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रविवार, 20 जून 2021

साइबर धोखाधड़ी के कारण वित्तीय नुकसान को रोकने के लिए राष्ट्रीय हेल्पलाइन

साइबर क्राइम और डिजिटली धोखाघड़ी से ऐसे बचे आप और शिकार हुए तो यू करे शिकायत


डिजिटल धोखाधड़ी से निपटने और डिजिटल पेमेंट को सुरक्षित बनाने के लिए गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने साइबर धोखाधड़ी के कारण वित्तीय नुकसान को रोकने के लिए राष्ट्रीय हेल्पलाइन 155260 और रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म का संचालन किया है. इस नंबर पर पीड़ित इंटरनेट बैंकिंग समेत ऑनलाइन फाइनेंस से संबंधित धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज करा सकते हैं.

हेल्पलाइन को 01 अप्रैल, 2021 को सॉफ्ट लॉन्च किया गया था. हेल्पलाइन नंबर 155260 और इसके रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म को गृह मंत्रालय के तहत भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) द्वारा चालू किया गया है. वर्तमान में इसका उपयोग सात राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (छत्तीसगढ़, दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश) द्वारा 155260 के साथ किया जा रहा है, जो देश की 35 प्रतिशत से अधिक आबादी को कवर करता है.

अपने सॉफ्ट लॉन्च के बाद से दो महीने के कम समय में ही इस हेल्पलाइन नंबर पर दर्ज किए गए शिकायतों के आधार पर 1.85 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी करने वाले सक्रिय साइबर ठगों के बड़े गिरोहों का पर्दाफाश हुआ है. वहीं दिल्ली और राजस्थान में जांच के दौरान कई खाते सीज किए गएं और 58 लाख रुपये और 53 लाख रुपये रिकवर किए गए.

ऐसे काम करता है सिस्टम

हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करते ही इसकी जानकारी संबंधित वित्तीय संस्थानों तक पहुंचा दी जाती हैं. यह फ्रॉड ट्रांजेक्शन टिकट जिस वित्तीय संस्थान से पैसा कटा (डेबिट हुआ) है और जिन वित्तीय संस्थान में गया (क्रेडिट हुआ) है. दोनों के डैशबोर्ड पर नजर आएगा. जिस बैंक/वॉलेट में टिकट दिया गया होता है. उसे फ्रॉड ट्रांजेक्शन की जानकारी के लिए जांच करनी होती है. इसके बाद ट्रांजेक्शन को टेम्पोरेरी ब्लॉक कर दिया जाता है.

साथ ही पीड़ित को एक एसएमएस भी भेजा जाता है, जिसमें कंप्लेन संख्या का उपयोग करके 24 घंटे के भीतर धोखाधड़ी का पूरा विवरण राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (https://cybercrime.gov.in/) पर जमा करने का निर्देश दिया जाता है.


गुरुवार, 17 जून 2021

चौरासी लाख योनियों के चक्र का शास्त्रों में वर्णन

चौरासी लाख योनियों के चक्र का शास्त्रों में वर्णन-
          
 ३० लाख बार वृक्ष योनि में जन्म होता है ।
इस योनि में सर्वाधिक कष्ट होता है ।
धूप ताप,आँधी, वर्षा आदि में बहुत शाखा तक टूट जाती हैं ।
शीतकाल में पतझड में सारे पत्ता पत्ता तक झड़ जाता है।लोग कुल्हाड़ी से काटते हैं ।

उसके बाद जलचर प्राणियों के रूप में ९ लाख बार जन्म होता 
है. हाथ और पैरों से रहित देह और मस्तक। सड़ा गला मांस  ही खाने को मिलता है. एक दूसरे का मास खाकर जीवन  रक्षा करते हैं।

उसके बाद कृमि योनि में १० लाख बार जन्म होता है। और फिर ११ लाख बार पक्षी योनि में जन्म होता है।वृक्ष ही आश्रय स्थान होते हैं। जोंक, कीड़-मकोड़े, सड़ा गला जो कुछ भी मिल जाय, वही खाकर उदरपूर्ति करना।
स्वयं भूखे रह कर संतान को खिलाते हैं और जब संतान उडना सीख जाती है  तब पीछे मुडकर भी नहीं देखती । काक और शकुनि का जन्म दीर्घायु होता है।

उसके बाद २० लाख बार पशु योनि,वहाँ भी अनेक प्रकार के कष्ट मिलते हैं।अपने से बडे हिंसक और बलवान् पशु सदा ही पीडा पहुँचाते रहते हैं। भय के कारण पर्वत कन्दराओं में छुपकर रहना। एक दूसरे को मारकर खा जाना । कोई केवल घास खाकर ही जीते हैं। किन्ही को  हल खीचना, गाडी खीचना आदि कष्ट साध्य कार्य करने पडते हैं । 
रोग शोक आदि होने पर  कुछ बता भी नहीं सकते।सदा मल मूत्रादि में ही रहना पडता है।
गौ का शरीर समस्त पशु योनियों में श्रेष्ठ एवं अंतिम माना गया है। तत्पश्चात् ४ लाख बार मानव योनि में जन्म होता है ।
इनमे सर्वप्रथम घोर अज्ञान से आच्छादित ,पशुतुल्य आहार -विहार,वनवासी वनमानुष का जन्म मिलता है।

