हां बिल्कुल कर सकते हैं मैं जो लिंक दे रहा हूं इस लिंक में मेरा मोबाइल नंबर हटाके उसका नंबर डाल दो जिससे चैट करनी है। बिना सेव किए ही ये नंबर तुम्हें उस व्हाट्सएप पर ले जायेगा:
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जय श्री कृष्णा, ब्लॉग में आपका स्वागत है यह ब्लॉग मैंने अपनी रूची के अनुसार बनाया है इसमें जो भी सामग्री दी जा रही है कहीं न कहीं से ली गई है। अगर किसी के कॉपी राइट का उल्लघन होता है तो मुझे क्षमा करें। मैं हर इंसान के लिए ज्ञान के प्रसार के बारे में सोच कर इस ब्लॉग को बनाए रख रहा हूँ। धन्यवाद, "साँवरिया " #organic #sanwariya #latest #india www.sanwariya.org/
आज के युग में सर्विलांस की इतनी नई नई तकनीक आ गई है के पता करना मुश्किल हो जाता है लेकिन फिर भी कुछ सामान्य से लक्षण है जो सर्विलांस को बता देते है।
1 मोबाइल की बैटरी : सर्विलांस करने वाली अप्लिकेशन को बहुत मेहनत करनी पड़ती है और इस वजह से वो बैटरी भी बहुत प्रयोग करती है। अगर आपको ऐसा लगे के अचानक आपका मोबाइल जल्दी डिस्चार्ज होने लगा है तो समझ जाइए के कोई अप्लिकेशन अपना काम अंजाम दे रही है।
2 मोबाइल डाटा : जैसा की मोबाइल की बैटरी के साथ होता है वैसा ही डाटा के साथ होता है और सर्विलांस वाली एप्लीकेशन डाटा का प्रयोग बहुत ज्यादा करती है इसलिए अपने मोबाइल में डाटा मीटर इंस्टाल करे जो आपकी खपत के बारे में जानकारी देगा।
3 फोन का अजीब व्यवहार करना : जब भी ऐसी कोई अप्लिकेशन चलेगी तो उसकी वजह से बाकी अपलिकेधन को चलने में समस्या होगी इसलिए फोन अजीब तरह से काम करने लगेगा और हल्का हल्का से लेग मिलेगा जिससे समझ जाना चाहिए के कुछ गडबड है।
जी हाँ|
ब्लूटूथ हेडफोन के कान में फटने से जयपुर के व्यक्ति की मौत: पुलिस
ब्लूटूथ हेडफ़ोन विस्फोट: जयपुर जिले के निवासी राकेश कुमार नागर "अपने ब्लूटूथ हेडफ़ोन डिवाइस का उपयोग कर रहे थे, जबकि इसे एक विद्युत आउटलेट में प्लग किया गया था,"। अस्पताल में उसकी चोटों से मौत हो गई|
चार्ज होने के दौरान उसके कानों में ब्लूटूथ हेडफोन फटने से एक व्यक्ति की मौत हो गई (प्रतिनिधि)
जयपुर: जयपुर पुलिस ने आज कहा कि एक 28 वर्षीय व्यक्ति की मौत हो गई, जब उसका ब्लूटूथ हेडफोन डिवाइस उसके कानों में विस्फोट हो गया, जब वह अपनी पढ़ाई के लिए उनका इस्तेमाल कर रहा था, जयपुर पुलिस ने आज कहा।
पुलिस ने बताया कि घटना जयपुर जिले के चोमू कस्बे के उदयपुरिया गांव में शुक्रवार को हुई जब राकेश कुमार नागर अपने आवास पर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे थे।
पुलिस ने समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया को बताया, "वह अपने ब्लूटूथ हेडफ़ोन डिवाइस का उपयोग कर रहा था, जबकि इसे बिजली के आउटलेट में प्लग किया गया था।"
अचानक उसके कान में उपकरण फट गया जिससे वह बेहोश हो गया। उन्हें एक निजी अस्पताल ले जाया गया जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई, उन्होंने कहा कि उनके दोनों कानों में गंभीर चोटें आई हैं।
सिद्धिविनायक अस्पताल के डॉक्टर एलएन रुंडला ने कहा कि व्यक्ति को बेहोशी की हालत में अस्पताल लाया गया था। अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई, डॉ रुंडला ने पुष्टि की।
शनि की कष्टकारी साढ़े साती का अचूक उपाय क्या है?
