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शनिवार, 25 मई 2019

Govt. school V/s PRIVATE SCHOOL

Govt. school V/0 PRIVATE SCHOOL

सरकारी विद्यालयों की तुलना में निजी विद्यालयों की बहुत तारीफ सुनी है निजी विद्यालयों के अध्यापक बहुत योग्य होते हैं ऐसा लोगो का मानना है। पर बहुत सारे प्रश्न ऐसे हैं जिनका उत्तर आप स्वयं नही दे पाएंगे

1) निजी विद्यालय में कमजोर छात्रों का प्रवेश नही लेते है अगर अध्यापक योग्य है तो ऐसे छात्रों को योग्य क्यों नहींबना देते?🤷🏼‍♀

2 )निजी विद्यालयों का होम वर्क अभिभावक या होम ट्यूटर को क्यों कराना होता है अगर विद्यालय के अध्यापक योग्य है तो बच्चे को अपना होमवर्क कर लेना चाहिये।🤷🏼‍♂

3) कक्षा 9 या 10 के बाद निजी विद्यालय के छात्र प्रतियोगी परीक्षा के लिए कोचिंग क्यों करते हैं क्या 10 साल में कई लाख फीस चुकाने के बाद योग्य अध्यापक उसको प्रतियोगी परीक्षा लायक नही बना सके।👍🏼

4 )क्या कारण है कि बच्चों के asignment और प्रोजेक्ट ,बच्चों के माता पिता की मदद और गूगल की मदद से ही पूरे हो पाते हैं जबकि प्रोजेक्ट में मार्गदर्शक के रूप में योग्य अध्यापक का नाम अंकित होता है।जबकि सरकारी स्कूल के बच्चे खुद से प्रोजेक्ट पूरा कर के लाते है वहाँ पे शिक्षक इनका सहपाठी होता है।🤝🏼

5 )हकीकत यह है कि समृद्ध व्यक्ति अपने छात्रों को विद्यालय से अधिक घर पर पढ़ाता है और अच्छे रिजल्ट का श्रेय विद्यालय लेते है।✋🏽

इसी कारण से ये विद्यालय गरीबों के कमजोर बच्चों को अपने यहां नही रखते है क्योंकि उनकी ट्यूशन प्रोजेक्ट और होमवर्क उनके माता पिता नही करा पाएंगे और बच्चे फेल हो जायेगे इससे स्कूल की रेपुटेशन खराब होगी। 🤪😝😜

अगर निजी स्कुल वास्तव में योग्य है तो उस छात्र को पढ़ाये जिसके पास कॉपी खरीदने को पैसे नही है जिसको वर्ष में 2 महीने अपने पिता के साथ मजदूरी करना जरूरी है अन्यथा भूख प्राण ले सकती है और अगर निजी स्कुल उसको पढ़ाकर बिना कोचिंग डॉक्टर या इंजीनियर बना देंगे तो हम मान लेंगे कि निजी  विद्यालय ही सबसे योग्य है

अतः आप सरकारी अध्यापक हैं तो गर्व करें और यदि नहीं है तो सरकारी अध्यापक का उचित सम्मान करें‌ |

निजी school से मोह हटाओ और अपने लाडलो को गुणवत्ता युक्त education दिलाओ

सरकारी स्कूलों में प्रवेश उत्सव मनाया जा रहा है आप अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें, और राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दें
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थाइराइड का अचूक उपचार

थाइराइड का अचूक उपचार🌻

आज के समय में ज़्यादातर लोगों को थाइराइड की समस्या है, इसके कारण सैकड़ों बीमारियां घेर लेती है।
मोटापा इसी के कारण बढ़ जाता है।
लोग दवा खाते रहते हैं लेकिन ये ठीक नही होता।
इसलिए दवा के साथ कुछ नियम जान लें 10 दिन में थाइराइड से आराम मिल जायेगा।

✍1: घर से रिफाइंड तेल बिलकुल हटा दीजिये, न सोयाबीन न सूरजमुखी, भोजन के लिए सरसों का तेल, तिल का तेल या देशी घी का प्रयोग करें।

✍2: आयोडीन नमक के नाम से बिकने वाला ज़हर बंद करके सेंधा नमक का प्रयोग करें, समुद्री नमक BP, थाइराइड, त्वचा रोग और हार्ट के रोगों को जन्म देता है।

✍3: दाल बनाते समय सीधे कुकर में दाल डाल कर सीटी न लगाएं, पहले उसे खुला रखें, जब एक उबाल आ जाये तब दाल से फेना जैसा निकलेगा, उसे किसी चमचे से निकाल कर फेंक दें, फिर सीटी लगा कर दाल पकाएं।

इन तीन उपायों को अगर अपना लिया तो पहले तो किसी को थाइराइड होगा नही और अगर पहले से है तो दवा खा कर 10 दिन में ठीक हो जायेगा।

यह प्रचण्ड चमत्कार कैसे हो गया...?


