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सोमवार, 10 जून 2024

क्या भगवान शिव को अर्पित नैवेद्य ग्रहण करना चाहिए?

क्या भगवान शिव को अर्पित नैवेद्य ग्रहण करना चाहिए?
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सौवर्णे नवरत्नखण्ड रचिते पात्रे घृतं पायसं
भक्ष्यं पंचविधं पयोदधियुतं रम्भाफलं पानकम्।
शाकानामयुतं जलं रुचिकरं कर्पूरखण्डोज्ज्वलं
ताम्बूलं मनसा मया विरचितं भक्त्या प्रभो।। स्वीकुरु॥
*शिवमानसपूजा*

"मैंने नवीन रत्नजड़ित सोने के बर्तनों में घीयुक्त खीर, दूध, दही के साथ पाँच प्रकार के व्यंजन, केले के फल, शर्बत, अनेक तरह के शाक, कर्पूर की सुगन्धवाला स्वच्छ और मीठा जल और ताम्बूल — ये सब मन से ही बनाकर आपको अर्पित किया है। भगवन्! आप इसे स्वीकार कीजिए।"

सृष्टि के आरम्भ से ही समस्त देवता, ऋषि-मुनि, असुर, मनुष्य विभिन्न ज्योतिर्लिंगों, स्वयम्भूलिंगों, मणिमय, रत्नमय, धातुमय और पार्थिव आदि लिंगों की उपासना करते आए हैं। अन्य देवताओं की तरह शिवपूजा में भी नैवेद्य निवेदित किया जाता है। पर शिवलिंग पर चढ़े हुए प्रसाद पर *चण्ड* का अधिकार होता है।

गणों के स्वामी *चण्ड* भगवान शिवजी के मुख से प्रकट हुए हैं। ये सदैव शिवजी की आराधना में लीन रहते हैं और *भूत-प्रेत, पिशाच* आदि के स्वामी हैं। *चण्ड* का भाग ग्रहण करना यानी *भूत-प्रेतों का अंश खाना* माना जाता है।

शिव-नैवेद्य ग्राह्य और अग्राह्य
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शिवपुराण की *विद्येश्वरसंहिता* के २२वें अध्याय में इसके सम्बन्ध में स्पष्ट कहा गया है —

चण्डाधिकारो यत्रास्ति तद्भोक्तव्यं न मानवै:।
चण्डाधिकारो नो यत्र भोक्तव्यं तच्च भक्तित:॥ (२२।१६)

"जहाँ चण्ड का अधिकार हो, वहाँ शिवलिंग के लिए अर्पित नैवेद्य मनुष्यों को ग्रहण नहीं करना चाहिए। जहाँ चण्ड का अधिकार नहीं है, वहाँ का शिव-नैवेद्य मनुष्यों को ग्रहण करना चाहिए।"

किन शिवलिंगों के नैवेद्य में चण्ड का अधिकार नहीं है?

इन लिंगों के प्रसाद में *चण्ड* का अधिकार नहीं है, अत: ग्रहण करने योग्य है।

ज्योतिर्लिंग —बारह ज्योतिर्लिंगों (सौराष्ट्र में *सोमनाथ*, श्रीशैल में *मल्लिकार्जुन*, उज्जैन में *महाकाल*, ओंकार में *परमेश्वर*, हिमालय में *केदारनाथ*, डाकिनी में *भीमशंकर*, वाराणसी में *विश्वनाथ*, गोमतीतट में *त्र्यम्बकेश्वर*, चिताभूमि में *वैद्यनाथ*, दारुकावन में *नागेश्वर*, सेतुबन्ध में *रामेश्वर* और शिवालय में *द्युश्मेश्वर*) का नैवेद्य ग्रहण करने से सभी पाप भस्म हो जाते हैं।

शिवपुराण की *विद्येश्वरसंहिता* में कहा गया है कि *काशी विश्वनाथ* के स्नानजल का तीन बार आचमन करने से शारीरिक, वाचिक व मानसिक तीनों पाप शीघ्र ही नष्ट हो जाते हैं।

*स्वयम्भूलिंग* — जो लिंग भक्तों के कल्याण के लिए स्वयं ही प्रकट हुए हैं, उनका नैवेद्य ग्रहण करने में कोई दोष नहीं है।

*सिद्धलिंग* — जिन लिंगों की उपासना से किसी ने सिद्धि प्राप्त की है या जो सिद्धों द्वारा प्रतिष्ठित हैं, जैसे — *काशी* में शुक्रेश्वर, वृद्धकालेश्वर, सोमेश्वर आदि लिंग देवता-सिद्ध-महात्माओं द्वारा प्रतिष्ठित और पूजित हैं, उन पर चण्ड का अधिकार नहीं है, अत: उनका नैवेद्य सभी के लिए ग्रहण करने योग्य है।

*बाणलिंग (नर्मदेश्वर)* — बाणलिंग पर चढ़ाया गया सभी कुछ जल, बेलपत्र, फूल, नैवेद्य — प्रसाद समझकर ग्रहण करना चाहिए।

जिस स्थान पर (गण्डकी नदी) शालग्राम की उत्पत्ति होती है, वहाँ के उत्पन्न शिवलिंग, पारदलिंग, पाषाणलिंग, रजतलिंग, स्वर्णलिंग, केसर के बने लिंग, स्फटिकलिंग और रत्नलिंग इन सब शिवलिंगों के लिए समर्पित नैवेद्य को ग्रहण करने से चान्द्रायण व्रत के समान फल प्राप्त होता है।

शिवपुराण के अनुसार भगवान शिव की मूर्तियों में चण्ड का अधिकार नहीं है, अत: इनका प्रसाद लिया जा सकता है।

‘प्रतिमासु च सर्वासु न, चण्डोऽधिकृतो भवेत्॥

जिस मनुष्य ने शिव-मन्त्र की दीक्षा ली है, वे सब शिवलिंगों का नैवेद्य ग्रहण कर सकता है। उस शिवभक्त के लिए यह नैवेद्य ‘महाप्रसाद’ है। जिन्होंने अन्य देवता की दीक्षा ली है और भगवान शिव में भी प्रीति है, वे ऊपर बताए गए सब शिवलिंगों का प्रसाद ग्रहण कर सकते हैं।

शिव-नैवेद्य कब नहीं ग्रहण करना चाहिए?
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शिवलिंग के ऊपर जो भी वस्तु चढ़ाई जाती है, वह ग्रहण नहीं की जाती है। जो वस्तु शिवलिंग से स्पर्श नहीं हुई है, अलग रखकर शिवजी को निवेदित की है, वह अत्यन्त पवित्र और ग्रहण करने योग्य है।