जब शनि साढ़ेसाती या ढैय्या शारीरिक मानसिक कष्टदायक हो रही हो तो निम्नवत अचूक उपायो से तत्काल राहत मिलेगी जो कि अपनाने मे अत्यन्त सरल है -
● शनि की शाडेसाती के कष्ट शान्ति हेतु अचूक उपाय शनिवार को शनि के होरा मे पंचामृत( दूध, दही , घी , शहद , मीठा ) मे काले तिल मिलाकर भोलेनाथ को अर्पित करे और उनसे कष्ट मुक्ति की प्रार्थना करे निश्चित लाभ मिलेगा ।
● शनिवार को किसी बूढे व्यक्ति को तली हुई ( तैल युक्त) खाद्य पदार्थ भोजन दान करे शनिदेव की अवश्य कृपा प्राप्त होगी ।
● शनिदेव अत्याधिक कष्टदायी हो रहे हो तो सरसो के तेल मे अपना चेहरा देखकर ( छाया दान) किसी जरूरतमंद को दान करने से शनिदेव की विशेष अनुकम्पा प्राप्त होती है सिद्ध प्रयोग है ।
● किसी विकलांग विशेष रूप से ( लंगड़े ) किसी सज्जन को काले रंग के वस्त्र , काला कम्बल, काले रंग के ऊनी कपडे दान शनिवार को करने से शनिदेव अति प्रसन्न होकर दया द्रष्टि प्रदान करते है ।
● शनिवार को किसी गरीब बूढे व्यक्ति को चरण पादुका ( जूता ,चप्पल ) प्रदान करने से शनिदेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है ।
● किसी जरूरतमंद को काले उडद , काले तिल, सरसो का तेल, काले फल , काले रंग की वस्तुऐ प्रदान करने से शनि पीड़ा से तत्काल राहत मिलती है ।
शनिदेव के निमित्त दान शनिवार को , शनि के होरा मे , शनि के नक्षत्र मे , मध्यान्ह काल मे करने से शीघ्रता से विशेष प्रभावी लाभ की प्राप्ति होती है ।
इमेज स्रोत गूगल
"महामृत्युंजय मंत्र" एक प्राणशक्ति मंत्र
महामृत्युंजय मंत्र ("जो मृत्यु को जीतने वाला एक महान मंत्र है ") जिसे त्रयंबकम मंत्र भी कहा जाता है।
यह यजुर्वेद के रूद्र अध्याय में, भगवान शिव की स्तुति करने के लिए की गयी एक वन्दना है। इस मन्त्र में देवाधिदेव शिव को 'मृत्यु को जीतने वाला' बताया गया है।
के समान ही हिंदू धर्म का सबसे अधिक व्यापक रूप से जाना जाने वाला मंत्र है। इस मंत्र के कई नाम और रूप हैं। इसे भगवान शिव के उग्र रूप की ओर संकेत करते हुए सबसे शक्तिशाली रुद्र मंत्र कहा जाता है।
शिव के तीन नेत्रों की ओर इशारा करते हुए इसे त्रयंबकम मंत्र भी कहा जाता है
और कभी कभी इसे मृत-संजीवनी मंत्र के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। इसका निरंतर पाठ करने से कोई भी वयक्ति बड़े से बड़े संकट से भी छूट जाता है। यह मंत्र अकाल मृत्यु के भय को समाप्त करने वाला है।
ॐ हौं जूं स: ॐ भूर्भुव: स्व: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्व: भुव: भू: ॐ स: जूं हौं ॐ !!
