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गुरुवार, 13 जुलाई 2023

कन्ना यानी आंखें अर्पित करने वाला नयनार यानी शिव भक्त।

 

एक मशहूर धनुर्धर थिम्मन एक दिन शिकार के लिए गए। जंगल में उन्हें एक मंदिर मिला, जिसमें एक शिवलिंग था। थिम्मन के मन में शिव के लिए एक गहरा प्रेम भर गया और उन्होंने वहां कुछ अर्पण करना चाहा। लेकिन उन्हें समझ नहीं आया कि कैसे और किस विधि ये काम करें। उन्होंने भोलेपन में अपने पास मौजूद मांस शिवलिंग पर अर्पित कर दिया और खुश होकर चले गए कि शिव ने उनका चढ़ावा स्वीकार कर लिया।

उस मंदिर की देखभाल एक ब्राह्मण करता था जो उस मंदिर से कहीं दूर रहता था। हालांकि वह शिव का भक्‍त था लेकिन वह रोजाना इतनी दूर मंदिर तक नहीं आ सकता था इसलिए वह सिर्फ पंद्रह दिनों में एक बार आता था। अगले दिन जब ब्राह्मण वहां पहुंचा, तो शिव लिंग के बगल में मांस पड़ा देखकर वह भौंचक्‍का रह गया। यह सोचते हुए कि यह किसी जानवर का काम होगा, उसने मंदिर की सफाई कर दी, अपनी पूजा की और चला गया। अगले दिन, थिम्मन और मांस अर्पण करने के लिए लाए। उन्हें किसी पूजा पाठ की जानकारी नहीं थी, इसलिए वह बैठकर शिव से अपने दिल की बात करने लगे। वह मांस चढ़ाने के लिए रोज आने लगे। एक दिन उन्हें लगा कि शिवलिंग की सफाई जरूरी है लेकिन उनके पास पानी लाने के लिए कोई बरतन नहीं था। इसलिए वह झरने तक गए और अपने मुंह में पानी भर कर लाए और वही पानी शिवलिंग पर डाल दिया।

जब ब्राह्मण वापस मंदिर आया तो मंदिर में मांस और शिवलिंग पर थूक देखकर घृणा से भर गया। वह जानता था कि ऐसा कोई जानवर नहीं कर सकता। यह कोई इंसान ही कर सकता था। उसने मंदिर साफ किया, शिवलिंग को शुद्ध करने के लिए मंत्र पढ़े। फिर पूजा पाठ करके चला गया। लेकिन हर बार आने पर उसे शिवलिंग उसी अशुद्ध अवस्था में मिलता। एक दिन उसने आंसुओं से भरकर शिव से पूछा, “हे देवों के देव, आप अपना इतना अपमान कैसे बर्दाश्त कर सकते हैं।” शिव ने जवाब दिया, “जिसे तुम अपमान मानते हो, वह एक दूसरे भक्त का अर्पण है। मैं उसकी भक्ति से बंधा हुआ हूं और वह जो भी अर्पित करता है, उसे स्वीकार करता हूं। अगर तुम उसकी भक्ति की गहराई देखना चाहते हो, तो पास में कहीं जा कर छिप जाओ और देखो। वह आने ही वाला है। ”ब्राह्मण एक झाड़ी के पीछे छिप गया। थिम्मन मांस और पानी के साथ आया। उसे यह देखकर आश्चर्य हुआ कि शिव हमेशा की तरह उसका चढ़ावा स्वीकार नहीं कर रहे। वह सोचने लगा कि उसने कौन सा पाप कर दिया है। उसने लिंग को करीब से देखा तो पाया कि लिंग की दाहिनी आंख से कुछ रिस रहा है। उसने उस आंख में जड़ी-बूटी लगाई ताकि वह ठीक हो सके लेकिन उससे और रक्‍त आने लगा। आखिरकार, उसने अपनी आंख देने का फैसला किया। उसने अपना एक चाकू निकाला, अपनी दाहिनी आंख निकाली और उसे लिंग पर रख दिया। रक्‍त टपकना बंद हो गया और थिम्मन ने राहत की सांस ली।
लेकिन तभी उसका ध्यान गया कि लिंग की बाईं आंख से भी रक्‍त निकल रहा है। उसने तत्काल अपनी दूसरी आंख निकालने के लिए चाकू निकाल लिया, लेकिन फिर उसे लगा कि वह देख नहीं पाएगा कि उस आंख को कहां रखना है। तो उसने लिंग पर अपना पैर रखा और अपनी आंख निकाल ली। उसकी अपार भक्ति को देखते हुए, शिव ने थिम्मन को दर्शन दिए। उसकी आंखों की रोशनी वापस आ गई और वह शिव के आगे दंडवत हो गया। उसे कन्नप्पा नयनार के नाम से जाना गया। कन्ना यानी आंखें अर्पित करने वाला नयनार यानी शिव भक्त।

हर हर महादेव 🔱🕉️


बुधवार, 12 जुलाई 2023

कामिका एकादशी आज

कामिका एकादशी आज
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सावन की कामिका एकादशी पर व्रत करने और दान करने से पितरों को मोक्ष मिलता है और पापों से मुक्ति मिलती है।

