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सोमवार, 2 दिसंबर 2024

रक्तदान आपकी जन्म कुंडली में स्थित दुर्घटना जैसे अशुभ योगों को भी कम या समाप्त कर सकता है।

             🙏🙏 हर हर महादेव 🙏🙏

              🌹*रक्तदान से लाभ*🌹
               (ज्योतिष शास्त्र एवं ज्ञान)
               🩸 *रक्तदान एवं ज्योतिष* 🩸
🔱👉 *वर्तमान समय में रक्तदान करना एक बहुत बड़ा पुण्य कार्य है। रक्तदान किसी का जीवन बचा सकता है। और साथ ही साथ आपकी जन्म कुंडली में स्थित दुर्घटना जैसे अशुभ योगों को भी कम या समाप्त कर सकता है।

🔱👉 *आपको बताना चाहेंगे कि ज्योतिष की दृष्टि से रक्तदान आपको कई बड़ी दुर्घटनाओं से बचा सकता है। कुंडली में कुछ ऐसे ग्रह होते हैं जो व्यक्ति के लिए दुर्घटना का योग बनाते हैं। जिन लोगों की कुंडली में दुर्घटना में रक्त बहने के योग हैं उन्हें हर साल में एक या दो बार रक्तदान करना ही चाहिए। 

🔱👉 *ग्रहों की विशेष स्थिति के कारण कई लोगों के साथ चोट, दुर्घटना या कट लगने के योग बन जाते हैं। जिससे खून बहता है, लेकिन हम अपनी ही इच्छा से किसी जरुरतमंद को खून का दान करें तो अचानक होने वाली दुर्घटनाओं या ऑपरेशन से बच सकते हैं, क्योंकि इनमें जितना खून बहना था वो दान में दे चुके होते हैं।

🔱👉 *रक्तदान से किसी न किसी को जीवनदान मिलता ही है। इस दान से हमारे पुण्य भी बढ़तें हैं। जिससे हमारे जीवन की भी रक्षा होती है।

🔱👉 *रक्तदान से विशेष लाभ यह होता है कि ग्रहों के कारण आपका रक्त का निकलना तय होता है। यदि आप अपनी इच्छा से नि:स्वार्थ रक्तदान करते हैं तो इसके अन्य लाभ मिलते हैं। उदाहरण स्वरुप⤵️
👉  अंजान लोगों की जान बचाने का पुण्य मिलता है। 👉 ग्रहों की मार से भी बचते हैं। 
👉 आपके शरीर का पुराना ख़ून के हटने से नये ख़ून आने से आयु में बढ़ोतरी होती है। 
👉 नये ख़ून आने से नयी उर्जा मिलती है। 
👉 शरीर की स्थीलता एवं आलस्य दूर होती है।
👉 आप मानवता एवं पुण्य से लाभान्वित होते हैं।
👉 आपका हार्ट बीट भी साफ़ एवं नार्मल हो जाता है।

     🌷*जानिए कब बनते हैं 
                         कुंडली में दुर्घटना के योग*🌷

🔥*कुंडली में मंगल और सूर्य दोनों रक्त कारक हैं और अगर इनका अनिष्ट प्रभाव सप्तम,अष्टम अथवा द्वादश भाव पर पड़े तो ऐसे व्यक्ति को जीवन में चोट लगती रहती हैं।

🔥*यदि किसी की जन्म पत्रिका में मंगल नीच राशि का अष्टम भाव में होता है तो उस व्यक्ति को चोट लगने की संभावनाएं रहती हैं। 

🔥*सप्तम या अष्टम भाव पर मंगल की पाप दृष्टि हो तो भी जीवन में दुर्घटनाएं होती रहती हैं।

🔥*लग्न, चतुर्थ और सप्तम भाव में बैठा हुआ मंगल यदि शुभकारी नहीं है तो जीवन में अवश्य ही दुर्घटनाएं करता रहता है।

🔥*अष्टम भाव अथवा द्वितीय भाव में मंगल राहु का प्रभाव अंगारक योग बनाता है। ऐसे व्यक्ति को बार-बार दुर्घटनाएं होना निश्चित है।

🌹🌹*अतः दुर्घटनाओं से बचने के लिए रक्तदान का उपाय काफी उत्तम है, रक्तदान करने से मंगल ग्रह काफी अनुकूल होता है और मंगल ग्रह से संबंधित समस्याओं का निराकरण भी होता है।
       🌹🙏 स्वस्थ रहें सुरक्षित रहें 🙏🌹

रविवार, 1 दिसंबर 2024

श्री गणेश प्रश्नावली चक्र इन यंत्रों की सहायता से हम अपने मन में उठ रहे सवाल, हमारे जीवन में आने वाली कठिनाइयों आदि का समाधान पा सकते है।