जिन शिवलिंगों का नैवेद्य ग्रहण करने की मनाही है वे भी शालग्राम शिला के स्पर्श से ग्रहण करने योग्य हो जाते हैं।

शिव-नैवेद्य की महिमा
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जिस घर में भगवान शिव को नैवेद्य लगाया जाता है या कहीं और से शिव-नैवेद्य प्रसाद रूप में आ जाता है वह घर पवित्र हो जाता है। आए हुए शिव-नैवेद्य को प्रसन्नता के साथ भगवान शिव का स्मरण करते हुए मस्तक झुका कर ग्रहण करना चाहिए।

आए हुए नैवेद्य को *‘दूसरे समय में ग्रहण करूँगा’*, ऐसा सोचकर व्यक्ति उसे ग्रहण नहीं करता है, वह पाप का भागी होता है।

जिसे शिव-नैवेद्य को देखकर खाने की इच्छा नहीं होती, वह भी पाप का भागी होता है।

शिवभक्तों को शिव-नैवेद्य अवश्य ग्रहण करना चाहिए क्योंकि शिव-नैवेद्य को देखने मात्र से ही सभी पाप दूर हो जाते है, ग्रहण करने से करोड़ों पुण्य मनुष्य को अपने-आप प्राप्त हो जाते हैं।

शिव-नैवेद्य ग्रहण करने से मनुष्य को हजारों यज्ञों का फल और शिव सायुज्य की प्राप्ति होती है।

शिव-नैवेद्य को श्रद्धापूर्वक ग्रहण करने व स्नानजल को तीन बार पीने से मनुष्य ब्रह्महत्या के पाप से मुक्त हो जाता है।

मनुष्य को इस भावना का कि भगवान शिव का नैवेद्य अग्राह्य है, मन से निकाल देना चाहिये क्योंकि 'कर्पूरगौरं करुणावतारम्' शिव तो सदैव ही कल्याण करने वाले हैं। जो *‘शिव’* का केवल नाम ही लेते है, उनके घर में भी सब मंगल होते हैं।

*सुमंगलं तस्य गृहे विराजते।*
*शिवेति वर्णैर्भुवि यो हि भाषते।
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शनिवार, 8 जून 2024

जानबूझकर यह नैरेटिव सेट किया जा रहा* है कि बीजेपी ने अयोध्या खो दी है. *फैजाबाद नाम का उपयोग नहीं किया गया है और अयोध्या का उपयोग किया गया है।*

*🙏🏻एक बार जरूर ध्यान से पढ़े🙏🏻*

*नेरेटीव कैसे सेट किया जाता है इसका सटीक विश्लेषण*:✍️
 *" बीजेपी अयोध्या नही,बल्कि फैजाबाद (फैजाबाद में पांच विधानसभा है जिस में अयोध्या केवल एक है!!🙄)की सीट हारी है!लेकिन लोग अयोध्या न जाए इसलिए यह भ्रम जानबूझकर फैला रहे है।*"😳


२) *अयोध्या के( राम लहर के कारण ही) वजह से ही पूरे भारत में तीसरी बार बीजेपी सरकार बनाने जा रही है।भगवान श्रीराम  और अयोध्या के वजह से ही बीजेपी आज भी  तीसरी बार सरकार बना रही है।यह भी दुरुस्त करे*.....!!👆👆👆👆🙏

३)  बीजेपी अयोध्या हारी है ,यह खबर इतनी वायरल की गई कि *किसी को एक पल के लिए भी नहीं लगा कि अयोध्या नाम की कोई सीट है ही नहीं. इस सीट का नाम फैजाबाद है*। 😳
४) यहां तक कि अधिकांश आरडब्ल्यू भी इस कथा के झांसे में आ जाते हैं। 
बीजेपी ने अयोध्या की सीट नहीं हारी है, *फैजाबाद की सीट हारी है.*
५) अयोध्या फैजाबाद संसदीय क्षेत्र का छोटा सा हिस्सा है. फ़ैज़ाबाद के अंतर्गत 5 विधानसभा क्षेत्र हैं। अयोध्या 5 में से एक है. अयोध्या विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी को बढ़त मिली है जबकि बाकी 4 सीटों पर बीजेपी को एसपी से कम वोट मिले हैं.

५) *इसलिए बीजेपी ने अयोध्या नहीं खोई है. यह जीत गया है.*

६) *लेकिन जानबूझकर यह नैरेटिव सेट किया जा रहा* है कि बीजेपी ने अयोध्या खो दी है. *फैजाबाद नाम का उपयोग नहीं किया गया है और अयोध्या का उपयोग किया गया है।* 
७) *यूपी में बीजेपी की भारी हार हुई तो यह स्वाभाविक है कि पूरे भारत में बीजेपी समर्थक नाखुश और नाराज होंगे।लेकिन बीजेपी यूपी में 44 सीटें हार गई(वह भी इसलिए की क्षेत्रीय समस्या को नजरंदाज किया गया,ऐसे उम्मीदवार खड़े किए जिसे लोग जानते ही नहीं थे।), *केवल एक सीट को हाइलाइट किया गया और दिखाया गया कि हिंदुओं ने "अयोध्या" खो दी।*
८) *और ये सब उन लोगों ने किया है जिन्होंने आखिरी दिन तक राम मंदिर का विरोध किया. वे दर्शन के लिए भी नहीं गए*।
श्री राम के अस्तित्व पर संदेह करने वालों द्वारा ऐसी कहानी गढ़ी जाती है, मानो बाबर फिर से आ गया हो। 

९) *अब इस पर ध्यान दें - जब हम कहते हैं कि बीजेपी फ़ैज़ाबाद में हार गई, तो यह उसी तरह है जैसे बीजेपी ग़ाज़ीपुर, बारामूला, हैदराबाद, मुर्शिदाबाद (नाम पर भी गौर करें)आदि में हार गई। क्या आप समझते हैं?*

१०) लेकिन जब यह कहा जाता है कि बीजेपी ने अयोध्या खो दी तो संदेश अलग अर्थ लेकर जाता है. अयोध्या का संबंध श्री राम से है. यह हिंदू जागृति से जुड़ा है। अयोध्या शब्द सुनते ही हमारे मन में कई भावनाएँ उभर आती हैं। 

११) *दूसरी बात यह है कि हम आरडब्ल्यू किसी ऐसी चीज पर प्रतिबंध लगाने या उसका बहिष्कार करने में माहिर हैं जो हमें पसंद नहीं है। हम बिना किसी हिचकिचाहट के चीजों/व्यक्तियों पर प्रतिबंध लगाते हैं, उनका बहिष्कार करते हैं।*

