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शनिवार, 1 फ़रवरी 2025

मन मैला और तन को धोएं - #महाकुंभ स्नान चल रहा है। राम घाट पर भारी भीड़ लगी है।

🍁🌼🌸मन मैला और तन को धोएं🌼🌸🍁

कुंभ स्नान चल रहा है। राम घाट पर भारी भीड़ लगी है।

शिव पार्वती आकाश से गुजरे। पार्वती जी ने इतनी भीड़ का कारण पूछा -

आशुतोष ने कहा - कुम्भ पर्व पर स्नान करने वाले स्वर्ग जाते हैं। उसी लाभ के लिए यह स्नानार्थियों की भीड़ जमा है।

पार्वती का कौतूहल तो शांत हो गया पर नया संदेह उपज पड़ा, इतने लोग स्वर्ग कहां पहुंच पाते हैं, नाथ? भगवती ने अपना नया सन्देह प्रकट किया और समाधान चाहा।

भगवान शिव बोले - शरीर को गीला करना एक बात है और मन की मलीनता धोने वाला स्नान ज्यादा जरूरी है। मन को धोने वाले ही स्वर्ग जाते हैं। एसे लोगों को ही स्वर्ग मिलता है।

सन्देह घटा नहीं, और बढ़ गया!

पार्वती बोलीं - यह कैसे पता चले कि किसने शरीर धोया किसने मन संजोया?

यह कार्य से जाना जाता है। शिवजी ने इस उत्तर से भी समाधान न होते देखकर प्रत्यक्ष उदाहरण से लक्ष्य समझाने का प्रयत्न किया।

मार्ग में शिव कुरूप कोढ़ी बनकर पढ़े रहे। पार्वती को भी बहुत सुंदर सजा दिया, दोनों बैठे थे। स्नानार्थियों की भीड़ उन्हें देखने के लिए रुकती। अनमेल स्थिति के बारे में पूछताछ करती।

पार्वती जी रटाया हुआ विवरण सुनाती; "यह कोढ़ी मेरा पति है।" गंगा स्नान की इच्छा से आए हैं। गरीबी के कारण इन्हें कंधे पर रखकर लाई हूँ। बहुत थक जाने के कारण थोड़े विराम के लिए हम लोग यहाँ बैठे हैं।

अधिकाँश दर्शकों की नीयत डिगती दिखती। वे सुंदरी को प्रलोभन देते और पति को छोड़कर अपने साथ चलने की बात कहते!!

पार्वती लज्जा से गढ़ गई। भला ऐसे भी लोग स्नान को आते हैं क्या? निराशा देखते ही बनती थी।

संध्या हो चली। एक उदारचेता आए। विवरण सुना तो आँखों में आँसू भर आए। सहायता का प्रस्ताव किया और कोढ़ी को कंधे पर लादकर तट तक पहुँचाया। जो सत्तू साथ में था उसमें से उन दोनों को भी खिलाया।

साथ ही सुंदरी को बार-बार नमन करते हुए कहा - आप जैसी देवियां ही इस धरती की स्तम्भ हैं। धन्य हैं माता आप जो इस प्रकार अपना धर्म निभा रही हैं।

प्रयोजन पूरा हुआ। शिव पार्वती उठे और कैलाश की ओर चले गए। रास्ते में कहा - पार्वती इतनों में एक ही व्यक्ति ऐसा था, जिसने मन धोया और स्वर्ग का रास्ता बनाया। स्नान का महात्म्य तो सही है पर उसके साथ मन भी धोने की भी शर्त लगी हुई है।

पार्वती तो समझ गई कि स्नान महात्म्य सही होते हुए भी... क्यों लोग उसके पुण्य फल से वंचित रहते हैं?

