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गुरुवार, 10 जून 2021

जरा सोचिए और पहचानिए नेताओं को , इन पार्टियों को

 बंगाल में BJP हारी, हिंदुओ का पलायन हुआ ।
 असम में BJP जीती, घुसपैठियों का पलायन हुआ ।
अगले चुनाव फैसला आपका ।।🤔🤔🤔🤔🤔


भारत में तीन मजाक बहुत ही प्रसिद्ध है
कानून सबके लिए बराबर है, 
मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना, 
आतंकवाद का कोई धर्म नही होता

 जरा सोचिए और नेताओं का चरित्र पहचानिए

शत्रुघ्न सिन्हा बरसों तक BJP में रहे कांग्रेस को कोसते रहे और जब उन्हें कोई बड़ा पद नही मिला तो बीजेपी की बुराई करने लगे पर फिर भी bjp नही छोड़ी और जब टिकट कटा तो सारे दलों के चक्कर काटने के बाद कांग्रेस ने शरण दी । अब वही कांग्रेस विद्वानों की पार्टी लगने लगी । पर सायद उन्हें अपनी पत्नी विद्वान नही लगी इसी लिए उन्हें सपा से टिकट दिलवाया और सम्भव है कल को बेटी को बसपा का टिकट दिला दें 

जरा सोचिए इनकी मानसिकता कैसी है

सिद्धू कल तक bjp के फायर ब्रांड नेता थे और उन्हें मोदी महापुरुष नजर आते थे वो कांग्रेस को खूब गालियां देते थे फिर जब उन्हें कोई बड़ा पद नही मिला तो बीजेपी छोड़ कांग्रेस का दामन थाम लिया अब बीजेपी सबसे खराब पार्टी और सोनिया माँ समान हो गयी । और वो कहते है कि मुसलमानों एक हो जाओ

जरा सोचिए ये लोग कैसे है

कुछ साल पहले अरविंद केजरीवाल के पास 300 पेज के सबूत थे उनकी नजर में दुनिया की सबसे भृष्ट पार्टी कांग्रेस थी उन्होंने अपने बच्चों की कसम खायी थी कि कांग्रेस से कभी गठबंधन नही करूंगा और आज उसी से गठबंधन के लिए हाथ पैर पटक रहे है

जरा सोचिए क्या चरित्र है इनका

मायावती जिसे गुंडा कहती थी जिन लोगों ने मायावती की जान लेनी चाही जिसके विरोध में मायावती की राजनीति शुरू हुई आज उसी के साथ गठबंधन कर लिया

जरा सोचिए ये किसका भला करना चाहती है 

जरा सोचिए देश के टुकड़े टुकड़े करने की बात करने वाला कन्हैया  लेफ्ट पार्टी का नेता बन जाता है और चुनाव लड़ता है 

 जरा सोचिए ये लोग अपने फायदे के लिए क्या कर सकते है

जरा सोचिए 84 में सिख्ख दंगा हो, कश्मीरी पंडितों पर अत्याचार हो, या हजारों संतों का गोलियों से भून देना हो सब कुछ न्याय संगत था संविधान भी सुरक्षित था सारी संस्थाएं भी स्वतंत्र थीं जैसे ही एक पार्टी सत्ता से बाहर हुई तो अब होगा न्याय याद आया, एक जमात खड़ी हो गयी जिसे भारत मे डर लगने लगा, संविधान खतरे में आ गया, सारी संस्थाओं की स्वतंत्रता खतरे में लगने लगी

जरा सोचिए इस देश का बटवारा धर्म के आधार पर हुआ फिर भी इस देश के संसाधनों में पहला हक ..... देश का प्रधानमंत्री कहता है , मंदिरों से लाउडस्पीकर उतरवाए जाते है,  लेकिन मस्जिदों के लाउडस्पीकर पर कोई कार्यवाही नही , दुर्गा पूजा, राम नवमी के जुलूस पर प्रतिबंध

जरा सोचिए और पहचानिए नेताओं को , इन पार्टियों को

सोचिए अचानक 2004 के बाद आईएएस की परीक्षा को उर्दू में करते ही ,और मुस्लिमो के द्वारा ही उनकी कॉपी जाचने से मुस्लिम प्रतियोगी बड़ी तादाद में कलेक्टर क्यों बनने लगे 
क्यों एक पक्ष को देश के शीर्ष संस्थानों में बैठाया जा रहा है
और
यही हमारे विरोध की असली वजह है 

जरा सोचिए जब हिंदू मुस्लिम आपस मे भाई भाई है तो फिर दोनों को एक समान क्यों नही देखा जाता दोनों को एक समान अधिकार क्यों नही , दोनो के लिए समान कानून क्यों नही 

जरा सोचिए कौन समाज को बाट रहा है धर्म की राजनीति किसने सुरु की और कौन कर रहा है और ये लोग किसका विकास करेंगे 

भीष्म की तरह चुप मत रहिये
गांधारी की तरह आँखों मे पट्टी मत बांधिए
सोचिए 
अपने बच्चो के भविष्य के बारे में
और 
देश हित को सर्वोपरि रखते हुए  
फैसला करिये
आपका एक वोट देश को सुरक्षित रखेगा
जय हिन्द - जय भारत
🙏
*कायर हिन्दू के लक्षण*

👁️‍🗨️ अपने पारिवारिक राजनीतिक फ़ायदे के लिए राष्ट्रहित और हिंदुत्व के हित में कार्य करने वाली पार्टी की टाँग खींचेगा।
👁️‍🗨️ मुसलमानों की ग़लत हरकतों पर कभी कुछ नहीं बोलेगा, उल्टा उनको ही सपोर्ट करेगा।
👁️‍🗨️ देश को मज़बूत बनाने वाले सराहनीय कार्यों की कभी तारीफ़ नहीं करेगा, उल्टा उसमें भी कुछ नेगेटिव बात निकाल कर सवाल करेगा।
👁️‍🗨️ हिंदू धर्म का मज़ाक़ उड़ाने वाले चुटकुलों या फ़ोटो को पोस्ट करेगा।
👁️‍🗨️ जो हिंदू राष्ट्रवादी पार्टी और हिंदुत्व के लिए जागरूकता चला रहे हैं उनको बोलेगा कि भाई क्यूँ ये सब पचड़े में पड़ रहे हों, अपना काम करो, कुछ नही मिलेगा ये सब करके।
👁️‍🗨️ कायर हिन्दू की पोस्ट में कभी भी *जय श्री राम* और *सनातन झंडा* नहीं मिलेगा। अब मेरी पोस्ट पढ़कर कोई कर ले तो बात अलग हैं, मैंने तो अभी तक यही देखा।
👁️‍🗨️ कायर हिन्दू खुद आगे से अपने आपको अच्छा हिंदू होने का सबूत देगा, खुद ही सफ़ाई देगा।
👁️‍🗨️ अगर आप गलती से किसी कायर हिंदू के वॉट्सअप ग्रूप में हो तो अपने चमचों को फ़ोन कर-कर के उनको भड़काकर मोदी और भाजपा के ख़िलाफ़ पोस्ट करने को बोलेगा, और तो और उनको फ़ेक वीडियों या फ़ोटो सेंड करके बोलेगा कि ये पोस्ट करो, जिससे ये लगे कि कितने लोग ख़िलाफ़ हैं, राष्ट्रवादी पार्टी के।
👁️‍🗨️ उसी ग्रुप में राष्ट्रवाद और मोदी के लिए ज़्यादा पोस्ट करने वाले को पसंद करने वाले दूसरे साथी को भड़काने की पूरी कोशिश करेगा।
👁️‍🗨️ राष्ट्रवाद और हिंदुत्व का विरोध और मज़ाक़ बनाने को लेकर अगर आप सवाल करोगे तो फिर बेमतलब की दूसरी बाते करेगा।
👁️‍🗨️ आपको निगेटिव करने के लिए झूठ भी बोलेगा कि मै भी *आर॰एस॰एस॰* समर्थक था, मै भी पहले भाजपा को पसंद करता था, मैंने भी मोदी को वोट दिया था, लेकिन मोदी ने देश को बेच दिया। इस दोगले को ये नहीं पता कि जो *आर॰एस॰एस॰* और *मोदी* को समझ लेगा वो फिर कभी भी इनके ख़िलाफ़ नहीं हो सकता। क्योंकि एक सच्चा हिंदू कभी तलवार की नोक और लालच में अपना धर्म नहीं बदलता।
👁️‍🗨️ अब आप सोचेंगे कि कुछ हिंदू ऐसा क्यूँ करते हैं तो उसका सिर्फ एक ही सटीक जवाब हैं कि जब मुगल और अंग्रेज हमें गुलाम बनाने आए थे तो पहले ही उन्होंने सर्वे करवा लिया था और उस रिपोर्ट में ये कहा गया कि हमें हिंदुस्तान को ग़ुलाम बनाने के लिए ज़्यादा अपने सैनिक ले जाने की ज़रूरत नहीं हैं, हिंदुस्तान में ही भरे पड़े हैं ऐसे दोगले और लालची लोग जो हमारा साथ देंगे, बस आज उन्हीं लोगों के वंशज हैं जो देश में जगह-जगह आपको मिल जाएँगे।

