क्रोध आपकी कितनी निजी हानि करता है। कई लोगों का स्वभाव होता है बात बात
पर उत्तेजित हो जाना। मर्यादाएं भूल जाना। किसी पर भी फूट पडऩा। ऐसे लोग
अक्सर सिर्फ नुकसान ही उठाते हैं। खुद के स्वास्थ्य का भी, संबंधों का भी
और छवि का भी। हमेशा ध्यान रखें अपनी छवि का।
लोग अक्सर अपनी छवि को लेकर लापरवाह होते हैं। हम जब भी परिवार में, समाज में होते हैं तो भूल जाते हैं
कि हमारी इमेज क्या है और हम कैसा व्यवहार कर रहे हैं। निजी जीवन में तो
और भी ज्यादा असावधान होते हैं। अच्छे-अच्छे लोगों का निजी जीवन संधाड़ मार
रहा है।
अगर आप बार-बार गुस्सा करते हैं तो सबसे पहले जो चीज
खोते हैं वह है आपके संबंध। क्रोध की आग सबसे पहले संबंधों को जलाती है।
पुश्तों से चले आ रहे संबंध भी क्षणिक क्रोध की बलि चढ़ते देखे गए हैं।
दूसरी चीज हमारे अपनों की हमारे प्रति निष्ठा। रिश्तों में दरार आए तो
निष्ठा सबसे पहले दरकती है। फिर जाता है हमारा सम्मान।
अगर आप
बार बार किसी पर क्रोध करते हैं तो आप उसकी नजर में अपना सम्मान भी गंवाते
जा रहे हैं। इसके बाद बारी आती है अपनी विश्वसनीयता की। हम पर से लोगों का
विश्वास उठता जाता है। फिर स्वभाव और स्वास्थ्य। कहने को लोग हमारे साथ
दिखते हैं, लेकिन वास्तव में वे होते नहीं है।
समाधान में चलते
हैं। हमेशा चेहरे पर मुस्कुराहट रखें। कोई भी बात हो, गहराई से उस पर सोचिए
सिर्फ क्षणिक आवेग में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त ना करें। सही समय का
इंतजार करें। कृष्ण से सीखिए अपने स्वभाव में कैसे रहें। उन्होंने कभी भी
क्षणिक आवेग में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। हमेशा परिस्थिति को गंभीरता से
देखते थे। शिशुपाल अपमान करता रहा लेकिन वे सही वक्त का इंतजार करते रहे।
वक्त आने पर ही उन्होंने शिशुपाल को मारा।
अपनी दिनचर्या में
मेडिटेशन को और चेहरे पर मुस्कुराहट को स्थान दें। ये दोनों चीजें आपके
व्यक्तित्व में बड़ा परिवर्तन ला सकती हैं। कभी भी किसी भी स्थिति से
निपटने के लिए आपको तैयार रखेगी।
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