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शुक्रवार, 7 अगस्त 2020

आत्मनिर्भर मेवाड़ कार्ययोजना - जितेंद्र लड्ढा राजसमंद

 

जय गौ माता ! 
जय श्री राम !!
हाल ही में आये कोरोना संकट ने वैश्विक स्तर पर जनमानस में काफी सकारात्मक परिवर्तन किये है | 
मुख्य रूप से बड़े महानगरो, विकसित देशो में जो स्थितिया उत्पन्न हुयी है उसके कारण पूरा विश्व एक बार फिर भारत की और आशा भरी नजरो से देख रहा है | भारत में स्वास्थ्य सम्बन्धी आधुनिक सुविधाओं की स्थिति बहुत अच्छी नहीं होते हुवे भी बेहतर रिकवरी रेट और वर्तमान परिस्थितियों के ग्रामीण भारत पर कोरोना के बहुत कम असर को देखकर एक बार फिर से हर आदमी आधूनिकता की चकाचौंध की और बढ़ते कदमो को रोककर थोड़ा सोचने पर मजबूर हुवा है | एक छोटे से वायरस के कारण तहस नहस होती अर्थव्यवस्था के कारण एक बार फिर से *मानव जीवन की मुलभुत आवश्यकताओ, व्यक्तिगत इम्युनिटी, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने हेतु योग आधारित जीवन पद्धति, रसायन मुक्त जैविक खेती, देशी गौवंश आधारित पंचगव्य चिकित्सा, ग्राम आधारित अर्थव्यवस्था, गुरुकुल शिक्षा* आदि की चर्चाओं ने जोर पकड़ा है | देश ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिदिन ऐसे विषयों को लेकर लगातार विषय विशेषज्ञ वेबिनार आदि के माध्यम से मानव सभ्यता के बेहतरीन मॉडल हेतु चिंतन करने लगे है | अधिकाँश चिन्तनो में *कृषि, पशुपालन आधारित ग्राम स्वरोजगार, रसायन मुक्त जैविक खेती, गौवंश आधारित अर्थव्यवस्था* अत्यधिक महत्त्व के बिंदु बनकर उभरे है | 
कोरोना संकट के चलते अधिकांश महानगरो से युवा अपने अपने गावो की और लौट गये है तथा वही पर रोजगार की तलाश में भी है | ऐसे में व्यवस्था परिवर्तन हेतु समय अत्यधिक अनुकूल हो गया है | बस आवश्यकता केवल जनजागरण और सामूहिक प्रयास की है | 
हाल के इस दौर में ऐसे ही अनेकानेक राष्ट्र चिंतको के साथ विभिन्न राष्ट्रिय एवं अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार आदि में सम्मिलित होने का सौभाग्य मिला और विभिन्न विशेषज्ञों का मार्गदर्शन भी मिला, और जानकार बड़ा आश्चर्य हुवा  की देश के विभिन्न स्थानों पर व्यक्तिगत अथवा सामूहिक स्तर पर अनेकानेक अद्भुत प्रयोग किये जा रहे है | 
भारत सरकार से सेवानिवृत पूर्व शासन सचिव डॉक्टर कमल टावरी जी के प्रयासों से विगत लॉक डाउन के दौरान ऐसे कई प्रयोगधर्मियो को मंच उपलब्ध करवाया गया जिसके माध्यम से समग्र ग्राम विकास के विभिन्न छोटे छोटे सफल प्रयासों को सम्पूर्ण भारतभर में फैलाने हेतु मा-बाप (*M*ass *A*wakener - *B*lock *A*doption & *A*daptation *P*rogrammer)  नाम से योजना बनाकर *अ-सरकारी व असरकारी, स्वाभीमानी* तरीके से वर्तमान में कार्य कर रहे विविध संगठनो, कार्यकर्ताओं के माध्यम से देशभर के 6500 विकास खंडो में इन सभी प्रयोगों को धरातल पर उतारने का संकल्प किया गया है | 
इसी क्रम में *मेवाड़ की स्वाभीमानी धरा को आत्मनिर्भर बनाकर पुनः गौरवशाली बनाने का संकल्प* लिया है मेवाड़ के ही कुछ युवाओं ने – जिसे नाम दिया गया है - *आत्मनिर्भर मेवाड़ संकल्प* 