शत्रु खेमे (आई.एन.डी.आई.) ने इस मानसिकता का बेहतरीन इस्तेमाल किया🤦🏻‍♀️

१२) *उन्होंने ऐसे पोस्ट/संदेश बनाए -  - हम अयोध्या नहीं जाएंगे यानी अयोध्या पर प्रतिबंध लगाओ'' कुछ बेवकूफों ने तो अपने टिकट भी कैंसिल कर दिए हैं*।

- अगर हम अयोध्या जाएंगे भी तो वहां रुकेंगे नहीं, वहां खाना नहीं खाएंगे, वहां शॉपिंग नहीं करेंगे वगैरह-वगैरह।

आरडब्ल्यू ने इसे उठाया और वायरल कर दिया। 

१३) *अरे जरा सोचो. आप अयोध्या में नहीं रहेंगे तो कहां रहेंगे? जाहिर तौर पर नजदीकी शहर फैजाबाद में जहां जिहादी मानसिकता वाले  संख्या में अधिक हैं, इसलिए वे हमारा पैसा कमाएंगे।*
१४) *इसका मतलब है कि पहले हिंदुओं को अयोध्या न आने के लिए उकसाएं, और अगर कोई जाए तो उन्हें अयोध्या में पैसा खर्च न करने के लिए उकसाएं, जहां हिंदू व्यापार करते हैं। परिणाम - स्थानीय हिंदुओं और आगंतुक हिंदुओं के बीच अविश्वास पैदा करना।*

१५) *बस एक प्रश्न - दक्षिण गोवा में भी भाजपा हार गई। आपमें से कितने लोग दक्षिण गोवा जाना बंद कर देंगे*?🤔 

१६) *नेरेटीव  को समझो और बहकावे में मत आओ*🙏

१७) *"भगवान श्रीराम और अयोध्या  के वजह से ही आज भारत में एक हिंदू शासक अपनी तीसरी बहुमत वाली मजबूत सरकार बनाने जा रहे हैं।*

*इसलिए भगवान श्रीराम और अयोध्या के साथ डट के खड़े रहे, नेरेटिव के झांसे में न आए।अयोध्या जाए ,भगवान श्रीराम जी का दर्शन करे।*🚩🚩🚩

*जय श्री राम* 🚩🚩🚩🚩🚩

शनिवार को भाग्योन्नति का उपाय

शनिवार को भाग्योन्नति का उपाय
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शनि देव सभी नवग्रहों में कुछ विशेष स्थान रखते हैं इसलिए हर जातक इनसे डरता है क्योंकि इन्हें इस संसार में न्यायाधिश होने का पद प्राप्त है। शनिदेव ही व्यक्ति के सभी अच्छे-बुरे कर्मों का फल प्रदान करते हैं। साढ़ेसाती और ढैय्या के काल में शनि राशि विशेष के लोगों को उनके कर्मों का फल देते हैं। यदि किसी व्यक्ति ने जाने-अनजाने कोई दुष्कर्म किया है तो शनिदेव उस व्यक्ति को उसके दुष्कर्मों की निश्चित सजा देते हैं। इसी कारण ज्योतिषशास्त्र में शनिदेव को क्रूर ग्रह भी माना जाता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार सूर्य पुत्र शनि ग्रह सबसे खतरनाक है। शास्त्रों ने इनका बखान हानिकर और एक सख़्त शिक्षक के रूप में किया है जो की धैर्य, प्रयास और धीरज का प्रतिनिधित्व करते हैं। शनि का कुंडली में बिगाड़ना जीवन में दुर्भाग्य लाता है। शनि ऐसा ग्रह है जिसके प्रति सभी का डर सदैव बना रहता है। शनि के कारण पूरे जीवन की दिशा, सुख-दुख आदि बातें निर्धारित होती हैं। शनि को कष्टप्रदाता भी माना जाता है।

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार ताला और चाबी क्रमश: शनि और शुक्र की कारक वस्तुएं होती है। शास्त्रों में शनि को ताला अौर शुक्र को उस ताले की चाबी कहा गया है। ताले का कार्य है चीजों को सुरक्षा प्रदान करना परंतु ताले को अवरोध की संज्ञा भी दी गई है। अगर आप से चाबी बार-बार कहीं खो जाती है। तो आपको सावधान हो जाना चाहिए। शुक्र और शनि के प्रभाव से आपकी गोपनियता को खतरा हो सकता है। ये संकेत है कि आने वाले दिनों में आपको उधार दिए गए पैसों से संबंधित परेशानियां हो सकती हैं आपका पैसा डूब सकता है। शुक्र-शनि का ये संकेत धन संबंधित रूकावटें और परेशानियों की तरफ इशारा करता है। चाबी के बार-बार खो जाने से आपके जीवन के गातिमान विषयों में रूकावटें आने लगती है। अगर आपके दैनिक जीवन में ताले और चाबी से संबंधित समस्या हो तो समझ लेना चाहिए कि गोचर में यानि वर्तमान में शुक्र और शनि की स्थिति आपके अनुकूल नहीं है।

अगर कभी-कभी आपसे चाबी खो जाती है तो ये साधारण बात है लेकिन अक्सर आपके साथ ऐसा होता है तो ये र्सिफ भूलने की बीमारी या आदत नहीं है। चाबी के गुम हो जाने में भविष्य में होने वाली घटना का संकेत छुपा होता है। चाबी का खोना स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं की तरफ भी इशारा करता है। शुक्र और शनि के प्रभाव से आपको पेट और शरीर के गुप्त स्थानों से संबंधित रोग होने की संभावना रहती है। अगर आपके जीवन में शनि या शुक्र से संबंधित कुछ परेशानी आ रही है जिसके कारण नौकरी, करियर या कारोबार में अनियमितता आ रही है तो इस के लिए आपको एक आसान उपाय बताने दे रहे हैं। 

👉उपाय: 👇
सबसे पहले आप ताले की दुकान पर जाकर लोहे का ताला खरीद लें परंतु ध्यान रखें ताला बंद होना चाहिए खुला ताला नहीं। ताला खरीदते समय उसे न दुकानदार को खोलने दें और न आप खुद खोलें। ताला सही है या नहीं यह जांचने के लिए भी न खोलें। बस बंद ताले को खरीदकर ले आएं। उसे ताले को एक डिब्बे में रखें और शुक्रवार की रात को ही अपने सोने वाले कमरे में बिस्तर के पास रख लें। शनिवार सुबह उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर ताले को बिना खोले किसी मंदिर या देवस्थान पर रख दें। ताले को रखकर बिना कुछ बोले, बिना पलटें वापिस अपने घर आ जाए।
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जिसके माथे पर तिलक ना दिखे, उसका सर धड़ से अलग कर दो ------ पुष्यमित्र शुंग

जिसके माथे पर तिलक ना दिखे, उसका सर धड़ से अलग कर दो ------ पुष्यमित्र शुंग
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एक महान क्रांतिकारी हिन्दू राजा -------- 

यह बात आज से 2100 साल पहले की है। एक किसान ब्राह्मण के घर एक पुत्र ने जन्म लिया, नाम रखा गया पुष्यमित्र...........