🔱 जय श्री राम 🔱
     
आज का फेसबुकिया खेल... थोड़ा समय लगेगा लेकिन ध्यान से पढे और समझे 🙏
फेसबुक के लिए आधार कार्ड क्यों जरूरी हो गया है।।

चार मित्र थे.. Fake ID में नाम हिन्दुओं के - 

1 सोहराब    -          सुनील यादव
2 सरफराज       -       अमित मिश्रा
3 हामिद कुरैशी     -    नागेंद्र कुमार पासवान
4 अहमद         -         सुरेन्द्र सिंह         

अब सुनील यादव (सोहराब) पोस्ट डालता हैं कि - "धर्म के नाम पर ब्राह्मणों ने हमेशा हमारा शोषण किया है कोई देवी देवता नहीं होता हिन्दू धर्म सिर्फ ब्राह्मणों का बकवास है ये सब बीजेपी और आरएसएस वाला है।"

अब शुरू होता है इस नाटक के बाकि तीनो किरदारों का तमाशा देखिए कमेंट बॉक्स में।

Comment

सुरेंद्र सिंह उर्फ (अहमद)-

"ऐ सुनील यादव खबरदार जो हिन्दू धर्म के बारे में कुछ बोला तुम यादव लोग हिन्दू नहीं हो सकते #$%2-4 गाली लिख देता है।"

फिर बारी आती है तीसरे नौटंकी बाज की-

नागेंद्र पासवान उर्फ (हामिद)

नमो बुद्धाय जय भीम।
"अरे भाईलोगों गाली गलौज क्यों कर रहे सच्चाई तो कड़वी होती ही है तुम लोग हम दलितों को मंदिर में घुसने नहीं देते हो ये धर्म नहीं पाखण्ड है इससे अच्छा तो इस्लाम है सभी बराबर खड़े हो कर नमाज पढ़ते हैं।"

अब तीसरा नौटंकी बाज आता है कमेंट बॉक्स में-

अमित मिश्रा उर्फ (सरफ़राज़)

"हाँ.. हाँ.. तुम लोग अछूत हो तो क्यों घुसने दे मंदिर में?? जाओ इस्लाम ही अपना लो तुम सब मूर्ख हो कौन मुंह लगाए तुझे।

-------------

मित्रों सिर्फ इन चार की इतनी सी नौटंकी जबकि चारो एक ही समुदाय के हैं।

मात्र इतनी नौटंकी के बाद कई हिन्दू यादव, राजपूत, ब्राह्मण और दलित सभी तुरंत इस कमेंट बॉक्स में अपनी-अपनी जाति के समर्थन में बिना सोचे-समझे बिना अगले किसी fake id को जाने समझे आपस में एक दूसरे से लड़ने लगते हैं और हमारे जातिवाद का फायदा उठाने वाले वो चारो हमारी मूर्खता पर अट्टहास लगा कर हँसते हैं।
देश के अंदर -बाहर से दुश्मन घात लगा कर बैठा है मौके की तलाश में, और इस प्रकार हिंदूओं में आपसी फूट डाल कर लड़ाते हैं।

विचार करें-

ऐसे लाखों सोहराब और सरफराज दिन रात सोशल मिडिया पर तुम सबको तोड़ने और लड़ाने के लिए काम कर रहे हैं।
ज़िहाद अपने चरम पर है हर स्तर से हिंदुत्व को क्षति पहुंचाने पर कार्य हो रहा है वो भी युद्धस्तर पर।

इसे शेयर करें या काॅपी-पेस्ट, बस यह पोस्ट हर वाल पर होनी चाहिए....।👍

"लावारिस वस्तु न छुएं, बम हो सकता है।

*यह लाइन अंतिम बार  2013 सुनी थी...*

*बस यही फर्क होता है सही बटन दबाने का*

दुनिया की तीन मूर्खताएँ उपहासास्पद होते हुए भी कितनी व्यापक हो गई हैं

🪔आत्मचिंतन के क्षण🪔


🕉️  दुनिया की तीन मूर्खताएँ उपहासास्पद होते हुए भी कितनी व्यापक हो गई हैं यह देखकर आश्चर्य होता है-

- पहली यह कि लोग धन को ही शक्ति मानते हैं।

-दूसरी यह कि लोग अपने को सुधारे बिना दूसरों को धर्मोपदेश देते हैं।

-तीसरी यह कि कठोर श्रम से बचे रहकर भी लोग आरोग्य की आकाँक्षा  करते हैं।


🕉️  *संयम शरीर में अवस्थित भगवान् है। सद्विचार मस्तिष्क में निवास करने वाला परमेश्वर है।*  अंतरात्मा में  ईश्वर की और भी ऊँची झाँकी देखनी हो तो सद्भावनाओं के रूप में देखनी चाहिए। ईश्वर दर्शन के लिए कहीं बाहर जाने की आवश्यकता नहीं, उसे अपने भीतर ही देखा जाना चाहिए। उसे प्राप्त करने के लिए संयम, सद्विचार और सद्भाव का विकास करना चाहिए। यही है यथार्थ सत्ता और चैतन्य-चित्त, परिष्कृत आत्मा-परमात्मा की उपलब्धि। इसी भक्तियोग का साधक सच्चे अर्थों में जीवन लाभ व सच्च आनंद प्राप्त करता है।*


🕉️  धर्म पर श्रद्धा रखो, नीति को आचरण में उतारो, अपना उद्धार आप करो, हँसी और मुस्कराहट बिखेरो। जो कार्य करना पड़े उसमें दूसरों की भलाई के तत्त्व जोड़े रखो। अपनी रीति-नीति ऐसी बनाओ जिस पर स्वयं को संतोष मिले और दूसरों को प्रेरणा-यह आत्म कल्याण का मार्ग है।


