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रविवार, 7 अगस्त 2011

हर धड़कन में एक राज़ होता है


हर धड़कन में एक राज़ होता है
हर बात को बताने का एक अंदाज़ होता है
जब तक ठोकर न लगे बेवफाई की
हर किसी को अपने प्यार पर नाज़ होता है .......

हर धड़कन में एक राज़ होता है


हर धड़कन में एक राज़ होता है
हर बात को बताने का एक अंदाज़ होता है
जब तक ठोकर न लगे बेवफाई की
हर किसी को अपने प्यार पर नाज़ होता है .......

चारो ओर खड़े है लुटेरे बड़े ही खतरनाक||

तुम कायर बनकर बहना, कभी भाग न जाना, जीवन साथी चुनने में पूरा ही विवेक जगाना|
चिकनी चुपड़ी बातों में बहना, तु कभी न आना, अपने कृत्यों से माँ बाप का, सिर न कभी लजाना||

माँ बाप कभी तुम्हारे दुश्मन हो नहीं सकते, तुम्हारे जीवन में वे कभी कांटे बो नहीं सकते|
कैसे भूल सकती हो तुम, उनके सारे एहसान, जीते जी कैसे पहुंचाओगी, तुम उन्हें शमशान||

जब से सोलह बसंत, तूने किये पार, जब से कालेज का देखा तुमने द्वार|
क्यों छाया दिमाग पर, प्यार का बुखार, अब भी वक्त है समय रहते उसे उतार||

प्रदर्शनकी वस्तु नहीं है बहना,ये तुम्हारी काया,ऐसे कपडे मत पहनो कि,शरमा जाये तुम्हारा साया|
फीका सौन्दर्य तुम्हारा, फीकी सारी इसकी माया, आत्मा के आभूषण से यदि, इसे तुने नहीं सजाया||

अपने ही हाथों तुम जीवन में,जहर घोल रही हो,जवानीके नशे में तुम बेसुध होकर डोल रही हो|
हिरोईन की अदाओं से,तुम खुद को तौल रही हो,क्यों कुमार्ग पर चलकर बर्बादीके पट खोल रही हो||

वासना का कुत्ता जब जब,सिर पर चढकर भौंका,तब तब हर लड़की ने,जीवन में खाया है धोखा|
धर लेता विकराल रूप, जब जब यौवन का सागर, मुश्किलमें पड जाती है, तब तब जीवनकी नौका||

नारी के रोम रोम में, भरी मादकता अपार है, इसीलिए तो चारो ओर फिरते चाटुकार है|
घास कभी ना डालना, अगर तु जरा भी समझदार है, वासना के दानव तुझे नौंचने को तैयार है||

जो जो भी गई भागकर, ठोकर खाती है, अपनी गलती पर रो-रोकर आंसू बहाती है|
एक ही किचन में, मुर्गी के संग साग पकाती है, हुई भयानक भूल सोचकर पछताती है||

यौवन के नशे में मत करना, तु कोई भी पाप, वरना सहना होगा तुम्हे उम्र भर संताप|
अपने हाथों मत करना क्रिया कर्म खुशियों का, नहीं तो खुद ही दोगी तुम खुद को अभी शाप||

बाबुलकी बगियामें जब तू , बनके कलि खिली, तुम्हे क्या मालूम कि उनको कितनी खुशी मिली|
उस बाबुलको मारकर ठोकर, जब तुम घरसे भाग जाती!जिनका प्यारा हाथ पकड़कर तुम पहली बार चली||
 
माँ बाप ने बड़े प्यार से तेरा जीवन बाग सींचा, कैसे दिखा सकती हो तुम, उनको समाज में नीचा|
परिवार कि खुशियों का, जो तुमने फाड़ा दामन, सूख जायेगा तेरे सुखों का, हरा भरा बगीचा||

संस्कार कि चुनरी से बदन को पूरा ढांक,लाज का घूंघट खोल, तू इधर उधर मत झांक|
बिन सोचे समझे बहना,तू कुछ भी मत फांक,चारो ओर खड़े है लुटेरे बड़े ही खतरनाक|| 

