जय श्री कृष्णा, ब्लॉग में आपका स्वागत है यह ब्लॉग मैंने अपनी रूची के अनुसार बनाया है इसमें जो भी सामग्री दी जा रही है कहीं न कहीं से ली गई है। अगर किसी के कॉपी राइट का उल्लघन होता है तो मुझे क्षमा करें। मैं हर इंसान के लिए ज्ञान के प्रसार के बारे में सोच कर इस ब्लॉग को बनाए रख रहा हूँ। धन्यवाद, "साँवरिया " #organic #sanwariya #latest #india www.sanwariya.org/
यह ब्लॉग खोजें
मंगलवार, 3 मई 2022
बेडशीट अगर आप इतने दिनों में बदलते हैं तो हो जाएं सावधान
सोमवार, 2 मई 2022
समारोहों, जन्मदिनों आदि के दौरान रिटर्न गिफ्ट के रूप में पौधे वितरित करें।
अक्षय तृतीया को हुआ था मां गंगा का पृथ्वी पर अवतरण
भगवान परशुरामजी वैशाख शुक्ल तृतीया/ प्रकटोत्सव
हैदराबाद में एक परिवार है जो पिछले 5 पीढ़ियों से अस्थमा का इलाज करता है
हैदराबाद में एक परिवार है जो पिछले 5 पीढ़ियों से अस्थमा का इलाज करता है
यह परिवार कुछ जड़ी बूटियों को पीसकर उसे जिंदा मछली के छोटे बच्चे के साथ या फिर शाकाहारी मरीज को केले के साथ रोगी को सीधे निगलना होता है और कहते हैं कि अस्थमा जड़ से ठीक हो जाता है
इसके ऊपर हिस्ट्री चैनल डिस्कवरी चैनल नेशनल ज्योग्राफिक चैनल ने पूरी दुनिया में डॉक्यूमेंट्री दिखाइ
इतना ही नहीं अमेरिका की एक मेडिकल संस्था ने अस्थमा से पीड़ित एक बच्चे को इनसे वही ट्रीटमेंट करवाया और उस संस्था ने यह देख कर चौक गया कि उस बच्चे की अस्थमा पूरी तरह से खत्म हो गयी
साल में एक ही दिन यह परिवार एक बड़े से मैदान में इसका ट्रीटमेंट करता है और एक रुपए चार्ज नहीं लिया जाता उस दिन भारत के कोने-कोने से स्पेशल ट्रेन चलाई जाती है और उस दिन हैदराबाद की जनसंख्या लगभग 25 लाख बढ़ जाती है इतना ही नहीं पाकिस्तान बांग्लादेश नेपाल भूटान से लेकर जर्मनी और ब्रिटेन जैसे विकसित देशों से लोग भी इलाज करवाने आते हैं
नेशनल जियोग्राफी की डॉक्यूमेंट्री में इस परिवार ने बताया कि लगभग 5 पीढ़ी पहले एक सन्त उधर से गुजर रहे थे काफी बारिश हो रही थी तब उनके परिवार के सदस्य ने उन्हें घर में आकर आराम से बैठने को कहा और खाना खिलाया जाते समय संत एक कागज पर लिखकर एक नुक्सा देकर गए और कहे कि तुम्हारे खानदान में पीढ़ी दर पीढ़ी एक ऐसा चमत्कार होगा इस नुक्से को मछली या फिर जो व्यक्ति शुद्ध शाकाहारी है उसे केले के साथ खिलाने से उसकी अस्थमा पूरी तरह से खत्म हो जाएगी।
##सूचना:-तेलंगाना राज्य के हैदराबाद शहर में यह दवा वर्ष में केवल जून महीने की कुछ खास तिथि, नक्षत्र पर ही दिया जाता है,नामपल्ली स्टेशन के पास, ऑब्जिविशन ग्राउंड में बड़ा कैम्प लगता है।अधिक जानकारी के लिए तेलंगाना राज्य की पूछताछ विभाग से सम्पर्क करें।बत्तीनी गौड़ परिवार यह दवा देता है जोकि वर्तमान में चारमीनार के पास रहते है।
