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रविवार, 1 अगस्त 2021

अग्निहोत्र विज्ञान पर जैविक जीवन शैली विज्ञान मिशन की अवधारणा


अग्निहोत्र विज्ञान पर जैविक जीवन शैली विज्ञान मिशन की अवधारणा

🌴⛳अग्निहोत्र ⛳🌴
****************
🙇सप्त ऊर्जा का प्रस्फुटन और पंचमहाभूतो का सृजन🙇

अग्निहोत्र हजारों वर्ष पुरानी हमारे ऋषि परम्परा द्वारा अविष्कृत एक पूर्ण वैज्ञानिक विधा है,मान्यता के अनुसार इस विज्ञान को भगवान महर्षि परसुराम ने खोजा है जो मध्यकाल के समय विलुप्त हो गया था जिसे सन्त स्वामी गजानन महाराज  की प्रेरणा से भोपाल के माधव स्वामी पोतदार जी ने महाशिवरात्रि के दिन 1967 ईस्वी को पुनः पुर्नजीवित किया है।

अग्निहोत्र के सशक्त प्रमाण हमारे वेदशास्त्रो,रामायण, महाभारत और श्रीमद्भागवत गीता में तो है,आधुनिक विज्ञान व इंटरनेट पर भी बहुत से वेबसाइस में भी उपलब्ध है,अब यह विश्व के हर देश में दिनोंदिन फैलती जा रही है।

अपना जैविक जीवन शैली विज्ञान की स्पष्ट मान्यता है कि
पदार्थ का सूक्ष्म स्वरूप रूप,रंग,गन्ध,स्वर और स्पर्श पंचमहाभूतो की सूक्ष्म ऊर्जा है।
ये ही पांचों सूक्ष्म ऊर्जा प्रकृति के हर कण(अणु-जीवाणु) का निर्माण करती है।

अग्निहोत्र के भस्म में प्रकृति को बनाने वाले सभी 108 अणु विधमान है,अपने जांच रिपोर्ट बहुत से अणु मिल चुके है और आज का विज्ञान जैसे जैसे विकसित होता जाएगा बाकी के अणु-परमाणु भी मिलते चले जायेंगे।

इसके भस्म से बहुत सी औषधी भी बना रहे है जिनके बनाने का  वर्णन "अग्निहोत्र : स्वास्थ्य क्रांति" पुस्तक में है।

मिशन की स्पष्ट मान्यता है कि अग्निहोत्र में अग्निहोत्र की आहुति डालते ही पात्र की अंदर के अलाव (धधकती आग) में परमाणु विखंडन की एक सूक्ष्म क्रिया होती है,परमाणुओं के टूटने से प्रकृति को बनाने वाली सात ऊर्जा क्रमशः शैलपुत्री, ब्रम्हचारिणी,चन्द्रघण्टा,कुष्मांडा,
स्कन्द माता,कात्यायनी, कालरात्रि  प्रकट होती है जो पंचमहाभूतो का  सृजन करती है और इन्ही पंचमहाभूतो के गुण क्रमशः रूप,रंग,गन्ध,स्वर,स्पर्श की प्रत्यक्ष अनुभूति होती है। मन आनंद से भर जाता है,बुद्धि की कुशाग्रता बढ़ती है। नित्य अग्निहोत्र से क्रोध,लोभ,मोह,मद,अहंकार समाप्त होने लगती है,व्यशन छूटने लगते है।
 कई कई बार अग्निहोत्र से सात रंग निकलते देखा गया है, दिखने वाले सात रंग इस ब्रम्हांड में केवल सूर्य से निकलता है दुसरा केवल अग्निहोत्र से निकलता है।
आधुनिक रंग चिकित्सा विज्ञान भी मानता है कि मनुष्य सात रंगों से बना है,वनस्पति भी सात रंगों से बना है अर्थात अग्निहोत्र के इन सात रंगों को हमारे शरीर ने स्वीकार(एक्सेप्ट) कर लिया तो हम स्वस्थ हो जायेगे,शरीर मे जिस रंग की कमी होगी उसकी पूर्ति हो जाएगी। 

अग्निहोत्र मंत्रो में 7 स्वर है,अग्निहोत्र के पश्चात निकला हुआ गन्ध "सुगन्धिम पुष्टि वर्धनम" को स्थापित करता है।
अग्निहोत्र करने में मात्र एक रुपया खर्च होता है और मात्र 2-3 मिनट का समय लगता है । इसे कोई भी कर सकता है । 5 साल का बच्चा या महिला,पुरुष सब कर सकते है इसके लिए नहाना भी जरूरी नहीं है।

अग्निहोत्र के केवल 5 नियम है
👇
पहला : समय,दूसरा : देशी गाय के गोबर से बने साफ-सुथरे कंडे, तीसरा : देशी गाय का बिलोने वाला घी,चौथा : अक्षत चावल,पाँचवा : निश्चित आकार का पिरामिड पात्र

सूर्योदय(सरकेडियम रिदम)-सूर्यास्त(इंफ्रारेडियम रिदम) के समय पर ही अग्निहोत्र करना है क्योंकि इस समय सूर्य की 3 लाख किलोमीटर प्रति सेकंड की स्पीड से गति र्कर रही किरणे पृथ्वी से टकराती है तो पंचमहाभूतो में एक कम्पन  (सरकेडियम रिदम-इंफ्रारेडियम रिदम) होता है। इसी समय हमारे नाक की दोनो नथुनो से स्वांस की प्रक्रिया शुरू हो जाती है अन्यथा हम तो एक समय मे एक ही नाक से स्वांस लेते है,प्राचीन विज्ञान इसे सुषुम्ना नाड़ी का सक्रीय होना भी कहता है जो मानव के सातों चक्रों को सीधे सक्रिय करता है।

ऐसे करे अग्निहोत्र :-
       अग्निहोत्र करने के लिये कुछ चीजो की आवश्यकता होती है वो इस प्रकार है :--
1.निश्चित आकार व नाप का अग्निहोत्र पात्र ताम्बे या मिट्टी का
2.स्थानीय समयानुसार सूर्योदय और सूर्यास्त   की समयसारीणी 
3.गोवन्श  के गोबर के साफ से कंडे 
4. गो घृत 
5. कच्चा साबुत चावल 
6.सूर्योदय और सूर्यास्त के दो मंत्र 
7. माचिस
8. कुन्दुरुनु गोद / कर्पुर या गो घृत मे भिगी रुई की बत्ती
9.अग्निहोत्र स्टैंड और चमीटा
10.आग में हवा करने वाला पंखा। 

     उपरोक्त सामग्री एकत्र करके सर्वप्रथम अग्निहोत्र समय सारिनी देखकर या गूगल प्ले स्टोर से अग्निहोत्र मित्र (Agnihotra buddy) एप डाउनलोड करके अपने घर या खेत के अग्निहोत्र स्थान का लोकेशन निकाल लें।
 मान लिजिये आज शाम के अग्निहोत्र का समय  06:48 है तो इसके 15 मिनट पूर्व हाथ -पैर धोकर बैठ जावे।

सर्वप्रथम अग्निहोत्र पात्र के पेंदे मे गाय के गोबर के कंडे का एक चोकोर टुकडा  रखे। उसके उपर कर्पुर या कुन्दूरुनू गोद का टुकडा  या गाय के घी मे भिगी रुई की बत्ती रख उसे माचिस से 7-8 मिनट पूर्व जला देवे। इसके पूर्व  गो वंश के कंडे के पतले व लंबे टुकडे (आयताकार)तोड कर रखे।  चारो साईडो मे छोटे-छोटे टुकडे जमा देवे,फिर कन्डो को इस प्रकार जमावे की अग्नि को जलने के लिये हवा आने  की जग़ह बचे और मध्य मे आहुति डालने  के लिये स्थान रिक्त रखे और रिक्त रखे स्थान को  कंडे के छोटे से टुकडे से ढक देवे ताकि  सारे कंडे जल सके।अब दो चुटकी चावल बाये हाथ की हथेली पर लेकर उसमे दो बुंद गो घृत मिलाकर तैयार रखे। इन चावलो के दो बराबर भाग कर लेवे और अग्निहोत्र के समय की प्रतीक्षा करे। जैसे ही अग्निहोत्र का समय हो आपको दो मंत्र बोलकर आहुति अग्नि मे अर्पित करनी है।

