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सोमवार, 10 जुलाई 2023

5G और 4G में कितना अंतर है?

 

अगर हम मात्र भारत की ही बात करें तो आपको बता देते हैं कि भारत में रिलायंस जियो के बाजार में आने के बाद से लोगों ने असल मायने में 4G क्षमता को देखा है। इसके अलावा सस्ते इन्टरनेट की शुरुआत भी उसी दिन से हुई थी। हालाँकि अब यह दौर बदल गया है, और आज हम देख रहे हैं कि लगभग सभी टेलीकॉम कंपनियों की ओर से अपने टैरिफ प्लान्स की कीमत में बढ़ोत्तरी की है। एक दौर था जब हम मात्र 2G नेटवर्क पर ही नेट का इस्तेमाल किया करते थे, इसके बाद 3G ने अपनी जगह बाजार में बनाई और इसके बाद 4G ने अपनी एक अलग ही जगह बनाई है। अब सुनने में आ रहा है कि 5G को भी दुनियाभर में लाया जाने वाला है, आपको बता देते हैं कि US में कई कैरियर की ओर से 5G को पेश कर दिया गया है, हालाँकि भारत में और कई देशों में इसे आने में अभी भी समय लगने वाला है। अगर हम असल चीजों पर गौर करें तो ऐसा हो सकता है कि भारत में 5G को आने में लगभग 2 और साल का समय लगे। हमें इस बारे में जरुर पता होना चाहिए कि आखिर 5G और 4G के बीच बड़ा क्या अंतर है, जिसके माध्यम से यह दोनों ही नेटवर्क एक दूसरे से बिलकुल ही अलग नजर आते हैं। आज हम आपको इसी बारे में बताने वाले है कि आखिर 4G और 5G के बीच क्या अंतर हैं?

5G आखिर क्या है?

5G को एक इंडस्ट्री स्टैण्डर्ड के तौर पर देखा जा सकता है जो वर्तमान में चल रहे 4G LTE स्टैण्डर्ड से कुछ आगे बढ़कर सामने आने वाला है। जैसे कि 3G के स्थान पर 4G ने अपनी जगह बनाई थी वैसे ही ऐसा माना जा रहा है यह fifth generation के स्थान पर 5G नाम से आने वाला है। इसका मतलब है कि यह इस स्टैण्डर्ड का पांचवां standard है।

इसे अभी वर्तमान में चल रहे 4G LTE तकनीकी से भी तेज़ गति से चलने के लिए निर्मित किया गया है। हालाँकि इसे मात्र स्मार्टफोन में इन्टरनेट की स्पीड को बढ़ाने को लेकर ही नहीं देखा जा रहा है। लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि इसके साथ फास्टर वायरलेस इन्टरनेट को सभी जगह सभी के लिए पहुँचाया जा सकता है। इसके माध्यम से कार्स को कनेक्ट किया जा सकता है। यह आप आसानी से स्मार्टफोंस के साथ कर सकते हैं। ऐसा भी कहा जा सकता है कि भविष्य में आपके स्मार्टफोन के साथ अन्य सेलुलर कनेक्टिविटी वाले डिवाइस जो आपके पास हैं। वह सब 4G LTE तकनीकी के स्थान पर 5G का इस्तेमाल उसी तरह से करने वाले हैं, जैसा कि आज हम 4G का कर रहे हैं।

क्या होता है 4G?

इसे सीधे शब्दों में कहें, तो 4G को मोबाइल प्रौद्योगिकी की चौथी पीढ़ी के रूप में परिभाषित किया गया है जो 2G और 3G नेटवर्क के बाद सामने आई है, या ऐसा भी कह सकते हैं कि जो 2G और 3G का अनुसरण करती है। इसे कभी-कभी 4G एलटीई भी कहा जाता है, लेकिन यह तकनीकी रूप से सही नहीं है क्योंकि एलटीई केवल एक प्रकार का 4G है। वर्तमान में यह सबसे उन्नत तकनीक है जिसे अधिकांश मोबाइल नेटवर्क सेवा प्रदाताओं द्वारा अपनाया जा रहा है। जब यह शुरू में बाजार में आया तो 4G ने दुनिया में एक बड़ा बदलाव किया, हम मोबाइल इंटरनेट का उपयोग कैसे करते हैं, इसे भी 4G ने पूरी तरह से बदलकर रख दिया। जबकि 3G नेटवर्क अपेक्षाकृत तेज़ है, और इसमें कोई भी दोराय नहीं है, लेकिन 4G नेटवर्क कनेक्शन ने उपयोगकर्ताओं को वेब ब्राउज़ करने और मोबाइल उपकरणों पर एचडी वीडियो स्ट्रीम करने की आज़ादी दी, जिसके बाद स्मार्टफोंस आधुनिक युग के कंप्यूटरों में बदल गए।इसी कारण आप वह सभी काम जो लैपटॉप या डेस्कटॉप कंप्यूटर पर स्मार्टफोन या टैबलेट जैसे मोबाइल उपकरणों पर कर सकते हैं। इन्हें करने में 4G नेटवर्क सुनिश्चित करता है कि आपको कितने भी डाटा की आवश्यकता हो, आप लगभग हर जगह स्थिर गति पा सकते हैं।

कितना फ़ास्ट होने वाला है 5G नेटवर्क?

टेक कंपनियां 5G से काफी आशाजनक हैं। जबकि सैद्धांतिक 100 मेगाबिट्स प्रति सेकंड (एमबीपीएस) में 4G टॉप पर है, हालाँकि 5G के मामले में यह टॉप 10 गीगाबिट्स प्रति सेकंड (जीपीएस) होने वाला है। इसका मतलब है कि 5G वर्तमान 4G तकनीक की तुलना में सौ गुना तेज होने वाला है।उदाहरण के लिए, उपभोक्ता प्रौद्योगिकी एसोसिएशन की एक रिपोर्ट में ऐसा भी सामने आ चुका है कि इस गति से, आप 5G पर केवल 3.6 सेकंड में, 4G पर 6 मिनट बनाम 3G पर 26 घंटे में दो घंटे की फिल्म डाउनलोड कर सकते हैं।यह सिर्फ कहने वाली बात नहीं है, 5G में विलंबता को कम करने का वादा किया गया है, जिसका अर्थ है कि इंटरनेट पर कुछ भी करने के दौरान तेजी से लोड समय और बेहतर जवाबदेही बनने वाली है। विशेष रूप से, विनिर्देश आज 4G LTE पर 5G बनाम 20ms पर 4ms की वादा करता है।

शुक्रवार, 7 जुलाई 2023

कंगना के घर के मलबे का बोझ उठाना शिवसेना को कैसे भारी पड़ेगा?