✍️ *पं श्रीराम शर्मा आचार्य*

दृष्टिकोण बदलें जीवन बदल जायगा

```एक दिलचस्प गणित 
****************

जीवन का एक सुन्दर गणित--
इसे देखें, 
समझें चिंतन करें ।
यदि 
A, B, C, D, E, F, G, H, I, J, K, L, M, N, O, P, Q, R, S, T, U, V, W, X, Y, Z 
1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12, 13, 14, 15, 16, 17, 18, 19, 20, 21, 22, 23, 24, 25, 26

यानी A to Z का मान यदि इस प्रकार लें जहां
A=1, B=2, C=3, D=4, E=5, F=6, G=7, H=8, I=9, J=10, K=11, L=12, M=13, N=14, O=15, P=16, Q=17, R=18, S=19, T=20, U=21, V=22, W=23, X=24, Y=25, Z=26

तो .......
Hard Work:
H+A+R+D+W+O+R+K= 8+1+18+4+23+15+18+11=98%

Knowledge:
K+N+O+W+L+E+D++E=
11+14+15+23+12+5+4+7+5=96%

Luck:
L+U+C+K=
12+21+3+11=47%

यानी इनमें से कोई भी 100% स्कोर नही कर सकता, 
तो फिर वह क्या है जो 100% कर सकता है ?????

Money??  जी नही, 
यह, 72% है

Leadership?? जी नही, 
यह भी सीर्फ 97% ही है ।

तब ??

जीवन की सभी समस्याओं का समाधान संभव है, 
यदि हमारा ATTITUDE या दृष्टिकोण सही हो ।

जी हां, 
सिर्फ हमारा ATTITUDE ही हमारे जीवन को कर सकता है 100% सफल .........

A+T+T+I+T+U+D+E=
1+20+20+9+20+21+4+5= 100%

◆ अतः दृष्टिकोण बदलें जीवन बदल जायगा।

Always B Positive👍```

गैस कनेक्शन को भी करा सकते हैं पोर्ट किसी भी डिस्ट्रीब्यूटर के पास

सबसे पहले www.mylpg.in वेबसाइट पर विजिट करना होता है और साथ ही आपको अपनी कंपनी यानी जिस कंपनी के आप कस्टमर हैं उसे सलेक्ट करें. अगर आप पहले से यहां रजिस्टर्ड नहीं हैं तो आप खुद को यहां रजिस्टर करें. (फोटो - रॉयटर्स)

अगर आप उसी कंपनी में रहते हुए ट्रांसफर की रिक्वेस्ट कर रहे हैं तो आपको सिर्फ नए डिस्ट्रीब्यूटर के यहां कन्फर्मेशन ईमेल की कॉपी के साथ विजिट करना होता है और अप्लाई करना होता है.

You have to surrender
No transfer charge or additional security deposit

किसी भी एलपीजी गैस डिस्ट्रीब्यूटर से गैस भरवा सकेंगे

 LPG Refill Booking Portability: सरकार ने LPG रीफिल की पोर्टेबिलिटी को मंजूरी दे दी है. यानी अब आप अपना LPG सिलेंडर किसी भी डिस्ट्रीब्यूटर से रीफिल करवा सकेंगे. मतलब अगर आप अपनी तेल मार्केटिंग कंपनी के मौजूदा LPG डिस्ट्रीब्यूटर से खुश नहीं हैं तो आप उसकी जगह कोई दूसरा डिस्ट्रीब्यूटर चुन सकते हैं. काफी समय से इस मुद्दे पर चर्चा हो रही थी, अब इसे मंजूरी दे दी गई है.



LPG रीफिल के लिए बदल सकेंगे डिस्ट्रीब्यूटर

पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय की ओर इस फैसले पर कहा गया है कि LPG ग्राहकों को यह निर्णय लेने की अनुमति दी जाए कि वे किस डिस्ट्रीब्यूटर से LPG रीफिल करवाना चाहते हैं.

ग्राहक अपनी तेल मार्केटिंग कंपनी के तहत अपने पते पर डिस्ट्रीब्यूटर्स की लिस्ट से अपना “डिलीवरी डिस्ट्रीब्यूटर” चुन सकेंगे. पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इसको चंडीगढ़, कोयंबटूर गुड़गांव, पुणे और रांची में लॉन्च किया जाएगा.

पोर्टल पर मिलेगी डिस्ट्रीब्यूटर्स की लिस्ट

जब ग्राहक LPG रीफिक करने के लिए मोबाइल ऐप/कस्मटमर पोर्टल खोलेगा और लॉग-इन करेगा तो उसे डिलीवरी डिस्ट्रीब्यूटर्स की पूरी लिस्ट दिखाई देगी साथ उनकी परफॉर्मेंस के आधार पर रेटिंग भी होगी. जिससे ग्राहक को अच्छा डिस्ट्रीब्यूटर्स चुनने में मदद मिले. इससे डिस्ट्रीब्यूटर्स पर भी अपनी परफॉर्मेंस सुधारने का दबाव बनेगा.

IOC – https://cx.indianoil.in
Bharat Gas – https://my.ebharatgas.com
HPGas – https://myhpgas.in


इस लिस्ट से किसी भी डिस्ट्रीब्यूटर को चुन सकता है, जो उसके एरिया में उपलब्ध होगा और LPG रीफिल की डिलीवरी करेगा. इससे न सिर्फ कस्टमर्स को बेहतर सेवा मिलेगी बल्कि डिस्ट्रीब्यूटर्स के बीच भी ग्राहकों को अच्छी सुविधाएं देने की एक स्वस्थ परंपरा भी शुरू होगी, जिससे उनकी रेटिंग में सुधार होगा.

पोर्टल पर ही ऑनलाइन ट्रांसफर की सुविधा

उसी क्षेत्र में सर्विस दे रहे दूसरे डिस्ट्रीब्यूटर्स को एलपीजी कनेक्शन के ऑनलाइन ट्रांसफर की सुविधा एलपीजी ग्राहकों को संबंधित तेल मार्केटिंग कंपनियों के वेब-पोर्टल के साथ-साथ उनके मोबाइल ऐप के जरिए दी गई है. अपने रजिस्टर्ड लॉग-इन का इस्तेमाल करते हुए ग्राहक अपने क्षेत्र में सेवारत डिस्ट्रीब्यूटर्स की लिस्ट से अपने OMC के डिस्ट्रीब्यूटर को को चुन सकते हैं और अपने LPG कनेक्शन की पोर्टिंग का विकल्प चुन सकते हैं.

ग्राहक को मना सकेंगे डिस्ट्रीब्यूटर

स्रोत वितरक के पास ग्राहक से संपर्क करने और उसे मनाने का विकल्प होता है, अगर ग्राहक आश्वस्त है, तो वह 3 दिनों के निर्धारित समय के भीतर पोर्टेबिलिटी अनुरोध को वापस ले सकता है नहीं तो कनेक्शन ऑटोमैटिक रूप से लक्षित वितरक को ट्रांसफर हो जाता है. इसलिए, ग्राहक डिस्ट्रीब्यूटरशिप पर आए बिना उसी बाजार में काम कर रही उसी कंपनी के किसी अन्य वितरक को ऑनलाइन पोर्टेबिलिटी का लाभ उठा सकता है. यह सुविधा बिल्कुल फ्री होगी. मई 2021 में OMCs ने 55759 पोर्टेबिलिटी अनुरोधों को सफलतापूर्वक पूरा किया है.

कॉन्टैक्टलेस ट्रांजैक्शन को बढ़ावा

इसके अलावा डिजिटल इंडिया मिशन को आगे बढ़ाते हुए, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के तहत ऑयल मार्केटिंग कंपनियां ग्राहकों को एक सहज डिजिटल अनुभव देने के लिए लगातार अपनी सुविधाओं में सुधार कर रही हैं. COVID-19 के कारण लगाए गए प्रतिबंधों को देखते हुए कॉन्टैक्टलेस ट्रांजैक्शन को बढ़ावा दिया गया है. तेल कंपनियों ने डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से ग्राहकों को LPG रीफिल बुक करने और भुगतान करने में मदद करने के लिए कई डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को अपनाया है. ग्राहक IVRS, SMS, WhatsApp, Portal और Mobile App के अलावा UMANG ऐप से भी गैस की बुकिंग कर सकते हैं. इसके अलावा Bharat Bill Pay System ऐप्स से भी बुकिंग की जा सकती है. इसके अलावा ग्राहक ई-कॉमर्स वेबसाइट्स Amazon और Paytm से गैस की बुकिंग और भुगतान कर सकते हैं

वेद और शास्त्रों में लिखा है

(1). पंचोपचार _गन्ध , पुष्प , धूप , दीप तथा नेवैद्य द्वारा पूजन करने को ‘पंचोपचार’ कहते हैं।

