्वास किया?
क्यों उसने शुरू से ही एक एक पैसा का हिसाब नहीं रखा?
अच्छी खासी नौकरी करती थी , पहले पुत्र के जन्म पर अमित ने यह कह कर छुड़वा दी कि मैं इतना कमाता हूं तुम्हें नौकरी करने की क्या आवश्यकता है।
तुम्हें किसी चीज़ की कमी नहीं रहेगी आराम से घर रहकर बच्चों की देखभाल करो।
आज अगर नौकरी कर रही होती तो अलग से कुछ पैसे होते,
उसके पास या दस साल से घर में सारा दिन काम करने के बदले में पैसे की मांग करती तो इतने तो हो ही जाते की पिता जी की देखभाल अपने दम पर कर पाती।
कहने को तो हर महीने बैंक में उसके नाम के खाते में पैसे जमा होते हैं,
लेकिन उन्हें खर्च करने की बिना पूछे उसे इजाज़त नहीं थी।
भाई से भी मन कर रहा था कह दे शादी में जो खर्च हुआ था वह निकाल कर जो बचता है उसका आधा आधा कर दे।
कम से कम पिता इज्जत से तो जी पाएंगे।
पति और भाई दोनों को पंक्ति में खड़ा कर के बहुत से सवाल करने का मन कर रहा था,
जानती थी जवाब कुछ न कुछ तो अवश्य होंगे।
लेकिन इन सवाल जवाब में रिश्तों की परतें दर परतें उखड़ जाएगी,
और जो नग्नता सामने आएगी उसके बाद रिश्ते ढोने मुश्किल हो जाएंगे।
सामने तस्वीर में से झांकती दो जोड़ी आंखें जिव्हा पर ताला डाल रहीं थीं।
अगले दिन अमित के हस्पताल जाने के बाद जब नाश्ता लेकर निशा बाबूजी के पास पहुंची तो वे समान बांधे बैठें थे।
उदासी भरे स्वर में बोले,” मेरे कारण अपनी गृहस्थी मत ख़राब कर बेटा ।
पता नहीं कितने दिन है मेरे पास कितने नहीं।
मैंने इस वृद्धाश्रम में बात कर ली है जितने पैसे मेरे पास है, उसमें मुझे वे लोग रखने को तैयार है।
ये ले पता तू मुझे वहां छोड़ आ , और निश्चित होकर अपनी गृहस्थी सम्भाल।”
निशा समझ गई बाबूजी की देह कमजोर हो गई है दिमाग नहीं।
दमाद काम पर जाने से पहले मिलने भी नहीं आया साफ़ बात है ससुर का आना उसे अच्छा नहीं लगा।
क्या सफाई देती चुप चाप टैक्सी बुलाकर उनके दिए पते पर उन्हें छोड़ने चल दी।
नजरें नहीं मिला पा रही थी,न कुछ बोलते बन रहा था।
बाबूजी ने ही उसका हाथ दबाते हुए कहा,” परेशान मत हो बेटा , परिस्थितियों पर कब हमारा बस चलता है। मैं यहां अपने हम उम्र लोगों के बीच खुश रहूंगा।”
तीन दिन हो गए थे बाबूजी को वृद्धाश्रम छोड़कर आए हुए।
निशा का न किसी से बोलने का मन कर रहा था न कुछ खाने का।
फोन करके पूछने की भी हिम्मत नहीं हो रही थी वे कैसे हैं? इतनी ग्लानि हो रही थी कि किस मुंह से पूछे।
वृद्धाश्रम से ही फोन आ गया कि बाबूजी अब इस दुनिया में नहीं रहे।
दस बजे थे बच्चे पिकनिक पर गए थे आठ नौ बजे तक आएंगे,
अमित तो आतें ही दस बजे तक है।
किसी की भी दिनचर्या पर कोई असर नहीं पड़ेगा,
किसी को सूचना भी क्या देना। विवेक आफिस चला गया होगा बेकार छुट्टी लेनी पड़ेगी।
रास्ते भर अविरल अश्रु धारा बहती रही कहना मुश्किल था पिता के जाने के ग़म में,
या अपनी बेबसी पर आखिरी समय पर पिता के लिए कुछ नहीं कर पायी।
तीन दिन केवल तीन दिन अमित ने उसके पिता को मान और आश्रय दे दिया होता,
तो वह हृदय से अमित को परमेश्वर का मान लेती।
वृद्धाश्रम के सन्चालक महोदय के साथ मिलकर उसने औपचारिकताएं पूर्ण की।
वह बोल रहे थे,” इनके बहू , बेटा और दमाद भी है रिकॉर्ड के हिसाब से।
उनको भी सूचना दे देते तो अच्छा रहता।
वह कुछ सम्भल चुकी थी बोली
, नहीं इनका कोई नहीं है न बहू, न बेटा और न दामाद।
बस एक बेटी है वह भी नाम के लिए ।”
सन्चालक महोदय अपनी ही धुन में बोल रहे थे,
” परिवार वालों को सांत्वना और बाबूजी की आत्मा को शांति मिले।”
निशा सोच रही थी ‘ बाबूजी की आत्मा को शांति मिल ही गई होगी।
जाने से पहले सबसे मोह भंग हो गया था।
समझ गये होंगे कोई किसी का नहीं होता, फिर क्यों आत्मा अशान्त होगी।’
” हां, परमात्मा उसको इतनी शक्ति दें,
कि किसी तरह वह बहन और पत्नी का रिश्ता निभा सकें | “
🙏💐🙏💐🙏💐🙏💐🙏💐🙏💐🙏💐
दोस्तो, अगर आंसू आ रहे हैं, तो बह जाने दिजीये इनको,
ये आपके इंसान होने का सबूत हैं,
क्या आपको नही लग रहा हैं,
की ये तो मेरी अपनी कहानी जैसी हैं,
क्या इंसान इसिलिये बच्चे पैदा करता हैं की एक दिन ज़िन्दगी के
अंतिम पडाव पर अकेले किसी व्रद्ध आश्रम मे आखिरी सांस लूँगा,
अगर ऐसे ही बच्चे होते हैं तो खुश नसीब हैं वो लोग ज़िनके बच्चे नही हैं,
आप कह सकते हैं की साहब ये तो कहानी हैं, सच थोडे ही हैं,
तनिक रुकिये साहब,
सच्चाई इससे अलग बिल्कुल भी नही हैं,
हजारो, लाखो, मे मुट्ठी भर हैं वे खुश नसीब माँ बाप,
जिनको अपने बच्चो से इज्जत, मान, सम्मान मिलता हैं.
मैं कहना चाहूँगा नई पीढी के लोगो से,
अपने माता पिता का सम्मान करना सीखिये साहब ,
आपके बच्चे आपको देख रहे है ,
जो आज आप अपने माता पिता को दे रहे हैं ,
कल वही ब्याज सहित लौट कर आपके पास आयेगा ,
आशा हैं ,कहानी आपको पसंद आयी होगी ,
आप सभी परम स्नेही दोस्तो का हार्दिक आभार💐🙏🙏🙏
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