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रविवार, 15 अगस्त 2021

क्यों किया जाता है अंतिम संस्कार?


ऊँ नमः शिवाय
क्यों किया जाता है अंतिम संस्कार?????

आत्मा जब शरीर छोड़ती है तो मनुष्य को पहले ही पता चल जाता है । ऐसे में वो स्वयं भी हथियार डाल देता है अन्यथा उसने आत्मा को शरीर में बनाये रखने का भरसक प्रयत्न किया होता है और इस चक्कर में कष्ट को झेला होता है।

अब उसके सामने उसके सारे जीवन की यात्रा चल-चित्र की तरह चल रही होती है । उधर आत्मा शरीर से निकलने की तैयारी कर रही होती है इसलिये शरीर के पाँच प्राण एक 'धनंजय प्राण' को छोड़कर शरीर से बाहर निकलना आरम्भ कर देते हैं । 
ये प्राण, आत्मा से पहले बाहर निकलकर आत्मा के लिये सूक्ष्म-शरीर का निर्माण करते हैं । जोकि शरीर छोड़ने के बाद आत्मा का वाहन होता है। धनंजय प्राण पर सवार होकर आत्मा शरीर से निकलकर इसी सूक्ष्म-शरीर में प्रवेश कर जाती है। 

बहरहाल अभी आत्मा शरीर में ही होती है और दूसरे प्राण धीरे-धीरे शरीर से बाहर निकल रहे होते है कि व्यक्ति को पता चल जाता है । उसे बे-चैनी होने लगती है, घबराहट होने लगती है। सारा शरीर फटने लगता है, खून की गति धीमी होने लगती है। सांस उखड़ने लगती है । बाहर के द्वार बंद होने लगते हैं।

 अर्थात अब चेतना लुप्त होने लगती है और मूर्च्छा आने लगती है । चैतन्य ही आत्मा के होने का संकेत है और जब आत्मा ही शरीर छोड़ने को तैयार है - तो चेतना को तो जाना ही है और वो मूर्छित होंने लगता है । बुद्धी समाप्त हो जाती है और किसी अन्जाने लोक में प्रवेश की अनुभूति होने लगती है - ये चौथा आयाम होता है।

फिर मूर्च्छा आ जाती है और आत्मा एक झटके से किसी भी खुली हुई इंद्री से बाहर निकल जाती है । इसी समय चेहरा विकृत हो जाता है । यही आत्मा के शरीर छोड़ देने का मुख्य चिन्ह होता है । शरीर छोड़ने से पहले - केवल कुछ पलों के लिये आत्मा अपनी शक्ति से शरीर को शत-प्रतिशत सजीव करती है - ताकि उसके निकलने का मार्ग अवरुद्ध ना रहे - और फिर उसी समय आत्मा निकल जाती है और शरीर खाली मकान की तरह निर्जीव रह जाता है । 

इससे पहले घर के आसपास कुत्ते-बिल्ली के रोने की आवाजें आती हैं । इन पशुओं की आँखे अत्याधिक चमकीली होती है । जिससे ये रात के अँधेरे में तो क्या सूक्ष्म-शरीर धारी आत्माओं को भी देख लेते हैं । जब किसी व्यक्ति की आत्मा शरीर छोड़ने को तैयार होती है तो उसके अपने सगे-संबंधी जो मृतात्माओं के तौर पर होते है । उसे लेने आते है और व्यक्ति उन्हें यमदूत समझता है और कुत्ते-बिल्ली उन्हें साधारण जीवित मनुष्य ही समझते है और अन्जान होने की वजह से उन्हें देखकर रोते है और कभी-कभी भौंकते भी हैं ।

शरीर के पाँच प्रकार के प्राण बाहर निकलकर उसी तरह सूक्ष्म-शरीर का निर्माण करते हैं । जैसे गर्भ में स्थूल-शरीर का निर्माण क्रम से होता है । 
सूक्ष्म-शरीर का निर्माण होते ही आत्मा अपने मूल वाहक धनंजय प्राण के द्वारा बड़े वेग से निकलकर सूक्ष्म-शरीर में प्रवेश कर जाती है । आत्मा शरीर के जिस अंग से निकलती है उसे खोलती, तोड़ती हुई निकलती है । जो लोग भयंकर पापी होते है उनकी आत्मा मूत्र याँ मल-मार्ग से निकलती है । जो पापी भी है और पुण्यात्मा भी है उनकी आत्मा मुख से निकलती है । जो पापी कम और पुण्यात्मा अधिक है उनकी आत्मा नेत्रों से निकलती है और जो पूर्ण धर्मनिष्ठ हैं, पुण्यात्मा और योगी पुरुष है उनकी आत्मा ब्रह्मरंध्र से निकलती है।

अब शरीर से बाहर सूक्ष्म-शरीर का निर्माण हुआ रहता है । लेकिन ये सभी का नहीं हुआ रहता । जो लोग अपने जीवन में ही मोहमाया से मुक्त हो चुके योगी पुरुष है । उन्ही के लिये तुरंत सूक्ष्म-शरीर का निर्माण हो पाता है । अन्यथा जो लोग मोहमाया से ग्रस्त है परंतु बुद्धिमान है ज्ञान-विज्ञान से अथवा पांडित्य से युक्त है । ऐसे लोगों के लिये दस दिनों में सूक्ष्म शरीर का निर्माण हो पाता है ।

हिंदु धर्म-शास्त्र में - दस गात्र का श्राद्ध और अंतिम दिन मृतक का श्राद्ध करने का विधान इसीलिये है कि - दस दिनों में शरीर के दस अंगों का निर्माण इस विधान से पूर्ण हो जाये और आत्मा को सूक्ष्म-शरीर मिल जाये । ऐसे में, जब तक दस गात्र का श्राद्ध पूर्ण नहीं होता और सूक्ष्म-शरीर तैयार नहीं हो जाता आत्मा, प्रेत-शरीर में निवास करती है । अगर किसी कारण वश ऐसा नहीं हो पाता है तो आत्मा प्रेत-योनि में भटकती रहती है । 

एक और बात, आत्मा के शरीर छोड़ते समय व्यक्ति को पानी की बहुत प्यास लगती है । शरीर से प्राण निकलते समय कण्ठ सूखने लगता है । ह्रदय सूखता जाता है और इससे नाभि जलने लगती है। लेकिन कण्ठ अवरूद्ध होने से पानी पिया नहीं जाता और ऐसी ही स्तिथि में आत्मा शरीर छोड़ देती है । प्यास अधूरी रह जाती है । इसलिये अंतिम समय में मुख में 'गंगा-जल' डालने का विधान है । 

इसके बाद आत्मा का अगला पड़ाव होता है शमशान का 'पीपल' । यहाँ आत्मा के लिये 'यमघंट' बंधा होता है । जिसमे पानी होता है । यहाँ प्यासी आत्मा यमघंट से पानी पीती है जो उसके लिये अमृत तुल्य होता है । इस पानी से आत्मा तृप्ति का अनुभव करती है । 

