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गुरुवार, 10 जून 2021

सारी पृथिवी के सभी मनुष्य एक साथ रोगी और भोगी कैसे हो गए?

सारी पृथिवी के सभी मनुष्य एक साथ रोगी और भोगी कैसे हो गए?

 *अठारहों पुराणों में कलियुग के स्त्री और पुरुषों की आयु का वर्णन मिलता है । उनकी बुद्धि और मन कैसे होंगें , ये भी लिखा है ।* 

हम सोचते थे कि अचानक सभी लोग एक जैसे कैसे हो जाएंगे ?  सभी रोगी कैसे हो जाएंगे ? सभी एकसाथ दुष्ट और बेईमान कैसे हो जाएंगे ?  

धरती के सभी स्त्री पुरषों में एक जैसी सोच कैसे हो जाएगी ? हजारों किलोमीटर दूर रहनेवाले लोग , जो कभी भी एक दूसरे नहीं मिले हैं ,तो भी दोनों के आचरण और विचार एक जैसे कैसे हो जाएंगे ?  

यही प्रश्न बार बार मन में आ जाता था । लेकिन  जब मोबाइल और लैफ्टोप आदि का निर्माण हुआ , और पूरे संसार में फैल गया तो ,तब पुराणों कीं बातें समझ में आईं , कि भगवान का विधान अद्भुत है । 

भगवान ने दो चार ऐसे मनुष्यों को उत्पन्न किया कि उन्होंने सारी पृथिवी के सभी स्त्री पुरुषों के मन और बुद्धि को एकजैसा बना दिया ।  

सभी स्त्री और पुरुषों को रातदिन देखने , सुनने , खाने पीने , और जगने की आदत ऐसी बन गई कि सभी लोग अनेक रोगों से ग्रस्त हो गए । 

रोगी शरीर की शक्ति बहुत दिनों तक स्थिर नहीं हो सकती है , इसलिए आयु भी कम हो गई । लोग जलदी मरने लगे । 

रोगी व्यक्ति को स्वस्थ रहने की लालसा ने डाक्टरों का दास बना दिया । 

*डाक्टर भी भगवान ने ऐसे बना दिए कि जिसके खाने पीने से शरीर में शक्ति आती है , उसी घी दूध को वे मना करने लगे ।*

*दवाई खिलाते हैं लेकिन घी दूध को मना कर दिया जाता है । अब सब मेरे समझ में आ गया है कि "  किस विधि से युग के अनुसार भगवान परिवर्तन करते हैं ।* 

ऐसे लोगों को समाज में उतारा है भगवान ने कि सभी लोग इनका ही विश्वास करेंगे । तथा इनकी बुद्धि भी ऐसी बदली है कि डाक्टर , नेता , वकील जज आदि ऐसी सलाह देंगे कि सभी स्त्री पुरुषों को जो अच्छा है , वह बुरा दिखाई देने लगेगा ,और जो बुरा है वह सही और अच्छा दिखाई देने लगेगा । 

वाह प्रभो ! आप जब चाहें , जो चाहें. वह सब कुछ कर सकते हैं । अब देखिए कि भारत के सभी  स्त्री पुरुष योग को *"योगा"* कहने लगे । अंग्रेजी का ज्ञान नहीं है , फिर भी योग को योगा कहते हैं ।  

उसमें भी ये भी ज्ञान नहीं है कि *"योग क्या है और व्यायाम क्या है ?*  व्यायाम को योगा कहला दिया है किसी ने , तो भी ठीक है । 

स्वस्थ आदमी को व्यायाम करना चाहिए , योग करना चाहिए , तो ऐसे लोग हैं कि बीमार लोग योग व्यायाम करने लगे हैं । खैर , छोड़िए ।     

अब देखते हैं कि भगवान श्री कृष्ण किसको योग कहते हैं । तथा कौन सा योग दुख को नष्ट करता है । 

*🌹🚩🌷" गीता के छठवें अध्याय के 17 वें श्लोक में भगवान ने अर्जुन से कहा है कि* 

*🌹🌷"युक्ताहारविहारस्य युक्तचेष्टस्य कर्मसु ।*
*युक्तस्वप्नावबोधस्य योगो भवति दुःखहा " ।।🌷🌹*

हे अर्जुन !  इन तीन कर्मों को शक्ति के अनुसार तथा समय के अनुसार करने का नाम ही" योग " है । यह योग करनेवाले मनुष्य के सभी शारीरिक और मानसिक दुख स्वतः ही नष्ट हो जाते हैं ।             

*🌹(1)  युक्ताहारविहारस्य  --* सुपाच्य और ऋतु के अनुसार भूख के अनुसार एक निश्चित समय में भोजन करना , तथा एक निश्चित समय में ही विहार ,अर्थात स्त्री पुरुष का संयोग करना ही योग है । न बासा खाना , और न ही भोजन के अतिरिक्त तीखा , चटपटा आदि खाना ।                          

*🌹(2) युक्तचेष्टस्य कर्मसु --*  शरीर से किया जानेवाला कर्म ( मेहनत ) तथा बुद्धि से किया जानेवाला कर्म (मेहनत)  एक निश्चित समय से निश्चित समय तक ही शक्ति के अनुसार करना चाहिए । यही योग है । शरीर से तथा बुद्धि से उतना ही करना चाहिए , जितना करना आवश्यक है ।        

*🌹(3) युक्तस्वप्नावबोधस्य --* एक निश्चित समय में सोना चाहिए तथा एक निश्चित समय में ही जगना चाहिए ।  "योगो भवति दुःखहा" सबकुछ समय पर ही करनेवाले मनुष्य का योग ही सभी शारीरिक रोगों से मुक्त रखेगा । शरीर निरोग रहेगा तो मन भी प्रसन्न रहेगा । 

निरोगी शरीर से ही आप किसी की सहायता सेवा कर सकते हैं ।  *अर्थात संयम ही योग है । असंयम ही रोग है ।*

  जिसके सोने का समय निश्चित नहीं है और जागने का समय प्रातःकाल निश्चित नहीं है ।  उन स्त्री पुरुषों को 40 वर्ष के बाद डायविटीज , वी. पी. आदि रोग निश्चित होना है ।  

40 के बाद के रोगी होने से लेकर मृत्यु तक न तो कोई प्रसन्नता होगी और न ही उत्साह और सुख मिलेगा ।  रोगी शरीर से न तो अनुलोम विलोम ,प्राणायाम होंगे और न ही कोई रोग नष्ट होंगे । 

जिन्होंने जब चाहे जो कुछ भी खाया है , उनके  बीसों साल खाने के लिए तरसते हुए बीतेंगे । जिसने मोबाइल चलाकर बहुत देखा है , उसका आधे से अधिक आयु अंधे होकर ही बीतनी है । देखने के लिए वर्षों तक तड़पता रहेगा । 

*आपका असंयम ही आपके लिए जीते जी  नरक तैयार करेगा ।* 

*इसलिए जलदी सोना चाहिए और जलदी उठना चाहिए । बाजार के बने समोसा चाट आदि नहीं खाना चाहिए । जीभ को सम्हालिए , नहीं तो बहुत छोटी उमर में ही वृद्धावस्था आ जाएगी ।*

राधे राधे ।

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