👆🏼श्री गणेश प्रश्नावली चक्र इन यंत्रों की सहायता से हम अपने मन में उठ रहे सवाल, 
श्री गणेश प्रश्नावली चक्र इन यंत्रों की सहायता से हम अपने मन में उठ रहे सवाल, हमारे जीवन में आने वाली कठिनाइयों आदि का समाधान पा सकते है। इन्ही में से एक श्रीगणेश प्रश्नावली यंत्र के बारे में हम आज आपको बता रहे है।
भगवान श्रीगणेश को प्रथम पूज्य माना गया है अर्थात सभी मांगलिक कार्यों में सबसे पहले श्रीगणेश की ही पूजा की जाती है। श्रीगणेश की पूजा के बिना कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता। श्रीगणेश प्रश्नावली यंत्र के माध्यम से आप अपने जीवन की परेशानियों व सवालों का हल आसानी से पा सकते हैं। यह बहुत ही चमत्कारी यंत्र है।
उपयोग विधि,,,,जिसे भी अपने सवालों का जवाब या परेशानियों का हल जानना है वो पहले पांच बार ऊँ नम: शिवाय: मंत्र का जप करने के बाद 11 बार ऊँ गं गणपतयै नम: मंत्र का जप करें। इसके बाद आंखें बंद करके अपना सवाल पूछें और भगवान श्रीगणेश का स्मरण करते हुए प्रश्नावली चक्र पर कर्सर घुमाते हुए रोक दें। जिस कोष्ठक(खाने) पर कर्सर रुके, उस कोष्ठक में लिखे अंक के फलादेश को ही अपने अपने प्रश्न का उत्तर समझें।
1 आप जब भी समय मिले राम नाम का जप करें। आपकी मनोकामना अवश्य पूरी होगी।
2 आप जो कार्य करना चाह रहे हैं, उसमें हानि होने की संभावना है। कोई दूसरा कार्य करने के बारे में विचार करें। गाय को चारा खिलाएं।
3 आपकी चिंता दूर होने का समय आ गया है। कष्ट मिटेंगे और सफलता मिलेगी। आप रोज पीपल की पूजा करें।
4 आपको लाभ प्राप्त होगा। परिवार में वृद्धि होगी। सुख संपत्ति प्राप्त होने के योग भी बन रहे हैं। आप कुल देवता की पूजा करें।
5 आप शनिदेव की आराधना करें। व्यापारिक यात्रा पर जाना पड़े तो घबराएं नहीं। लाभ ही होगा।
6 रोज सुबह भगवान श्रीगणेश की पूजा करें। महीने के अंत तक आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाएंगी।
7 पैसों की तंगी शीघ्र ही दूर होगी। परिवार में वृद्धि होगी। स्त्री से धन प्राप्त होगा।
8 आपको धन और संतान दोनों की प्राप्ति के योग बन रहे हैं। शनिवार को शनिदेव की पूजा करने से आपको लाभ होगा।
9 आपकी ग्रह दिशा अनुकूल चल रही है। जो वस्तु आपसे दूर चली गई है वह पुन: प्राप्त होगी।
10 शीघ्र ही आपको कोई प्रसन्नता का समाचार मिलने वाला है। आपकी मनोकामना भी पूरी होगी। प्रतिदिन पूजन करें।
11 यदि आपको व्यापार में हानि हो रही है तो कोई दूसरा व्यापार करें। पीपल पर रोज जल चढ़ाएं। सफलता मिलेगी।
12 राज्य की ओर से लाभ मिलेगा। पूर्व दिशा आपके लिए शुभ है। इस दिशा में यात्रा का योग बन सकता है। मान-सम्मान प्राप्त होगा।
13 कुछ ही दिनों बाद आपका श्रेष्ठ समय आने वाला है। कपड़े का व्यवसाय करेंगे तो बेहतर रहेगा। सब कुछ अनुकूल रहेगा।
14 जो इच्छा आपके मन में है वह पूरी होगी। राज्य की ओर से लाभ प्राप्ति का योग बन रहा है। मित्र या भाई से मिलाप होगा।
15 आपके सपने में स्वयं को गांव जाता देंखे तो शुभ समाचार मिलेगा। पुत्र से लाभ मिलेगा। धन प्राप्ति के योग भी बन रहे हैं।
16 आप देवी मां पूजा करें। मां ही सपने में आकर आपका मार्गदर्शन करेंगी। सफलता मिलेगी।
17 आपको अच्छा समय आ गया है। चिंता दूर होगी। धन एवं सुख प्राप्त होगा।
18 यात्रा पर जा सकते हैं। यात्रा मंगल, सुखद व लाभकारी रहेगी। कुलदेवी का पूजन करें।
19 आपके समस्या दूर होने में अभी करीब डेढ़ साल का समय शेष है। जो कार्य करें माता-पिता से पूछकर करें। कुल देवता व ब्राह्मण की सेवा करें।
20 शनिवार को शनिदेव का पूजन करें। गुम हुई वस्तु मिल जाएगी। धन संबंधी समस्या भी दूर हो जाएगी।
21 आप जो भी कार्य करेंगे उसमें सफलता मिलेगी। विदेश यात्रा के योग भी बन रहे हैं। आप श्रीगणेश का पूजन करें।
22 यदि आपके घर में क्लेश रहता है तो रोज भगवान की पूजा करें तथा माता-पिता की सेवा करें। आपको शांति का अनुभव होगा।
23 आपकी समस्याएं शीघ्र ही दूर होंगी। आप सिर्फ आपके काम में मन लगाएं और भगवान शंकर की पूजा करें।
24 आपके ग्रह अनुकूल नहीं है इसलिए आप रोज नवग्रहों की पूजा करें। इससे आपकी समस्याएं कम होंगी और लाभ मिलेगा।
25 पैसों की तंगी के कारण आपके घर में क्लेश हो रहा है। कुछ दिनों बाद आपकी यह समस्या दूर जाएगी। आप मां लक्ष्मी का पूजन रोज करें।
26 यदि आपके मन में नकारात्मक विचार आ रहे हैं तो उनका त्याग करें और घर में भगवान सत्यनारायण का कथा करवाएं। लाभ मिलेगा।
27 आप जो कार्य इस समय कर रहे हैं वह आपके लिए बेहतर नहीं है इसलिए किसी दूसरे कार्य के बारे में विचार करें। कुलदेवता का पूजन करें।
28 आप पीपल के वृक्ष की पूजा करें व दीपक लगाएं। आपके घर में तनाव नहीं होगा और धन लाभ भी होगा।