पूरा नाम पुष्यमित्र शुंग...........

और वो बना एक महान हिन्दू सम्राट जिसने भारत को बुद्ध देश बनने से बचाया। अगर ऐसा कोई राजा कम्बोडिया, मलेशिया या इंडोनेशिया में जन्म लेता तो आज भी यह देश हिन्दू होते।
जब सिकन्दर ब्राह्मण राजा पोरस से मार खाकर अपना विश्व विजय का सपना तोड़ कर उत्तर भारत से शर्मिंदा होकर मगध की और गया था उसके साथ आये बहुत से यवन वहां बस गए। अशोक सम्राट के बुद्ध धर्म अपना लेने के बाद उनके वंशजों ने भारत में बुद्ध धर्म लागू करवा दिया। ब्राह्मणों के द्वारा इस बात का सबसे अधिक विरोध होने पर उनका सबसे अधिक कत्लेआम हुआ। हज़ारों मन्दिर गिरा दिए गए। इसी दौरान पुष्यमित्र के माता पिता को धर्म परिवर्तन से मना करने के कारण उनके पुत्र की आँखों के सामने काट दिया गया। बालक चिल्लाता रहा मेरे माता पिता को छोड़ दो। पर किसी ने नही सुनी। माँ बाप को मरा देखकर पुष्यमित्र की आँखों में रक्त उतर आया। उसे गाँव वालों की संवेदना से नफरत हो गयी। उसने कसम खाई की वो इसका बदला बौद्धों से जरूर लेगा और जंगल की तरफ भाग गया।

एक दिन मौर्य नरेश बृहद्रथ जंगल में घूमने को निकला। अचानक वहां उसके सामने शेर आ गया। शेर सम्राट की तरफ झपटा। शेर सम्राट तक पहुंचने ही वाला था की अचानक एक लम्बा चौड़ा बलशाली भीमसेन जैसा बलवान युवा शेर के सामने आ गया। उसने अपनी मजबूत भुजाओं में उस मौत को जकड़ लिया। शेर को बीच में से फाड़ दिया और सम्राट को कहा की अब आप सुरक्षित हैं। अशोक के बाद मगध साम्राज्य कायर हो चुका था। यवन लगातार मगध पर आक्रमण कर रहे थे। सम्राट ने ऐसा बहादुर जीवन में ना देखा था। सम्राट ने पूछा 

” कौन हो तुम”। 

जवाब आया ” ब्राह्मण हूँ महाराज”। 

सम्राट ने कहा “सेनापति बनोगे”?

 पुष्यमित्र ने आकाश की तरफ देखा, माथे पर रक्त तिलक करते हुए बोला “मातृभूमि को जीवन समर्पित है”। उसी वक्त सम्राट ने उसे मगध का उपसेनापति घोषित कर दिया।

जल्दी ही अपने शौर्य और बहादुरी के बल पर वो सेनापति बन गया। शांति का पाठ अधिक पढ़ने के कारण मगध साम्राज्य कायर ही चूका था। पुष्यमित्र के अंदर की ज्वाला अभी भी जल रही थी। वो रक्त से स्नान करने और तलवार से बात करने में यकीन रखता था। पुष्यमित्र एक निष्ठावान हिन्दू था और भारत को फिर से हिन्दू देश बनाना उसका स्वपन था।

आखिर वो दिन भी आ गया। यवनों की लाखों की फ़ौज ने मगध पर आक्रमण कर दिया। पुष्यमित्र समझ गया की अब मगध विदेशी गुलाम बनने जा रहा है। बौद्ध राजा युद्ध के पक्ष में नही था। पर पुष्यमित्र ने बिना सम्राट की आज्ञा लिए सेना को जंग के लिए तैयारी करने का आदेश दिया। उसने कहा की इससे पहले दुश्मन के पाँव हमारी मातृभूमि पर पड़ें हम उसका शीश उड़ा देंगे। यह नीति तत्कालीन मौर्य साम्राज्य के धार्मिक विचारों के खिलाफ थी। सम्राट पुष्यमित्र के पास गया। गुस्से से बोला ” यह किसके आदेश से सेना को तैयार कर रहे हो”। पुष्यमित्र का पारा चढ़ गया। उसका हाथ उसके तलवार की मुठ पर था। तलवार निकालते ही बिजली की गति से सम्राट बृहद्रथ का सर धड़ से अलग कर दिया और बोला ” 

"ब्राह्मण किसी की आज्ञा नही लेता”।

हज़ारों की सेना सब देख रही थी। 

पुष्यमित्र ने लाल आँखों से सम्राट के रक्त से तिलक किया और सेना की तरफ देखा और बोला 

“ना बृहद्रथ महत्वपूर्ण था, ना पुष्यमित्र, महत्वपूर्ण है तो मगध, महत्वपूर्ण है तो मातृभूमि, क्या तुम रक्त बहाने को तैयार हो??”...........

उसकी शेर सी गरजती आवाज़ से सेना जोश में आ गयी। सेनानायक आगे बढ़ कर बोला “हाँ सम्राट पुष्यमित्र । हम तैयार हैं”। पुष्यमित्र ने कहा” आज मैं सेनापति ही हूँ।चलो काट दो यवनों को।”।

जो यवन मगध पर अपनी पताका फहराने का सपना पाले थे वो युद्ध में गाजर मूली की तरह काट दिए गए। एक सेना जो कल तक दबी रहती थी आज युद्ध में जय महाकाल के नारों से दुश्मन को थर्रा रही है। मगध तो दूर यवनों ने अपना राज्य भी खो दिया। पुष्यमित्र ने हर यवन को कह दिया की अब तुम्हे भारत भूमि से वफादारी करनी होगी नही तो काट दिए जाओगे।

इसके बाद पुष्यमित्र का राज्यभिषेक हुआ। उसने सम्राट बनने के बाद घोषणा की अब कोई मगध में बुद्ध धर्म को नही मानेगा। हिन्दू ही राज धर्म होगा। उसने साथ ही कहा 

