जय श्री कृष्णा, ब्लॉग में आपका स्वागत है यह ब्लॉग मैंने अपनी रूची के अनुसार बनाया है इसमें जो भी सामग्री दी जा रही है कहीं न कहीं से ली गई है। अगर किसी के कॉपी राइट का उल्लघन होता है तो मुझे क्षमा करें। मैं हर इंसान के लिए ज्ञान के प्रसार के बारे में सोच कर इस ब्लॉग को बनाए रख रहा हूँ। धन्यवाद, "साँवरिया " #organic #sanwariya #latest #india www.sanwariya.org/
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रविवार, 30 जुलाई 2023
कारगिल हुआ ही क्यो..??
*ये हैं "सनातन धर्म" के रक्षक 'जगतगुरु स्वामी रामभद्राचार्य महाराज' जी*!
टर्म इंश्योरेंस आखिर क्यों है जरूरी, जान लीजिए इसकी पूरी ABCD
आनलाइन फ्राड/धोखेबाज़ी या आनलाईन फिशिंग से कैसे बचा जा सकता है?
आनलाइन फ्राड/धोखेबाज़ी या आनलाईन फिशिंग से कैसे बचा जा सकता है? क्या आपका कोई अच्छा या बुरा अनुभव है जो आप साझा करना चाहेंगे?
मेरे पास तो कम से कम 20 से 25 बार काॅल आ चुके हैं धोखाधड़ी के लिए। लेकिन हर बार मैं अपनी समझदारी के कारण बच गया हूँ और फ्राड काॅलर अपना सिर धुनते रह गया है। कई बार तो नामी गिरामी कंपनियों के काॅल सेंटर से काॅल करके बेवकूफ़ बनाने का प्रयास किया गया है। कई बार तो नामी गिरामी कंपनियों के काॅल सेंटर से काॅल करके बेवकूफ़ बनाने का प्रयास किया गया है।
मैं एक ग्राफिक डिज़ाईनर हूँ और पिछले 20 सालों से मैं कम्प्यूटर/आनलाइन कार्य करता हूँ और काफी जानकारी भी एकत्रित करता रहता हूँ इस कारण धोखेबाज़ों के जाल में नहीं फंसा।
इस प्रश्न के उत्तर में अपना अनुभव आप लोगों से साझा करना चाहता हूँ, ताकि और लोग भी सचेत हो सके।
मेरे पास किस तरह के फ्राड काॅल आते हैं उनके बारे विस्तार से लिख रहा हूँ -
बैंक एटीएम की जानकारी के लिए - धोखेबाज़ कई बार फोन करके एटीएम नंबर और पिन माँग चुके हैं। एक अनुभव साझा करता हूँ - मेरे पास एक काॅल आया, ‘आप अलाउदिन अंसारी बोल रहे हैं। मैं एसबीआई/इंडिया बैंक से फलाना मैनेजर बोल रहा हूँ। आपका एटीएम कार्ड ब्लाॅक होने वाला है एक-दो दिन में। आप अगर वेरिफिकेशन करवा लेते हैं तो आपका एटीएम बंद नहीं होगा।’’ (अपना नाम और बैंक के बारे सुनकर आम लोग सोचते हैं कि बैंक से ही फोन होगा, जबकि सच्चाई यह है कि आपका सारा डाटा आनलाइन चोर मार्केट में मिल सकता है, 1 रूपये से भी कम में।) उसने मुझे भरोसे में लेने के लिए कहा कि हम आपसे कार्ड का नंबर और खूफिया जानकारी नहीं मांगेंगे। मुझे तो समझ आ गया कि यह एक फ्राड काल है।
मैंने कहा बताइए कैसे वेरिफिकेशन करेंगे। तो काॅलर ने मुझसे पूछा आपका कार्ड वीसा कंपनी का है या मास्टर कार्ड का। मैंने बताया कि वीसा कंपनी का। तो उसके कहा मैं आपको नंबर कंफर्म करा रहा हूँ, और उसने मेरे कार्ड के 16 नंबरों में से शुरूआती 4 नंबर बता दिए और फिर मुझसे बाकी के नंबर पूछने चाहे। मैंने मना कर दिया। क्यों? क्योंकि वीज़ा/अमेरिकन एक्सप्रेस/मास्टर कार्ड सबके शुरूआती नंबर कंपनी के हिसाब एक ही होते हैं। इन शुरूआती 4 डिज़िट से ही कार्ड किस कंपनी द्वारा जारी किया गया है पता चलता है। इस कारण मैंने उसको साफ मना कर दिया। काफी देर तक उसने मुझपर दबाव डाला तब मैंने कहा कि "भाई साहब मैं साइबर सेल में हूँ और आपसे इसलिए इतनी देर से बात कर रहा कि आपका काल ट्रेस हो सके।" बस इतना सुनना था कि सामने वाले का काल कट गया।