 
कंगना के घर के मलबे का बोझ उठाना शिवसेना को कैसे भारी पड़ेगा?

जब पूरी सरकार किसी एक व्यक्ति के खिलाफ हो जाये तो सरकार का ही नुकसान होता है।

कंगना ने उद्धव ठाकरे को "तू" बोल दिया अब घर भी गिरा कर इज़्ज़त नही आने वाली। bjp ने उसको Y कैटेगरी की सुरक्षा दे ही दी है। जनता में तो कंगना हीरोइन बन ही गई।

राजनीति सत्ता का खेल है। पिछले बिहार चुनाव में bjp और नीतीश ने एक दूसरे को भर-भर के गालियां दी । इनके समर्थक आपस मे जम के लड़ लिए, 2 साल बाद इन दोनों ने हाथ मिला लिया।

हो सकता है 6 महीने बाद bjp- सेना एक साथ हो जाएं और कंगना को साइड में कर दें। बड़े नेता पावर के लिए ईगो छोटा कर लेते हैं।

अभी के लिए तो कंगना ने महाराष्ट्र सरकार को शह और मात दे दी।

ये भी मुम्बई के हाल हैं,BMC इस पर काम करे तो ज्यादा अच्छा हो।


जीवन में गुरु का क्या महत्व है ?

 

चींटी कितनी छोटी

उसको यदि हरिद्वार से ऋषिकेश यात्रा करना हो तो लगभग तीन-चार जन्म लेना पड़ेगा लेकिन यही चींटी हरिद्वार जाने वाले व्यक्ति के कपड़े पर चढ़ जाए तो सहज यही तीन-चार घंटे में ऋषिकेश पहुंच जाएगी।

ठीक इसी प्रकार अपने प्रयास से भवसागर पार करना कितना कठिन पता नहीं कई जन्म लग सकते हैं इसकी अपेक्षा यदि हम गुरु का हाथ पकड़ ले और उनके बताए सन्मार्ग पर श्रद्धा पूर्वक चलें तो आसानी से आपको भवसागर पार करा सकते हैं। मैंने ज्योतिष शास्त्र अपने गुरुदेव ज्योतिषाचार्य आशुतोष वार्ष्णेय प्रयागराज से सीखा जिसके कारण कोरा पर मेरे इतने सारे फॉलोअर हो गए

यह सारा श्रेय उनके द्वारा सिखाई गई ज्योतिष विद्या एवं मेरे द्वारा मेहनत करके लिखी गई ज्योतिष पर उत्तर को जाता है यानी कि भाग्य प्लस कर्म मिलकर सफलता दिलाता है यही इस उत्तर का मूल स्रोत है ।चित्र सोर्स है गूगल इमेजेस।

रिपब्लिक भारत के एंकर विकास शर्मा की मृत्यु अचानक कैसे हुई?


 

किसी भी इंसान की मौत बीमारी के वजह से कम होतो है,, लेकिन धोका के वजह से ज्यादा होता है!और विकास शर्मा के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है!

स्वर्गीय विकास शर्मा जी के बारे में कुछ ऐसी बातें पता चली जिसे जानकर में चौक गया की स्क्रीन पर अपनी बुलंद आवाज में रिपोर्टिंग करता यह व्यक्ति अंदर ही अंदर कितना घुट रहा था और कितना बुरी तरह से टूट चुका था

विकास शर्मा जी कानपुर देहात के छोटे से गांव के थे और पत्रकारिता की डिग्री ली और कई चैनलों में काम करते हुए रिपब्लिक तक पहुंचे

उन्होंने एक लड़की से प्रेम विवाह किया था उस लड़की को प्राथमिक स्कूल में टीचर की सरकारी नौकरी मिल गई उसके बाद उसके चाल चलन और आदतें व्यवहार बदल गया

विकास शर्मा जी की पत्नी ने इनके ऊपर दहेज उत्पीड़न से लेकर इनके बुजुर्ग पिताजी के ऊपर मॉलेस्टेशन का केस दर्ज करवा दिया था जिससे विकास शर्मा जी बुरी तरह टूट चुके थे विकास शर्मा जी अपने मां-बाप के इकलौते लड़के थे इनकी दो बहने थी बड़ी बहन की शादी विकास शर्मा जी ने बहुत धूमधाम से की थी लेकिन किसी कारणों से विकास शर्मा जी की बड़ी बहन का घर भी टूट गया और वह अपने पति से अलग हो गई

विकास शर्मा के एक सहकर्मी ने कि यह व्यक्ति इतना टूट चुका था कि रविवार को भी घर नहीं जाता था कि मैं घर जाऊंगा फिर खाली दिमाग शैतान का घर वाली कहावत हो गई इसलिए वह ऑफिस में काम करता रहता था सब लोग शिफ्ट पूरी होने के बाद अपने घर चले जाते थे लेकिन विकास शर्मा जब तक नींद नहीं आए तब तक ऑफिस में काम करते रहते थे क्योंकि विकास शर्मा यह सोचते थे कि जब घर पर कोई है ही नहीं तो फिर घर जाकर क्या फायदा

कोर्ट कचहरी पुलिस स्टेशन के चक्कर लगा लगा कर थक चुके थे

अंदर ही अंदर घुट रहे विकास शर्मा जी को पहले कोरोनावायरस से ठीक होने के बाद उन्हें हार्ट अटैक आया और मात्र 36 साल की उम्र में वह ईश्वर के प्यारे हो गए

दरअसल सच्चाई यह है भारत के दो कानून काले कानून है लेकिन पता नहीं क्यों लोग उन्हें काला कानून नहीं कहते एक दहेज उत्पीड़न एक्ट और दूसरा दलित उत्पीड़न एक्ट यह दोनों कानून सिर्फ दुरुपयोग के लिए बने हैं और इन दोनों कानूनों ने न जाने कितने लोगों की हत्या की है

यह post है Rupay के बारे में.


2014 में Rupay Card launch हुआ था... तब इसे एक जुमला माना गया था...... इसे जनधन account के साथ जोड़ा गया था, जिसे एक और जुमला समझा जा रहा था..... ऐसा बताया जा रहा था, कि ये योजनाएं फुस्स हो जाएंगी.

हालांकि सरकार ने यह सब Plan करके ही किया था. आज इन योजनाओ को शुरू हुए 9 साल हो गए हैं.... जनधन एक बहुत बड़ी सफलता साबित हुआ है.



