आजकल तो लोग मंदिर की पैड़ी पर बैठकर अपने घर की व्यापार की राजनीति की चर्चा करते हैं परंतु यह प्राचीन परंपरा एक विशेष उद्देश्य के लिए बनाई गई । वास्तव में मंदिर की पैड़ी पर बैठ कर के हमें एक श्लोक बोलना चाहिए। यह श्लोक आजकल के लोग भूल गए हैं । आप इस लोक को सुनें और आने वाली पीढ़ी को भी इसे बताएं । यह श्लोक इस प्रकार है -
जय श्री कृष्णा, ब्लॉग में आपका स्वागत है यह ब्लॉग मैंने अपनी रूची के अनुसार बनाया है इसमें जो भी सामग्री दी जा रही है कहीं न कहीं से ली गई है। अगर किसी के कॉपी राइट का उल्लघन होता है तो मुझे क्षमा करें। मैं हर इंसान के लिए ज्ञान के प्रसार के बारे में सोच कर इस ब्लॉग को बनाए रख रहा हूँ। धन्यवाद, "साँवरिया " #organic #sanwariya #latest #india www.sanwariya.org/
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गुरुवार, 19 सितंबर 2019
मंदिर में दर्शन के बाद बाहर सीढ़ी पर थोड़ी देर क्यों बैठा जाता है?
आजकल तो लोग मंदिर की पैड़ी पर बैठकर अपने घर की व्यापार की राजनीति की चर्चा करते हैं परंतु यह प्राचीन परंपरा एक विशेष उद्देश्य के लिए बनाई गई । वास्तव में मंदिर की पैड़ी पर बैठ कर के हमें एक श्लोक बोलना चाहिए। यह श्लोक आजकल के लोग भूल गए हैं । आप इस लोक को सुनें और आने वाली पीढ़ी को भी इसे बताएं । यह श्लोक इस प्रकार है -
मंगलवार, 17 सितंबर 2019
सम्पूर्ण विश्व पटल पर विख्यात, भारतवर्ष के यशस्वी श्री नरेन्द्र जी मोदी* (17/सितम्बर/2019)
सम्पूर्ण विश्व पटल पर विख्यात,
भारतवर्ष के यशस्वी प्रधान सेवक
*श्री नरेन्द्र जी मोदी* को आज
(17/सितम्बर/2019) उनके जन्म
दिन पर कोटि कोटि शुभकामनाएँ
🚩🚩🚩🚩🚩
रविवार, 15 सितंबर 2019
हिंदी के मुहावरे, बड़े ही बावरे है,खाने पीने की चीजों से भरे है..
खाने पीने की चीजों से भरे है...
कहीं पर फल है तो कहीं आटा-दालें है,
कहीं पर मिठाई है, कहीं पर मसाले है ,
चलो, फलों से ही शुरू कर लेते है,
एक एक कर सबके मजे लेते है...
कभी अंगूर खट्टे हैं,
कभी खरबूजे, खरबूजे को देख कर रंग बदलते हैं,
कहीं दाल में काला है,
तो कहीं किसी की दाल ही नहीं गलती है,
तो कोई लोहे के चने चबाता है,
कोई घर बैठा रोटियां तोड़ता है,
कोई दाल भात में मूसरचंद बन जाता है,
मुफलिसी में जब आटा गीला होता है,
तो आटे दाल का भाव मालूम पड़ जाता है,
आटे में नमक तो चल जाता है,
पर गेंहू के साथ, घुन भी पिस जाता है,
अपना हाल तो बेहाल है, ये मुंह और मसूर की दाल है,
और कभी गुड़ का गोबर कर बैठते हैं,
कभी तिल का ताड़, कभी राई का पहाड़ बनता है,
कभी ऊँट के मुंह में जीरा है,
कभी कोई जले पर नमक छिड़कता है,
किसी के दांत दूध के हैं,
तो कई दूध के धुले हैं,
तो किसी की चमड़ी जैसे मैदे की लोई है,
किसी को छटी का दूध याद आ जाता है,
दूध का जला छाछ को भी फूंक फूंक पीता है,
और दूध का दूध और पानी का पानी हो जाता है,
और जिसने नहीं खाए, वो भी पछताते हैं,
पर शादी की बात सुन, मन में लड्डू फूटते है,
और शादी के बाद, दोनों हाथों में लड्डू आते हैं,
किसी के मुंह में घी शक्कर है, सबकी अपनी अपनी तकदीर है...