खंडित छत्र,
भग्न रथ,
अपने ही रक्त-स्वेद में सने धरती पर लोटते हुए महारथी,
श्लथ-क्लांत कराहते हुए असंख्य पदातिक,
दुम दबा कर भागती शत्रु सेना,
लहराती विजय पताकाएँ,
दमादम गूंजते हुए नगाड़े,
बजती हुई विजय दुंदुभी,
पाञ्चजन्य का गौरव-घोष...
यह बहुत आश्वस्ति देने वाला परिदृश्य है
यह प्रचण्ड चमत्कार कैसे हो गया...?
ढेर सारे विशेषज्ञ,विद्वान इस परम गौरवशाली विजय का विश्लेषण करेंगे तरह तरह से इसे विकास की जीत बताएँगे अतः इस प्रचण्ड विजय का सत्य बताना,समाज तक पहुंचना आवश्यक है आख़िर yadavo ne  बसपा को क्यों ठुकरा दिया...?

यादवों ने चारा खाने में जेल की सज़ा भुगतते बवासीर-पीड़ित लालू के राष्ट्रीय जनता दल, समाजवादी पार्टी को क्यों दुत्कार दिया...?
बौद्ध,जैन,सनातनी,सिक्ख,आर्यसमाजी यानी धर्म के हाथ की सदैव से खुलीं पाँचों उँगलियाँ सिमट कर मुक्का कैसे बन गयीं...?
बाल्मीक,क्षत्रिय,जाटव,ब्राह्मण,जाट,यादव, वैश्य,कुर्मी,कहार...हर वर्ग ने कांग्रेस,TMC, वामपंथ आदि को धार मार कर क्यों बहा दिया...?
अपने बूते भाजपा ३०० कैसे हो गयी...?
प्रसून का मुरझाना,सागरिका का कीचड़ ठहरना,राजदीप का जुगनू भर भी न बचना, बरखा का रेगिस्तान बनना,प्रणय का स्थायी वियोगी होना,रवीश का कालिख निकलना यानी स्वयं को मुख्य धारा के तीसमार ख़ाँ मानने वालों को राष्ट्र ने मुँह दिखाने के लायक़ भी क्यों नहीं छोड़ा...?
बँगाल में अपने नाम से बिलकुल उलट क्रूर ममता और उनके साथियों की भरपूर गुंडागर्दी के बाद भी कमल कैसे खिल उठा, क्या वहाँ विकास मुद्दा था...?
भोपाल से दिग्विजय सिंह की साढ़े तीन लाख से अधिक की पराजय कैसे हो गयी...?
कल तक आत्मा तक को तोड़ देने वाली मार से आहत,बिलख-बिलख कर रोने वाली शस्त्रहीन पदातिक ने महारथी का कवच फाड़ कर उसकी राजनैतिक मृत्यु कैसे निश्चित कर दी...?
साध्वी प्रज्ञा ने चुनाव प्रचार में नथुराम गोडसे को देशभक्त कहा तुरंत प्रेस टूट पड़ा भाजपा तक दबाव में आ गयी मगर यह अप्रतिम विजय बता रही है कि भोपाल के समाज के मन में क्या था आख़िर प्रत्येक वर्ग,प्रत्येक समाज का व्यक्ति झुलसाने वाली गर्मी में वोट डालने क्यों निकल पड़ा...?
इसका वास्तविक कारण केवल और केवल राष्ट्र के मूल स्वरुप की चिंता है नरेंद्र दामोदर दास मोदी नाम के तेजस्वी व्यक्ति का नेतृत्व राष्ट्र-रक्षा करेगा,का अखण्ड विश्वास है चुनाव से कुछ पूर्व बालाकोट में सैन्य आक्रमण के प्रमाण माँगने वालों को यह समझ ही नहीं आया कि राष्ट्र के लिये मुद्दा यह नहीं है कि बालाकोट में सेना का पराक्रम कितना कारगर है बल्कि मुद्दा है कि सेना शत्रु के पीछे उसके घर में घुस गयी राष्ट्र तक जो संदेश पहुँचा वह था कि मोदी मर्द है और भारत वीरपूजा करने वालों का राष्ट्र है...!
एक समय था कि देश के भाजपा छोड़ कर अन्य राजनैतिक दलों में इफ़्तार पार्टी देने की होड़ लगी रहती थी तलुआ-चाट प्रधानमंत्री ने बयान दिया था राष्ट्र के संस्थानों पर पहला हक़ मुसलमानों का है हम सो सीटें मुसलमान को दे रहे हैं,हम डेढ़ सौ सीटें अल्पसंख्यकों को दे रहे हैं जैसी बातें सामान्य थीं आपको ध्यान होगा कि कुछ वर्ष पूर्व इन कमीनों ने मुस्लिम वोट एकत्र करने के लिए केरल में गौ हत्या की थी क्या इस चुनाव में किसी को ऐसी बेहूदगी का ध्यान है किसी दल के नेता ने चुनाव में जालीदार हैलमेट पहना...?
कोई नेता दोनों हाथ उठाये दुआ की नौटंकी करता दिखाई पड़ा...?
कोई राजनेता किसी इमाम,देवबंदी आलिम, क़ब्र के रखवाले के पास जाता दिखाई दिया...?
बल्कि पारसी दादा,ईसाई माँ,अज्ञात मज़हब को मानने वाले पिता के बेटे को हम सब ने विभिन्न मंदिरों की ड्योढ़ी पर माथा घिसते देखा यह बदलाव स्वयं तो आ नहीं सकता तो यह हुआ कैसे...?
मित्रो...!
इस चमत्कार का श्रेय राष्ट्र के बदले नैरेटिव को है १९४७ से ही भारत की मुख्य धारा का नैरेटिव गाँधी,नेहरू के दबाव में धर्मविरोधी बल्कि धर्मद्रोही था अकेला,खिन्न,क्लाँत हिंदू अंदर ही अंदर असहाय अनुभव करता था मगर उसके पास अपनी पीड़ा को मुखर करने का कोई माध्यम नहीं था समाचारपत्र उनके इशारों पर चलते थे रेडियो,टी.वी. उनकी ढपली बजाते थे राष्ट्र अपने कष्ट कहे तो कैसे कहे...?
अचानक सोशल मीडिया का प्रादुर्भाव हुआ और पीड़ा को वाणी मिल गयी समाचारपत्र, रेडियो,टी.वी.के समानांतर लाखों छोटे-छोटे केंद्र खड़े हो गए ऐसे केंद्र जिन्हें विज्ञापन न मिलने की चिंता नहीं थी ऐसे रेडियों-टीवी जिन्हें मालिक द्वारा नौकरी से निकले जाने का डर नहीं था इस के कारण वैचारिक क्रांति लहलहा उठी...!
इसी वैचरिक क्रांति के परिणाम से उपजे प्रखर,तेजस्वी,मुखर समाज को २०१४ में विकल्प दिखाई पड़ा और वो ख़ासी तादाद में इकट्ठा हो गया २०१४ से १९ तक के पांच वर्षों में इसने भाजपा ही नहीं बल्कि कांग्रेस, सपा,बसपा,TMC आदि की परफॉर्मेंस देखी परिणाम यह हुआ कि वो भाजपा पर मुग्ध हो गया उसी मुग्धता का परिणाम खंडित छत्र, भग्न रथ,अपने ही रक्त-स्वेद में सने धरती पर लोटते हुए महारथी,श्लथ-क्लांत कराहते हुए असंख्य पदातिक, दुम दबा कर भागती शत्रु सेना, लहराती विजय पताकाएँ, दमादम गूंजते हुए नगाड़े, बजती हुई विजय दुंदुभी, पाञ्चजन्य का गौरव-घोष है...!!!