(2). पंचामृत – दूध ,दही , घृत, मधु { शहद } तथा मिश्री [ शक्कर ] इनके मिश्रण को ‘पंचामृत’ कहते हैं।

(3). पंचगव्य – गाय के दूध ,दही,घृत , मूत्र तथा गोबर इन्हें सम्मिलित रूप में ‘पंचगव्य’ कहते हैं।

(4). षोडशोपचार – आवाहन् , आसन , पाध्य , अर्घ्य , आचमन , स्नान , वस्त्र , अलंकार , सुगंध , पुष्प , धूप , दीप , नैवैध्य , अक्षत , ताम्बुल तथा दक्षिणा इन सबके द्वारा पूजन करने की विधि को ‘षोडशोपचार’ कहते हैं।

(5). दशोपचार – पाध्य , अर्घ्य , आचमनीय , मधुपक्र , आचमन , गंध , पुष्प , धूप , दीप तथा नैवैध्य द्वारा पूजन करने की विधि को ‘दशोपचार’ कहते हैं।

(6). त्रिधातु –सोना , चांदी और लोहा कुछ आचार्य सोना ,चांदी , तांबा इनके मिश्रण को भी ‘त्रिधातु’ कहते हैं।

(7). पंचधातु – सोना , चांदी , लोहा , तांबा और जस्ता।

(8). अष्टधातु – सोना , चांदी, लोहा , तांबा , जस्ता , रांगा ,कांसा और पारा।

(9). नैवैध्य –खीर , मिष्ठान आदि मीठी वस्तुएं।

(10). नवग्रह –सूर्य , चन्द्र , मंगल , बुध , गुरु , शुक्र , शनि , राहु और केतु।

(11). नवरत्न – माणिक्य , मोती ,मूंगा , पन्ना , पुखराज , हीरा , नीलम , गोमेद , और वैदूर्य।

(12). अष्टगंध – अगर , तगर , गोरोचन , केसर , कस्तूरी ,,श्वेत चन्दन , लाल चन्दन और सिन्दूर { देवपूजन हेतु }
      अगर , लाल चन्दन , हल्दी , कुमकुम , गोरोचन , जटामासी , शिलाजीत और कपूर [ देवी पूजन हेतु ]

(13). गंधत्रय – सिन्दूर , हल्दी , कुमकुम।

(14). पञ्चांग – किसी वनस्पति के पुष्प , पत्र , फल , छाल ,और जड़।

(15). दशांश – दसवां भाग। 1/10

(16). सम्पुट –मिट्टी के दो शकोरों को एक-दुसरे के मुंह से मिला कर बंद करना।

(17). भोजपत्र – एक वृक्ष की छाल
मन्त्र प्रयोग के लिए भोजपत्र का ऐसा टुकडा लेना चाहिए ,जो कटा-फटा न हो।

(18). मन्त्र धारण –किसी भी मन्त्र को स्त्री पुरुष दोनों ही कंठ में धारण कर सकते हैं ,परन्तु यदि भुजा में धारण करना चाहें तो पुरुष को अपनी दायीं भुजा में और स्त्री को बायीं भुजा में धारण
करना चाहिए।

(19). मुद्राएँ –हाथों की अँगुलियों को किसी विशेष स्तिथि में लेने कि क्रिया को ‘मुद्रा’ कहा जाता है। मुद्राएँ अनेक प्रकार की होती हैं।

(20). स्नान –यह दो प्रकार का होता है।बाह्य तथा आतंरिक,बाह्य स्नान जल से तथा आन्तरिक स्नान जप द्वारा होता है।

(21). तर्पण –नदी , सरोवर आदि के जल में घुटनों तक पानी में खड़े होकर , हाथ की अंजुली द्वारा जल गिराने की क्रिया को ‘तर्पण’ कहा जाता है। जहाँ नदी , सरोवर आदि न हो , वहां किसी पात्र में पानी भरकर भी ‘तर्पण’ की क्रिया संपन्न कर ली जाती है।

(22). आचमन – हाथ में जल लेकर उसे अपने मुंह में डालने की क्रिया को आचमन कहते हैं।

(23). करन्यास –अंगूठा , अंगुली , करतल तथा करपृष्ठ पर मन्त्र जपने को ‘करन्यास’ कहा जाता है।

(24). हृद्याविन्यास –ह्रदय आदि अंगों को स्पर्श करते हुए मंत्रोच्चारण को ‘हृदय्विन्यास’ कहते हैं।

(25). अंगन्यास – ह्रदय ,शिर , शिखा , कवच , नेत्र एवं करतल – इन 6 अंगों से मन्त्र का न्यास करने की क्रिया को ‘अंगन्यास’ कहते हैं।

(26). अर्घ्य – शंख , अंजलि आदि द्वारा जल छोड़ने को अर्घ्य देना कहा जाता है घड़ा या कलश में पानी भरकर रखने को अर्घ्य-स्थापन कहते हैं।अर्घ्य पात्र में दूध ,तिल , कुशा के टुकड़े , सरसों , जौ , पुष्प , चावल एवं कुमकुम इन सबको डाला जाता है।

(27). पंचायतन पूजा – इसमें पांच देवताओं – विष्णु , गणेश ,सूर्य , शक्ति तथा शिव का पूजन किया जाता है।

(28). काण्डानुसमय – एक देवता के पूजाकाण्ड को समाप्त कर ,अन्य देवता की पूजा करने को ‘काण्डानुसमय’ कहते हैं।

(29). उद्धर्तन – उबटन।

(30). अभिषेक – मन्त्रोच्चारण करते हुए शंख से सुगन्धित जल छोड़ने को ‘अभिषेक’ कहते हैं।

(31). उत्तरीय – वस्त्र।

(32). उपवीत – यज्ञोपवीत [ जनेऊ ]।

(33). समिधा – जिन लकड़ियों को अग्नि में प्रज्जवलित कर होम किया जाता है उन्हें समिधा कहते हैं।समिधा के लिए आक ,पलाश , खदिर , अपामार्ग , पीपल ,उदुम्बर ,शमी , कुषा तथा आम की लकड़ियों को ग्राह्य माना गया है।

(34). प्रणव –ॐ।

(35). मन्त्र ऋषि – जिस व्यक्ति ने सर्वप्रथम शिवजी के मुख से मन्त्र सुनकर उसे विधिवत सिद्ध किया था ,वह उस मंत्र का ऋषि कहलाता है। उस ऋषि को मन्त्र का आदि गुरु मानकर श्रद्धापूर्वक उसका मस्तक में न्यास किया जाता है।

(36). छन्द – मंत्र को सर्वतोभावेन आच्छादित करने की विधि को ‘छन्द’ कहते हैं। यह अक्षरों अथवा पदों से बनता है। मंत्र का उच्चारण चूँकि मुख से होता है अतः छन्द का मुख से न्यास किया जाता है।

(37). देवता – जीव मात्र के समस्त क्रिया- कलापों को प्रेरित , संचालित एवं नियंत्रित करने वाली प्राणशक्ति को देवता कहते हैं यह शक्ति मनुष्य के हृदय में स्थित होती है ,अतः देवता का न्यास हृदय में किया जाता है।

(38). बीज– मन्त्र शक्ति को उद्भावित करने वाले तत्व को बीज कहते हैं। इसका न्यास गुह्यांग में किया जाता है।

(39). शक्ति – जिसकी सहायता से
बीज मन्त्र बन जाता है वह तत्व ‘शक्ति’
कहलाता है। उसका न्यास पाद स्थान में करते है।

(40). विनियोग– मन्त्र को फल की दिशा का निर्देश देना विनियोग कहलाता है।

(41). उपांशु जप – जिह्वा एवं होठों को हिलाते हुए केवल स्वयं को सुनाई पड़ने योग्य मंत्रोच्चारण को ‘उपांशुजप’ कहते हैं।

(42). मानस जप – मन्त्र , मंत्रार्थ एवं देवता में मन लगाकर मन ही मन मन्त्र
का उच्चारण करने को ‘मानसजप’ कहते हैं।

(43). अग्नि की जिह्वाएँ – अग्नि की 7 जिह्वाएँ मानी गयी हैं , उनके नाम हैं –
   1. हिरण्या 2. गगना 3. रक्ता 4. कृष्णा 
   5. सुप्रभा 6.बहुरूपा एवं 7. अतिरिक्ता।

(44). 1. काली 2.कराली 3. मनोभवा 4. सुलोहिता 5. धूम्रवर्णा 6.स्फुलिंगिनी एवं 7. विश्वरूचि।

(45). प्रदक्षिणा –देवता को साष्टांग दंडवत करने के पश्चात इष्ट देव की परिक्रमा करने को ‘प्रदक्षिणा’ कहते हैं।

विष्णु , शिव , शक्ति , गणेश और सूर्य आदि देवताओं की  क्रमशः 4, 1, 2 , 1, 3, अथवा 7 परिक्रमाऐं करनी चाहियें।

(46). साधना – साधना 5 प्रकार
की होती है – 
     1.अभाविनी 2. त्रासी 3. दोवोर्धी
     4. सौतकी 5.आतुरी।

     [1] अभाविनी – पूजा के साधन
तथा उपकरणों के अभाव से , मन से अथवा जल मात्र से जो पूजा साधना की जाती है , उसे‘अभाविनी’ कहा जाता है।