त्र्यंबकम् - तीन नेत्रों वाला (कर्म का कारक), तीनों कालों में हमारी रक्षा करने वाले भगवान को
यजामहे - हम पूजते हैं, समर्पित करते हैं, हमारे श्रद्देय
सुगंधिम - मीठी सी महक वाला, सुगंधित (कर्म का कारक)
पुष्टिः - एक पूर्ण सुपोषित स्थिति, फलने और फूलने वाली, समृद्ध जीवन की परिपूर्णता
वर्धनम् - वह जो सबका पोषण करता है, शक्ति देता है, (स्वास्थ्य, धन और सुख में) वृद्धि का कारक; जो हर्षित करता है, आनन्दित करता है और स्वास्थ्य को प्रदान करता है, एक अच्छा माली
उर्वारुकम् - ककड़ी (कर्म का कारक)
इव - जैसे, इस तरह
बन्धनात् - तना (ककड़ी का); ("तने से" पंचम विभक्ति - वास्तव में समाप्ति -द से अधिक लंबी है जो संधि के माध्यम से न/अनुस्वार में परिवर्तित हो जाती है)
मृत्योः - मृत्यु से
मुक्षीय - हमें स्वतंत्र करें, मुक्ति दें
मा - नहीं वंचित होएं
अमृतात् - अमरता, मोक्ष के आनन्द से
सरल अनुवाद
हम त्रि-नेत्रीय वास्तविकता का चिंतन करते हैं जो जीवन की मधुर परिपूर्णता को पोषित करता है और वृद्धि करता है। ककड़ी की तरह हम इसके तने से अलग ("मुक्त") हों, अमरत्व से नहीं बल्कि मृत्यु से हों।
महाभारत युद्ध में दैनिक व्यूह रचना का क्रम निम्न था -
१. कौरव सेना ने भीष्म के नेतृत्व में सर्वतोमुखी दण्डव्यूह की रचना की। यह किसी स्तंभ (या दण्ड) पर स्थापित चक्र की तरह दिखता है। इस व्यूह में सेना के दो हिस्से होते हैं। एक आक्रमण करता है जबकि दूसरा हिस्सा आक्रमणकारी सेना की सहायता करता है।
पांडव सेना ने अर्जुन की सलाह पर भीमसेन के नेतृत्व में वज्र व्यूह का निर्माण किया। इस व्यूह का पहला प्रयोग स्वयं इन्द्र ने किया था।
२. दूसरे दिन पांडवों ने क्रौंच व्यूह की रचना की थी। क्रौंच अर्थात बगुले के आकार का यह व्यूह अत्यंत आक्रामक होता है जिसका निर्माण शत्रु सेना को भयाक्रांत करने के लिये किया जाता है। इसका नेतृत्व राजा द्रुपद कर रहे थे। बगुले के नेत्र की जगह कुंतिभोज थे, गले के स्थान पर सात्यकी की सेना थी और भीमसेन और धृष्टद्युम्न दोनों अपनी अपनी सेना सहित बगुले के पंखों का निर्माण कर रहे थे। द्रौपदी पुत्र इन पंखों की रक्षा के लिये नियुक्त थे।
कौरवों की ओर से भीष्म ने इसके उत्तर में गरुड़ व्यूह का निर्माण किया था। इसे क्रौंच व्यूह का प्राकृतिक शत्रु माना जाता था। भीष्म स्वयं गरुड़ की चोंच के स्थान पर खड़े होकर नेतृत्व कर रहे थे। कृपाचार्य और अश्वत्थामा उनकी रक्षा कर रहे थे। द्रोण और कृतवर्मा नेत्रों की जगह थे। त्रिगर्त और जयद्रथ अपनी अपनी सेना सहित गरुड़ के गले की जगह थे। दुर्योधन और उसके भाई गरुड़ के शरीर में सुरक्षित थे जबकि राजा बह्तबाला गरुड़ की पूंछ कै स्थान पर खड़े होकर पीछे से रक्षा कर रहे थे।