ये सब हिन्दू धर्म शास्त्रों में विधान है । कि - मृतक के लिये ये सब करना होता है ताकि उसकी आत्मा को शान्ति मिले । अगर किसी कारण वश मृतक का दस गात्र का श्राद्ध ना हो सके और उसके लिये पीपल पर यमघंट भी ना बाँधा जा सके तो उसकी आत्मा प्रेत-योनि में चली जायेगी और फिर कब वहां से उसकी मुक्ति होगी । कहना कठिन होगा l

*हां,  कुछ उपाय अवश्य है पहला ये कि किसी के देहावसान होने के समय से लेकर तेरह दिन तक  निरन्तर भगवान के नामों का उच्च स्वर में जप अथवा कीर्तन किया जाय और जो संस्कार बताए गए हैं उनका पालन करने से मृतक भूत प्रेत की योनि, नरक आदि में जाने से बच जाएगा , लेकिन ये करेगा कोन ?*

*ये संस्कारित परिजन, सन्तान, नातेदार ही कर सकते हैं l अन्यथा आजकल अनेक लोग केवल औपचारिकता निभाकर केवल दिखावा ही अधिक करते हैं l

*दूसरा उपाय कि मरने वाला व्यक्ति स्वयं भजनानंदी हो, भगवान का भक्त हो और अंतिम समय तक यथासंभव हरी स्मरण में रत रहा हो ।

*तीसरा भगवान के धामों में देह त्यागी हो, अथवा दाह संस्कार काशी, वृंदावन या चारों धामों में से किसी में किया हो l*

*स्वयं विचार करना चाहिए कि हम दूसरों के भरोसे रहें या अपना हित स्वयं साधें l*

 जीवन बहुत अनमोल है, इसको व्यर्थ मत गवाओ। एक एक पल को सार्थक करो हरिनाम का नित्य आश्रय लो । मन के दायरे से बाहर निकल कर सचेत होकर जीवन को जिओ, ना कि मन के अधीन होकर। ये मानुष जन्म बार बार नहीं मिलता। 

जीवन का एक एक पल जो जीवन का गुजर रहा है ,वह फिर वापिस नही मिलेगा। इसमें जितना अधिक हो भगवान का स्मरण जप करते रहें,   हर पल जो भी कर्म करो बहुत सोच कर करो। क्यूंकि कर्म परछाईं की तरह मनुष्य के साथ रहते है। इसलिए सदा शुभ कर्मों की शीतल छाया में रहो। वैसे भी कर्मों की धवनि शब्दों की धवनि से अधिक ऊँची होती है,अतः सदा कर्म सोच विचार कर करो।

 जिस प्रकार धनुष में से तीर के चल जाने के बाद वापिस नहीं आता,इसीप्रकार जो कर्म आपसे हो गया वो उस पल का कर्म वापिस नही होता चाहे अच्छा हो या बुरा।इसलिए इससे पहले कि आत्मा इस शरीर को छोड़ जाये, शरीर मेँ रहते हुए आत्मा को यानि स्वयं को जान लो और जितना अधिक हो सके मन से, वचन से, कर्म से भगवान श्रीराम, श्रीकृष्ण का ध्यान, चिंतन, जप कीर्तन करते रहो, निरन्तर स्मरण से हम यम फास से तो बचेंगे ही बचेंगे साथ ही हमें भगवत धाम भी प्राप्त हो सकेगा जोकि जीवन का वास्तविक लक्ष्य है!🔥

14 अगस्त को "विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस

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*🤷🏻‍♂️मैं अक्सर हिंदुओं से कहता हूं इस व्यक्ति की नियत पर कभी संदेह मत करो! ऐसा नेतृत्व सदियों में एक ही बार मिलता है! वर्तमान में मोदी जी से बड़ा राष्ट्रवादी और हिंदूवादी मैं किसी को नहीं मानता!*😎 
*🤨लेकिन कट्टर हिंनू इन्हे मौ-लाना कहते है! इसीलिए मैं कट्टरों को चूटिया कहता हूं!*😉

*✊आज मैने अखंड भारत संकल्प दिवस करके एक पोस्ट पढ़ी, उसे शेयर भी किया! मेरे मन में बहुत दिनों से एक खयाल था की 15 अगस्त को हम आजादी का जश्न मनाते है जबकि 14 अगस्त को हमने अपनी मातृ भूमि की दो भुजाएं खो दी थी, नफरत और हिंसा की वजह से हमारे लाखों हिंदू भाई बहनों को जान गंवानी पड़ी थी! इस दिन की याद में एक स्मृति दिवस तो होना ही चाहिए!*👍 

*✊और देखिए आज मोदी जी ने एक बार फिर, पता नहीं कैसे मेरे हृदय की बात जान ली और 14 अगस्त को "विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस" #PartitionHorrorsRemembranceDay के तौर पर मनाने का निर्णय किया है! 🇮🇳🥺*

*मोदीजी एक ही दिल है.... ❤️*
*#TrustNaMo #ModiMatters #OnlyNaMoCan*
*🔜इंस्ट्राग्राम पर पोस्ट पढ़िए ❤️लाइक 🗣️कमेंट्स 🤳शेयर और 🆔 फॉलो करना न भूले*🙏
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सौ करोड़ का भूत उतार दो अपने सर से

*सौ करोड़, सौ करोड़, सौ करोड़ ...*
*सौ करोड़ की पीपणी बजाना बंद कर दो ...*
*ये सौ करोड़ का भ्रम निकाल दो अपने मस्तिष्क से ...*
*हम सौ करोड़ हैं ... करते करते तुम्हारे पैरो के नीचे से जमीन गायब हो रही है*

*सोचो ....*
*यदि हिन्दू सौ करोड़ होते तो, क्या अयोध्या में हिंदुओं के हत्यारों को सत्ता देते ?*
*यदि हिन्दू सौ करोड़ होते तो, क्या रामसेतु को काल्पनिक बताने वाले को सत्ता देते ?*
*यदि हिन्दू सौ करोड़ होते तो, क्या भगवा आतंकी कहने वाले को सत्ता देते ?*
*यदि हिन्दू सौ करोड़ होते तो, क्या कश्मीर में हिंदुओं को मौत के घाट उतारने वाले को सत्ता देते ?*
*यदि हिन्दू सौ करोड़ होते तो, क्या सरेआम गाय कटवाने वालों को सत्ता देते ?*
*यदि हिन्दू सौ करोड़ होते तो, क्या दशहरा, दीपावली, होली पर ज्ञान बाँटने वालों को सत्ता देते ?*
*यदि हिन्दू सौ करोड़ होते तो, क्या 'मन्दिर में जाने वाले लड़की छेड़ते हैं, ऐसा कहने वाले को सत्ता देते ?*
*यदि हिन्दू सौ करोड़ होते तो, क्या भगवान श्रीराम जी का प्रूफ मांगने वाले को सत्ता देते ?*
*यदि हिन्दू सौ करोड़ होते तो, क्या 8 राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक बनाने वाले को सत्ता देते ?*
*यदि हिन्दू सौ करोड़ होते तो, क्या ''इस देश के संसाधनों पे पहला हक़ मुसलमानों का है !' कहने वाले को सत्ता देते ?*
*यदि हिन्दू सौ करोड़ होते तो,क्या बुरहान, याकूब, ओसामा को शहीद कहने वाले को सत्ता देते ?*
*यदि हिन्दू सौ करोड़ होते तो, क्या देश के दो टुकड़े (भारत-पाकिस्तान) करने वाले को सत्ता देते ??*
 
