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बुधवार, 21 दिसंबर 2011

सज्जनता की ऐसी ताकत के आगे कहीं नहीं टिकती दुर्जनता -by aditya mandowara


अक्सर सज्जनता को कमजोरी, दब्बूपन या कायरता से जोड़कर देखा जाता है। जबकि धर्मदृष्टि से सज्जन व्यक्ति स्वभाव से निर्भय और दृढ़ होता है। यहां तक कि वह हालात और नीति के मुताबिक जरूरत होने पर अपनी शारीरिक ताकत का उपयोग भी करता है।

असल में सज्जनता सभ्य होने की पहचान है। इसलिए सज्जन दब्बू या कमजोर नहीं होता बल्कि निडर और पक्के इरादों वाला होता। धर्मशास्त्रों में लिखी यह बात सज्जनता की शक्ति को उजागर भी करती है। इस ताकत का सही उपयोग दुर्जन को भी पस्त कर देता है -

उपकर्तुं प्रियं वक्तुं कर्तुं स्नेह कृत्रिमम्।

सुजनानां स्वभावो यं केनेन्दु: शिशिरी कृत

सरल शब्दों में अर्थ है कि उपकार करना, मीठा बोलना और सच्चा स्नेह करना ये 3 लक्षण सज्जनों के स्वभाव की खासियत है। इन 3 खूबियों में समाई सज्जनता कैसे व्यावहारिक जीवन में शक्ति बनकर प्रकट होती हैं? जानते हैं -

- सज्जन व्यक्ति मात्र अधिकार ही नहीं बल्कि अपने कर्तव्यों को भी याद रखता है। क्योंकि वह जानता है कि अधिकार के साथ जिम्मेदारियां भी आती है। जिनको पूरा करने के लिए अपनी सारी ऊर्जा और शक्तियों को जोडऩा जरूरी है। ऐसा कर्तव्य भावना से ही संभव है।

- सज्जन व्यक्ति न्याय को महत्व देता है। वह किसी भी विषय पर राग या द्वेष के भाव रखने के बजाय सही और गलत का फर्क कर ही फैसला करता है।

- सज्जन और सभ्य व्यक्ति बंटोरने की नहीं बल्कि बांटने यानि दान की मानसिकता रखता है। क्योंकि वह समझता है कि दूसरों की जरूरतों के मायने भी उतने हैं जितने स्वयं की।

- वासना या इच्छाओं से कोई मनुष्य परे नहीं होता है। इसलिए सज्जन व्यक्ति भी इससे मुक्त नहीं होता। किंतु सभ्य व्यक्ति की यही खूबी होती है कि वह वासनाओं और इच्छाओं पर काबू करना जानता है। मानसिक और शारीरिक वासनाओं पर संयम रखने के लिए वह आसान उपाय अपनाता है। यह उपाय होता है वह खुद को समाज कार्यों या जरूरतमंद लोगों की मदद में, नया हुनर सीखनें, अध्ययन और ज्ञान बढ़ाने में व्यस्त रखता है। जिससे खाली समय में आने वाली व्यर्थ की वासनाओं की ओर उसका ध्यान नहीं जाता।

- सभ्य और सज्जन व्यक्ति की खासियत होती है कि वह हठधर्मिता या बेकार की अकड़ नहीं रखता। वह किसी भी उलझन या विवाद में व्यावहारिक समस्याओं को सुलझाने पर ध्यान देता है। जिससे कटुता या संबंध बिगडऩे की संभावना नहीं रहती।

- इस तरह सभ्यता और सज्जनता ही कमजोरी न होकर ऐसी शक्ति है जो अधिकार और कर्तव्य, शरीर और आत्मबल, विवेक और बुद्धि का संतुलन सिखाने के साथ ही भले और बुरे का ज्ञान कराती है।

सज्जनता की इन खूबियों को अपनाकर हर इंसान आसानी से उन वास्तविक खुशियों को पा सकता है, जो आज सुख-सुविधाओं की चाहत में चल रही गलाकाट प्रतियोगिता के दौर में ईमान खोकर या अनैतिक कामों से मिले सुखों में भी नहीं मिलती।
 by Aditya Mandowara



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