उसके बाद पहाडी जनजाति के रूप में नागा,कूकी,संथाल आदि में उसके बाद वैदिक धर्मशून्य अधम कुल में ,पाप कर्म करना एवं मदिरा आदि निकृष्ट और निषिद्ध वस्तुओं का सेवन ही सर्वोपरि उसके बाद शूद्र कुल में जन्म होता है,
उसके बाद वैश्य कुल में,
फिर क्षत्रिय  और अंत में ब्राह्मणकुल में जन्म मिलता है,
और सबसे अंत में ब्राह्मणकुल में जन्म मिलता है। 
यह जन्म एक ही बार मिलता है ।
जो ब्रह्मज्ञान सम्पन्न है वही ब्राह्मण है।
अपने उद्धार के लिए वह आत्मज्ञान से परिपूर्ण हो जाता है ।
यदि इस दुर्लभ जन्म में भी ज्ञान नहीं प्राप्त कर लेता तो पुनः चौरासी लाख योनियों में घूमता रहता है।

भगवच्छरणागति के अलावा कोई और सरल उपाय नहीं है ।

यह मानव जीवन बहुत ही दुर्लभ है।
बहुत लम्बा सफर तय करके ही यहाँ तक पहुँचे हैं ।
अतः अपने मानव जीवन को सार्थक बनाइये, हरिजस गाइये।🙏🙏🙏

बन्द रहेंगे विद्यामंदिर खुली रहेंगी मधुशाला

*🥃🥃मधुशाला🥃🥃*

वर्तमान परिप्रेक्ष्य में रचनाकार ने कितना सटीक लिखा है -

 --------------------------------- 
*कोई मांग रहा था देशी,*
*और कोई फॉरेन  वाला।*
*वीर अनेकों टूट पड़े थे,*
*खुल चुकी थी मधुशाला।*

*शासन का आदेश हुआ था,*
*गदगद था ठेके वाला।*
*पहला ग्राहक देव रूप था,*
*अर्पित किया उसे माला।*

*भक्तों की लंबी थी कतारें,*
*भेद मिटा गोरा काला।*
*हिन्दू मुस्लिम साथ खड़े थे,*
*मेल कराती मधुशाला।*

*चालीस दिन की प्यास तेज थी,*
*देशी पर भी था ताला।*
*पहली बूंद के पाने भर से,*
*छलक उठा मय का प्याला।*

*गटक गया वो सारी बोतल,*
*तृप्त हुई अंतर उर की ज्वाला।*
*राग द्वेष सब भूल चुका था,*
*बाहर था वो अंदर वाला।*

*हंस के उसने गर्व से बोला,*
*देख ले ऐ ऊपर वाला।*
*मंदिर मस्जिद बंद हैं तेरे,*
*खुली हुई है मधुशाला।*

*पैर बिचारे झूम रहे थे,*
*आगे था सीवर नाला।*
*जलधारा में लीन हो गया,*
*जैसे ही पग को डाला।*

*दौड़े भागे लोग उठाने,*
*नाक मुंह सब था काला।*
*अपने दीवाने की हालत,*
*देख रही थी मधुशाला।*
🍷🍻🥂

*मंदिर-मस्जिद बंद कराकर ,*
*लटका विद्यालय पर ताला !*
*सरकारों को खूब भा रही ,*
*धन बरसाती मधुशाला !!* 😐

     *डिस्टेंसिंग की ऐसी तैसी ,*
     *लाकडाउन को धो डाला !*
     *भक्तों के व्याकुल हृदयों पर*
     *रस बरसाती मधुशाला ।।*😐

*बन्द रहेंगे  विद्यामंदिर,*
*खुली रहेंगी मधुशाला।*
*ये कैसे महामारी है ,*
*सोच रहा ऊपरवाला ।।*😐

यह केन्द्र और राज्य का जो सास-बहु का खेल चल रहा है

*बहुत सुंदर कहानी पढ़ेंगे तो बहुत आनंद आएगा*

दादा है दमदार!

दादा पोटली भरकर लड्डू, मठरी, कलाकंद पोते-पोतियों के लिये लेकर बेटे के घर आये। पोटली पुत्र वधू के हाथ में थमा दी। पोटली अब पुत्रवधू की सम्पत्ति हो गयी। बच्चों को एक-एक लड्डू पकड़ा दिया और कह दिया कि दादा इतना ही लाये थे। चार बातें और बना दी कि दादा दिखाते ज़्यादा है करते कुछ नहीं है! 

बच्चे बोले कि हमें तो लड्डू और खाने हैं। पुत्र वधू बोली कि मैं बना दूँगी। तुम अभी स्कूल जाओ, मैं पीछे से बना दूँगी। अब दादी के हाथ के लड्डू पुत्र वधू के बनाये हो गये। एक दिन दादा ने कहा कि बहू मैं कलाकंद भी लाया था, उसे निकालकर खत्म कर दो नहीं तो खराब हो जाएगा! 