३. कौरवों के लिये भीष्म ने पुनः गरुड़ व्यूह बनाया था।
पांडवों ने अर्जुन के नेतृत्व में अर्धचंद्र व्यूह की रचना की थी। अर्धचंद्र के दक्षिणी छोर पर भीमसेन जबकि बांयी छोर पर अभिमन्यु नेतृत्व कर रहे थे। सेना की अग्र पंक्ति में युधिष्ठिर मौजूद थे जिनकी रक्षा में सेना सहित राजा द्रुपद और राजा विराट लगे हुए थे। इस व्यूह के शिखर पर स्वयं अर्जुन अपने सारथी भगवान् कृष्ण के साथ स्थित थे।
४. कौरवों ने मंडल व्यूह का निर्माण किया था। यह व्यूह अत्यंत रक्षात्मक होता है और इसे भेदना अत्यंत कठिन होता है। इस निर्माण के मध्य में सेनानायक होते हैं और सेना कई छोटे-छोटे टुकड़ों में बंटी होती है जो अलग-अलग महारथियों के नेतृत्व में सेनानायक को घेर कर खड़ी होती है।
पांडवों ने शृंगाटक व्यूह द्वारा उत्तर दिया। शृंग (अर्थात पशुओं के सींग) के कारण इसका यह नाम पड़ा।
५. कौरवों ने मकर व्यूह की रचना की। यह निर्माण शार्क की तरह दिखता है।
पांडवों ने अर्जुन, युधिष्ठिर और धृष्टद्युम्न की सलाह पर श्येन व्यूह की रचना की। यह गरुड़ व्यूह का एक प्रकार था जो गरुड़ की जगह श्येन (अर्थात बाज) से प्रेरित था।
६. छठे दिन पांडवों ने मकर व्यूह चुना।
कौरवों ने क्रौंच व्यूह का निर्माण किया। पंखों की रक्षा भूरिश्रवा और राजा शल्य कर रहे थे।
७. कौरवों ने पुनः मंडल व्यूह बनाया जबकि पांडवों ने पुनः वज्र व्यूह का चुनाव किया।
८. कौरवों ने कूर्म व्यूह का निर्माण किया था जो कछुए से प्रेरणा लेता है। उत्तर में पांडवों ने त्रिशूल व्यूह बनाया था।
९. नौंवे दिन कौरवों ने सर्वतोभद्र व्यूह की रचना की। सर्वतोभद्र का अर्थ है 'सभी दिशाओं से सुरक्षित'। इसके अग्र में स्वयं भीष्म थे और उनके अलावा कृपाचार्य, कृतवर्मा, शकुनी, जयद्रथ, इत्यादि भी रक्षा में प्रयुक्त थे।
पांडवों ने नक्षत्रमंडल व्यूह की रचना की थी। पांचों पांडव सेना के अग्र भाग में नेतृत्व कर रहे थे। अभिमन्यु, कैकय बंधु, और राजा द्रुपद सेना के पीछे से रक्षा कर रहे थे।
१०. कौरवों ने असुर व्यूह की रचना की थी।
इसके उत्तर में पांडवों ने देव व्यूह बनाया था। पांडव सेना का नेतृत्व शिखंडी कर रहे थे जिनकी रक्षा के लिये उनके दोनों ओर अर्जुन और भीम स्थित थे। उनके पीछे अभिमन्यु और द्रौपदी पुत्र (उप-पांडव) थे। साथ में धृष्टद्युम्न और सात्यकि भी मौजूद थे। महारथियों से सजी इस टुकड़ी का काम था भीष्म को घेरकर मारना, जिसमें वे सफल रहे। बाकि पांडव सेना राजा द्रुपद और राजा विराट के नेतृत्व में रखी गयी थी, जिनकी सहायता के लिये कैकय बंधु, धृष्टकेतु और घटोत्कच को नियुक्त किया गया था।