*सेक्यूलर, निलचट्टे, कायर, लालची... इन सबको घटाकर देखो - अल्पसंख्यक हो चुके हो, अल्पसंख्यक*
*सौ करोड़ का भूत उतार दो अपने सर से ..*
*जो भी तीस - चालिस करोड़ शुद्ध हिन्दू बचे हैं, वो आगे कैसे बचे रहेंगे ये सोचो 
🚩🚩 विश्व हिन्दू परिषद बजरंग दल 🚩🚩
🚩🚩 जय हिंदूत्व जय श्री राम 🚩🚩

शुक्रवार, 13 अगस्त 2021

नेटवर्क मार्केटिंग के 15 फायदे - Network Marketing Benefits in Hindi

नेटवर्क मार्केटिंग के 15 फायदे -
Network Marketing Benefits in Hindi

आजकल लोग नेटवर्क मार्केटिंग के पीछे क्यों पड़े हुए हैं? आखिर इसमें ऐसी क्या बात है जिसकी वजह से लोग इस व्यवसाय की तरफ आकर्षित हो रहे हैं? आखिर नेटवर्क मार्केटिंग के क्या फायदे हैं?

अगर आपके मन में भी ऐसे ही सवाल आ रहे हैं तो आपको यह पोस्ट पूरा पढना चाहिए।

नेटवर्क मार्केटिंग एक गजब का व्यवसाय है और यदि इसे ठीक तरीके से किया जाए तो यह आपकी जिंदगी बदल सकता है, आप इससे अपने सारे सपने पूरे कर सकते हैं, अपनी सारी तकलीफों को दूर कर सकते हैं। नेटवर्क मार्केटिंग (MLM) केवल पैसे कमाने का बिज़नेस नही है, यह हमें एक खुशहाल जिंदगी जीने का तरीका सिखाता है। 

नेटवर्क मार्केटिंग की मदद से धन-दौलत, ऐश्वर्य, मान-सम्मान सब कुछ पाया जा सकता है। अब सवाल आता है की इस बिज़नेस में ऐसा क्या है जो यह अन्य व्यवसाय से अलग है? 

आज हम नेटवर्क मार्केटिंग के फायदे बताने वाले हैं जिससे आपको यह पता चल जायेगा की यह बिज़नेस कैसे हमारी जिंदगी बदल सकता है।

नेटवर्क मार्केटिंग के फायदे - Network Marketing Benefits in Hindi

1. अतिरिक्त आमदनी कमाने का मौका (Extra Income Opportunity)
यदि आप नौकरी करते हैं, या आपका व्यवसाय है और आप उसे छोड़ना नहीं चाहते लेकिन कोई side income का source ढूंढ रहे हैं तो नेटवर्क मार्केटिंग एक बेहतरीन तरीका है, इससे  आप अतिरिक्त आमदनी कर सकते हैं।

2. स्वयं का व्यवसाय: 
नेटवर्क मार्केटिंग करने वाला व्यक्ति एक स्वतंत्र बिज़नेस मैन होता है उसका कोई बॉस नही होता, आप यहाँ अपने समय और सामर्थ्य के अनुसार करते हैं और यह आपका स्वयं का व्यवसाय होता है।

3. कम लागत वाला बिज़नेस: 
नेटवर्क मार्केटिंग शुरू करने के लिए कितने पैसे चाहिए होते हैं? सबसे पहली बात यहाँ joining की कोई फीस नही होती, फ्री जोइनिंग होती है। बस आपको अपनी जरुरत के अनुसार कुछ प्रोडक्ट्स लेने होते हैं और यही इस business का investment है। 

4. बिना रिस्क का व्यवसाय: 
जैसा की हमने ऊपर आपको बताया की आपको यहाँ सिर्फ प्रोडक्ट खरीदने होते हैं आपको किसी प्रकार का investment नही करना पड़ता, कंपनी को पैसे नही देने पड़ते तो ऐसे में इस व्यवसाय में रिस्क कुछ भी नही है।

5. इस बिज़नेस के लिए ऑफिस खोलने या स्टाफ रखने की जरुरत नही: 
आप कोई भी बिज़नेस शुरू करें तो उसके लिए ऑफिस, दूकान और स्टाफ की जरुरत पड़ती है और अधिकांश पैसे इन्हीं पर खर्च हो जाते हैं लेकिन इस बिज़नस में आपको इनकी जरुरत ही नही है।  


6. सामान स्टोर करने की जरुरत नही: 
जैसा की आपको पता है यह प्रोडक्ट का बिज़नस है, यहाँ प्रोडक्ट की खरीदी-बिक्री होती है लेकिन यह सामान बेचने वाला व्यवसाय नही है इसलिए आपको सामान स्टोर करने की जरुरत ही नही है। हाँ यदि आप चाहें तो स्टोर ओपन कर सकते हैं।

7. ऑफिस जाने से पायें छुटकारा: 
यहाँ नौकरी नही है जहाँ 9-5 आपको ऑफिस में बैठना पड़े या किसी को हिसाब देना पड़े आपको ऑफिस जाने से आजादी मिल जाती है।

8. पैसिव इनकम (Passive Income):  
यह बहुत ही बड़ा कारण है जिसकी वजह से लोग नेटवर्क मार्केटिंग करते हैं। पैसिव इनकम का मतलब है, आपके पास ऐसा कोई सिस्टम हो जहाँ से लगातार पैसे आते रहें, आप काम करें या न करें, आप रहें या न रहें आपकी इनकम नही रूकती। हाँ लेकिन आपको इस सिस्टम को बनाने के लिए मेहनत करनी पड़ती है।

9. समय की आजादी किसे नही चाहिए?: 
नौकरी करने वाले या किसी अन्य व्यवसाय में दिनभर काम करने वालों की यही शिकायत होती है की उनके पास खुद के लिए, अपने परिवार के लिए समय नही है। लेकिन नेटवर्क मार्केटिंग का फायदा यह भी है आपके पास भरपूर समय होता है और आप अपने समय के अनुसार काम करते हैं। 

10. आर्थिक स्वतंत्रता (Financial Freedom): 
यदि आपको किसी चीज को खरीदने के लिए कई बार सोचना पड़ता है तो आप आर्थिक रूप से स्वतंत्र नही हैं। network marketing आपके लिए financial freedom को पाने में आपकी मदद कर सकता है। यहाँ से आप सही तरह से काम करके इतना पैसा कमा सकते हैं जितना नौकरी से नही कमा सकते। 

