बोलो बजरंग बली की जय.....!!!
एक कथा के अनुसार हनुमान जी के सिन्दूर क्यों लगाते हैं ???
हनुमान जी के मन में ये चिंता सदा बनी रहती थी कि, भगवान राम जितना प्यार
सीता मैया से करते है, उतना मुझसे नहीं करते l हो न हो, कोई न कोई त्रुटी
अवश्य है, मेरी सेवा और भक्ति में....!!! तभी तो भगवान जितना ध्यान सीता
मैया का रखते है, उतना मेरा नहीं l हनुमान जी सोच में पड़ गए, कि आखिर सीता
मैया भगवान राम को रिझाने के लिए क्या
करती है ? हनुमान जी ने एक दिन छुपकर देखा - कि सीता मैया अपने मांग में
सिन्दूर भर रही है l आप पहुँच गए मैया के पास, चरण-वंदन करके मैया से पूछा -
मैया ये क्या लगा रही है, आप अपनी मांग में ? सीता मैया ने कहा - लाडले ये
सिन्दूर है, इसे नित्य मांग में भरती हूँ, जानते हो क्यूँ ?? इस सिन्दूर
को देखकर भगवन बहुत खुश होते हैं, बस, हनुमान जी तो उछल पड़े और कहा, जान
गया हूँ मैया, यही भूल हुई है मुझसे.... मैने अपने बालों में कभी सिन्दूर
नहीं भरा l सीता मैया ने कहा - नहीं रे भोले हनुमान, ये तो केवल स्त्रियों
के लिए होता है, हनुमान जी बोले - ना माता, अब ना आऊंगा आपकी बातों में,
अभी अपने सारे शरीर में सिन्दूर का फैलान करके राम जी को प्रसन्न कर लेता
हूँ :-
सर से पाँव तक बजरंगी, पहन सिन्दूर का बाना,
पहुँच गए दरबार राम के, सबने अचरज माना,
राम ने पूछा हनुमान जी, ये क्या रूप बनाया,
लाल मेरे ये लाल लाल हो, कैसा खेल रचाया,
नैनों में जल भरकर लाये, हनुमान बलकारी,
हाथ जोड़कर बोले प्रभु जी, सुनिए विनय हमारी,
सीता जी तो चुटकी भर, सिन्दूर मांग में भरती,
चुटकी भर सिन्दूर से ही वो, खुश है आपको करती,
मैने अपने तन पर प्रभु जी, सवा सेर सिन्दूर लगाया,
आपको खुश करने कि खातिर, ये है स्वांग बनाया,
अब तो खुश हो भगवन मेरे, ये स्वीकार करोगे,
मुझे भी अपना दास मान, सीता सम प्यार करोगे,
ये सुनकर श्रीराम प्रभु के, नैनों में जल आया,
अपने भोले भग्त को, उठकर प्यार से गले लगाया,
वरदान दिया श्रीराम ने उनको, जो कोई तुम्हे सिन्दूर चढ़ावे,
उसको भक्ति मिले हमारी, मन वांछित फल पाये,
जय जय महावीर बजरंग बली.....!!!
जय जय महावीर बजरंग बली.....!!!
जय जय महावीर बजरंग बली.....!!!
बोलो बजरंग बली की जय.....!!!!!