अब इतनी आदत हो गई है कि 5 सेकेंड में पता चल जाता है काॅल फ्राड है कि सही। कई बार मैं आफिस में होता हूँ और ज्यादा बात करने का समय नहीं होता तो साफ बोल देता हूँ तुम फ्राड कालर हो और फोन कट जाता है।
सुझाव-
याद रखें बैंक वाले कभी भी आपसे आपका पिन या कार्ड नंबर नहीं मांगेंगे। अगर उन्हें ज़रूरत भी होगी तो आपको ही ब्रांच में बुलाएंगे। आप कभी भी अपना पिन या फिर मोबाईल पर आया हुआ ओटीपी किसी को न बताएँ। क्योंकि धोखेबाज़ों के आप आप की अधिकतर जानकारी होती है, कार्ड नंबर, सीवीवी कोड और मोबाइल नंबर तक उनको पता होता है। बस लेनदेन के लिए जो ओटीपी आता है वो आपके मोबाइल पर ही आयेगा इसलिए धोखोबाज आपको फोन पर पहले ही फंसा लेते है और जब उनको लगता है कि आप ओटीपी बता देंगे तो वो आॅनलाइन किसी चीज़ का भुगतान करते हैं (आपके कार्ड की डिटेल्स से)। आप जैसे ही ओटीपी बतायेंगे तो आपके बैंक से कट जाएंगे।
कृपया ऐसे फोन काॅल से सावधान रहें।
नौकरी के झांसे वाले काॅल - एक बार नौकरी.काॅम से ई-मेल आया था। जिसमें एक अच्छे पैकेज का आफर था। उन्होंने रिज्यूमे माँगा और 10 मिनट बाद ही मुझे फोन आया कि आपको सेलेक्ट कर लिया गया है। चूंकि मेल नौकरी.काॅम की मेल सर्विस से आया था तो मैंने फ्राड काॅल नहीं समझा। कुछ देर बाद मुझे फिर से एक काॅल आया कि 5000/- रूपये रजिस्ट्रेशन फीस जमा करो तो आपको कल ही ज्वाईनिंग लेटर भेज दिया जाएगा और सैलरी भी लगभग 40 हजार के आस-पास फाइनल हो गई है।
बस यहीं मेरे दिमाग की बत्ती जली। फिर मैंने ईमेल एड्रेस, जिससे मेल आया था उसको ध्यान से पढ़ा तो पता चला कि सिर्फ एक अक्षर का अंतर था कंपनी और फ्राड ईमेल एड्रेस में।
बस इस जरा सी सावधानी से मैं एक बार फिर बच गया। मेरा एक पड़ोसी जो इंजीनिरिंग कर चुका था उसने ऐसे ही फ्राड ईमेल के झांसे में आकर धीरे-धीरे 60-70 हज़ार रूपये गंवा दिए थे। इसका मुझे बाद में पता चला।
सुझाव -
नौकरी के ऐसे आफर की सत्यता की जाँच कंपनी के आफिशियल वेबसाईट पर करें। किसी की भी चिकनी-चुपड़ी बातों में आसानी से न आएँ, दो-तीन लोगों से सलाह लें जो इंटरनेट के अच्छे जानकार हों और सबसे जरूरी वक्त लें थोड़ा, जल्दबाजी न करें।
लकी नंबर वाला फ्राॅड - मेरे पास कई ऐसे फोन भी आए हैं जिनमें कहा गया कि आपका आयडिया का नंबर लकी नंबर के रूप में चुना गया है। आपको मोबाईल/बाईक/कार/घर ईनाम के रूप में मिलेगा। बस आपको सिक्यूरिटी के रूप में 10/20/30/40 हज़ार रूपये जमा करने पड़ेंगे। अब जाहिर सी बात है कोई जबरन में आपको काॅल करके क्यों गिफ्ट देगा वो भी आपके बिना भाग लिए हुए। सोचने वाली बात है।
सुझाव-
कृपया लालच न करें। यह कलयुग है, सतयुग नहीं। कोई भी आपको अपनी जेब से गिफ्ट नहीं देगा, वो भी जबरदस्ती। ऐसे काॅल को महत्त्व न दें।