*आत्मनिर्भर मेवाड़ कार्ययोजना* – 
*उद्देश्य -*
*स्थानीय ग्रामीणों, संगठनो, किसानो, गौशालाओ की सहभागिता सुनिश्चित करते हुवे शुभ-लाभ आधारित पर्यावरण पूरक धंधे यथा जैविक खेती, देशी गाय पर आधारित कृषि और उससे जुड़े हुवे अधिकाधिक रोजगारोन्मुखी लघु व कुटीर उद्योग, गुरुकुल आधारित शिक्षा, विकेंद्रीकृत व्यापार व्यवस्था, योग आधारित जीवन पद्धति, भारतीय सनातन चिंतन व वैदिक परम्पराओ से अनुभव लेते हुवे अ-सरकारी और असर-कारी आत्मनिर्भर मॉडल प्रस्तुत करना, जो व्यक्ति केन्द्रित न हो, सरकारी अनुदान पर आश्रित ना हो, जहाँ अधिकाधिक जन सहभागिता सुनिश्चित हो जिसके परिणामस्वरुप ग्रामीण क्षेत्र में महिला सशक्तिकरण, पर्यावरण सुधार, शैक्षिक उन्नयन, बेहतर रोजगार के अवसरों के साथ प्रति व्यक्ति आय भी संतोषजनक हो |* 
*कार्य योजना -* 
१. प्रारंभिक स्तर पर मनुष्य जीवन के प्रति आध्यात्मिक दृष्टी और सकारात्मक विचार रखने वाले जिले के कुछ युवाओं व अनुभवी लोगो को साथ लेते हुवे समूह बनाकर नियमित रूप से ऑनलाइन स्वाध्याय करते हुवे मेवाड़ के अधिकाधिक क्षेत्रो से ऐसे लोगो को जोड़ने का प्रयास करना है जो की अपनी क्षमताओं का उपयोग करते हुवे अपने ब्लॉक में उक्त उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु अपना समूह बनाकर शुभ-लाभ के साथ MA-BAAP अर्थात (Mass Awakening and Block Adoption & Adaptation Program) के माध्यम से पुरे ब्लॉक में ग्रामीणों को, जन प्रतिनिधियों को व्यक्तिगत अथवा संस्थागत कंसल्टेंसी सुविधा देते हुवे ग्रामीणों में जन जागृति का कार्य प्रारंभ करेंगे | 
२. कार्य प्रारंभ करने के लिए सर्वप्रथम जुड़े हुवे सदस्यों के अपने स्थानों पर ही स्वयं के उपलब्ध संसाधनों के माध्यम से ही विविध बिन्दुओ/आयामों पर कार्य प्रारंभ करना है | जैसे गौशाला, फार्म हाउस, विद्यालय, गोचर भूमी, स्वयं की कृषि योग्य भूमी, ग्राम पंचायत आदि | व्यक्तिगत स्थानों पर संस्था के मार्गदर्शन व व्यक्तिगत खर्चे से और सामूहिक या सार्वजनिक स्थानों पर संस्था के फंड से कार्य किया जाएगा जिसके लाभ का उपयोग संस्था के माध्यम से जनोपयोगी कार्यो के विस्तार हेतु किया जा सकेगा | 
३. समय समय पर विषय विशेषज्ञों के साथ कांफ्रेंसिंग के माध्यम से ग्राम विकास के अन्यान्य विषयों पर प्रशिक्षण का आयोजन किया जाएगा |
४. इस योजना में सभी कार्य पूरी तरह से आत्म निर्भर मॉडल आधारित होंगे |
५. विभिन्न स्थानों पर किये जा रहे प्रयासों को सोशल मीडिया, ऑनलाइन पोर्टल आदि के माध्यम से मार्केटिंग हेतु उचित प्लेटफोर्म उपलब्ध करवाया जायेगा |
६. किसानो की आय बढाने हेतु किसान का उत्पाद सीधे ग्राहक तक पहुंचाने हेतु ऑनलाइन एप्प और पोर्टल के माध्यम से सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी |

क्रमश: .....

 साभार 
जितेंद्र लड्ढा राजसमंद

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