11. नाम कमाने का मौका: 
जो व्यक्ति सफल होता है उसको मान सम्मान की कोई कमी नही होती। लेकिन यहाँ अगर आप सफल हो गये तो आपकी पूरी टीम आपका सम्मान करती है, कंपनी आपको सम्मानित करती है और समाज में भी आपको इज्जत मिलती है।

12. लोगों की मदद करना: 
इस बिज़नेस की सबसे कमाल की बात यह है की आप नेटवर्क मार्केटिंग के फायदे स्वयम तो लेते ही हैं इसके साथ आप दूसरों की भी मदद करते हैं, और उन्हें भी सफल बनाते हैं।

13. अपनी तरह महत्वकांक्षी और उत्साही लोगों से मिलना: 
इस व्यवसाय के लोग सबसे ज्यादा motivated होते हैं, जूनून और उत्साह से भरे होते हैं। और ऐसे लोगों के बीच अगर आप रहते हैं तो आप भी जिंदगी में आगे बढ़ते रहेंगे।

14. देश-विदेश घूमने का मौका पायें:  
लभग हर नेटवर्क मार्केटिंग कंपनी में साल में एक बार या उससे भी अधिक बार अपने associates को देश-विदेश घूमने का मौका देते हैं। आप इसका फायदा उठा सकते हैं।

15. इन्टरनेट का सही उपयोग करना:  
यह इन्टरनेट का युग है लेकिन इसका   फायदा तभी है जब आप इसका सही उपयोग करें। आप सोशल मीडिया का उपयोग कर नये लोगों से दोस्ती कर सकते हैं और   उन्हें   अपने बिज़नस के बारे में बताकर अपने साथ शामिल कर सकते हैं।

हमें उम्मीद है आपको नेटवर्क मार्केटिंग के फायदे के बारे में जानकर अच्छा लगा होगा। आप इसे अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर शेयर भी कर सकते हैं और उन्हें भी इसके बारे में बता सकते हैं

 

आईएमसी एलो नोनी जूस के 20 फायदे

आईएमसी एलो नोनी जूस के 20 फायदे - IMC Aloe Noni Juice Benefits in Hindi

नोनी एक प्रकार का फल है जो दिखने में हरे रंग का होता है और इसका कार आलू के समान होता है। आयुर्वेद में इसे आच के नाम से भी जाना जाता है। नोनी का पौधा ज्यादातर समुद्री इलाके में पाया जाता है। नोनी के फल में 160 से भी अधिक पोषक तत्व पाए जाते हैं।


नोनी का फल सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद है यह हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और इसके अलावा यह कई सारी बीमारियों के लिए बहुत ही कारगर दवा है।


IMC नोनी जूस के फायदे  - IMC Aloe Noni Juice Benefits in Hindi

  1. यह हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाता है और रोगों से लड़ने में हमारी मदद करता है।
  2. साँस की की बिमारी से पीड़ित व्यक्ति को हर रोज सुबह-शाम इसका सेवन करने से लाभ मिलता है।
  3. नोनी जूस एक प्रकार से इन्सुलिन की तरह भी काम करता है जिससे शुगर लेवल नियंत्रित रहता है।
  4. नोनी जूस याददाश्त को बढाने में सहायक है।
  5. जोड़ों के दर्द, कमर दर्द और जकड़न को कम करता है।
  6. सर दर्द, तनाव, माइग्रेन को कम करता है और शरीर को तरोताजा रखता है।
  7. इसके सेवन से ट्यूमर बढ़ना रुक जाता है और कैंसर से लड़ने में मदद मिलती है।
  8. यह मधुमेह, अस्थमा, गठिया जैसी बीमारियों में बेहद कारगर है।
  9. नोनी बालों की समस्याएं जैसे: बालों का रुखापन, गंजापन आदि को ठीक करता है और बालों को मजबूत और स्वस्थ बनाता है।
  10. यह शरीर की कोशिकाओं के अंदर जाकर उसे रिपेयर करता है।
  11. नोनी जूस प्राकृतिक रूप से शरीर के detoxification में मदद करता है।
  12. शरीर के दर्द में नोनी बहुत ही बढ़िया काम करता है यह अन्य दर्द निवारक दवाओं की तुलना में बेहद सुरक्षित है यह सिर्फ उन्ही तत्वों को खत्म करता है जिससे दर्द होता है और इससे कोई साइड इफ़ेक्ट होते।
  13. त्वचा सम्बंधित रोग जैसे: दाद-खाज, खुजली, एक्जीमा, चेचक आदि में भी फायदेमंद है।
  14. खांसी-जुकाम की समस्या में लाभकारी है।
  15. नोनी जूस शराब के प्रभाव को कम करता है।
  16. नोनी जूस नर्वस सिस्टम को सुधारता है और मासपेशियों को आराम देता है।
  17. स्त्रियों की बांझपन की समस्या को भी ठीक करने में सहायक है।
  18. स्त्री-पुरुष के यौन सम्बन्धित समस्याओं में बेहद लाभकारी है।
  19. शीघ्रपतन और नपुंसकता को दूर करता है।
  20. एड्स के रोगियों के लिए भी यह एक प्रभावशाली दवा है।
  21. नोनी के अंदर घुलनशील फाइबर होते हैं जो की आँतों के दबाव को कम करता है और आंतों की सुरक्षा करता है।
  22. IMC नोनी जूस को बच्चा-बूढा, जवान किसी भी उम्र का व्यक्ति ले सकता है यह एक हेल्थ ड्रिंक की तरह है।
  23. आईएमसी नोनी जूस को स्वस्थ हो या बीमार कोई भी व्यक्ति ले सकता है।

नोनी जूस की विशेषताएं


नोनी का उपयोग हजारों वर्षों से विभिन्न प्रकार के रोगों को ठीक करने में किया जा रहा है यह बेहद प्रभावशाली औषधि है जो की हमारे शरीर की लगभग हर बिमारी को ठीक करने में सक्षम है।

नोनी में एंटीवायरस, एंटी ऑक्सीडेंट, एंटीबैक्टीरियल, anti-inflammatory और एंटी रिंकल के गुण पाए जाते हैं।

इसमें विटामिन C, E, B1, B2, B3, B5, B6, B12 आदि पाए जाते हैं। 

नोनी फल में कई प्रकार के मिनरल्स जैसे: आयरन, कैल्शियम, पोटाशियम, मैग्नीशियम, और फास्फोरस की मात्रा पायी जाती है।

आईएमसी एलो नोनी जूस में क्या-क्या मिलाया गया है?