आनलाईन खरीदी के बाद वाला फ्राॅड काल- यह नया-नया फ्राॅड है। मेरे साथ 2 बार हो चुका है। मैंने फ्लिपकार्ट से एक सामान आर्डर किया। दूसरे ही दिन मेरे पास काॅल आया कि आपने फ्लिपकार्ट से अमुक समान खरीदा है, इतने रूपये का और आपके इस एड्रेस पर डिलीवरी होनी है। (इतने में आम लोग आश्वस्त हो जाते हैं कि कंपनी से ही काॅल आया होगा) मेरे हाँ में जवाब देने पर काॅलर ने कहा ‘‘बधाई हो आप एक बाईक जीत गए हैं, फिलिपकार्ट पर शाॅपिंग करने के लिए’’। बस मेरे लिए इतना ही काफी था फेक अलार्म पकड़ने के लिए। मैंने उसे साफ मना कर दिया मैं कोई पैसा नहीं दूँगा आपको तो सामने वाले काॅल कट कर दिया।
होम शाॅप 18 से भी खरीदी करने पर भी मेरे साथ एक बार यही चीज़ हो चुकी है।
सुझाव-
आनलाईन कंपनियाँ जो भी डिस्काउंट या ईनाम देती हैं अपनी वेबसाईट या जो सामान आप खरीद रहे हैं वहीं पर बता देते है। आपकी खरीदारी के बाद नहीं बताती कि आपने यह ईनाम जीता है।
आपका एड्रेस और खरीदारी का अमाउंट धोखेबाज़ कुरियर कंपनी से खरीद लेते हैं इसलिए आप भ्रमित न हों। लोगों से सलाह लें।
आनलाईन जाॅब पोर्टल - एक बहुत बड़ी जाॅब प्रोवाईडर कंपनी है, मैं नाम नहीं लूंगा। इनके काॅल सेंटर से काॅल आया। अच्छी जाॅब दिलाने के बहाने मुझसे रजिस्ट्रेशन करने को कहा गया। बहुत मनाने के बाद मैंने 3000 रूपये में रजिस्ट्रेशन इस शर्त पर किया की इसके बाद मुझे एक भी रूपये नहीं देने पड़ेंगे और जाॅब के नोटीफिकेशन आने लगेंगे। पर जैसे ही मैंने रजिस्ट्रेशन फीस जमा की उन्होंने और पैसे की माँग की अलग-अलग बहाने से। मैंने मना कर दिया और आनलाईन कंप्लेंट करके बड़ी मुश्किल से अपने पैसे वापस पाए। आप इनको व्हाईट काॅलर धोखेबाज़ बोल सकते हैं।
सुझाव -
किसी भी जाॅब पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करने से पहले सारे तथ्य एवं शुल्क की जाँच कर लें। साथ ही कंपनी के बारे में आनलाइन रिव्यू एवं फीडबैक भी पढ़ लें।
एम्स में गरीबों के इलाज के लिए - एक बार मेरे पास एक काॅल आया जिसमें कहा गया कि एक गरीब बच्चे के टीबी के इलाज के लिए 1 लाख रूपये चाहिए। 60 हजार रूपये आप जैसे लोगों से एकत्रित हो गए हैं, बस 40 हज़ार की और जरूरत है। आपसे जितनी मदद हो सके कर दीजिए कम से कम 1 रूपये से आप कितना भी अमाउंट आप पेटीएम कर सकते हैं।
अब चूंकि मैं काफी संवेदनशील हूँ तो मैंने सोचा थोड़ी बहुत मदद तो मैं कर ही सकता हूँ। फिर भी मैंने सोचा की एक बार कंफर्म तो करना चाहिए ताकि पैसा सही जगह पहुँच जाए। तो काॅलर ने बच्चे का एम्स का एडमिट कार्ड और रसीदें व्हट्सअप पर दिखाई और कहा कि आप एम्स की वेबसाइट पर लाॅगइन करके देख सकते हैं।
मैंने रसीदें चेक की वो तो असली थी, लेकिन उस पर जो तारीख़ लिखी थी उसपर मुझे संदेह हुआ। मुझे फोटोशाॅप की अच्छी जानकारी है मुझे पता है कि तारीख बदलना तो कितना मामूली काम है। इसलिए उस जानकारी से एम्स की वेबसाईट पर लाॅगइन किया तो कोई डिटेल्स नहीं मिली। वह केस शायद बंद हो गया था। यह बात मैंने काॅलर को बताई तो उसने मुझे बरगलाने की कोशिश की, लेकिन फिर मैंने काॅल कट कर दिया। उसके बाद उसके कई काॅल आए अलग-अलग नंबर से धमकाते हुए और कहते हुए कि मेरा समय बर्बाद कर दिया और पैसे भी नहीं भेजे। लेकिन मुझे ऐसे फ्राड लोगों पर पैसे खर्च करने का न तो कोई शौक है और नही लुटाने के लिए पैसे। जब भी मुझे लगता है मैं खुद से ज़रूरतमंदों की मदद कर देता हूँ।