पोटली बच्चों के सामने ही खुल गयी और दादा कितना लाया था, सभी के सामने सच आ गया। यह हमारे घरों में रोज़मर्रा की कहानी है। लेकिन यह कहानी केन्द्र और राज्य सरकारों के पास चले गयी है। 

केन्द्र रूपी दादा ने वेक्सीन भेजी, राज्य रूपी पुत्र वधू ने कहा कि मेरे कब्जे में रहेगी। घर मेरा है, मैं तय करूँगी कि किसको कितना देनी है। बहुत सारी बर्बाद कर दी गयी, बहुत को दबा लिया गया कि मंहगे भाव से बेचेंगे। 

मोदी ने एक दिन पोटली सबके सामने खोल दी। अब कहा कि यह कलाकंद है जो कुछ ही दिनों में समाप्त करनी पड़ेगी! 

कांग्रेसी राज्य के मुख्यमंत्री एक दूसरे की शक्ल देख रहे हैं कि ब्लेक में बेचना तो दूर, अब जल्दी से निपटाना भी पड़ेगा! 

हर शहर में रातों रात हर सेंटर पर वेक्सीन की बाढ़ आ गयी। जहाँ रोज यह कहा जा रहा था कि केन्द्र वेक्सीन दे नहीं रहा! मोदी ने विदेश में दे दी। अब दस दिन में लाखों वैक्सीन समाप्त करनी है। समाप्त नहीं कि तो आगे मिलेगी नहीं। 

यह केन्द्र और राज्य का जो सास-बहु का खेल चल रहा है, उसे समझना होगा। घर के बेटे को आँख खुली रखनी होगी। नहीं तो बेचारे दादा को बदनाम होते देर नहीं लगेगी लेकिन हमारे दादा है दमदार!

दो चार रोज खेल देखा दादा ने, बहु क्या-क्या गुल खिला रही है और बस सारी पोटली के अधिकार हाथ में ले लिये। बच्चे समझ गये हैं कि लड्डू दादा के हाथ के ही हैं। आस-पड़ोस तक बात जा पहुँची है कि दादा क्या-क्या लाये थे! 

*दमदार दादा को प्रणाम।*🙏🏻

सत्यानाश कर दिया लाइफ का मेडिकल माफिया ने

*सत्यानाश कर दिया लाइफ का*
*मेडिकल माफिया ने*
☺️☺️☺️☺️☺️☺️☺️😊☺️

*क्या आप इससे मुक्त होना चाहते हैं?*

मेडिकल माफिया की करतूतें ..... इससे पता चलती है कि इन्होंने :-

1.पहले सिगरेट को प्रमोट किया ।

2. फिर प्राणघातक  रिफाइंड को प्रमोट किया ।

3. सरसों के शुद्ध तेल और देशी घी का विरोध किया ।

4 .बच्चों के लिये अमृत समान देशी गाय के दूध और शहद के स्थान पर, कैंसर कारक जर्सी गाय के दूध और skimmed milk powder को प्रोमोट किया।

5. खिचड़ी के स्थान पर मैदा की 7 दिन पुरानी ब्रेड को प्रोमोट किया।

6. सेंधा नमक के स्थान पर समुद्री नमक को प्रोमोट किया।

7. गुड़ के स्थान पर 7 जहरीले केमिकल से बनी सफेद चीनी को प्रमोट किया।

क्या मेडिकल माफिया ने इन सबको आपकी भलाई के लिये प्रमोट किया ।

1. क्या किसी मेडिकल माफिया ने आपको बताया कि उच्च रक्तचाप (BP), URIC ACID और अन्य acid आदि की समस्या की जड़ चाय है ? जब चाय छोड़ दोगे तो 10 बड़ी बीमारियों - एसिडिटी, यूरिक एसिड, डायबिटीज, किडनी से सम्बंधित समस्याओं से पीछा भी छूट जाएगा । 

2. क्या किसी मेडिकल माफिया ने आपको मधुमेह ( शुगर) की जड़ गेहूँ के आटे (पैकेज्ड) के बारे में बताया ? इसे छोड़कर अगर आप ज्वार, बाजरा, जों, चन्ने का आटे के मिश्रित आटे जा प्रयोग करेंगे तो मधुमेह आपका पीछा छोड़ देगा ।

3. क्या किसी मेडिकल माफिया ने केमिकल युक्त चीनी के स्थान पर देशी खांड जिसमे कोई केमिकल नहीं पड़ता उसके बारे में बताया ?

4. क्या किसी मेडिकल माफिया ने फ्रिज के ठंडे पानी से होने वाले सिरदर्द के बारें में बताया ? ठंडा पानी छोड़ देंगे तो उसके बाद न केवल सिरदर्द से पीछा छूट जाएगा बल्कि हार्ट ब्लॉकेज की सम्भावना भी खत्म हो जाएगी।

5. क्या किसी मेडिकल माफिया ने हानिकारक विटामिन D के  स्थान पर धूपस्न्नान लेने की सलाह दी?

6. कैल्शियम की गोलियों जिससे कब्ज़ हो जाती है उसके स्थान पर चुने की गोलियों का सेवन की सलाह दी?

7. विटामिन c की गोलियों के स्थान पर खट्टे फल खाने की सलाह दी?