29 आप प्रतिदिन भगवान विष्णु, शंकर व ब्रह्मा की पूजा करें। इससे आपको मनचाही सफलता मिलेगी और घर में सुख-शांति रहेगी।
30 रविवार का व्रत एवं सूर्य पूजा करने से लाभ मिलेगा। व्यापार या नौकरी में थोड़ी सावधानी बरतें। आपको सफलता मिलेगी।
31 आपको व्यापार में लाभ होगा। घर में खुशहाली का माहौल रहेगा और सबकुछ भी ठीक रहेगा। आप छोटे बच्चों को मिठाई बांटें।
32 आप व्यर्थ की चिंता कर रहे हैं। सब कुछ ठीक हो रहा है। आपकी चिंता दूर होगी। गाय को चारा खिलाएं।
33 माता-पिता की सेवा करें, ब्राह्मण को भोजन कराएं व भगवान श्रीराम की पूजा करें। आपकी हर अभिलाषा पूरी होगी।
34 मनोकामनाएं पूरी होंगी। धन-धान्य एवं परिवार में वृद्धि होगी। कुत्ते को तेल चुपड़ी रोटी खिलाएं।
35 परिस्थितियां आपके अनुकूल नहीं है। जो भी करें सोच-समझ कर और अपने बुजुर्गो की राय लेकर ही करें। आप भगवान दत्तात्रेय का पूजन करें।
36 आप रोज भगवान श्रीगणेश को दुर्वा चढ़ाएं और पूजन करें। आपकी हर मुश्किल दूर हो जाएंगी। धैर्य बनाएं रखें।
37 आप जो कार्य कर रहे हैं वह जारी रखें। आगे जाकर आपको इसी में लाभ प्राप्त होगा। भगवान विष्णु का पूजन करें।
38 लगातार धन हानि से चिंता हो रही है तो घबराइए मत। कुछ ही दिनों में आपके लिए अनुकूल समय आने वाला है। मंगलवार को हनुमानजी को सिंदूर अर्पित करें।
39 आप भगवान सत्यनारायण की कथा करवाएं तभी आपके कष्टों का निवारण संभव है। आपको सफलता भी मिलेगी।
40- आपके लिए हनुमानजी का पूजन करना श्रेष्ठ रहेगा। खेती और व्यापार में लाभ होगा तथा हर क्षेत्र में सफलता मिलेगी।
41 आपको धन की प्राप्ति होगी। कुटुंब में वृद्धि होगी एवं चिंताएं दूर होंगी। कुलदेवी का पूजन करें।
42 आपको शीघ्र सफलता मिलने वाली है। माता-पिता व मित्रों का सहयोग मिलेगा। खर्च कम करें और गरीबों का दान करें।
43 रुका हुआ कार्य पूरा होगा। धन संबंधी समस्याएं दूर होंगी। मित्रों का सहयोग मिलेगा। सोच-समझकर फैसला लें। श्रीकृष्ण को माखन-मिश्री का भोग लगाएं।
44 धार्मिक कार्यों में मन लगाएं तथा प्रतिदिन पूजा करें। इससे आपको लाभ होगा और बिगड़ते काम बन जाएंगे।
45 धैर्य बनाएं रखें। बेकार की चिंता में समय न गवाएं। आपको मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी। ईश्वर का चिंतन करें।
46 धार्मिक यात्रा पर जाना पड़ सकता है। इसमें लाभ मिलने की संभावना है। रोज गायत्री मंत्र का जप करें।
47 प्रतिदिन सूर्य को अध्र्य दें और पूजन करें। आपको शत्रुओं का भय नहीं सताएगा। आपकी मनोकामना पूरी होगी।
48 आप जो कार्य कर रहे हैं वही करते रहें। पुराने मित्रों से मुलाकात होगी जो आपके लिए फायदेमंद रहेगी। पीपल को रोज जल चढ़ाएं।
49 अगर आपकी समस्या आर्थिक है तो आप रोज श्रीसूक्त का पाठ करें और लक्ष्मीजी का पूजा करें। आपकी समस्या दूर होगी।
50 आपका हक आपको जरुर मिलेगा। आप घबराएं नहीं बस मन लगाकर अपना काम करें। रोज पूजा अवश्य करें।
51 आप जो व्यापार करना चाहते हैं उसी में सफलता मिलेगी। पैसों के लिए कोई गलत कार्य न करें। आप रोज जरुरतमंद लोगों को दान-पुण्य करें।
52 एक महीने के अंदर ही आपकी मुसीबतें कम हो जाएंगी और सफलता मिलने लगेगी। आप कन्याओं को भोजन कराएं।
53 यदि आप विदेश जाने के बारे में सोच रहे हैं तो अवश्य जाएं। इसी में आपको सफलता मिलेगी। आप श्रीगणेश का आराधना करें।
54 आप जो भी कार्य करें किसी से पुछ कर करें अन्यथा हानि हो सकती है। विपरीत परिस्थिति से घबराएं नहीं। सफलता अवश्य मिलेगी।
55 आप मंदिर में रोज दीपक जलाएं, इससे आपको लाभ मिलेगा और मनोकामना पूरी होगी।
56 परिजनों की बीमारी के कारण चिंतित हैं तो रोज महामृत्युंजय मंत्र का जप करें। कुछ ही दिनों में आपकी यह समस्या दूर हो जाएगी।
57 आपके लिए समय अनुकूल नहीं है। अपने कार्य पर ध्यान दें। प्रमोशन के लिए रोज गाय को रोटी खिलाएं।
58 आपके भाग्य में धन-संपत्ति आदि सभी सुविधाएं हैं। थोड़ा धैर्य रखें व भगवान में आस्था रखकर लक्ष्मीजी को नारियल चढ़ाएं।
59 जो आप सोच रहे हैं वह काम जरुर पूरा होगा लेकिन इसमें किसी का सहयोग लेना पड़ सकता है। आप शनिदेव की उपासना करें।
60- आप अपने परिजनों से मनमुटाव न रखें तो ही आपको सफलता मिलेगी। रोज हनुमानजी के मंदिर में चौमुखी दीपक लगाएं।
61 यदि आप अपने करियर को लेकर चिंतित हैं तो श्रीगणेश की पूजा करने से आपको लाभ मिलेगा।
62 आप रोज शिवजी के मंदिर में जाकर एक लोटा जल चढ़ाएं और दीपक लगाएं। आपके रुके हुए काम हो जाएंगे।
63 आप जिस कार्य के बारे में जानना चाहते हैं वह शुभ नहीं है उसके बारे में सोचना बंद कर दें। नवग्रह की पूजा करने से आपको सफलता मिलेगी।
64 आप रोज आटे की गोलियां बनाकर मछलियों को खिलाएं। आपकी हर समस्या का निदान स्वत: ही हो जाएगा
*पण्डित चैतन्य श्रीमाली*
9314863990