सुझाव -
आम लोग काफी संवेदनशील होते हैं और फ्राड आपके इसी कमज़ोरी का फ़ायदा उठा कर इस तरह से आपसे पैसों की माँग करते हैं। हम और आप दान या मदद करने की भावना से पैसे भेज भी देते हैं। मगर हमको यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे मेहनत से कमाए पैसे सही जगह पहुँचे।
उम्मीद है कि आप सुझावों पर अमल करेंगे।
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यूरोप के देशों में बेबी पावडर बिकता नहीं, यूरोप के देशों में बेबी पावडर को बेबी किलर कहते हैं
भाजपा सत्ता में आई, उसमें गुजरात का बहुत बड़ा योगदान है!
सोमवार, 24 जुलाई 2023
हर खेत, हर गांव, कसबे, शहर मे बारिश का पानी धरती में उतारने का काम होना ही चाहिए...
क्या है रूद्राभिषेक? कैसे किया जाता है? क्यों किया जाता है?
क्या है रूद्राभिषेक? कैसे किया जाता है? क्यों किया जाता है? पढें भूतभावन भोलेनाथ के पवित्र मास श्रावण में एक उपयोगी एवम विस्तृत प्रस्तुति।
रुद्राभिषेक का महत्त्व तथा लाभ भगवान शिव के रुद्राभिषेक से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है साथ ही ग्रह जनित दोषों और रोगों से शीघ्र ही मुक्ति मिल जाती है। रूद्रहृदयोपनिषद अनुसार शिव हैं – सर्वदेवात्मको रुद्र: सर्वे देवा: शिवात्मका: अर्थात् सभी देवताओं की आत्मा में रूद्र उपस्थित हैं और सभी देवता रूद्र की आत्मा हैं।
भगवान शंकर सर्व कल्याणकारी देव के रूप में प्रतिष्ठित हैं। उनकी पूजा,अराधना समस्त मनोरथ को पूर्ण करती है। हिंदू धर्मशास्त्रों के मुताबिक भगवान शिव का पूजन करने से सभी मनोकामनाएं शीघ्र ही पूर्ण होती हैं।
भगवान शिव को शुक्लयजुर्वेद अत्यन्त प्रिय है कहा भी गया है वेदः शिवः शिवो वेदः। इसी कारण ऋषियों ने शुकलयजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी से रुद्राभिषेक करने का विधान शास्त्रों में बतलाया गया है यथा –
यजुर्मयो हृदयं देवो यजुर्भिः शत्रुद्रियैः।
पूजनीयो महारुद्रो सन्ततिश्रेयमिच्छता।।
शुकलयजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी में बताये गये विधि से रुद्राभिषेक करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है ।जाबालोपनिषद में याज्ञवल्क्य ने कहा – शतरुद्रियेणेति अर्थात शतरुद्रिय के सतत पाठ करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
परन्तु जो भक्त यजुर्वेदीय विधि-विधान से पूजा करने में असमर्थ हैं या इस विधान से परिचित नहीं हैं वे लोग केवल भगवान शिव के षडाक्षरी मंत्र– ॐ नम:शिवाय का जप करते हुए रुद्राभिषेक का पूर्ण लाभ प्राप्त कर सकते है।
महाशिवरात्रि पर शिव-आराधना करने से महादेव शीघ्र ही प्रसन्न होते है। शिव भक्त इस दिन अवश्य ही शिवजी का अभिषेक करते हैं।
क्या है रुद्राभिषेक ?