"हिजड़ों ने भाषण दिए लिंग-बोध पर, वेश्याओं ने कविता पढ़ी आत्म-शोध पर"
"हिजड़ों ने भाषण दिए लिंग-बोध पर,
वेश्याओं ने कविता पढ़ी आत्म-शोध पर"।
महिलाओं का दैहिक शोषण करने वाले नेता ने भाषण दिया नारी अस्मिता पर।
भ्रष्ट अधिकारियों ने शुचिता और पारदर्शिता पर उद्बोधन दिया।
विश्वविद्यालय मैं कभी ना पढ़ाने वाले प्रोफेसर कर्म योग पर व्याख्यान दे रहे हैं।
असल मे दोष इनका नहीं है।
इस देश की प्रजा प्रधानमंत्री को
मंदिर में पूजा करते देखने की आदी नहीं है।
इस देश ने एडविना माउंटबेटन की कमर में हाथ डाल कर नाचते प्रधानमंत्री को देखा है।
इस देश ने
मजारों पर चादर चढ़ाते प्रधानमंत्री को देखा है।
यह जनता प्रधानमंत्री को
पार्टी अध्यक्ष के सामने नतमस्तक होते देखती आयी है। फिर मंदिर में भगवान के समक्ष नतमस्तक प्रधानमंत्री को लोग कैसे सहन करें ?
बिहार के एक बिना अखबार के पत्रकार
मंदिर से निकल कर
सूर्य को प्रणाम करते प्रधानमंत्री का उपहास उड़ा रहे हैं।
एक महान लेखक
जिनका सबसे बड़ा प्रशंसक भी
उनकी चार किताबों का नाम नहीं जानता,
प्रधानमंत्री के भगवा चादर की आलोचना कर रहे हैं।
एक कवियित्री
जो अपनी कविता से अधिक मंच पर चढ़ने के पूर्व
सवा घण्टे तक मेकप करने के लिए जानी जाती हैं, प्रधानमंत्री के पहाड़ी परिधान की आलोचना कर रही हैं।
भारत के इतिहास में
आलोचना कभी इतनी निर्लज्ज नहीं रही,
ना ही बुद्धिजीविता इतनी लज्जाहीन हुई कि
गांधीवाद के स्वघोषित योद्धा भी
बंगाल की हिंसा के लिए ममता बनर्जी का समर्थन करें।
क्या कोई व्यक्ति इतना हताश हो सकता है कि
किसी की पूजा की आलोचना करे ?
क्या इस देश का प्रधानमंत्री अपनी आस्था के अनुसार ईश्वर की आराधना भी नहीं कर सकता ?
क्या बनाना चाहते हैं देश को आप ?
सेक्युलरिज्म की यही परिभाषा गढ़ी है आपने ?
एक हिन्दू नेता का टोपी पहनना उतना ही बड़ा ढोंग है, जितना किसी ईसाई का तिलक लगाना।
लेकिन जो लोग इस ढोंग को भी बर्दाश्त कर लेते हैं, उनसे भी
प्रधानमंत्री की शिव आराधना बर्दाश्त नहीं हो रही।
संविधान की प्रस्तावना में वर्णित
"धर्म, आस्था और विश्वास की स्वतंत्रता" का
यही मूल्य है आपकी दृष्टि में ?
व्यक्ति विरोध में अंधे हो चुके मूर्खों की यह टुकड़ी
चाह कर भी नहीं समझ पा रही कि
मोदी एक व्यक्ति भर हैं,
आज नहीं तो कल हार जाएगा
कल कोई और था,
कल कोई और आएगा।
देश न इंदिरा पर रुका था,
न मोदी पर रुकेगा।
समय को
इस बूढ़े से जो करवाना था वह करा चुका।
मोदी ने भारतीय राजनीति की दिशा बदल दी है।
मोदी ने ईसाई पति की पत्नी से
महाकाल मंदिर में रुद्राभिषेक करवाया है.