शनिवार, 23 नवंबर 2024

घुटनों का दर्द, घुटनों के दर्द का कारण :

*घुटनों का दर्द*

घुटनों के दर्द का कारण :
घुटनों में दर्द होना एक सामान्य परेसानी है, जो किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है। कई बार घुटनों में दर्द किसी चोट लगने के कारण भी होने लगता है, जैसे लिगामेंट का टूटना या कार्टिलेज का फटना इनके अलावा घुटनों में दर्द अन्य कई रोगों के कारण भी होता है, जैसे गठिया (Arthritis), गाउट (Gout) और संक्रमण आदि।

घुटने के रोग से पीड़ित रोगी करे इन चीजों से परहेज :
• इस रोग से पीड़त रोगी को कभी भी किसी प्रकार की खटाई, अचार, छाछ, दही, टमाटर तथा पेट में वायु बनाने वाले पदार्थो को नहीं खाना चाहिए।
• इस रोग से पीड़ित रोगी को दालों का सेवन नहीं करना चाहिए।
• घुटने के दर्द से पीड़ित रोगी को मैदे व बेसन से बनी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
• घुटने के दर्द से पीड़ित रोगी को तली-भुनी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
• इस रोग से पीड़ित रोगी को ठंडे पदार्थों जैसे- कोल्डड्रिंक, आइसक्रीम, बर्फ का पानी आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।

1)लहसुन : 
• इस रोग को ठीक करने के लिए प्रतिदिन 4 से 5 लहसुन की कलियां पानी के साथ निगलने से घुटने का दर्द कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
• अगर आपके घुटनों में दर्द की समस्या रहती है तो इसके लिए नियमित रूप से 1 गिलास दूध में 3-4 लहसून की कलियां डालकर उबाल कर पिए|इसे पीने से दर्द को राहत मिलती है
2)आक : घुटने के दर्द को ठीक करने के लिए सबसे पहले दर्द वाले स्थान पर तेल लगा लें। फिर इसके बाद आक के पत्तों को गर्म करके उस स्थान पर रखें और इसके ऊपर से रुई रखकर लाल कपड़े की पट्टी बांध लें। इससे कुछ ही दिनों में घुटनों में दर्द का रोग ठीक हो जाता है।
3) सोंठ : घुटने के दर्द को ठीक करने के लिए 5 ग्राम सोंठ, 50 ग्राम काला नमक तथा 100 ग्राम अजवाइन को एक सूखी कड़ाही में डालकर इसे भूने और फिर इसे गर्म-गर्म ही एक रूमाल में बांध लें। इसके बाद इससें घुटने पर सिंकाई करें। इससे कुछ ही समय में घुटने का दर्द ठीक हो जाता है।
4)निर्गुण्डी : 
• निर्गुण्डी के पत्तों का 10 से 40 मि.ली. रस लेने से अथवा सेंकी हुई मेथी का कपड़छन चूर्ण तीन ग्राम, सुबह-शाम पानी के साथ लेने से वात रोग में लाभ होता है। यह मेथीवाला प्रयोग घुटने के वातरोग में भी लाभदायक है। साथ में वज्रासन करें।
• घुटने के दर्द को ठीक करने के लिए निर्गुण्डी के ताजे 7-8 पत्तों को कुचलकर मिट्टी के घड़े में डालकर ढक्कन लगाकर गर्म कर लें। इसके कुछ देर बाद मिट्टी के घड़े को आग पर से उतार लें और पत्ते को हल्का ठंडा करके घुटने पर उस जगह लगायें, जिस जगह पर दर्द हो रहा हो। इसके बाद ऊपर से कपड़े की पट्टी बांधें और इस पट्टी को दिन में दो बार बदलें। इस प्रकार से कुछ दिनों तक उपचार करने से घुटने का दर्द ठीक हो जाता है।
5) नीम : घुटने के दर्द को प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करने के लिए लगभग दो लीटर पानी में थोड़ी-सी नीम की पत्तियां, मेथीदाना, थोड़ी सी अजवाइन और आधा चम्मच नमक डालकर उबाल लें और जब यह गर्म हो जाए तो इसको हल्का सा ठंडा करके इस पानी में कपड़े के दो छोटे टुकड़े डाल दें और फिर इस कपड़े के टुकड़े को निकालकर, इससे घुटने पर सिंकाई करे। इसके फलस्वरूप घुटने का दर्द जल्दी ही ठीक हो जाता है।
• घुटने के दर्द को ठीक करने के लिए थोड़े से अरण्डी के पत्तों को पीस लें। फिर थोड़ा से कपूर और थोड़े से सरसों के तेल को इसके साथ मिलाकर कर घुटने के ऊपर लेप करें और फिर इसके ऊपर से कपड़े की पट्टी बांध लें। इसके बाद इसके ऊपर से गर्म सिंकाई करें जिसके फलस्वरूप घुटने का दर्द ठीक हो जाता है।
6) मेथीदाना : घुटने के दर्द को ठीक करने के लिए मेथीदाना को बारीक पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को सुबह ताजे जल के साथ एक चम्मच लेने से बहुत अधिक लाभ मिलता है।
7)अखरोट :सुबह के समय में खाली पेट 4 से 5 अखरोट की गिरियां अच्छी तरह से चबाकर खाने से कुछ ही दिनों में घुटने का दर्द ठीक हो जाता है।
8)नारियल : इस रोग को ठीक करने के लिए प्रतिदिन नारियल की गिरी का एक टुकड़ा खाना चाहिए तथा यदि ताजा नारियल न मिले तो सूखे नारियल की गिरी खानी चाहिए।
9)खजूर: रात को सोते समय 100 ग्राम खजूर को एक गिलास पानी में भिगोने के लिए रख दें। सुबह के समय जब उठे तो इसे चबाकर खा जाएं। प्रतिदिन कुछ दिनों तक ऐसा करने से घुटने का दर्द ठीक हो जाता है।