अभिषेक शब्द का शाब्दिक अर्थ है – स्नान करना अथवा कराना। रुद्राभिषेक का अर्थ है भगवान रुद्र का अभिषेक अर्थात शिवलिंग पर रुद्र के मंत्रों के द्वारा अभिषेक करना। यह पवित्र-स्नान रुद्ररूप शिव को कराया जाता है। वर्तमान समय में अभिषेक रुद्राभिषेक के रुप में ही विश्रुत है।
अभिषेक के कई रूप तथा प्रकार होते हैं। शिव जी को प्रसंन्न करने का सबसे श्रेष्ठ तरीका है रुद्राभिषेक करना अथवा श्रेष्ठ ब्राह्मण विद्वानों के द्वारा कराना। वैसे भी अपनी जटा में गंगा को धारण करने से भगवान शिव को जलधाराप्रिय माना गया है।
रुद्राभिषेक क्यों करते हैं?
रुद्राष्टाध्यायी के अनुसार शिव ही रूद्र हैं और रुद्र ही शिव है। रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र: अर्थात रूद्र रूप में प्रतिष्ठित शिव हमारे सभी दु:खों को शीघ्र ही समाप्त कर देते हैं। वस्तुतः जो दुःख हम भोगते है उसका कारण हम सब स्वयं ही है हमारे द्वारा जाने अनजाने में किये गए प्रकृति विरुद्ध आचरण के परिणाम स्वरूप ही हम दुःख भोगते हैं।
रुद्राभिषेक का आरम्भ कैसे हुआ ?
प्रचलित कथा के अनुसार भगवान विष्णु की नाभि से उत्पन्न कमल से ब्रह्मा जी की उत्पत्ति हुई। ब्रह्माजी जबअपने जन्म का कारण जानने के लिए भगवान विष्णु के पास पहुंचे तो उन्होंने ब्रह्मा की उत्पत्ति का रहस्य बताया और यह भी कहा कि मेरे कारण ही आपकी उत्पत्ति हुई है। परन्तु ब्रह्माजी यह मानने के लिए तैयार नहीं हुए और दोनों में भयंकर युद्ध हुआ।
इस युद्ध से नाराज भगवान रुद्र लिंग रूप में प्रकट हुए। इस लिंग का आदि अन्त जब ब्रह्मा और विष्णु को कहीं पता नहीं चला तो हार मान लिया और लिंग का अभिषेक किया, जिससे भगवान प्रसन्न हुए। कहा जाता है कि यहीं से रुद्राभिषेक का आरम्भ हुआ।
एक अन्य कथा के अनुसार ––
एक बार भगवान शिव सपरिवार वृषभ पर बैठकर विहार कर रहे थे। उसी समय माता पार्वती ने मृत्यु लोक में रुद्राभिषेक कर्म में प्रवृत्त लोगो को देखा तो भगवान शिव से जिज्ञासा कि की हे नाथ मृत्यु लोक में इस इस तरह आपकी पूजा क्यों की जाती है? तथा इसका फल क्या है?