वैसे तो नोनी जूस अपने आप में बेहद प्रभावशाली और स्वास्थ्यवर्धक है लेकिन इसकी गुणवक्ता को और बढाने के लिए IMC ने कुछ और भी सामग्री डाली हैं जैसे:
  • नोनी सत्
  • एलोवेरा सत्
  • आंवला सत्
  • त्रिकुट सत्
  • ब्राम्ही सत् 
  • अश्वगंधा सत्
  • अंगूर सत्
  • विधारीकंद सत्
  • आर.ओ.वाटर

IMC Aloe Noni Juice Price 

आप IMC की नोनी जूस किसी भी IMC store से खरीद सकते हैं यदि आपके पास Associate या customer ID है तो आप इसे discount price पर खरीद सकते हैं इसके अलावा आप अपनी ID से ऑनलाइन प्रोडक्ट आर्डर भी कर सकते हैं।

इसकी कीमत कुछ इसप्रकार है:

IMC Noni Juice (500 ml) -  MRP : 650/-


हमें उम्मीद है आपको आईएमसी की एलो नोनी जूस के बारे में जानकारी मिल गयी होगी।


नोट: किसी भी बिमारी में इस औषधि का उपयोग करने से पहले एक बार चिकित्सकीय सलाह जरूर ले लेवें।

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IMC हिमालयन बेरी जूस के फायदे खुद मोदी जी ने बताए


IMC हिमालयन बेरी जूस के फायदे 
Himalayan Berry Benefits in Hindi


हिमालयन बेरी जूस के फायदे खुद मोदी जी ने बताए





रामायण काल में युद्ध के दौरान जब लक्ष्मण जी बेहोश हुए तो हनुमान जी जिस "संजीवनी बूटी" को लाने हिमालय पर्वत पर गये थे वो दरअसल हिमालयन बेरी ही है जो की लेह-लद्दाख में पायी जाती है।

Himalayan Berry को अंग्रेजी में Sea Buckthorn कहा जाता है। यह एक प्रकार की औषधि है जिसके बारे में यह माना गया है की यह धरती पर लगभग 30 अरब वर्षों से मौजूद है।

खट्टे स्वाद वाला यह रसीला फल खाने में स्वादिष्ट तो होता ही है इसके साथ ही इसके फल, फूल, पत्तियां और बीज औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं।

सी बकथोर्न (हिमालयन बेरी) में 428 प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं और इसीलिए इसे "पोषण तत्वों का खजाना" कहा गया है।



हिमालयन बेरी में क्या-क्या पाया जाता है?
इसमें कई तरह के विटामिन और मिनरल्स पाए जाते हैं जैसे:
  • विटामिन - सी
  • विटामिन - ए
  • विटामिन - इ
  • फोलिक एसिड
  • ओमेगा 3,6 और 9
  • 18 प्रकार के एमिनो एसिड
  • 24 प्रकार के मिनरल्स पाए जाते हैं   
हिमालयन बेरी में भरपूर मात्रा में ऑक्सीजन पाया जाता है इसलिए लेह-लद्दाख और सिन्धु नदी के आसापास के लोग ऑक्सीजन की कमी से बचने के लिए इसका उपयोग करते हैं।

IMC Himalayan Berry Juice के बारे में

आप IMC company के बारे में जानते ही होंगे, यह विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रमाणित कंपनी है जो की organic products बनाती और हर्बल के क्षेत्र में इसका बहुत बड़ा नाम है।

IMC company के products बहुत ही असरदार होते हैं। यह कंपनी स्वाथ्य और रोजगार के क्षेत्र में बहुत बड़ा काम कर रही है।

यदि आप हिमालयन बेरी जूस का उपयोग करना चाहते हैं तो आप आईएमसी की हिमालयन बेरी जूस का ही उपयोग करें।

IMC हिमालयन बेरी जूस के फायदे | Himalayan Berry Benefits in Hindi 

  1. यह हर उम्र के लोगों के लिए लाभप्रद है।
  2. यह एक बेहतरीन एंटीऑक्सीडेंट, एंटीएजिंग और एंटी डिसीस है।
  3. इसमें एंटी-कैंसर के गुण भी पाए जाते हैं।
  4. यह हार्ट-अटैक और स्ट्रोक के खतरे को कम करता है।
  5. सर्दी-जुकाम और श्वास रोगों को ठीक करता है।
  6. त्वचा के रोगों के लिए बेहद लाभकारी है।
  7. कील-मुहासे, एक्जिमा, शुष्क त्वचा को ठीक करता है।
  8. त्वचा को निखारता है।
  9. यह शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाता है।
  10. संसार के जितने भी विटामिन -सी वाले फल हैं उनके मुकाबले हिमालयन बेरी में 4 से 100 गुना अधिक विटामिन -सी पाया जाता है।
  11. यह रक्तचाप को सुधारने का काम करता है।
  12. गैस्ट्रिक और पेट की समस्याओं को ठीक करता है।
  13. यह शरीर के बुरे कोलेस्ट्रोल (bad cholesterol) को खत्म करता है।
  14. यह ब्लड-शुगर और उच्च-रक्तचाप को नियंत्रित करने का अच्छा स्त्रोत है।
  15. इसका उपयोग गठिया के रोगों के लिए भी होता है।
  16. संक्रामक बीमारियों से त्वचा में पड़े चकतों को भी ठीक करता है।
  17. अल्सर में फायदेमंद है।
  18. अस्थमा, छाती दर्द में लाभकारी है। 
  19. शरीर के फ्री रेडिकल्स को बेअसर करता है।
  20. रोगाणुओं और विषाणुओं को मारता है।
  21. घावों के संक्रमण को रोकता है।
  22. एंटी-इन्फ्लेमेटेरी गुणों की वजह से जोड़ों और मांसपेशियों का दर्द ठीक करता है।
  23. बुढापे की प्रक्रिया को कम करता है।
  24. कई लोग इसे सन स्क्रीन की तरह उपयोग करते हैं।
  25. मानसिक और यौन कमजोरी को भी दूर करता है।
  26. वजन कम करने में अत्यधिक प्रयोग किया जाता है।
  27. इसमें कैरोटीनॉइड नाम का महत्वपूर्ण एंटीऑक्सीडेंट तत्व पाया जाता है जो की नजर को सुरक्षित रखने में लाभकारी है।

IMC Himalayan Berry का उपयोग कैसे करें?