10)आंवला : 20 ग्राम सूखे आंवले का चूर्ण, 10 ग्राम सोंठ, 10 ग्राम अजवाइन, 5 ग्राम काले नमक को एक साथ लेकर पीस लें। इस चूर्ण को रात को सोते समय आधा चम्मच सेवन करें। इससे यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
11)हरड़ : 100 ग्राम छोटी हरड़ को कूट-पीसकर छान लें। रात को सोते समय इसके 5 ग्राम चूर्ण को दूध या गुनगुने पानी के साथ लें। इसका सेवन कुछ दिनों तक लगातार करने से घुटने का दर्द ठीक हो जाता है।
12)सूर्य किरण: घुटने के दर्द से पीड़ित रोगी को सूर्य की किरणों में बैठकर घुटने की मालिश करनी चाहिए जिसके फलस्वरूप घुटने का दर्द ठीक हो जाता है।
13) घुटने के दर्द के लिए योग 
★ घुटने का दर्द ठीक करने के लिए सीधे कमर के बाल लेटें, अक्सर घुटनों को मोडते हुए साइकल की तरह चलाएँ|
★ घुटनों को बिना मोड़ें पाँव ऊपर नीचे २० बार करें|
★ घुटनों को मोड़ते हुए वज्रासन करें व नीचे गरम तकिया रखें| यह आसन ५ मिनिट तक करें|
★ पेट के बाल लेटकर पैरों को मोड़ें ओर दोनो हाथों से एडियो को पकड़ें|

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विवाह संस्कार को एक त्योंहार की तरह मनाए न कि इवेंट की तरह

https://youtu.be/VeoiEqdkKAk?si=V8eVfisbgwO5UsOT

आजकल के विवाह की परंपरा एक इवेंट के रूप में सेलिब्रेट करने लगे है 
जबकि विवाह एक परंपरा है एक त्योंहार है जो जीवन में एक बार आता है 
लोग विवाह में अपनी उपस्थिति दिखाने भी जाते है और आशीर्वाद देने भी 
विवाह को इवेंट मैनेजर द्वारा प्लान किया जाने लगा है जबकि विवाह एक संस्कार है ये होटलों में करने की बजाय घर पर किया जाना चाहिए

आप को अपने पूरे परिवार की सभी पीढी के सदस्यों को एकत्र करना हो और आप बुलाएंगे तो सभी आए ये जरूरी नहीं 
पर जब आप उन्हें विवाह के उपलक्ष्य में निमंत्रित करेंगे तो सभी आयेंगे 

जब विवाह में आने वाले सभी वर वधु को एक सा आशीर्वाद देते है तो उनके सीखें या बधाई में अंतर क्यों रखते है 


विवाह की रस्मों को मुहूर्त के अनुसार ही किया जाना चाहिए 
जबकि आजकल  इवेंट मैनेजमेंट की नौटंकियों के चक्कर में सारे मुहूर्त के बिना ही हो रहे है 
विवाह में वर व वधु को आशीर्वाद देने सभी अतिथि उपस्थित होते है इसके बाद वैवाहिक जीवन की शुरुआत उत्सुकता उल्लास और शर्म लिहाज के साथ शुरू होती है 
जबकि pre-wedding की नौटंकी में वर वधु पहले से ही विवाह के पूर्व प्री वेडिंग डेस्टिनेशन पर एक दूसरे के साथ फोटो खिंचवाने के चक्कर में परंपराओं की धज्जियां उड़ा रहे है 


ओर भी बहुत कुछ है विवाह संस्कार में जो साउथ की इस फिल्म श्रीनिवास कल्याणम में दिखाया है 

कृपया समय निकाल कर ये फिल्म भी देखें और 
विवाह संस्कार को एक त्योंहार की तरह मनाए न कि इवेंट की तरह

रविवार, 17 नवंबर 2024

अगस्त्य हरीतकी अवलेह खाँसी, अस्थमा, साइनस और एलर्जी जैसे रोगों की आयुर्वेदिक औषधि

अगस्त्य हरीतकी अवलेह खाँसी, अस्थमा, साइनस और एलर्जी जैसे रोगों की आयुर्वेदिक औषधि■

अगस्त्य हरीतकी एक बेजोड़ क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो फेफड़ों को शक्ति देती है और Upper Respiratory Tract के रोगों को दूर करती है. तो आईये जानते हैं अगस्त्य हरीतकी अवलेह के बारे में पूरी डिटेल .....

अगस्त्य हरीत की अवलेह को हरीतकी अवलेह, अगस्त्य रसायन और अगस्त्य रसायनम जैसे नामों से जाना जाता है. यह आयुर्वेदिक ग्रन्थ शारंगधर संहिता का योग है, यह अवलेह है यानि हलवे की तरह की दवा है ठीक वैसा ही जैसा च्यवनप्राश होता है।

इसका मेन इनग्रीडेंट हरीतकी या हर्रे है, इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें कई तरह की जड़ी-बूटियों का मिश्रण होता है जैसे....

हरीतकी- 1200 ग्राम 

बिल्व या बेल 

अरणी 

श्योनका 

पटाला 

गंभारी 

बृहती 

कंटकारी 

शालपर्णी 

प्रिश्नपर्णी 

गोक्षुर 

कौंच बीज 

शंखपुष्पी 

कपूर कचरी 

बला 

गजपीपल 

अपामार्ग 

पिपरामूल 

चित्रकमूल 

भारंगी 

पुष्करमूल प्रत्येक 96 ग्राम 

जौ - 3 किलो 73 ग्राम 

पानी - 15.36 लीटर 

गाय का घी - 192 ग्राम 

तिल तेल - 192 ग्राम 

पिप्पली - 192 ग्राम 

शहद - 192 ग्राम 

गुड़ - 4 किलो 800 ग्राम 

इसे आयुर्वेदिक अवलेह पाक निर्माण विधि से अवलेह बनाया जाता है।

▪️▪️अगस्त्य हरीतकी अवलेह के गुण ....

