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गुरुवार, 10 जून 2021

उत्तराखंड से 2,00,000 मुस्लिम बच्चे रातों-रात हो गए गायब

उत्तराखंड से 200000 मुस्लिम बच्चे रातों-रात हो गए गायब, फिर सामने आयी वो खौफनाक सच्चाई, जिसे देख मोदी जी भी रह गए हैरान


 नई दिल्ली : अभी हाल ही में पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा था कि देश के मुस्लिमों में बेचैनी का अहसास और असुरक्षा की भावना है. अभी-अभी आ रही एक बेहद सनसनीखेज खबर से साबित हो गया है कि आखिर हामिद अंसारी जैसे लोगों में असुरक्षा की भावना क्यों पनप रही है. खबर है कि उत्तराखंड में मदरसों में पढ़ने वाले करीब 2 लाख मुस्लिम बच्चे रातों-रात गायब हो गए हैं. पूरी खबर जान कर आपके पैरों तले भी जमीन खिसक जायेगी.

दरअसल मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को पिछले कई दशकों से हर महीने सरकार की ओर से वजीफा यानी स्कॉलरशिप दी जा रही थी. लेकिन जैसे ही उत्तराखंड सरकार ने इन बच्चों के बैंक खातों को आधार नंबर से लिंक करने को कहा, तो एक साथ 1 लाख 95 हजार 360 बच्चे गायब हो गए. गायब हुए इन छात्रों के नाम पर अभी तक सरकार हर साल करीब साढ़े 14 करोड़ रुपये छात्रवृत्ति बांट रही थीं. जो कि अब घट कर केवल 2 करोड़ रह गयी है.

जानिये क्या है पूरा माजरा !

दरअसल गायब हुए ये बच्चे कभी थे ही नहीं, बच्चो के झूठे नामों के आधार पर मदरसों द्वारा सरकार से पैसे लिए जा रहे थे. कांग्रेस की सरकार थी, तो जाहिर है कि लूट का माल नीचे से ऊपर तक बांटा जाता होगा वरना ऐसा कैसे हो सकता है कि कांग्रेस सरकार को इस घोटाले की भनक तक नहीं लगी और बीजेपी ने आते ही पता लगा लिया.

तो इसलिए असुरक्षित हैं मुसलमान?

ये तो अकेले उत्तराखंड का मामला है, अब आप खुद ही समझ सकते हैं कि जब मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी ने उत्तर प्रदेश में मदरसों को अपना रजिस्ट्रेशन करवाने को कहा तो क्यों इतना हंगामा खड़ा कर दिया गया. इस बात से साबित हो गया है कि बीजेपी की सरकार आने के बाद से मुस्लिम खुद को क्यों असुरक्षित महसूस कर रहे हैं.

2014-15 तक केवल उत्तराखंड में 2 लाख 21 हजार आठ सौ मुस्लिम छात्र सरकारी स्कॉलरशिप पा रहे थे. आधार से लिंक होते ही इनकी संख्या गिरकर केवल 26 हजार 440 रह गई. यानी लगभग 88 फीसदी मुस्लिम छात्रों की संख्या कम हो गई. ये वो स्कॉलरशिप है जो बीपीएल यानि बेहद गरीब परिवारों के छात्रों को दी जाती है. सरकार उन छात्रों के लिए भी प्रावधान लायी, जिनके पास आधार नहीं है. ऐसे छात्रों को भी स्कॉलरशिप का फायदा मिल रहा है, लेकिन इसके लिए उन्हें जिलाधिकारी से सत्यापन करवाना जरूरी है. लेकिन सत्यापन हो कैसे, जब वो छात्र हैं ही नहीं.

फर्जी मदरसे, फर्जी छात्र, और सरकारी पैसों की लूट !

फर्जी नामों के आधार पर बरसों से जनता के पैसों की लूट हो रही थी. ये तो कुछ भी नहीं, और सुनिए. छात्र तो छोड़िये, यहाँ तो कई मदरसे भी केवल कागजों पर चल रहे थे. असलियत में कई मदरसे थे ही नहीं और ना ही इनमे कोई छात्र पढ़ते थे. बस केवल फर्जी छात्रों के नाम भेजकर आराम से सरकारी फंड हासिल कर रहे थे.

हैरत की बात तो ये है कि उत्तराखंड के 13 जिलों में से 6 जिलों में तो एक भी मुसलमान छात्र स्कॉलरशिप लेने नहीं आया. सबसे ज्यादा लूट हरिद्वार जिले में चल रही थी. इसके बाद ऊधमसिंहनगर, देहरादून और नैनीताल जिलों के नंबर आते हैं.

जिले की आबादी से भी ज्यादा बच्चे ?

अभी और सुनिए, कुछ जिलों में अब तक *जितने मुस्लिम छात्रों को स्कॉलरशिप दी जा रही थी, उतनी तो उन जिलों की कुल आबादी भी नहीं है.* जितनी आबादी नहीं है, उससे भी ज्यादा छात्रों के नाम पर मदरसे वर्षों से जनता के पैसों की लूट कर रहे थे. *कांग्रेस तुष्टिकरण के चलते ये सब होने दे रही थी और शायद अपना कमीशन भी लेती हो.

बीजेपी सरकार आने के बाद इस घोटाले पर नकेल कसनी शुरू कर दी गई, तो एकदम से हामिद अंसारी जैसों को असुरक्षित महसूस होने लगा. बहरहाल अब जिला प्रशासन को इस घोटाले के दोषियों की लिस्ट तैयार करने और उन पर कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं. मदरसे के लुटेरों की धर-पकड़ शुरू हो गयी है, अंदेशा है कि इन्हे सजा तो होगी ही, साथ ही इनसे लूटा हुआ पैसा भी निकलवाया जाएगा.

यूपी में भी इसीलिए है सारी दिक्कत

उत्तर प्रदेश में तो और भी काफी कुछ चल रहा है. सरकारी पैसों की लूट वहां भी ऐसे ही की जा रही है, साथ ही खुफिया एजेंसियों ने ये भी अलर्ट दिया है कि कई मदरसों में बच्चों को कट्टरपंथी शिक्षा भी दी जा रही है. इस तरह की गड़बड़ियों को देखते हुए मुख्यमंत्री श्री योगी जी ने सभी मदरसों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया है. राज्य में कई मदरसे बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे हैं, उन्हें फंड कहाँ से आता है, इसकी किसी को कोई जानकारी तक नहीं है.

इन मदरसों में क्या पढ़ाया जा रहा है, इस पर भी सरकार का कोई नियंत्रण नहीं होता. जबकि ऐसे छात्रों को लगातार अल्पसंख्यक कल्याण योजनाओं के तहत तमाम फायदे मिलते रहते हैं. *उत्तर प्रदेश सरकार राज्य में चल रहे लगभग 800 मदरसों पर प्रतिवर्ष 4000करोड़ रुपये खर्च करती है.* मगर हैरत की बात है कि इसका एक बड़ा हिस्सा छात्रों तक पहुंचने की जगह उन लोगों की जेब में जा रहा है, जिन्हें लेकर *हामिद अंसारी जैसे लोग परेशान हो रहे हैं.*ડ

पूरा पढने के बाद इसे बहुत
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पश्चिमी राजस्थान एक और महामारी की चपेट में : पानी नहीं बल्कि अनजाने में कैंसर का प्रसाद

पश्चिमी राजस्थान एक और महामारी की चपेट में :