सावन महीने की शुरुआत हो चुकी है, इस महीने में पड़ने वाले हर व्रत और त्योहार का महत्व बेहद खास होता है। सावन महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर कामिका एकादशी मनाई जाती है। एकादशी में विष्णु भगवान की पूजा होती है, लेकिन माना जाता है कि सावन की कामिका एकादशी व्रत से शंकर भगवान भी प्रसन्न होते हैं। मान्यताओं के अनुसार सावन की कामिका एकादशी पर व्रत करने और दान करने से पितरों को मोक्ष मिलता है और पापों से मुक्ति मिलती है।

कामिका एकादशी की तारीख और शुभ मुहूर्त 
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इस साल सावन की कामिका एकादशी का व्रत 13 जुलाई 2023, गुरुवार को है. कृष्ण पक्ष की कामिका एकादशी तिथि 12 जुलाई 2023 को शाम 05.59 मिनट पर शुरू हो रही है और अगले दिन यानी 13 जुलाई 2023, गुरुवार को शाम 06.24 मिनट तक एकादशी रहेगी।

कामिका एकादशी व्रत का पारण  
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कामिका एकादशी व्रत का पारण शुक्रवार, 14 जुलाई 2023 को सुबह 05 बजकर 32 के बाद करना है। इस दिन सुबह 08 बजकर 18 मिनट तक पारण के लिए शुभ मुहूर्त रहेगा।

आहार से जुड़े नियम
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एकादशी के पारण से पहले आपको ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए और उसके बाद खुद भोजन करना चाहिए। पारण के वक्त एकदम सात्विक भोजन करें। इस भोजन में लहसुन, प्याज या फिर मांस-मच्छी को शामिल नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही ये भोजन शुद्ध घी में पका होना चाहिए। पारण के भोजन में सरसों तेल का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।
एकादशी व्रत के दिन अनाज का सेवन नहीं करना चाहिए। आप फलाहार कर सकते हैं। फल के अलावा दूध, दही और अन्य फलाहार जैसे साबूदाना, सिंघाड़े का आटा आदि से अपने लिए फलाहार तैयार कर सकते हैं।

कामिका एकादशी की व्रत कथा
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एक गाँव में एक वीर क्षत्रिय रहता था। एक दिन किसी कारण वश उसकी ब्राह्मण से हाथापाई हो गई और ब्राह्मण की मृत्य हो गई। अपने हाथों मरे गये ब्राह्मण की क्रिया उस क्षत्रिय ने करनी चाही। परन्तु पंडितों ने उसे क्रिया में शामिल होने से मना कर दिया। ब्राह्मणों ने बताया कि तुम पर ब्रह्म-हत्या का दोष है। पहले प्रायश्चित कर इस पाप से मुक्त हो तब हम तुम्हारे घर भोजन करेंगे।

इस पर क्षत्रिय ने पूछा कि इस पाप से मुक्त होने के क्या उपाय है। तब ब्राह्मणों ने बताया कि श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को भक्तिभाव से भगवान श्रीधर का व्रत एवं पूजन कर ब्राह्मणों को भोजन कराके सदश्रिणा के साथ आशीर्वाद प्राप्त करने से इस पाप से मुक्ति मिलेगी। पंडितों के बताये हुए तरीके पर व्रत कराने वाली रात में भगवान श्रीधर ने क्षत्रिय को दर्शन देकर कहा कि तुम्हें ब्रह्म-हत्या के पाप से मुक्ति मिल गई है।

इस व्रत के करने से ब्रह्म-हत्या आदि के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और इहलोक में सुख भोगकर प्राणी अन्त में विष्णुलोक को जाते हैं। इस कामिका एकादशी के माहात्म्य के श्रवण व पठन से मनुष्य स्वर्गलोक को प्राप्त करते हैं। ॥ जय श्री हरि ॥

भगवान हनुमान को "बजरंग बली" क्यों कहा जाता है?


 

भगवान हनुमान को उनकी अपार शक्ति और शक्ति के कारण बजरंग बली के नाम से जाना जाता है। संस्कृत में "बजरंग" शब्द का अर्थ "हीरा" है, और ऐसा कहा जाता है कि हनुमान का शरीर हीरे के समान मजबूत है। यह भी कहा जाता है कि उसमें दस हजार हाथियों का बल था।

हनुमान को बजरंग बली के नाम से कैसे जाना जाने लगा, इसके बारे में कई किंवदंतियाँ हैं।

एक किंवदंती बताती है कि जब हनुमान बच्चे थे, तब वह जंगल में खेल रहे थे जब उन्होंने सूर्य को देखा और उसे एक पका हुआ फल समझ लिया। वह उसे खाने के लिए उछला, लेकिन देवताओं के राजा इंद्र ने उस पर वज्र से प्रहार कर दिया। हनुमान का शरीर बुरी तरह घायल हो गया था, लेकिन वायु के देवता वायु इतने क्रोधित थे कि उन्होंने बहना बंद कर दिया। इससे दुनिया में बड़ी अशांति फैल गई और देवताओं को हस्तक्षेप करने के लिए मजबूर होना पड़ा। उन्होंने हनुमान के घावों को ठीक किया और उन्हें हीरे की ताकत सहित कई वरदान दिए।


एक अन्य कथा यह बताती है

एक बार हनुमान ने राक्षस महिरावण को कुश्ती के लिए चुनौती दी। महिरावण बहुत शक्तिशाली राक्षस था, लेकिन हनुमान अपनी अविश्वसनीय ताकत से उसे हराने में सक्षम थे। मैच के बाद महिरावण हनुमान की शक्ति से इतना प्रभावित हुआ कि उसने उन्हें बजरंग बली नाम दे दिया।बजरंगबली हनुमान के लिए एक लोकप्रिय विशेषण है और कई हिंदू उनकी शक्ति और सुरक्षा का आह्वान करने के लिए इसका उपयोग करते हैं।