गजनी वास्तव में राजपूतो के हाथ से निकल गया

#गजनी !

गजनी वह स्थान है, जहां से कभी राजपूत पूरे विश्व का नेतृत्व किया करते थे । गजनी खुरासान से ही ईरान से लेकर यूरोप तक का मार्ग प्रशस्त होता है । अतः चारो दिशाओ का नेतृत्व वहीं से किया जा सकता है ।

लगभग 3000 साल पहले कृष्ण के वंशज यदुवंशी राजपूतो ने यहां से लगभग पूरे विश्व को अपने नियंत्रण में ले लिया था । वहां से इनका शाशन यमुना उर्फ दिल्ली तक आता था ।

इसका उदारहण आपके समक्ष प्रस्तुत करता हूँ, जडेजा राजपूत जो खुद को कृष्ण का वंशज मानते है । कृष्ण के श्यामल वर्ण के होने के कारण यह लोग खुद को सामपुत्र भी कहते है । इन्ही जडेजा लोगो का शाशन सीरिया तक था । सीरिया आज के जितना छोटा नही था । इसका क्षेत्रफल बहुत विशाल हुआ करता था । जिसके लगभग आधा अरब और यूरोप समा जाता है । सीरिया के पुराना नाम " साम " ही है । इसका प्रत्यक्ष प्रमाण मुसलमानो की " गजवा- ऐ - साम " की हदीस है । गजवा भी हिन्दू नाम है, ओर साम तो सामपुत्रो का नाम ही है । अर्थात कृष्ण के पुत्रों के विरुद्ध जिहाद ।

इस क्षेत्र पर सबसे पहले शाशन यदुभान ने आकर स्थापित किया , जिसका विवरण पुराणों में भी मिलता है। उस समय असीरिया में ग्रहयुद्ध चल रहा था, जहां यदुभान नाम के साधारण से राजपूत ने अपनी समझ बुझ से शांति की स्थापना की ओर लोगो ने उन्हें वहां का राजा घोषित कर दिया ।

उसके बाद उनके पुत्र नाभ वहां गद्दी पर बेठे । जिसने मालवा के विजयसिंहः की पुत्री से विवाह किया था । उनके पुत्र बाहुबल हुए, जिनकी घोड़े से गिरने के कारण अकस्मात मृत्यु हो गयी । नाभ के बाद सुभाहु गद्दी पर बैठे । यहां तक शांति ही शांति थी । सुबाहु के बाद उनके पुत्र " रिज " गद्दी पर बैठे । #ध्यान_रहे - यह सारा शाशन अफगानिस्तान से अरब की ओर शाशन कर रहा है । आज भी मुसलमानो ने रिजवान नाम बड़ी श्रद्धा से रखा जाता है, रिज एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ सूर्य के समान महान उदय है । उसी रिज से अंग्रेजो का राइजिंग बना है, जिसका अर्थ भी उदय ही है । और जैसे हम हिन्दू गुणवान, धनवान आदि लगाते है, मुसलमान रिजवान लगाने लगे । अतः रिजवान नाम हिन्दुओ का ही है ।

