पीएम मोदी के दौरे से भारत-अमेरिका - रेलवे से लेकर अंतरिक्ष तक हुए 8 अहम समझौते
प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी के तीन दिवसीय अमेरिकी दौरे के दौरान कई बड़े समझौते किए गए
हैं। पीएम मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच बैठक में जिन समझौतों पर
मुहर लगाई गई वो दोनों देशों के बीच दोस्ती को नई ऊंचाई देने वाली है। इससे
दोनों देशों के बीच संबंध में एक नया अध्याय शुरू होने जा रहा है। इस
दौरान जो महत्वपूर्ण समझौते हुए हैं उनमें सेमीकंडक्टर प्लांट, रेलवे,
तकनीक, ड्रोन, जेट इंजन और अंतरिक्ष सेक्टर शामिल हैं। इन करार का असर आने
वाले सालों में देखने को मिलेगा। भारत और अमेरिका के बीच कुछ ऐसे भी समझौते
किए गए हैं, जिनसे भारत आने वाले सालों में ग्लोबल मैन्यूफैक्चर हब में
बदल जाएगा। इसके अलावा पीएम मोदी के दौरे से कुछ और उपलब्धियां हासिल हुई
हैं इनमें बाइडन प्रशासन ने एच-1बी वीजा में ढील देने का फैसला किया है और
साथ ही 6 व्यापारिक बाधाओं को सुलझाने पर सहमति जताई है। इसके साथ ही पीएम
मोदी ने कई बड़ी अमेरिकी कंपनियों के CEO के साथ मिलकर उन्हें भारत में
इन्वेस्टमेंट का न्योता दिया है।
आइए जानते हैं इस दौरे में भारत-अमेरिका के बीच हुईं 8 सबसे बड़ी डील में क्या है।
1. फाइटर जेट्स इंजन प्लांट
अब भारत में ही बनेंगे लड़ाकू विमानों के जेट इंजन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिकी दौरे
का सबसे बड़ा फायदा रक्षा मामलों में हुआ है। पीएम मोदी के अमेरिका दौरे
के बीच लड़ाकू जेट इंजन बनाने के लिए भारत में प्लांट लगाने की डील फाइनल
हुई है। अब अमेरिकी कंपनी जीई एयरोस्पेस के सहयोग से हिंदुस्तान
एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) भारत में ही लड़ाकू विमानों के लिए जीई-एफ 414
इंजन बनाएगी, जिससे भारत के फाइटर जेट्स को आधुनिक इंजन मिल जाएंगे।
अमेरिकी कंपनी जीई एरोस्पेस ने हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के साथ
भारत में लड़ाकू विमानों के इंजन के संयुक्त उत्पादन के लिए अहम समझौते पर
हस्ताक्षर किए हैं। जीई और हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने
एफ414 जेट इंजन के संयुक्त उत्पादन के लिए एक सहमति पत्र (MoU) पर
हस्ताक्षर किए हैं। भारत ने तेजस विमानों के लिए जीई-414 इंजन खरीदे थे और
भारत में ही इसके बनने से आत्मनिर्भरता की ओर एक बड़ा कदम है।
2. प्रीडेटर ड्रोन (एमक्यू-9 रीपर)
हिंद महासागर, चीनी सीमा पर निगरानी करेगा यह ड्रोन
भारत और अमेरिका के बीच एमक्यू-9 रीपर
ड्रोन की खरीद पर भी मुहर लगी है। एमक्यू-9 रीपर ड्रोन भारत की नेशनल
सिक्युरिटी के लिए बेहद अहम है। ये ड्रोन हिंद महासागर के अलावा चीनी सीमा
के साथ दूसरे अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर की निगरानी में लगाया जाएगा। 29 हजार
करोड़ रुपए के इस सौदे में भारत को 30 लड़ाकू ड्रोन दिए जाएंगे। दोनों देशों
के इस समझौते से चीन काफी बौखलाया हुआ है। फिलहाल, भारत को यह ड्रोन पायलट
प्रोजेक्ट के तहत दिए जाएंगे, इसके बाद तीनों सेनाओं से फीडबैक मिलने के
बाद इनका निर्माण भी भारत में किया जाएगा।
3. गुजरात में सेमीकंडक्टर प्लांट
इस प्लांट से 5,000 नई नौकरियां तुरंत पैदा होंगी
अमेरिका की सेमीकंडक्टर कंपनी माइक्रॉन
(Micron) गुजरात में अपना सेमीकंडक्टर असेंबली और टेस्टिंग प्लांट स्थापित
करेगी। इसमें कुल 2.7 अरब डॉलर का इन्वेस्टमेंट होगा। इस समझौते के तहत