पश्चिमी राजस्थान के हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, चूरू, बीकानेर, नागौर, जोधपुर, पाली, जैसलमेर और बाड़मेर जिलों के लगभग दो करोड़ लोगों द्वारा "इंदिरा गांधी नहर का पानी" पेयजल के रूप में काम लिया जाता है। थार की जीवनदायिनी कही जाने वाली "इंदिरा गांधी नहर" शायद अब थार के लोगों के लिए कोरोना से भी बड़ा खतरा बन गई है! इस जल का उपयोग करने वाला परिवार दरअसल पानी नहीं बल्कि अनजाने में कैंसर का प्रसाद ग्रहण करता है। उन्हे पता ही नहीं कि कब नहर के प्रदुषित पानी ने उसके परिवार में मौत बनकर दस्तक दी है।
हकीकत तो यह है, कि प्रतिवर्ष नहरबंदी के बाद जब-जब इंदिरा गांधी नहर में पानी छोड़ा जाता है, वो मंजर यदि कोई व्यक्ति अपनी आंखों से देख ले तो वह जिंदगी भर इस नहर का पानी पीना छोड़ दे। लेकिन क्या करें ? अब ये हमारी मजबूरी यह है! क्योंकि हमने ही अपने परंपरागत जल स्रोतों को अपने हाथों से बर्बाद किया है।  और पूरे पश्चिमी राजस्थान के पास पेयजल की आपूर्ति के लिए अन्य कोई विकल्प नहीं है।
हमारे केंद्र और पंजाब और राजस्थान के "प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड" और सिंचाई विभागों के आला अधिकारी व संबंधित मंत्री, स्थानीय नेता कभी भी इस मुद्दे पर गंभीरता नहीं दिखाते।  सरकारों द्वारा जल प्रदूषण की रोकथाम के लिए अत्यंत कड़े कानून बनाए गए हैं, तो फिर उन कानूनों की पालना नहीं होती । ऐसे अधिकारी, जो इस नहर में औद्योगिक प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयों को प्रदूषण नियंत्रण के "वार्षिक प्रमाण पत्र" जारी करते हैं, उनके खिलाफ कार्यवाही करनी चहिए। स्थानीय प्रशासन और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ इस इस घिनोन अपराध हेतु "आपराधिक मुकदमे" दर्ज होने चाहिए! या भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी हो गई ? कि करोड़ों लोगों के जीवन को भी अनदेखा किया जाए! हालांकि लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करना सरकारों के लिए नई बात नहीं है! यह हमने "कोरोना काल" में बहुत अच्छे से देखा है, ऑक्सीजन की कमी, थी को की बर्बादी, आरोप- प्रत्यारोप की राजनीति करना आम बात है। 
 
"इंदिरा गांधी नहर" का नाम जिस महान और कर्मठ राजनेता के नाम से रखा गया है, कम से कम उस नाम की तो लाज रख ले संभाग के राजनेता। लेकिन आज तक इतने गंभीर मसले पर पंजाब और राजस्थान की सरकारों ने कोइ ठोस क़दम नहीं उठाए ओर ना ही केंद्र सरकार ने इसका संज्ञान लिया! पेयजल के रूप में दिए जाने वाले पानी की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश सरकार गंभीर कदम उठाने चाहिए। शायद व्यवस्था में बैठे लोगों को "उग्र आंदोलनों" के अलावा इस तरह की समस्या नजर ही नहीं आ रही!
वर्तमान परिस्थितियों को देखकर लगता है कि, यह प्रदूषित पानी एक बार फिर इलाके के जागरूक लोगों के दिलो-दिमाग में आग लगाएगा कुछ प्रेस और सोशल मीडिया में लिखा जाएगा। और जो इस विषय और समस्या पर जानकारी रखते हैं, वह अपनी अपनी राजनेतिक पृष्ठभूमि, चाटुकारिता और किसी राजनीतिक पद की उम्मीद में मोन बैठे रहेंगे! और नतिजा व्यवस्था में बैठे जिम्मेदार लोगों के कान पर जूं तक नहीं रेंगेगी, और समस्या आने वाले सालों में भी जस की तस बनी रहेगी!
- डॉ. अनिल कुमार छंगाणी, D.Sc.

बुधवार, 9 जून 2021

EWS Certificate से सामान्य वर्ग को कैसे मिलता है 10 फीसदी आरक्षण

EWS Certificate Economically Weaker Sections क्या है,

सामान्य वर्ग को कैसे मिलता है 10 फीसदी आरक्षण

आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों के लिए मोदी सरकार ने दी आरक्षण की मंजूरी, जानें किस वर्ग के लोगों को मिलेगा लाभ

सामान्य वर्ग के लोगों के लिए मोदी सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। सामान्य वर्ग के लोगों द्वारा जो आर्थिक आधार पर आरक्षण व्यवस्था को लागू करने की मांग काफी समय से की जा रही थी। आरक्षण व्यवस्था को केंद्र सरकार की मंजूरी मिल गई है। अब सामान्य वर्ग के लोग एसटी , एससी और ओबीसी तरह ही आरक्षण का पूरा लाभ ले सकेंगे। इसके लिए सरकार ने कुछ नियम कानून बनाए हैं जिनका सामान्य वर्ग के लोगों को पालन करना होगा। अगर वह नियमों का पालन नहीं करते हैं तो वे आरक्षण का लाभ नहीं उठा पाएंगे। 
सामान्य वर्ग के लोगों में आरक्षण का लाभ केवल उन लोगों को दिया जाएगा जो आर्थिक रूप से कमजोर होंगे। ऐसे लोगों को केवल 10 प्रतिशत आरक्षण का लाभ सरकार द्वारा दिया जाएगा। इसके साथ ही आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों को प्रमाण देकर साबित करना होगा कि वह वास्तव में आर्थिक रूप से कमजोर हैं। तभी उनको आरक्षण का लाभ दिया जाएगा।

आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों को लाभ देने के लिए उनके प्रमाण के लिए सरकार ने EWS Certificate जारी करने की व्यवस्था भी लागू की है। इस योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग को भी केंद्र को जॉब और राज्य की नौकरी में भी 10% आरक्षण दिया जायेगा।सामान्य वर्ग के जो लोग आर्थिक रूप से कमजोर है उनको प्रमाणित करने के लिए पहले इकोनॉमिकली वीकर सेक्शन (EWS) Certificate बनवाना होगा। तभी वह आरक्षण का लाभ ले सकते हैं।

सभी सवर्ण जिनकी वार्षिक इनकम ₹8,00,000/- से कम है वह EWS सर्टिफिकेट बनाए:- 

केंद्र और राज्य  गरीब लोगो के लिये अलग से 10℅ EWS कैटेगरी में आरक्षण दिया हैं जिसे  EWS (economically weaker section ) कैटेगरी कहा जाता हैं जिसके लिये सामान्य वर्ग  के ज्यादातर लोग पात्र हैं और EWS के हकदार हैं।  ये आरक्षण हमारे  समाज के आर्थिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन को दूर करने में  मददगार साबित हो सकता है। लेकीन अफसोस के EWS के 10%आरक्षण को लेकर जानकारी का बहुत ज्यादा अभाव है, इसलिये EWS को लेकर *जागरूकता और प्रचार करना जरुरी है और ये हम सब की जिम्मेदारी है !!!  

EWS Certificate क्या है  “Economically Weaker Sections

इकोनॉमिकली वीकर सेक्शन (Economically Weaker Sections) सर्टिफिकेट आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों की आर्थिक स्थिति को दर्शाने वाला एक प्रमाण पत्र हैं। जिसके माध्यम से कमजोर सामान्य वर्ग के लोग आरक्षण का लाभ उठा सकेंगे। इस प्रमाण का उद्देश्य कमजोर लोगों को आरक्षण का लाभ दिलाना हैं। बता दें कि सरकारी नौकरी के लिए भर्ती निकले पर जैसे एससी, एसटी और ओबीसी आरक्षण तय रहता हैं अब वैसे ही सामान्य वर्ग के लोगों का भी 10 प्रतिशत आरक्षण तय रहेगा।

शैक्षणिक क्षेत्र में फायदा:-

सभी शिक्षण संस्थओ मे सभी कोर्सेस के लिये 10% सीट्स EWS कॅटेगरी के लिये आरक्षित है और फीस मे भी सहूलियात मिलती हैं।
11th ,12th
Diploma,
Graduation,
Post graduation
BA, BSC, B.COM 
D.ed, B.Ed
Medical, pharmacy, nursing
enginering, polytechnic,
LLB
ITI etc...

शासकीय नौकरियों में फायदा
 
गवर्नमेंट की हर नौकरी में 10% नौकरियां EWS कॅटेगरी के लिये आरक्षित है।  क्लास 4 से लेकर क्लास 1 गजेटेड (सिपाही से लेकर कलेक्टर ) तक की सभी नौकरियों में EWS  आरक्षण का लाभ मिल रहा है।  10% EWS आरक्षण का लाभ लेने के लिये आपके पास EWS सर्टिफिकेट होना जरुरी है!!

ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट कौन बनवा सकता है?