हिमालयन बेरी जूस का dose कितना होना चाहिए? आप इसे दिन में दो बार ले सकते हैं। 10ml जूस को 250ml पानी में मिलाकर एक बार सुबह और एक बार रात को खाने से पहले लेवें।


नोट: इन जानकारियां कंपनी के द्वारा जारी किताबों और ट्रेनिंग videos आदि से ली गयी हैं। इनका उपयोग करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरुर ले लेवे।

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15 अगस्त को 2 बजे लॉंच हो रही है ओला ई-स्कूटर

ओला ई-स्कूटर
दुनिया की सबसे बड़ी ई-स्कूटर मैन्युफैक्चर करने वाली कंपनी।
प्रत्येक वर्ष 10 मिलियन (1 करोड़) स्कूटर प्रोडक्शन।
जो विश्व का 15% अकेले कवर करेगा।
सबसे बड़े कैम्पस में से एक। 500 एकड़ कैम्पस।
इस प्लांट में 10,000 वर्कर्स के साथ काम करने लिए 3,000 से ज्यादा रोबोट भी इस्तेमाल किए जाएंगे। ओला फैक्ट्री की छत को सोलर पैनलों से ढंका जाएगा, जिससे कंपनी को अपनी खुद की बिजली का उत्पादन करने में मदद मिलेगी।
कंपनी के फाउंडर और सीईओ है भाविश अग्रवाल।
इस ई-स्कूटर का अब तक का सबसे बड़ा क्रेज देखा गया इंडियन मार्केट में।
प्रीबुकिंग ओपन होते ही 24 घण्टे के अंदर ही 1 लाख से ज्यादा बुक हो गए जो कि वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम हो गया।

इसके पीछे क्रेज होने का कारण है इसके फीचर्स ...!
पहला कि इसमें 'हाइपर-चार्जर' है जो कि सबसे फास्टेस्ट चार्जिंग नेटवर्क है।
दूसरा ये कि ये सिंगल चार्ज में 150 किलोमीटर दौड़ेगा।
तीसरा ये कि केवल 18 मिनट के चार्जिंग में ये 50% चार्ज हो जाएगा। मतलब कि मात्र 18 मिनट चार्ज करिये और 75 किलोमीटर तक दौड़िये।
चौथा ये कि इसकी स्पीड। अभी रिवॉल्ट ई-बाइक का क्रेज है गुजरात में जिसकी मैग्जिम्म स्पीड 85 KMPH है.. वहीं इस स्कूटर की स्पीड 100 KMPH है। दैट्स रियली अमेजिंग। इतना तो नॉर्मल पेट्रोल वाले बाइक/स्कूटर में भी मुश्किल हो जाता है। मतलब 60-70 तक की स्पीड में प्रॉब्लम न होनी है इसमें।
पाँचवा ये कि इसमें रिवर्स सिस्टम है। मने फोरव्हीलर जैसा। मतलब आपके पीछे खींचना नहीं है स्कूटर बस बटन प्रेस करना है।
छठा ये कि ये मोबाइल से कनेक्ट होता है।
सातवाँ ये कि इसकी बैटरी स्वैपेबल है। मतलब बैटरी उसमें से निकाल के कहीं बाहर चार्ज कर सकते हैं।

और इस प्रकार कई और फीचर्स हैं.. फिलहाल जो ऊपर है वो एक आम इंडियन चाहता है! बेहतर चार्जिंग स्पीड, लांग डिस्टेंस और स्पीड।
जो इसमें पूरा कम्बाइंड है।
कीमत सवा लाख के आस पास रहनी है... जिसमें कि मोदी बाबा के ड्रीम प्रोजेक्ट के अंतर्गत मने पेट्रोल पे निर्भरता खत्म करने की परियोजना के अंतर्गत सब्सिडी मिलनी है जो 50 हजार तक हो सकती है। मने आपको ये स्कूटर 70-75 हजार में आ जानी है।
और का चाहिए ??
पयोरली मेड इन इंडिया है। मालिक भी इंडियन है।
और गल्फ कंट्रीज की बजानी भी है तो बढ़िया विकल्प है ☺️  
और लॉंच 15 अगस्त को हो रही है 2 बजे तो इसमें शायद कुछ बरनोल मोमेंट्स हो सकते हैं। 😎

 बाकी लाख रुपये की पेट्रोल बाइक खरीद कर वो भी मैग्जिम्म दहेज में और पेट्रोल के लिए मोदिया को दहंजने से अच्छा है कि पर्यावरण को बचाते हुए हवा से बात करो बिंदास।
वैसे भी बिजली तो सरकार फिरिये करवा देगी 😎

मंगलवार, 10 अगस्त 2021

क्षत्रियो शूद्रों ब्राह्मणो वैश्यों में किसी भी जाति का अपमान करना, वेदों का अपमान करना है

क्षत्रियो शूद्रों ब्राह्मणो वैश्यों में किसी भी जाति का अपमान करना, वेदों का अपमान करना है ।।



वह क्षत्रिय जिनकी 18 साल से ऊपर की नस्ल ही एक समय जिंदा रहनी बन्द हो गयी ।। देश के लिए इतने सिर कटाएँ । कहावते तक बन गयी ..

" बारह बरस कुकुर जियें, तेरह लो जियें सियार

बरस अठारह क्षत्रिय जीवें, ज़्यादा जीवें तो धिक्कार "

अर्थात देश के लिए सिर कटाने को जो अपनी शान समझते हो, उस जाति का अपमान करना, क्या वेदों और मानवता का अपमान करना नही है ??

काशी में जब सल्तनत काल शुरू हो गया था । तो ब्राह्मणो में अपने घर मे ही गुरुकुल खोल लिए थे । चोरी छुपे बच्चो को पढ़ाया करते थे । वेदों जो जब जलाया गया, तो ब्राह्मणो ने वेदों को कण्ठस्थ कर लिया ।।
एक बार तो घर मे गुरुकुल जलाने के आरोप में एक ब्राह्मण को दिल्ली के सुल्तान ने उनकी लकड़ी की मूर्ति के साथ ही जलाकर मार डाला । ब्राह्मण के सामने शर्त रखी गयी, की इस्लाम स्वीकार कर, या इस्लाम की पशुता में जलने को तैयार हो जा । ब्राह्मण ने कहा, भस्म होना स्वीकार है, मेरी राख भी मुस्लमान नही हो सकती । ऐसे धर्मभक्त जाति का अपमान करना, वेदों तथा मानवता का अपमान करना नही है ??
ब्राह्मणो के कारण ही आज वेद सुरक्षित है ।

वैश्यों ओर राजाओ की अनबन किस बात पर होती थी, क्या आप जानते है ..??
मंदिर बनाने को लेकर, दान करने को लेकर,
राजा कहता था, मंदिर का खर्च मेरा,
सेठ राजा से नाराज होता था, की आप राजा है तो क्या अपनी मनमर्जी करेंगे ?
इस मंदिर में तो धन वैश्यों का लगेगा,
यही बात दान दक्षिणा के समय लागू होती थी ।।

यह एक शतरंज के खेल की तरह था, जिसमे कभी राजा जीतता, तो कभी बनिया ।
बणियो की बनाई लाखो धर्मशालायें करोड़ो हिंदुओ को सुख दे रही है ??

क्या ऐसे धर्मभक्तो का अपमान करना, राष्ट्र वेद मानवता का अपमान करना नही है ??

आज हम जितने भी प्राचीन मंदिर आदि देखते है, यह किसने बनवाये ?

कौन था इंजीनियर ?