रविवार, 31 जुलाई 2011

मानव जाति का इतिहास


हमने पढ़ा है
कि राजा मनु को ही हजरत नूह माना जाता हैं। नूह ही यहूदी,ईसाई और इस्लाम के पैगंबर हैं। इस पर शोध भी हुए हैं। जल प्रलय की ऐतिहासिक घटना संसार की सभी सभ्यताओं में पाई जाती है। बदलती भाषा और लम्बे कालखंड के चलते इस घटना में कोईखास रद्दोबदल नहीं हुआ है। मनु की यह कहानी यहूदी, ईसाई और इस्लाम में ‘हजरत नूह की नौका’ नाम से वर्णित की जाती है। इंडोनेशिया, जावा, मलेशिया, श्रीलंका आदि द्वीपों के लोगों ने अपनी लोक परम्पराओं में गीतों के माध्यम से इस घटना को आज भी जीवंत बनाए रखा है। इसी तरह धर्मग्रंथों से अलग भी इस घटना को हमें सभी देशों की लोक परम्पराओं के माध्यम से जानने को मिलता है। नूह की कहानी : उस वक्त नूह की उम्र छह सौ वर्ष थी जब यहोवा (ईश्वर) ने उनसे कहा कि तू एक-जोड़ी सभी तरह के प्राणी समेत अपने सारे घराने को लेकर कश्ती पर सवार हो जा, क्योंकि मैं पृथ्वी पर जल प्रलय लाने वाला हूँ। सात दिन के उपरान्त प्रलय का जल पृथ्वी पर आने लगा। धीरे-धीरे जल पृथ्वी पर अत्यन्त
बढ़ गया। यहाँ तक कि सारी धरती पर जितने बड़े- बड़े पहाड़ थे, सब डूब गए। डूब गए वे सभी जो कश्ती से बाहर रह गए थे, इसलिए वे सब पृथ्वी पर से मिट गए। केवल हजरत नूह और जितने उनके साथ जहाज में थे, वे ही बच गए। जल ने पृथ्वी पर एक सौ पचास दिन तक पहाड़
को डुबोए रखा। फिर धीरे-धीरे जल उतरा तब पुन: धरती प्रकट हुई और कश्ती में जो बच गए थे उन्ही से दुनिया पुन: आबाद हो गई।

मनु की कहानी : द्रविड़ देश के राजर्षि सत्यव्रत (वैवस्वत मनु) के समक्ष भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप में प्रकट होकर कहा कि आज से सातवें दिन भूमि जल प्रलय के समुद्र में डूब जाएगी। तब तक एक नौका बनवा लो। समस्त प्राणियों के सूक्ष्म शरीर तथा सब प्रकार के बीज लेकर सप्तर्षियों के साथ उस नौका पर चढ़ जाना। प्रचंड आँधी के कारण जब नाव डगमगाने लगेगी तब मैं मत्स्य रूप में बचाऊँगा। तुम लोग नाव को मेरे सींग से बाँध देना। तब प्रलय के अंत तक मैं तुम्हारी नाव खींचता रहूँगा। उस समय भगवान मत्स्य ने नौका को हिमालय की चोटी ‘नौकाबंध’ से बाँध दिया। भगवान ने प्रलय समाप्त होने पर वेद का ज्ञान वापस दिया। राजा सत्यव्रत ज्ञान- विज्ञान से युक्त हो वैवस्वत मनु
कहलाए। उक्त नौका में जो बच गए थे उन्हीं से संसार में जीवन चला। विचारणीय है कि कितने लोग होंगे जो मनु और नूह को एक ही शख्स मानते होंगे या धार्मिक कट्टरता के चलते नहीं भी मानते होंगे। फिर भी यहाँ इतना तो कह ही सकते हैं कि तौरात, इंजिल, बाइबिल और कुरआन से पूर्व ही मत्स्य पुराण लिखा गया था, जिसमें उक्त कथा का उल्लेख मिलता है। यहाँ यह सिद्ध करने का प्रयास नहीं है कि अन्य धर्म ग्रंथों में पुराण से ही ली गई कथा है, जिसे अपने तरीके से गढ़ा। तथ्य यह है कि उक्त घटना का स्थान, समय और परम्परा के मान से अलग-
अलग प्रभाव पड़ा और लोगों ने इसे दर्ज किया। यह मानव जाति का इतिहास है न कि किसी धर्म विशेष का।

सोमवार, 25 जुलाई 2011

एक बात जो रोने को मजबूर कर दे !

एक बात जो रोने को मजबूर कर दे ! 

स्रष्टि के निर्माण के समय श्री ब्रम्हा ने  सोचा ki में जिव को प्रथ्वी पर
केसे भेजू इन्हें तो हर पल प्रभु का साथ चाहिये प्रभु बिन तो ये रह नहीं
सकता तब श्रीक्रष्ण प्रभु ने स्वयं उन्हें माँ रूपी उपाय बताया क्योकि माँ
ही सर्वोपरि है जिसने माँ बाप को दुःख दिया वो कभी सुखी नहीं रह पाया !