(Ews Reservation Eligibility)
इस नई Ews Category के तहत आरक्षण(Reservation) का दावा करने में सक्षम उम्मीदवारों के लिए सरकार ने कुछ पात्रता शर्तें रखी हैं।
आपको नीचे बताई गई सभी शर्तों को पूरा करना होगा:
1 . आप एक ‘सामान्य’ केटेगरी के उम्मीदवार होना चाहिए (एससी, एसटी या ओबीसी के लिए आरक्षण के अंतर्गत नहीं)।
2 . आपके परिवार की कुल वार्षिक आय 8 लाख रुपये से कम होनी चाहिए।
3 . इसमें आवेदन करने से पहले आपके लिए कृषि, सेलरी, व्यवसाय जैसे सभी तरीको की कमाई शामिल है।

EWS Certificate कौन नहीं बनवा सकता है?

ऐसे बहुत सरे लोगो है जिनके मन में यह सवाल आता है की कौन लोग नहीं बनवा सकते| आपको नीचे बताई गई
1 . आपके परिवार के पास 5 एकड़ या उससे अधिक कृषि भूमि नहीं होनी चाहिए।
2 . आपके परिवार के पास 1000 स्क्वायर फुट(Square Feet) या उससे अधिक क्षेत्रफल का Residential Plot नहीं होना चाहिए।


EWS सर्टिफिकेट कैसे प्राप्त करें
EWS  सर्टिफिकेट तहसीलदार के ऑफिस से मिलता है, आपको अपने तहसील के सेतु सुविधा केन्द्र  च्वाइस सेन्टर या ई-सेवा केंद्र से आवेदन करना पड़ेगा।
आप अपने स्थानीय सरकारी Authority से EWS प्रमाणपत्र प्राप्त  कर सकते हैं, जिसे 10 Percent Reservation Certificate भी कहा जाता है। प्रमाणपत्र को वास्तव में ‘Income And Assets Certificate’ कहा जाता है और यह वह प्रमाण है जो Ews Reservation के लिए आवश्यक है।
EWS प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए सरकार द्वारा कोई ऑनलाइन Process नहीं है। आपको अपनी स्थानीय तहसील या किसी अन्य स्थानीय सरकारी ऑफिस में जाने की आवश्यकता है।
आपको आधार कार्ड, पैन कार्ड, बैंक स्टेटमेंट, पासपोर्ट साइज फोटो जैसे अन्य दस्तावेजों की आवश्यकता होगी। साथ ही साथ आपको Income And Assets Certificate भी साथ रखना जरूरी है।

EWS Certificate के लिए जरूरी दस्तावेज
- पालक/अभिभावक का वार्षिक उत्पन्न/ आय प्रमाणपत्र 
- लाभार्थी का  आधार कार्ड
-  टी. सी. या निर्गम उतारा/जन्म प्रमाणपत्र
  1. आधार कार्ड
  2. आय प्रमाण पत्र (Income Certificate)
  3. जाति प्रमाण पत्र (Cast Certificate)
  4. पैन कार्ड
  5. बी.पी.ल कार्ड
  6. बैंक स्टेटमेंट
EWS Certificate Form Download करे
ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट बनवाने के लिए आपको EWS Certificate Form की जरुरत होती है| वैसे तो ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट का फॉर्म दुकानों से भी खरीद सकते है और साथ ही साथ ऑफिस से निशुल्क फॉर्म ले सकते है|
लेकिन यहाँ पर Download Ews Form Pdf  के लिए PDF की लिंक से Download कर सकते है 
Ews Certificate Form / 10 Percent Reservation Certificate Form Download करने के लिए यहाँ क्लीक करें।

EWS Certificate से जुड़े सवाल जवाब [ FAQ ]

Q-1. EWS सर्टिफिकेट का फूल फॉर्म क्या है?
जबाब : Economically Weaker Sections
आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग

Q-2. क्या ओबीसी के लोग EWS के लिए आवेदन कर सकते है?
जबाब :- नहीं

Q-3. EWS Certificate कि Validity कितनी है?
जबाब :- 1 साल

Q-4. EWS Certificate Apply Online?
जबाब :- Ews सर्टिफिकेट के अभी सिर्फ कुछ ही राज्यो में आप ऑनलाइन आवेदन कर सकते है। आप अपने राज्य में चेक कर सकते है को Ews सर्टिफिकेट ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं या नहीं। 

Q-5. क्या EWS Certificate के तहत उम्मीदवारों को उम्र में और परीक्षा के प्रयासों की संख्या में कोई छूट मिल जाएगी?
जबाब :- नहीं, ईडब्ल्यूएस उम्मीदवारों को सीटों में केवल 10% कोटा मिलेगा। परीक्षा की अन्य शर्तें जैसे आयु सीमा और प्रयासों की संख्या किसी भी ‘सामान्य’ उम्मीदवार के लिए समान रहेगी
नोट- EWS के 10% के लिहाज से लोगों को बतायें और EWS certificate  बनाने मे लोगों की मदद करे।

Jai shree krishna

Thanks & Regards,


कैलाश चन्द्र लढा(भीलवाड़ा)