लेकिन यह post है Rupay के बारे में.
मात्र 9 सालों में ही 70 करोड़ से ज्यादा Rupay Debit Card activate हो चुके हैं.

वहीं अगर credit card की बात की जाए, तो लगभग 9 करोड़ Rupay Credit Cards के साथ यह Credit Card market का 20% से थोड़ा ज्यादा market पर कब्ज़ा कर चुका है.

इसके अलावा Rupay अब 30 देशों में पहुंच चुका है.. और ऊपर बताये Figures एकदम से बढ़ने वाले हैं.

Rupay कितना बड़ा Game खेल रहा है.. यह समझने के लिए दुनिया के 2 सबसे बड़े Payment Systems और Card Services Visa और Mastercard के बारे में जानते हैं.


Visa बना 1958 में बना, और आज इसके 290 करोड़ (Credit +Debit cards) के आस पास users हैं.
Mastercard बना 1966 में... और आज इसके 150 करोड़ (Credit +Debit cards) के आस पास Users हैं.

वहीं Rupay card मात्र 9 साल में 80 करोड़ से ऊपर Users वाला system बन गया है. Rupay की Transactions fees सबसे कम है, यह UPI के साथ Integrated है, ढेरों Payment Options में इस्तेमाल किया जा सकता है.

यही कारण है कि Rupay का Usage अब बढ़ता जा रहा है... और इससे घबराई Visa और Mastercard ने अमेरिकी सरकार को request भी की थी, कि वह भारत सरकार से इस बारे में बात करे....लेकिन भारतीय सरकार ने इस पर कुछ नहीं सुना.

क्यूंकि उन्हें तो Visa और Mastercard के एकाधिकार को तोडना है...... और अब तो RBI ने Card Change करना भी allow कर दिया है...अब Rupay के figures और बढ़ेंगे.

आप भी अब Rupay Card ले सकते हैं... और देसी Payment System को मजबूत बना सकते

बुधवार, 5 जुलाई 2023

लिवर का इलाज़


- लिवर का इलाज़ :-

ये अपने शरीर का ऐसा हिस्सा हे क कभी भी ठीक नही हो सकता अगर एक बार बिगड़ गया तो।आधुनिक जगत के डॉक्टर हैयर ट्रांसप्लांट ,हार्ट ट्रांसप्लांट।किडनी ट्रांसप्लांट बोने ट्रांसप्लानेट ,आइ (आँख ) ट्रांसप्लांट आदि आदि ट्रांसप्लांट करने मे सफल हुए हे लेकिन लिवर ट्रांसप्लांट मे कोई सफल नही हुए हे अगर हुए भी हे तो मरीज को मुर्दा जीवन दे क चोर देती हे इसकी इलाज़ से कोई पूर्णतया ठीक नही हुआ हे और आधुनिक जगत के वैज्ञानिक लगे पड़े हे इलाज़ ढूंढने मे अभी भी॥कभी बकरी का लिवर लगेंगे कभबी बंदर का कभी बैल का कभी किसका लेकिन कोई बच नही पाया ॥अपने आयुर्वेद मे ऐसे ऐसे अद्भुत पददती और नुस्खे हे जो लगते बड़े आसान हे ,अचंभे कर देंगे लेकिन परिणाम कारक इलाज़ कर देंगे ।

ये लेख को हम जंबुज कर दे रहे हे ताकि इस अद्भुत बात की सब को खबर मिले । खट्टे आम क आचार , ये लिवर का सब से बड़ा दुश्मन हे इससे तो परहीज ही रखना चाहिए । आचार खाना ही पड़े तो नींबू या आंवले का ठीक हे लेकिन कच्चे कैर्री का तो तौबा करा देगा।घुटनो क दर्द से पीड़ित को तो आचार से रिस्ता ही तोड़ देना चाइए। वर्ण किसी दिन ये लाइलाज हो जाएगी बीमारी।

:- लिवर का इलाज़ :-
सुबह सुबह खाली पेट सबूत चावल के दाने को एक चुटकी जितना लेकर निगल ले पनि से ।ध्यान रहे क चावल क दाने टूटे हुए न लें और फिर उसके आधे घंटे बाद कुछ कहये ।आपकी लिवर को नयी ज़िदगी मिलेगी इस प्रयोग से।

मंगलवार, 4 जुलाई 2023

शिव का सावन

शिव का सावन
#शिव का सावन #समुद्र-मंथन #विनाशकारी रत्न हलाहल #कंठ #पवित्र गंगा #प्रकृति के ही देवता #जय श्री राम
आज सावन का आरंभ हो गया है। सावन को भगवान शिव का महीना कहा गया है। इस मान्यता के पीछे की पौराणिक कथा यह है कि प्राचीन काल में देवों और असुरों के संयुक्त प्रयास से समुद्र-मंथन का अभियान सावन में ही चला था। अभियान में मिले ज्यादातर रत्नों का बंटवारा तो देवों और असुरों ने आपस में कर लिया लेकिन एक विनाशकारी रत्न हलाहल का कोई दावेदार नहीं था। सृष्टि को इस विष के घातक प्रभाव से बचाने के लिए शिव ने उसे स्वयं पीना स्वीकार किया। यह नीला जहर उनके कंठ में एकत्र हो गया जिसके कारण उन्हें नीलकंठ का नाम मिला। उनके शरीर में विष का ताप कम करने के लिए देवों ने दूर-दूर से गंगाजल लाकर उनका अभिषेक किया। तब से शिवभक्तों द्वारा सावन के महीने में पवित्र गंगा से जल लेकर भारत के विभिन्न ज्योतिर्लिंगों और शिव मंदिरों में अर्पित करने की परंपरा चली आ रही है। यह कथा तो खैर कथा ही है, वरना जिस शिव की जटा में ही गंगा का वास है उनके लिए कहीं दूर से गंगाजल ढोकर लाने की क्या आवश्यकता थी ?