कुछ अन्य कारण जिनकी वजह से हनुमान को बजरंग बली के नाम से जाना जाता है:

  • उनका शरीर हीरे के समान मजबूत बताया जाता है।
  • कहा जाता है कि उसमें दस हजार हाथियों का बल था।
  • वह लंबी दूरी तक छलांग लगाने और भारी वस्तुएं ले जाने में सक्षम है।
  • वह निडर है और जिस चीज में वह विश्वास करता है उसके लिए लड़ने को हमेशा तैयार रहता है।

जय बजरंग बली

मंगलवार, 11 जुलाई 2023

किसी को अपना सिर्फ़ बैंक डिटेल देने से क्या वो मेरे पैसे को चोरी कर सकता है?


प्रश्न: किसी को अपना सिर्फ़ बैंक डिटेल देने से क्या वो मेरे पैसे को चोरी कर सकता है?

उत्तर:

एक शब्द में इसका जवाब है - नहीं

तीन शब्दों में इसका जवाब है - नहीं , नहीं ,नहीं

यह सब व्हाट्सअप WhatsApp विश्वविद्यालय द्वारा फैलाया हुआ भ्रम और अफवाह है , जिस पर बिना सोचे समझे पढ़े लिखे लोगों ने भी यकीन कर लिया और मीडिया ने चटपटे दार खबर छापने की लालच में इसे हवा देकर और बढ़ाया।

एक रियल लाइफ परिदृश्य से इसे समझें मैं अभी आईटी विभाग का प्रमुख हूं और 20,000 से ज्यादा लोगों के बैंक अकाउंट के डिटेल को जानता हूं। इस जानकारी का मैं दुरुपयोग कैसे कर सकता हूं ? बैंक डिटेल के अलावा उनके पैन और आधार नंबर भी मुझे पता है लेकिन इस सबके बावजूद कोई भी गड़बड़ी करना असंभव है जब तक कि संबंधित कर्मचारी ही कोई बेवकूफी न करे।

नेट बैंकिंग के लिए एक आई डी + दो पासवर्ड की जरूरत पड़ती है (1 लॉग इन और 2 ट्रांसेक्शन हेतु )

चौथा ओ टी पी

पाँचवा बैंक से रजिस्टर्ड मोबाइल जिस पर ओ टी पी आएगा।

5 = एक मुट्ठी इतनी मजबूत , एक पंजा जिसमें सब हो महफूज।

यानी नेट बैंकिंग द्वारा पैसा निकालने हेतु मुझे 4 जानकारियां + उनके मोबाइल तक पहुँच चाहिए। सो बैंक डिटेल रहते हुए भी किसी के खाते से पैसा निकालना असंभव है।

फिर ऐसे जो खबरें आती हैं - वे कैसे ?

ज्यादातर ए टी एम कार्ड से संबंधित होती हैं।

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कुछ मामलों में आपके परिचित या हैकर आपके कंप्यूटर या मोबाइल में की लोगर या स्क्रीन रिकॉर्डर फाइल इंस्टॉल कर देते हैं । तो जब भी आप नेट बैंकिंग करते हैं आपके सारे आईडी एवं उन के पासवर्ड बाद में उन्हें पता चल जाते हैं। लेकिन ओ टी पी और बैंक से रजिस्टर्ड मोबाइल जिस पर ओ टी पी आएगा उनके पास नहीं है सो वो एक पैसा भी नहीं निकाल सकते हैं। इसके लिए ये फ्रॉड लोग बैंक के प्रतिनिधि का नाटक कर आपसे ओ टी पी जानने की कोशिश कर सकते हैं । लेकिन वो कहावत है न

शिकारी आएगा जाल बिछाएगा

दाना डालेगा लोभ से उसमें फँसना नहीं

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फ्रॉड कॉल करेगा , बैंकर की एक्टिंग करेगा,

एकाउंट और कार्ड बंद करने को डरायेगा

डर के उसको ओ टी पी बताना नहीं।


  • लेकिन बात इतनी आगे बढ़ने ही क्यों दें ?
  1. कुछ एप /प्रोग्राम कभी भी इंस्टॉल न करें (सिवाय कंप्यूटर एक्सपर्ट/गीक के ) जैसे : एनी डेस्क, टीम व्यूअर , जोहो असिस्ट , कनेक्ट वाइज कंट्रोल इत्यादि। इनसे कोई विश्व के किसी भी कोने से आपके कंप्यूटर/मोबाइल को कंट्रोल कर सकता है।
  2. ऑफिस कंप्यूटर पर रिमोट एक्सेस ऑफ रखें
  3. मेल/sms में अनजान नंबर /एड्रेस से आये लिंक पर कभी क्लिक न करें।
  4. फ्री वीडियो , फ्री ई बुक इत्यादि डाऊनलोड करते वक़्त कुछ भी और डाऊनलोड होने न दें या डाऊनलोड के बाद बिना खोले डिलीट कर रिसायकल बिन क्लीन करें
  5. नेटबैंकिंग का एड्रेस हमेशा टाइप करें और पेडलॉक चिन्ह देखें।

क्या वो बैंक के साइट से हैक कर सकते हैं ?

