जापान भले ही तकनीक में सबसे आगे हो लेकिन इंजीनियर्स की पैदावार में भारतवर्ष ही अग्रणी है ! प्रतिवर्ष यहाँ लाखों की संख्या में इंजिनीयर्स तैयार होते हैं! सड़क पर चलता हर दूसरा बंदा इंजिनियर ही है! फैशन के दौर में गारेंटी की उम्मीद ना करें ! जैसे मौसम आने पर बेर की झाड पर 'बेर' लद जाते हैं , वैसे ही मेरे इष्ट, मित्र, नाते रिश्तेदार और पडोसी सभी की संतानों में इंजीनियर्स की नयी खेप आ गयी है ! जो कल तक इंजिनीयर की सही स्पेलिंग भी नहीं जानते थे वे भी आज इंजिनियर बन गए हैं! जिससे भी हाल-चाल पूछो पता चलता है , बिटिया इंजीनियरिंग कर रही है , बेटा final ईयर में है! खुश होऊं या आश्चर्यचकित? बच्चे आजकल विद्वान् ज्यादा हो रहे हैं अथवा शिक्षा ही कुछ ज़रुरत से ज्यादा सुलभ हो गयी है? खैर मुझे तो प्रसन्नता से ज्यादा आश्चर्य हुआ इंजिनीयर्स की डिमांड और सप्लाई देखकर! कारण पता किया तो पता चला, हर गली नुक्कड़ पर इंजीनियरिंग कालेज खुल गए हैं! हर किसी को एडमिशन भी मिल रहा है! योग्यता का कोई भी मोहताज नहीं है अब ! चयन प्रक्रिया कुछ भी नहीं है ! दो-लाखवी पोजीशन वाला भी आराम से एडमिशन पा सकता है! अब तो UP सरकार ने एक यूनिवर्सिटी भी खोल रखी है जिसमें प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में 'श्रद्दालू' उर्फ़ इन्जियार्स भर्ती होते हैं ! अब किसी को निराश नहीं किया जाएगा! सर्वे भवन्तु सुखिनः पहले आरक्षण के कारण डाक्टर और इन्जियर्स की माशाल्लाह खेपें आ रही थीं जो मरीजों और पुलों को डूबा रही थीं ! अब तो 'झरबेरी' के पेड़ पर टँगी है काबिलियत ! तोडिये और टांक दीजिये कहीं पर भी! अब बात करते हैं IITans की ! हर माता-पिता अपने बच्चे को ' IIT ' में ही सेलेक्टेड देखना चाहता है, ६५ लाख सालाना पॅकेज से ही शुरुवात करना चाहता है! गला-काट कॉम्पिटिशन है , शायद इसीलिए आसमान की चाह में खजूर पर लटके गुच्छे बन जाते हैं सभी ! क्या फायदा है इससे ? नयी पढ़ी की इस नयी खेप को चिकित्सा और अभियांत्रिकी की डिग्री तो मिल जा रही है लेकिन नौकरी के लिए ये मारे-मारे फिर रहे हैं ! ४ से ५ हज़ार रूपए महिना पर नौकरी कर रहे हैं ! कुछ तो सब्जी की दूकान लगा रहे हैं ! depression (अवसाद) के शिकार हो रहे हैं ये बच्चे! frustation बढ़ रहा है इनमें ! १८ से २५ आयुवर्ग में आत्महत्याएं बढ़ रही हैं ! कृपया उपाय बताएं ! शिक्षा पद्धति में दोष कहाँ है ? क्या इन कालेजों की mushrooming स्वागत योग्य है? क्या ये गली-गली डाक्टर-इंजीनियर्स की खेप निकालने से बेहतर क्वालिटी पर ध्यान नहीं देना चाहिए?
byAditya Mandowara
नोट : इस ब्लॉग पर प्रस्तुत लेख या चित्र आदि में से कई संकलित किये हुए हैं यदि किसी लेख या चित्र में किसी को आपत्ति है तो कृपया मुझे अवगत करावे इस ब्लॉग से वह चित्र या लेख हटा दिया जायेगा. इस ब्लॉग का उद्देश्य सिर्फ सुचना एवं ज्ञान का प्रसार करना है
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी करें
टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.