मंत्र इस प्रकार है :-
*सूर्यास्त के मंत्र.*
===========
!! अग्नये स्वाहा,अग्नये इदं न मम !! 
 (स्वाहा पर पहली आहुति छोडे)
!! प्रजापतये स्वाहा lप्रजापतये इदं न मम !!
(स्वाहा पर दूसरी आहुति छोडे)
*सूर्योदय  के मंत्र*
===========
!! सुर्याय स्वाहा,सुर्याय इदं न मम !!
!! प्रजापतये स्वाहा प्रजापतये इदं न मम !!
प्रातःकालीन अग्निहोत्र :अपनी आंखें घडी के कांटें पर रखें, जैसे ही सूर्योदय का समय होता है, पहला मंत्र बोलना प्रारंभ करें सूर्याय स्वाहा..स्वाहा कहने के साथ ही अक्षत का पहला भाग अग्नि को आहुति दें और "सूर्याय इदं न मम"का उच्चारण करते हुए मंत्र के प्रथम पंक्ति को पूर्ण करें। अक्षत को दाहिने हाथ का अंगूठा, मध्यमा तथा अनामिका से (हथेली ऊपर की दिशा में रखकर)अग्नि में आहुति दें तथा बांए हाथ को अपनी छाती के पास रखें। मंत्र की दूसरी पंक्ति का उच्चारण करते हुए अक्षत का दूसरा भाग "प्रजापतये स्वाहा" कहने के उपरांत अग्नि में दूसरी आहुति दें तथा मंत्र को "प्रजापतये इदं न मम" कहते हुए पूर्ण करें,जब तक हवन सामग्री पूर्णतः जल न जाए, बैठकर अग्नि पर ध्यान एकाग्र करें। प्रातःकाल का अग्निहोत्र यहीं समाप्त होता है।आहुति देने के बाद कमर सीधी रखे हुऐ अग्नि या धुऐ पर ध्यान केन्द्रित करे l जब तक आहुति जल रही है तब तक शांत चित्त बैठे रहे, अग्निहोत्र पात्र को शाम तक वहीं रहने दें।

  *अग्निहोत्र* छूट जाने या नागा होने से कोई नुकसान हर्जा नहीं होता है ।

अग्निहोत्र : कृषि क्रांति
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10 एकड़ क्रषि भूमि के लिए 1 जगह का अग्निहोत्र पर्याप्त माना गया है,अपने जैविक जीवन शैली विज्ञान मिशन ने कृषि भूमि की मिट्टी को सकारात्मक ऊर्जा में बदलने के उपयोग को प्रमुखता से  अपनाया है।
आज की यूरिया,डीएपी जैसी रसायनिक खाद केमिकल के साथ साथ नकारात्मक ऊर्जा उत्सर्जित करती है,कच्चे सूखे गोबर का ढेर,मुर्गी की खाद,प्रेसमड ये सब परंपरागत स्रोत भी भयंकर नकारात्मक होते है और नकारात्मक जीवो का पारिस्थतिक तंत्र(इकोलॉजी) का निर्माण करते है,अर्थात मिट्टी में फंगस,वायरस,कीटो को बढ़ाते है।
इस इकोलॉजी की जड़ नकारात्मक ऊर्जा है जिसे एक ग्राम अग्निहोत्र भस्म प्रति लीटर पानी मे मिलाकर स्प्रे करने से बदला जा सकता है।
स्प्रे करते ही ऊर्जा चक्र तो तुरन्त ही बदल जाता है और धीरे धीरे 1,2 वर्ष की अवधि में इकोलॉजी भी बदल जाती है।
यह भस्म मिट्टी में पड़े पूर्व के विषाक्त तत्वों को भी नष्ट करता है। जब भी पौधों की ऊर्जा कम दिखती हो इसी तरह से भस्म का पौधों पर भी स्प्रे करते रहे।
अधिक जानकारी के लिए जैविक जीवन शैली विज्ञान  मिशन की केंद्रीय टीम से या अपने राज्य  संयोजक से सम्पर्क कर प्राप्त करें।

मिताली बेलजी
8349324032
प्रधान सचिव,भोपाल

डॉ ऋषि सागर
8889973113
राष्ट्रीय संगठन सचिव
केंद्र-जबलपुर 

श्रीमति अंजलि काले
7776005097
राष्ट्रीय संगठन सह-सचिव
केंद्र - पुणे 
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।।नित्य सूर्योदय सूर्यास्त अग्निहोत्र करें व अपने परिवार को सुख,स्वास्थ्य,सन्मति दें।।
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 ।।नित्य रहना है निरोग तो नित्य करें रहे अग्निहोत्र ।।
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 ।।आपका अग्निहोत्र आचरण  पर्यावरण का संरक्षण  है।।
🙏

खुद को ढूँढे बाकी सब कुछ गूगल पर है


#सुखद_जीवन की #अनुभूति...
😊😊

अंबानी हर रोज की तरह सुबह अपने बंगले में gold coated मार्बल की डाइनिंग टेबल पर बैठे होते हैं। सामने चांदी की प्लेट व बाउल में, अनसाल्टेड स्प्राउटस्, बिना शक्कर की चाय पी रहे थे.

फिर कुछ देर बाद......... अनसाल्टेड ओकरा (भिंडी) की एक सब्जी और बिना घी तेल की दो रोटी और गर्म खनिज पानी था।

7,000 करोड़ रुपये का घर, दस नौकरों को नाश्ता मिल रहा था, पचासों एसी चल रहे थे, गारेगर हवा दे रहे थे।
इमारतों के नीचे से प्रदूषण का धुआं निकल रहा था।

ऐसे माहौल में नाश्ता कर रहे थे अंबानी...
😊😊😊

वहीं दूर #खलिहान में दूर कुएं की मेढ़ पर एक खेतिहर #मजदूर बैठा था। वो छोले की तरी वाली सब्जी के साथ रोटी, हल्दी-मसाले में पकी भिंडी व साथ में अचार भी खा रहा था। मीठे में गुड़ और पीने के लिए बर्तन में ठंडा पानी था।

सामने हरे भरे खेत, शुद्ध हवा में लहराती फसलें, ठंडी हवाएं, चिड़ियों की चहचहाहट।

तथा वह #आराम से खा कर रहा था।

#500 रुपए कमाने वाला एक #खेतिहर मजदूर वह खा रहा था जो 7 अरब रुपए का मालिक नही खा पा रहा था।

अब बताओ इन दोनों में क्या अंतर था? 🤔

अंबानी पचास साल के थे और मजदूर भी पचास साल के थे।

नाश्ते के बाद अंबानी मधुमेह और बीपी की गोली ले रहे थे और एक खेतिहर मजदूर चूने के साथ पान खा रहा था।

🌼 कोई हीन नहीं,कोई महान नहीं।

इसलिय #खुशी की तलाश मत करो
#सुख महसूस करो
🌼"अतुलनीय आनंद" उत्पादन पर जीएसटी *0%*

🌼#खुद को ढूँढे बाकी सब कुछ गूगल पर है !!