कभी कोई चाय-पानी करवाता है,
कोई मख्खन लगाता है
और जब छप्पर फाड़ कर कुछ मिलता है,
तो सभी के मुंह में पानी आ जाता है,
घी तो खिचड़ी में ही जाता है,
जितने मुंह है, उतनी बातें हैं,
सब अपनी-अपनी बीन बजाते है,
पर नक्कारखाने में तूती की आवाज कौन सुनता है,
सभी बहरे है, बावरें है
चीन, पाक के हालात खराब हैं, जो मैं प्रामाणिकता के साथ साबित भी कर चुका हू।
*लेख जरा लम्बा है*
इससे सबसे ज्यादा पाक और चीन प्रभावित होंगे और हो भी रहे हैं। 90% लोग शायद नहीं जानते कि चीन आज किन समस्याओं से घिरा है।
मेरी नज़र में South Asia का सबसे अशांत इलाका आज चीन ही है मगर दौलत की चमक में उसकी अंदरूनी घबराहट या तो छुप जाती है या आम आदमी देख नहीं पा रहा है। मगर सच ये है कि शी जिंग पिंग की ऊँगली थाम कर चीन एक ऐसे रास्ते पर चल निकला है जिसका बर्बाद होना लगभग तय है।
मोदीजी के बिछाये जाल में चीन ऐसा फँसा है कि उसकी चाँय चू भी ढंग से नहीं निकल पा रही है। इस भाग में यही रणनीति समझने की कोशिश करते हैं।
धीरे धीरे जैसे उसने हाँगकाँग और आसपास के छोटे छोटे देशों को निगला उसी तरह वो पाक को भी आसानी से निगल लेगा। अब बचते हैं भूटान, नेपाल जैसे देश जिन्हें मसलना उसके लिये मामूलो बात है।
भारत में यू भी *गद्दारों और फट्टुओं (खान्ग्रेस) की सरकार* का ही दबदबा रहता है। अतः जितना हो सकेगा उसका भी हिस्सा दबा लेंगे। जैसे कभी *डरपोक नेहरू* ने कैलाश मानसरोवर का हिस्सा अपने बाप का माल समझकर चीन को दे दिया था। खान्ग्रेस के शासन काल में चीन अरूणाचल पर अपना कब्जा बताता रहता था और फट्टू खान्ग्रेस वहाँ कभी सङक तक नहीं बना पाई थी। जबकि भारतीय शेर ने चीन की सीमा से मात्र 10 किलोमीटर दूर एयरपोर्ट बनवा दिया और चीन देखता रह गया।
उसके बाद राफेल का खेल चला ताकि जनता पप्पू n पिंकी की बातों में आ जाये और 2004 वाली गल्ती दोहरा दे, ताकि चीन को फिर खुला मैदान मिल जाये भारत की ज़मीन हङपने का। *मगर इस बार भारत की जनता ने बाल बराबर भी गल्ती नहीं की*। पप्पू और पिंकी के साथ चीन के सारे षङयंत्रों पर पानी फेर दिया।
फिर मोदीजी ने Gulf countries का रूख किया और *ईरान, कुवैत, सउदो अरब आदि को शीशे में उतारा* और पाक के आतंकवाद के सारे कच्चे चिट्ठे खोलना शुरू कर दिये। यू भी जनवरी 19 में ईरान पर जब एक आतंकी गुट ने हमला कर ईरान के कुछ सैनिकों की हत्या की और ईरानी जाँच में पाकिस्तानी लिंक सामने आया तो ईरान वैसे ही पाक से खार खा गया था। बची हुई कसर मोदीजी ने पाक के कुकर्म सामने रखकर जलती आग में शुद्ध घी के कनस्तर उङेल कर पूरी कर दी, तो आग ऐसी भङकी कि *OPEC के सारे देशों ने पाक को दूध में से मक्खी की तरह निकाल दिया*।