www.sanwariya.org

sanwariyaa.blogspot.com

https://www.facebook.com/mastermindkailash

मंगलवार, 8 जून 2021

प्रदेश में त्रिस्तरीय जनअनुशासन मॉडिफाइड लॉकडाउन 2.0 की गाइडलाइन जारी कर दी है।

जयपुर, मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में रविवार को हुई राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में लिए गए निर्णयों के क्रम में गृह विभाग ने सोमवार को प्रदेश में त्रिस्तरीय जनअनुशासन मॉडिफाइड लॉकडाउन 2.0 की गाइडलाइन जारी कर दी है। इस गाइडलाइन के अनुसार प्रतिबंधों में मंगलवार 8 जून की प्रातः 5 बजे से छूट और बढ़ाने के संबंध में निर्णय लिया गया है। राज्य में कोविड पॉजिटिव केसोें एवं पॉजिटिविटी दर में लगातार गिरावट, ऑक्सीजन, आईसीयू एवं वेंटीलेटर बेड के उपयोग में आई कमी तथा रिकवरी रेट तेजी से बढ़ने को दृष्टिगत रखते हुए व्यावसायिक एवं अन्य गतिविधियों में और शिथिलता दिए जाने को मंजूरी दी गई है। 
राज्य में संक्रमण की दर कम हुई है, लेकिन अभी संक्रमण पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है। इसको ध्यान में रखते हुए सभी प्रदेशवासियों से कोविड प्रोटोकॉल की प्रभावी पालना सुनिश्चित करने की अपेक्षा की गई है। जन सामान्य की सुविधा एवं आवश्यक सेवाओं और वस्तुओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने की दृष्टि से विभिन्न गतिविधियों में और छूट दी गई है। छूट का दायरा धीरे-धीरे और बढ़ाया जा सकेगा।
त्रि-स्तरीय जन अनुशासन मॉडिफाइड लॉकडाउन 2.0 के तहत प्रमुख दिशा-निर्देश ः-
• राज्य में आगामी आदेशों तक शुक्रवार शाम 5 बजे से सोमवार प्रातः 5 बजे तक जन अनुशासन वीकेंड कफ्र्यू रहेगा। इन दिनों के अतिरिक्त सप्ताह के अन्य दिनों में प्रतिदिन शाम 5 बजे से अगले दिन प्रातः 5 बजे तक जन अनुशासन कफ्र्यू रहेगा। 
• लॉकडाउन के दौरान (अनुमत श्रेणी के अलावा) किसी भी स्थान पर 5 या 5 से अधिक व्यक्तियों के एकत्रित होने पर प्रतिबंध(Rule of Five) लागू रहेगा। 
• ग्रीन जोन में अनुमत गतिविधियों (प्रातः 6 से शाम 4 बजे तक) के अलावा जिला कलक्टर एवं पुलिस कमिश्नर स्थिति के अनुसार यलो जोन एवं रेड जोन में अतिरिक्त प्रतिबंध लगा सकेंगे। 
• ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम पंचायत तथा शहरी क्षेत्रों में एक लाख तक की जनसंख्या को आधार मानते हुए कोविड केसों की एक्टिव संख्या के आधार पर ग्रीन, येलो तथा रेड जोन का निर्धारण होगा। शून्य एक्टिव केस वाली पंचायत ग्रीन, एक से 5 एक्टिव केस वाली पंचायत यलो तथा 5 से अधिक एक्टिव केस वाली पंचायतें रेड जोन में आएंगी। 
• इसी प्रकार, शहरी क्षेत्र में एक लाख जनसंख्या पर 25 एक्टिव केस होने पर ग्रीन जोन, 25 से 75 केस होने पर येलो जोन तथा इससे अधिक केस होने पर रेड जोन माना जाएगा।  
प्रतिबंधित गतिविधियां
• किसी प्रकार के सार्वजनिक, सामाजिक, राजनीतिक, खेल-कूद, मनोरंजन, शैक्षणिक, सांस्कृतिक तथा धार्मिक समारोह एवं जुलूस, मेलों तथा हाट बाजार की अनुमति नहीं होगी। 
• धार्मिक स्थलाें पर प्रबंधन द्वारा नियमित पूजा-अर्चना, इबादत, प्रार्थना आदि जारी रहेगी। लेकिन श्रद्धालुओं एवं दर्शनार्थियों के लिए सभी प्रकार के धार्मिक स्थल बंद रहेंगे। ऑनलाइन दर्शनों की व्यवस्था जारी रहेगी। पूजा-अर्चना, इबादत, प्रार्थना आदि घर पर रहकर ही की जावे।
• सिनेमा हॉल्स, थियेटर, मल्टीप्लेक्स, ऑडिटोरियम, स्विमिंग पूल्स, जिम, मनोरंजन पार्क, पिकनिक स्पॉट, खेल मैदान एवं समान स्थान बंद रहेंगे।
• कोचिंग संस्थाएं तथा लाईब्रेरीज आदि बंद रहेंगे।
• पूर्णतः वातानुकूलित शॉपिंग कॉम्प्लेक्स/मॉल को खोलने की अनुमति नहीं होगी।
• प्रदेशवासियों से यह अपेक्षा है कि वे शादी-समारोह 30 जून, 2021 तक स्थगित रखें। 
• विवाह से संबंधित किसी भी प्रकार के समारोह, डीजे, बारात एवं निकासी तथा प्रीतिभोज आदि की 30 जून, 2021 तक अनुमति नहीं होगी।
• विवाह घर पर ही अथवा कोर्ट मैरिज के रूप में करने की अनुमति होगी, जिसमें केवल 11 व्यक्ति ही अनुमत होंगे। जिसकी सूचना वेब पोर्टल Covidinfo.rajasthan.gov.in पर या हैल्पलाइन नम्बर 181 पर देनी होगी। 
• विवाह में बैण्ड-बाजे, हलवाई, टेन्ट या इस प्रकार के अन्य किसी भी व्यक्ति के सम्मिलित होने की अनुमति नहीं होगी।
• मैरिज गार्डन, मैरिज हॉल एवं होटल परिसर शादी-समारोह के लिए बंद रहेंगे। 
अनुमत गतिविधियां ः-
• प्रदेश के समस्त सरकारी कार्यालय 50 प्रतिशत कार्मिकों की उपस्थिति के साथ प्रातः 9ः30 बजे से सायं 4 बजे तक अनुमत होंगे।
• सभी निजी कार्यालय कोरोना प्रोटोकॉल की पालना करते हुए 50 प्रतिशत कार्मिकों की उपस्थिति के साथ सायं 4 बजे तक खोले जा सकेंगे।
• सभी सरकारी एवं निजी शैक्षणिक संस्थान 50 प्रतिशत कार्मिकों की क्षमता के साथ अनुमत होंगे। लेकिन विद्यार्थियों को शैक्षणिक गतिविधियों के लिए संस्थान आने की अनुमति नहीं होगी। 
• सभी निजी चिकित्सालय, लैब एवं उनसे सम्बन्धित कार्मिक जैसे डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ, पैरामेडिकल एवं अन्य चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाएं उपयुक्त पहचान-पत्र के साथ अनुमत होंगी।
• पशु चिकित्सालय एवं उनसे सम्बन्धित कार्मिक जैसे पशु चिकित्सक, स्टाफ, पशु चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाएं एवं बीपी लैब में वैक्सीन का उत्पादन एवं मत्स्य विभाग से संबंधित गतिविधियां जैसे एक्वाकल्चर, झींगा पालन से सम्बन्धित कार्मिक इत्यादि उपयुक्त पहचान-पत्र के साथ अनुमत होंगे। 
• कर्मचारियों के बैठने की व्यवस्था सोशल डिस्टेंसिंग (2 गज की दूरी) को ध्यान में रखते हुए की जाएगी। शेष कार्मिकों को कार्यालय में उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं होगी, वे मुख्यालय पर रहकर वर्क फ्रोम होम करेंगे। 
• कार्यस्थल पर किसी भी कार्मिक के कोविड पॉजिटिव पाए जाने पर कार्यालय अध्यक्ष द्वारा कार्यालय कक्ष को 72 घण्टे के लिए बंद किया जाएगा। 
• प्रदेश में 10 जून, 2021 से रोडवेज एवं निजी बसों का संचालन अनुमत होगा। शहर के भीतर चलने वाली सिटी बस एवं मिनी बस सेवा प्रतिबंधित रहेगी। कोई भी व्यक्ति खड़े होकर यात्रा नहीं कर सकेगा। 
• रोडवेज के संबंध में अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम द्वारा तथा निजी बसों के लिए आयुक्त यातायात द्वारा अलग से दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे। प्रत्येक यात्रा के बाद वाहनों को सेनेटाइज किया जाएगा। 
• निजी वाहनों से आवागमन सोमवार से शुक्रवार प्रातः 5 बजे से शाम 5 बजे तक अनुमत होगा। 
• रेल्वे एवं मेट्रो स्टेशन और एयरपोर्ट से आने/जाने वाले व्यक्तियों को यात्रा टिकट दिखाने पर आवागमन की अनुमति होगी।
• किसी भी व्यक्ति के द्वारा घर से रेलवे स्टेशन/एयरपोर्ट एवं रेलवे स्टेशन/एयरपोर्ट से घर, मेडिकल इमरजेन्सी एवं अनुमत श्रेणियों के आवागमन हेतु उपयोग में ली जाने वाली टैक्सी, कैब, ऑटो, ई-रिक्शा सेवा अनुमत होगी।
• राज्य के बाहर से आने वाले यात्रियाें को राजस्थान में आगमन से पूर्व यात्रा प्रारम्भ करने के 72 घण्टे के अन्दर करवाई गई आरटी-पीसीआर नेगेटिव जांच रिपोर्ट पर््रस्तुत करना अनिवार्य होगा। 
• राज्य के बाहर से आने वाले यात्रियों द्वारा राजस्थान में प्रवेश से 28 दिन पूर्व वैक्सीन की दोनों डोज लगवा ली हों, उन्हें राजस्थान में आने से पूर्व RT-PCR नेगेटिव जांच रिपोर्ट एवं ऎसे व्यक्तियों को होम/संस्थागत क्वारंटीन करने की कोई आवश्यकता नहीं होगी।
• कोविड मरीज के परिजन या अटेण्डेंट हॉस्पिटल प्रशासन द्वारा जारी पास से आवागमन कर सकेंगे। यह पास मरीज से सम्बन्धित आवश्यक सेवाओं जैसे खाना, दवाइयां इत्यादि लाने हेतु उपयोग में लिये जा रहे वाहन के लिए अनुमत होगा।
• अन्तर्राज्यीय एवं राज्य के अन्दर माल परिवहन करने वाले भार वाहनों के आवागमन, माल के लोडिंग एवं अनलोडिंग तथा उक्त कार्य हेतु नियोजित व्यक्ति अनुमत होंगे। राष्ट्रीय एवं राज्य मार्गों पर संचालित ढाबे एवं वाहन रिपेयर की दुकानें अनुमत होंगी।
• गर्भवती महिलाओं और रोगियों को चिकित्सकीय एवं स्वास्थ्य सेवाओं के परामर्श हेतु आवागमन की अनुमति होगी।