मेरी समझ से शिव और सावन का रिश्ता यह है कि सावन में प्रकृति अपने को नए सिरे से गढ़ती है और शिव प्रकृति के ही देवता हैं। प्रकृति के एक विराट रूपक। पर्वत उनका आवास है। वन उनकी क्रीड़ाभूमि। सांप, बैल, मोर, चूहा उनके परिवार के सदस्य हैं। उनके पुत्र गणेश का सर हाथी का है। उनकी पत्नी पार्वती के एक रूप दुर्गा का वाहन सिंह है। नदी उनकी जटाओं से निकलती है। योग से वे वायु को नियंत्रित करते हैं। उनकी तीसरी आंख में अग्नि का तेज और माथे पर चंद्रमा की शीतलता है। उनका त्रिशूल प्रकृति के तीन गुणों – रज, तम और सत का प्रतीक है। उनके डमरू के स्वर में प्रकृति का संगीत है। उनके तांडव में प्रकृति का आक्रोश। उनकी पूजा दुर्लभ और महंगी पूजन सामग्रियों से नहीं, प्रकृति में बहुतायत से उपलब्ध बेलपत्र, भांग की पत्तियों, धतूरे और कनैल के फूलों से होती है। शिव निश्छल, भोले, कल्याणकारी हैं। एकदम प्रकृति की तरह। शिव का जीवन इस बात का प्रतीक है कि प्रकृति से तादात्म्य स्थापित कर जीवन में सुख-शांति, सरलता, सादगी, शौर्य, योग, अध्यात्म सहित कोई भी उपलब्धि हासिल की जा सकती है। शिव का सावन प्रकृति के साथ साहचर्य का संदेश है। यह चेतावनी भी कि प्रकृति के साथ अनाचार का नतीजा अंततः प्रलयंकारी तांडव के सिवा कुछ नहीं होने वाला है।

आप सबको सावन की असीम शुभकामनाएं !

जय श्री राम

इस बार दो महीने का होगा सावन, वर्षों बाद बना है बेहद शुभ संयोग

आज से शुरू होगा सावन मास
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इस बार दो महीने का होगा सावन, वर्षों बाद बना है बेहद शुभ संयोग
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सावन का महीना महादेव को समर्पित है। इस पवित्र महीने में भगवान शिव की उपासना की जाती है। कहा जाता है कि सावन के महीने में हर एक सोमवार को भगवान शिव की उपासना करने से जीवन में सुख समृद्धि आती है। साथ ही व्यक्ति की मनोकामना भी पूरी होती है। कहा जाता है कि सावन का महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। श्रावण मास की शुरुआत कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है। इस बार सावन का महीना करीब 2 महीने का रहने वाला है। आइए जानते हैं कब से शुरू होगा सावन का महीना। इस बार सावन में 8 सोमवार पड़ने वाले हैं। यानी इस बार सावन का महीना 2 महीने का रहने वाला है। 

कब से शुरू हो रहा है सावन 
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हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार सावन का महीना करीब 2 महीने का होने वाला है। सावन मास की शुरुआत 4 जुलाई 2023 से होगी और 31 अगस्त 2023 तक रहेगा। यानी इस बार भक्तों को भगवान शिव की उपासना के लिए कुल 58 दिन मिलने वाले हैं। कहा जाता है कि यह शुभ संयोग 19 साल बाद बना है।

दरअसल, इस बार 18 जुलाई से 16 अगस्त तक सावन अधिकमास रहने वाला है। यानी इस बार 18 जुलाई से 16 अगस्त तक मलमास रहेगा। यानी इस बार सावन में भगवान शिव के साथ साथ भगवान विष्णु की भी कृपा प्राप्त होगी।

बता दें कि वैदिन पंचांग की गणना सौर मास और चंद्रमास के आधार पर की जाती है। चंद्रमास 354 दिनों का होता है। और सौर मास 365 दिन का। ऐसे में 11 दिन का अंतर आता है और 3 साल के अंदर यह अंतर 33 दिन का हो जाता है। जिसे अधिकमास कहा जाता है। इस बार सावन एक की बजाय दो महीना का होने वाला है। यानी इस बार भोलेनाथ के भक्तों को उनकी उपासना करने के लिए 8 सोमवार मिलेंगे।

सावन का महीना महादेव को समर्पित है। इस पवित्र महीने में भगवान शिव की उपासना की जाती है। कहा जाता है कि सावन के महीने में हर एक सोमवार को भगवान शिव की उपासना करने से जीवन में सुख समृद्धि आती है। साथ ही व्यक्ति की मनोकामना भी पूरी होती है। कहा जाता है कि सावन का महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। श्रावण मास की शुरुआत कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है। इस बार सावन का महीना करीब ०२ महीने का रहने वाला है। आइए जानते हैं कब से शुरू होगा सावन का महीना। इस बार सावन में ०८ सोमवार पड़ने वाले हैं। यानी इस बार सावन का महीना ०२ महीने का रहने वाला है। 


सावन सोमवार का महत्व
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कहा जाता है कि जो व्यक्ति सावन के सोमवार का व्रत करता है उसके वैवाहिक जीवन में खुशहाली बनी रहती है साथ ही जीवन में सुख समृद्धि की कमी भी नहीं रहती है। सावन के महीने में भगवान शिव पर धतूरा, बेलपत्र चावल चंदन, शहद आदि जरूर चढ़ाना चाहिए। सावन के महीने में की गई पूजा से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं। इसके अलावा सावन के सोमवार का व्रत करने से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है। साथ ही आपका स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है।

०४ जुलाई २०२३ से शुरु हो रहा है सावन का
पवित्र महीना, कैसे करें भगवान शिव को प्रसन्न?
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देवों के देव महादेव अपने भक्त की थोड़ी सी भक्ति पर भी प्रसन्न हो जाते हैं और उसको उसका मनवांछित फल दे देते हैं, तभी तो उन्हें भोलेनाथ भी कहते हैं। आप अगर जीवन में हर तरफ से संकटों से घिर जाते हो तो महादेव की आराधना ही आपको सभी कष्टों से दूर करती है। पर भगवान भोलेनाथ की आराधना भक्त के सभी संकट दूर करती हैं।

सावन के महीने की शुरुआत हो गई है। कहते हैं कि सावन का ये महीना भगवान शिव को बेहद प्रिय है और शास्त्रों में भी इसे पवित्र महीना माना गया है। शिव भक्तों को इस महीने का बेसब्री से इंतजार रहता है। गुरुवार यानि ०४ जुलाई से इस पवित्र महीने की शुरुआत हो रही है। मान्यता है कि इस पूरे महीने में भगवान शिव की विधिवत पूजा करने से वो प्रसन्न होते हैं। साथ ही ये भी मान्यता हैं कि जो भक्त सावन मास के सोमवार की पूजा करता है या व्रत रखता है तो भोलेनाथ उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

सभी देवी देवताओं में भगवान शिव ही अकेले ऐसे देवता है, जिन्हें प्रसन्न करना बेहद आसान है। कहते हैं कि इस महीने में भगवान शिव पर जलाभिषेक करने से शिवजी जल्दी प्रसन्न होते हैं। याद रखें कि इस दौरान भगवान शिव का मंत्रोचारण जरुर करें, महामृत्युञ्जय मंत्र उनका प्रिय मंत्र है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव के महामृत्युञ्जय मन्त्र का जाप करने से काल के भय से छुटकारा मिल जाता है। ये मंत्र है:

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीयमाऽमृतात्‌॥

ॐ नमः शिवाय.