इस तरह बड़ी चतुराई से मोदीजी ने *भूखा नंगा पाक या नाग चीन के गले में डाल दिया*।
चीन ने पहले तो इसे अपने लिये Golden chance समझा और पाक को खूब पैसा दे देकर पाक पर अपनी पड़ मजबूत करना शुरू कर दी और सैंकड़ों करोड़ों खिला दिये। मगर बाद में चीन को ऐहसास हुआ कि वो *पाक में नहीं बल्कि किसी black hole में घुस गया है* जिसका कोई छोर ही नज़र नहीं आ रहा।
तब चीन ने back gear डाला और भारत से बिगड़े रिश्ते सुधारने की कोशिश की। सुना है कि अगले महीने मोदीजी चीन जा ही रहे हैं।
370 हटने से पाक तो सकते में आ ही गया क्योंकि वो जिस कश्मीर को हथियाने के लिये *साँपों (हुर्रियत, मेहबूबा, अब्दुल्लाह और खान्ग्रेस) को* दूध पिला रहा था, मोदीजी ने 370 हटाकर उनके दाँत ही उखड़ दिये। मगर पाक के दिल में दहशत हमारे प्यारे मोटाभाईजी ने संसद में ये कहकर भर दी कि *जब मैं जम्मू कश्मीर कहता हू तो POK और अक्साई चीन भी उसमें शामिल हो जाता है*। तब से पाकी हुक्मरानों के साथ सेना के होश फाक्ता हैं कि हम तो मोदी को ही खतरनाक समझते थे मगर ये मोटाभाई तो उनसे भी ज्यादा खतरनाक हैं।
पाक को उम्मीद अमेरिका व खाड़ी देशों से थी। *जबरन अपनी बेइज्जती कराते कराते और मैट्रो में ठोकर खाते खाते* जनाब बापजी (ट्रंप) की ड्योढ़ी पर तो पहुंच गये मगर ये क्या हुआ.... बापजी ने तो सबके सामने ये कहकर इमरान का पोपट ही बना दिया कि *मोदीजी ने मुझसे पिछले महीने कश्मीर पर मध्यस्थता करने को कहा था*।
इमरान खुशी के मारे उछलते कूदते पाकिस्तान तो पहुंच गये मगर मोटाभाई जी ने ऐसा ऐटम बम गिराया कि पूरा पाक अभी तक सदमे में गा रहा है कि~
*हम सपोलों (हुर्रियत, मेहबूबा, अब्दुल्लाह आदि) को खिला खिला के बर्बाद हो गये*
*चुपके चुपके आँसू बहाना याद है*,
*हम को अब तक दामादगिरी का वो ज़माना याद हैं*
चीन ने करीब छः लाख करोङ का Investment CPEC पर कर रखा है, फिर भी अभी तक वो चालू नहीं हुआ है। मतलब *कमाई नहीं चवन्नी की भी और दाँव पर लगे हैं घर के बर्तन तक*।
इधर मोदीजी और मोटाभाई ने ऐसा बखेङा खड़ा कर दिया है कि चीन की समझ नहीं आ रहा कि पहले *अपना घर (अक्साई चीन) बचाऊँ या अपनी रखैल (पाक) का*।
उधर शिंजियाँग प्रांत में चीन की दमनकारी नीतियों के कारण लावा अलग उबल रहा है। आपको जानकर हैरानी होगी कि करीब 10 लाख के आसपास कट्टरपंथी मुल्ले भड़ बकरियों से भी बद्तर हालत में शिंजियाँग की जेलों में ठुसे पड़े हैं। अगर वो फट पड़े तो एक और नई मुसीबत खङी है।
दूसरी तरफ हाँगकाँग चीन की दमनकारी नीतियों के कारण पिछले 11 हफ्तों से उबल रहा है। हाँगकाँग में हो रहे विरोध प्रदर्शन थमने का नाम नहीं ले रहे।