8. Zinc की गोलियों के स्थान पर प्रातः ताम्रपत्र में जल पीने की सलाह दी.

9. पेट से होने वाली 85% बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए क्या कभी ऊषापान की सलाह दी? उल्टे विज्ञापन देते हैं कि रात भर जे डर्टी कीटाणु?? वो भी एक बच्ची के मुंह से कहलवाते हैं, इमोशनल ब्लैकमेल???

मेरी राय में इन मेडिकल माफिया को, और जो डॉक्टर लुटेरे बनकर इसका प्रचार करते हैं, उन्हें फांसी पर लटका देना चाहिए क्योंकि ये सफेद कपड़ों में करोड़ों लोगों को मौत बांट रहे हैं। वरना जो सही डॉक्टर हैं, वो तो खुद अपने गम्भीर रोगों के उपचार के लिए आयुर्वेद व योग की शरण लेने में संकोच नहीं करते।

अगर मेडिकल माफिया या उनकी गैंग का डॉक्टर आपको सही सलाह देगा तो एक तो यह कमीशन से हाथ धो बैठगा दूसरा रोगी के धन से।

अब बताओ! 
या तो यह तथाकथित MEDICAL SCIENCE झूठी है या तुम्हारी नीयत में खोट है...

फैसला आपको करना है।

जयहिन्द 🙏🇮🇳🙏🌹🌹🌹

जन्मभूमि ट्रस्ट के सचिव श्री चम्पत राय बंसल

क्या ऐसे ही किसी ऐरे गैरे को विहिप का सर्वेसर्वा बना दिया जाएगा ? या फिर रामजन्मभूमि ट्रस्ट का महासचिव ? लो आज जानो कौन हैं चम्पत राय जी...

जन्मभूमि ट्रस्ट के सचिव श्री चम्पत राय बंसल 

1975 इँदिरा गाँधी द्वारा थोपे आपातकाल के समय बिजनौर के धामपुर स्थित आर एस एम कॉलेज में एक युवा प्रोफेसर चंपत राय, बच्चों को केमिस्ट्री पढ़ा रहे थे, तभी उन्हें गिरफ्तार करने वहां पुलिस पहुंची क्योंकि वह संघ से जुड़े थे। अपने छात्रों के बीच बेहद लोकप्रिय चंपत राय जानते थे कि उनके वहाँ गिरफ्तार होने पर क्या हो सकता है। पुलिस को भी अनुमान था कि छात्रों का कितना अधिक प्रतिरोध हो सकता है।

प्रोफ़ेसर चंपत राय ने पुलिस अधिकारियों से कहा, आप जाइये में बच्चों की क्लास खत्म कर थाने आ जाऊँगा। पुलिस वाले इस व्यक्ति के शब्दों के वजन को जानते थे अतः वे लौट गए।क्लास खत्म कर बच्चों को शांति से घर जाने के लिए कह कर प्रोफेसर चंपत राय घर पहुँचे, माता पिता के चरण छू आशीर्वाद लिया और लंबी जेल यात्रा के लिए थाने पहुंच गए।

18 महीने उत्तर प्रदेश की विभिन्न जेलों में बेहद कष्टकारी जीवन व्यतीत कर जब बाहर निकले तो इस दृढ़प्रतिज्ञ युवा के आत्मबल को संघ के सरसंघचालक श्री रज्जू भैया ने पहचाना और राममंदिर की लड़ाई के लिए अयोध्या को तैयार करने का जिम्मा उनके कंधों पर डाल दिया।

चंपत राय ने अपनी सरकारी नौकरी को लात मार दिया और राम काज में जुट गए। वे अवध के गाँव गाँव गये हर द्वार खटखटाया। स्थानीय स्तर पर ऐसी युवा फौज खड़ी की जो हर स्थिति से लड़ने को तत्पर थी। अयोध्या के हर गली कूँचे ने चंपत राय को पहचान लिया और हर गली कूंचे को उन्होंने भी पहचान लिया। उन्हें अवध का इतिहास, वर्तमान, भूगोल की ऐसी जानकारी हो गई कि उनके साथी उन्हें "अयोध्या की इनसाइक्लोपीडिया" उपनाम से बुलाने लगे।

बाबरी ध्वंस से पूर्व से ही चंपत राय जी ने राम मंदिर पर "डॉक्यूमेंटल एविडेंस" जुटाने प्रारम्भ किये। लाखों पेज के डॉक्यूमेंट पढ़े और सहेजे, एक एक ग्रंथ पढ़ा और संभाला उनका घर इन कागजातों से भर गया, साथ ही हर जानकारी उंन्हे कंठस्थ भी हो गई। के. परासरण और अन्य साथी वकील जब जन्मभूमि की कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए मैदान में उतरे तो उन्हें अकाट्य सबूत देने वाले यही व्यक्ति थे।

6 दिसंबर 1992 को मंच से बड़े बड़े दिग्गज नेता कारसेवकों को अनुशासन का पाठ पढ़ा रहे थे। तमाम निर्देश दिए जा रहे थे। ढांचे को नुकसान न पहुचाने की कसमें दी जा रहीं थीं, उस समय चंपत राय जी मंच से कुछ दूर स्थानीय युवाओं के साथ थे। एक पत्रकार ने चंपत राय से पूछा "अब क्या होगा?" उन्होंने हँस कर उत्तर दिया "ये राम की वानर सेना है, सीटी की आवाज पर पी टी करने यहां नहीं आयी...ये जो करने आयी है करके ही जाएगी."