कतई नहीं

क्यों नहीं ?

बैंक समेत सारे संवेदनशील साइट DMZ (De Militarized Zone ) डी मिलेट्राइज़्ड जोन कैटेगिरी के होते हैं । यह कंप्यूटर सुरक्षा के लिहाज से उच्चतम केटेगरी होती है। वहाँ कोई भी अटैक या आक्रमण नहीं हो सकता है । यह मेटल डिटेक्टर से संचालित गेट सा है जो मेटल (अवांछित कमांड ) भांपते ही ब्लॉक कर देता है। अखबार में जो भी खबरें पढ़ते है उनमें किसी न किसी भूतपूर्व कर्मचारी का हाथ होता है।

© लेखक

फुटनोट

नक़ली या फेक वेबसाइट को कैसे पहचानें?


 

 बढती इन्टरनेट की पहुँच के कारण ढेरों ऐसी नकली वेबसाइट की बाढ़ सी आ गयी है जिन्हें पहचानना हमारे लिए बहुत ही आवश्यक हो गया है |

क्या आप जानते हैं कि स्कैम करने वाले भी ऐसी वेबसाइट बना देते हैं कि वह देखने में बिलकुल असली वेबसाइट जैसी ही लगती है |

हमारे साथ ऐसा कई बार हुआ है कि हमने अपने बैंक और यहाँ तक की अमेज़न की फेक वेबसाइट को रिपोर्ट किया है |

आप यह स्क्रीनशॉट देखें -

अब आते हैं आपके प्रश्न पर कि नकली वेबसाइट को पहचाने कैसे?

इसके लिए निम्न बातों का ध्यान रखें -

१. यदि आपको कोई शॉपिंग या ऑफर की वेबसाइट दिखती है और आपको उसके बारे में पता नहीं है तब आप सतर्क हो जाएँ और अपनी जानकारी न साझा करें | आप देखें कि उस वेबसाइट का डोमेन एक्स्टेंशन .com है या कोई अन्य जैसे - freeoffers.xyz, या shoptillyoudrop.live |

यदि ऐसा है तब सतर्क हो जाएँ क्योंकि यह फेक हो सकती है |

२. एड्रेस बार पर पैडलॉक आइकॉन और सुरक्षा के लिए https देखें |

३. जब आप इस पैड आइकॉन को क्लिक करेंगे तब आपको सर्टिफिकेट की वैधता भी जांचनी है | कई बार नकली वेबसाइट में सब कुछ सही होते हुए भी यह सर्टिफिकेट एक्सपायर हो जाता है |

४. वेबसाइट के अबाउट, प्राइवेसी पालिसी और डिस्क्लेमर पेज जरूर देखें यदि आपको जरा सा भी शक है |

५. अब चलिए आपको बताते हैं एक ऐसा तरीका जिसका हम करीब एक दशक से इस्तेमाल कर रहे हैं |

  1. अपने ब्राउज़र पर खोलें - Scamadviser.com | check a website for risk | check if fraudulent | website trust reviews |check website is fake or a scam
  1. जो भी वेबसाइट को जांचना है उसे डालें |
  2. जैसे मान लें हमारे पास ABC न्यूज़ की एक वेबसाइट है -

4. अब जैसे ही हम इसे स्कैम एडवाइजर में डालेंगे तब कुछ ऐसा दिखेगा -

जैसे ही आप थोडा और नीचे स्क्रॉल करेंगे तब आपको और भी जरूरी जानकारी मिल जाएगी -

5. अब चलें ABC न्यूज़ की असली वेबसाइट देखें -

6. आप को अब यह परिणाम मिलेगा -

आशा है आगे से अब आप लोग भी नकली और असली वेबसाइट का फर्क साफ़ साफ़ बता पाएँगे |

अगर आपको जरा सा भी संसय हो कि अमुक वेबसाइट फेक हो सकती है तब कृपया इसपर कोई भी लेन देन न करें और न ही अपनी कोई जानकारी साझा करें |

धन्यवाद |

बैंक फ्रॉड से बचने के लिए क्या आवश्यक बिंदु

 

तकनीक के जमाने मेँ धोखाधडी के तरीके भी बदल रहे हैँ

धोखाधडी करने वाला आपके भय या लोभ का प्रयोग करके आपको शिकार बनाता है।

वैसे तो धोखाधडी के तरीकोँ मेँ लगातार थोडा बहुत बदलाव आता है लेकिन उनमेँ कुछ न कुछ एकरूपता भी रहती है।


प्रचलित धोखाधडी की प्रक्रियाओँ और तरीकोँ को समझ लेते हैँ।

- धोखाधडी करने वाला आपके बैंक या मान्य संस्था की और से आपको किसी प्रकार से सम्पर्क करता है। यह सम्पर्क ईमेल द्वारा , मेसेज द्वारा, या फोन काल द्वारा हो सकता है।

- इनमेँ या तो आपको किसी प्रकार का लाभ देने की बात होती है या आपकी कोई समस्या या हानि बताई जाती है।

- लाभ की बात जैसे कि आपने एक लाख रुपए का पुरस्कार जीता है। या सरकार की ओर से आप इस योजना के तहत दस हजार रुपए दिए जा रहे है इत्यादि। या आपकी दस वर्ष पुरानी पालिसी है जिसमेँ आपने कुछ ही किस्त जमा की थी। एक और किस्त जमा करने पर आपके दो लाख रुपए हो रहेँ है जो आप निकलवा सकते हैँ।