अगर वह इंजीनियर/ मजदूर/कारीगर देश से प्यार नही करता,

तो क्या इतने सुंदर मंदिर बन पाते,

इन्ही मंदिरो , कलाकृतियों के कारण ही तो हम सीना चौड़ा करके घूमते है । याद रहे, शुद्र सनातन धर्म की नींव है, अगर नींव ढह गई, तो कुछ शेष नही बचेगा । शुद्र रक्षा ही सनातन धर्म की रक्षा है ।।

ऐसे शूद्रों का अपमान करना, क्या वेदों का अपमान करना नही ह

मृत्यु के चौदह प्रकार

श्री रामचरित मानस में गोस्वामी तुलसीदास जी ने मृत्यु को मरण ही नहीं माना अपितु जीवित व्यक्ति में जीवन रहते हुए भी वह तब मृत हो जाता है जब उसके अन्दर यह भाव उत्पन्न हो जाता है जिस भाव, स्वभाव का वर्णन अंगद के द्वारा रावण को समझाया जाता है। जय हो रामचरित मानस की। जय हो सनातन धर्म की।। जय हो मर्यादा पुरुषोत्तम राम की।। जय रामलला हनुमान की*

*राम और रावण का युद्ध चल रहा था, तब अंगद रावण को बोले- तू तो मरा हुआ है, तुझे मारने से क्या फायदा?*

*रावण बोला– मैं जीवित हूँ, मरा हुआ कैसे?*

अंगद बोले सिर्फ साँस लेने वालों को जीवित नहीं कहते- साँस तो लुहार का भाता भी लेता है.तब अंगद ने 14 प्रकार की मृत्यु बतलाई.

अंगद द्वारा रावण को बतलाई गई, ये बातें आज के दौर में भी लागू होती है

यदि किसी व्यक्ति में इन 14 दुर्गुणों में से एक दुर्गुण भी आ जाता है तो वह मृतक समान हो जाता है !

लंका काण्ड में यह प्रसंग अत्यंत सारगर्भक और शिक्षणीय :

कौल कामबस कृपिन विमूढ़ा !

अतिदरिद्र अजसि अतिबूढ़ा !!

सदारोगबस संतत क्रोधी !

विष्णु विमूख श्रुति संत विरोधी !

तनुपोषक निंदक अघखानी !

जिवत शव सम चौदह प्रानी !!

1) कामवश:-जो व्यक्ति अत्यन्त भोगी हो, कामवासना में लिप्त रहता हो, जो संसार के भोगों में उलझा हुआ हो, वह मृत समान है; जिसके मन की इच्छाएं कभी खत्म नहीं होती और जो प्राणी सिर्फ अपनी इच्छाओं के अधीन होकर ही जीता है, वह मृत समान है; वह अध्यात्म का सेवन नहीं करता है, सदैव वासना में लीन रहता है !!

2) वाम मार्गी:-जो व्यक्ति पूरी दुनिया से उल्टा चले, जो संसार की हर बात के पीछे नकारात्मकता खोजता हो; नियमों, परंपराओं और लोक व्यवहार के खिलाफ चलता हो, वह वाम मार्गी कहलाता है; ऐसे काम करने वाले लोग मृत समान माने गए हैं !!

3) कंजूस:-अति कंजूस व्यक्ति भी मरा हुआ होता है; जो व्यक्ति धर्म के कार्य करने में, आर्थिक रूप से किसी कल्याण कार्य में हिस्सा लेने में हिचकता हो, दान करने से बचता हो, ऐसा आदमी भी मृत समान ही है !!

4) अति दरिद्र:-गरीबी सबसे बड़ा श्राप है; जो व्यक्ति धन, आत्म-विश्वास, सम्मान और साहस से हीन हो, वो भी मृत ही है; अत्यन्त दरिद्र भी मरा हुआ है, दरिद्र व्यक्ति को दुत्कारना नहीं चाहिए, क्योंकि वह पहले ही मरा हुआ होता है, गरीब लोगों की मदद करनी चाहिए !!

5) विमूढ़:-अत्यन्त मूढ़ यानी मूर्ख व्यक्ति भी मरा हुआ होता है; जिसके पास विवेक, बुद्धि नहीं हो, जो खुद निर्णय ना ले सके यानि हर काम को समझने या निर्णय को लेने में किसी अन्य पर आश्रित हो, ऐसा व्यक्ति भी जीवित होते हुए मृत के समान ही है, मूढ़ अध्यात्म को समझता नहीं है !!

6) अजसि:-जिस व्यक्ति को संसार में बदनामी मिली हुई है, वह भी मरा हुआ है; जो घर, परिवार, कुटुंब, समाज, नगर या राष्ट्र, किसी भी ईकाई में सम्मान नहीं पाता है, वह व्यक्ति मृत समान ही होता है !!

7) सदा रोगवश:-जो व्यक्ति निरंतर रोगी रहता है, वह भी मरा हुआ है; स्वस्थ शरीर के अभाव में मन विचलित रहता है, नकारात्मकता हावी हो जाती है, व्यक्ति मृत्यु की कामना में लग जाता है, जीवित होते हुए भी रोगी व्यक्ति जीवन के आनंद से वंचित रह जाता है !!

8) अति बूढ़ा:-अत्यन्त वृद्ध व्यक्ति भी मृत समान होता है, क्योंकि वह अन्य लोगों पर आश्रित हो जाता है; शरीर और बुद्धि, दोनों असक्षम हो जाते हैं, ऐसे में कई बार स्वयं वह और उसके परिजन ही उसकी मृत्यु की कामना करने लगते हैं, ताकि उसे इन कष्टों से मुक्ति मिल सके !

9) सतत क्रोधी:-24 घंटे क्रोध में रहने वाला व्यक्ति भी मृत समान ही है; हर छोटी-बड़ी बात पर क्रोध करना, ऐसे लोगों का काम होता है, क्रोध के कारण मन और बुद्धि दोनों ही उसके नियंत्रण से बाहर होते हैं, जिस व्यक्ति का अपने मन और बुद्धि पर नियंत्रण न हो, वह जीवित होकर भी जीवित नहीं माना जाता है; पूर्व जन्म के संस्कार लेकर यह जीव क्रोधी होता है, क्रोधी अनेक जीवों का घात करता है और नरक गामी होता है !!*

10) अघ खानी:-जो व्यक्ति पाप कर्मों से अर्जित धन से अपना और परिवार का पालन-पोषण करता है, वह व्यक्ति भी मृत समान ही है; उसके साथ रहने वाले लोग भी उसी के समान हो जाते हैं, हमेशा मेहनत और ईमानदारी से कमाई करके ही धन प्राप्त करना चाहिए, पाप की कमाई पाप में ही जाती है और पाप की कमाई से नीच गोत्र, निगोद की प्राप्ति होती है !!

11) तनु पोषक:-ऐसा व्यक्ति जो पूरी तरह से आत्म संतुष्टि और खुद के स्वार्थों के लिए ही जीता है, संसार के किसी अन्य प्राणी के लिए उसके मन में कोई संवेदना ना हो, तो ऐसा व्यक्ति भी मृतक समान ही है; जो लोग खाने-पीने में, वाहनों में स्थान के लिए, हर बात में सिर्फ यही सोचते हैं कि सारी चीजें पहले हमें ही मिल जाएं, बाकि किसी अन्य को मिले ना मिले, वे मृत समान होते हैं, ऐसे लोग समाज और राष्ट्र के लिए अनुपयोगी होते हैं; शरीर को अपना मानकर उसमें रत रहना मूर्खता है क्योंकि यह शरीर विनाशी है, नष्ट होने वाला है !!