यह कफ़ और वात दोष पर असर करती है, तासीर में थोड़ा गर्म है. यह कफ़-श्वास नाशक(Antitussive, Mucolytic), आम पाचक(Detoxifier), एंटी एलर्जिक, सुजन नाशक(Anti-inflammatory), एंटी बैक्टीरियल, एंटी ऑक्सीडेंट और पाचन शक्ति ठीक करने वाले(Digestive Stimulant) गुणों से भरपूर है।

 ◼️◼️अगस्त्य हरीतकी अवलेह के फ़ायदे ...

फेफड़े और साँस के रोगों के लिए यह बेहद असरदार है। यह एक आयुर्वेदिक रसायन है, शरीर को ताक़त देता है, पाचन ठीक करता है और बल बढ़ाता है. इसके इस्तेमाल से कई तरह के रोग दूर होते हैं जैसे....

सर्दी-खाँसी, अस्थमा, एलर्जी, ब्रोंकाइटिस, अंदरूनी बुखार, साँस की तकलीफ़ 
पुराना साइनस(Sinusitis), Allergic Rhinitis, तपेदिक या T.B. के बाद की कमज़ोरी 

भूख की कमी, हिचकी, मुंह का स्वाद पता नहीं चलना, IBS, कब्ज़, पाचन शक्ति की कमज़ोरी वगैरह 

गाढ़ा, जमा हुवा कफ़ को निकालता है चाहे खाँसी में हो या ब्रोंकाइटिस में...

◼️◼️अगस्त्य हरीतकी अवलेह की मात्रा और सेवन विधि ....

दस से बीस ग्राम तक गर्म पानी के साथ सुबह शाम लेना भोजन के बाद लेना चाहिए, यह व्यस्क व्यक्ति का डोज़ है. बच्चे, युवा और बुजुर्गों में उनकी उम्र के अनुसार डोज़ देना चाहिए।

ब्रोंकाइटिस में इसके साथ सितोपलादि चूर्ण, प्रवाल पिष्टी और टंकण भस्म के साथ लेने से पुरानी से पुरानी ब्रोंकाइटिस में लाभ होता है।

इसे एक साल के बच्चे से लेकर साठ साल तक के बुज़ुर्ग में यूज़ कर सकते हैं. यह ऑलमोस्ट सेफ़ दवा है, किसी तरह का नुकसान नहीं होता है. वात और कफ़ दोष में असरदार है, पित्त दोष में इसे सावधानी से लेना चाहिए. जिनका कोलेस्ट्रॉल बढ़ा हुआ हो वो भी इसे यूज़ कर सकते हैं, इस से कोलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ता बल्कि कोलेस्ट्रॉल कम करने में मदद करता है।

 ▪️▪️अगस्त्य हरीतकी अवलेह का साइड इफ़ेक्ट ...

वैसे तो इसका कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं है पर इसे लेने से मोशन थोड़ा लूज़ हो सकता है, हरीतकी मिला होने से. पित्त प्रकृति वालों को सिने में जलन हो सकती है।

▪️▪️परहेज़...

अगस्त्य हरीतकी का इस्तेमाल करते हुवे दूध का इस्तेमाल कर सकते हैं पर दही, आइसक्रीम, फ़ास्ट फ़ूड और तेल मसाले वाले भोजन नहीं करना चाहिए।

▪️कृपया ध्यान दें, आयुर्वेदिक दवाओं की सटीक खुराक आयु, ताकत, पाचन शक्ति का रोगी, बीमारी और व्यक्तिगत दवाओं के गुणों की प्रकृति पर निर्भर करता है।

शनिवार, 16 नवंबर 2024

श्राद्ध पर कौआ बनकर खाने नहीं आऊंगा , जो खिलाना है अभी खिला दे।

"अरे भाई, बुढ़ापे का कोई इलाज नहीं होता। नब्बे पार कर चुके हैं, अब बस सेवा कीजिए," डॉक्टर ने नीरज के पिता को देखते हुए कहा।

"डॉक्टर साहब, कुछ तो तरीका होगा। आजकल साइंस ने बहुत तरक्की कर ली है," नीरज ने चिंतित स्वर में कहा.....

"नीरज बाबू, मैं अपनी तरफ से दुआ ही कर सकता हूँ। बस आप इन्हें खुश रखिए। इससे बेहतर कोई दवा नहीं है और इन्हें लिक्विड देते रहिए, जो इन्हें पसंद हो।" डॉक्टर ने मुस्कुराते हुए अपना बैग समेटा और बाहर निकल गए.....

नीरज अपने पिता की हालत से बहुत चिंतित था। उसे यह सोचकर ही बेचैनी होती थी कि पिता के बिना जीवन कैसा होगा। माँ के गुजरने के बाद अब सिर्फ पिता का आशीर्वाद ही था जो उसे जीने की ताकत देता था। उसे अपने बचपन और जवानी के दिन याद आने लगे, जब पिता हर दिन कुछ न कुछ लेकर घर आते थे। बाहर हल्की बारिश हो रही थी, मानो आसमान भी दुखी हो।

नीरज ने खुद को संभाला और पत्नी राधिका से कहा, "राधिका, आज सबके लिए मूंग दाल के पकौड़े और हरी चटनी बनाओ। मैं बाजार से जलेबी लेकर आता हूँ।"

राधिका ने दाल पहले ही भिगो रखी थी इसलिए वह भी तुरंत काम में लग गई। कुछ ही देर में रसोई से पकौड़ों की खुशबू आने लगी। नीरज भी जलेबियाँ लेकर घर लौट आया था। उसने जलेबी रसोई में रखी और पिता के पास बैठ गया। उनका हाथ अपने हाथ में लेकर नीरज बोला, "पापा, आज आपकी पसंद की चीजें लेकर आया हूँ। थोड़ी सी जलेबी खाएँगे ?"