अमेरिकी सेमीकंडक्टर कंपनी को 1.34 अरब डॉलर के प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव
(PLI) का भी फायदा मिलेगा। कंप्यूटर चिप बनाने वाली कंपनी माइक्रोन
टेक्नोलॉजी और भारत नेशनल सेमीकंडक्टर मिशन मिलकर भारत में सेमीकंडक्टर
बनाएंगे। इसके लिए कंपनी की ओर से 2.75 अरब डॉलर का निवेश किया जाएगा। इस
समझौते के तहत 50 प्रतिशत निवेश भारत सरकार की तरफ से किया जाएगा, जबकि 20
प्रतिशत का निवेश गुजरात सरकार की तरफ से किया जाएगा। माइक्रोन टेक्नोलॉजी
कंपनी ने कहा है कि इस निवेश से 5,000 नई नौकरियां तुरंत पैदा होंगी।
4. भारतीय रेलवे और अमेरिका के बीच करार
मानवीय सहायता, जलवायु परिवर्तन और संघर्ष प्रबंधन पर होगा काम
भारतीय रेलवे और अमेरिकी सरकार की एक
स्वतंत्र एजेंसी यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट/इंडिया
(यूएसएआईडी/इंडिया) ने एक एमओयू पर हस्ताक्षर किया है। इस समझौते में कहा
गया है, कि USAID/India आर्थिक विकास, कृषि क्षेत्रों, व्यापार, स्वच्छ
ऊर्जा, वैश्विक स्वास्थ्य, लोकतंत्र, मानवीय सहायता, जलवायु परिवर्तन के
मुद्दों और संघर्ष प्रबंधन में सहायता करके अंतर्राष्ट्रीय विकास का समर्थन
करता है। वहीं मिशन नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को पाने के लिए
भारतीय रेलवे के कार्बन फुटप्रिंट्स को कम करने का प्रयास किया गया है। रेल
मंत्रालय ने बताया है कि रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष और सीईओ अनिल कुमार
लाहोटी की उपस्थिति में भारतीय रेलवे के रेलवे बोर्ड के सदस्य (ट्रैक्शन
एंड रोलिंग स्टॉक) नवीन गुलाटी और यूएसएआईडी के उप प्रशासक इसाबेल कोलमैन
ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं।
5. अर्टेमिस एकॉर्ड्स समझौता
इसरो और नासा ज्वॉइंट मिशन पर काम करेंगे
भारत और अमेरिका के बीच होने वाले एक अहम
समझौते में ‘आर्टेमिस एकॉर्ड्स’ शामिल है। इसके जरिए समान विचारधारा वाले
देशों के नागरिकों को अंतरिक्ष खोज वाले मुद्दे पर एक साथ लाने का काम किया
जाएगा। साल 2024 में नासा और इसरो एक साथ मिलकर संयुक्त मिशन करने पर सहमत
हुए हैं। इस मिशन के पूरा होने के बाद भारत उन देशों की लिस्ट में शामिल
हो जाएगा, जो अंतरिक्ष में अमेरिका का सहयोगी है। अगले साल नासा के जरिए
भारतीय अंतरिक्ष यात्री इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की भी यात्रा करेंगे। मतलब
नासा और इसरो 2024 में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए एक ज्वॉइंट
मिशन पर काम करेंगे। इस समझौते का मकसद भारत-अमेरिका के बीच अंतरिक्ष सहयोग
को बढ़ावा देना है।
6. iCET की शुरुआत
दोनों देश जटिल तकनीक बाटेंगे और उसको सुरक्षित रखेंगे
भारत और अमेरिका के बीच इनिशिएटिव ऑन क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी
(iCET) की शुरुआत भी की गई है। वैसे, इसकी शुरुआत जनवरी, 2023 में ही हो गई
थी, लेकिन औपचारक ऐलान पीएम मोदी के अमेरिका दौरे में ही किया गया। इसके
साथ ही दोनों देशों ने आपस में समझौता किया है कि वो आपस में जटिल तकनीक
बाटेंगे और उसको सुरक्षित रखेंगे।
7. इंडस-एक्स की शुरुआत
भारतीय स्टार्टअप्स के लिए डिफेंस निर्माण के क्षेत्र में खुलेंगे द्वार
भारत-अमेरिका मिलकर यूएस-इंडिया डिफेंस
एक्सेलेरेशन इकोसिस्टम (INDUS-X) शुरू करने पर भी राजी हो गए हैं। इस
नेटवर्क के जरिए दोनों देशों की यूनिवर्सिटी, स्टार्टअप्स, उद्योग और थिंक
टैंक्स शामिल होंगे। इस करार के बाद दोनों देशों के बीच डिफेंस टेक्नोलॉजी