सोमवार के दिन कैसे करें भगवान शिव की पूजा?

-सावन में सोमवार के दिन जल्दी उठकर स्नान करें।

-इसके बाद भगवान शिव का जलाभिषेक करें।

-साथ ही माता पार्वती और नंदी को भी गंगाजल या दूध चढ़ाएं।

-पंचामृत से रुद्राभिषेक करें और बेलपत्र अर्पित करें।

-शिवलिंग पर धतूरा, भांग, चंदन चढ़ाएं और सभी को तिलक लगाएं।

-प्रसाद के रूप में भगवान शिव को घी-शक्कर का भोग लगाएं।

-धूप और दीप से गणेश जी की आरती करें।

-आखिर में भगवान शिव की आरती करें और सभी को प्रसाद बांटें।

मान्यता है कि सावन महीने भगवान शिव की विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना करने से शिव भक्तों पर भगवान शिव की कृपा सदैव बनी रहती है और आर्थिक परेशानियों से छुटकारा भी मिलता है।

शनिवार, 1 जुलाई 2023

20 घरेलू नुस्खे जो आपको रखेंगे सभी रोगों से दूर, यकीन न होतो आजमा कर देख ले।

जनोपयोगी नुस्खे
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20 घरेलू नुस्खे जो आपको रखेंगे सभी रोगों से दूर, यकीन न होतो आजमा कर देख ले।
1👉 प्याज के रस को गुनगुना करके कान में डालने से कान का दर्द ठीक होता है।

2👉 प्रतिदिन 1 अखरोट और 10 किशमिश बच्चों को खिलाने से बिस्तर में पेशाब करने की समस्या दूर होती है।

3👉 टमाटर के सेवन से चिढ़ चिढ़ापन और मानसिक कमजोरी दूर होती है।यह मानसिक थकान को दूर कर मस्तिस्क को तंदरुस्त बनाये रखता है। इसके सेवन से दांतो व् हड्डियों की कमजोरी भी दूर होती है।

4👉 तुलसी के पत्तो का रस,अदरख का रस और शहद बराबर मात्रा में मिलाकर 1-1चम्मच की मात्रा में दिन में 3 से 4 बार सेवन करने से सर्दी, जुखाम व खांसी दूर होती है।

5👉 चाय की पत्ती  की जगह तेज पत्ते की चाय पीने से सर्दी, जुखाम, छींके आना, नाक बहना ,जलन व सरदर्द में शीघ्र आराम मिलता है।

6👉 रोज सुबह खाली पेट हल्का गर्म पानी पीने से चेहरे में रौनक आती है वजन कम होता है, रक्त प्रवाह संतुलित रहता है और गुर्दे ठीक रहते है।

7👉 पांच ग्राम दालचीनी ,दो लवंग और एक चौथाई चम्मच सौंठ को पीसकर 1 लीटर पानी में उबाले जब यह 250 ग्राम रह जाए तब इसे छान कर दिन में 3 बार पीने से वायरल बुखार में आराम मिलता है।

8👉 पान के हरे पत्ते के आधे चम्मच रस में 2 चम्मच पानी मिलाकर रोज नाश्ते के बाद पीने से पेट के घाव व अल्सर में आराम मिलता है।

9👉 मूंग की छिलके वाली दाल को पकाकर यदि शुद्ध देशी घी में हींग-जीरे का तड़का लगाकर खाया जाए तो यह वात, पित्त, कफ तीनो दोषो को शांत करती है।

10👉  भोजन में प्रतिदिन 20 से 30 प्रतिशत ताजा सब्जियों का प्रयोग करने से जीर्ण रोग ठीक होता है उम्र लंबी होती है शरीर स्वस्थ रहता है।

11👉 भिन्डी की सब्जी खाने से पेशाब की जलन दूर होती है तथा पेशाब साफ़ और खुलकर आता है।

12👉  दो तीन चम्मच नमक कढ़ाई में अच्छी तरह सेक कर गर्म नमक को मोटे कपडे की पोटली में बांधकर सिकाई करने से कमर दर्द में आराम मिलता है।

13👉  हरी मिर्च में एंटी आक्सिडेंट होता है जो की शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और कैंसर से लड़ने में मदद करता है इसमें विटामिन c प्रचुर मात्रा में होता है जो की प्राकृतिक प्रतिरक्षा में सुधार करता है।

14👉  मखाने को देसी घी में भून कर खाने से दस्तो में बहुत लाभ होता है इसके नियमित सेवन से रक्त चाप , कमर दर्द, तथा घुटने के दर्द में लाभ मिलता है।

15👉  अधिक गला ख़राब होने पर 5 अमरुद के पत्ते 1 गिलास पानी में उबाल कर थोड़ी देर आग पर पका ठंडा करके दिन में 4 से 5 बार गरारे करने से शीघ्र लाभ होता है।

16👉 आधा किलो अजवाइन को 4 लीटर पान में उबाले 2 लीटर पानी बचने पर छानकर रखे, इसे प्रतिदिन भोजन के पहले 1 कप पीने से लिवर ठीक रहता है एवं शराब पीने की इच्छा नहीं होती।

17👉  नीम की पत्तियो को छाया में सुखा कर पीस लें, इस चूर्ण में बराबर मात्रा में कत्थे का चूर्ण मिला ले।इस चूर्ण को मुह के छालो पर लगाकर टपकाने से छाले ठीक होते है।

18👉  प्रतिदिन सेब का सेवन करने से ह्रदय,मस्तिस्क तथा आमाशय को समान रूप से शक्ति मिलती है तथा शरीर की कमजोरी दूर होती है।

19👉  20से 25 किशमिश चीनी मिटटी के बर्तन में रात को भिगो कर रख दें।सुबह इन्हें खूब चबा कर खाने से लो ब्लड प्रेसर में लाभ मिलता है व शरीर पुष्ट होता है।

20👉 अमरुद में काफी पोषक तत्व होते है .इसके नियमित सेवन से कब्ज दूर होती है और मिर्गी, टाईफाइड , और पेट के कीड़े समाप्त होते है।
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गुरुवार, 29 जून 2023

