*बहुत सुंदर कहानी पढ़ेंगे तो बहुत आनंद आएगा*
दादा है दमदार!
दादा पोटली भरकर लड्डू, मठरी, कलाकंद पोते-पोतियों के लिये लेकर बेटे के घर आये। पोटली पुत्र वधू के हाथ में थमा दी। पोटली अब पुत्रवधू की सम्पत्ति हो गयी। बच्चों को एक-एक लड्डू पकड़ा दिया और कह दिया कि दादा इतना ही लाये थे। चार बातें और बना दी कि दादा दिखाते ज़्यादा है करते कुछ नहीं है!
बच्चे बोले कि हमें तो लड्डू और खाने हैं। पुत्र वधू बोली कि मैं बना दूँगी। तुम अभी स्कूल जाओ, मैं पीछे से बना दूँगी। अब दादी के हाथ के लड्डू पुत्र वधू के बनाये हो गये। एक दिन दादा ने कहा कि बहू मैं कलाकंद भी लाया था, उसे निकालकर खत्म कर दो नहीं तो खराब हो जाएगा!
पोटली बच्चों के सामने ही खुल गयी और दादा कितना लाया था, सभी के सामने सच आ गया। यह हमारे घरों में रोज़मर्रा की कहानी है। लेकिन यह कहानी केन्द्र और राज्य सरकारों के पास चले गयी है।
केन्द्र रूपी दादा ने वेक्सीन भेजी, राज्य रूपी पुत्र वधू ने कहा कि मेरे कब्जे में रहेगी। घर मेरा है, मैं तय करूँगी कि किसको कितना देनी है। बहुत सारी बर्बाद कर दी गयी, बहुत को दबा लिया गया कि मंहगे भाव से बेचेंगे।
मोदी ने एक दिन पोटली सबके सामने खोल दी। अब कहा कि यह कलाकंद है जो कुछ ही दिनों में समाप्त करनी पड़ेगी!
कांग्रेसी राज्य के मुख्यमंत्री एक दूसरे की शक्ल देख रहे हैं कि ब्लेक में बेचना तो दूर, अब जल्दी से निपटाना भी पड़ेगा!
हर शहर में रातों रात हर सेंटर पर वेक्सीन की बाढ़ आ गयी। जहाँ रोज यह कहा जा रहा था कि केन्द्र वेक्सीन दे नहीं रहा! मोदी ने विदेश में दे दी। अब दस दिन में लाखों वैक्सीन समाप्त करनी है। समाप्त नहीं कि तो आगे मिलेगी नहीं।
यह केन्द्र और राज्य का जो सास-बहु का खेल चल रहा है, उसे समझना होगा। घर के बेटे को आँख खुली रखनी होगी। नहीं तो बेचारे दादा को बदनाम होते देर नहीं लगेगी लेकिन हमारे दादा है दमदार!
दो चार रोज खेल देखा दादा ने, बहु क्या-क्या गुल खिला रही है और बस सारी पोटली के अधिकार हाथ में ले लिये। बच्चे समझ गये हैं कि लड्डू दादा के हाथ के ही हैं। आस-पड़ोस तक बात जा पहुँची है कि दादा क्या-क्या लाये थे!
*दमदार दादा को प्रणाम।*🙏🏻
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