     [2] त्रासी –जो त्रस्त व्यक्ति तत्काल अथवा उपलब्ध उपचारों से अथवा मान्सोपचारों से पूजन करता है , उसे ‘त्रासी’कहते हैं। यह साधना समस्त सिद्धियाँ देती है।
     [3] दोवोर्धी – बालक , वृद्ध , स्त्री ,
मूर्ख अथवा ज्ञानी व्यक्ति द्वारा बिना जानकारी के की जाने वाली पूजा‘दोर्वोधी’ कहलाती है।

[4] सौतकी -- सूतक में व्यक्ति मानसिक संध्या करा कामना होने पर मानसिक पूजन तथा निष्काम होने पर सब कार्य करें। ऐसी साधना को ‘सौतकी’ कहा जाता है।

[5] आतुरी --रोगी व्यक्ति स्नान एवं पूजन न करें 
देवमूर्ति अथवा सूर्यमंडल की ओर देखकर, एक बार मूल मन्त्र का जप कर उस पर पुष्प चढ़ाएं फिर रोग की समाप्ति पर स्नान करके गुरु तथा ब्राह्मणों की पूजा करके, पूजा विच्छेद का दोष मुझे न लगे – ऐसी प्रार्थना करके विधि पूर्वक इष्ट देव का पूजनकरे तो इस पूजा को ‘आतुरी’ कहा जाएगा।

(47). अपने श्रम का महत्व –पूजा की वस्तुएं स्वयं लाकर तन्मय भाव से पूजन करने से पूर्ण फल प्राप्त होता है।अन्य व्यक्ति द्वारा दिए गये साधनों से पूजा करने पर आधा फल मिलता है।

(48). वर्जित पुष्पादि –
     [1] पीले रंग की कट सरैया , नाग चंपा तथा दोनों प्रकार की वृहती के फूल पूजा में नही चढाये जाते।
     [2] सूखे ,बासी , मलिन , दूषित तथा उग्र गंध वाले पुष्प देवता पर नही चढाये जाते।
     [3] विष्णु पर अक्षत , आक तथा धतूरा नही चढाये जाते।
     [4] शिव पर केतकी , बन्धुक { दुपहरिया } , कुंद , मौलश्री , कोरैया , जयपर्ण , मालती और
जूही के पुष्प नही चढाये जाते।
     [5]दुर्गा पर दूब , आक , हरसिंगार , बेल तथा तगर नही चढाये जाते।
     [6] सूर्य तथा गणेश पर तुलसी नही चढाई जाती।
     [7] चंपा तथा कमल की कलियों के अतिरिक्त अन्य पुष्पों की कलियाँ नही चढाई जाती।

(49). ग्राह्यपुष्प – 
    ~विष्णु पर श्वेत तथा पीले पुष्प , तुलसी
    ~ सूर्य , गणेश पर लाल रंग के पुष्प , 
    ~लक्ष्मी पर कमल,
    ~शिव के ऊपर आक , धतूरा , बिल्वपत्र तथा कनेर के पुष्प विशेष रूप से चढाये जाते हैं। 
    ~अमलतास के पुष्प तथा तुलसी को निर्माल्य नही माना जाता।

(50). ग्राह्य पत्र- – तुलसी , मौलश्री ,
चंपा , कमलिनी , बेल ,श्वेत कमल , अशोक ,
मैनफल , कुषा , दूर्वा , नागवल्ली , अपामार्ग ,
विष्णुक्रान्ता , अगस्त्य तथा आंवला इनके पत्ते देव पूजन में ग्राह्य हैं।

(51). ग्राह्य फल – जामुन , अनार , नींबू  , इमली , बिजौरा , केला , आंवला , बेर , आम तथा कटहल ये फल देवपूजन में ग्राह्य हैं।

(52). धूप – अगर एवं गुग्गुल की धूप विशेष
रूप से ग्राह्य है ,यों चन्दन-चूरा , बालछड़ आदि का प्रयोग भी धूप के रूप में किया जाता है।

(53). दीपक की बत्तियां – यदि दीपक में अनेक
बत्तियां हों तो उनकी संख्या विषम रखनी चाहिए ।
   दायीं ओर के दीपक में सफ़ेद रंग की बत्ती तथा 
बायीं ओर के दीपक में लाल रंग की बत्ती डालनी चाहिए।
                    🙏 सनातन धर्म की जय 🙏
                           वेद भगवान की जय

सारी पृथिवी के सभी मनुष्य एक साथ रोगी और भोगी कैसे हो गए?

सारी पृथिवी के सभी मनुष्य एक साथ रोगी और भोगी कैसे हो गए?

 *अठारहों पुराणों में कलियुग के स्त्री और पुरुषों की आयु का वर्णन मिलता है । उनकी बुद्धि और मन कैसे होंगें , ये भी लिखा है ।* 

हम सोचते थे कि अचानक सभी लोग एक जैसे कैसे हो जाएंगे ?  सभी रोगी कैसे हो जाएंगे ? सभी एकसाथ दुष्ट और बेईमान कैसे हो जाएंगे ?  

धरती के सभी स्त्री पुरषों में एक जैसी सोच कैसे हो जाएगी ? हजारों किलोमीटर दूर रहनेवाले लोग , जो कभी भी एक दूसरे नहीं मिले हैं ,तो भी दोनों के आचरण और विचार एक जैसे कैसे हो जाएंगे ?  

यही प्रश्न बार बार मन में आ जाता था । लेकिन  जब मोबाइल और लैफ्टोप आदि का निर्माण हुआ , और पूरे संसार में फैल गया तो ,तब पुराणों कीं बातें समझ में आईं , कि भगवान का विधान अद्भुत है । 

भगवान ने दो चार ऐसे मनुष्यों को उत्पन्न किया कि उन्होंने सारी पृथिवी के सभी स्त्री पुरुषों के मन और बुद्धि को एकजैसा बना दिया ।  

सभी स्त्री और पुरुषों को रातदिन देखने , सुनने , खाने पीने , और जगने की आदत ऐसी बन गई कि सभी लोग अनेक रोगों से ग्रस्त हो गए । 

रोगी शरीर की शक्ति बहुत दिनों तक स्थिर नहीं हो सकती है , इसलिए आयु भी कम हो गई । लोग जलदी मरने लगे । 

रोगी व्यक्ति को स्वस्थ रहने की लालसा ने डाक्टरों का दास बना दिया । 

*डाक्टर भी भगवान ने ऐसे बना दिए कि जिसके खाने पीने से शरीर में शक्ति आती है , उसी घी दूध को वे मना करने लगे ।*

*दवाई खिलाते हैं लेकिन घी दूध को मना कर दिया जाता है । अब सब मेरे समझ में आ गया है कि "  किस विधि से युग के अनुसार भगवान परिवर्तन करते हैं ।* 

ऐसे लोगों को समाज में उतारा है भगवान ने कि सभी लोग इनका ही विश्वास करेंगे । तथा इनकी बुद्धि भी ऐसी बदली है कि डाक्टर , नेता , वकील जज आदि ऐसी सलाह देंगे कि सभी स्त्री पुरुषों को जो अच्छा है , वह बुरा दिखाई देने लगेगा ,और जो बुरा है वह सही और अच्छा दिखाई देने लगेगा । 

वाह प्रभो ! आप जब चाहें , जो चाहें. वह सब कुछ कर सकते हैं । अब देखिए कि भारत के सभी  स्त्री पुरुष योग को *"योगा"* कहने लगे । अंग्रेजी का ज्ञान नहीं है , फिर भी योग को योगा कहते हैं ।  

उसमें भी ये भी ज्ञान नहीं है कि *"योग क्या है और व्यायाम क्या है ?*  व्यायाम को योगा कहला दिया है किसी ने , तो भी ठीक है । 

स्वस्थ आदमी को व्यायाम करना चाहिए , योग करना चाहिए , तो ऐसे लोग हैं कि बीमार लोग योग व्यायाम करने लगे हैं । खैर , छोड़िए ।     

अब देखते हैं कि भगवान श्री कृष्ण किसको योग कहते हैं । तथा कौन सा योग दुख को नष्ट करता है । 

*🌹🚩🌷" गीता के छठवें अध्याय के 17 वें श्लोक में भगवान ने अर्जुन से कहा है कि* 

*🌹🌷"युक्ताहारविहारस्य युक्तचेष्टस्य कर्मसु ।*
*युक्तस्वप्नावबोधस्य योगो भवति दुःखहा " ।।🌷🌹*

हे अर्जुन !  इन तीन कर्मों को शक्ति के अनुसार तथा समय के अनुसार करने का नाम ही" योग " है । यह योग करनेवाले मनुष्य के सभी शारीरिक और मानसिक दुख स्वतः ही नष्ट हो जाते हैं ।             