• टीकाकरण हेतु स्वयं के पंचायत समिति/नगर इकाई परिक्षेत्र में स्थित टीकाकरण स्थल पर जाने की अनुमति होगी, किन्तु साथ में रजिस्ट्रेशन संबंधी दस्तावेज एवं अपना पहचान-पत्र रखना अनिवार्य होगा।
• निर्धारित प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अभ्यर्थियों को प्रवेश-पत्र दिखाने पर परीक्षा केन्द्र पर आवागमन की अनुमति होगी।
• अन्त्येष्टि/अन्तिम संस्कार सम्बन्धी कार्यक्रम ः अनिवार्य रूप से फेस मास्क पहनने, सामाजिक दूरी एवं थर्मल स्क्रीनिंग, हैंडवॉश और सेनेटाईजर के प्रावधानों के साथ। अनुमत व्यक्तियों की संख्या 20 से अधिक नहीं होगी।
• मेडिकल व नर्सिंग महाविद्यालयों में अध्ययन चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार जारी रहेगा।
• अध्ययन एवं अध्यापन कार्य ऑनलाइन/डिस्टेंस लर्निंग माध्यम से जारी रहेेंगे एवं इन्हें प्रोत्साहित किया जायेगा।
• समाचार पत्र वितरण हेतु प्रातः 4 बजे से अनुमति होगी। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं प्रिन्ट मीडिया के कार्मिकों को परिचय पत्र के साथ आने-जाने की अनुमति होगी।
• दूरसंचार, इंटरनेट सेवाएं, डाक सेवाएं, कुरियर सुविधा, प्रसारण एवं केबल सेवाएं, आईटी एवं आईटी संबंधित सेवाऎं अनुमत होंगी।
• मेन्टीनेन्स सर्विस देने वाले यथा इलेक्ट्रीशियन, प्लम्बर, कारपेंटर, मोटर मैकेनिक, आई.टी. सर्विस प्रोवाइडर आदि के आवागमन पर रोक नहीं होगी। 
• ई-मित्र/आधार केन्द्र सेवाएं दोपहर 4 बजे तक अनुमत हाेंगी।
• एटीएम सेवाएं 24 घण्टे अनुमत होंगी एवं बैंकिंग, बीमा, माइक्रो फाइनेन्स इंस्टीट्यूशन (MFI)/NBFC की सेवाएं आमजन के लिए शाम 4 बजे तक अनुमत होंगी। जहां तक संभव हो, उक्त संस्थाओं द्वारा भी कम-से-कम कार्मिकों को कार्यस्थल पर अनुमत किया जाये एवं ई-बैंकिंग कार्यप्रणाली को प्रोत्साहित किया जाए।
• सेबी/स्टॉक एक्सचेंज से सम्बन्धित व्यक्ति पहचान-पत्र के साथ अनुमति होंगे।
• सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखते हुए ई-कॉमर्स के माध्यम से सभी प्रकार की वस्तुओंं की होम डिलीवरी अनुमत होगी।
• इंदिरा रसोई में भोजन बनाने एवं उसके वितरण का कार्य रात्रि 10 बजे तक कोविड गाइडलाइन के अनुसार अनुमत होगा।
• मनरेगा योजना एवं ग्रामीण विकास की अन्य योजनाओं में काम करने वाले श्रमिकों के संक्रमण से बचाव के लिए सोशल डिस्टेंसिंग तथा कोविड उपयुक्त व्यवहार की पालना करवाते हुए विस्तृत दिशा-निर्देश ग्रामीण विकास विभाग द्वारा जारी किए जाएंगे। • कोल्ड स्टोरेज एवं वेयर हाउसिंग सेवाएं अनुमत होंगी।
• निजी सुरक्षा सेवाओं की भी अनुमति होगी।
• सार्वजनिक उद्यान में भ्रमण के लिए प्रातः 5 बजे से प्रातः 8 बजे तक अनुमति होगी।
• सार्वजनिक परिवहन/माल ढुलाई वाहन/अत्यावश्यक सेवाओं में लगे वाहनों एवं सरकारी वाहनों के लिए पेट्रोल/डीजल पम्प, सीएनजी, पेट्रोलियम एवं गैस से संबंधित खुदरा (रिटेल)/थोक (होलसेल) आउटलेट पूर्व की भांति खोलने की अनुमति होगी। निजी वाहनों में पेट्रोल/डीजल प्रातः 5 बजे से सायं 5 बजे तक भरवाया जा सकेगा।• एलपीजी वितरण सेवाएं ग्राहकों के लिए अनुमत होंगी।
• समस्त उद्योग एवं निर्माण से सम्बन्धित इकाइयों में कार्य करने की अनुमति होगी, ताकि श्रमिक वर्ग का पलायन रोका जा सके। 
• पूर्व की भांति उद्योग/निर्माण इकाई द्वारा अपने सम्बन्धित कार्मिक/श्रमिक के आवागमन हेतु ऑनलाइन वेब पोर्टल https://covidinfo.rajasthan.gov.in –> e-Intimation by Industries के माध्यम से self generate कर आईडी/One Hour Transit Pass (मूल/हार्ड कॉपी) उद्योग/निर्माण इकाई द्वारा अधिकृत व्यक्ति के हस्ताक्षर मय सील सभी कार्मिकों/श्रमिकों को उपलब्ध कराया जा सकता है। 
• सरकार द्वारा अनुमत राजस्व अर्जन गतिविधियां यथा खनन, पंजीयन एवं मुद्रांक तथा आबकारी दुकानें आदि वित्त विभाग द्वारा अलग से जारी दिशा-निर्देश अनुसार अनुमत होंगी।
• कृषि आदान एवं कृषि उपकरणों की दुकानें एवं इनके परिसर, मण्डियां, फल एवं सब्जियों तथा फूल माला की दुकानें, स्ट्रीट वेण्डर, थड़ी, रेहड़ी एवं ठेलों द्वारा अन्य वस्तुओं एवं सामग्री का विक्रय तथा ऑप्टिकल्स संबंधी दुकानें प्रतिदिन प्रातः 6 से सायं 4 बजे तक अनुमत होंगी।
• सब्जियों एवं फलों का ठेले, साइकिल, रिक्शा, ऑटो-रिक्शा तथा मोबाइल वेन के माध्यम से विक्रय प्रतिदिन प्रातः 6 से सायं 5 बजे तक किया जा सकेगा। 
• डेयरी एवं दूध की दुकानें प्रतिदिन सुबह 6 से 11 बजे तथा शाम 5 बजे से 7 बजे तक अनुमत होंगी। 
• सभी प्रकार के खाद्य पदार्थ, किराना, पशु चारा एवं आटा चक्की से संबंधित होलसेल एवं रिटेल की दुकानें सोमवार से शुक्रवार प्रातः 6 बजे से सायं 4 बजे तक खुल सकेंगे। 
• अन्य दुकानें एवं व्यावसायिक प्रतिष्ठान भी सोमवार से शुक्रवार प्रातः 6 बजे से सायं 4 बजे तक खुल सकेंगे।
• राशन की दुकानें बिना किसी अवकाश के खुली रहेंगी। 
• फार्मास्यूटिकल्स, दवाएं एवं चिकित्सकीय उपकरणों से सम्बन्धित दुकानों को खोलने की अनुमति होगी। दवाइयों की भी होम डिलीवरी को प्रोत्साहित किया जाए, जिससे संक्रमण पर नियंत्रण रखा जा सके।
• प्रोसेस्ड फूड, मिठाई, बेकरी आदि दुकानें और रेस्टोरेंट्स सोमवार से शुक्रवार प्रातः 6 बजे से सायं 4 बजे तक खुल सकेंगे। इनमें बैठाकर खाने की अनुमति नहीं होगी। इस दौरान केवल टेक-अवे की सुविधा होगी। इन प्रतिष्ठानों से होम डिलिवरी की सुविधा रात्रि 10 बजे तक अनुमत होगी। 
• मंडियों में फसलों की आवक तथा समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद-बेचान की गतिविधियां कोविड प्रोटोकॉल की पालना के साथ अनुमत होगी। किसानों के मंडी पहुंचने एवं वापस आने के अलावा मंडी परिसर के बाहर आवागमन प्रतिबंधित होगा। किसानों को मंडी जाते समय अपने माल का सत्यापन एवं वापस जाते समय बिक्री की रसीदें या बिल का सत्यापन करवाना होगा।
• ऎसे बाजार, जहां केवल बड़े-बड़े कॉम्पलेक्स हैं, लेकिन वातानुकूलित नहीं हैं, उनमें स्थित दुकानें अथवा व्यवसायिक प्रतिष्ठान, भवन की मंंजिलाें के अनुसार खुलेंगे। जैसे पहले दिन बेसमेंट एवं प्रथम फ्लोर की दुकानें तथा उसके अगले दिन ग्राउण्ड फ्लोर एवं द्वितीय फ्लोर पर स्थित दुकानें, एक छोड़कर एक (Alternate) खोली जा सकेंगी। • बाजारोंं एवं व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को खोले जाने के लिए समस्त जिला कलक्टर एवं पुलिस आयुक्त अपने-अपने जिलों में व्यापारिक संगठनों एवं स्थानीय लोगों को सम्मिलित करते हुए जन अनुशासन कमेटी में विचार-विमर्श कर वैकल्पिक (Alternate) व्यवस्था/ डी-कन्जक्शन प्लान तैयार करेंगे।
बाजारों एवं अन्य व्यवसायिक गतिविधियों को खोलने के लिए दिशनिर्देश ः-
शहरी क्षेत्रः-
• संयुक्त प्रवर्तन दलों (JETs) में संबंधित क्षेत्राधिकार वाले वाणिज्य कर विभाग, पुलिस एवं नगर निकाय के अधिकारियों को सम्मिलित किया जाए। ये दल जन अनुशासन कमेटी में व्यापार संघों के साथ विचार-विमर्श कर बाजारों को खोलने के पश्चात् प्रतिदिन कोविड प्रोटोकॉल की पालना एवं भीड़-भाड़ पर निगरानी रखेंगे। यदि वर्तमान में किसी क्षेत्र में संयुक्त प्रवर्तन दल गठित नहीं हो, तो गठित किया जाए।
• यदि व्यापक स्तर पर कोविड प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया गया तो, उक्त बाजार सात दिवस के लिए पूर्ण रूप से बंद किया जा सकता हैै।
ग्रामीण क्षेत्रः-
• ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित तहसील, उपखण्ड एवं पंचायत समिति मुख्यालय के बाजार एवं व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के लिए शहरी क्षेत्रों की व्यवस्था के अनुरूप ही कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी।
• शेष ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम पंचायत स्तर पर गठित कोर ग्रुप स्थानीय व्यापार संघ प्रतिनिधियों को सम्मिलित करते हुए जन अनुशासन कमेटी में बाजारों की स्थिति को ध्यान में रखते हुए कोविड प्रोटोकॉल लागू करें। यदि किसी दुकानदार द्वारा उक्त प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया जाता है तो सख्त कार्यवाही की जाएगी।