इतना कह उन्होंने एक बेलचा अपने हाथ में लिया और ढांचे की ओर बढ़ गये, फिर सिर्फ जय श्री राम का नारा गूंजा और... इतिहास रच गया। आदरणीय चंपत राय को यूं ही राम मंदिर ट्रस्ट का सचिव नहीं बना दिया गया है। उन्होंने रामलला के श्रीचरणों में अपना सम्पूर्ण जीवन अर्पित किया है। प्यार से उन्हें लोग "रामलला का पटवारी" भी कहते हैं। यह व्यक्ति सनातन का योद्धा है। कोई मुंह फाड़ बकवास करता कायर नहीं।

ढांचा ध्वंस के मुकदमों में कल्याण सिंह जी के बाद चंपत राय ने ही अदालत और जनसामान्य दोनों के सामने सदैव खुल कर उस घटना का दायित्व अपने ऊपर लिया है। चम्पत राय जी कह चुके हैं, जैसे ही राममंदिर का शिखर देख लेंगे युवा पीढ़ी को मथुरा की ज़िमेदारी निभाने को प्रेरित करने में जुट जाएंगे"।

चंपत राय जी धर्म की छोटी से छोटी चीजों का ध्यान रखने वाले तपस्वी और विद्वान हैं। एक बार वे किसी काम से काशी में किन्हीं के यहां रुके, तब रात्रि में देखा तो पाया कि बैड का डायरेक्शन कुछ ऐसा था कि सोते हुए पैर दक्षिण की तरफ हो जा रहे थे, उन्हें एक रात को भी यह स्वीकार नहीं था, रात में ही उन्होंने बैड का डायरेक्शन ठीक करवाया, तभी सोए। जो धोती कुर्ता पहनकर भारत का गाँव गाँव नापने वाला व्यक्ति अपने निजी जीवन में हिन्दू जीवनचर्या की छोटी छोटी बातों का हठ के साथ पालन करता है वह श्रीराममंदिर के संदर्भ में किस हद तक विचारशील और जुझारू होगा, समझा जा सकता है। 

हरामजादे तो हमेशा रामजादों की पूंछ में आग लगाने की कोशिश करते आए हैं, अंजाम तो उलट पलटि सब लंका जारी ही हुआ है..

जय श्री सियाराम!!!

ज्यादातर भारतीय, 50 की आयु आते-आते

*उम्र पचास कि खल्लास !*
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ज्यादातर भारतीय,  50 की आयु आते-आते अपना स्वास्थ्य खो बैठते हैं !
वे अपने शरीर की गाड़ी को इतना रफ़ चलाते हैं  कि आधे रास्ते में ही उनके रिंग, पिस्टन, प्लग, वॉल्व  सब घिस जाते हैं !
..क्योंकि इस गाड़ी का ड्राइवर महत्वाकांक्षा की शराब में धुत्त होता है !
उसका एक पैर नुमाइश के क्लच पर होता है,  और दूसरा,  प्रतिस्पर्धा के एक्सीलेटर पर  !!
..और दोनों एकसाथ दबे रहते हैं !
फिर वह एक ही गेयर पर  पूरी गाड़ी को  घसीटे रहता है !
बहुधा यह गेयर,  धन कमाने  या सामाजिक हैसियत प्राप्त करने का होता है !

स्वाभाविक है.. ऐसा चालक बहुत जल्दी गाड़ी को ख़राब कर देगा !
यही होता भी है !

*सौ में नब्बे भारतीय, पचास  की आयु* आते-आते बीमारियों का पैकेज़ लिए घूमते हैं !
और यह प्रक्रिया 35 से ही शुरू हो जाती है !

मुझे हैरानी होती है कि जब 30-35 ,उम्र के विवाहित युगल भी, ज्योतिष परामर्श के दौरान यह बताते हैँ कि अब लव लाईफ में कोई एक्साइटमेंट नही रहा !

90 फीसदी बॉयज कुंठित हैं कि 'वे' तैयार ही नही हो पाते.. अथवा चुटकियों में फ़ारिग हो जाते हैं !
कारण साफ है...भागमभाग की प्रतिस्पर्धी जीवन शैली.. शरीर से अपना शुल्क वसूल रही है !
बहुत कम उम्र में बी.पी. ,  शुगर,  मोटापा,  हार्ट डिज़ीज़  कॉमन बातें हो गई हैं !
इसके इतर,  ज्वाइंट्स पेन ,  थॉयरॉइड,  सर्वाइकल, टेंशन हेडेक,  हाइपर एसिडिटी,  अल्सर,  स्टमक अपसेट,  पाईल्स आदि  तो इतनी सामान्य बातें हो गई हैं.. कि इनकी तो गिनती ही रोग में नही की जाती !
...फिर body ache, स्टिफनेस,  मोटा चश्मा  तो श्वास-प्रश्वास की तरह सहज स्वीकार्य हैं  !