मानसरोवर स्कीम में निशुल्क आयुर्वेदिक शिविर संपन्न

हमारे संवाददाता के अनुसार आज
दिनांक 1 अगस्त 2021 रविवार को पाल बाईपास स्थित डीपीएस स्कूल के सामने स्थित मानसरोवर स्कीम कॉलोनी के शिव मंदिर प्रांगण में  सुबह 9:00 बजे निशुल्क आयुर्वेदिक जांच शिविर का शुभारंभ प्रथम पूज्य भगवान गणपति जी की गणेश वंदना द्वारा स्तुति कर किया गया 
जिसमे कॉलोनी के निवासियों के अलावा जोधपुर के अन्य क्षेत्रों से भी बहुत से रोगियों ने अत्याधुनिक मशीन द्वारा अपनी रोग जांच करवाई
शिविर में पाली जिले से आए हुए प्रसिद्ध आयुर्वेदिक डॉ. एस एस शर्मा जी ने रोगियों को निशुल्क परामर्श दिया 
शिविर में आइएमसी के सभी सदस्यों ने अपना अपना अमूल्य समय और सहयोग प्रदान किया 
शिविर के मुख्य संयोजक श्री अभिषेक शर्मा ने शिविर के बारे जानकारी देते हुए बताया कि यह निशुल्क आयुर्वेदिक शिविर आईएमसी द्वारा बालाजी आयुर्वेदिक सेंटर के तत्वावधान में आइएमसी के पूर्व में चलाए जा रहे एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम जिसमे कोरोना महामारी से प्रभावित आम जनता को बीमारी एवं बेरोजगारी जैसी मुख्य समस्या के निदान हेतु चलाए जा रहे  कार्य की कड़ी है जो आगे भी जारी रहेगा 
कार्यक्रम के दौरान  जोधपुर के विशाल जी संखवाया , ओम प्रकाश लखारा, राजा लखारा, जेपी  खींची, बालाजी आयुर्वैदिक सेंटर के श्री अभिषेक शर्मा, बंदना शर्मा , सोमाराम , कनिष्क शर्मा, राहुल शर्मा, सुमन शर्मा,  ममता शर्मा, दीप्ति जोशी, कचरे से सोना बनाओ अभियान के संस्थापक केवल कोठारी, सांवरिया के कैलाशचंद्र लढा, पुलिस पब्लिक प्रेस के हेमंत वाजपेई, वास्तुविद एवं योगाचार्य शिवलाल मालवीय आदि द्वारा मंदिर प्रांगण में वृक्षारोपण का कार्यक्रम भी रखा गया 

शाम 6 बजे तक संपन्न हुए शिविर में कई रोगियों ने निशुल्क शिविर का लाभ लिया 
कॉलोनी वासियों एवं आइएमसी टीम के सभी कार्यकर्ताओं के सफल प्रयास से आज का यह आयुर्वेदिक शिविर सफल रहा..

इसके साथ साथ विभिन्न समुदाय और संस्थाओं ने अपना सहयोग दिया जिसमें सर्वप्रथम मानसरोवर सेवा मंडली संस्था, सांवरिया संस्था, सौमित्रे सुंदरकांड मंडली, द्वारा सहयोग प्राप्त हुआ... अंत में अभिषेक शर्मा ने सभी कार्यकर्ताओं एवं डॉक्टर साहब का आभार व्यक्त किया और भविष्य जोधपुर के कई क्षेत्र में इस तरह के आयुर्वेदिक शिविर लगवाने का भरोसा दिलाया 

गुरुवार, 29 जुलाई 2021

विष्णु के दस अवतार - मानव के विकास का विज्ञान


*💐💐दशावतार और विज्ञान💐💐* 




       एक माँ अपने पूजा-पाठ से फुर्सत पाकर अपने विदेश में रहने वाले बेटे से विडियो चैट करते वक्त पूछ बैठीं..

*"बेटा! कुछ पूजा-पाठ भी करते हो या नहीं?"*

बेटा बोला-

"माँ, मैं एक जीव वैज्ञानिक हूँ । मैं अमेरिका में मानव के विकास पर काम कर रहा हूँ। विकास का सिद्धांत, चार्ल्स डार्विन.. क्या आपने उसके बारे में सुना भी है?"

उसकी माँ मुस्कुरा कर बोली-
"मैं डार्विन के बारे में जानती हूँ बेटा.. उसने जो भी खोज की, वह वास्तव में सनातन-धर्म के लिए बहुत पुरानी खबर है।"
“हो सकता है माँ!” बेटे ने भी व्यंग्यपूर्वक कहा।
“यदि तुम कुछ होशियार हो, तो इसे सुनो..” उसकी माँ ने प्रतिकार किया। “क्या तुमने दशावतार के बारे में सुना है? विष्णु के दस अवतार?”
बेटे ने सहमति में कहा-
"हाँ! पर दशावतार का मेरी रिसर्च से क्या लेना-देना?"
माँ फिर बोली-
"लेना-देना है.. मैं तुम्हें बताती हूँ कि तुम और मि. डार्विन क्या नहीं जानते हैं?"
.
“पहला अवतार था 'मत्स्य', यानि मछली। ऐसा इसलिए कि जीवन पानी में आरम्भ हुआ। यह बात सही है या नहीं?”
बेटा अब ध्यानपूर्वक सुनने लगा..
“उसके बाद आया दूसरा अवतार 'कूर्म', अर्थात् कछुआ। क्योंकि जीवन पानी से जमीन की ओर चला गया.. 'उभयचर (Amphibian)', तो कछुए ने समुद्र से जमीन की ओर के विकास को दर्शाया।”
“तीसरा था 'वराह' अवतार, यानी सूअर। जिसका मतलब वे जंगली जानवर, जिनमें अधिक बुद्धि नहीं होती है। तुम उन्हें डायनासोर कहते हो।”
बेटे ने आंखें फैलाते हुए सहमति जताई..

“चौथा अवतार था 'नृसिंह', आधा मानव, आधा पशु। जिसने दर्शाया जंगली जानवरों से बुद्धिमान जीवों का विकास।”
“पांचवें 'वामन' हुए, बौना जो वास्तव में लंबा बढ़ सकता था। क्या तुम जानते हो ऐसा क्यों है? क्योंकि मनुष्य दो प्रकार के होते थे- होमो इरेक्टस(नरवानर) और होमो सेपिअंस (मानव), और होमो सेपिअंस ने विकास की लड़ाई जीत ली।”
बेटा दशावतार की प्रासंगिकता सुन के स्तब्ध रह गया..

माँ ने बोलना जारी रखा-
“छठा अवतार था 'परशुराम', जिनके पास शस्त्र (कुल्हाड़ी) की ताकत थी। वे दर्शाते हैं उस मानव को, जो गुफा और वन में रहा.. गुस्सैल और असामाजिक।”
“सातवां अवतार थे 'मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम', सोच युक्त प्रथम सामाजिक व्यक्ति। जिन्होंने समाज के नियम बनाए और समस्त रिश्तों का आधार।”
“आठवां अवतार थे 'भगवान श्री कृष्ण', राजनेता, राजनीतिज्ञ, प्रेमी। जिन्होंने समाज के नियमों का आनन्द लेते हुए यह सिखाया कि सामाजिक ढांचे में रहकर कैसे फला-फूला जा सकता है।”
बेटा सुनता रहा, चकित और विस्मित..

माँ ने ज्ञान की गंगा प्रवाहित रखी -
“नवां अवतार थे 'महात्मा बुद्ध', वे व्यक्ति जिन्होंने नृसिंह से उठे मानव के सही स्वभाव को खोजा। उन्होंने मानव द्वारा ज्ञान की अंतिम खोज की पहचान की।”
“..और अंत में दसवां अवतार 'कल्कि' आएगा। वह मानव जिस पर तुम काम कर रहे हो.. वह मानव, जो आनुवंशिक रूप से श्रेष्ठतम होगा।”
बेटा अपनी माँ को अवाक् होकर देखता रह गया..