११. भीष्म के अवसान के बाद कौरव-सेनापति पद संभालने वाले आचार्य द्रोण ने शकट व्यूह का निर्माण किया था। शकट का अर्थ होता है ट्रक। यदि आपने बैलगाड़ी या घोड़ागाड़ी देखी है तो बस उससे बैल/घोड़े को अलग कर दें, जो बचेगा उसे शकट कहते हैं। इस व्यूह के अग्र भाग में शकट के जुआ/काँवर की तरह सैनिकों की पतली, घनी रेखाकार रचना होती है जिसके पीछे बाकि सेना लंबे दंडों में खड़ी होती है।
पांडवों ने भीष्म पर को पराजित करने के बाद अपनी विजय का पूरा लाभ लेने के लिये पुनः भयप्रद क्रौंच व्यूह का निर्माण किया था।
१२. कौरवों ने गरुड़ व्यूह का निर्माण किया था जबकि पांडवों ने अर्धचंद्र व्यूह की रचना की थी।
१३. इस दिन कौरवों ने द्रोण के नेतृत्व में चक्र व्यूह का निर्माण किया था। कौरव सेना को छः स्तरों में सजाया गया था जो चक्र की तरह लगातार घूम रहे थे। इन छः स्तरों की रक्षा छः महारथी - कर्ण, द्रोण, अश्वत्थामा, दुःशासन, शल्य और कृपाचार्य कर रहे थे। इसके केंद्र में दुर्योधन और मुख पर जयद्रथ स्थित थे।
कौरवों की रणनीति यह थी कि पांडवों में चक्रव्यूह के ज्ञाता अर्जुन (और कृष्ण) को युद्ध से दूर ले जाकर युधिष्ठिर को बंदी बनाया जाये जिससे उन्हें विजय मिले। वे अर्जुन को युद्धभूमि से दूर ले जाने में सफल रहे जिससे पांडव चक्र व्यूह का कोई उत्तर नहीं दे सके। किंतु अभिमन्यु ने असीम पराक्रम दिखाते हुए अकेले ही चक्रव्यूह भेद कर उसके सभी महारथियों को अकेले ही परास्त कर दिया। इस भीषण वीरता से जब अभीमन्यु व्यूह के केंद्र में पहुँचे तो कौरव महारथियों ने उन्हें घेर कर मार डाला। अपने पुत्र की ऐसी मृत्यु का समाचार जानकर अर्जुन ने अगले दिन के युद्ध में जयद्रथ की हत्या का प्रण किया।
१४. युधिष्ठिर को बंदी बनाने में असफल रहने पर कौरवों के सेनापति द्रोण ने अर्जुन के प्रण को असफल कर उन्हें स्वदाह की ओर प्रेरित करने के लिये और जयद्रथ को बचाने के लिये एक विशेष व्यूह की रचना की। चक्रशकट व्यूह नामक यह रचना तीन भिन्न व्यूहों (शकट व्यूह, चक्र वयूह, और शुची व्यूह) का मिश्रण थी। अग्र भाग में शकट व्यूह की तरह एक लंबी, घनी सैन्य रेखा अपने पीछे चक्रव्यूह को छुपाये खड़ी थी, जिसके केंद्र में महारथियों से रक्षित शुची व्यूह बना कर उसके केंद्र में जयद्रथ को स्थान दिया गया था। शकटव्यूह की जिम्मेदारी दुर्योधन के भाई दुर्मर्षण को सौंपी गयी थी जबकि चक्रव्यूह की रक्षा स्वयं द्रोण कर रहे थे। शुची व्यूह (सुई जैसे व्यूह) में कर्ण, भूरिश्रवा, अश्वत्थामा, शल्य, वृषसेन और कृप को जयद्रथ की रक्षा के लिये नियुक्त किया गया था।