चूंकि बी.पी.,  शुगर,  हार्ट का पेशेंट सेक्सुअली काबिल नही रह जाता.. लिहाजा,  सेक्स लाईफ बिगड़ने से उसमें मानसिक अस्वास्थ्य के अन्य लक्षण  भी प्रकट होने लगते हैं.. मसलन - चिड़चिड़ापन,  आकस्मिक क्रोध,  बात बात पर हाइपर हो जाना ,  शंकालुपन,  दोषदर्शी होना..,  देश.., समाज हर  बात के प्रति नकार से भर उठना और इनफीरिआरिटी कॉम्प्लेक्स,  जिसका बाय प्रोडक्ट है.. सुपीरियरिटी कॉम्प्लेक्स !

फिज़िकल डिसऐबेलिटी,  उसके हर रस को मानसिक कर देती है !
लिहाजा उसका रस प्रेम से अधिक पैसे में हो जाता है,  रोमांस से अधिक संस्थान.  में,  और सेक्स से अधिक टेक्स में !
...क्योंकि उसे पता है कि  उसका मोटा पेट,  डबल चिन, पसरा चेहरा और बुझा शरीर.. किसी स्त्री के दिल में,  उसके लिये रोमांटिक प्रेमी का ख्वाब नही पैदा करने वाला !
..जिस स्त्री को पाने के लिए वह जवानी में पैसा या सामाजिक हैसियत जुटा रहा था....वह उसकी हैसियत से आकर्षित हो भी गई.. तो अब असली मैदान में उसका फीता ढीला पड़ने ही वाला है.. क्योंकि इस जुगत में वह  अपना शरीर गवा बैठा है !
यानि लक्ष्य सिद्ध होने तक  उद्देश्य  ही ढह जाता है  !
..फिर ऐसे पुरुष के साथ रहते रहते, भारतीय स्त्री तो  और  भी जल्दी, लगभग 40 आते -आते खत्म हो जाती है ! क्योंकि उसकी भी वही गत हो जाती है.. जो पुरुष की है.. यानि मोटापा और बहुत सी शारीरिक व्याधियों का पैकेज़ !
.. फिर उसके बाद का जीवन सिर्फ कटता ही है , जिया नही जाता !

फिर एक बात और है, जो 50 में रोगग्रस्त है.. वह एकाएक नही होता !
35-40 से ही उसके स्वास्थ्य में गिरावट प्रारम्भ हो जाती है !
देखा जाए तो भारतीय स्त्री /पुरुष , ठीक ठाक स्वास्थ्य में बहुत कम ही जी पाते हैं !
क्योंकि ठीक ठाक स्वास्थ्य,  महज़ शारीरिक मामला ही नही है ! 
स्वस्थ होने के लिए प्राण भी स्वस्थ होना ज़रूरी है, 
मानसिक स्वास्थ्य भी ज़रूरी है, 
भावनात्मक और सोशली स्वस्थ होना भी ज़रूरी है, 
अध्यात्मिक स्वास्थ्य तो बहुत दूर की बात है !

50 वह उम्र नही,  कि जहाँ तक आते आते शरीर को ख़राब कर लिया जाए !
उम्र का आना स्वाभाविक है,  रोग का आना स्वाभाविक नही है !

रोग हमारी वासना से पैदा होता है ! हमारी कमअक्ली, हमारी असजगता और जीवन के प्रति गलत दृष्टिकोण से पैदा होता है !!
और इसकी वजहें,  हमारे पूर्वाग्रह ग्रसित मानस और अहंजनित सामाजिक ताने बाने में छिपी हैं !

हमने जीवन की समस्त धाराओं को एकमुखी कर दिया है !
और वह है - धन या सामाजिक हैसियत की प्राप्ति !
हम प्रत्येक व्यक्ति का मूल्यांकन इन्हीं दो बिंदुओं के आधार पर करते हैं !
और हमें पता होता है कि हमारा मूल्यांकन भी इन्हीं दो बिंदुओं के आधार पर होने वाला है,  लिहाजा.., 
हम जीवन की सारी ऊर्जा और शक्ति इन्हीं की  प्राप्ति में झोंक देते हैं !
हम धन और हैसियत से इतर जीवन कभी देख ही नही पाते !

हम प्रेम नही कर पाते,  
क्योंकि हमें ख़तरा होता है कि जब तक हम प्रेम करेंगे.. दूसरा हमसे आगे निकल जाएगा !
फिर प्रेम आता भी है जीवन में,  तो उससे भी हम वस्तु संग्रहण की तरह बर्ताव करते हैं ! 
हम शीघ्र ही शादी कर उसे अपने शो केस में सजा लेते हैं... और किसी मैराथन धावक की तरह दो घूंट पानी गटक कर पुनः दौड़ में लग जाते हैं !
..और प्रेम वहीं छूट जाता है !

फिर ..यही बर्ताव हम कलात्मक संवेग या अज्ञात का  निमंत्रण आने पर भी करते हैं !
..हम उसे जीने के बजाए, उसे किसी भौतिक वस्तु की तरह संगृहीत कर लेना चाहते हैं !
और दिव्यता का वह क्षण हमारे हाथ से फिसल जाता है !