100 करोड़ लोगों के रोजगार की योजना


*100 करोड़ लोगों के रोजगार की योजना* 

जी हां , स्वतंत्र रोजगार ! नौकरी नहीं ! अपना स्वयं का रोजगार, वह भी हजारों पीढ़ियों तक आनंद के साथ प्राप्त होने वाला रोजगार.....। *परिणाम* - राष्ट्र की सभी समस्याओं का समाधान। जी हां , रोजगार के साथ-साथ राष्ट्र की सभी की सभी समस्याओं का समाधान।
राष्ट्र के शहरों में मेक इन इंडिया की मशीनों से दी जाने वाली रोजगार योजना कुछ हजार लोगों को अमीर बना कर करोड़ों - करोड़ों लोगों को गरीब मात्र गरीब बनाने वाली योजना है। यह मशीन के उद्योगों की व्यवस्था भारत की आबादी की शक्ति के लिए बेरोजगारी बढ़ाकर भारतीय प्रजा के प्राण समान संस्कृति के लिए विनाश ही विनाश लाने वाली योजना (व्यवस्था) है।
भारत में विकास लाने वाली,भारतीय प्रजा में वास्तविक विकास लाने वाली एकमात्र व्यवस्था है। वह है गोचर भूमि और जल की व्यवस्था स्थापित करना। जो इस प्रकार हैं....( *1* ) भारत के हर गांव के बाहर जो गोचर भूमि होती है। उस पर षड्यंत्र के तहत उगाएं गए अंग्रेजी बबूल को हटाना।
गोचर भूमि से अंग्रेजी बबूल हटाकर गोचर भूमि की बाउंड्री पर चारों और छोटे छोटे तालाब खोदना। गोचर में घास के बीज की बुवाई करके कुछ बड़े वृक्षों का रोपण करना। फुआरा सिस्टम से घास को पानी पिला कर हम प्रतिवर्ष    खरबों टन चारा प्राप्त कर पाएंगे। प्राचीन रोजगार के प्राण समान गोवंश को एक बार की इस व्यवस्था से हजारों वर्षों तक चारा प्राप्त होता रहेगा। (सूचना - विकसित करने की कार्य पद्धति में परिवर्तन संभावित है) ( *2* ) भरपूर मात्रा में गोवंश की हत्या करने के पश्चात गोवंश के उपलों के इंधन की कमी हुई। इंधन की पूर्ति के लिए लोगों ने वृक्ष काटे। वृक्ष कटने से मिट्टी बह कर नदियों में चली गई। परिणामत: नदियों में पानी रुकना व जमीन में उतरना बंद हो गया।अतः सभी नदियों में से 10 से 40 फीट मिट्टी निकाल लेनी चाहिए। मिट्टी पुनः नदी में ना जाए इसलिए नदी की पाल पर और संपूर्ण गांव में गहराई की जड़ों वाले वृक्षों का रोपण करना होगा। तथा नदी की पाल पर और गांव की खाली जगहों पर घास उगानी होगी।
भारत में 6 लाख 50 हजार गांव है। जहां उपरोक्त यह दोनों प्रकार की व्यवस्था करने मात्र से ही 100 करोड़ लोगों को बिल्कुल सरलता पूर्वक रोजगार(व्यवसाय) उपलब्ध कराने के मार्ग खुल जाते हैं। मात्र 3 वर्षो की मेहनत से राष्ट्र को आर्थिक मजबूती के साथ अजेय शक्ति के रूप में निश्चित ही खड़ा कर सकते हैं। यह सभी व्यवसाय एक दूसरे की पूरक हैं। एक दूसरे की रक्षक हैं। एक दूसरे की पोषक हैं। अर्थात सभी मिलजुल कर ही यह सभी व्यवसाय(अर्थ पुरुषार्थ) कर सकते हैं। हर हाथ को काम देने वाली यह व्यवस्था जीवित रखकर एक गांव में 1500 लोगों को रोजगार उपलब्ध करा सकते हैं । इस हिसाब से संपूर्ण भारत में 100 करोड़ लोगों को रोजगार उपलब्ध करा सकते हैं। आइए इसे हम विस्तार से देखते हैं....।
[ *सूत्र* :-- एक गांव में..... परिवार (5 सदस्य) के हिसाब से ...... लोगो को रोजगार प्राप्त होगा। संपूर्ण भारत (650000 गांव) मैं...... करोड लोगों को रोजगार प्राप्त होगा।]
*✓ *कृषि* - कृषि के लिए सबसे महत्वपूर्ण गोबर के खाद की ओर पानी की उपरोक्त व्यवस्था होने से एक गांव में 200 परिवार के हिसाब से संपूर्ण भारत में 65 करोड लोगों को रोजगार प्राप्त होगा।(200×5=1000×650000 = 65 करोड) *परिणाम* - धरती माता को बिना जहर का नुकसान पहुंचाए , लोगों को कैंसर जैसी भयंकर बीमारियों से मुक्ति मिलेगी। किसान लगभग बिना पैसे लगाए आज की अपेक्षा कई गुना अधिक उत्पादन कर पाएंगे। युद्ध काल में अन्न भंडार, औद्योगिक क्षेत्र , जल भंडार (डेम) पर बम वर्षा कर दे तो उससे कई गांव व शहर बर्बाद हो सकते हैं। किंतु उससे अधिक नुकसान सिंचाई के लिए पानी नहीं मिलने से होता है। अंततःभूखे मर रही जनता में विद्रोह होने की संभावना रहती है।
 जिसे प्राचीन नदी, तालाब जैसी व्यवस्था से रोक सकते हैं। युद्ध के समय महंगे बमो की वर्षा शहरों पर ही होती है। किसी भी बम के सामने बम डाले जा सकते हैं। किंतु रक्षा के लिए गोमूत्र , गो दूध , घी से रोग प्रतिकार शक्ति बढ़ाने की आवश्यकता होगी । गोबर के यज्ञ की ,घर ऑफिस में गोबर के लिंपन की , खेत, जल भंडारों पर गोबर , गोमूत्र के भरपूर छिड़काव की आवश्यकता होगी।
*✓  *बैल घानी -* एक गांव में 2 बैल घानी के चलने से 2 परिवार के हिसाब से और शहरों में चलाई जाने वाली बैल घानी के हिसाब से संपूर्ण भारत में 1 करोड़ लोगों को रोजगार प्राप्त होगा। घानी बनाने वालों के रोजगार अलग से। *परिणाम* - कोलस्ट्रोल बढ़ाने वाले केमिकल तेल से मुक्ति पाकर लाखों लोगों का जीवन हार्ट अटैक से बचेगा।