इधर ट्रँप ने भी दबे शब्दों में जिंगपिंग को धमका दिया है कि अगर हाँगकाँग में 89 जैसा खेल खेलने की कोशिश की गयी तो व्यापार पर बहुत बुरा असर पङेगा।
भूखा नंगा पाक गले में पड़ा कहता है बापजी (ट्रंप) ने तो टुकड़े डालने बंद कर दिये हैं। खाङी देशों से भी इमदाद कम हो गयी है। मोदी बार्डर पर सब कुछ भेज रहे हैं मगर 200% की ड्यूटी लगाकर अतः 30-40 रूपये किलो बिकने वाला टमाटर पाक में आकर 300-350 रूपये किलो बिक रहा है, जनता भयंकर गालियाँ दे रही है। कभी पाकी न्यूज चैनलों को देखिये कैसी कैसी गंदो गालियाँ मिल रही हैं इमरान को अतः चचा (चीन) अब तुम खिलाओ हमको, वर्ना CPEC भूल जाओ।
*चचाजान (चीन) मजबूरी में कभी मसूद अज़हर को बचाते हैं, कभी Back door से पाक को खुश करने के लिये UNO में रूस, फ्रांस, जर्मनी के हाथों अपनी पतलून उतरवाते हैं और खाना भी खिलाते हैं वर्ना भुक्खङों का क्या भरोसा, ये किसी भो दिन अब्दुल या मोहम्मद से कहेंगे...छू.... और वो चीनी दूतावास या कैंप में जाकर फट जायेगा और चीनियों की सारी चाँय चू निकल जायेगी*।
अमेरिका भी चीन के CPEC से परेशान है क्योंकि चीन का माल खाङी देशों में खपना शुरू हो गया तो U.S. की वर्षों से जमी जमाई धाक खतरे में पङ जायेगी या खाक में मिल जायेगा। सभी जानते हैं कि चीन और पाक की नाक में नकेल भारत ही डाल सकता है अतः वो सब पर्दे के पीछे से भारत का पूरा Support कर रहे हैं। तभी आप देखिये 370 हटाने के बाद पाक U.N. तक चला गया मगर सभी ने ये कहकर पल्ला झड़ दिया कि ये भारत का आन्तरिक मामला है।
तिब्बत का आन्दोलन वर्षों से चल ही रहा है। हाँगकाँग में तेजी से बिगङते हालात पर अगर चीन सैन्य कार्यवाही करता है तो विश्व समुदाय की एक बङी लाॅबी चीन की हालत खराब कर देगी। जिसमें U.S., भारत, फ्राँस, रूस, जापान.... आदि कुछ देश सबसे आगे होंगे क्योंकि चीन ने अपनी बहुत दबंगई दिखाई है। अगर चीन सैन्य कार्यवाही नहीं करता तो ये आन्दोलन कुछ ही दिनों या हफ्तों में विकराल रूप लेगा, इसमें कोई शक नहीं है।
अब सोचिये कि इस लेख की शुरूआत में मैंने जो कहा कि दक्षिण एशिया का सबसे अशांत इलाका चीन ही है तो क्या गलत है??
अमेरिका पिछले 2-3 सालों से अफगानिस्तान से निकलने के लिये बुरी तरह छटपटा रहा है मगर उसे एक भरोसेमंद साथो की तलाश है। पाक पर अमेरिका बाल बराबर भरोसा नहीं करेगा। ईरान से जबरदस्त पंगा चल रहा है। अब ऐसे में उम्मीद की किरण भारत पर ही आकर टिकती है क्योंकि भारत को आतंकवाद से निबटने का जबरदस्त अनुभव है। कुशल और दूरदर्शी नेतृत्व भारत के पास मोदीजो के रूप में है। इसी की अमेरिका को सख्त जरूरत भी है ताकि वो अपने 15 हजार सैनिक अफगानिस्तान से निकाल सके।
तुम कौन साले विराट कोहली या PV सिंधु हो जो तुम्हारी मौत पे हिंदुस्तान रोयेगा ?