सुबह से शाम सख्त और कड़ी मेहनत के बाद जब घर आया तो 

बाप ने पूछा क्या कमाया 

बीवी ने पूछा क्या बचाया 

ओलाद ने पूछा क्या लाया 

सिर्फ माँ  ने पूछा बेटा तुने क्या खाया ...............

श्री भागवत कथा कहती हे सारी समस्याओ से मुक्ति हेतु आज भी प्रात: उठकर
माता पिता के चरण स्पर्श करो आपको खुद ही महसूस हो जायेगा ,,,,,,,, क़ि माँ
क्या है ! 

 और आज भी कई लोग 

१) माँ बाप क़ि सेवा तो दूर आदर भी नहीं करते 
२) उन्हें सम्मान तो दूर प्यार भी नहीं दे सकते 

३) रखना तो दूर अनाथ आश्रम में भेज देते हे ..

४) इंदौर में जैन परिवार के एक बेटे ने पेसो के लिए माँ बाप को मार डाला ..

मत दो मान, सम्मान , इज्जत ,रुपये , पैसा , बंगले , मोटर गाड़ी , ५६ भोग , मत घुमाओ तीरथ , 

सिर्फ दे दो प्यार के दो बोल...

१) माँ तू केसी हे 

२) माँ तो भोजन कर ले

पहले पढाया जाता था

पहले  पढाया  जाता  था "ग" से "गणेश" , जिस शब्द  से बच्चा बुद्धि ,धर्म, भगवान गणेश,पितृ सेवा और संस्कृति सीखता था पर हमारी सरकार को पसंद नहीं आया ! सरकार कहने लगी इससे साम्प्रदायीक्ता फैलती है, इसलिए अब पढ़iना प्रारम्भ किया गया "ग" से "गधा"   !

परम तत्व को भूल बच्चा  क्या सीखेगा ?सिर्फ नाशवान भौतिक सुख के लिए कर्म करना और उनके पीछे भागना ! अधर्मयता !
Jannat Paana 
..........................................................................................
अधर्म कि घिरी घटा कुचक्र है पनप रहे 
पुण्य धर्म भूमि पर अधर्म कर्म बढ़ रहे 
व्यथा विशाल राष्ट्र कि    
आज हम समझ सके, विशुद्ध राष्ट्र भाव से ,  
ये देश महक उठे   

सोमवार, 18 जुलाई 2011

बचपन के दुःख कितने अच्छे हुआ करते थे

बचपन के दुःख कितने अच्छे हुआ करते थे
तब दिल नही खिलोने टुटा करते थे
आज एक आंसू गिरे तो सहा नही जाता
बचपन में तो जी भर कर रोया करते थे  :'

शनिवार, 25 जून 2011

280 लाख करोड़ का सवाल है ...

“दर्द होता रहा छटपटाते रहे, आईने॒ से सदा चोट खाते रहे, वो वतन बेचकर मुस्कुराते रहे
हम
वतन के लिए॒सिर कटाते रहे”
Anna_Hazare-300x235.jpg

280
लाख करोड़ का सवाल है ...
भारतीय
गरीब है लेकिन भारत देश कभी गरीब नहीं रहा"* ये कहना है स्विस बैंक के
डाइरेक्टर
का. स्विस बैंक के डाइरेक्टर ने यह
भी
कहा है कि भारत का लगभग 280
लाख
करोड़
रुपये
उनके स्विस
बैंक
में जमा है. ये रकम
इतनी
है कि भारत का आने वाले 30 सालों का बजट
बिना
टैक्स के
बनाया
जा सकता
है
.
या
यूँ कहें कि 60 करोड़
रोजगार
के अवसर
दिए
जा सकते है. या यूँ भी कह सकते है
कि
भारत के किसी भी गाँव से दिल्ली तक 4
लेन
रोड बनाया
जा
सकता है. ऐसा भी कह
सकते
है कि 500 से ज्यादा सामाजिक प्रोजेक्ट पूर्ण किये जा सकते है. ये
रकम
इतनी
ज्यादा है कि अगर हर भारतीय को 2000 रुपये हर महीने भी दिए जाये तो 60
साल
तक ख़त्म ना हो. यानी भारत को किसी वर्ल्ड बैंक से लोन लेने कि कोई जरुरत
नहीं
है. जरा सोचिये ... हमारे भ्रष्ट राजनेताओं
और
नोकरशाहों ने
कैसे
देश को