अंत में वह बोल पड़ा-
“यह अद्भुत है माँ.. हिंदू दर्शन वास्तव में अर्थपूर्ण है!”

मित्रों..
वेद, पुराण, ग्रंथ, उपनिषद इत्यादि सब अर्थपूर्ण हैं। सिर्फ आपका देखने का दृष्टिकोण सही होना चाहिए, और उनका सही अर्थ बताने के लिए एक योग्य मार्गदर्शक जो कथाओं के मूल को आपके अन्तःस्थल में स्थापित कर सके..
*सदैव प्रसन्न रहिये।*

मंगलवार, 27 जुलाई 2021

बरसात के मौसम में जोधपुर में कहीं बिजली के तार आदि खुले पडे हो, कहीं करंट आ रहा हो तो जोधपुर के समस्त बिजलीघर के फोन नं. नीचे दिये गये हैं...

*सूचना*
बरसात के मौसम में यदि जोधपुर में आपके आस पास कहीं बिजली के तार आदि खुले पडे हो, कहीं करंट आ रहा हो तो तुरंत आपके एरिया से सम्बधित बिजलीघर में इसकी सुचना देवें... जोधपुर के समस्त बिजलीघर के फोन नं. नीचे दिये गये हैं...

BJS 0291-2530325
Banar Road 0291-2511060
Barkattulla Khan Stadium Masuriya 0291-2651258
Basni 1st Phase 0291-2721173
Basni 2nd Phase 0291-2742235
Bhadwasiya Frout Mandi 0291-2574857
Chopasani Housing Board 0291-2757818
Circuit House 0291-2517881
Collectorate-AEM 0291-2556237
Eiectric (Head Office) 0291-2651200,0291-2651201
Emergency0291-1912,0291-2516960
Engineering College 9214020010
Fort (Sub-Station) 0291-2651231
Ghantaghar Dhan Mandi 0291-2556230
Industrial Area (New Power House) 0291-2651375
Jalori Gate 0291-2651354
Jhalamand 09413359246
Kamla Nehru Nagar 0291-2757817
Kuchehri (Court) HTM IIIrd 0291-2556233
Kudi Bhagtasni 9214020089
Lal Sagar 0291-2574854
MGH 0291-2651309
Medical College 0291-2651230
Milk Man Colony 9214020110
Nagori Gate 0291-2556232
New Power House0291-2651375
Old Power House Sojati Gate 0291-2517882
Pal Village 0291-2766358,0291-2742258
Pratap Nagar 0291-2651222
Riico Mandore 0291-2009344,0291-2517893
Riktiya Bheru Ji 0291-2671144
Sardarpura 0291-2651284
Shastri  Nagar 0291-2651230
Soorsagar 0291-2757819
Umaid Hospital 0291-2651396

सोमवार, 26 जुलाई 2021

माहेश्वरियों में श्रावण (सावन) माह का बहुत महत्त्व है


श्रावण मास का महत्व -
परम पुरुष (शिव) और प्रकृति (भवानी) का प्रणय ही श्रावण की आध्यात्मिक आर्द्रता है. भगवान महेश और जगतजननी पार्वती के प्रणय (प्रेम) का महीना है श्रावण. तो जिस श्रावण मास में भगवान महेशजी (शिव) का सर्वत्र पूजन हो, उसमें उनकी शक्ति पार्वती की उपेक्षा कैसे की जा सकती है? इसलिए श्रावण माह सदा से ही महेश-पार्वती की आराधना का पर्वकाल रहा है. श्रावण महेश-पार्वती के प्रणय का माह होने के कारन इस माह में भगवान महेशजी और जगतजननी पार्वती की एकत्रित पूजा-अर्चना का महत्व है. शिव के साकार स्वरुप की आराधना का महत्व है. वस्तुतः शिवलिंग/शिवपिंड भगवान शिव के निराकार स्वरूप का प्रतीक है और मूर्ति साकार स्वरुप का प्रतिक है इसलिए श्रावण में महेश-पार्वती की प्रतिमा (मूर्ति) अथवा तसबीर की पूजा का महत्व है.

श्रावण माह के प्रत्येक सोमवार को महेशजी की और प्रत्येक मंगलवार को देवी पार्वती की पूजा का महत्व बताया गया है. इसीलिए श्रावण के प्रत्येक मंगलवार को मंगलागौरी की विशेष पूजा होती है. श्रावण में ही आदिशक्ति पार्वती को समर्पित हरितालिका तीज का पर्व भी मनाया जाता है. सुहागन महिलाएं अपने पति के लम्बी उम्र के लिए और कुमारिकाएं सुयोग्य वर (पति) पाने के लिए हरितालिका तीज का व्रत करती है. इस माह में महेश-पार्वती के पूजन मात्र से सम्‍पूर्ण महेश परिवार (शिव परिवार) की प्रसन्‍नता-आशीर्वाद प्राप्‍त होता है.

माहेश्वरियों में श्रावण (सावन) माह का बहुत महत्त्व है. जैसे जैनों में चातुर्मास का महत्त्व है, जैसे मुस्लिमों में रमजान के महीने का महत्त्व होता है उसी तरह माहेश्वरियों में श्रावण माह का महत्त्व है. माहेश्वरी अपने आप को भगवान महेश-पार्बती की संतान मानते है ; श्रावण महिना भगवान महेश-पार्बती के आराधना का पर्व है. इस महीने में प्रतिदिन नित्य प्रार्थना, मंगलाचरण, महेश मानस पूजा, ओंकार (ॐ) का जप और अन्नदान किया जाता है. श्रावण माह (महीने) में की गयी आराधना से स्वास्थ्य-धन-धान्य-सम्पदा आदि ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, पति-पत्नी में प्रेम प्रगाढ़ (गहरा) होता है, दाम्पत्य जीवन सुखी होता है, परिवार में आपसी प्यार बढ़ता है. राजस्थानी समाज में खासकर माहेश्वरी समाज में परंपरा के अनुसार श्रावण के महीने में हास्य-व्यंग कवि सम्मेलनों का आयोजन किया जाता है.

शमीपत्र चढाने का महत्व -
माहेश्वरीयों में महेशजी को 'समीपत्र' चढाने की परंपरा रही है. मान्यता है की महेश-पार्वती को शमीपत्र चढाने से धन-धान्य-समृद्धि की प्राप्ति होती है. पति-पत्नी मिलकर एकसाथ महेश-पार्वती को शमीपत्र चढाने से उनका आपसी प्रेम बढ़ता है. भक्त भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए बेलपत्र चढ़ाते हैं लेकिन माहेश्वरीयों में महेशजी को समीपत्र (शमीपत्र) चढाने की परंपरा रही है. इस संबंध में एक पौराणिक कथा के अनुसार जब 89 हजार ऋषियों ने महादेव को प्रसन्न करने की विधि परम पिता ब्रह्मा से पूछी तो ब्रह्मदेव ने बताया कि महादेव सौ कमल चढ़ाने से जितने प्रसन्न होते हैं, उतना ही एक नीलकमल चढ़ाने पर होते हैं. ऐसे ही एक हजार नीलकमल के बराबर एक बेलपत्र और एक हजार बेलपत्र चढ़ाने के फल के बराबर एक समीपत्र (शमीपत्र) का महत्व होता है.