अर्जुन के प्रण को पूरा करने के लिये पांडवों ने खड्ग सर्प व्यूह की रचना की, जिसके मुख पर स्वयं अर्जुन काल की स्थित थे। उनके पीछे, सर्प के फन पर धृष्टद्युम्न, उनके पीछे भीम, सात्यकि, द्रुपद, विराट, नकुल, सहदेव और युधिष्ठिर मौजूद थे। सर्प के गले पर उप-पांडव थे और उनके पीछे बाकी पांडव सेना। जैसे सर्प एक लक्ष्य को डँसने के लिये लपकता है, वैसे ही पांडव सेना और अर्जुन कौरवों की ओर लपके। दुर्मर्षण को हरा कर द्रोण से बचते हुए अर्जुन ने कौरवों को उस दिन अपने क्रोध का दर्शन कराया। फिर भी, जयद्रथ तक पहुँचने में लगभग शाम हो गयी। सूर्य को डूबा हुआ समझ जब अर्जुन की चिता सजायी जा रही थी और जिसे देखने जयद्रथ भी व्यूह के बाहर आ गया था, तब एकाएक बादलों के हटने से सूर्यदेव का दर्शन हुआ और जयद्रथ वध के साथ १४वां दिन समाप्त हुआ।
१५. कौरवों के लिये द्रोण ने इस दिन भी चक्रव्यूह जैसे दिखने वाले व्यूह - पद्म व्यूह का निर्माण किया। पद्म व्यूह एक खिलते हुए कमल जैसा दिखता था और चक्रव्यूह की तरह ही इसमें कई स्तर होते थे।
पांडवों ने पुनः वज्र व्यूह का निर्माण किया। लगातार दो लक्ष्यों में असफल रहने के बाद द्रोण ने इस दिन विराट और द्रुपद की हत्या करते हुए भीषण संहार किया। किंतु युधिष्ठिर के अर्ध-सत्य की सहायता से द्रोण को विचलित कर पांडवों ने द्रोण का अंत किया।
१६. द्रोण के बाद कौरवों के सेनापति बने कर्ण ने मकर व्यूह की रचना की। इसका नेतृत्व स्वयं कर्ण कर रहे थे। शकुनि और उलूक इसके नेत्र थे। अश्वत्थामा इसके सर पर जबकि दुर्योधन इसके केंद्र में सुरक्षित था। कृतवर्मा और शल्य इसके दोनों बाजू पर सेना की रक्षा कर रहे थे।
उत्तर में पांडवों ने पुनः अर्धचन्द्र व्यूह का निर्माण किया।
१७. पांडवों के महिष व्यूह का निर्माण किया जिसके उत्तर में कौरवों ने सूर्य व्यूह की रचना की।
अर्जुन के हाथों कर्ण की मृत्यु हुई।
१८. कर्ण की मृत्यु के बाद कौरव सेनापति बने राजा शल्य ने कौरव सेना की रक्षा के लिये सर्वतोभद्र व्यूह की रचना की। किंतु अपनी बढ़त को परिणाम तक पहुँचाने के उद्देश्य से पांडवों ने एक बार फिर भयप्रद क्रौंच व्यूह बनाया।
युधिष्ठिर के हाथों शल्य की मृत्यु हुई, जिसके बाद कौरव सेना में भगदड़ मच गयी। दुर्योधन ने सेना संचालन की कोशिश की किंतु अर्जुन और भीम ने कौरव सेना का नाश कर दिया। इस दिन के अंत में कौरवों की ओर से लड़ने वाली ११ अक्षौहिणी सेना से केवल चार लोग ही बच गये - दुर्योधन, अश्वत्थामा, कृतवर्मा और कृपाचार्य।
मोदी जी की मेहनत और हिन्दुओें की एकता का परिणाम, जो अब हिन्दुस्तान की धरती पर दिखाई देने लगा है!
समाज में होते जबरदस्त बदलाव कि बानगी देखिए:-
जिसको लेकर मुस्लिम समाज भी अचंभित और सदमे में है!
१. भारत में जितनी भी दरगाहें हैं, वहाँ का 80% खर्चा हिन्दुओं से चलता है! FaceBook और WhatsApp की वजह से हिंदुओं में जागरुकता आने लगी है !
जिसकी वजह से अजमेर दरगाह पर जाने वाले हिंदुओं की संख्या 60% तक की कमी हो गई है! इस बात को लेकर वहाँ के खा़दिम बहुत परेशान हैं!