- समस्या या हानि की बात जैसे आपका अकाउंट या कार्ड ब्लाक होने वाला है। आपने बिजली बिल नहीँ जमा किया है इसलिए आपका कल तक कनेक्सन कट जाएगा। ये सब ऐसी बाते है जिनके होने की सम्भावना काफी है और इसलिए आपको सरलता से यकीन आ जाएगा।

- सम्पर्क के बाद ये आपसे वह जानकारी प्राप्त करना चाहते है जिसका प्रयोग करके ये आपके खाते या कार्ड से ऑनलाइन लेन देन कर पाएँ।

- आपसे सम्पर्क किए जाने का प्रत्यक्ष कारण उस समय के चलन के अनुसार बदलता रहता है। यदि कोई लोकप्रिय सरकारी योजना आई है तो उसका नाम लेकर सम्पर्क किया जाएगा । यदि कौन बनेगा करोडपति चल रहा है तो उसके नाम से सम्पर्क हो सकता है इत्यादि। लेकिन प्रक्रिया लगभग यही होती है।


धोखे की पहचान और सावधानियाँ

- पहला स्तर तो यही है कि नम्बर भारत से बाहर का है तो फ्रॉड होने की बहुत सम्भावना है। बहुत बार ये लोग पाकिस्तानी भी होते है । भारत के नम्बर +91 से आरम्भ होते है और पाकिस्तान के +92 से ।

- बैंक के आधिकारिक मेसेज भी साधारण मोबाइल नम्बर से नहीँ आते हैँ । अक्सर बैंक के मेसेज पर भेजने वाले का एक सांकेतिक नाम होता है। जैसे AD-ICICI , AX-ICIBNK, VM-SBICRD .. सभी मुख्य संस्थाओँ ने इस प्रकार के संकेतिक नाम पंजीकृत कराए होते हैँ और आपके संदेश पर यह अलग दिखाई देते हैँ। जबकि धोखाधडी वाले मेसेज साधारण मोबाइल नम्बर से आते हैँ । यह व्यवस्था सुरक्षा के लिए ही है इसका प्रयोग करेँ।

नीचे उदाहरण दिया गया है।

तो मोबाइल नम्बर से आए मेसेज को फ्राड ही माने। सावधानी के लिए किसी भी मेसेज की कडी क्लिक न करेँ।

- इसी प्रकार बैंक के कॉल भी किसी प्रकार के आधिकारिक नम्बर से आते हैँ। ये नम्बर मोबाइल नम्बर से अलग प्रकार के होते हैँ और अकसर 1800 से आरम्भ होते हैँ । इस प्रकार के नम्बर दिए जाने की प्रक्रियाएँ सामान्य नम्बर से अधिक जटिल है इसलिए इस बात की सम्भावना कम है कि धोखाधडी वाले के पास ऐसे नम्बर होँ। फोन नम्बर की पहचान के लिए आजकल नम्बर पहचानने वाले एप्प भी आतेँ हैँ।

- मेसेज या कॉल की तरह ईमेल की इस प्रकार की कोई पहचान नहीँ है इसलिए सबसे असुरक्षित ईमेल ही है। जैसे पोस्ट ओफिस पत्र भेजने वाले की पहचान की जाँच नहीँ करता केवल दिए गए पते पर पत्र पहुँचाता है इसी प्रकार ईमेल भी काम करता है। ईमेल दिए गए पते पर पहुँच जाता है लेकिन भेजने वाले की कोई प्रमाणिकता नहीँ होती। जैसे किसी अन्य के नाम से पत्र भेजा जा सकता है वैसे ही किसी अन्य के नाम से ईमेल भी भेजा जा सकता है।

किसी भी प्रकार के संदेश के बाद सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप उस पर कोई जानकारी न देँ और न कुछ करेँ बस यह कह देँ आप स्वयम् बैक या उस संस्था से सम्पर्क करेँगेँ । यदि व्यक्ति बात न माने तो भी आप फोन काट देँ। ईमेल और मेसेज का कोई उत्तर न देँ और न ही किसी कडी या लिंक पर क्लिक करेँ। इसके बाद आप उस संस्था से स्वयम् सम्पर्क करेँ ।

बैंकिग से बात करके कोई काम करना हो तो तभी करेँ जब आपने बैंक को सम्पर्क किया है बैंक ने आपको नहीँ ।


बैंक या संस्था से सम्पर्क करना

- संस्था से सदैव उसके आधिकारिक माध्यम पर ही सम्पर्क करेँ। यदि बिजली का बिल ऑनलाइन भरना है तो बिल पर दी गई बेबसाइट या एप्प पर ही करेँ किसी ईमेल या मेसेज या फोन पर बताए गए पते पर नहीँ। बिजली के बिल बहुप्रचलित एप्प जैसे अमेजन, पेटीम द्वारा भी किए जा सकते हैँ। किसी मेसेज मेँ प्राप्त नए एप या नई वेबसाइट का प्रयोग न करेँ ।

- आप किसी अन्य के मोबाइल या लैपटाप का प्रयोग करते हुए बैंक के काम न करेँ। जानकारी चोरी करने के गुप्त तरीके प्रचलित हैँ जिनकी व्याख्या का लाभ नहीँ होगा।

- बैँक की वेबसाइट को बुकमार्क करके रखेँ । भविष्य मेँ इसी बुकमार्क का प्रयोग करेँ इससे आप किसी गलत या छ्द्म वेबसाइट पर जाने से बचे रहेँगे।