रिज का विवाह मालवा की राजकुमारी सौभाग्य देवी से हुआ । सौभाग्य देवी जब गर्भवती थी, तो उन्हें स्वपन आया कि उन्होंने एक हांथी को जन्म दिया है । जब ज्योतिषी से इस स्वप्न का तातपर्य पूछा तो उन्होंने कहा, की तुम हाथी के समान एक अत्यंत बलशाली ओर प्रतापी पुत्र को जन्म देने वाली हो । इसी आधार पर उनका नाम "गज " रखा गया । उन्ही के नाम से गजनी नाम भी पड़ा ।

गज के शाशन काल मे ही मुसलमानो की मल्लेछ सेना ने गजनी पर आक्रमण की शुरुवात कर दी थी । चार लाख की सेना के साथ  फरीदशाह ने गजनी पर आक्रमण किया । यह सब अरबी भेड़ें थी ।  भारत की जनता इस आक्रमण की खबर से घबराकर चारो ओर भाग रही थी । लेकिन महाराज गज ने अपनी सेना एकत्र कर सामने से जाकर मल्लेछो पर धावा बोला,  मुसलमानो के 3 लाख सैनिक युद्ध मे मारे गए, ओर हिन्दू राजपूत की तरफ से मारे गए सैनिको की संख्या मात्र 4000 थी ।

इस युद्ध के बाद ही महाराज गज ने अपनी प्रजा को सुरक्षित रखने के लिए एक विशाल दुर्ग का निर्माण करवाया । जिसका नाम " गजनी " रखा गया । इस दुर्ग के निर्माण होते होते ही मल्लेछो ने एक बार फिर आक्रमण कर दिया । यह बड़ा भयंकर युद्ध था । तलवारों ओर घोड़े की तापो के अलावा कुछ सुनाई न पड़ता था । राजपूतो की तलवारों से पल भर में सैंकड़ो सिर भूमि पर गिर रहे थे । इस युद्ध मे सेनापति खुरासान सहित ढाई लाख मुसलमान मारे गए । सात हजार राजपूतो ने वीरगति प्राप्त की ।

राजा गज के बाद साहिलवान वहां की गद्दी पर बैठे । राजा गज जब अपने वर्णाश्रम में तपस्या में लीन थे, तो उनके कुलदेवी की आकाशवाणी हुई, की गजनी  अब तुम लोगो के शाशन से बाहर होने वाला है, आने वाले हजारो वर्षो तक यहां मल्लेछो का शाषन रहेगा ।

किन्तु एक समय ऐसा आएगा ..... तुम्हारे ही वंशज यहां आकर फिर से अपना शाशन स्थापित करेंगे .... ओर पूरे विश्व का नेतृत्व करेंगे ।

गजनी वास्तव में राजपूतो के हाथ से निकल गया ..... लेकिन दूसरी भविष्यवाणी अभी पूरी होनी शेष है ......