श्रावण के सोमवार की सरल व्रत विधि के अनुसार भगवान महेशजी के साथ माता पार्वती, गणेशजी, और नंदी जी की पूजा होती है। विधि‍विधान एवं पवित्र तन-मन से किए इन श्रावण सोमवार व्रतों से व्रती पुरुष का दुर्भाग्‍य भी सौभाग्‍य में परिवर्तित हो जाता है. यह व्रत मनो:वांछित धन, धान्‍य, स्‍त्री, पुत्र, बंधु-बांधव एवं स्‍थाई संपत्ति प्रदान करने वाला है. श्रावण मास के व्रत से महेश-पार्वती की कृपा व अभीष्‍ट सिद्धि-बुद्धि की प्राप्ति होती है.

क्या आपके पूजा में (पूजाघर में) महेश परिवार (भगवान महेशजी, सर्वकुलमाता आदिशक्ति माँ भवानी एवं सुखकर्ता-दुखहर्ता गणेशजी) बिराजमान है?
.....यदि नही है तो सावन (श्रावण) माह के पावनपर्व पर सोमवार के दिन "महेश परिवार" को विधिपूर्वक अपने पूजा में स्थापित करें. प्रतिदिन (खासकर सोमवार के दिन) सपरिवार भगवान महेशजी की आरती करें. आपकी एवं आपके घर-परिवार की सुख-समृद्धि दिन ब दिन बढ़ती जाएगी. पौराणिक मान्यता है की जिस घर-परिवार में 'महेश परिवार' की फोटो या मूर्ति श्रध्दापूर्वक बिराजमान होती है वहां पूरा परिवार बड़े प्यार से मिल-जुलकर रहता है; साथ ही सुख-समृद्धि-सम्पदा की दिन-प्रतिदिन वृद्धि होती है.

जय भवानी....... जय महेश !

भले मोदी कुछ जागृति पैदा करने में सफल हुए हों, पर बिना संपूर्ण जागृति समग्र हिंदुओं के दुर्भाग्य का अंत नही होगा।

कभी कभी सोचता हूँ कि 1500 ई. के बाद के कितने साहसी और बुद्धिमानी रहे होंगे ब्रिटेन के लोग, जिन्होंने एक ठण्डे प्रदेश से निकलकर अंजान रास्ते और अंजान जगहों पर जाकर लोगों को गुलाम बनाया। अभी भी देखा जाए तो ब्रिटेन की जनसंख्या और क्षेत्रफल गुजरात के बराबर है लेकिन उन्होंने दशकों नहीं शताब्दियों तक दुनियां को गुलाम रखा। 

भारत की करोड़ों की जनसंख्या को मात्र कुछ लाख या हजार लोगों ने गुलाम बनाकर रखा, और केवल गुलाम ही नहीं बनाया खूब हत्यायें की, लूटपाट की। उनको अपनी कौम पर कितना गर्व होगा कि इत्तू से देश के इत्तू से लोग पूरी दुनिया को नाच नचाते रहे। भारत के एक जिले में शायद ही 50 से ज्यादा अंग्रेज रहे होंगे लेकिन लाखों लोगों के बीच अपनी धरती से हजारों मील दूर आकर अपने से संख्या में कई गुना लोगों को इस तरह गुलाम रखने के लिए अद्भुत साहस रहा होगा।

अगर इतिहास देखता हूँ तो पता चलता है कि उनके पास हम पर अत्याचार करने के लिए लोग भी नहीं थे तो उन्होंने हम में से ही कुछ लोगों को भर्ती किया था हम पर अत्याचार करने के लिए, हमें लूटने के लिए। मुझे सोचकर ही अजीब लगता है कि हम लोग अंग्रेजों के सैनिक बन कर अपने ही लोगों पर अत्याचार करते थे। चंद्रशेखर, बिस्मिल जैसे मात्र कुछ गिनती के लोग थे जिन्हें हमारा ही समाज हेय दृष्टि से देखता था। आज वही नपुंसक समाज उन चंद लोगों के नाम के पीछे अपना कायरतापूर्ण इतिहास छुपाकर झूठा दम्भ भरता है।

अरब के रेगिस्तान से कुछ भूखे, जाहिल, आतातायी लोग आए और उन्होंने भी हमको लूटा, मारा, बलात्कार किया और हम वहाँ भी नाकाम रहे। उन्होंने हमारे मन्दिर तोड़े, हमारी स्त्रियों के बलात्कार किये लेकिन हमने क्या किया कि वो दिन में विवाह में लूटपाट करते हैं तो रात को चुपचाप विवाह करने लगे, जवान लड़कियों को उठा ले जाते हैं तो बचपन में ही शादी करने लगे और अगर उसमें ही असुरक्षा हो तो बेटी पैदा होते ही मारते रहे। बुरा लगता तो ठीक है लेकिन यही हमारी सच्चाई है।  

हमने 1000 सालों की दुर्दशा से कुछ नहीं सीखा। आज एक जनसँख्या उन्हीं अरबी अत्याचारियों को अपना पूर्वज मानने लगी है। कुछ उन ईसाइयों को अपना पूर्वज मानने लगी है.. यानि हम स्वाभिमानहीन लोग हैं, स्वतंत्रता मिलने पर भी हम मानसिक गुलाम ही रहें। दूसरी तरफ हमारी व्यवस्थाएं भी सड़ी हुई हैं जिन्होंने इन  सभी नाकामियों का कभी मंथन ही नहीं किया। हमारे ऊपर जब आक्रमण हो रहे थे और हम जब एक युद्धकाल से गुजर रहे थे, हमारी बहुसंख्यक जनसँख्या इस मानसिकता में थी कि "कोउ हो नृप हमें का हानि" ..मतलब उनको युद्ध से राज्य से राजा से कोई मतलब नहीं था।  ये सब बस क्षत्रिय के काम थे। उनको करना है तो करें, नहीं करना तो नहीं करें। यही कारण था कि मुस्लिम आक्रमण से राजस्थान क्षेत्र छोड़कर समस्त भारत धराशाही हो गया था क्योंकि राजस्थान में क्षत्रिय जनसँख्या अधिक थी तो संघर्ष करने में सफल रहे। ऐसे ही कुछ क्षेत्र और थे जो इसमें सफल हुए।

*आज युद्धकाल में इस्राइल बुरी तरह शत्रुओं से घिरा हुआ है लेकिन सुरक्षित है क्योंकि वहाँ के प्रत्येक व्यक्ति की देश और धर्म की सुरक्षा की जिम्मेदारी है* लेकिन हमने ये कार्य केवल क्षत्रियों पर छोड़ दिया था.. जबकि फ़ौज में भी युद्ध के समय माली, नाई, पेंटर, रसोइया आदि सभी लड़ाका बनकर तैयार रहते हैं। लेकिन हमने युद्धकाल में भी परिस्थितियों को नहीं समझा और अपनी योजनायें नहीं बनाई अपनी व्यवस्थाएँ नहीं बदली। 

*मुझे अम्बेडकर जी का वह कथन सोचने पर मजबूर का देता है कि "अगर समाज के एक बड़े वर्ग को युद्ध से दूर नहीं किया गया होता तो भारत कभी गुलाम नहीं बनता"। जरा विचार करके देखिए कि मुस्लिम एवं अंग्रेजों से जिस तरह क्षत्रिय लड़े, और पूरी पूरी रियायत मिट गई, अगर पूरा हिन्दू समाज क्षत्रिय बनकर लड़ा होता तो क्या हम कभी गुलाम हो सकते थे? सामान्य परिस्थिति में समाज को चलाने के लिए उसको वर्गीकृत किया ही जाता है लेकिन विपत्तिकाल में नीतियों में परिवर्तन भी किया जाता है, लेकिन हम इसमें पूरी तरह नाकाम लोग हैं। इसलिए 1000 सालों से दुर्भाग्य हमारे पीछे पड़ा है। 2000 साल से हमारा पुरोहित वर्ग, समाज को जगाने, एक करने से ज्यादा, यह सिद्ध करने मे लगा रहा की पानी का कलश दांए रखना चाहिए कि बाँए!!!*