- एप्प का प्रयोग वेबसाइट के प्रयोग से अधिक सुरक्षित है यदि आप इस एप्प का प्रयोग पहले ही करते रहेँ है। एप्प को बुकमार्क करने की आवश्यकता नहीँ होती। लेकिन पहली बार एप्प इंस्टाल करते समय इतना सुनिश्चित करना होगा है कि एप्प आधिकारिक है।

- यदि लोगिन करने के लिए OTP विकल्प है तो उसी विकल्प का प्रयोग करेँ । इसमेँ आवश्यक है जिसमेँ मोबाइल नम्बर आज से पहले ही कभी दिया गया हो । यदि आप आज ही मोबाइल नम्बर रजिस्टर कर रहेँ तो अन्य माध्यम से सुनिश्चित करेँ कि वेबसाइट या एप्प आधिकारिक है।

- लोगिन करने के बाद कोई लेन देन करने से पहले अपने कुछ पुराने लेन देन देख लेँ यदि ये लेन सही है तो काफी सम्भावना है कि यह सही वेबसाइट या एप्प है।

- बैंक के आधिकारिक कॉल सेंटर के नम्बर अपने पास रखेँ । ये नम्बर मोबाइल नम्बर से अलग प्रकार के होते हैँ और अकसर 1800 से आरम्भ होते हैँ । मोबाइल नम्बर से आई काल पर जो भी सूचना आपको दी गई हो । उनसे कहेँ कि आप स्वयम् सम्पर्क करेँगेँ फिर आप आधिकारिक कॉल सेंटर के नम्बर पर कॉल करेँ ।

- अब यदि ईमेल द्वारा सम्पर्क किया गया है तो उस पर तो कुछ भी न करेँ । आप अन्य प्रकार से ही बैँक को सम्पर्क करेँ ।

यदि ऑनलाइन तरीकोँ से आप सहज नहीँ है तो पुराने तरीके ही प्रयोग करते रहेँ।


पासवर्ड सुरक्षा

- बैकिंग पासवर्ड अपने अन्य सभी पासवर्ड से अलग रखेँ। यदि आपके अन्य पासवर्ड चोरी हो जाते हैँ तो भी बैंकिग बच सकते हैँ। किसी भी पासवर्ड याद रखने वाली सुविधा को बैंक के पासवर्ड याद न कराएँ।

- अपने लैपटाप पर बैंकिग पासवर्ड याद रखने का विकल्प न चुने । यदि आपका पासवर्ड आपका ब्राउजर स्वयम् भर रहा है तो यदि किसी को आपके लैपटाप या मोबाइल को प्रयोग करने का अवसर मिले तो यह चोरी हो सकता है। इसको चोरी कर पाने की सरलता अदभुद है। यह लगभग 5 सेकेण्ड का काम है। बिंदु दिखाने का कारण केवल पासवर्ड भरते समय की सुरक्षा है।

- वैसे प्रसिद्द संस्थाओँ द्वारा प्रयोग किए जा रहे आपके पासवर्ड उनके सर्वर पर सुरक्षित होते हैँ। यह सुरक्षा कैसे निश्चित होती है? यह इस प्रकार निश्चित होती है कि वे आपके पासवर्ड को कहीँ पर रखते ही नहीँ है बल्कि उसके आधार पर बना एक कूट संकेत रखते है। इसलिए वहाँ से इसे उनका कर्मचारी भी चोरी नहीँ कर सकता है। लेकिन आपके लैपटाप पर या ब्राउजर पर याद किया गया भी पासवर्ड सुरक्षित ही हो आवश्यक नहीँ । ऊपर की विधि से कोई भी पासवर्ड चोरी हो सकता है।

- कम प्रसिद्ध वेबसाइट आपके पासवर्ड को उतना सुरक्षित रखती है कि नहीँ यह पता करना सम्भव नहीँ है। इसलिए यदि आप एक ही लोगिन आई डी का प्रयोग बहुत स्थानो पर कर रहेँ तो पासवर्ड अलग अलग रखेँ ।

- मेरे विचार ट्विटर पर सुरक्षा पर्याप्त नहीँ है। गूग़ल और फेसबुक सहीँ हैँ।

- आपकी पसंद के गानो के बोल या पसंद के दोहे या कविता के बोल आपको जटिल पासवर्ड बनाने और याद रखने मेँ सहयोग कर सकते हैँ। जैसे जय हनुमान ज्ञान गुन सागर जय कपीस तिहुँ लोक उजाकर से यह पासवर्ड बन गया जो याद रखने मेँ सरल होगा Jhggsjktlu@1421 लेकिन इस उदाहरण जैसी अति प्रसिद्ध कविता के प्रयोग से बचेँ।

परिवार में किसी की मृत्यु या जन्म के बाद सूतक क्यों लगता है?