सभी को बताएं पूरी गाइडलाइन और ज्यादा से ज्यादा शेयर करें

रविवार, 6 जून 2021

कुंज माहेश्वरी Jodhpur Rajasthan - महेश नवमी 2021

जय श्री कृष्णा 
जय महेश
मैं कुंज माहेश्वरी 
Jodhpur Rajasthan
age - 8 वर्ष

 #COVID19 

#maheshwari 

#kunjmaheshwari
pls like my song on covid19 
महेश नवमी 2021

प्राकृतिक कपूर और कृत्रिम कपूर - Cinnamomum camphora

 कपूर हमारे घर और मंदिर में भगवान् की आरती में प्रयोग होता है.
इसके अतिरिक्त कपूर (Camphor) आयुर्वेदिक दवाओ, तेलों, सुगंध, कीड़े-मकोडो को दूर रखने में भी प्रयोग किया जाता है. 



कपूर (संस्कृत : कर्पूर) उड़नशील वानस्पतिक द्रव्य है। यह श्वेत रंग का मोम जैसा पदार्थ है। इसमे एक तीखी गंध होती है। कपूर को संस्कृत में कर्पूर, फारसी में काफ़ूर और अंग्रेजी में कैंफ़र कहते हैं।Formula = C10H16O

कपूर उत्तम वातहर, दीपक और पूतिहर होता है। त्वचा और फुफ्फुस के द्वारा उत्सर्जित होने के कारण यह स्वेदजनक और कफघ्न होता है। न्यूनाधिक मात्रा में इसकी क्रिया भिन्न-भिन्न होती है। साधारण औषधीय मात्रा में इससे प्रारंभ में सर्वाधिक उत्तेजन, विशेषत: हृदय, श्वसन तथा मस्तिष्क, में होता है। पीछे उसके अवसादन, वेदनास्थापन और संकोच-विकास-प्रतिबंधक गुण देखने में आते हैं। अधिक मात्रा में यह दाहजनक और मादक विष हो जाता है।

  प्राकृतिक और कृत्रिम कपूर में क्या अंतर है?
  

कपूर दो प्रकार के होते है. एक प्राकृतिक जो कि कपूर के पेड़ से मिलता है और दूसरा कृत्रिम केमिकल कपूर जो सामान्यतः बाज़ार में मिलता है. कपूर के वृक्ष का वानस्पतिक नाम Cinnamomum camphora (सिनामोमम कैम्फोरा) है.कपूर का पेड़ मुख्यतः चीन में पाया जाता था जहाँ से यह ताइवान, जापान, कोरिया, वियतनाम और दुनिया के बाकी देशों में पहुंचा. इस वृक्ष पर चमकदार, चिकने पत्ते पाए जाते हैं जिनको मसलने पर कपूर की खुशबु आती है.वसंत मौसम में इस वृक्ष पर सफ़ेद रंग के छोटे-छोटे फूल गुच्छों में लगते है. भारत में कपूर देहरादून, मैसूर, सहारनपुर, नीलगिरी में पैदा होता है. भारत में कपूर केवल पत्तियों के आसवन से ही प्राप्त किया जाता है.प्राकृतिक कपूर देसी कपूर, भीमसेनी कपूर, जापानी कपूर के नाम से जाना जाता है. देसी कपूर पानी में डालने पर नीचे बैठ जाता है.दक्षिण भारत के कुछ भोज्य पदार्थों में कपूर का उपयोग किया जाता है.

कपूर तीन विभिन्न वर्गों की वनस्पति से प्राप्त होता है। इसीलिए यह तीन प्रकार का होता है :

(1) चीनी अथवा जापानी कपूर,

(2) भीमसेनी अथवा बरास कपूर,

(3) हिंदुस्तानी अथवा पत्रीकपूर।

उपर्युक्त तीनों प्रकार के कपूर के अतिरिक्त आजकल संश्लिष्ट (synthesized) कपूर भी तैयार किया जाता है।

जापानी कपूर

यह एक वृक्ष से प्राप्त किया जाता है जिससे सिनामोमस कैफ़ोरा (Cinnamomum camphora) कहते हैं। यह लॉरेसी (Lauraceae) कुल का सदस्य है। यह वृक्ष चीन, जापान तथा फ़ारमोसा में पाया जाता है, परंतु कपूर के उत्पादन के लिए अथवा बागों की शोभा के लिए अन्य देशों में भी उगाया जाता है। भारत में यह देहरादून, सहारनपुर, नीलगिरि तथा मैसूर आदि में पैदा किया जाता है। भारतीय कर्पूर वृक्ष छोटे, उनकी पत्तियाँ ढाई से 4 इंच लंबी, आधार से कुछ ऊपर तीन मुख्य शिराओं से युक्त, आधारपृष्ठ पर किंचित्‌ श्वेताभ, लंबाग्र और मसलने पर कर्पूरतुल्य गंधवाली होती हैं। पुष्प श्वेताभ, सौरभयुक्त और सशाख मंजरियों में निकलते हैं।

जापानी कपूर- जापान आदि में लगभग 50 वर्ष पुराने वृक्षों के काष्ठ आसवन (distillation) से कपूर प्राप्त किया जाता है। किंतु भारत में यह पत्तियों से ही प्राप्त किया जाता है। कपूर के पौधों से बार-बार पत्तियाँ तोड़ी जाती हैं, इसलिए वे झाड़ियों के रूप में ही बने रहते हैं। इस जाति के कई भेद ऐसे भी हैं जो साधारण दृष्टि से देखने पर सर्वथा समान लगते हैं, परंतु इनमें कपूर से भिन्न केवल यूकालिप्टस आदि गंधवाले तेल होते हैं, जिनका आभास मसली हुई पत्तियों की गंध से मिल जाता है। कपूरयुक्त भेदों के सर्वांग में तेलयुक्त केशिकाएँ होती हैं जिनमें पीले रंग का तेल उत्पन्न होता है। इससे धीरे-धीरे पूथक्‌ होकर कपूर जमा होता है।