*✓ *चर्म उद्योग* - गोचर की व्यवस्था और पारंपरिक जल की व्यवस्था होगी तो भरपूर मात्रा में गोवंश होगा। इन गोवंश मैं कुदरती मृत्यु पाने वाले गोवंश से चमड़ा प्राप्त होगा। इस चमड़े से अनेक वस्तुएं बनाई जा सकती है। हर गांव में 10
 दलित परिवार को यह रोजगार प्राप्त होगा। उसके हिसाब से 3 करोड़ लोगों को रोजगार प्राप्त होगा। *परिणाम* - रोजगार प्राप्त होने से नशे से दूर रहेंगे। कोई उनकी शक्ति का दुरुपयोग नहीं कर पाएंगे।
*✓ *गुरुकुल* - पर्याप्त जगह के साथ प्राचीन पद्धति से शारीरिक व बौद्धिक शिक्षा देने वाले गुरुकुल हर गांव में 2 शुरू करें तो उससे 20 परिवार को रोजगार प्राप्त होगा उसके हिसाब से संपूर्ण भारत में 6.5 करोड लोगों को रोजगार प्राप्त होगा। *परिणाम* - 64 और 72 कलाएं सीख कर जीवन की संपूर्ण योग्यता प्राप्त करेंगे। संस्कार युक्त शिक्षा पाकर राष्ट्र,धर्म और संस्कृति के रक्षक बनेंगे। मोक्षलक्षी शिक्षा पाकर मनुष्य जन्म को सार्थक करेंगे। 
*✓ *बैल गाड़ी* - जल्दी पहुंचने की अंधी दौड़ में गाड़ी चलाने हेतु विदेशों से पेट्रोल मंगाया जाता है। मांस के बदले पेट्रोल खरीदने के लिए राष्ट्र की अर्थव्यवस्था के मुख्य आधार रूप गोवंश के लहू की नदियां बहाकर राष्ट्र को पीछे धकेला जाता है। इसकी अपेक्षा गांव के हर घर में अपनी स्वयं की बैल गाड़ी का उपयोग करके अर्थव्यवस्था मजबूत कर सकते हैं। बैलगाड़ी (घोड़ा गाड़ी, ऊंट गाड़ी) से रोजगार प्राप्त करने वाले हर गांव से 10 परिवार हो तो भारत भर में 65 लाख परिवार होते हैं और यही रोजगार की व्यवस्था शहरों में की जाए तो 35 लाख परिवार होते हैं। कुल हुए 1 करोड़ परिवार अर्थात 5 करोड लोगों को बैलगाड़ी से रोजगार प्राप्त हो सकता है। बैल गाड़ियां बनाने वालो को रोजगार अलग से। *परिणाम* - युद्ध , विश्व युद्ध के समय में रेलवे लाइनों और सड़कों के टूटने की संभावना रहती है। और वाहनों को चलाने के लिए पेट्रोल का आना भी बंद हो जाता है। उस समय में गांव के कच्चे रास्तों से बैल गाड़ीया ही प्रजा की और प्रजा के सामग्री को पहुंचाने के लिए बेड़ा पार कराती है। इसी कमी के कारण कई राष्ट्रों ने भूतकाल में पराजय प्राप्त की है। इस व्यवस्था से हम ही हमारी सेना को बचा सकते है। सभी को स्वयं के गांव में ही रोजगार मिल जाएगा तो अंधी दौड़ के द्वारा अरबों खरबों रुपए डीजल तेल के द्वारा विदेशों में जा रहे हैं। उस पर रोक लग जाएगी। पैसों में बचत होगी जीडीपी में सुधार होगा। 
*✓ *सफेद सोना* - गोवंश का पालन पोषण होने से सफेद सोने का अर्थात घी का बहुत बड़ी मात्रा में उत्पादन करना सरल हो जाएगा। एक गांव में 20 परिवार के हिसाब से संपूर्ण भारत में 6.5 करोड लोगों को रोजगार प्राप्त होगा। *परिणाम* - नपुंसक बनाने वाला, खराब कोलस्ट्रोल से हार्ट अटैक लाने वाला डालडा व नकली घी के नाम पर धोखा देना बंद हो जाएगा।
*✓ *जुलाहा* -चरखा चलाकर मुख्यतः दलित बंधुओं के परिवार की महिलाओ द्वारा घर में ही सूत (धागा) बनाया जाए तो हर गांव से 20 परिवार संपूर्ण भारत से 6.5 करोड़ लोगों को रोजगार प्राप्त होगा। *परिणाम* -अहिंसक भाव मे वृद्धि होगी । हिंदू समाज में एकता बढ़ेगी।
*✓ *हथकरघा* - एक समय विदेशो में सोने के भाव कपड़ा बिकता था। हाथों से कपड़ा बनाने वालों को घर में ही रोजगार प्राप्त करा कर एक गांव से 20 परिवार संपूर्ण भारत से 6.5  करोड़ लोगों को रोजगार प्राप्त होगा। *परिणाम* - शरीर ढकने के लिए किसी को अर्धनग्न नहीं रहना पड़ेगा। इस कपड़ा व्यवसाय को विदेशों में फैलाने का सुवर्ण अवसर प्राप्त होगा।
*✓ *जड़ी बूटि* - इस व्यवस्था से संपूर्ण भारत में जड़ी बूटि बहुत बड़ी मात्रा में उगेगी। विश्व में कहीं प्राप्त न होने वाली जड़ी बूटियां हमारे भारत में हैं। जिसे पहचान कर हर गांव से 
10 परिवार संपूर्ण भारत से 3 करोड़ लोगों को रोजगार प्राप्त होगा। हर गांव से 2 वैद्य राज के परिवार को रोजगार मिलेगा वह अलग से। *परिणाम* - कुदरत के इस प्रसाद का उपयोग करवाकर संपूर्ण विश्व को रोगमुक्त बनाने का सुवर्ण अवसर प्राप्त होगा।
*✓ *कुंभार* - घर बनाने के नाम पर गांव के लोगों से सीमेंट और लोहे की फैक्ट्री वाले करोड़ों अरबों रुपए ले जाते हैं। उस की अपेक्षा सभी को प्राप्त हो सके उस तरह के गोबर, चुना, गार, मिट्टी,मुढ के मकान बनाने को प्रोत्साहन देना चाहिए। यह घर बहुत ही कम कीमत में बना सकते हैं।ठंडी में गर्मी देने वाले और गर्मी में ठंडक देने वाले कुदरत के अनुकूल होते हैं। यह घर 200 से 500 वर्ष का आयुष्य रखने वाले होते हैं। भूकंप से रक्षा करने वाले होते हैं। इसके साथ रसोई में काम आने वाले मिट्टी के सारे बर्तन, छत पर लगने वाले केलुड़े, खिलौने इत्यादि का निर्माण कर सकेंगे। 1 गांव से 15 परिवार के हिसाब से संपूर्ण भारत में 5 करोड़ लोगों को रोजगार प्राप्त होगा। *परिणाम* -किसी को भी मानव भंगार बनकर झुपड़पट्टी में नहीं रहना पड़ेगा।