मोदी ने मिश्रित DNA वाले इसाई को हिन्दू बाना धारण करने के लिए मजबूर कर दिया है।
मोदी ने ब्राम्हणिक वैदिक के विरोध मे राजनीतिक यात्रा शुरू करनेवाले से शिवार्चन करवाया है।
मोदी ने रामभक्तों पर गोली चलवाने वाले के पुत्र से राममंदिर का चक्कर लगवाया है।
हिन्दुओं में हिन्दुत्व की चेतना जगानेवाले
मोदी के बाद
अब वही आएगा
जो मोदी से भी बड़ा मोदी होगा।
"मोदी नाम केवलम" का
जाप करने वाले मूर्ख जन्मान्ध विरोधियों, अब मोदी आये न आये, तुम्हारे दिन कभी नहीं आएंगें।
अब ऐसी कोई सरकार नहीं आएगी जो घर बैठा कर मलीदा खिलाये!
.
💐💐 भारत बदल चुका है। 💐💐
🚩सनातन की चेतना जाग चुकी है। 💫
🚩🚩🚩🚩🚩
जय श्री राम
अक्षय तृतीया पर करें भगवान विष्णु जी और पितरों को प्रसन्न, घर में आएगी सुख एवं समृद्धि - 【ज्योतिषाचार्य पं. नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री】
अक्षय तृतीया पर करें भगवान विष्णु जी और पितरों को प्रसन्न, घर में आएगी सुख एवं समृद्धि
【ज्योतिषाचार्य पं. नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री】
============================
✍🏻अक्षय तृतीया का पावन दिन हर वर्ष वैशाख शुक्ल तृतीया तिथि को होता है ज्योतिषाचार्य पं. नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने बताया कि इस वर्ष 03 मई 2022 दिन मंगलवार को अक्षय तृतीया मनाई जाएगी, इस अवसर पर आप भगवान विष्णु जी और पितरों को प्रसन्न करके अपने घर में सुख एवं समृद्धि ला सकते हैं, अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है और पितरों को तृप्त करके अपनी उन्नति करने का शुभ अवसर है, अक्षया तृतीया या आखा तीज पर भगवान विष्णु जी की पूजा किस प्रकार से करें और पितरों को प्रसन्न कैसे करें, इसके बारे में जानते हैं पं. श्री नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी से.....
इस दिन अक्षय तृतीया पूजा का शुभ मुहूर्त प्रात: 05:39 बजे से लेकर दोपहर 12:55 बजे तक है, इस दिन पूजा अर्चना के लिए आपके पास पर्याप्त समय प्राप्त होगा, हालांकि इस दिन अबूझ मुहूर्त होता है, इसलिए आप कोई भी शुभ कार्य किसी भी समय कर सकते हैं।
अक्षय तृतीया पर भगवान विष्णु जी की पूजा विधि
ज्योतिषाचार्य पं. नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने बताया कि अक्षय तृतीया के दिन प्रात: स्नान आदि के बाद साफ वस्त्र धारण करके पूजा स्थान की सफाई कर लें, उसके बाद श्री लक्ष्मी नारायण की पूजा सफेद या पीले गुलाब या फिर सफेद कमल के फूल से करें, इस दिन दो कलश लें, एक कलश को जल से भर दें और उसमें पीले फूल, सफेद जौ, चंदन और पंचामृत डालें, उसे मिट्टी के ढक्कर से ढक दें और उस पर फल रखें।
इसके बाद दूसरे कलश में जल भरें और उसके अंदर काले तिल, चंदन और सफेद फूल डालें, पहला कलश भगवान विष्णु के लिए और दूसरा कलश पितरों के लिए होता है, दोनों कलश की विधिपूर्वक पूजा करें, उसके बाद दोनों कलश को दान कर दें, ऐसा करने से भगवान विष्णु जी और पितर दोनों ही प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा प्राप्त होती है, दोनों के आशीर्वाद से परिवार में सुख एवं समृद्धि आती है।
function disabled
Old Post from Sanwariya
- ▼ 2024 (357)
- ► 2023 (420)
- ► 2022 (477)
- ► 2021 (536)
- ► 2020 (341)
- ► 2019 (179)
- ► 2018 (220)
- ► 2012 (671)