“जिसके माथे पर तिलक ना दिखा वो सर धड़ से अलग कर दिया जायेगा”। 

उसके बाद पुष्यमित्र ने वो किया जिससे आज भारत कम्बोडिया नही है। उसने लाखों बौद्धों को मरवा दिया। बुद्ध मन्दिर जो हिन्दू मन्दिर गिरा कर बनाये गए थे उन्हें ध्वस्त कर दिया। बुद्ध मठों को तबाह कर दिया। चाणक्य काल की वापसी की घोषणा हुई और तक्षिला विश्विद्यालय का सनातन शौर्य फिर से बहाल हुआ।

शुंग वंशवली ने कई सदियों तक भारत पर हुकूमत की। पुष्यमित्र ने उनका साम्राज्य पंजाब तक फैला लिया।
इनके पुत्र सम्राट अग्निमित्र शुंग ने अपना साम्राज्य तिब्बत तक फैला लिया और तिब्बत भारत का अंग बन गया। वो बौद्धों को भगाता चीन तक ले गया। वहां चीन के सम्राट ने अपनी बेटी की शादी अग्निमित्र से करके सन्धि की। उनके वंशज आज भी चीन में “शुंग” उपनाम ही लिखते हैं।

पंजाब- अफ़ग़ानिस्तान-सिंध की शाही ब्राह्मण वंशवली के बाद शुंग शायद सबसे बेहतरीन ब्राह्मण साम्राज्य था। शायद पेशवा से भी महान।

गर्व करे अपने पूर्वजों पर जिन्होंने अपने बलिदान कर हमे आज सर उठा कर जीने का अधिकार दिलाया।
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पाप-पुण्य के बुरे और अच्छे फल भुगतने की धारणा क्यों ?

पाप-पुण्य के बुरे और अच्छे फल भुगतने की धारणा क्यों ?
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शास्त्र में कहा है-'पापकर्मेति दशधा।' अर्थात् पाप कर्म दस प्रकार के होते हैं। हिंसा (हत्या), स्तेय (चोरी), व्यभिचार-ये शरीर से किए जाने वाले पाप हैं। झूठ बोलना (अनृत), कठोर वचन कहना ( परुष) और चुगली करना-ये वाणी के पाप हैं। परपीड़न और हिंसा आदि का संकल्प करना, दूसरों के गुणों में भी अवगुणों को देखना और निर्दोष जनों के प्रति दुर्भावनापूर्ण दृष्टि (कुदृष्टि) रखना, ये मानस पापकर्म कहलाते हैं। इन कर्मों को करने से अपने को और दूसरे को कष्ट ही होता है। अतः ये कर्म हर हालत में दुखदायी ही हैं।

स्कंदपुराण में कहा गया है कि

अष्टादशपुराणेषु व्यासस्य वचनद्वयम् । परोपकारः पुण्याय पापाय परपीडनम् ॥ -स्कंदपुराण केदारखंड ।

अर्थात अठारह पुराणों में व्यासजी की दो ही बातें प्रधान हैं-परोपकार पुण्य है और दूसरों को पीड़ा पहुंचाना पाप है। यही पुराणों का सार है। प्रत्येक व्यक्ति को इसका मर्म समझकर आचरण करना चाहिए। परहित सरिस धर्म नहिं भाई। पर पीड़ा सम नहिं अधमाई। कहकर तुलसीदास ने इसी तथ्य को सरलता से समझाया है।

मार्कण्डेयपुराण (कर्मफल) 14/25 में कहा गया है कि पैर में कांटा लगने पर तो एक जगह पीड़ा होती है, पर पाप-कर्मों के फल से तो शरीर और मन में निरंतर शूल उत्पन्न होते रहते हैं।

पाराशरस्मृति में कहा गया है कि पाप कर्म बन पड़ने पर छिपाना नहीं चाहिए। छिपाने से वह बहुत बढ़ता है। यहां तक कि मनुष्य सात जन्मों तक कोढ़ी, दुखी, नपुंसक होता है पाप छोटा हो या बड़ा, उसे किसी धर्मज्ञ से प्रकट अवश्य कर देना चाहिए। इस प्रकार उसे प्रकट कर देने से पाप उसी तरह नष्ट हो जाते हैं, जैसे चिकित्सा करा लेने पर रोग नष्ट हो जाते हैं।

महाभारत वनपर्व 207/51 में कहा गया है कि जो मनुष्य पाप कर्म बन जाने पर सच्चे हृदय से पश्चाताप करता है, वह उस पाप से छूट जाता है तथा 'फिर कभी ऐसा नहीं करूंगा ऐसा दृढ़ निश्चय कर लेने पर वह भविष्य में होने वाले दूसरे पाप से भी बच जाता है।

शिवपुराण 1/3/5 में कहा गया है कि पश्चाताप ही पापों की परम निष्कृति है। विद्वानों ने पश्चाताप से सब प्रकार के पापों की शुद्धि होना बताया है। पश्चाताप करने से जिसके पापों का शोधन न हो, उसके लिए प्रायश्चित्त करना चाहिए।

पापों का प्रायश्चित्त न करने वाले मनुष्य नरक तो जाते ही हैं, अगले जन्मों में उनके शरीरों में उन पापों के लक्षण आदि भी प्रकट होते हैं। अतः पाप का निवारण करने को प्रायश्चित्त अवश्य कर लेना चाहिए। स्वर्ग के द्वार पर भीड़ लगी थी। धर्मराज को छंटनी करनी थी कि किसे प्रवेश दें और किसे न दें। परीक्षा के लिए उन्होंने सभी को दो कागज दिए और एक में अपने पाप और दूसरे में पुण्य लिखने को कहा। अधिकांश लोगों ने अपने पुण्य तो बढ़ा-चढ़ा कर लिखे, पर पाप छिपा लिए। कुछ आत्माएं ऐसी थीं,

जिन्होंने अपने पापों को विस्तार से लिखा और प्रायश्चित्त पूछा । धर्मराज ने अंतःकरणों की क्षुद्रता और महानता
जांची और पाप लिखने वालों को स्वर्ग में प्रवेश दे दिया।

पुण्य के अच्छे फल की मान्यता क्यों ?
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जिन कर्मों से व्यक्ति और समाज की उन्नति होती है, उन्हें पुण्य कर्म कहते हैं। सभी शास्त्रों और गोस्वामी तुलसीदास ने परोपकार को सबसे बड़े धर्म के रूप में माना है-परहित सरिस धर्म नहिं भाई। अर्थात् परोपकार के समान महान् धर्म कोई अन्य नहीं है।

द्रौपदी जमुना में स्नान कर रही थी। उसने एक साधु को स्नान करते देखा। हवा में उसकी पुरानी लंगोटी उड़कर पानी में बह गई। ऐसे में वह बाहर निकलकर घर कैसे जाए, सो झाड़ी में छिप गया। द्रौपदी स्थिति को समझ गई और उसने झाड़ी के पास जाकर अपनी साड़ी का एक तिहाई टुकड़ा फाड़कर लंगोट

बनाने के लिए साधु को दे दिया। साधु ने कृतज्ञतापूर्वक अनुदान स्वीकार किया। दुर्योधन की सभा में जब द्रौपदी की लाज उतारी जा रही थी। तब उसने भगवान् को पुकारा। भगवान् ने देखा कि द्रौपदी के हिस्से में एक पुण्य जमा है। साधु की लंगोटी वाला कपड़ा व्याज समेत अनेक गुना हो गया है भगवान् ने उसी को द्रौपदी तक पहुंचाकर उसकी लाज बचाई।
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गुरुवार, 6 जून 2024

सरकार गिरनी चाहिए.. हां ये सरकार गिरनी चाहिए...