अटल जी का एक भाषण सुन रहा था जिसमें वो कह रहे थे कि एक युद्ध जीतने के बाद जब 1000 अंग्रेजी सैनिक ने जुलूस निकाला था तो सड़क के दोनों तरफ 20000 भारतीय उनको देखने आए थे। अगर ये 20000 लोग पत्थर डण्डे से भी मारते तो 1000 सैनिक को भागते ही बनता लेकिन ये 20 हजार लोग केवल युद्व के मूक दर्शक थे।

आज भी कुछ खास नहीं बदला। मुगलों और अंग्रेजों का स्थान एक खास Dynasty ने ले लिया और वामपंथियों/सेकुलरों के रूप में खतरनाक गद्दारों की फौज भी पैदा हो गई। 
लेकिन सबसे बड़ी विडंबना है कि हम आज भी बंटे हुए हैं। 100 करोड़ होकर भी मूक दर्शक बने हुए हैं। 

1-1 पत्थर भी मारने मे भय लगता है!!!

भले मोदी कुछ जागृति पैदा करने में सफल हुए हों, पर बिना संपूर्ण जागृति समग्र हिंदुओं  के दुर्भाग्य का अंत नही  होगा।
🕉️🇮🇳🕉️

रविवार, 25 जुलाई 2021

बिल्व वृक्ष-शिव प्रिय अमृततुल्य वृक्ष


★★★बिल्व वृक्ष-शिव प्रिय अमृततुल्य वृक्ष!!

1. बिल्व वृक्ष के आसपास सांप नहीं आते l
2. अगर किसी की शव यात्रा बिल्व वृक्ष की छाया से होकर गुजरे तो उसका मोक्ष हो जाता है l
3. वायुमंडल में व्याप्त अशुध्दियों को सोखने की क्षमता सबसे ज्यादा बिल्व वृक्ष में होती है l
4. चार, पांच, छः या सात पत्तो वाले बिल्व पत्र पाने वाला परम भाग्यशाली और शिव को अर्पण करने से अनंत गुना फल मिलता है l 
5. बेल वृक्ष को काटने से वंश का नाश होता है एवं बेल वृक्ष लगाने से वंश की वृद्धि होती है।
6. सुबह शाम बेल वृक्ष के दर्शन मात्र से पापो का नाश होता है।
7. बेल वृक्ष को सींचने से पित्र तृप्त होते है।
8. बेल वृक्ष और सफ़ेद आक् को जोड़े से लगाने पर अटूट लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
9. बेल पत्र और ताम्र धातु के एक विशेष प्रयोग से ऋषि मुनि स्वर्ण धातु का उत्पादन करते थे ।
10. जीवन में सिर्फ एक बार और वो भी यदि भूल से भी शिव लिंग पर बेल पत्र चढ़ा दिया हो तो भी जीव सभी पापों से मुक्त हो जाते है l
11. बेल वृक्ष का रोपण, पोषण और संवर्धन करने से महादेव से साक्षात्कार करने का अवश्य लाभ मिलता है।

★कृपया बिल्व पत्र का पेड़ जरूर लगाये । बिल्व पत्र के लिए पेड़ को क्षति न पहुचाएं l

★★शिवजी की पूजा में ध्यान रखने योग्य बात l 

★शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव को कौन सी चीज़ चढाने से मिलता है क्या फल - 
किसी भी देवी-देवता का पूजन करते समय उनको अनेक चीज़ें अर्पित की जाती है। प्रायः भगवान को अर्पित की जाने वाली हर चीज़ का फल अलग होता है। शिव पुराण में इस बात का वर्णन मिलता है की भगवान शिव को अर्पित करने वाली अलग-अलग चीज़ों का क्या फल होता है। शिवपुराण के अनुसार जानिए कौन सा अनाज भगवान शिव को चढ़ाने से क्या फल मिलता है:
1. भगवान शिव को चावल चढ़ाने से धन की प्राप्ति होती है।
2. तिल चढ़ाने से पापों का नाश हो जाता है।
3. जौ अर्पित करने से सुख में वृद्धि होती है।
4. गेहूं चढ़ाने से संतान वृद्धि होती है।यह सभी अन्न भगवान को अर्पण करने के बाद गरीबों में वितरीत कर देना चाहिए।

★शिव पुराण के अनुसार जानिए भगवान शिव को कौन सा रस (द्रव्य) चढ़ाने से उसका क्या फल मिलता है -

1. ज्वर (बुखार) होने पर भगवान शिव को जलधारा चढ़ाने से शीघ्र लाभ मिलता है। सुख व संतान की वृद्धि के लिए भी जलधारा द्वारा शिव की पूजा उत्तम बताई गई है।
2. नपुंसक व्यक्ति अगर शुद्ध घी से भगवान शिव का अभिषेक करे, ब्राह्मणों को भोजन कराए तथा सोमवार का व्रत करे तो उसकी समस्या का निदान संभव है।
3. तेज दिमाग के लिए शक्कर मिश्रित दूध भगवान शिव को चढ़ाएं।
4. सुगंधित तेल से भगवान शिव का अभिषेक करने पर समृद्धि में वृद्धि होती है।
5. शिवलिंग पर ईख (गन्ना) का रस चढ़ाया जाए तो सभी आनंदों की प्राप्ति होती है।
6. शिव को गंगाजल चढ़ाने से भोग व मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है।
7. मधु (शहद) से भगवान शिव का अभिषेक करने से राजयक्ष्मा (टीबी) रोग में आराम मिलता है।

★शिव पुराण के अनुसार जानिए भगवान शिव को कौन का फूल चढ़ाया जाए तो उसका क्या फल मिलता है -

1. लाल व सफेद आंकड़े के फूल से भगवान शिव का पूजन करने पर भोग व मोक्ष की प्राप्ति होती है।
2. चमेली के फूल से पूजन करने पर वाहन सुख मिलता है।
3. अलसी के फूलों से शिव का पूजन करने से मनुष्य भगवान विष्णु को प्रिय होता है।
4. शमी पत्रों (पत्तों) से पूजन करने पर मोक्ष प्राप्त होता है।
5. बेला के फूल से पूजन करने पर सुंदर व सुशील पत्नी मिलती है।
6. जूही के फूल से शिव का पूजन करें तो घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती।
7. कनेर के फूलों से शिव पूजन करने से नए वस्त्र मिलते हैं।
8. हरसिंगार के फूलों से पूजन करने पर सुख-सम्पत्ति में वृद्धि होती है।
9. धतूरे के फूल से पूजन करने पर भगवान शंकर
 सुयोग्य पुत्र प्रदान करते हैं, जो कुल का नाम रोशन करता है।
10. लाल डंठलवाला धतूरा पूजन में शुभ माना गया है।
11. दूर्वा से पूजन करने पर आयु बढ़ती है।


          !!!! शुभमस्तु !!!!

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सुबह सिर्फ एक दो मुट्ठी चने खाकर हेल्थ जबरदस्त हो सकती है.


*सुबह सिर्फ एक दो मुट्ठी चने खाकर हेल्थ जबरदस्त हो सकती है.!*

*(1).* एक सस्ता और आसान सा दिखने वाला चना हमारे  सेहत के लिए कितना फायदेमंद है जानिये...