भगवान शिव ने कहा – हे प्रिये! जो मनुष्य शीघ्र ही अपनी कामना पूर्ण करना चाहता है वह आशुतोषस्वरूप मेरा विविध द्रव्यों से विविध फल की प्राप्ति हेतु अभिषेक करता है। जो मनुष्य शुक्लयजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी से अभिषेक करता है उसे मैं प्रसन्न होकर शीघ्र मनोवांछित फल प्रदान करता हूँ।
जो व्यक्ति जिस कामना की पूर्ति के लिए रुद्राभिषेक करता है वह उसी प्रकार के द्रव्यों का प्रयोग करता है अर्थात यदि कोई वाहन प्राप्त करने की इच्छा से रुद्राभिषेक करता है तो उसे दही से अभिषेक करना चाहिए यदि कोई रोग दुःख से छुटकारा पाना चाहता है तो उसे कुशा के जल से अभिषेक करना या कराना चाहिए।
रुद्राभिषेक से क्या क्या लाभ मिलता है ?
शिव पुराण के अनुसार किस द्रव्य से अभिषेक करने से क्या फल मिलता है अर्थात आप जिस उद्देश्य की पूर्ति हेतु रुद्राभिषेक करा रहे है उसके लिए किस द्रव्य का इस्तेमाल करना चाहिए का उल्लेख शिव पुराण में किया गया है उसका सविस्तार विवरण प्रस्तुत कर रहा हू और आप से अनुरोध है की आप इसी के अनुरूप रुद्राभिषेक कराये तो आपको पूर्ण लाभ मिलेगा।
जरूर पढ़े “शिवजी को कौन सा फूल चढाने से क्या फल मिलता है”
जानिए शिवजी की पूजा में क्या नहीं चढ़ाना चाहिए
संस्कृत श्लोक
जलेन वृष्टिमाप्नोति व्याधिशांत्यै कुशोदकै
दध्ना च पशुकामाय श्रिया इक्षुरसेन वै।
मध्वाज्येन धनार्थी स्यान्मुमुक्षुस्तीर्थवारिणा।
पुत्रार्थी पुत्रमाप्नोति पयसा चाभिषेचनात।।
बन्ध्या वा काकबंध्या वा मृतवत्सा यांगना।
जवरप्रकोपशांत्यर्थम् जलधारा शिवप्रिया।।
घृतधारा शिवे कार्या यावन्मन्त्रसहस्त्रकम्।
तदा वंशस्यविस्तारो जायते नात्र संशयः।
प्रमेह रोग शांत्यर्थम् प्राप्नुयात मान्सेप्सितम।
केवलं दुग्धधारा च वदा कार्या विशेषतः।
शर्करा मिश्रिता तत्र यदा बुद्धिर्जडा भवेत्।
श्रेष्ठा बुद्धिर्भवेत्तस्य कृपया शङ्करस्य च!!
सार्षपेनैव तैलेन शत्रुनाशो भवेदिह!
पापक्षयार्थी मधुना निर्व्याधिः सर्पिषा तथा।।
जीवनार्थी तू पयसा श्रीकामीक्षुरसेन वै।
पुत्रार्थी शर्करायास्तु रसेनार्चेतिछवं तथा।
महलिंगाभिषेकेन सुप्रीतः शंकरो मुदा।
कुर्याद्विधानं रुद्राणां यजुर्वेद्विनिर्मितम्।
अर्थात
जल से रुद्राभिषेक करने पर — वृष्टि होती है।
कुशा जल से अभिषेक करने पर — रोग, दुःख से छुटकारा मिलती है।
दही से अभिषेक करने पर — पशु, भवन तथा वाहन की प्राप्ति होती है।
गन्ने के रस से अभिषेक करने पर — लक्ष्मी प्राप्ति
मधु युक्त जल से अभिषेक करने पर — धन वृद्धि के लिए।
तीर्थ जल से अभिषेकक करने पर — मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इत्र मिले जल से अभिषेक करने से — बीमारी नष्ट होती है ।
दूध् से अभिषेककरने से — पुत्र प्राप्ति,प्रमेह रोग की शान्ति तथा मनोकामनाएं पूर्ण
गंगाजल से अभिषेक करने से — ज्वर ठीक हो जाता है।
दूध् शर्करा मिश्रित अभिषेक करने से — सद्बुद्धि प्राप्ति हेतू।
घी से अभिषेक करने से — वंश विस्तार होती है।
सरसों के तेल से अभिषेक करने से — रोग तथा शत्रु का नाश होता है।
शुद्ध शहद रुद्राभिषेक करने से —- पाप क्षय हेतू।
इस प्रकार शिव के रूद्र रूप के पूजन और अभिषेक करने से जाने-अनजाने होने वाले पापाचरण से भक्तों को शीघ्र ही छुटकारा मिल जाता है और साधक में शिवत्व रूप सत्यं शिवम सुन्दरम् का उदय हो जाता है उसके बाद शिव के शुभाशीर्वाद सेसमृद्धि, धन-धान्य, विद्या और संतान की प्राप्ति के साथ-साथ सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
क्या श्री कृष्ण की जन्म की घटना सत्य थी अगर हा तो इसका क्या सबूत है?