वो एक बूढ़ी M औरत थी ।
उसके पति ने उसे TTT दे दिया ।
उसने केस कर दिया । मेरे को गुज़ारा भत्ता दो ......
केस सुप्रीम कोर्ट तक गया ।
वो सुप्रीम कोर्ट से केस जीत गई । सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा , इस बूढ़ी तलाकशुदा औरत को गुज़ारा भत्ता दो ।
राजीव गांधी की सरकार थी ।
उनके एक राजनैतिक सलाहकार थे ....... उन्ने उनको समझाया ....... अबे , एक सूअर नाली में पड़े रह के खुश है ....... उसको वहीं मज़े आ रिये हैं ...... कायकू उसको नाली से बाहर निकाल रिये हो ?????? उसको नाली से बाहर निकालने में अपने हाथ कायकू गंदे कर रिये हो ?????? पड़े रहने दो वहीं पे .......
राजीव G के पास प्रचंड बहुमत था दोनों सदनों में , उन्ने कानून बना कर सुप्रीम कोर्ट का फैसला बदल दिया ।
पड़े रहो नाली में .........
5 दिन लखनऊ रह के जब पंजाब वापस आया तो ट्रेन से लोहियां खास नामक स्टेशन पे उतरा । छोटा सा कस्बा है । वहाँ एक भी व्यक्ति Halmet लगाए नही दिखा ।
Red Lights Jump कर रहे थे ।
पंजाब सरकार ने भी नए मोटर व्हीकल एक्ट को अपने यहाँ लागू करने से मना कर दिया है ।
Noida की उस IT Firm के उन Employees के नाम किसी को याद हैं जो उस दिन उस Ford Endeavour में मरे ????? वो लोग उस नई गाड़ी की joy ride लेने यमुना एक्सप्रेसवे पे गए थे । सबने दारू पी रखी थी और गाड़ी 150 Kmph पे भगा रहे थे ........ कुत्ते की मौत मरे ......... योगी जी को कोई फर्क पड़ा क्या ???? या अमरेंद्र सिंह को ???? या ममता बनर्जी को ??????
तुम मरो कुत्ते की मौत ......... मत पहनो halmet , मत लगाओ seat belt , दारू पी के चलाओ , चलाते हुए फोन सुनो ........ बिना DL चलाओ ........ Enjoy your Freedom and Save your Money ........ कोई चालान नही होगा ........ 130 करोड़ हैं , तुम कौन साले विराट कोहली य्या PV सिंधु हो जो तुम्हारी मौत पे हिंदुस्तान रोयेगा ???????
शुक्रवार, 6 सितंबर 2019
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे
कोई सोना की जो होती,
हीरा मोत्या की जो होती,
जाणे काई करतो, काई करतो,
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे।। ------------------------------------------
जैल में जनम लेके घणो इतरावे,
कोई महला में जो होतो,
कोई अंगना में जो होतो,
जाणे काई करतो, काई करतो,
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे।। --------------------------------------
देवकी रे जनम लेके घणो इतरावे, कोई यशोदा के होतो,
माँ यशोदा के जो होतो,
जाणे काई करतो, काई करतो,
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे।। ----------------------------------------
गाय को ग्वालो होके घणो इतरावे,
कोई गुरुकुल में जो होतो
कोई विद्यालय जो होतो,
जाणे काई करतो, काई करतो,
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे।। ----------------------------------------
गूज़रया की छोरियां पे घणो इतरावे,
ब्राह्मण बाणिया की जो होती,
ब्राह्मण बाणिया की जो होती,
जाणे काई करतो, काई करतो,