*(2).* काले चने भुने हुए हों, अंकुरित हों या इसकी सब्जी बनाई हो, यह हर तरीके से सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं।

*(3).* इसमें भरपूर मात्रा में कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन्स, फाइबर, कैल्शियम, आयरन और विटामिन्स पाए जाते हैं।

*(4).* शरीर को सबसे ज्यादा फायदा अंकुरित काले चने खाने से होता है, क्योंकि अंकुरित चने क्लोरोफिल, विटामिन ए, बी, सी, डी और के, फॉस्फोरस, पोटैशियम, मैग्नीशियम और मिनरल्स का अच्छा स्रोत होते हैं।
साथ ही इसे खाने के लिए किसी प्रकार की कोई खास तैयारी नहीं करती पड़ती।
रातभर भिगोकर सुबह एक-दो मुट्ठी खाकर हेल्थ अच्छी हो सकती है।

*(5).* चने ज्यादा महंगे भी नहीं होते और इसमें बीमारियों से लड़ने के गुण भी छिपा हुए हैं।
कब्ज से राहत मिलती है, चने में मौजूद फाइबर की मात्रा पाचन के लिए बहुत जरूरी होती है।

*(6).* रातभर भिगोए हुए चने से पानी अलग कर उसमें नमक, अदरक और जीरा मिक्स कर खाने से कब्ज जैसी समस्या से राहत मिलती है।
साथ ही जिस पानी में चने को भिगोया गया था, उस पानी को पीने से भी राहत मिलती है।
लेकिन कब्ज दूर करने के लिए चने को छिलके सहित ही खाएं।

*(7).* ये एनर्जी बढ़ाता है।
कहा तो यहाँ तक जाता है इंस्टेंट एनर्जी चाहिए, तो रात भर भिगोए हुए या अंकुरित चने में हल्का सा नमक, नींबू, अदरक के टुकड़े और काली मिर्च डालकर सुबह नाश्ते में खाएं, बहुत फायदेमंद होता है।
चने का सत्तू भी खा सकते हैं।
यह बहुत ही फायदेमंद होता है।
गर्मियों में चने के सत्तू में नींबू और नमक मिलाकर पीने से शरीर को एनर्जी तो मिलती ही है, साथ ही भूख भी शांत होती है।

*(8).* पथरी की प्रॉब्लम दूर करता है।
दूषित पानी और खाने से आजकल किडनी और गॉल ब्लैडर में पथरी की समस्या आम हो गई है।
हर दूसरे-तीसरे आदमी के साथ स्टोन की समस्या हो रही है।
इसके लिए रातभर भिगोए हुए काले चने में थोड़ी सी शहद की मात्रा मिलाकर खाएं।
रोजाना इसके सेवन से स्टोन के होने की संभावना काफी कम हो जाती है और अगर स्टोन है तो आसानी से निकल जाता है।
इसके अलावा चने के सत्तू और आटे से मिलकर बनी रोटी भी इस समस्या से राहत दिलाती है।

*(9).* काला चना शरीर की गंदगी को पूरी तरह से बाहर भी निकालता है।

*अन्य फायदे...*
● एनर्जी बढ़ाता है,
● डायबिटीज से छुटकारा मिलता है,
● एनीमिया की समस्या दूर होती है,
● बुखार में पसीना आने की समस्या दूर होती है,
● पुरुषों के लिए फायदेमंद,
● हिचकी में राहत दिलाता है,
● जुकाम में आराम मिलता है,
● मूत्र संबंधित रोग दूर होते हैं,
● त्वचा की रंगत निखारता है।

*डायबिटीज से छुटकारा दिलाता है।*
चना ताकतवर होने के साथ ही शरीर में एक्स्ट्रा ग्लूकोज की मात्रा को कम करता है जो डायबिटीज के मरीजों के लिए कारगर होता है। लेकिन इसका सेवन सुबह सुबह खाली पेट करना चाहिए।
चने का सत्तू डायबिटीज़ से बचाता है।
एक से दो मुट्ठी ब्लड चने का सेवन ब्लड शुगर की मात्रा को भी नियंत्रित करने के साथ ही जल्द आराम पहुंचाता है।

*एनीमिया की समस्या दूर होती है।*
शरीर में आयरन की कमी से होने वाली एनीमिया की समस्या को रोजाना चने खाकर दूर किया जा सकता है।
चने में शहद मिलाकर खाना जल्द असरकारक होता है।
आयरन से भरपूर चना एनीमिया की समस्या को काफी हद तक कम कर देता है।
चने में 27% फॉस्फोरस और 28% आयरन होता है जो न केवल नए बल्ड सेल्स को बनाता है, बल्कि हीमोग्लोबिन को भी बढ़ाता है।

*हिचकी में राहत दिलाए*
हिचकी की समस्या से ज्यादा परेशान हैं, तो चने के पौधे के सूखे पत्तों का धूम्रपान करने से हिचकी आनी बंद हो जाती है।
साथ ही चना आंतों/इंटेस्टाइन की बीमारियों के लिए भी काफी फायदेमंद होता है।

*बुखार में पसीना आने पर*
बुखार में ज्यादा पसीना आने पर भुने हुए चने को पीसकर, उसमें अजवायन मिलाएं।
फिर इससे मालिश करें।
ऐसा करने से पसीने की समस्या खत्म हो जाती है।

*मूत्र संबंधित रोग में आराम*
भुने हुए चने का सेवन करने से बार-बार पेशाब जाने की बीमारी दूर होती है।
साथ ही गुड़ व चना खाने से यूरीन से संबंधित किसी भी प्रकार की समस्या में राहत मिलती है।
रोजाना भुने हुए चनों के सेवन से बवासीर ठीक हो जाती है।

*पुरुषत्व के लिए फायदेमंद*
चीनी मिट्टी के बर्तन में रात भर भिगोए हुए चने को चबा चबाकर खाना पुरुषों के लिए बहुत फायदेमंद होता है।
पुरुषों की कई प्रकार की कमजोरी की समस्या खत्म होती है।
जल्द असर के लिए भीगे हुए चने के साथ दूध भी पिएं।
भीगे हुए चने के पानी में शहद मिलाकर पीने से पुरुषत्व बढ़ता है।

*त्वचा की रंगत निखारता है।*
चना केवल हेल्थ के लिए ही नहीं, स्किन के लिए भी बहुत फायदेमंद है।
चना खाकर चेहरे की रंगत को बढ़ाया जा सकता है। वैसे चने की फॉर्म बेसन को हल्दी के साथ मिलाकर चेहरे पर लगाना सबसे ज्यादा फायदेमंद होता है।
नहाने से पहले बेसन में दूध या दही मिक्स करें और इसे चेहरे पर 15-20 लगा रहने दें।
सूखने के बाद ठंडे पानी से धो लें।
रंगत के साथ ही कील मुहांसों, दाद-खुजली और त्वचा से जुड़ी कई प्रकार की समस्याएं दूर होती हैं।

*युवा महिलाओं को हफ्ते में कम से कम एक बार चना और गुड़ खाना चाहिए।*
गुड़ आयरन का समृद्ध स्रोत है और चने में बड़ी मात्रा में प्रोटीन होता है।
ये दोनों मिलकर महिलाओं की माहवारी के दौरान होने वाले रक्त के नुकसान को पूरा करते हैं।
तथा सभी महिलाओं को आने वाले माघ महीने में हर रोज कम से कम 40-60 मिनट धूप में बैठकर तिल के लड्डू या गजक खाने चाहिए, जिसमें कैल्शियम की मात्रा काफी ज्यादा होती है। इससे उनके शरीर में कैल्शियम और विटामिन डी की कमी पूरी हो जाएगी।

*जुकाम में राहत*
गर्म चने को किसी साफ कपड़े में बांधकर सूंघने से जुकाम ठीक हो जाता है।