गुरुवार, 23 मई 2019

जीत के बाद सरकार को जल्द ही उठाने होंगे यह कदम

यह वास्तव में बड़े हर्ष व उत्सव का अवसर है,परंतु हमें इतने पर ही खुश होकर नहीं बैठ जाना है। यह स्थायी समाधान कतई नहीं है और न माना जाना चाहिए,बल्कि मोदी सरकार और हमें इस स्थिति को अधिक मजबूत करने के लिए निरंतर अधिक कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी। इसके अन्तर्गत कुछ स्थायी और कुछ तत्कालिक सख्त निर्णय लेने पड़ेंगे व कदम मनोयोग से इस प्रकार उठाने पड़ेंगे:-
*भाजपा घोषणापत्र के अनुसार:*
(1) समान आचार संहिता (Common Civil Code) लागू करके धर्म-जाति के आधार पर बने सारे कानून-व्यवस्थाएं जैसेकि आरक्षण,हिन्दू कोड बिल,मुस्लिम पर्सनल लॉ आदि को खत्म करना।
(2) देशद्रोह कानून को सख्त बनाना।
(3) धारा-370 व अनुच्छेद-35ए को समाप्त कर कश्मीर समस्या को खत्म करना।
जनता के सुख-शान्ति-सुकून के लिए बरसों पुरानी ज्वलंत मांगों/आकांक्षाओं को पूरा करना:-
(1) आयकर व अन्य सभी प्रत्यक्ष करों को भी GST में समाहित कर जनता को अनावश्यक हिसाब-किताब रखने/कर-चोरी के अभिशाप व छापों/कालाधन की समस्या से मुक्ति दिलाना।
(2) किसानों को स्वतंत्र आयोग के माध्यम से अपनी उपज की कीमत तय करने का अधिकार देकर और मंडियों में आढ़तीयों के वर्चस्व को खत्म किसानों की समस्याओं का स्थायी समाधान करना।
(3) देश पर नागा व अन्य साधु-संतों एवं भिखारियों के बढते बोझ और इनका नाजायज फायदा उठाने को पनपते माफिया पर अंकुश लगाने के लिए नियामक आयोग बनाना।
(4) शिक्षा,चिकित्सा-स्वास्थ्य(एलोपेथी रहित),खाद्य,जल,स्वच्छता-प्रदूषण,विद्युत,आय से अधिक संपति बनाने वालों पर निगरानी आदि जनता से सीधे जुड़ी सेवाओं के बेहतर संचालन-नियन्त्रण हेतु बड़ी संख्या में शक्तिशाली नियामक आयोग/एजेंसियां बनाना।
(5) सेना,सशस्त्र बलों,CBI,लोकपाल आदि को अधिक सशक्त व अधिकार-सम्पन्न बनाना।
(6) सबसे महत्त्वपूर्ण--समस्त चुनावों को ऑनलाईन करना,इसके लिये प्रत्याशी व मतदाता की न्यूनतम शिक्षा एवं अधिकतम आयु तय कर वोटर को ATM.PIN जैसी Unique ID दी जावे,जिससे देश-विदेश में कहीं भी बैठे 100% वोटर तय समय में वोट डाल पाएंगे और समय खत्म होते ही सॉफ़्टवेयर से परिणाम तैयार मिलेगा। इससे देश की विशाल धनराशि,समय,शक्ति,उर्जा,कागज आदि की बचत होगी। आदर्श आचार संहिता(MCC) लगाने की भी आवश्कता नहीं होगी तो विकास कार्य ठप्प नहीं होंगे एवं EVM,VVPAT आदि पर खर्च होने वाले अरबों रुपये बचेंगे।
(7) इन 5 वर्षों में अयोध्या में राम मंदिर व सरयू पार मस्जिद बन जाए।
(8) विदेशी आक्रामकों/मुगलों द्वारा बदले गए शहरों/गांवों व अन्य स्थानों का पुन: मूल नामकरण करना।
(9) सभी धर्मस्थलों व उनके खजानों(लगभग 5 लाख करोड़ व वार्षिक आय लगभग 18 लाख करोड़) का अधिग्रहण कर,नियामक आयोग बनाकर इनको सामाजिक रुप से उपयोगी(विशेषतः योग-ध्यान,शिक्षा,स्वास्थ्य हेतु) बनाना व खजाने का विकास में खर्च करना।
(10) सोने और शत्रु देशों से आयात पर कई गुना ड्यूटी द्वारा अंकुश और नशीले पदार्थों की आमद पर कड़ा प्रतिबंध व निगरानी रखना।
(11) प्रत्येक नागरिक(अमीर से भिखारी तक) का पूरा विवरण रखना।
(12) जन्म-मृत्यु-विवाह पंजीकरण को अनिवार्य व प्रभावी बनाना।
(13) जनसंख्या नियन्त्रण (धर्म-जाति  की परवाह किये बिना) हेतु प्रभावी कार्यक्रम लागू करना।
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congratulations modi ji

 विश्व के सबसे ताकतवर एवं लोकप्रिय नेता श्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी जी को अखंड भारत में प्रचंड बहुमत से उन्हें प्रधानमंत्री बनकर देश का मान बढ़ाने पर सांवरिया और उनकी पूरी टीम द्वारा एवं समस्त देशवासियों की ओर से हार्दिक अभिनंदन एवं तहे दिल से बधाइयां

मंगलवार, 21 मई 2019

घर से कबाड़ और कचरे को हटाकर वास्तु देव की कृपा को बढ़ाएं

"घर से कबाड़ और कचरे को  हटाकर वास्तु देव की कृपा को बढ़ाएं"

✅वास्तु शास्त्र के अनुसार कचरे कबाड़ रखने के लिए नेऋत्य कोण [दक्षिण -पश्चिम] को सबसे उपयुक्त माना गया है ।

✅सर्वप्रथम वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में कचरे कबाड़ होना ही नही चाहिए ,

✅अगर है तो घर के सारे सदस्य छुट्टी के दिन बैठकर अलग अलग कर लें ।

✅कुछ सामान को जरूरतमंद को दे दें क्योंकि आप यह निश्चित मानिये ये आपके कुछ भी काम का नही है ,

✅ये जीवन भर कुछ भी काम नही आने वाला । कुछ सामान को कबाड़ी के पास बेच दें इससे आपको कुछ पैसे मिल जायेंगे

✅ देखिये आपने कबाड़ निकाला नही कि लक्ष्मी कि कृपा शुरू हो गयी ।

✅जरूरत मंद को आपने जैसे ही सामान दिया नही कि वो लोग आपको दुवा देना शुरू कर देंगे ---

✅यह भी समृद्धि कि शुरुवात है ---निर्मल बाबा के अनुसार आपकी कृपा वँही रुकी हुयी थी ----कबाड़ हटाते ही कृपा शुरू हो गई।

✅नेऋत्य कोण वैवाहिक जीवन का कोण है अगर पति-पत्नी के सम्बन्धों में कोई अवरोध या कडुवाहट है तो इस कोण में स्थित कबाड़ को तुरंत घर से बाहर का रास्ता दिखाएँ ।

✅इसी कोण से बच्चों का विवाह देखा जाता है अगर बच्चों के विवाह में कोई बाधा उत्पन्न हो रहा है तो इस कोण के कबाड़ हो तुरंत हटा दें ।

✅पति-पत्नी के बीच अगर तलाक के केस कोर्ट में चल रहे हैं और कोई भी एक पक्ष पुन: मिलने को इच्छुक है तो इस कोण में स्थित कचरे कबाड़ की तुरंत बिदाई की तैयारी करें ।