से जुड़े नए इनोवेशन होंगे। इसके तहत एक नेटवर्क की स्थापना की जाएगी। इस
नेटवर्क में दोनों देशों के स्टार्टअप्स, यूनिवर्सिटीज, इंडस्ट्री और अलग
स्टार्ट्स अप्स से जुड़े थिंट टैंक शामिल होंगे। इसके जरिए दोनों देशों के
बीच संयुक्त तौर पर डिफेंस टेक्नोलॉजी के विस्तार पर ध्यान दिया जाएगा।
इसका सबसे बड़ा फायदा भारत को ये होने वाला है कि इस नेटवर्क से जुड़कर
भारत के स्टार्टअप्स डिफेंस निर्माण के क्षेत्र में कदम बढ़ा सकते हैं,
जैसा कि इजरायल में होता है। ऐसे ही स्टार्ट्सअप्स के जरिए इजरायली रक्षा
क्षेत्र में दर्जनों निजी कंपनियां खुल गईं, जो दुनियाभर में हथियारों की
सप्लाई करते हैं।
8. भारत में अमेरिकी दूतावास
भारत में अमेरिका के दो नए दूतावास, भारत सिएटल में खोलेगा दूतावास
अमेरिका ने भारत के दो शहरों बेंगलुरु और
अहमदाबाद में दो नए वाणिज्यिक दूतावास खोलने का भी ऐलान किया। भारत के
हैदराबाद और बेंगलुरु में अमेरिका ने दो नए दूतावास स्थापित करने का ऐलान
किया है। देश की राजधानी में स्थापित अमेरिकी दूतावास विश्व के सबसे बड़े
दूतावासों में से एक है। यह अमेरिकी दूतावास मुंबई, कोलकाता, चेन्नई और
हैदराबाद में चार वाणिज्य दूतावासों के साथ समन्वय करता है और यह सुनिश्चित
करता है कि दोनों देशों के बीच के संबंधों में किसी तरह का तनाव न आए। साथ
ही दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूतर करने और बढ़ावा देने के लिए भारत
ने अमेरिका के सिएटल शहर में एक मिशन शुरू करने की घोषणा की है।
पीएम मोदी के अमेरिका दौरे से कई और उपलब्धियां हुई हैं, इन्हीं में कुछ पर एक नजर-
हजारों भारतीयों के लिए खुशखबरी! H-1B वीजा नियमों में ढील
अमेरिका सरकार के H-1B वीजा नियमों में ढील
देने से हजारों भारतीयों को फायदा होने वाला है। अमेरिका ने अब भारतीयों
के लिए अमेरिका में रहना और काम करना आसान बना दिया है। बाइडन प्रशासन देश
में नवीकरणीय एच-1बी वीजा पेश करने के लिए तैयार है, जिसके तहत अब भारतीय
नागरिक और अन्य विदेशी कर्मचारी स्वदेश जाए बिना अमेरिका में ही एच1बी वीजा
को रिन्यू करा सकेंगे। भारतीय नागरिक अब तक यूएस एच1-बी वीजा के सबसे
सक्रिय उपयोगकर्ता रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2022-23 में
लगभग 442000 ने एच1-बी वीजा का उपयोग किया, जिनमें से 73 प्रतिशत भारतीय
नागरिक थे।
6 व्यापारिक बाधाओं को सुलझाने पर सहमति
व्यापारिक बाधाओं को सुलझाने के लिए भारत
और अमेरिका वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन में चल रहे 6 व्यापारिक बाधाओं को
सुलझाने के लिए सहमत हो गए हैं। इसके तहत नई दिल्ली 28 अमेरिकी उत्पादों पर
सीमा शुल्क को हटा लेगा। ये सीमा शुल्क भारत ने टिट फॉर टैट के तहत लगाया
था, जब अमेरिका ने कुछ भारतीय उत्पादों पर सीमा शुल्क में बढ़ोतरी कर दी
थी। इस समझौते से दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ने की संभावना है और
भारतीय निर्यातकों को प्रमुख कर लाभ प्राप्त करने में भी मदद मिलेगी।
अमेरिका ने 2018 में राष्ट्रीय सुरक्षा को आधार बनाकर पर कुछ स्टील और
एल्यूमीनियम उत्पादों पर क्रमशः 25 प्रतिशत और 10 प्रतिशत आयात टैक्स लगा
दिया था। जवाबी कार्रवाई में, भारत ने जून 2019 में चना, दाल, बादाम,
अखरोट, सेब, बोरिक एसिड और डायग्नोस्टिक उत्पादों सहित 28 अमेरिकी उत्पादों
पर भारी सीमा शुल्क लगा दिया था और उसके बाद दोनों देशों के बीच व्यापारिक
विवाद शुरू हो गये थे, जो अब खत्म हो गए हैं।