*🌹(1)  युक्ताहारविहारस्य  --* सुपाच्य और ऋतु के अनुसार भूख के अनुसार एक निश्चित समय में भोजन करना , तथा एक निश्चित समय में ही विहार ,अर्थात स्त्री पुरुष का संयोग करना ही योग है । न बासा खाना , और न ही भोजन के अतिरिक्त तीखा , चटपटा आदि खाना ।                          

*🌹(2) युक्तचेष्टस्य कर्मसु --*  शरीर से किया जानेवाला कर्म ( मेहनत ) तथा बुद्धि से किया जानेवाला कर्म (मेहनत)  एक निश्चित समय से निश्चित समय तक ही शक्ति के अनुसार करना चाहिए । यही योग है । शरीर से तथा बुद्धि से उतना ही करना चाहिए , जितना करना आवश्यक है ।        

*🌹(3) युक्तस्वप्नावबोधस्य --* एक निश्चित समय में सोना चाहिए तथा एक निश्चित समय में ही जगना चाहिए ।  "योगो भवति दुःखहा" सबकुछ समय पर ही करनेवाले मनुष्य का योग ही सभी शारीरिक रोगों से मुक्त रखेगा । शरीर निरोग रहेगा तो मन भी प्रसन्न रहेगा । 

निरोगी शरीर से ही आप किसी की सहायता सेवा कर सकते हैं ।  *अर्थात संयम ही योग है । असंयम ही रोग है ।*

  जिसके सोने का समय निश्चित नहीं है और जागने का समय प्रातःकाल निश्चित नहीं है ।  उन स्त्री पुरुषों को 40 वर्ष के बाद डायविटीज , वी. पी. आदि रोग निश्चित होना है ।  

40 के बाद के रोगी होने से लेकर मृत्यु तक न तो कोई प्रसन्नता होगी और न ही उत्साह और सुख मिलेगा ।  रोगी शरीर से न तो अनुलोम विलोम ,प्राणायाम होंगे और न ही कोई रोग नष्ट होंगे । 

जिन्होंने जब चाहे जो कुछ भी खाया है , उनके  बीसों साल खाने के लिए तरसते हुए बीतेंगे । जिसने मोबाइल चलाकर बहुत देखा है , उसका आधे से अधिक आयु अंधे होकर ही बीतनी है । देखने के लिए वर्षों तक तड़पता रहेगा । 

*आपका असंयम ही आपके लिए जीते जी  नरक तैयार करेगा ।* 

*इसलिए जलदी सोना चाहिए और जलदी उठना चाहिए । बाजार के बने समोसा चाट आदि नहीं खाना चाहिए । जीभ को सम्हालिए , नहीं तो बहुत छोटी उमर में ही वृद्धावस्था आ जाएगी ।*

राधे राधे ।

उत्तराखंड से 2,00,000 मुस्लिम बच्चे रातों-रात हो गए गायब

उत्तराखंड से 200000 मुस्लिम बच्चे रातों-रात हो गए गायब, फिर सामने आयी वो खौफनाक सच्चाई, जिसे देख मोदी जी भी रह गए हैरान


 नई दिल्ली : अभी हाल ही में पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा था कि देश के मुस्लिमों में बेचैनी का अहसास और असुरक्षा की भावना है. अभी-अभी आ रही एक बेहद सनसनीखेज खबर से साबित हो गया है कि आखिर हामिद अंसारी जैसे लोगों में असुरक्षा की भावना क्यों पनप रही है. खबर है कि उत्तराखंड में मदरसों में पढ़ने वाले करीब 2 लाख मुस्लिम बच्चे रातों-रात गायब हो गए हैं. पूरी खबर जान कर आपके पैरों तले भी जमीन खिसक जायेगी.

दरअसल मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को पिछले कई दशकों से हर महीने सरकार की ओर से वजीफा यानी स्कॉलरशिप दी जा रही थी. लेकिन जैसे ही उत्तराखंड सरकार ने इन बच्चों के बैंक खातों को आधार नंबर से लिंक करने को कहा, तो एक साथ 1 लाख 95 हजार 360 बच्चे गायब हो गए. गायब हुए इन छात्रों के नाम पर अभी तक सरकार हर साल करीब साढ़े 14 करोड़ रुपये छात्रवृत्ति बांट रही थीं. जो कि अब घट कर केवल 2 करोड़ रह गयी है.

जानिये क्या है पूरा माजरा !

दरअसल गायब हुए ये बच्चे कभी थे ही नहीं, बच्चो के झूठे नामों के आधार पर मदरसों द्वारा सरकार से पैसे लिए जा रहे थे. कांग्रेस की सरकार थी, तो जाहिर है कि लूट का माल नीचे से ऊपर तक बांटा जाता होगा वरना ऐसा कैसे हो सकता है कि कांग्रेस सरकार को इस घोटाले की भनक तक नहीं लगी और बीजेपी ने आते ही पता लगा लिया.

तो इसलिए असुरक्षित हैं मुसलमान?

ये तो अकेले उत्तराखंड का मामला है, अब आप खुद ही समझ सकते हैं कि जब मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी ने उत्तर प्रदेश में मदरसों को अपना रजिस्ट्रेशन करवाने को कहा तो क्यों इतना हंगामा खड़ा कर दिया गया. इस बात से साबित हो गया है कि बीजेपी की सरकार आने के बाद से मुस्लिम खुद को क्यों असुरक्षित महसूस कर रहे हैं.

2014-15 तक केवल उत्तराखंड में 2 लाख 21 हजार आठ सौ मुस्लिम छात्र सरकारी स्कॉलरशिप पा रहे थे. आधार से लिंक होते ही इनकी संख्या गिरकर केवल 26 हजार 440 रह गई. यानी लगभग 88 फीसदी मुस्लिम छात्रों की संख्या कम हो गई. ये वो स्कॉलरशिप है जो बीपीएल यानि बेहद गरीब परिवारों के छात्रों को दी जाती है. सरकार उन छात्रों के लिए भी प्रावधान लायी, जिनके पास आधार नहीं है. ऐसे छात्रों को भी स्कॉलरशिप का फायदा मिल रहा है, लेकिन इसके लिए उन्हें जिलाधिकारी से सत्यापन करवाना जरूरी है. लेकिन सत्यापन हो कैसे, जब वो छात्र हैं ही नहीं.

फर्जी मदरसे, फर्जी छात्र, और सरकारी पैसों की लूट !

फर्जी नामों के आधार पर बरसों से जनता के पैसों की लूट हो रही थी. ये तो कुछ भी नहीं, और सुनिए. छात्र तो छोड़िये, यहाँ तो कई मदरसे भी केवल कागजों पर चल रहे थे. असलियत में कई मदरसे थे ही नहीं और ना ही इनमे कोई छात्र पढ़ते थे. बस केवल फर्जी छात्रों के नाम भेजकर आराम से सरकारी फंड हासिल कर रहे थे.

हैरत की बात तो ये है कि उत्तराखंड के 13 जिलों में से 6 जिलों में तो एक भी मुसलमान छात्र स्कॉलरशिप लेने नहीं आया. सबसे ज्यादा लूट हरिद्वार जिले में चल रही थी. इसके बाद ऊधमसिंहनगर, देहरादून और नैनीताल जिलों के नंबर आते हैं.

जिले की आबादी से भी ज्यादा बच्चे ?

अभी और सुनिए, कुछ जिलों में अब तक *जितने मुस्लिम छात्रों को स्कॉलरशिप दी जा रही थी, उतनी तो उन जिलों की कुल आबादी भी नहीं है.* जितनी आबादी नहीं है, उससे भी ज्यादा छात्रों के नाम पर मदरसे वर्षों से जनता के पैसों की लूट कर रहे थे. *कांग्रेस तुष्टिकरण के चलते ये सब होने दे रही थी और शायद अपना कमीशन भी लेती हो.

बीजेपी सरकार आने के बाद इस घोटाले पर नकेल कसनी शुरू कर दी गई, तो एकदम से हामिद अंसारी जैसों को असुरक्षित महसूस होने लगा. बहरहाल अब जिला प्रशासन को इस घोटाले के दोषियों की लिस्ट तैयार करने और उन पर कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं. मदरसे के लुटेरों की धर-पकड़ शुरू हो गयी है, अंदेशा है कि इन्हे सजा तो होगी ही, साथ ही इनसे लूटा हुआ पैसा भी निकलवाया जाएगा.

यूपी में भी इसीलिए है सारी दिक्कत