हम सारा क़ीमती गवाए जाते हैं और सारा मूल्यहीन जुटाए चले जाते हैं !
क्योंकि .. हम प्रदर्शनप्रिय लोग हैं और  हम जानते हैं कि प्रदर्शन सिर्फ भौतिक का किया जा सकता है.. अभौतिक का नही !!
..लिहाजा, हम अपनी 90 फीसदी ऊर्जा भौतिक के संग्रहण में झोंके रहते हैं !
..फिर इच्छाओं की यह ओवर लोडेड गाड़ी, 
पचास की उम्र आते आते,  किसी टर्निंग पर पलट ही जाती है !
अनेकों का तो इंजन ही सीज़ हो जाता है.. और वे पचास आते-आते खेत रहते हैं !

फिर कुछ ऐसे भी हैं, जो स्वास्थ्य के लिए भी थोड़ा वक़्त निकाल लेते हैं ! 
किंतु वह भी स्वास्थ्य के लिए कम,  स्वास्थ्य की नुमाइश के लिए अधिक होता है !
.. वे सुबह गार्डन चले जाते हैं  या शाम को जिम !
हेल्थी डायट  भी शुरू कर देते हैं 
किंतु,  कोई उपाय काम नही कर पाता !
हज़ार रख रखाव के बाद भी,  वे रोग की चपेट में आ ही जाते हैं !

कारण क्या है?? 
कारण है.. समग्र स्वास्थ्य पे दृष्टि न होना !
हमारे स्वास्थ्य के अनेक तल हैं !
प्रत्येक तल की एक -दूसरे पर अन्तःक्रिया है ! 
सभी तल अन्योनाश्रित हैं !
सच्चा स्वास्थ्य..,  
शरीर,  मन,  प्राण,  बुद्धि और शुद्ध चेतना का संतुलित संयोजन है !
.. एकांगी उपाय काम नही करता !

अच्छे स्वास्थ्य को,  अच्छे मनोभावों की दरकार है !
हमारे मस्तिष्क की प्रत्येक गतिविधि और हृदय की भावना,  हमारे प्राण को आंदोलित करती है !
क्रोध में प्राण,  सिकुड़ जाता  है,  प्रेम में प्राण  फैल जाता है !
तनाव में,  चिंता में,  ईर्ष्या,  द्वेष,  डाह  में  प्राण उत्तेजित हो जाता है,  श्वास  उथली हो जाती है !
लिहाजा  प्राण जल जाता है.. क्षय हो जाता है !
किंतु, 
सुकून में, निश्चिंतता में,  भरोसे में,  गहन विश्रांति में   प्राण  संग्रहित होता है.. विस्तारित होता है !

ख्याल रखें..
रनिंग, जिमिंग, और योगा सेशन से भी जो प्राण मिलता है... उसे हमारी  चिंतित, भयभीत और कुंठित  मनोदशा.. चुटकियों में चट  कर जाती है !

प्रेमपूर्ण मनोदशा,  चौबीस घंटे का प्राणायाम है !

हमारा स्वास्थ्य,  हमारे रूटीन और खानपान पर कम,  किंतु  हमारी  मनोदशा पर अधिक निर्भर है !

क्षमा करें, ये लेख बड़ा हुआ जा रहा है... चलिए इसे जल्दी समेट देता हूं !
कुल मिलाकर यह है कि, 
ज़रा होशपूर्वक जिएं !
ऐसा बदहवास न जिएं !
ऐसा भागमभाग न जिएं !
स्वभाव में जिएं.. दूसरे को दिखाने के लिए न जिएं !
आज जो लोग दिखाई दे रहे हैँ.. वे सभी एक दिन मर जाएंगे !
किसको दिखा के क्या कर लीजिएगा !
..नही चेत रहे थे.. तो ##कोरोना  ने और चेता दिया है !
जितना ग़लत खेलेंगे.. उतनी जल्दी आउट होंगे !
अगर पचास आते आते आप अपना स्वास्थ्य खो दिए.. तो  जानिए आप बहुत कम स्कोर पर बहुत अधिक विकेट गवा दिए !

वहीं, अगर आप सही तरह से जिएं.. तो जीवन का सही मज़ा 40 के बाद शुरू होता है.. क्योंकि तब तक आप अनेक अनुभवों से गुज़र कर रिफाइंड हो चुके होते हैं !

एशिया में सिर्फ भारत में ही कोरोना का हाहाकार क्यों है?क्योंकि

कभी सोचा है कि 
#एशिया में सिर्फ भारत में ही कोरोना का हाहाकार क्यों है?
क्योंकि
#ट्रंप की तरह मोदी झुक नही रहा है।

फार्मा- ऑयल - आर्म्स लॉबी ने 
कोरोना 
और 
#blacklivesmatter 
#जॉर्ज_फ्लोयड मुद्दों का मीडिया में भयानक उफान मचाकर ट्रंप को हराया।
क्योंकि
ट्रंप इन लॉबी के सामने खुलेआम आ खड़े हुए थे।
आज वही लोग मोदी के पीछे लगे है।
जानते है,,,,
क्यों?
क्योंकि,,,,
फार्मा कंपनियों का बिज़नेस कम से कम ४-६ ट्रिलियन डॉलर का है।

(सालाना आधार पर)
1. कम से कम 1.25 ट्रिलियन डॉलर का वैक्सीन बिज़नेस ज़ीरो कर दिया ।
#फार्मा_लॉबी.....

