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गुरुवार, 17 अगस्त 2023

ग़दर 2 को मिल रहे बम्पर समर्थन के पीछे का क्या कारण है?

छोटे शहरों में तब अजीब आफर चलते थे, जिस थिएटर में ये फ़िल्म लगी थी उसी के मालिक की एक बहुत बड़ी किराना दुकान भी थी। उसने आफर निकाला कि 1000 रुपये की किराना खरीद पर ग़दर फ़िल्म के दो टिकिट मुफ्त मिलेंगे।

करीब 4-5 दिन तो टिकिट खिड़की खुलते ही बन्द हो जाती थी सिर्फ बॉक्स के टिकिट बिकते थे।

ये फ़िल्म मेरे बेस्ट फ्रेंड के साथ देखी थी। कसम से इस फ़िल्म को देखते समय जो माहौल थिएटर में था वैसा फिर कभी महसूस नही हुआ। आज भी हम दोनों मिलते हैं तो ग़दर फ़िल्म को ज़रूर याद करते हैं।ऐसी फिल्मों को देखने का मज़ा सिंगल स्क्रीन में ही है जिनमे तालियां, गालियां सब बिना किसी शर्म के दी जाएं।

सनी देओल तो इस फ़िल्म की जान थे ही, अमरीश पुरी ने भी अपने रोल में जान डाल दी थी। अमीषा पटेल ने 2-3 सालों में बॉलीवुड इतिहास की सबसे बड़ी हिट फिल्मों "कहो ना प्यार है और ग़दर" में काम किया पर उसके बाद गुम ही हो गई।

जब सकीना की अम्मी उसको कहती है कि कोई तुझे लेने नही आएगा,भूल जा उसको!! तब इस संवाद पर लोगों के रोंगटे ही खड़े हो गए

सांस जिस्म में आना भूल सकती है

सुबह निकलना भूल सकती है

आप अपने खुदा को भूल सकते है

लेकिन हम उन्हें भूल जाये नामुमकिन है ये

इसके बाद सकीना सिंदूर लगाने लगती है तो उसकी अम्मी सिंदूर उछाल देती है जो उसके सारे शरीर पे गिर जाता है।

इस फ़िल्म का संगीत बहुत अंडर रेटेड है।" मुसाफिर जाने वाले" गीत शायद आंनद बक्शी साहब का लिखा सर्वश्रेष्ठ है।

ना जाने क्या छूट रहा है

दिल में बस कुछ टूट रहा है

होंठों पर नहीं कोई कहानी

फिर भी आँख में आ गया पानी

नहीं हम भूलने वाले चलो एक दूसरे को करें रब के हवाले

निर्देशक अनिल शर्मा ने इसके पहले और इसके बाद बहुत सड़ी फिल्में बनाई पर ये फ़िल्म इतिहास के पन्नों में दर्ज है।

5 करोड़ लोगों ने वर्ष 2001 में ये फ़िल्म थिएटर में देखी थी तो इसके दूसरे भाग को तो समर्थन मिलना ही है।

कोई जाए न जाए सनी देओल की सबसे बड़ी प्रशंसक अंजलि जी तो ज़रूर जाएंगी 😂


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