शुक्रवार, 23 जुलाई 2021

केमिकल का कमाल, खराब मुरझाई हुई हरी सब्जी एक दम ताजी

केमिकल का कमाल,

खराब मुरझाई हुई हरी सब्जी एक दम ताजी ।

जमीन में भी इतनी ताजी नही होती है जितनी इस केमिकल से होती है।

पोस्ट के साथ दिए गए वीडियो में देखिए कैसे मुरझाई हुई सब्जियों पर केमिकल का प्रयोग करके उसे एकदम ताजी बना देते है




देखिए वीडियो हम जाने अनजाने में कितना जहर खा रहे है।
और यह भी जानिए की इस प्रकार के या अन्य केमिकल का हमारे स्वास्थ्य पर कितना प्रभाव पड़ता है

सब्जियों के साथ क्षेत्रवासी जहर खाने को मजबूर हैं। सब्जियों के साथ यह जहर लोगों के पेट में जा रहा है। इस बारे में न तो किसान जानते हैं और न ही सब्जी विक्रेता और उपभोक्ता। पूछताछ में जो जानकारी प्राप्त हुई है, उसमें घातक रासायनिक तत्वों का प्रयोग स्वास्थ्य एवं श्वास के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभकारी हरी सब्जियां लोगों में विकृति एवं गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती हैं। लोग सब्जियों के साथ बीमारियां घर ले जा रहे हैं। किसान जाने- अनजाने में यह जहर खाने को मजबूर हैं। न अच्छे किस्म के बीज हैं न खाद न पानी और न ही अपेक्षित सुविधा है। उसके बावजूद भी ज्यादा पैदावार की होड़ ने किसानों को कृत्रिम उपाय अपनाने को विवश कर दिया है।

किसान बने अंजान

दवाओं व रसायनिक छिडक़ाव से फसल अच्छी होती है, यह तो किसानों को पता है। लेकिन यह नहीं मालूम कि इससे सब्जियां जहरीली हो जाती हैं। इस कारण वे जहर छिडक़ते रहते हंै। यानी वे अनजाने में ऐसा कर रहे हैं। इसके प्रति आगाज करने के लिए कोई प्रभावी सरकारी या गैर सरकारी कार्यक्रम किसानों तक नहीं पहुंच पाए हैं। जिसमें सब्जियों में जहर के प्रयोग पर रोक लग सके।

सब्जी का रोज लाखों का कारोबार

क्षेत्र में प्रतिदिन लाखों रुपए का सब्जी का कारोबार किया जाता है। इसलिए किसान ज्यादा पैदावार के लिए घातक रसायनों का सहारा लेने के साथ पानी की कमी के कारण अपने आस-पास बहते नालों के गंदे पानी से खेती करते हैं।

किडनी-कैंसर को बढ़ावा

इन सब्जियों में कई तरह के पेस्टीसाइड व मेटल्स जैसे कीटाणु की मात्रा ज्यादा होने लगी है। जो सब्जियों के साथ शरीर में जाकर स्वास्थ्य को भारी नुकसान पहुंचाते हैं। यह जहर शरीर के विभिन्न संवेदनशील अंगों में जमा होता रहता है। इस संबंध में कस्बे के राजकीय अस्पताल के चिकित्सक ने बताया कि सब्जियों में सीसा, कॉपर और क्रोमियम जैसी खतरनाक धातुएं और एंडोसल्फॉन, एचसीएन जैसे घातक पेस्टीसाइड के प्रभाव से उल्टी-दस्त किडनी फेल व कैंसर जैसी बीमारियां सामने आती हंै।

कृषि विशेषज्ञ की राय

कृषि पर्यवेक्षक ने बताया कि किसानों द्वारा पैदावार को बढ़ाने के लिए फसलों पर रसायनिक पेस्टीसाइड का उपयोग बहुतायत में किया जाता है। रसायनिक खादों के बढ़ते प्रयोग से हरी सब्जियों का स्वाद गायब हो चला है। कम समय में ज्यादा सब्जियां तैयार करने के लिए प्रतिबंधित ऑक्सीटोसीन इंजेक्शन मुफीद साबित हो रहा है। पैदावार बढ़ाने की आपाधापी में रसायनों का उपयोग उपभोक्ताओं के लिए जहर साबित हो रहा है। अच्छे तेल-मसालों के उपयोग के बाद भी सब्जियों का स्वाद लोगों को रास नहीं आ रहा है।

फल और सब्जियां स्वस्थ्य आहार का हिस्सा जरूर हैं, लेकिन इनके इस्तेमाल से पहले इनमें मौजूद कीटनाशक और जहरीले रसायनों को निकालना जरूरी है। इसमें लापरवाही कई बीमारियों का शिकार बना सकती है।

विशेषज्ञों के मुताबिक फल और सब्जियों को कीट-पतंगों से बचाने और उसके पैदावार को बढ़ाने के लिए अक्सर कीटनाशक और जहरीले रसायनों का प्रयोग किया जाता है। इनमें आर्सेनिक, डायल्ड्रिन, डीडीआई, डाइऑक्सिन का आमतौर पर उपयोग किया जाता है। जो इंसानी स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं।


ऐसे जहरीले रसायनों को प्रयोग टमाटर, सेब, आड़ू, गोभी, पालक, सलाद, नाशपाती, अंगूर, अजवाइन आदि में प्रयोग किया जाता है। किसान इसके पौधे लगाने के बाद अक्सर ऐसे रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग हरी पत्तिदार सब्जियों पर भी करते हैं। जिससे पौधे जहरीले कीटनाशकों अवशोषित कर लेता है। इसके अंश फलों और सब्जियों में भी मौजूद होते हैं।

बुरी तरह स्वास्थ्य हो सकता है प्रभावित: सफदरजंग अस्पताल के सामुदायिक मेडिसिन विभाग के निदेशक और एचओडी प्रोफेसर डॉक्टर जुगल किशोंर के मुताबिक वयस्कों में ऐसे फल और सब्जियों के सेवन से तंत्रिका तंत्र बाधित करने के साथ हार्मोन भी प्रभावित करता है। वहीं एलर्जी, उच्च रक्तचाप, अवसाद, बांझपन, अस्थमा के साथ कैंसर जैसी घातक बीमारियों को भी उतपन्न कर सकता है।

वहीं बच्चों में इसका दुष्प्रभाव ज्यादा होता है, क्योंकि शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बच्चों के आहार में विशेषतौर पर फल और सब्जियों की तादाद बढ़ाई जाती है। नतीजतन मस्तिष्क से संबंधित विकार के साथ उनकी याददाश्त को भी प्रभावित कर सकता है। इन कीटनाशक और रासायनिक दुष्प्रभाव के कारण बच्चा मंद बुद्धि भी हो सकता है। व्यस्कों और बच्चे दोनों का पाचन तंत्र भी प्रभावित होने के आसार
रहते हैं।


इन बातों को रखें ध्यान
1.अच्छी गुणवत्ता वाली फल-सब्जियां खरीदें। खासतौर से जिनपर दाग-धब्बे न हों।
2.इन्हें काटने से पहले अच्छी तरह पानी से धो लें। सब्जियों को काटने और पकाने से पहले जरूर रनिंग वाटर से धोएं।
3.बाजार से कटे हुए फल खरीदकर कभी भी न खाएं।
4.फंगस और मॉउल्ड से प्रभावित सब्जियों और फलों का इस्तेमाल न करें।
5,हरी और पत्तिदार सब्जियों के पत्तों के ऊपरी आवरण पर खतरनाक रासायनों का अवशेष होता है। इसलिए इसे बारीकी से धोना आवश्यक है।
6.फल और सब्जियों को काटने के बाद किसी अच्छे साबुन से हाथ जरूर धोकर ही कोई अन्य कार्य करें।

आर्गेनिक उत्पाद ही विकल्प है इसका

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