 

मनुष्य के जीवन में अनेक पड़ाव आते हैं जो उसके जन्म के साथ ही शुरू होते हैं और मृत्यु तक चलते ही रहते हैं। हिन्दू धर्म की बात करें तो वैयक्तिक जीवन में आने वाले हर पड़ाव को परंपरा के साथ अवश्य जोड़ दिया गया है, जिसकी वजह से उनका महत्व और बढ़ गया है।इंसानी जीवन में जितने भी पड़ाव आते हैं उनमें जन्म और मृत्यु शामिल हैं। आप तो यह जानते ही होंगे कि जब भी घर में कोई बच्चा जन्म लेता है या फिर परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु हो जाती है तो पूरे परिवार पर सूतक लग जाता है। सूतक से जुड़े कई विश्वास या अंधविश्वास हमारे समाज में मौजूद हैं। लेकिन क्या वाकई सूतक एक अंधविश्वास का ही नाम है या इसके कोई वैज्ञानिक कारण भी है।

जन्म के समय लगने वाला सूतक

जब भी परिवार में किसी का जन्म होता है तो परिवार पर दस दिन के लिए सूतक लग जाता है। इस दौरान परिवार का कोई भी सदस्य ना तो किसी धार्मिक कार्य में भाग ले सकता है और ना ही मंदिर जा सकता है। उन्हें इन दस दिनों के लिए पूजा-पाठ से दूर रहना होता है। इसके अलावा बच्चे को जन्म देने वाली स्त्री का रसोईघर में जाना या घर का कोई काम करना तब तक वर्जित होता है जब तक कि घर में हवन ना हो जाए।

अंधविश्वास या व्यवहारिक

अकसर इसे एक अंधविश्वास मान लिया जाता है जबकि इसके पीछे छिपे बड़े ही प्रैक्टिकल कारण की तरफ ध्यान नहीं दिया जाता। ये बात तो आप सभी जानते ही हैं कि पहले के दौर में संयुक्त परिवारों का चलन ज्यादा था। घर की महिलाओं को हर हालत में पारिवारिक सदस्यों की जरूरतों को पूरा करना होता था। लेकिन बच्चे को जन्म देने के बाद महिलाओं का शरीर बहुत कमजोर हो जाता है।

उन्हें हर संभव आराम की जरूरत होती है जो उस समय संयुक्त परिवार में मिलना मुश्किल हो सकता था, इसलिए सूतक के नाम पर इस समय उन्हें आराम दिया जाता था ताकि वे अपने दर्द और थकान से बाहर निकल पाएं।

संक्रमण का खतरा

इसके अलावा जब बच्चे का जन्म होता है तो उसके शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास भी नहीं हुआ होता। वह बहुत ही जल्द संक्रमण के दायरे में आ सकता है, इसलिए 10-30 दिनों की समयावधि में उसे बाहरी लोगों से दूर रखा जाता था, उसे घर से बाहर नहीं लेकर जाया जाता था। बाद में जरूर सूतक को एक अंधविश्वास मान लिया गया लेकिन इसका मौलिक उद्देश्य स्त्री के शरीर को आराम देना और शिशु के स्वास्थ्य का ख्याल रखने से ही था।

मृत्यु के पश्चात सूतक

जिस तरह जन्म के समय परिवार के सदस्यों पर सूतक लग जाता है उसी तरह परिवार के लिए सदस्य की मृत्यु के पश्चात सूतक का साया लग जाता है, जिसे ‘पातक’ कहा जाता है। इस समय भी परिवार का कोई सदस्य ना तो मंदिर या किसी अन्य धार्मिक स्थल जा सकता है और ना ही किसी धार्मिक कार्य का हिस्सा बन सकता है।

गरुण पुराण

गरुण पुराण के अनुसार जब भी परिवार के किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो परिवार पर पातक लग जाता है। परिवार के सदस्यों को पुजारी को बुलाकर गरुण पुराण का पाठ करवाकर पातक के नियमों को समझना चाहिए।

पातक

गरुण पुराण के अनुसार पातक लगने के 13वें दिन क्रिया होनी चाहिए और उस दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाना चाहिए। इसके पश्चात मृत व्यक्ति की सभी नई-पुरानी वस्तुओं, कपड़ों को गरीब और असहाय व्यक्तियों में बांट देना चाहिए।

स्नान का महत्व

यह भी मात्र अंधविश्वास ना होकर बहुत साइंटिफिक कहा जा सकता है क्योंकि या तो किसी लंबी और घातक बीमारी या फिर एक्सिडेंट की वजह से या फिर वृद्धावस्था के कारण व्यक्ति की मृत्यु होती है। कारण चाहे कुछ भी हो लेकिन इन सभी की वजह से संक्रमण फैलने की संभावनाएं बहुत हद तक बढ़ जाती हैं। इसलिए ऐसा कहा जाता है कि दाह-संस्कार के पश्चात स्नान आवश्यक है ताकि श्मशान घाट और घर के भीतर मौजूद कीटाणुओं से मुक्ति मिल सके।

हवन

इसके अलावा उस घर में रहने वाले लोगों को संक्रमण का वाहक माना जाता है इसलिए 13 दिन के लिए सार्वजनिक स्थानों से दूर रहने की सलाह दी गई है। घर में हवन होने के बाद, घर के भीतर का वातावरण शुद्ध हो जाता है, संक्रमण की संभावनाएं समाप्त हो जाती हैं, जिसके बाद ‘पातक’ की अवधि समाप्त होती है।

प्राचीन ऋषि-मुनि

प्राचीन भारत के ऋषि-मुनियों और ज्ञानियों ने बिना किसी ठोस कारण के कोई भी नियम नहीं बनाए। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र की जांच और उसे गहराई से समझने के बाद ही दिशा-निर्देश दिए गए, जो बेहद व्यवहारिक हैं। परंतु आज के दौर में उनकी व्यवहारिकता को समाप्त कर उन्हें मात्र एक अंधविश्वास की तरह अपना लिया गया है।