उत्तर प्रदेश में तो और भी काफी कुछ चल रहा है. सरकारी पैसों की लूट वहां भी ऐसे ही की जा रही है, साथ ही खुफिया एजेंसियों ने ये भी अलर्ट दिया है कि कई मदरसों में बच्चों को कट्टरपंथी शिक्षा भी दी जा रही है. इस तरह की गड़बड़ियों को देखते हुए मुख्यमंत्री श्री योगी जी ने सभी मदरसों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया है. राज्य में कई मदरसे बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे हैं, उन्हें फंड कहाँ से आता है, इसकी किसी को कोई जानकारी तक नहीं है.

इन मदरसों में क्या पढ़ाया जा रहा है, इस पर भी सरकार का कोई नियंत्रण नहीं होता. जबकि ऐसे छात्रों को लगातार अल्पसंख्यक कल्याण योजनाओं के तहत तमाम फायदे मिलते रहते हैं. *उत्तर प्रदेश सरकार राज्य में चल रहे लगभग 800 मदरसों पर प्रतिवर्ष 4000करोड़ रुपये खर्च करती है.* मगर हैरत की बात है कि इसका एक बड़ा हिस्सा छात्रों तक पहुंचने की जगह उन लोगों की जेब में जा रहा है, जिन्हें लेकर *हामिद अंसारी जैसे लोग परेशान हो रहे हैं.*ડ

पूरा पढने के बाद इसे बहुत
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पश्चिमी राजस्थान एक और महामारी की चपेट में : पानी नहीं बल्कि अनजाने में कैंसर का प्रसाद

पश्चिमी राजस्थान एक और महामारी की चपेट में :

पश्चिमी राजस्थान के हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, चूरू, बीकानेर, नागौर, जोधपुर, पाली, जैसलमेर और बाड़मेर जिलों के लगभग दो करोड़ लोगों द्वारा "इंदिरा गांधी नहर का पानी" पेयजल के रूप में काम लिया जाता है। थार की जीवनदायिनी कही जाने वाली "इंदिरा गांधी नहर" शायद अब थार के लोगों के लिए कोरोना से भी बड़ा खतरा बन गई है! इस जल का उपयोग करने वाला परिवार दरअसल पानी नहीं बल्कि अनजाने में कैंसर का प्रसाद ग्रहण करता है। उन्हे पता ही नहीं कि कब नहर के प्रदुषित पानी ने उसके परिवार में मौत बनकर दस्तक दी है।
हकीकत तो यह है, कि प्रतिवर्ष नहरबंदी के बाद जब-जब इंदिरा गांधी नहर में पानी छोड़ा जाता है, वो मंजर यदि कोई व्यक्ति अपनी आंखों से देख ले तो वह जिंदगी भर इस नहर का पानी पीना छोड़ दे। लेकिन क्या करें ? अब ये हमारी मजबूरी यह है! क्योंकि हमने ही अपने परंपरागत जल स्रोतों को अपने हाथों से बर्बाद किया है।  और पूरे पश्चिमी राजस्थान के पास पेयजल की आपूर्ति के लिए अन्य कोई विकल्प नहीं है।
हमारे केंद्र और पंजाब और राजस्थान के "प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड" और सिंचाई विभागों के आला अधिकारी व संबंधित मंत्री, स्थानीय नेता कभी भी इस मुद्दे पर गंभीरता नहीं दिखाते।  सरकारों द्वारा जल प्रदूषण की रोकथाम के लिए अत्यंत कड़े कानून बनाए गए हैं, तो फिर उन कानूनों की पालना नहीं होती । ऐसे अधिकारी, जो इस नहर में औद्योगिक प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयों को प्रदूषण नियंत्रण के "वार्षिक प्रमाण पत्र" जारी करते हैं, उनके खिलाफ कार्यवाही करनी चहिए। स्थानीय प्रशासन और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ इस इस घिनोन अपराध हेतु "आपराधिक मुकदमे" दर्ज होने चाहिए! या भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी हो गई ? कि करोड़ों लोगों के जीवन को भी अनदेखा किया जाए! हालांकि लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करना सरकारों के लिए नई बात नहीं है! यह हमने "कोरोना काल" में बहुत अच्छे से देखा है, ऑक्सीजन की कमी, थी को की बर्बादी, आरोप- प्रत्यारोप की राजनीति करना आम बात है। 
 
"इंदिरा गांधी नहर" का नाम जिस महान और कर्मठ राजनेता के नाम से रखा गया है, कम से कम उस नाम की तो लाज रख ले संभाग के राजनेता। लेकिन आज तक इतने गंभीर मसले पर पंजाब और राजस्थान की सरकारों ने कोइ ठोस क़दम नहीं उठाए ओर ना ही केंद्र सरकार ने इसका संज्ञान लिया! पेयजल के रूप में दिए जाने वाले पानी की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश सरकार गंभीर कदम उठाने चाहिए। शायद व्यवस्था में बैठे लोगों को "उग्र आंदोलनों" के अलावा इस तरह की समस्या नजर ही नहीं आ रही!
वर्तमान परिस्थितियों को देखकर लगता है कि, यह प्रदूषित पानी एक बार फिर इलाके के जागरूक लोगों के दिलो-दिमाग में आग लगाएगा कुछ प्रेस और सोशल मीडिया में लिखा जाएगा। और जो इस विषय और समस्या पर जानकारी रखते हैं, वह अपनी अपनी राजनेतिक पृष्ठभूमि, चाटुकारिता और किसी राजनीतिक पद की उम्मीद में मोन बैठे रहेंगे! और नतिजा व्यवस्था में बैठे जिम्मेदार लोगों के कान पर जूं तक नहीं रेंगेगी, और समस्या आने वाले सालों में भी जस की तस बनी रहेगी!
- डॉ. अनिल कुमार छंगाणी, D.Sc.

बुधवार, 9 जून 2021

EWS Certificate से सामान्य वर्ग को कैसे मिलता है 10 फीसदी आरक्षण

EWS Certificate Economically Weaker Sections क्या है,

सामान्य वर्ग को कैसे मिलता है 10 फीसदी आरक्षण

आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों के लिए मोदी सरकार ने दी आरक्षण की मंजूरी, जानें किस वर्ग के लोगों को मिलेगा लाभ

सामान्य वर्ग के लोगों के लिए मोदी सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। सामान्य वर्ग के लोगों द्वारा जो आर्थिक आधार पर आरक्षण व्यवस्था को लागू करने की मांग काफी समय से की जा रही थी। आरक्षण व्यवस्था को केंद्र सरकार की मंजूरी मिल गई है। अब सामान्य वर्ग के लोग एसटी , एससी और ओबीसी तरह ही आरक्षण का पूरा लाभ ले सकेंगे। इसके लिए सरकार ने कुछ नियम कानून बनाए हैं जिनका सामान्य वर्ग के लोगों को पालन करना होगा। अगर वह नियमों का पालन नहीं करते हैं तो वे आरक्षण का लाभ नहीं उठा पाएंगे। 
सामान्य वर्ग के लोगों में आरक्षण का लाभ केवल उन लोगों को दिया जाएगा जो आर्थिक रूप से कमजोर होंगे। ऐसे लोगों को केवल 10 प्रतिशत आरक्षण का लाभ सरकार द्वारा दिया जाएगा। इसके साथ ही आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों को प्रमाण देकर साबित करना होगा कि वह वास्तव में आर्थिक रूप से कमजोर हैं। तभी उनको आरक्षण का लाभ दिया जाएगा।

आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों को लाभ देने के लिए उनके प्रमाण के लिए सरकार ने EWS Certificate जारी करने की व्यवस्था भी लागू की है। इस योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग को भी केंद्र को जॉब और राज्य की नौकरी में भी 10% आरक्षण दिया जायेगा।सामान्य वर्ग के जो लोग आर्थिक रूप से कमजोर है उनको प्रमाणित करने के लिए पहले इकोनॉमिकली वीकर सेक्शन (EWS) Certificate बनवाना होगा। तभी वह आरक्षण का लाभ ले सकते हैं।