पिता ने धीरे से आँखें झपकाईं और हल्की मुस्कान दी। वह धीमी आवाज़ में बोले "पकौड़े बन रहे हैं क्या ?"

"हाँ, पापा। आपकी पसंद की हर चीज अब मेरी भी पसंद है। राधिका जरा पकौड़े और जलेबी तो ले आओ" नीरज ने आवाज़ लगाई।

राधिका प्लेट में पकौड़े और जलेबियाँ लेकर आई। नीरज ने एक पकौड़ा उठाकर पिता को दिया। "लीजिए पापा, एक और लीजिए," उसने कहा।

"बस...अब पेट भर गया। थोड़ी सी जलेबी दे दो," पिता बोले।

नीरज ने जलेबी का एक छोटा टुकड़ा उठाकर उनके मुँह में डाल दिया। पिता उसे प्यार से देख रहे थे।

"नीरज, सदा खुश रहो बेटा। मेरा दाना-पानी अब पूरा हो गया," पिता बोले।

"पापा, आपको तो सेंचुरी पूरी करनी है। आप मेरे तेंदुलकर हो," नीरज की आँखों में आँसू आ गए।

पिता मुस्कुराए और बोले, "तेरी माँ पेवेलियन में इंतज़ार कर रही है। अगला मैच खेलना है। मैं तुम्हारे बेटे के रूप में लौटूंगा तब खूब खाऊंगा, बेटा।"

पिता उसे देखे जा रहे थे। नीरज ने प्लेट एक तरफ रख दी, लेकिन पिता की आँखें लगातार उसकी ओर टिकी रहीं। अब उनकी आँखें भी नहीं झपक रही थीं। नीरज समझ गया कि पिता की जीवन यात्रा पूरी हो चुकी थी।

तभी उसे याद आया कि पिता अक्सर कहते थे, "श्राद्ध पर कौआ बनकर खाने नहीं आऊंगा , जो खिलाना है अभी खिला दे।"

माँ-बाप का सम्मान करें और उन्हें जीते जी खुश रखें......🙏🙏

शुक्रवार, 15 नवंबर 2024

केंद्रीय मंत्री शेखावत ने दिलाई सूर्यनगरी को एलिवेटेड रोड की सौगात


*938 करोड़ से बनेगी जोधपुर एलिवेटेड रोड, 7.6 किमी लंबी फोर लेन होगी, टेंडर जारी*
*केंद्रीय मंत्री शेखावत ने दिलाई सूर्यनगरी को एलिवेटेड रोड की सौगात* 

 *जोधपुर, 15 नवंबर।* केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के प्रयासों से जोधपुर एलिवेटेड रोड के बहुप्रतीक्षित ड्रीम प्रोजेट का मार्ग प्रशस्त हो गया है। जोधपुर की हार्टलाइन महामंदिर चौराहा से आखलिया चौराहे तक बनने वाली एलिवेटेड रोड फोर लेन की होंगी। करीब 7.6 किलोमीटर लंबी रोड पर 938 करोड़ से अधिक खर्च आएगा। एनएचआई ने टेंडर जारी कर दिया है।

केंद्रीय मंत्री शेखावत ने जोधपुर के इस ड्रीम प्रोजेट का स्वीकृत करने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का आभार व्यक्त किया है। उन्होंने बताया कि टेंडर प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद जल्द ही इसका शिलान्यास कर निर्माण कार्य आरम्भ करवा दिया जाएगा। इससे जोधपुर के विकास को पंख लगेंगे और हार्टलाइन पर यातायात का दबाव कम होगा। 
भाजपा सम्भाग मीडिया प्रमुख अचल सिंह मेड़तिया ने बताया कि जोधपुर में एलिवेटेड रोड का प्लान बरसों से चल रहा था, लेकिन यह मूर्तरूप लेने का नाम नहीं ले रहा था। केंद्रीय मंत्री शेखावत के अनवरत अथक प्रयास के बाद जोधपुर को इसकी सौगात मिली है। शेखावत ने इसको लेकर अनेक बार केंद्रीय मंत्री गडकरी से मिलकर चर्चा की। इसे लेकर सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के साथ बैठक की। करीब एक साल पहले नवंबर 2023 में जब नितिन गडकरी एक निजी कार्यक्रम में जोधपुर आए थे, तब शेखावत के साथ उन्होंने प्रस्तावित एलिवेटेड रोड प्रोजेक्ट को लेकर रूट देखा था। गडकरी ने जूना खेड़ापति मंदिर, आखलिया चौराहा, बॉम्बे मोटर, पांचवीं रोड, शनिश्चर जी का थान, जालोरी गेट, पुरी तिराहा तक गाड़ी में बैठकर मार्ग का अवलोकन किया था।  

राजस्थान विधानसभा चुनाव और फिर लोकसभा चुनाव के दौरान केंद्रीय मंत्री शेखावत ने भरोसा दिलाया था कि जोधपुर का यह महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट विकास की गति को बढ़ाने वाला है। इससे जोधपुरवासियों को यातायात के दबाव से मुक्ति मिलेगी। लोकसभा चुनाव प्रचार के समय केंद्रीय मंत्री शेखावत ने वादा किया था कि चुनाव के तीन चार माह बाद इसका काम आरम्भ करवा दिया जाएगा। इस वादे को पूरा करते हुए केंद्रीय मंत्री शेखावत के प्रयासों से ही इसका टेंडर जारी हो सका है। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचआई) ने इसके लिए 938.59 करोड़ का टेंडर जारी किया है। जोधपुर एलिवेटेड रोड 7.6 किलोमीटर लंबी फोर लेन होंगी। 

 *यह होगा रूट* 
- महामंदिर चौराहा से शुरू होकर आखलिया तिराहे तक बनेगी। 
- पावटा सर्किल से राइकाबाग बस स्टैंड की तरफ टू-लेन उतरेगी।
- कलेक्ट्रेट के मुख्य गेट के पास से एलिवेटेड रोड को जोड़ेगी।
- पुरी तिराहे से रेलवे स्टेशन की तरफ टू-लेन उतरेगी।
- पांचवीं रोड से 12वीं रोड की तरफ टू-लेन उतरेगी।
- आखलिया चौराहे तक बनेगी।

मंगलवार, 12 नवंबर 2024

आज कल चिकन गुनिया फैल रहा है, चिकन गुनिया ठीक होने के बाद अपना दर्द शरीर की हड्डियों में छोड़ जाता है....