जी हां ये बात बिल्कुल सत्य है। श्री कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ। फिर बासुदेव जी के जरिए उनको गोकुल में पहुंचाया गया। आप सभी जानते है जब वासुदेव जी श्री कृष्ण को गोकुल ले जा रहे थे। उस समय रास्ते में यमुना जी से होकर उन्हें जाना पड़ा था। जिसमें चलकर श्री कृष्ण को ले जाया गया था। इस बात का सबूत आप गूगल मैप पर देख सकते हो कि मथुरा और गोकुल के बीच में यमुना जी पड़ती है।
दुर्गा सप्तशती में भगवान विष्णु जी कानो के मैल से राक्षस मधु कैटभ ही क्यों उतपन्न हुए? कोई देवता शक्ति क्यों नहीं उतपन्न हुई
भगवान ने कौन सा काम क्यों किया यह समझ पाना हमारे वश का नहीं है फिर भी मधु कैटभ की उत्पत्ति और अंत पर कुछ बातें करते हैं।
प्रलय के अंत में सब कुछ जलमग्न था भगवान विष्णु योगनिद्रा के प्रभाव से शयन कर रहे थे लेकिन ब्रह्म जी उनकी कमल नाभि पर बैठे थे। जहां तक मुझे लगता है भगवान विष्णु कभी खाली नहीं रहते कुछ ना कुछ करते ही रहते हैं। ब्रह्म जी को ब्रह्मा होने का अभिमान बहुत बार हो चुका है , इस बार भी ब्रह्मा जी को एक पाठ पढ़ाने के लिए भगवान ने अपने कान के मैल से महा शक्तिशाली मधु कैटभ को उत्पन्न कर दिया है या उत्पन्न होने दिया।
मनु कैटभ उत्पन्न होते ही ब्रह्मा जी को मारने चल दिए, उन भयानक असुरों को देखकर ब्रह्मा जी ने सोचा भगवान तो सो रहे हैं अब उन्हें कौन बचाएगा ? तब ब्रह्म जी ने देवी की स्तुति करना प्रारंभ किया जिनके वश में आकर भगवान विष्णु शयन कर रहे थे।
ब्रह्मा जी ने कहा — " ये जो दोनों असुर मधु और कैटभ हैं, इनको मोह में डाल दो और जगदीश्वर भगवान विष्णु को शीघ्र ही जगा दो। साथ ही इनके भीतर इन दोनों असुरों को मार डालने की बुद्धि उत्पन्न कर दो "
तमोगुण की अधिष्ठात्री देवी योगनिद्रा इस स्तुति से प्रसन्न हुईं और भगवान विष्णु के नेत्रों से निकलकर ब्रह्मा जी के सामने खड़ी हो गईं।
योगनिद्रा से मुक्त होते ही जगत के आधार भगवान शेषनाग की शैय्या पर बैठ गए और दो असुर वीरों को ललकारते हुए देखा। जो लाल लाल नेत्र किए ब्रह्मा जी को खाने के लिए उद्यत थे।
भगवान विष्णु को उन महापराक्रमी असुरों ने युद्ध करने को आमंत्रित किया लेकिन भगवान बल के साथ बुद्धि के भी भंडार हैं, वे उन असुरों की स्तुति करके उनसे उन्हीं के मृत्यु का वरदान मांग लिया। तत्पश्चात भगवान ने उनका वध कर दिया।
भगवान के इस लीला से हमें बहुत कुछ मिला जैसे दुर्गा जी की स्तुति करने का तरीका, भगवान की पावन कथा और व्यवहारिक ज्ञान तो मिला ही। अगर भगवान ये सब ना करें तो भवसागर से पार होने के लिए हमारे पास कोई साधन नहीं रहेगा।
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