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फोटो स्रोत--गूगल

हर आँखों देखी और कानों सुनी बात सच्ची नहीं होती।

 

इस नवविवाहिता की तस्वीरें देखिए,इन तस्वीरों को फेसबुक और इंस्टाग्राम पर देखकर किसी को भी इसकी खुशकिस्मती पर रश्क हो सकता है।

सुंदर परिधानों का चुनाव,सुरुचिपूर्ण मेकअप आधुनिकता और भौतिकता की शोभा बढ़ा रहा है।

कितनी आदर्श और प्यार से भरी जोड़ी लग रही है।संग जीने मरने की कसमें खाती हुई,साथ साथ enjoy करती हुई।

इनका रोमांटिक अंदाज प्रेम को उसकी परिभाषा बता रहा है कि जनम जनम का साथ है हमारा तुम्हारा।

कुछ और तो नहीं चाहिए होता एक अच्छी जिन्दगी में। आपको कोई कमी दिख रही है?

ये फेसबुक की इनकी ये तस्वीरें देखकर दूसरे पति पत्नी एक दूसरे को उकसाएंगे कि हमें भी इसी तरह का जीवन जीना है किन्तु क्या आपको पता है ??

इन मोहक और सुखी दिखने वाली तस्वीरों की कड़वी और वीभत्स सच्चाई ?

  • इस लड़की नैन्सी की इसके ही पति यानी इसी लड़के साहिल के हाथों इसके सिर में गोली मारकर हत्या कर दी गई है।इन दोनों ने कुछ समय लिव इन रिलेशनशिप में रहने के बाद कुछ महीने पूर्व ही धूमधाम से प्रेम विवाह किया था।

हत्या करने का कारण कि पति इसके चरित्र पर शक करता था।नैन्सी के खुले विचार और मित्रों की संख्या उसको क्रोधित करती थीाजब भी वह इसको गुस्सा करके समझाता,वह दहेज के मुकदमें में फंसाने की धमकी देती थी। साहिल का कारोबार चल नहीं रहा था, वह इसकी फिजूलखर्ची से तंग आ गया था।

दूसरी ओर नैन्सी की हत्या के बाद उसके परिवार जनों ने यही इल्जाम साहिल पर लगाया कि दहेज के कारण साहिल ने नैन्सी को मारा।वह अपनी ड्रग्स के लिए नैन्सी से पैसे देने को कहता था,न मिलने पर झगड़ा किया और पत्नी को मार दिया।


पहली नजर में ये तस्वीरें दम्पत्ति के खुशहाल जीवन को दर्शाती हैं।

साहिल की सुनें तो नैन्सी दोषी लगती है कि बेचारा कितने दिन चरित्रहीन और फिजूलखर्च पत्नी को झेलता ?

नैन्सी के परिवार वाले अपना दुखड़ा बता रहे हैं कि वह दहेज के कारण उससे मारपीट व दुर्व्यवहार करता था। उनकी बेटी में ऐसा कोई दोष नहीं था।

राम जाने कि सच्चाई क्या है?

  • बढ़ता भौतिकवाद,अनावश्यक खुलापन और विवेकहीनता इस दुर्घटना की जिम्मेदार है कि जिन्दगी पहले तो उलझती है और फिर जिस चक्रव्यूह में खुद ही फंसे थे,उससे निकलने और मन की शान्ति पाने के लिए कल तक जो अपने थे,उन्हीं के लोग जानी दुश्मन बन जाते हैं।
  • नेट पर अपनी सुख सुविधापूर्ण सुखी जिन्दगी का प्रदर्शन करने वाले चित्र अक्सर प्रश्न उठाते हैं कि क्या वाकई इनका जीवन इतना खुशहाल है या पीतल पर चढ़ी हुई सोने की पॉलिश है?
  • हम सब किसी के भी कार, कोठी, बंगले और बैंक बैलेंस से प्रभावित होने से पहले यह सोचें कि ये चीजें खुशी का कारण नहीं है।
  • खुशी की चाबी सम्बन्धों के प्रेम और सौहार्द के पास होती है,जहाँ छोटी छोटी खुशियाँ बड़े उत्सव का सा आभास दे जातीं हैं।
  • घर के अन्दर सुविधाओं के भंडार हों किन्तु उनको भोगने वाले लोग ही आपस में खुश न हों और अपनी तसल्ली के लिए जितनी मर्जी फोटोज खींच कर नेट पर डाल कर दूसरों को जलाते रहें,इससे उनके जीवन की गुणवत्ता को कोई फर्क नहीं पड़ता।
  • अंगारों को यदि खूबसूरत चमकीले कपड़े से ढक दिया जाए तो थोड़ी देर के लिए सुंदर आभास हो सकता है किन्तु देर-सबेर उसमें आग लगती ही है।

इसीलिए यह कहा जाता है कि "हर आँखों देखी और कानों सुनी बात सच्ची नहीं होती।"

पहले विवेक से काम लें,फिर विश्वास करें।

चित्र और समाचार स्रोत:

Nancy Murder Case: पुरानी फोटो देख नैंसी पर शक करने लगा था साहिल, रची हत्या की खौफनाक साजिश

नैंसी हत्याकांड में चौंकाने वाला खुलासा, आरोपी ने शव ठिकाने लगाने के बाद यहां खड़ी की थी कार

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