सभी सवर्ण जिनकी वार्षिक इनकम ₹8,00,000/- से कम है वह EWS सर्टिफिकेट बनाए:- 

केंद्र और राज्य  गरीब लोगो के लिये अलग से 10℅ EWS कैटेगरी में आरक्षण दिया हैं जिसे  EWS (economically weaker section ) कैटेगरी कहा जाता हैं जिसके लिये सामान्य वर्ग  के ज्यादातर लोग पात्र हैं और EWS के हकदार हैं।  ये आरक्षण हमारे  समाज के आर्थिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन को दूर करने में  मददगार साबित हो सकता है। लेकीन अफसोस के EWS के 10%आरक्षण को लेकर जानकारी का बहुत ज्यादा अभाव है, इसलिये EWS को लेकर *जागरूकता और प्रचार करना जरुरी है और ये हम सब की जिम्मेदारी है !!!  

EWS Certificate क्या है  “Economically Weaker Sections

इकोनॉमिकली वीकर सेक्शन (Economically Weaker Sections) सर्टिफिकेट आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों की आर्थिक स्थिति को दर्शाने वाला एक प्रमाण पत्र हैं। जिसके माध्यम से कमजोर सामान्य वर्ग के लोग आरक्षण का लाभ उठा सकेंगे। इस प्रमाण का उद्देश्य कमजोर लोगों को आरक्षण का लाभ दिलाना हैं। बता दें कि सरकारी नौकरी के लिए भर्ती निकले पर जैसे एससी, एसटी और ओबीसी आरक्षण तय रहता हैं अब वैसे ही सामान्य वर्ग के लोगों का भी 10 प्रतिशत आरक्षण तय रहेगा।

शैक्षणिक क्षेत्र में फायदा:-

सभी शिक्षण संस्थओ मे सभी कोर्सेस के लिये 10% सीट्स EWS कॅटेगरी के लिये आरक्षित है और फीस मे भी सहूलियात मिलती हैं।
11th ,12th
Diploma,
Graduation,
Post graduation
BA, BSC, B.COM 
D.ed, B.Ed
Medical, pharmacy, nursing
enginering, polytechnic,
LLB
ITI etc...

शासकीय नौकरियों में फायदा
 
गवर्नमेंट की हर नौकरी में 10% नौकरियां EWS कॅटेगरी के लिये आरक्षित है।  क्लास 4 से लेकर क्लास 1 गजेटेड (सिपाही से लेकर कलेक्टर ) तक की सभी नौकरियों में EWS  आरक्षण का लाभ मिल रहा है।  10% EWS आरक्षण का लाभ लेने के लिये आपके पास EWS सर्टिफिकेट होना जरुरी है!!

ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट कौन बनवा सकता है?

(Ews Reservation Eligibility)
इस नई Ews Category के तहत आरक्षण(Reservation) का दावा करने में सक्षम उम्मीदवारों के लिए सरकार ने कुछ पात्रता शर्तें रखी हैं।
आपको नीचे बताई गई सभी शर्तों को पूरा करना होगा:
1 . आप एक ‘सामान्य’ केटेगरी के उम्मीदवार होना चाहिए (एससी, एसटी या ओबीसी के लिए आरक्षण के अंतर्गत नहीं)।
2 . आपके परिवार की कुल वार्षिक आय 8 लाख रुपये से कम होनी चाहिए।
3 . इसमें आवेदन करने से पहले आपके लिए कृषि, सेलरी, व्यवसाय जैसे सभी तरीको की कमाई शामिल है।

EWS Certificate कौन नहीं बनवा सकता है?

ऐसे बहुत सरे लोगो है जिनके मन में यह सवाल आता है की कौन लोग नहीं बनवा सकते| आपको नीचे बताई गई
1 . आपके परिवार के पास 5 एकड़ या उससे अधिक कृषि भूमि नहीं होनी चाहिए।
2 . आपके परिवार के पास 1000 स्क्वायर फुट(Square Feet) या उससे अधिक क्षेत्रफल का Residential Plot नहीं होना चाहिए।


EWS सर्टिफिकेट कैसे प्राप्त करें
EWS  सर्टिफिकेट तहसीलदार के ऑफिस से मिलता है, आपको अपने तहसील के सेतु सुविधा केन्द्र  च्वाइस सेन्टर या ई-सेवा केंद्र से आवेदन करना पड़ेगा।
आप अपने स्थानीय सरकारी Authority से EWS प्रमाणपत्र प्राप्त  कर सकते हैं, जिसे 10 Percent Reservation Certificate भी कहा जाता है। प्रमाणपत्र को वास्तव में ‘Income And Assets Certificate’ कहा जाता है और यह वह प्रमाण है जो Ews Reservation के लिए आवश्यक है।
EWS प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए सरकार द्वारा कोई ऑनलाइन Process नहीं है। आपको अपनी स्थानीय तहसील या किसी अन्य स्थानीय सरकारी ऑफिस में जाने की आवश्यकता है।
आपको आधार कार्ड, पैन कार्ड, बैंक स्टेटमेंट, पासपोर्ट साइज फोटो जैसे अन्य दस्तावेजों की आवश्यकता होगी। साथ ही साथ आपको Income And Assets Certificate भी साथ रखना जरूरी है।

EWS Certificate के लिए जरूरी दस्तावेज
- पालक/अभिभावक का वार्षिक उत्पन्न/ आय प्रमाणपत्र 
- लाभार्थी का  आधार कार्ड
-  टी. सी. या निर्गम उतारा/जन्म प्रमाणपत्र
  1. आधार कार्ड
  2. आय प्रमाण पत्र (Income Certificate)
  3. जाति प्रमाण पत्र (Cast Certificate)
  4. पैन कार्ड
  5. बी.पी.ल कार्ड
  6. बैंक स्टेटमेंट
EWS Certificate Form Download करे
ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट बनवाने के लिए आपको EWS Certificate Form की जरुरत होती है| वैसे तो ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट का फॉर्म दुकानों से भी खरीद सकते है और साथ ही साथ ऑफिस से निशुल्क फॉर्म ले सकते है|
लेकिन यहाँ पर Download Ews Form Pdf  के लिए PDF की लिंक से Download कर सकते है 
Ews Certificate Form / 10 Percent Reservation Certificate Form Download करने के लिए यहाँ क्लीक करें।

EWS Certificate से जुड़े सवाल जवाब [ FAQ ]

Q-1. EWS सर्टिफिकेट का फूल फॉर्म क्या है?
जबाब : Economically Weaker Sections
आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग

Q-2. क्या ओबीसी के लोग EWS के लिए आवेदन कर सकते है?
जबाब :- नहीं

Q-3. EWS Certificate कि Validity कितनी है?
जबाब :- 1 साल

Q-4. EWS Certificate Apply Online?
जबाब :- Ews सर्टिफिकेट के अभी सिर्फ कुछ ही राज्यो में आप ऑनलाइन आवेदन कर सकते है। आप अपने राज्य में चेक कर सकते है को Ews सर्टिफिकेट ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं या नहीं। 

Q-5. क्या EWS Certificate के तहत उम्मीदवारों को उम्र में और परीक्षा के प्रयासों की संख्या में कोई छूट मिल जाएगी?
जबाब :- नहीं, ईडब्ल्यूएस उम्मीदवारों को सीटों में केवल 10% कोटा मिलेगा। परीक्षा की अन्य शर्तें जैसे आयु सीमा और प्रयासों की संख्या किसी भी ‘सामान्य’ उम्मीदवार के लिए समान रहेगी
नोट- EWS के 10% के लिहाज से लोगों को बतायें और EWS certificate  बनाने मे लोगों की मदद करे।

Jai shree krishna

Thanks & Regards,


कैलाश चन्द्र लढा(भीलवाड़ा)

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