*✓ *कंसारा* - रसोई में काम आने वाले सभी तांबा,पीतल, कांसा जेसी धातु के बर्तन हाथों से बनाकर रोजगार प्राप्त करने वाले एक गांव से 10 परिवार के हिसाब से संपूर्ण भारत में 3 करोड लोगों को रोजगार प्राप्त होगा।
 *परिणाम* -इन बर्तनों के उपयोग से स्वास्थ्य में बहुत लाभ होता है। इन बर्तनों में लगाए हुए पैसे एक इन्वेस्ट के रूप में उपयोगी होंगे।
*✓ *लोहार* - घर में, कृषि में, युद्ध केऔजार,गांव के हर एक के व्यापार में जो लोहे की सामग्री लगती है। इत्यादि। उसे अपने घर की भट्टी में लोहे को पिघलाने से लेकर सभी सामग्री को हाथों से बनाने का व्यवसाय करने वाले एक गांव मे 10 परिवार के हिसाब से संपूर्ण भारत मे 3 करोड लोगों को रोजगार प्राप्त होगा। *परिणाम* - यह व्यवसाय करने वाले बंधुओं के शरीर लोहे जैसे मजबूत बन जाते हैं।
*✓ *हैंडमेड पेपर* -स्कूल,कॉलेज,ऑफिस,अखबार इत्यादि में काम आने वाले पेपर वृक्ष के वेस्ट पत्तों से कम पानी का उपयोग करके बना सकते हैं। मशीन का उपयोग किए बिना हाथों से यह पेपर तैयार कर सकते हैं। यह रोजगार एक गांव से 10 परिवार उसके हिसाब से संपूर्ण भारत में 3 करोड लोगों को रोजगार प्राप्त होगा। *परिणाम* - कुदरत के अनुकूल और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना बनाए जा सकेंगे।
*✓ *गुड़ शक्कर* -भयंकर बीमारियों से बचने के लिए बिना जहर से उत्पादन करने वाले गृह उद्योग से एक गांव में 10 परिवार तो उसके हिसाब से संपूर्ण भारत में 3 करोड लोगों को रोजगार प्राप्त होगा। *परिणाम* -  बहुत ही अच्छी क्वालिटी के गुड़, शक्कर की सभी सामग्रियों का उत्पादन करवा सकेंगे। 
*✓ *ऊन* - जल व गोचर की व्यवस्था से भरपूर मात्रा में भेड़ बकरियां होगी उनके शरीर पर जो बाल होते हैं। यह असली ऊन कहलाती है। जिसके वस्त्र व अन्य सामग्रियां तैयार करने वाले हर गांव से 20 परिवार के हिसाब से संपूर्ण भारत में 6.5 करोड़ लोगों को रोजगार प्राप्त होगा। *परिणाम* - ठंडी से मर रहे लोगों की रक्षा होगी। चमड़ी के रोग उत्पन्न करने वाले नकली ऊन से रक्षा होगी।
*✓ *नमक* - संपूर्ण भारत के समुद्री किनारे पर रहने वाले 2 करोड़ लोगों से प्राचीन पद्धति के अनुसार नमक तैयार करवाकर इन्हें मच्छीमारी के हिंसक कार्य से छुटकारा दीला सकते हैं। *परिणाम* - हल्के , केमिकल वाले , लूटने वाली कंपनियों से प्रजा को छुटकारा मिलेगा। 
*✓ *अन्य* - बढ़ई (लकड़ी का कार्य) , सोनी(सोना ,चांदी का कार्य) , दर्जी(कपड़ा सिलाई कार्य) , मोची(जूता चप्पल कार्य) , नाई(बाल काटना) , पेंटर(कलरकार्य) , सराफा(पैसों की लेनदेन) , चरवाहा(गोवंश चराना) , कंदोई(मिठाई व रसोई कार्य) , भामभी(प्रचार कार्य) , ढोली(ढोल बजाना कार्य) *परिणाम* - यह सभी और अन्य कई तरह के रोजगार के संभावना की सूची बनाएंगे तो 200 करोड़ के ऊपर जाएगी।
*✓ *विकेंद्रित व्यवस्था ही चक्रव्यूह से निकाल सकती है...।* 
लुप्त की गई उपरोक्त रोजगार की जानकारी संपूर्ण नहीं है।
 जो समय पर सामने आ जाएगी। रोजगार की यह संख्या
 कहीं कम अधिक हो सकती है। किंतु कुल संख्या का अंदाज यही है। यह सभी व्यवसाय जहां आवश्यकता हो वहीं उत्पादन होने से ट्रांसपोर्टिंग के खर्च से व प्रदूषण से रक्षा होगी। राष्ट्र को अनावश्यक खरबो रुपयों के तेल के नुकसान से बचत होगी।
मुस्लिम और अंग्रेज आक्रांताओं ने जो लूटा उससे अनेकों गुना अधिक यंत्र उद्योगों से कुछ हजार लोगों द्वारा लूटा जा रहा है। यह उद्योग राष्ट्र को आर्थिक कमजोर करते हुए भयंकर बेरोजगारी और हमेशा की गुलामी की खाई में धकेल रहे हैं। ऐसा विकास किस काम का जो हम 99% भाई बंधुओं का शोषण करके, पीछे धकेल कर, गरीब बना कर, उनकी रोजी-रोटी छीन कर करोड़पति बन जाए। इससे बनावटी सुखी बन सकते हैं । वास्तविक शांति नहीं पा सकते।
राष्ट्र की रक्षा प्राचीन उद्योगों को प्रोत्साहन देकर ही कर सकते हैं। अनाज, घी, दूध, इंधन, पानी की कमी, महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, गरीबी, हिंसा, रोटी, कपड़ा, मकान इत्यादि इन सभी समस्याओं के चक्रव्यूह से उपरोक्त गोचर और पानी की व्यवस्था स्थापित करके ही निकल सकते हैं । यही विकेंद्रित व्यवस्था भारत माता को पुनः परम वैभव के शिखर पर बिराजमान कर सकती है।

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