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे।। ----------------------------------------
साँवली सुरतिया पे घणो इतरावे,
कोई गोरो सो जो होतो,
कोई सोणो सो जो होतो,
जाणे काई करतो, काई करतो,
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे।। -----------------------------------------
माखन मिश्री पे कान्हा घणो इतरावे,
छप्पन भोग जो होतो,
मावा मिश्री जो होतो,
जाणे काई करतो, काई करतो,
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे।। ----------------------------------------
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे, कोई सोना की जो होती,
हीरा मोत्या की जो होती,
जाणे काई करतो, काई करतो,
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे।
गुरुवार, 5 सितंबर 2019
बढ़ा_जुर्माना_और_सख्त_कानून_क्यों_जरूरी
एक चमत्कारी लौंडा अपने घर से बाइक उठाकर निकला,
माँ को बोला फुटबॉल खेलने जा रहा हूँ।
कभी भागती बाइक का स्पीट मीटर देख रहा है,
कभी 90-100की रफ्तार से दौड़ती बाइक के शीशे में अपनी उड़ती जुल्फे देख रहा है।।
खैर 15 मिंट में ही बाइक ठेके पर जाकर रुक गई।
वहाँ पहले से मौजूद 2-3 याडी, लफाड़ियो से गले मिला और फिर पत्ती इकट्ठा होने लगी।
किसी ने 200 रुपे दिए किसी ने 300।
दावत का दौर शुरू हुआ।
पीते पीते 4 आदमी 2 बोतल गटक गये,
बिल देते समय कैंटीन वाले से छोटा सा झगड़ा भी हुआ।
इधर मोबाइल पर माँ के लगातार फोन आ रहे थे।
तो अब घर जाने की चिंता हुई,
दोस्तो तो टाटा-बाय बाय कहकर फिर से अपनी प्यारी बाइक स्टार्ट की और उसी गति से दौडा दी।
लेकिन इस बार अंतर ये था कि बाइक बिलकुल नागिन की तरह लहरे ले रही थी।
लेकिन वो क्या जाने की नियमो को फुटबॉल की तरह उड़ाने वाले उसके लौंडे की गर्दन को नियति ने फुटबॉल की तरह उछाल दिया था।
बुधवार, 4 सितंबर 2019
बढ़ा_जुर्माना_और_सख्त_कानून_क्यों_जरूरी
#बढ़ा_जुर्माना_और_सख्त_कानून_क्यों_जरूरी :-🙋🙋
एक चमत्कारी लौंडा अपने घर से बाइक उठाकर निकला,
माँ को बोला फुटबॉल खेलने जा रहा हूँ।
कभी भागती बाइक का स्पीट मीटर देख रहा है,
कभी 90-100की रफ्तार से दौड़ती बाइक के शीशे में अपनी उड़ती जुल्फे देख रहा है।।
खैर 15 मिंट में ही बाइक ठेके पर जाकर रुक गई।
वहाँ पहले से मौजूद 2-3 याडी, लफाड़ियो से गले मिला और फिर पत्ती इकट्ठा होने लगी।
किसी ने 200 रुपे दिए किसी ने 300।
ठेके के बराबर में बनी कैंटीन/हत्थे पर महफ़िल सजी ।
दावत का दौर शुरू हुआ।
पीते पीते 4 आदमी 2 बोतल गटक गये,
बिल देते समय कैंटीन वाले से छोटा सा झगड़ा भी हुआ।
फिर बाहर निकले तो एक दोस्त ने एक स्पेशल माल(भांग-गांझे) वाली सिगरेट तैयार कर ली।
अब सुट्टा मारते मारते खोपड़ी भारी होने लगी,
इधर मोबाइल पर माँ के लगातार फोन आ रहे थे।
तो अब घर जाने की चिंता हुई,
दोस्तो तो टाटा-बाय बाय कहकर फिर से अपनी प्यारी बाइक स्टार्ट की और उसी गति से दौडा दी।
लेकिन इस बार अंतर ये था कि बाइक बिलकुल नागिन की तरह लहरे ले रही थी।
अपनी धुन में मस्त लौंडा जोर जोर से गाते हुए जा रहा था।
लेकिन ये क्या ?
