अगर किसी से कोई सम्बन्ध रखना है तो सबसे अच्छा सम्बन्ध है की आप कृष्ण से सम्बन्ध रखो क्योंकि इस संसार मैं सभी नष्ट हो जायेगा जो भी हमारे सम्बन्ध है वो केवल शरीर के साथ रहने तक हमारे साथ रहेंगे और इस शरीर के नष्ट हो जाने पर कुछ भी नही रहेगा पर जो हमारा सम्बन्ध श्रीकृष्ण से होगा वो कभी नष्ट नही होगा ! तो हमारे लिए बेहतर यही होगा की हम सारे सम्बन्धो को
एक तरफ रखकर श्रीकृष्ण से अपना सम्बन्ध बनाये चाहे वो सखा , प्रेम वात्सल्य ,पिता ,माता किसी भी रूप मैं हो ! तो हमारे इस सम्बंम्ध से हमारा जन्म सुधर जायेगा !क्यूंकि हम जिस कम के लिए यहाँ आये है वो हमको पहचानना है की हम अपने श्रीकृष्ण को कैसे प्राप्त करे !
भक्त तथा कृष्ण के बीच मैं पॉँच तरह का सम्बन्ध हो सकता है१ कोई निष्क्रिय अवस्था से भक्त हो सकता है
२ कोई सक्रिय अवस्था से भक्त हो सकता है
३ कोई सखा रूप से भक्त हो सकता है
४ कोई माता या पिता के रूप में भक्त हो सकता है
५ कोई दंपत्ति-प्रेमी के रूप मैं भक्त हो सकता है
हरे कृष्ण मुझे जितना दिया सरकर ने ,उतनी तो मेरी औकात न थी !!
ये तो करम है मेरे कन्हैया का, वरना मुझमे तो ऐसी कोई बात नहीं !!
नोट : इस ब्लॉग पर प्रस्तुत लेख या चित्र आदि में से कई संकलित किये हुए हैं यदि किसी लेख या चित्र में किसी को आपत्ति है तो कृपया मुझे अवगत करावे इस ब्लॉग से वह चित्र या लेख हटा दिया जायेगा. इस ब्लॉग का उद्देश्य सिर्फ सुचना एवं ज्ञान का प्रसार करना है
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भक्त तथा कृष्ण के बीच मैं पॉँच तरह का सम्बन्ध हो सकता है१ कोई निष्क्रिय अवस्था से भक्त हो सकता है
२ कोई सक्रिय अवस्था से भक्त हो सकता है
३ कोई सखा रूप से भक्त हो सकता है
४ कोई माता या पिता के रूप में भक्त हो सकता है
५ कोई दंपत्ति-प्रेमी के रूप मैं भक्त हो सकता है
हरे कृष्ण मुझे जितना दिया सरकर ने ,उतनी तो मेरी औकात न थी !!
ये तो करम है मेरे कन्हैया का, वरना मुझमे तो ऐसी कोई बात नहीं !!
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श्री कृष्णः शरणम् ममः
जवाब देंहटाएंसुंदर चिंतन के लिए आभार !
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
bahut hi sundar gyan diya aapne-----yahi satya hai baaki sabhi ek kalpana khuch dino ka sukh hai jai jai sri krishna
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