2. 500 बिलियन डॉलर का PPE kit और मास्क का बिजनेस लगभग ज़ीरो कर दिया।
#फार्मा_लॉबी.....

3. अगले २-३ सालो में भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के liyw 75000 से 100000 चार्जिंग स्टेशन बनाए जा रहे है जिससे तेल की खपत ३०% कम हो जाएगी।
#ऑयल_लॉबी.....

4.  भारत ने LCA लड़ाकू विमानों का व ब्रह्मोस मिसाइल का निर्यात चालू कर दिया है।
#आर्म_लॉबी....

मोदी उनकी राह में बहुत बड़ा कांटा है,...
उससे जनता के गुस्से से ही हराया जा सकता है..
एक और पहलू 
ज़्यादातर लोग अब असम और पश्चिम बंगाल के चुनावों में मोदी की रेलियाँ और प्रचार को लेकर ग़ुस्सा हो रहे है। किंतु 
उन्हें जिओ पॉलिटिक्स की समझ ही नहीं है।
पश्चिम बंगाल में 1.5 करोड़ बंगलादेशीयो और रोहिंग्या व असम में भी कई लाख घुसपेठिए मेहमान बनायें जा चुके है।
 (दीदी और गांधी ने सबके आधार भी बनवा दिए है) 
असम व बंगाल भारत के लिए कश्मीर की तरह, शायद उससे भी अति अति महत्वपूर्ण है।

गूगल पर “चिकन नेक” सर्च करिए।

“आप माने या ना माने पर भारत में चीनी कोरोना का दूसरा राउंड मोदी को हर मोर्चे पर विफल करने और देश में सिविल वोर करवाने के लिए ही लाया गया है।”

ग़ैर भाजपा सरकारों की मोदी सरकार के ख़िलाफ़ कोरोना की नीच राजनीति व मीडिया का 24x7 लाशें व ऑक्सिजन की कमी दिखाना इस षड्यंत्र का ही हिस्सा है।
थोड़े थोड़े अंतराल के बाद यह लड़ाई बहुत आगे तक जाने वाली है। 

#सारी_कायनात_जिसे_झुकाने_के_लिये_ऐड़ी_चोटी_का_जोर_लगा_रही_हो #वो_व्यक्ति_अवश्य_ही_एक्स्ट्रा_ऑर्डिनरी_होगा 
#अगर_अगली_पीढ़ी_को_ग़ुलाम_नहीं_बनाना_है_तो_हर_हाल_में_मोदी_का_साथ_देना_ही_होगा,👊🙋🙏

प्लाज्मा क्या है plazma

*प्लाज्मा क्या है?*
हमारे खून (blood) में चार प्रमुख चीजें होती हैं. डब्ल्यूबीसी, आरबीसी, प्लेटलेट्स और प्लाज्मा. आजकल किसी को भी होल ब्लड (चारों सहित) नहीं चढ़ाया जाता. बल्कि इन्हें अलग-अलग करके जिसे जिस चीज की ज़रूरत हो वो चढ़ाया जाता है. प्लाज्मा, खून में मौजूद 55 फीसदी से ज्यादा हल्के पीले रंग का पदार्थ होता है, जिसमें पानी, नमक और अन्य एंजाइम्स होते हैं. ऐसे में किसी भी स्वस्थ मरीज जिसमें एंटीबॉडीज़ विकसित हो चुकी हैं, का प्लाज़्मा निकालकर दूसरे व्यक्ति को चढ़ाना ही प्लाज्मा थेरेपी है.

*क्या सभी लोग प्लाज्मा दान कर सकते हैं?*
नहीं! जो लोग कोरोना होने के बाद ठीक हो चुके हैं. उनके अंदर एंटीबॉडीज विकसित हो चुकी हैं. सिर्फ वे ही लोग ठीक होने के 28 दिन बाद प्लाज्मा दान कर सकते हैं.

*प्लाज्मा देने वाले को क्या खतरे हो सकते हैं?*
प्लाज्मा देने वाले को कोई खतरा नहीं है. बल्कि यह रक्तदान से भी ज्यादा सरल और सुरक्षित है. प्लाज्मा दान करने में डर की कोई बात नहीं है. हीमोग्लोबिन भी नहीं गिरता. प्लाज्मा दान करने के बाद सिर्फ एक-दो गिलास पानी पीकर ही वापस पहली स्थिति में आ सकते हैं.

*रक्तदान और प्लाज्मा दान में क्या अंतर है?*
रक्तदान में आपके शरीर से पूरा खून लिया जाता है. जबकि प्लाज्मा में आपके खून से सिर्फ प्लाज्मा लिया जाता है और रेड ब्लड सेल्स, व्हाइट ब्लड सेल्स और प्लेटलेट्स वापस आपके शरीर में पहुंचाए जाते हैं. ऐसे में प्लाज्मा दान से शरीर पर कोई बहुत फर्क नहीं पड़ता.

*प्लाज्मा दान में कितना वक्त लगता है*
400 ML प्लाज्मा लेने में 30 से 45 मिनट लगते है

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 प्लाज़्मा डोनेट करे, डरे नही
करोना से मिलकर लड़े एक दूसरे की मदद के लिए आगे आए

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