भीमसेनी कपूर

जिस पौधे से यह प्राप्त होता है उसे ड्रायोबैलानॉप्स ऐरोमैटिका (Dryobalanops aromatica) कहते हैं। यह डिप्टरोकार्पेसिई (Deipterocarpaceae) कुल का सदस्य है जो सुमात्रा तथा बोर्निओ आदि में स्वत: उत्पन्न होता है। इस वृक्ष के काष्ठ में जहाँ पाले होते हैं अथवा चीरे पड़े रहते हैं वहीं कपूर पाया जाता है। यह श्वेत एवं अर्धपारदर्शक टुकड़ों में विद्यमान रहता है और खुरचकर काष्ठ से निकाला जाता है। इसलिए इसे अपक्व और जापानी कपूर को पक्व कर्पूर कहा गया हे। यह अनेक बातों में जापानी कपूर से सादृश्य रखता है और उसी के समान चिकित्सा तथा गंधी व्यवसाय में इसका उपयोग होता है। इसकी मुख्य विशेषता यह है कि यह पानी में डालने पर नीचे बैठ जाता है। आयुर्वेदीय चिकित्सा में यह अधिक गुणवान भी माना गया है। आजकल भीमसेनी कपूर के नाम पर बाजार में प्राय: कृत्रिम कपूर ही मिलता है, अत: जापानी कपूर का उपयोग ही श्रेयस्कर है।

पत्री कपूर

भारत में कंपोज़िटी (Compositae) कुल की कुकरौंधा प्रजातियों (Blumea species) से प्राप्त किया जाता है, जो पर्णप्रधान शाक जाति की वनस्पतियाँ होती हैं। 

आजकल बाजार मे जो कपूर उपलब्ध है, भले वह टिकिया वाला हो या डल्ले वाला उसमे करीब 99% कपूर पैट्रोलियम से संस्लेषण द्वारा प्राप्त कपूर, अर्थात नकली कपूर ही होता है।

देशी कपूर, जिसे भीमसेनी कपूर भी कहते हैं, अब बडी कठिनाई से मिलता है।

वह एक पेड से निकाला जाता है, व बहुत महंगा होता है।

जिस पेड से यह प्राप्त होता है उसे ड्रायोबैलानॉप्स ऐरोमैटिका (Dryobalanops aromatica) कहते हैं। यह डिप्टरोकार्पेसिई (Deipterocarpaceae) कुल का सदस्य है जो सुमात्रा तथा बोर्नियो आदि में स्वत: उत्पन्न होता है। इस वृक्ष के काष्ठ में जहाँ पाले होते हैं अथवा चीरे पड़े रहते हैं वहीं कपूर पाया जाता है। यह श्वेत एवं अर्धपारदर्शक टुकड़ों में विद्यमान रहता है और खुरचकर काष्ठ से निकाला जाता है।

वातावरण में से नकारात्मकता को नष्ट कर सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण करता है और पूरा वातावरण पवित्र और सुगन्धित हो जाता है।
 

इसके कई चिकित्सीय लाभ भी हैं, इसी कारण आयुर्वेदिक उपचारों में भी इसका इस्तेमाल होता है.

  कपूर के फायदे:  

   आयुर्वेद के अनुसार कपूर कफ-दोष नाशक और कोलेस्ट्रोल लेवल को कम करने मददगार होती है.– आयुर्वेद के अनुसार बालों के लिए कपूर डला तेल अच्छा माना गया है. देसी कपूर नारियल तेल में डालकर लगाने से बाल मजबूत, घने होते हैं.  

कपूर को सूंघने से हमारे मस्तिष्क में लेकवस नामक रसायन अधिक सक्रिय हो जाता है जिसका खास उपयोग निर्णय क्षमता के लिए होता है।

कपूर को सूंघने से हमारे नाक के अंदर अगर सूंघने की क्षमता कम हो गयी हो तो वो बढ़ जाती है।

घर में कपूर जलाने से ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाती है। 

पेटदर्द या गैस व जलन होने पर कपूर, अजवायन व पुदीने को शर्बत में मिलाकर पीने से आराम मिलता है.

नाभि में कपूर लगाने से शरीर का रक्तसंचार सही रूप से कार्य करने लग जाता है और पेट सम्बंधित बहुत सारी बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकता है लेकिन ये आप वैद्यकीय सलाहनुसार करें तो उचित रहेगा।

दांत में हुए गड्ढे यानी कैविटी में कपूर रखने से दांत का दर्द कम हो जाता है.

दिल की कमज़ोरी की वजह से घबराहट होने पर थोड़ा-सा कपूर खाएं, इससे नाड़ी की गति बढ़ जाती है और घबराहट मिट जाती है.

हैजा होने पर कपूर का अर्क लेने से लाभ होता है.

बिच्छू काटने पर कपूर को सिरके में पीसकर दंश पर लगाने से बिच्छू का विष उतर जाता है.

बाल टूट व गिर रहे हों या फिर बालों में रूसी हो, तो नारियल के तेल में कपूर का तेल मिलाकर लगाने से लाभ होता है.

नकसीर फूटने या नाक से ख़ून निकलने पर गुलाबजल में कपूर पीसकर नाक में टपकाने से नाक से ख़ून गिरना बंद हो जाता है.

10 ग्राम कपूर, 10 ग्राम स़फेद कत्था, 5 ग्राम मटिया सिंदूर- तीनों को एक साथ मिलाकर 100 ग्राम घी के साथ कांसे की थाली में हाथ की हथेली से ख़ूब मलकर ठंडे पानी से धोकर रख लें. इसे घाव, गर्मी के छाले, खुजली और सड़े हुए घाव पर लगाने से शीघ्र लाभ होता है.

काली खांसी होने पर कपूर की धूनी सूंघने से लाभ होता है. पुरानी खांसी में कपूर व मुलहठी को मुंह में रखकर चूसने से राहत मिलती है.

हमारी eye brow मतलब भौहें उनके ऊपर सेक देने से धीरे धीरे चश्मे के नम्बर कम होने लगते हैं।

कपूर का उपयोग जलाने से ज्यादा उसे Evaporate  करने में करें। अधिक मात्रा में कपूर जलाने से आंखों में जलन होकर आंखों को नुकसान भी हो सकता है।

कपूर के साथ अजवाइन मिला के रुमाल में गर्म करके गले को सेका जाए और सुंगध ली जाए तो गले की बीमारियों में आराम मिलता है और बन्द गला खुल जाता है। 

नाक बंद होने की स्थिति में कपूर की पोटली सूंघने से नाक खुल जाएगी.

खुजली होने पर कपूर को चमेली के तेल में मिलाकर उसमें नींबू के रस की कुछ बूंदें मिलाकर शरीर पर मलने से खुजली तुरंत मिट जाती है.

कपूर जलाने से मक्खियां-मच्छर भाग जाते हैं. कपड़ों में रखने से कपड़ों में से कीटाणु नष्ट हो जाते हैं और कपड़ों में से अच्छी सुगंध आती है।


घर में कपूर के नियमित प्रयोग से मच्छर, कोकरोज ,चूहे और छिपकली भी भाग जाते हैं।

ज्यादा तंबाकू खाने या ग़लती से तंबाकूवाला पान खा लेने पर चक्कर आता है, ऐसी स्थिति में जी मिचलाता हो, तो कपूर की एक छोटी डली खाने से तुरंत आराम मिलता है.

गद्दों व तकियों में कपूर रख देने से खटमल भाग जाते हैं.

चेचक व खसरे के दाने सूख जाने पर नारियल के तेल में कपूर मिलाकर लगाने से ठंडक मिलती है और खुजलाहट भी दूर होती है.

1-1 टीस्पून कपूर और हींग पीसकर गोली बनाकर दमे (अस्थमा) के मरीज़ को दौरे के समय 2-2 घंटे पर देने से दमा का दौरा रुक जाता है.े से लाभ होता है.

कपूर और अफीम को राई के तेल में मिलाकर मालिश करने से गठिया रोग दूर हो जाता है.

न्यूमोनिया हो जाने पर तारपीन के तेल में कपूर मिलाकर मरीज़ की छाती पर मलने से शीघ्र आराम मिलता है.

तनाव, सिरदर्द, डिप्रेशन आदि में सिर पर कपूर के तेल की मालिश करने से आराम मिलता है, क्योंकि कपूर की ख़ुशबू मस्तिष्क की नसों को आराम पहुंचाती है.