मन मैला और तन को धोये। फूल तो चाहे, पर कांटे बोये ll

जय जय सियाराम्🚩🚩

गुरुवार, 30 जनवरी 2025

महीनों के अनुसार विभिन्न सब्जियों को बोने और उगाने के सुझाव दिए गए हैं

कृषि विज्ञान केंद्र दिल्ली द्वारा तैयार की गई है, जिसमें प्रत्येक माह में उगाई जाने वाली सब्जियों की जानकारी दी गई है। इसमें अलग-अलग महीनों के अनुसार विभिन्न सब्जियों को बोने और उगाने के सुझाव दिए गए हैं
विस्तार से जानकारी:

1. जनवरी: बैंगन, मिर्च, गाजर, मूली, पालक, टमाटर, शलगम जैसी फसलें उगाने के लिए उपयुक्त समय है।
2. फरवरी: मूली, गाजर, पालक, धनिया, टमाटर, बीन्स और लौकी जैसी सब्जियों के लिए अच्छा महीना है।
3. मार्च: गर्मियों की सब्जियां जैसे लौकी, तोरई, तरबूज, ककड़ी और करेला उगाने के लिए सही समय है।
4. अप्रैल: लौकी, ककड़ी, करेला, तोरई, तरबूज, टिंडा आदि की बुवाई उपयुक्त है।
5. मई: ग्रीष्मकालीन सब्जियों जैसे लौकी, ककड़ी, करेला, तोरई और टिंडा का उत्पादन हो सकता है।
6. जून: भिंडी, लौकी, करेला, तोरई, तरबूज जैसी सब्जियों के लिए सही समय है।
7. जुलाई: भिंडी, तोरई, लौकी, तरबूज, खीरा, करेला, पालक आदि की बुवाई के लिए उपयुक्त है।
8. अगस्त: पालक, मूली, गाजर, मेथी, धनिया और चौलाई जैसी फसलें लगाई जा सकती हैं।
9. सितंबर: आलू, टमाटर, गोभी, मटर, मूली, गाजर, धनिया जैसी फसलें इस माह लगाई जा सकती हैं।
10. अक्टूबर: गोभी, मूली, गाजर, पालक, धनिया और ब्रोकली उगाने के लिए सही समय है।
11. नवंबर: मटर, गोभी, गाजर, धनिया, ब्रोकली और पालक जैसी फसलें लगाई जा सकती हैं।
12. दिसंबर: टमाटर, बैंगन, गोभी, गाजर, पालक, मटर जैसी फसलें इस महीने उगाई जा सकती हैं।

लाभ:

इस चक्र से किसान यह जान सकते हैं कि किस महीने में कौन-सी फसल उपयुक्त है यह जानकारी मौसम के अनुसार खेती की योजना बनाने में मदद करती है।
उपयुक्त समय पर फसल लगाने से उत्पादन बेहतर होता है।........

रविवार, 12 जनवरी 2025

जॉर्ज सोरोस तो मात्र एक चेहरा है। असली खिलाड़ी तो अमेरिका की हथियार लॉबी, मेडिसिन लॉबी और बैंकर लॉबी है जो पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था का संचालन करती हैं।

#विखंडन 

आज से तीन हजार वर्ष पूर्व भारत में दो महाशक्तियां थीं-कुरु राज्य संघ और यादव गण संघ। 

पहले आपसी फूट से कुरु राज्य संघ का पतन हुआ। 

इसके बाद यादव गणसंघ एकमात्र शक्ति बन गया। 

लेकिन वहां भी एक नासूर पक रहा था।

यादवों के वृष्णि कुल में अक्रूर जी स्यमंतक मणि को लेकर कृष्ण से विरोध पाल बैठे और फिर भोज वंशी कृतवर्मा ने अक्रूर को साथ लेकर पूरे संघ को दो गुटों में बाँट दिया जिसकी चरम दुःखद परणिति यादव गणसंघ के विनाश में हुई। 
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सोवियत संघ के विघटन के बाद अमेरिका विश्व की एकमात्र महाशक्ति बन गया। 

लेकिन अक्रूर व कृतवर्मा की तरह अमेरिकी कारपोरेट समूह की राजनैतिक महत्वकांक्षाए बढ़ गई और वे विश्व राजनीति को अपने इशारों पर नचाने लगे और उनके हथियार बने वामपंथी, वोक-लिबरल्स, फेमनिस्ट, ट्रांसजेंडर -होमोसेक्सुअल माफिया जैसे परिवार विरोधी  अराजकतावादी गैंग और इस्लामिक आतंकवाद। 

जॉर्ज सोरोस तो मात्र एक चेहरा है। 

असली खिलाड़ी तो अमेरिका की हथियार लॉबी, मेडिसिन लॉबी और बैंकर लॉबी है जो पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था का संचालन करती हैं। 

अगर एलोन मस्क का बेटा ट्रांसजेंडर न बना होता और ट्रंप को इतना उकसाया न होता तो यह लॉबी आज बहुत भयंकर रूप धारण कर चुकी होती। 