 

सरकार गिरनी चाहिए..

हां ये सरकार गिरनी चाहिए...

और कांग्रेस की सरकार बननी

चाहिए..

फिर चुनाव खत्म हो जाने

चाहिए भारत में सदा सदा

के लिए,

वोटिंग का अधिकार

समाप्त हो जाना चाहिए...

कांग्रेस को ही ये देश

डिजर्व करता है..

इस देश को जिस हालातों

में कांग्रेस ने 70 साल रखा,

ये देश वही डिजर्व करता है,

इसे डेवलपमेंट पसंद नहीं,

इसे सुरक्षा पसंद नहीं,

इसे वैश्विक पटल पर एक

सशक्त भारत पसंद नहीं,

इसे पसंद है कांग्रेस,सपा

और भारत विरोधी पार्टियां,

तो वही सही..

तुम सबकी इच्छा पूर्ण हो जाए..🙌🏻

भारत नाम के राष्ट्र के अंत

तक कांग्रेस जैसी पार्टियों

का ही शासन रह जाए,

भारत जो अखंड होना था,

वो खंड खंड हो जाए..

तुम्हें संतुष्टि तब ही तो मिलेगी..

जब जातियों के नाम पर राज्य

मिल जाए..

और उन राज्यों को जेहादी तुमसे

हथिया लें तुम्हें संतुष्टि तब ही तो

मिलेगी..

तुम्हारी अयोध्या,तुम्हारी मथुरा

नगरी,तुम्हारी काशी तुमसे सदा

सदा के लिए छिन जाए..

तुम्हें संतुष्टि तभी तो मिलेगी..

अयोध्या के व्यापारी और शहर वासी,

जो वोटिंग के दिन भी,

पैसा जोड़ने में व्यस्त थे..

उनके यहां जब कोई न जाए 😘

तभी उन्हें संतुष्टि मिलेगी..

सड़कें जो बन रहीं हैं

वो बीच में ही रुक जाएं

तभी संतुष्टि मिलेगी

एयरपोर्ट जो बनें हैं

सूनसान हो जाएं

तभी संतुष्टि मिलेगी ना?

रेलवे स्टेशन पर गंदगी ही चाहिए,

मल मूत्र की बदबू के बिना

तुम कहां वहां रह पाओगे,

साफ़ पाओगे तो विमल केसरी

गुटखा थूक आओगे..

भगवा को फिर से

लाल कर जाओगे..

तभी संतुष्टि मिलेगी..

तुमको मंदिर नहीं चाहिए,

तुमको स्वाभिमान नहीं चाहिए,

तुमको दंगे चाहिए,

तुमको चाहिए डर डर कर

जीना और पलायन करना,

तुमको उनसे भाई चारा

चाहिए और भाई का चारा

बनने का मौका चाहिए,

तभी तुम्हें संतुष्टि मिलेगी..

तुम दोषारोपण कितना भी दो

तुमको ये सब वापस से चाहिए..

ये ही तुम्हारा सत्य है !!

कांग्रेस तुम्हारी जननी है

कांग्रेस ही तुमको कब्र में भेजे..

चिता कहां मिलेगी तुम्हें,

क्योंकि तब तक तो तुम

खतना करवा चुके होगे,

तुम्हें संतुष्टि तब ही प्राप्त होगी..

तथास्तु🙌🏻

मिल जाए तुम्हें संतुष्टि..

ये ही प्रार्थना है मेरी आज🙏🏻

मेरे प्रभु से,जिन्हें तुमने पुनः ठगा है..

ये धरती अब कलि की है

यहां अब राम नहीं

कल्कि ही आयेंगे..

तुम सबको संतुष्टि दे जाएंगे..

यही तुम्हारी नियति है ..

यही तुम्हारी नियति..!

जन्मदिन की हार्दिक मंगलकामनाएं

MYogiAdityanath जी

आपको इस जन्मदिन पर उत्तरप्रदेश

की जनता की ओर से विश्वासघात

मिला है तोहफे में..

उपहार में हार मिली है,

कुबूल कीजिए...

यूपी त्याग दीजिए,

ये प्रदेश आपको

डिजर्व नहीं करता...

✒️ तत्वज्ञ देवस्य 🎉

ज्येष्ठ कृष्णा चतुर्दशी

योगी आदित्यनाथ जन्म दिवस

🌝 बुधवार,५ जून २०२४ 🎉

विक्रम संवत् २०८१ 🎉

@highlight



अब इस कोंग्रेसी गद्दारों ने एक और केजरीवाल पैदा किया नाम है सोनम वांगचुक ।

 

कांग्रेस ने पिछले 75 वर्ष में एक ऐसा ट्रेंड बना दिया कि हिन्दू विरोधी या देशद्रोह की बात करो और राजनीति में जगह बनाओ, इसलिए कांग्रेस मुक्त भारत जरुरी है

अब इस कोंग्रेसी गद्दारों ने एक और केजरीवाल पैदा किया नाम है सोनम वांगचुक ।

** सोनम वांग्चुक: पर्दे के पीछे कौन?

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हमारे देश में जब कोई अच्छा कार्य करता है , तो सरकार ही नहीं जनता भी उसे सम्मान देती है। उसके अच्छे कामों का विवरण समाचार पत्र और टीवी द्वारा भी दिया जाता है , तो जनता उसके समर्थन में एकजुट हो जाती है। जैसे सोनू सूद, केजरीवाल , अन्ना हज़ारे, गांधी, नेहरू, शिर्डी के साई बाबा, मदर टेरेसा, और कई अन्य हैं। बाद में पता चलता है की अरे ये तो कोंग्रेसी दलाल थे।