तिल के तेल में कपूर डालकर हल्का सा गर्म करके जहां भी संधि वा (joint pain) हो वहाँ हल्के हाथ से मालिश करने से उस दर्द में तुतंत आराम मिलता है वह खाने की परहेजी के साथ यह दर्द खत्म भी हो जाता है।

खोरा(Dandruff) की समस्या जिनको हो वो नींबू रस व तिल/ नारियल के तेल में कपूर डालकर बालों की जड़ों में मालिश करें तो इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।

कपूर को सरसों(राई) के तेल में डालकर पैर के तलवों को मालिश करने से थकान दूर होती है
चेहरे की डेड स्किन को दूर करने के लिए थोड़े-से दूध में कपूर पाउडर मिलाकर रूई से चेहरे पर लगाएं. थोड़ी देर बाद चेहरा धो लें.

बवासीर की समस्या में केले में चने बराबर प्राकृतिक कपूर रखकर खाने से लाभ होता है.

पैर की फटी एड़ियों की समस्या होने पर गरम पानी में कपूर मिलाकर उसमें कुछ देर पैर डुबोकर रखें.

घाव-चोट लगने, खरोंच होने या फिर जलने पर कपूर लगाने से जलन की तकलीफ़ कम होती है. साथ ही पानी में कपूर घोलकर घाव पर लगाने से जलन कम होती है और ठंडक भी मिलती है.


– चने के बराबर कपूर  केला के बीच में रखकर खाने से बवासीर रोग में लाभ होता है.

– कपूर तेल में मिलाकर सीने पर मालिश करने बंद नाक और कफ और जकड़न से रहत दिलाता है.– कपूर मिला तेल आर्थराइटिस और मांसपेशियों के दर्द में मालिश करने से राहत देता है.

– कपूर मुख की दुर्गन्ध दूर करने, दांत-दर्द में, पेट के कृमि का नाश करने में लाभदायक है.

देसी कपूर वृक्ष के पत्ती, छाल और लकड़ी से आसवन विधि द्वारा सफ़ेद रंग के क्रिस्टल के रूप में प्राप्त किया जाता है.कृत्रिम कपूर तारपीन के तेल को बहुत सी केमिकल प्रक्रियाएं करने के बाद प्राप्त होता है. इसका रासायनिक फार्मूला C10H16O है .

नकली कपूर पानी में अघुलनशील और अल्कोहल में घुलनशील होता है.केमिकल कपूर बहुत से कारखानों में प्रयोग किया जाता है. यह पालीविनायल क्लोराइड, सेलूलोस नाइट्रेट, पेंट, धुवां-रहित बारूद और कुछ खास प्रकार के प्लास्टिक, कफ-सीरप आदि के उत्पादन में प्रयोग किया जाता है.

कपूर को गर्म पानी में डालकर बफारा लेने से सर्दी,जुकाम में बहुत आराम मिलता है और शुरुआती लक्षण हो तो ठीक भी हो जाता है।

बच्चों के सिर,नाक,छाती पर कपूर लगा सकते हैं लेकिन सावधानीपूर्वक। बच्चे की आयु का विशेष ध्यान रखते हुए मात्रा कम अधिक करें। 

कपूर के नुकसान

 छोटे बच्चों को कपूर से दूर रखें, ये उनके लिए जानलेवा हो सकता है. कपूर के ज्यादा इस्तेमाल से त्वचा की समस्याएँ जैसे Eczema (एक्जिमा), रैशेज, होंठों का सूखापन हो सकता है. इसके अतिरिक्त नर्वस सिस्टम, पाचन तंत्र, किडनी, सांस लेने सम्बन्धी समस्याएँ हो सकती हैं.

– गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को भी कपूर के इस्तेमाल से दूर ही रहना चाहिए. कपूर का अधिक मात्रा में सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है अतः इसका प्रयोग किसी अनुभवी डॉक्टर, आयुर्वेदाचार्य के निर्देश में ही करें.


Jai shree krishna

Thanks & Regards,
कैलाश चन्द्र लढा(भीलवाड़ा)

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शनिवार, 5 जून 2021

चालीस साल से कोलेस्ट्रोल के नाम पर दुनिया को धोखा दिया जा रहा था

चालीस साल से कोलेस्ट्रोल के नाम पर दुनिया को धोखा दिया जा रहा था। अमेरिकी डाक्टरों, वैज्ञानिकों और ड्रग कंपनियों के गठजोड़ ने 1970 से अब तक कोलेस्ट्रोल कम करने की दवाएं बेच-बेच कर 1.5 खरब डालर डकार लिए।
 
बेहिचक इसे कोलेस्ट्रोल महाघोटाला कहा जाए तो कोई हर्ज नहीं। पेथलेबों में इसकी जांच का धंधा भी खूब चमका। डाक्टरों और ड्रगिस्ट की भी चांदी हुई। पता नहीं अनेक लोगों ने कोलेस्ट्रोल फोबिया के कारण ही दम तोड़ दिया होगा। कोलेस्ट्रोल घटाने वाली दवाओं के दुष्प्रभाव से ना मालूम कितने लोगों के शरीर में नई-नई विकृतियों ने जन्म लिया होगा। 

बहरहाल अब अमेरिकी चिकित्सा विभाग ने पलटी मार ली है। कोलेस्ट्रोल के कारण जिन खाद्य वस्तुओं को निषेध सूची में डाला गया था, उन्हें हटा लिया है। अब कहा जा रहा है कि कोलेस्ट्रोल सिर्फ कोलेस्ट्रोल है और यह अच्छा या बुरा नहीं होता। यह मानव शरीर के लिए आवश्यक है। नर्व सेल की कार्यप्रणाली और स्टेराइड हार्मोन के निर्माण जैसी गतिविधियों में इसकी जरूरत होती है। हम जो भोजन लेते हैं उससे मात्र 15-20 फीसद कोलेस्ट्रोल की आपूर्ति होती है। जबकि हमें प्रतिदिन 950 मिलीग्राम की जरूरत होती है। शेष कोलेस्ट्रोल हमारे लिवर को बनाना पड़ता है। अगर हम कोलेस्ट्रोल वाला खाना नहीं खाएंगे, तो जाहिर है लिवर को ज्यादा मशक्कत करना पड़ेगी। जिनके शरीर में कोलेस्ट्रोल ज्यादा होता है, तो यह समझिए कि उनका लिवर ठीक ठाक काम कर रहा है। कोलेस्ट्रोल के नाम पर डाक्टर लोगों को नट्स, घी, मक्खन,आदि न खाने या कम खाने की सलाह देते रहे। असली घी को दुश्मन और घानी के तेलों को महादुश्मन बता कर रिफाइंड तेलों का कारोबार चमकाते रहे। अब तो रिफाइंड तेलों की पोल भी खुल चुकी है।

जबकि ये सब हमारे लिए आवश्यक हैं। यह थ्योरी भी दम तोड़ चूकी है कि कोलेस्ट्रोल धमनियों में जम जाता है, जिसके कारण ब्लाकेज होते हैं और दिल का दौरा पड़ता है। असल में ब्लाकेज का कारण केल्सीफिकेशन है। यही केल्सीफिकेशन गुर्दों और गाल ब्लडर में पथरी का कारण भी बनता है। अमेरिकी हार्ट स्पेशलिस्ट डा. स्टीवन निसेन के अनुसार चार दशकों से हम गलत मार्ग पर चल रहे थे। डा. चेरिस मास्टरजान के अनुसार अगर हम कोलेस्ट्रोल वाला आहार नहीं लेते तो शरीर को इसका निर्माण करना पड़ता है। 

एलोपैथी में थ्योरियां बार-बार बदलती हैं। जबकि हमारा आयुर्वेद हजारों साल से वात, पित्त और कफ के संतुलन को निरोगी काया का परिचायक मानता आ रहा है। इनका शरीर में असंतुलन ही रोगों को जन्म देता है। आयुर्वैद सिर्फ चिकित्सा प्रणाली नहीं सम्पूर्ण जीवनशैली सिखाता है। आज अधिकांश बीमारियों का कारण है गलत जीवन शैली और फास्टफुड जैसा आहार। अगर जीवनशैली में सुधार कर लिया जाए, प्रकृति से नजदीकियां कायम रखी जाएं और योग प्राणायाम का सहारा लिया जाए तो निरोगी जीवन की संभावना बढ़ जाएंगीं ....

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