लूटा
है और ये लूट का सिलसिला अभी तक 2011 तक जारी है.
इस
सिलसिले को
अब
रोकना

बहुत
ज्यादा जरूरी हो गया है. अंग्रेजो ने हमारे भारत पर करीब 200 सालो तक राज
करके
करीब 1 लाख
करोड़
रुपये लूटा. मगर आजादी के केवल 64 सालों में हमारे भ्रस्टाचार ने 280
लाख
करोड़ लूटा है. एक तरफ 200 साल में 1 लाख करोड़ है और दूसरी तरफ केवल 64
सालों
में 280 लाख करोड़ है. यानि हर साल लगभग 4.37 लाख करोड़, या हर महीने
करीब
36 हजार करोड़ भारतीय मुद्रा स्विस बैंक में इन भ्रष्ट
लोगों
द्वारा जमा
करवाई
गई है. भारत को किसी वर्ल्ड बैंक के लोन की कोई दरकार नहीं है. सोचो की
कितना
पैसा हमारे भ्रष्ट राजनेताओं और उच्च अधिकारीयों ने ब्लाक करके
रखा
हुआ
है
. हमे भ्रस्ट राजनेताओं और भ्रष्ट अधिकारीयों के खिलाफ जाने का पूर्ण अधिकार
है
.हाल ही में हुवे घोटालों का
आप
सभी को पता ही है - CWG घोटाला, जी
स्पेक्ट्रुम
घोटाला , आदर्श होउसिंग घोटाला ... और ना जाने कौन कौन
से
घोटाले
अभी
उजागर होने वाले है ........आप लोग जोक्स फॉरवर्ड करते ही हो. इसे भी इतना
फॉरवर्ड
करो की पूरा भारत
इसे
पढ़े ... और एक आन्दोलन बन जाये

जब Government इतनी जल्दी बाबा रामदेव की property की जांच करवा सकती है तो इतने घोटाले की जांच में क्यों इतनी देर लगती है ???????????? 

 
Why Government not doing any property investigation of any Ministers??????????????

Just think these type of points & join in fight against the corruption...................

गुरुवार, 16 जून 2011

अगर किसी से कोई सम्बन्ध रखना है तो सबसे अच्छा सम्बन्ध है की आप कृष्ण से सम्बन्ध रखो क्योंकि इस संसार मैं सभी नष्ट हो जायेगा जो भी हमारे सम्बन्ध है वो केवल शरीर के साथ रहने तक हमारे साथ रहेंगे और इस शरीर के नष्ट हो जाने पर कुछ भी नही रहेगा पर जो हमारा सम्बन्ध श्रीकृष्ण से होगा वो कभी नष्ट नही होगा ! तो हमारे लिए बेहतर यही होगा की हम सारे सम्बन्धो को
एक तरफ रखकर श्रीकृष्ण से अपना सम्बन्ध बनाये चाहे वो सखा , प्रेम वात्सल्य ,पिता ,माता किसी भी रूप मैं हो ! तो हमारे इस सम्बंम्ध से हमारा जन्म सुधर जायेगा !क्यूंकि हम जिस कम के लिए यहाँ आये है वो हमको पहचानना है की हम अपने श्रीकृष्ण को कैसे प्राप्त करे !
भक्त तथा कृष्ण के बीच मैं पॉँच तरह का सम्बन्ध हो सकता है
१ कोई निष्क्रिय अवस्था से भक्त हो सकता है 


२ कोई सक्रिय अवस्था से भक्त हो सकता है
३ कोई सखा रूप से भक्त हो सकता है
४ कोई माता या पिता के रूप में भक्त हो सकता है
५ कोई दंपत्ति-प्रेमी के रूप मैं भक्त हो सकता है
हरे कृष्ण 
मुझे जितना दिया सरकर ने ,उतनी तो मेरी औकात न थी !!
ये तो करम है मेरे कन्हैया का, वरना मुझमे तो ऐसी कोई बात नहीं !!




नोट : इस ब्लॉग पर प्रस्तुत लेख या चित्र आदि में से कई संकलित किये हुए हैं यदि किसी लेख या चित्र में किसी को आपत्ति है तो कृपया मुझे अवगत करावे इस ब्लॉग से वह चित्र या लेख हटा दिया जायेगा. इस ब्लॉग का उद्देश्य सिर्फ सुचना एवं ज्ञान का प्रसार करना है

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