सोर्सेज: टॉप फाइव इंडिया लीडिंग ट्रेवल एजेंसीज!
2. अब हिंदू भाई-बहन इतने जागरुक हो गए हैं कि कोई भी सामान सिर्फ़ हिंदू भाई की ही दुकान से खरीद रहे हैं, क्योंकि उन्हें यह एहसास हो गया है, कि उनके द्वारा शांति दूतों के दुकान से की गई खरीदारी कहीं ना कहीं उनके अपनों के पलायन का कारण बनेगी! इस बात को लेकर सभी बड़े मस्जिदों में मंथन का दौर चल रहा है!
3. अभी तक किसी भी उपद्रव होने पर शांत रहने वाले हिंदू भाई पलटकर मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं, इसको लेकर भी शांतिदूतों की चिंता बढ़ी है!
4. सभी इलाकों से मिली जानकारी के अनुसार इस बार ईद पर जबरदस्त तरीके से मुसलमानों के घरों की सेवइयाँ का बायकाट किया गया है! मस्जिदों में नमाज के बाद अधिक से अधिक हिंदुओं से दोस्ती करने को, औऱ उनको अपने घर बुलाकर खाना खिलाने का, जोर दिया जा रहा है!
5. मुस्लिम एक्टर्स और देश विरोधी बयान देने वाली हीरोइनों की फिल्मों की इनकम में भी जबरदस्त गिरावट आयी है!
6. यह पॉइंट तो जबर्दस्त है, और बिलकुल शत प्रतिशत सही है, कि 2014 तक मुस्लिम बनने की होड़ 2024 तक हिन्दू बनने की होड़ में तब्दील हो गई!
सात सालों में कितना बदल गया मेरा भारत! मोदी है तो यह मुमकिन हुआ है कि किसी भी सेकुलर नेता ने जालीदार टोपी नहीं पहनी पूरे चुनाव में!
सोशल मीडिया से जबरदस्त फायदा हुआ है हिन्दू समाज को!
मोबाइल नहीं, यह महासमर का यंत्र सूत्र है! यह सब तेजी से फैलाना चाहिए कि आप सबसे मिलकर काम करने का नतीजा है, कि पूरे चुनाव में हरेक पार्टी के नेता ने सिर्फ मंदिर की चौखट पर माथा रगड़ा है! दिग्विजय सिंह जैसा धर्म विरोधी नेता भी हिन्दू धर्म के विरुद्ध हिम्मत नहीं जुटा पाया! इसी तरह आपकी एकता बनी रही तो वो दिन दूर नहीं जब हर राजनैतिक पार्टी आपसे पूछकर टिकट तय करेगी!
ये सही लिखा किसी ने:
जिस नरेंद्र मोदी ने:
कांग्रेस-सीपीआई एक कर दी;
यूपी में बसपा-सपा एक कर दी;
पाकिस्तान की तबियत से धुलाई कर दी;
भिन्न-भिन्न टैक्स की भराई, GST एक कर दी;
मुस्लिम और ईसाई की दुहाई एक कर दी;
अब्दुल की चार थी, लुगाई एक कर दी;
उस मोदी जी को Divider in Chief कह रहे हो ?
यह बदलाव अच्छा है! बदलते भारत की बदलती तस्वीर!!
कांग्रेस होती तो यह सब होने नहीं देती, सामाजिक सद्भावना रूपी जहर के नाम पर!
रामजी करें कि बस एक बात और हो जाये! आत्मरक्षा के लिए भी सब जल्दी से जल्दी आत्मनिर्भर हो जाएं!
हिन्दुओं, एकता और बढ़ाओ,
आज से ही शुरू कीजिये.... क्योंकि कल कभी नहीं आता है।
सहमत हैं तो अधिक से अधिक दूसरे ग्रुप में शेयर कीजिये और हिन्दु चेतना के जनजागरण मे भागीदारी कीजिये!
जय श्री राम🚩🚩💪