खाड़ी युद्ध,
इस्लामिक आतंकवाद 
अफगान युद्ध,
रूस-युक्रेन युद्ध

और अगर मैं गलत नहीं हूँ तो हमास-इजरायल युद्ध भी इसी लॉबी की देन है क्योंकि यहूदी लॉबी भी दो फाड़ हो चुकी है और इजरायल वाली यहूदी लॉबी सोरोस के वैश्विक नियंत्रण की योजना से दूर थी अतः उसे सबक सिखाने के लिए चीन व ईरान के माध्यम से हमास से हमला करवाया गया। 

एक तीर चार शिकार -

-इजरायल की यहूदी लॉबी युद्ध व युद्धजनित खर्च में फंस गई। 
-इजरायल, सऊदी अरब व मिस्र का गठबंधन बनने से पहले ही टूट गया। 
-ईरान के न्यूक्लियर मिशन को झटका दे दिया। 
-हथियार लॉबी के लिए अरबों डॉलर के बिजिनेस का मौका खोल दिया। 

अब सोरोस की पूरी कोशिश जल्द से जल्द और पाकिस्तान के विखंडन जो कि निश्चित है, से पूर्व भारत में गृहयुद्ध भड़काने की है ताकि भारत एशिया में दूसरा पॉवर सेंटर न बन जाये क्योंकि भारत की सैन्य क्षमता से इस लॉबी को डर नहीं लगता बल्कि उन हिंदू मूल्यों व संस्कृति से लगता है जो इस्कॉन के माध्यम से पुनः परिवार, सदाचरण व सतगुणी जीवन को प्रेरित करता जा रहा है और एकीकृत व संगठित हिंदू भारत इसे और गति दे देगा। 

बांग्लादेश व पूर्वोत्तर में जो कुछ चल रहा है, वह और कुछ नहीं भारत में गृहयुद्ध को जल्दी शुरू करवाने का प्रपंच है लेकिन वर्तमान वैश्विक स्थिति में अभी यह भारत के हित में नहीं है और इसीलिये भारतद्रोही कांग्रेसी पप्पू और उसके बांग्लादेशी सहयोगी मुहम्मद यूनुस के उकसाने पर भी भारत चुप्पी साधकर बैठ गया है। 

भारत के लिए ऐसी अभूतपूर्व स्थिति इतिहास में शायद ही कभी बनी हो। 

सही चालें अगर भारत को एशिया में चीन के समक्ष खड़ा कर सकती हैं तो एक.... केवल एक गलत चाल और अधैर्य भारत को अंतहीन बर्बर गृहयुद्ध में धकेल देगी। 

गृहयुद्ध तो फिर भी तय है पर हिंदू नेतृत्व के ऊपर निर्भर करेगा कि वह गृहयुद्ध को हिंदुओं की न्यूनतम जनहानि से जीता जायेगा या ऐसी प्रभूत हानि से जिससे उबरने में भारत को दशकों का समय लग जाये। 

इंतज़ार है तो ट्रंप के आने और उसकी नीतियों का क्योंकि मुझे अंदेशा है कि शुरू में ट्रंप व मोदी सरकार के बीच तनातनी हो सकती है। 

अस्तु! 

अच्छी और खराब बात यह है कि सर्वशक्तिशाली अमेरिका ही आंतरिक रुप से दो भागों में बंट चुका है। 

ट्रंप व मस्क प्रतिशोधी गुट का नेतृत्व कर रहे हैं जो लिबरल्स के परिवार विखंडनवादियों के विरुद्ध प्रतिशोधी हैं। 
मुझे अंदेशा है कि कार्यकाल के अंत तक आते-आते अमेरिका में ही गृहयुद्ध शुरू न हो जाये जिसकी एक हल्की झलक हमने ट्रंप समर्थकों द्वारा कांग्रेस भवन पर हमले के रूप में देखी थी। 

सबसे खराब बात यह है कि चीन इसी मौके के इन्तजार में है। 

वर्तमान घटनाक्रम में अमेरिका में यादवी संघर्ष शुरू हो चुका है लेकिन भारत की भावी पीढ़ी एक और महाभारत का दर्द न झेले, हिंदू नेतृत्व को बस यही देखना है।

साभार whatsapp MSG 

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