✅राजनीती के क्षेत्र में काम करने वालो के लिए ---इसी कोण से मतदाताओं के साथ सम्बन्ध देखा जाता है -----

✅राजनेता भूलकर भी इस कोण में कबाड़ न रखें ----राजनेताओं के लिए नेऋत्य कोण अत्यंत महत्व पूर्ण है क्योंकि इसी कोण से पार्टी आलाकमान से सम्बन्ध भी देखा जाता है ,

✅और बगैर आलाकमान से अच्छे सम्बन्ध बनाये आपको पार्टी की टिकिट ,मंत्री पद ,राज्यसभा ,राजभोग मिलने से रहा

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शुक्रवार, 19 अप्रैल 2019

हनुमान_जन्मोत्सव

#बजरंगबलि_हनुमान_का_जन्मदिन_हनुमान_जन्मोत्सव_के_रूप_में_मनाया_जाता_है।

जो इस बार 19 अप्रैल 2019 को दिन शुक्रवार को आ रहा है इस बार चैत्रपूर्णिमा 18 अप्रैल को शाम 6:42 से लग रही है जो 19 अप्रैल को 4:51 बजे तक रहेगी
शास्त्रानुसार, हनुमान जी को श्रीराम का परम भक्त माना जाता है और इसे जुड़ी कई कथाएं भी हैं।

वैसे बजरंगबली के भक्तों में हनुमान जन्मोत्सव पर बहुत ही अधिक उत्साह रहता है और इस दिन उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए वे विशेषरूप से मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना करते हैं।

हनुमान जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर नित्य कर्मों से निवृत्त होकर साफ वस्त्र पहनें। किसी शांत एवं एकांत कमरे में पूर्व दिशा की ओर मुख करके लाल आसन पर बैठें। स्वयं लाल या पीली धोती पहनें। अपने सामने चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर हनुमानजी की मूर्ति स्थापित करें। चित्र के सामने तांबे की प्लेट में लाल रंग के फूल का आसन देकर श्रीहनुमान यंत्र को स्थापित करें। यंत्र पर सिंदूर से टीका करें और लाल फूल चढ़ाएं। मूर्ति तथा यंत्र पर सिंदूर लगाने के बाद धूप, दीप, चावल, फूल व प्रसाद आदि से पूजन करें।
सरसों या तिल के तेल का दीपक एवं धूप जलाएं-

धर्म ग्रंथों में हनुमानजी के 12 नाम बताए गए हैं, जिनके द्वारा इस दिन उनकी स्तुति की जाती है।

हनुमानजी के इन 12 नामों का जो रात में सोने से पहले व सुबह उठने पर अथवा यात्रा प्रारंभ करने से पहले पाठ करता है, उसके सभी भय दूर हो जाते हैं और उसे अपने जीवन में सभी सुख प्राप्त होते हैं।
वह अपने जीवन में अनेक उपलब्धियां प्राप्त करता है।
हनुमानजी की 12 नामों वाली स्तुति इस प्रकार है-

#स्तुति

हनुमानअंजनीसूनुर्वायुपुत्रो महाबल:। रामेष्ट: फाल्गुनसख: पिंगाक्षोअमितविक्रम:।।
उदधिक्रमणश्चेव सीताशोकविनाशन:। लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा।।
एवं द्वादश नामानि कपीन्द्रस्य महात्मन:। स्वापकाले प्रबोधे च यात्राकाले च य: पठेत्।।
तस्य सर्वभयं नास्ति रणे च विजयी भवेत्। राजद्वारे गह्वरे च भयं नास्ति कदाचन।।

इन 12 नामो से होती है हनुमानजी की स्तुति, जानिए इनकी महिमा

1- #हनुमान
हनुमानजी का यह नाम इसलिए पड़ा क्योकी एक बार क्रोधित होकर देवराज इंद्र ने इनके ऊपर अपने वज्र प्रहार किया था यह वज्र सीधे इनकी ठोड़ी (हनु) पर लगा। हनु पर वज्र का प्रहार होने के कारण ही इनका नाम हनुमान पड़ा ।

2- #लक्ष्मणप्राणदाता
जब रावण के पुत्र इंद्रजीत ने शक्ति का उपयोग कर लक्ष्मण को बेहोश कर दिया था, तब हनुमानजी संजीवनी बूटी लेकर आए थे। उसी बूटी के प्रभाव से लक्ष्मण को होश आया था।इस लिए हनुमानजी को लक्ष्मणप्राणदाता भी कहा जाता है ।

3- #दशग्रीवदर्पहा
दशग्रीव यानी रावण और दर्पहा यानी धमंड तोड़ने वाला । हनुमानजी ने लंका जाकर सीता माता का पता लगाया, रावण के पुत्र अक्षयकुमार का वध किया साथ ही लंका में आग भी लगा दी ।इस प्रकार हनुमानजी ने कई बार रावण का धमंड तोड़ा था । इसलिए इनका एक नाम ये भी प्रसिद्ध है ।

4- #रामेष्ट
हनुमान भगवान श्रीराम के परम भक्त हैं । धर्म ग्रंथों में अनेक स्थानों पर वर्णन मिलता है कि श्रीराम ने हनुमान को अपना प्रिय माना है । भगवान श्रीराम को प्रिय होने के कारण ही इनका एक नाम रामेष्ट भी है ।