ऐसे ही सोनम वांग्चुक भी हैं। इन पर एनडीटीवी की विशेष कृपा बरसी। न केवल इनके काम दिखाए गए, अपितु भरपूर प्रसंशा भी हुई। और यही बात जनमानस को प्रभावित करती है। एक फिल्म आई थी थ्री ईडियट जो आमिर खान की थी और बाद में बताया गया कि यह सोनम वांग्चुक से प्रेरित होकर ही बनाई गई है।

सोचो काँग्रेस ने कई साल पहले ही बीज़ बो दिया था ।

इससे इनकी लोकप्रियता को उड़ान मिल गई , और जब विदेशी हमारे किसी देश वासी को पुरस्कार देते हैं, तो लॉर्ड मैकाले की मानसिक गुलामी से प्रभावित , हम लोग प्रसन्नता से बल्लियों उछल जाते हैं।

ऐसे लोगों पर विदेशी संस्थाओं की नजर रहती है, और वह दाना डालते हैं। सोनम वांग्चुक को राज्य सरकारों ने, अनेक भारतीय संस्थाओं ने भी पुरस्कार दिए, फिर फ्रांस, अमेरिका ने भी दिए और 2018 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार भी मिला।

आजकल , सोनम फिर से चर्चा में हैं । उन्होंने अनेक दिन तक का सैकड़ों लोगों के साथ इस भयानक ठंड में उपवास किया।

क्या हैं उनकी मांगें?

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2019 में लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया, और लद्दाख वासी पहले से ही अपने को कश्मीर से अलग करने की मांग करते रहे हैं। वह तो पूरी हो गई ।

अब सोनम वांग्चुक एक नई मांग लेकर आते हैं कि,

इसे 6ठी अनुसूची के अंतर्गत लाया जाय। इसमें स्थानीय संस्कृति, भाषा, व्ययसाय को देश की दूसरी संस्कृतियों से अप्रभावित रखने के लिये प्रावधान है।

क्या यह मांग गैर संवैधानिक है? तो उत्तर है -- नहीं ।

अनुचित है ? तो उत्तर है नहीं।

स्थानीय लोगों को नौकरी में आरक्षण

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अब यह केंद्र शासित प्रदेश बन गया है । यह तो पहले कहना था, जब कश्मीर राज्य में आता था। अब तो अलग होने से कर्मचारी तो स्थानीय ही भर्ती होगा। अधिकारी के लिए कहीं भी किसी भी राज्य में इस प्रकार का घोषित आरक्षण, मेरी जानकारी में नहीं है।

पर्यावरण की रक्षा ?

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क्योंकि उद्योग से पर्यावरण दूषित होता है, इस पर सरकार पहले ही कह चुकी है कि, पर्यावरण को कम से कम हानि हो यह ध्यान रखा जाएगा।

तो समस्या कहाँ है?

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जब देश में आम चुनाव होने की घोषणा होने ही वाली होती है, तभी यह (वांगचुक) अनशन पर बैठता है। यह दो लोकसभा सीट हो कहता है, जबकि 2026 में परिसीमन होना ही है। और अंतिम समय पर नहीं हो सकता। बस विवाद खड़ा करना है।

पूर्ण राज्य का दर्जा

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इस पर मुझे संदेह है। क्योंकि यह अति संवेदनशील क्षेत्र है। चीन और पाकिस्तान दोनों से सीमा मिलती है , तथा जनसंख्या मात्र 3 लाख।

चलो , दो लोकसभा सीट दे भी दी , तो यह फिर 3 के लिए आंदोलन करेगा।

लेकिन इससे भी बड़ी कहानी तो अलग ही है।

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जरा दो घटनाक्रमों पर ध्यान दीजिए ।

इसे भी सीएनएन, एनडीटीवी आदि सारा मीडिया प्रमोट करता है , और केजरीवाल को भी। दोनों प्रारम्भ में अपने अच्छे उद्देश्य बताते हैं , और मीडिया उछालता है। इन्हें जननायक बनाता है ! इसमें 15 वर्ष के लगभग लगते हैं दोनों के । फिर दोनों को रेमन मैग्सेसे पुरस्कार मिलता है। केजरी को 2006 में और 2011-12 में पूरा अवतरित होता है।

इसे भी 2018 में यही पुरस्कार मिलता है , और यह भी 5 वर्ष बाद अवतरित हुआ है।

लालू , जयललिता से लेकर हेमंत सोरेन तक की गिरफ्तारी पर , कोई विदेशी हस्तक्षेप नहीं। लेकिन मेयर जैसे मु. मंत्री केजरीवाल की गिरफ्तारी पर जर्मनी, अमेरिका और सन्युक्त राष्ट्र संघ क्यों बौखला गए? इसी प्रकार सोनम को भी विदेशी मीडिया खूब उछाल रहा है।

अब इससे भयानक बात

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चीन के विश्व में आर्थिक व्यापार की जड़ उसका माइकों चिप और सेमी कंडकटर का व्यापार है। चिप बनाने के लिए रेत और शुद्ध जल की आवश्यकता होती है , जो कि हिमालय के ग्लेशियर की नदियों से ही मिल सकती है। क्योंकि , मैदानी नदियाँ प्रदूषित हो गई हैं , और इसीलिए चीन ने 1963 में पाकिस्तान द्वारा कब्जाए गए उत्तरी लद्दाख में भूमि , पाकिस्तान से ले ली थी जिसमें 252 हिम ग्लेशियर हैं। वहाँ से शुद्ध पानी लेता है ,और उसकी चिप वहीं बनती हैं।

भारत ने इसे समझ लिया है, और लद्दाख में चिप बनाने की फैक्टरी लगाना चाहती है , और वह भी चीन के धुर विरोधी ताइवान, जापान और दक्षिण कोरिया के सहयोग से।

इसी का विरोध यह गद्दार,देशद्रोही सोनम वांग्चुक कर रहा है । बाकी अम्बानी अडानी की रट तो दिखाने के लिए लगा रहा है।

#गद्दार

#देशद्रोही

#सोनम_वांगचुक



पाकिस्तानी मूल की एक लड़की आफिया सिद्दीकी पढ़ने में बहुत ब्रिलियंट थी

 

पाकिस्तानी मूल की एक लड़की आफिया सिद्दीकी पढ़ने में बहुत ब्रिलियंट थी

आगा खान ट्रस्ट के स्कॉलरशिप पर उसने यूरोप के प्रतिष्ठित विद्यालय से न्यूक्लियर साइंटिस्ट में मास्टर्स डिग्री लिया और फिर आगा खां ट्रस्ट के स्कॉलरशिप पर उसने अमेरिका में ही न्यूरो न्यूक्लियर साइंटिस्ट में पीएचडी किया

वह आतंकवादियों को परमाणु बम बनाने की ट्रेनिंग देने के फिराक में थी और उसने अपने घर पर इतना युरेनियम जमा कर लिया था जिससे एक छोटा मोटा परमाणु बम बनाया जा सके

इतना ही नहीं वह 9/11 के प्रमुख आतंकी खालिद शेख मोहम्मद के संपर्क में भी थी और उसने तीन आतंकवादियों को अपने घर पर पनाह भी दिया था वह इतनी ज्यादा कट्टरपंथी हो गई थी कि अपने वैज्ञानिक पति को तलाक देकर उसने आतंकी खालिद शेख मोहम्मद के आतंकी भतीजे से दूसरा निकाह कर लिया जबकि वह 5 बच्चों की मां थी

और मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से डिग्री ली.