अचानक बैलेंस बिगड़ गया और 90 कि स्पीड पर भागती बाइक दूसरी साइड से आ रही बाइक से जाकर भिड़ गई।
जोर की आवाज हुई, कहीं बम फटा हो जैसे।
दूसरी बाइक पर बैठी महिला सिर फट जाने के कारण तत्काल मौके पर मर गई।
उस महिला का पति हेलमेट होने के कारण बच तो गया लेकिन उसका एक पैर तो जैसे बस एक दो नसों पर ही रुका था, अलग होने को ही था।
उनके साथ जो एक या सवा साल का बच्चा रहा होगा वो दूर घास के ढेर पर पड़ा था लेकिन ठीक था,
और ये चमत्कारी लौंडा ?
लोग ढूंढ रहे थे कि उसका सिर कहाँ गया ?
पास में पड़े उसके मोबाइल पर अब भी माँ का फोन लगातार आ रहा था।
वो सोचती होगी कि मेरा बेटा रोनाल्डो को पछाड़कर अभी आ जायेगा।
लेकिन वो क्या जाने की नियमो को फुटबॉल की तरह उड़ाने वाले उसके लौंडे की गर्दन को नियति ने फुटबॉल की तरह उछाल दिया था।
वो तो गया ही गया लेकिन साथ ही,
एक नन्हे से मासूम से उसकी माँ को छीनकर ले गया।
उसकी किस्मत को छोड़ गया ताउम्र के लिए अपाहिज हो चुके बाप के हवाले।।
खैर, आपको बढ़े हुए जुर्माने से तकलीफ है तो हम पर कौनसा कोई दवाई है आपका दर्द मिटाने की।
आपका दर्द नियति मिटायेगी।।
जिसे पुलिस की रिश्वत की चिंता है वो या तो नियम न तोड़े या फिर जुर्माना दे।
कब तक ये देश आपकी मनमानी झेलेगा ?
(आप शेयर या कॉपी-पेस्ट करेंगे तो शायद किसी की आंख खुले)
मां के साथ मेरी लाश को निपटाकर ही जाओ
मैंने और तुम्हारी मां ने बहुत सारे अरमानों के साथ तुम लोगों को पाला-पोसा। दुनिया के सारे सुख दिए। देश-दुनिया के बेहतरीन जगहों पर शिक्षा दी। जब तुम्हारी मां अंतिम सांस ले रही थी, तो मैं उसके पास था।वह मरते समय तुम दोनों का चेहरा एक बार देखना चाहती थी और तुम दोनों को बाहों में भर कर चूमना चाहती थी। तुम लोग उसके लिए वही मासूम मुन्ना और चिंटू थे। उसकी मौत के बात उसकी लाश के पास तुम लोगों का इंतजार करने लिए मैं था। मेरा मन कर रहा था कि काश तुम लोग मुझे ढांढस बधाने के लिए मेरे पास होते। मेरी मौत के बाद मेरी लाश के पास तुम लोगों का इंतजार करने के लिए कोई नहीं होगा। सबसे बड़ी बात यह कि मैं नहीं चाहता कि मेरी लाश निपटाने के लिए तुम्हारे बड़े भाई को आना पड़े। इसलिए सबसे अच्छा यह है कि मां के साथ मेरी लाश को निपटाकर ही जाओ।
तुम्हारा.
पिता
कमरे से ठांय की आवाज आई। कर्नल साहब ने खुद को गोली मार ली।
हां यह काल्पनिक कहानी नहीं। पूरी तरह सत्य घटना है। व्यक्ति विशेष के नाम को मैंने हटा दिया है।
जनता के साथ प्रशासनिक अधिकारियों में भी लापरवाही करने पर डर और जुर्माना होना चाहिए
सड़क पर गड्ढ़े... संबंधित जिम्मेदार अधिकारी जुरमाना 20000/-
अतिक्रमित फुटपाथ... संबंधित जिम्मेदार अधिकारी जुरमाना 20000/-
सड़क पर रोशनी नहीं...
जिम्मेदार JE जुरमाना 25000/-
सड़क पर कचरा बह रहा है...संबधित जिम्मेदार अधिकारी, जुरमाना 25000/ह
सड़कों पर लाइट के खंभे नहीं... संबंधित जिम्मेदार अधिकारी, जुरमाना 30000/-
धन्यवाद
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