5- #फाल्गुनसुख
महाभारत के अनुसार, पांडु पुत्र अर्जुन का एक नाम फाल्गुन भी है । युद्ध के समय हनुमानजी अर्जुन के रथ की ध्वजा पर विराजित थे । इस प्रकार उन्होंने अर्जुन की सहायता की । सहायता करने के कारण ही उन्हें अर्जुन का मित्र कहा गया है । फाल्गुन सुख का अर्थ है अर्जुन का मित्र ।

6- #पिंगाक्ष
पिंगाक्ष का अर्थ है भूरी आंखों वाला ।अनेक धर्म ग्रंथों में हनुमानजी का वर्णन किया गया है । उसमें हनुमानजी को भूरी आंखों वाला बताया है । इसलिए इनका एक नाम पिंगाक्ष भी है ।

7- #अमितविक्रम
विक्रम का अर्थ है पराक्रमी और अमित का अर्थ है बहुत अधिक । हनुमानजी ने अपने पराक्रम के बल पर ऐसे बहुत से कार्य किए, जिन्हें करना देवताओं के लिए भी कठिन था । इसलिए इन्हें अमितविक्रम भी कहा जाता हैं ।

8- उदधिक्रमण
उदधिक्रमण का अर्थ है समुद्र का अतिक्रमण करने वाले यानी लांधने वाला । सीता माता की खोज करते समय हनुमानजी ने समुद्र को लांधा था। इसलिए इनका एक नाम ये भी है ।

9- #अंजनीसूनु
माता अंजनी के पुत्र होने के कारण ही हनुमानजी का एक नाम अंजनीसूनु भी प्रसिद्ध है ।

10- #वायुपुत्र
हनुमानजी का एक नाम वायुपुत्र भी है । पवनदेव के पुत्र होने के कारण ही इन्हें वायुपुत्र भी कहा जाता है ।

11- #महाबली
हनुमानजी के बल की कोई सीमा नहीं हैं । इसलिए इनका एक नाम महाबली भी है ।

12- #सीताशोकविनाशन
माता सीता के शोक का निवारण करने के कारण हनुमानजी का ये नाम पड़ा ।

गुरुवार, 18 अप्रैल 2019

फोड़ा घणा घाले


 *'फोड़ा घणा घाले'*

थोथी हथाई,
पाप री कमाई,
उळझोड़ो सूत,
माथे चढ़ायोड़ो पूत.... *फोड़ा घणा घाले।*

झूठी शान,
अधुरो ज्ञान,
घर मे कांश,
मिरच्यां री धांस.... *फोड़ा घणा घाले।*

बिगड़ोडो ऊंट,
भीज्योड़ो ठूंठ,
हिडकियो कुत्तो,
पग मे काठो जुत्तो.... *फोड़ा घणा घाले।*

दारू री लत,
टपकती छत,
उँधाले री रात,
बिना रुत री बरसात.... *फोड़ा घणा घाले।*

कुलखणी लुगाई,
रुळपट जँवाई,
चरित्र माथे दाग,
चिणपणियो सुहाग.... *फोड़ा घणा घाले।*

चेहरे पर दाद,
जीभ रो स्वाद,
दम री बीमारी,
दो नावाँ री सवारी.... *फोड़ा घणा घाले।*

अणजाण्यो संबन्ध,
मुँह री दुर्गन्ध,
पुराणों जुकाम,
पैसा वाळा ने 'नाम'.... *फोड़ा घणा घाले।*

घटिया पाड़ोस,
बात बात में जोश,
कु ठोड़ दुखणियो,
जबान सुं फुरणियो.... *फोड़ा घणा घाले।*