11 सितंबर 2001 के हमले के कुछ समय बाद आफिया अमेरिका के कानून प्रवर्तन की नजर में आईं. अमेरिका की एफबीआई और न्याय विभाग ने मई 2004 के एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आफिया को अलकायदा का संचालक और सूत्रधार बताया. प्रेस कॉन्फ्रेंस में आने वाले महीनों में अल-कायदा द्वारा हमले की योजना की खुफिया जानकारी की चेतावनी भी दी गई.

आफिया सिद्दीकी अभी अमेरिका की एक जेल में बंद है वह पिछले कई सालों से जेल में है और अमेरिकी कानून ने उसे जब तक वह जिंदा रहेगी तब तक जेल में रखने का सजा सुनाया है

एक बार अमेरिका के टेक्सास शहर में एक हमलावर ने चार लोगों को बंधक बना लिया और पाकिस्तानी वैज्ञानिक डॉ. आफिया सिद्दीकी की रिहाई की मांग करने लगा. हालांकि, पुलिस ने हमलावर को ढेर कर दिया और सभी लोगों को बचा लिया गया

यहां तक कि उसके कारनामे सुनकर अमेरिका की उस जेल में बंद दूसरी महिला कैदी जो अमेरिकी थी उन्होंने उसकी जमकर कंबल पिटाई भी कर दिया था जेल में उसके ऊपर तीन बार हमले हुए इसीलिए उसे जेल के एक विशेष सेल में रखा गया है

मैंने पहले भी कहा है अभी भी कह रहा हूं जो शांतिदूत जितना ज्यादा पढ़ा लेता है वह उतना ही बड़ा आतंकवादी बनता है यह अगर टेंपो चलाएंगे पंचर लगाएंगे तो कम से कम आतंकवादी तो नहीं बनेंगे

ओहदे की कीमत

 ओहदे की कीमत

चौबे जी का लड़का है अशोक, एमएससी पास।

नौकरी के लिए चौबे जी निश्चिन्त थे, कहीं न कहीं तो जुगाड़ लग ही जायेगी।

ब्याह कर देना चाहिए।

        मिश्रा जी की लड़की है ममता, वह भी एमए पहले दर्जे में पास है, मिश्रा जी भी उसकी शादी जल्दी कर देना चाहते हैं।

      सयानों से पोस्ट ग्रेजुएट लड़के का भाव पता किया गया।

पता चला वैसे तो रेट पांच से छः लाख का चल रहा है, पर बेकार बैठे पोस्ट ग्रेजुएटों का रेट तीन से चार लाख का है।

      सयानों ने सौदा साढ़े तीन में तय करा दिया।

बात तय हुए अभी एक माह भी नही हुआ था, कि पब्लिक सर्विस कमीशन से पत्र आया कि अशोक का डिप्टी कलक्टर के पद पर चयन हो गया है।

चौबे- साले, नीच, कमीने... हरामजादे हैं कमीशन वाले...!

पत्नि- लड़के की इतनी अच्छी नौकरी लगी है नाराज क्यों होते हैं?

चौबे- अरे सरकार निकम्मी है, मैं तो कहता हूँ इस देश में क्रांति होकर रहेगी... यही पत्र कुछ दिन पहले नहीं भेज सकते थे, डिप्टी कलेक्टर का 40-50 लाख यूँ ही मिल जाता।

पत्नि- तुम्हारी भी अक्ल मारी गई थी, मैं न कहती थी महीने भर रुक जाओ, लेकिन तुम न माने... हुल-हुला कर सम्बन्ध तय कर दिया...  मैं तो कहती हूँ मिश्रा जी को पत्र लिखिये वो समझदार आदमी हैं।

प्रिय मिश्रा जी,
   अत्रं कुशलं तत्रास्तु !
          आपको प्रसन्नता होगी कि अशोक का चयन डिप्टी कलेक्टर के लिए हो गया है। विवाह के मंगल अवसर पर यह मंगल हुआ। इसमें आपकी सुयोग्य पुत्री के भाग्य का भी योगदान है।
      आप स्वयं समझदार हैं,  नीति व मर्यादा जानते हैं। धर्म पर ही यह पृथ्वी टिकी हुई है। मनुष्य का क्या है, जीता मरता रहता है। पैसा हाथ का मैल है, मनुष्य की प्रतिष्ठा बड़ी चीज है। मनुष्य को कर्तव्य निभाना चाहिए, धर्म नहीं छोड़ना चाहिए। और फिर हमें तो कुछ चाहिए नहीं, आप जितना भी देंगे अपनी लड़की को ही देंगे।वर्तमान ओहदे के हिसाब से देख लीजियेगा फिर वरना हमें कोई मैचिंग रिश्ता देखना होगा।


       मिश्रा परिवार ने पत्र पढ़ा, विचार किया और फिर लिखा-

प्रिय चौबे जी,
    आपका पत्र मिला, मैं स्वयं आपको लिखने वाला था। अशोक की सफलता पर हम सब बेहद खुश हैं। आयुष्मान अब डिप्टी कलेक्टर हो गया हैं। अशोक चरित्रवान, मेहनती और सुयोग्य लड़का है। वह अवश्य तरक्की करेगा।
      आपको जानकर प्रसन्नता होगी कि ममता का चयन आईएएस के लिए हो गया है। कलेक्टर बन कर आयुष्मति की यह इच्छा है कि अपने अधीनस्थ कर्मचारी से वह विवाह नहीं करेगी।
       मुझे यह सम्बन्ध तोड़कर अपार हर्ष हो रहा है।

आज के आधुनिक समय में भी दहेज़ प्रथा नाम की बुराई हर जगह फैली हुई है। पिछड़े भारतीय समाज में दहेज़ प्रथा अभी भी विकराल रूप में है।

इसलिए सभी:- "बेटी पढाओ,दहेज मिटाओ"

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