12) निंदक:-अकारण निंदा करने वाला व्यक्ति भी मरा हुआ होता है; जिसे दूसरों में सिर्फ कमियाँ ही नज़र आती हैं, जो व्यक्ति किसी के अच्छे काम की भी आलोचना करने से नहीं चूकता है, ऐसा व्यक्ति जो किसी के पास भी बैठे, तो सिर्फ किसी ना किसी की बुराई ही करें, वह इंसान मृत समान होता है, परनिंदा करने से नीच गोत्र का बन्ध होता है !!

13) परमात्म विमुख:-जो व्यक्ति परमात्मा का विरोधी है, वह भी मृत समान है; जो व्यक्ति ये सोच लेता है कि कोई परमतत्व है ही नहीं; हम जो करते हैं, वही होता है, संसार हम ही चला रहे हैं, जो परमशक्ति में आस्था नहीं रखता है, ऐसा व्यक्ति भी मृत माना जाता है !!

14) श्रुति, संत विरोधी:-जो संत, ग्रंथ, पुराण का विरोधी है, वह भी मृत समान होता है; श्रुत और सन्त ब्रेक का काम करते हैं, अगर गाड़ी में ब्रेक ना हो तो वह कहीं भी गिरकर एक्सीडेंट हो सकता है; वैसे ही समाज को सन्त के जैसे ब्रेक की जरूरत है नहीं तो समाज में अनाचार फैलेगा !

।। 🌹🌹जै श्री राधे राधे जी ।

गोबर गणेश मुहावरे का मतलब

ऐसा प्रतीत होता है सनातन धर्म को अधिकाधिक जानने की आवश्यकता है क्योंकि इसी प्रकार ये क्रम चलता रहा तो सभी एकसाथ इस धर्म के विषय मे अनर्गल प्रलाप करते रहेंगे, सहिष्णु होने का अर्थ सभी कुछ सहन करना नही है ,

आपको इस मुहावरे को नकारत्मक अर्थ अधिक प्रिय लगता है क्योंकि इसमें सनातन धर्म का अपमान दॄष्टिगत होता है, परन्तु आज आपको इसका वास्तविक अर्थ ज्ञात होने का समय आ गया है।

  • गोबर गणेश मुहावरे का संदर्भ पुराणों से जुड़ा है,

प्रथम कथा के अनुसार

  • देवों-दानवों में हुए अमृतमंथन के दौरान नंदा, सुभद्रा, सुरभि, सुशीला और बहुला पांच कामधेनुएं भी निकली थीं। देवों को दानवों के संत्रास से मुक्ति दिलाने के लिए आदिशक्ति दुर्गा ने सुरभि गाय के गोबर से गणेशजी की रचना की। उन्हें शक्तियां प्रदान कर स्वयं का वाहन सिंह प्रदान किया, गोबर से गणेश की रचना एक महान उद्धेश्य के निमित हुई, देवी दुर्गा ने अपनी शक्तियों का संचार कर उसे समर्थ बनाया। गणेशजी ने दानवों का संहार किया और गणनायक या गणपति की उपाधि प्राप्त की।

द्वितीय कथा के अनुसार

  • हमारे धर्म ग्रंथों के अनुसार, महर्षि वेद व्यास ने महाभारत की रचना की है उसके वर्णन को लिपिबद्ध करना उनके वश का नहीं था। अतः उन्हें एक लेखक की आवश्यकता थी जो उनके कथन और विचारों को बिना बाधित किए लेखन कार्य करता रहे. क्योंकि बाधा आने पर विचारों की सतत प्रक्रिया प्रभावित हो सकती थी. अतः उन्होंने श्री गणेश जी की आराधना की और गणपति जी से महाभारत लिपिबद्ध करने की प्रार्थना की, गणेश जी ने कहा कि मैं महाभारत लिख तो दूंगा। आपको अनवरत कथा बताते रहना होगा, यदि आपकी कथा रुकी तो मेरी लेखनी तो रुकेगी ही साथ ही मैं लेखन का कार्य भी छोड़ दूंगा, आपकी कथा पूर्ण हो या अपूर्ण। व्यासजी ने इसे मान लिया और गणेशजी से अनुरोध किया कि वे भी मात्र अर्थपूर्ण और सत्य बातें, समझ कर लिखें। इसके पीछे उनकी धारणा यह थी कि महाभारत और गीता सनातन धर्म के सबसे प्रामाणिक पाठ के रूप में स्थापित हो  गणपति जी ने सहमति दी और दिन-रात लेखन कार्य प्रारम्भ हुआ और इस कारण गणेश जी को थकान तो होनी ही थी, परन्तु उन्हें जल पीना भी वर्जित था। अतः गणपति जी के शरीर का तापमान बढ़े नहीं, इसलिए वेदव्यास ने उनके शरीर पर गोबर और मिट्टी का लेप किया और भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को गणेश जी की पूजा की। मिट्टी का लेप सूखने पर गणेश जी के शरीर में अकड़न आ गई, इसी कारण गणेश जी का एक नाम पर्थिव गणेश भी पड़ा। ऐसा माना जाता है कि व्यासजी जो भी श्लोक बोलते थे, गणेशजी उसे शीघ्रतापूर्वक लिख लेते थे। अतः व्यासजी ने गणेशजी की गति को मंद करने के लिए सरल श्लोकों के पश्चात एक कठिन श्लोक बोलते थे। महाभारत का लेखन कार्य गणेश चतुर्थी को आरम्भ हुआ और अनन्त चतुर्दशी को सम्पन्न हुआ था। उस दिन गणेश जी के शरीर के तापमान को अल्प करने के लिए और उनके लेप को हटाने के लिए जल अर्पण किया । समीप के एक जलकुंड में उन्हें बैठाया अतः उस दिन से गणेश विसर्जन का आरम्भ माना जाता है।

गोबर गणेश के प्रचलित नकारत्मक अर्थ

  • गोबरगणेश मुहावरे में यह संदर्भ दॄष्टिगत नही हो पाता है परन्तु नकारत्मक अर्थवत्ता पूर्णतया दिख रही है।
  • लौकिक अर्थों में किसी व्यक्ति को गोबरगणेश कहने के पीछे यही आशय है कि वह मूर्ख है और पौराणिक गोबरगणेश की तरह उसमें अलौकिक क्षमता नहीं हैं, वह निरा मिट्टी का माधौ है।
  • कुछ मूर्ख देसी गौ के गोबर में उभरी रेखाओं में नजर आती विभिन्न आकृतियों में भी गणेश का रूपाकार देखते हुए गोबरगणेश को इससे जोड़ते हैं।
  • धन्यवाद

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