ओछी सोच,
पग री मोच,
कोढ़ मे खाज,
मूरखां रो राज.... *फोड़ा घणा घाले।*

कम पूंजी रो व्यापार,
घणी देयोड़ी उधार,
बिना विचार्यो काम .... *फोड़ा घणा घाले !*

*फोड़ा उ पार पावन वास्त खान-पान और संगत सात्विक राखणी पड़ ह*

*सही नही (खानपान और संगत ) राख्या हु टाबर पप्पू जियांका हु जाएं*

*कांग्रस न दियोडो वोट भी घणो फोड़ा का साथ टाबरां को भविष्य ख़राब  करहै*

*ओ बेमौसम पानी जो आवे है कीचड़ कर लो औरउ कमल ही कमल खिलासी*

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बुधवार, 17 अप्रैल 2019

रोगानुसार गाय के घी के उपयोग

*रोगानुसार गाय के घी के उपयोग* :
१. गाय का घी नाक में डालने से पागलपन दूर होता है ।
२. गाय का घी नाक में डालने से एलर्जी खत्म हो जाती है
३. गाय का घी नाक में डालने से लकवा का रोग में भी उपचार होता है ।
४. 20-25 ग्राम गाय का घी व मिश्री खिलाने से शराब, भांग व गांजे का नशा कम हो जाता है ।
५. गाय का घी नाक में डालने से कान का पर्दा बिना ओपरेशन के ही ठीक हो जाता है ।
६. नाक में घी डालने से नाक की खुश्की दूर होती है और दिमाग तरोताजा हो जाता है ।
७. गाय का घी नाक में डालने से कोमा से बाहर निकल कर चेतना वापस लोट आती है
८. गाय का घी नाक में डालने से बाल झडना समाप्त होकर नए बाल भी आने लगते है ।
९. गाय के घी को नाक में डालने से मानसिक शांति मिलती है, याददाश्त तेज होती है ।
१०. हाथ-पॉँव मे जलन होने पर गाय के घी को तलवो में मालिश करें जलन ठीक होता है ।
११. हिचकी के न रुकने पर खाली गाय का आधा चम्मच घी खाए, हिचकी स्वयं रुक जाएगी ।
१२. गाय के घी का नियमित सेवन करने से एसिडिटी व कब्ज की शिकायत कम हो जाती है ।
१३. गाय के घी से बल और वीर्य बढ़ता है और शारीरिक व मानसिक ताकत में भी इजाफा होता है ।
१४. गाय के पुराने घी से बच्चों को छाती और पीठ पर मालिश करने से कफ की शिकायत दूर हो जाती है ।
१५. अगर अधिक कमजोरी लगे, तो एक गिलास दूध में एक चम्मच गाय का घी और मिश्री डालकर पी लें ।
१६. हथेली और पांव के तलवो में जलन होने पर गाय के घी की मालिश करने से जलन में आराम आयेगा ।
१७. गाय का घी न सिर्फ कैंसर को पैदा होने से रोकता है और इस बीमारी के फैलने को भी आश्चर्यजनक ढंग से रोकता है ।
१८. जिस व्यक्ति को हार्ट अटैक की तकलीफ है और चिकनाई खाने की मनाही है तो गाय का घी खाएं, इससे ह्रदय मज़बूत होता है ।
१९. देसी गाय के घी में कैंसर से लड़ने की अचूक क्षमता होती है। इसके सेवन से स्तन तथा आंत के खतरनाक कैंसर से बचा जा सकता है ।
२०. गाय का घी, छिलका सहित पिसा हुआ काला चना और पिसी शक्कर या बूरा या देसी खाण्ड, तीनों को समान मात्रा में मिलाकर लड्डू बाँध लें । प्रतिदिन प्रातः खाली पेट एक लड्डू खूब चबा-चबाकर खाते हुए एक गिलास मीठा गुनगुना दूध घूँट-घूँट करके पीने से स्त्रियों के प्रदर रोग में आराम होता है, पुरुषों का शरीर मोटा ताजा यानी सुडौल और बलवान बनता है ।
२१. फफोलों पर गाय का देसी घी लगाने से आराम मिलता है ।
२२. गाय के घी की छाती पर मालिश करने से बच्चो के बलगम को बहार निकालने मे सहायता मिलती है ।
२३. सांप के काटने पर 100 -150 ग्राम गाय का घी पिलायें, उपर से जितना गुनगुना पानी पिला सके पिलायें, जिससे उलटी और दस्त तो लगेंगे ही लेकिन सांप का विष भी कम हो जायेगा ।
२४. दो बूंद देसी गाय का घी नाक में सुबह शाम डालने से माइग्रेन दर्द ठीक होता है ।
२५. सिर दर्द होने पर शरीर में गर्मी लगती हो, तो गाय के घी की पैरों के तलवे पर मालिश करे, इससे सिरदर्द दर्द ठीक हो जायेगा ।
२६. यह स्मरण रहे कि गाय के घी के सेवन से कॉलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ता है । वजन भी नही बढ़ता, बल्कि यह वजन को संतुलित करता है । यानी के कमजोर व्यक्ति का वजन बढ़ता है तथा मोटे व्यक्ति का मोटापा (वजन) कम होता है ।
२७. एक चम्मच गाय के शुद्ध घी में एक चम्मच बूरा और 1/4 चम्मच पिसी काली मिर्च इन तीनों को मिलाकर सुबह खाली पेट और रात को सोते समय चाट कर ऊपर से गर्म मीठा दूध पीने से आँखों की ज्योति बढ़ती है ।
२८. गाय के घी को ठन्डे जल में फेंट ले और फिर घी को पानी से अलग कर ले यह प्रक्रिया लगभग सौ बार करे और इसमें थोड़ा सा कपूर डालकर मिला दें । इस विधि द्वारा प्राप्त घी एक असर कारक औषधि में परिवर्तित हो जाता है जिसे जिसे त्वचा सम्बन्धी हर चर्म रोगों में चमत्कारिक कि तरह से इस्तेमाल कर सकते हैं । यह सौराइशिस के लिए भी कारगर है ।
२९. गाय का घी एक अच्छा (LDL) कोलेस्ट्रॉल है। उच्च कोलेस्ट्रॉल के रोगियों को गाय का घी ही खाना चाहिए । यह एक बहुत अच्छा टॉनिक भी है ।
३०. अगर आप गाय के घी की कुछ बूँदें दिन में तीन बार, नाक में प्रयोग करेंगे तो यह त्रिदोष (वात पित्त और कफ) को सन्तुलित करता है ।
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विशेषज्ञों का कहना है कि इस संदेश को पढ़ने वाला प्रत्येक व्यक्ति इसे १० लोगों/ग्रुप तक भेज दे तो वह कम से कम एक व्यक्ति का जीवन रोगमुक्त कर सकता
जय गऊ माता
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