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आज कल चिकन गुनिया फैल रहा है, चिकन गुनिया ठीक होने के बाद अपना दर्द शरीर की हड्डियों में छोड़ जाता है....

इसके लिए हम आपके साथ एक आयुर्वेदिक तेल शेयर कर रहे है .. घर पर बनाइए और इसका लाभ उठाए....

▪️▪️चिकनगुनिया के दर्द से राहत दिलाने वाला तेल.....


▪️▪️सामग्री ....

◼️50  - ग्राम सरसों का तेल 

◼️50  - ग्राम सफेद तिल का तेल 

◼️15  - लौंग 

◼️1  - टुकडा दालचीनी 

◼️2  - टेबल स्पून अजवायन 

◼️1  - टेबल स्पून मेथी दाना 

◼️1  - छोटा टुकडा अदरक पिसा हुआ 

◼️1 -  टी स्पून हल्दी 

◼️2  - बडे पीस कपूर 

◼️1 टेबल स्पून एलोवेरा जैल 

◼️◼️विधि .....

कढाई मे दोनो तेल डाल कर तेज गैस पर गर्म करो ।

फिर गैस को धीमी करके हल्दी और कपूर को छोड कर  सारी चीजो को डाल दो , जब तक सारी चीजे जल न जाए और उन का सत तेल मे ना आ जाऐ , करीब 20-25 मिनट लगेंगे इन्हें जलने मे....

 जब ये भून जाएगें तब तेल का रंग गहरा हो जाएगा फिर गैस बंद कर दे और उसमे हल्दी ,कपूर मिला दे जब तक कपूर घुल ना जाए तब तक तेल को ठंडा होने दे.....

 फिर तेल को छान कर एक शीशी मे भर कर रखो , कैसा भी बुरा  दर्द हो  इसकी  मालिश से गायब हो जाएगा ।

कृपया कोई भी पेन किलर ना खाऐ तबियत खराब हो जाएगी चिकन गुनिया में  ये तेल बहुत असरदार है बनाकर मालिश करके देखे जिन्हें तकलीफ हो 
चिकनगुनिया में पैरों में और जाइंट पेन ज्यादा होता है यह तेल 100% फायदेमंद है लगाते ही आराम आना शुरू हो जाएगा पहले दिन से . दिन मे 3 बार मालिश करें |
www.sanwariyaa.blogspot.com

रविवार, 10 नवंबर 2024

बिना धर्मशास्त्र पढ़े शुद्ध पञ्चाङ्ग बनाने की विधि

बिना धर्मशास्त्र पढ़े शुद्ध पञ्चाङ्ग बनाने की विधि

सृष्टि के आरम्भ का स्क्रीनशॉट संलग्न है ।
इसमें दिन=२२, मास=१२ और ईस्वी = −1955929993 है । ईस्वी पर ध्यान न दें,अहर्गण = −714402296627 अर्थात् वर्तमान कलियुग−आरम्भ से 714402296627 दिन पहले वर्तमान सृष्टि का आरम्भ था,रविवार के दिन ।

संलग्न स्क्रीनशाटॅ में उससे दो दिन पहले से आरम्भ है जिस कारण अहर्गण दो दिन पहले ⋅⋅⋅२७ के बदले ⋅⋅⋅२९ है क्योंकि अहर्गण ऋणात्मक है ।

सामान्य सनातनी वर्ष में ३६० तिथियाँ एवं मलमास (अधिमास) वाले सनातनी वर्ष में ३९० तिथियाँ होती हैं ।

जिस वर्ष में क्षयमास होता है उसमें दो अधिमास होते हैं जिस कारण उस वर्ष में भी ३९० तिथियाँ होती हैं ।

हर सनातनी वर्ष का आरम्भ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही होता है जिसकी १५वीं तिथि को पूर्णमासी होता है जब चन्द्रमा चित्रा में अथवा बगल में होते हैं और अगले दिन वैशाख का आरम्भ होता है । इस नियम का अनुसरण करते हुए “कुण्डली−सॉफ्टवेयर” के पञ्चाङ्ग बटन द्वारा एवं पृथक “अधिमास” सॉफ्टवेयर की उसमें सहायता लेते हुए समूची सृष्टि का विस्तृत पञ्चाङ्ग बनाया जा सकता है ।

आजकल पण्डितों की परिपाटी है कि जिस वर्ष में क्षयमास होता है उसमें दो अधिमास होने के कारण क्षयमास और एक अधिमास का लोप मानकर केवल एक अधिमास को पञ्चाङ्ग में दिखाया जाता है किन्तु यह शास्त्रविरुद्ध है क्योंकि ऐसा करने पर क्षयमास और उस तथाकथित लुप्त मलमास में सामान्य धार्मिक मास वाले धर्मकर्म करने पड़ेंगे जो अनुचित है । ऐसा योग बहुत दिनों पर आता है,लाहिड़ी जी की पुस्तक Advance Ephemeris के पृष्ठ ९२ में १९१३−२०२६ ईस्वी के ११४ वर्षों के मलमासों की सूची है जिसमें उनके दृग्ग्णितीय सारिणी की मलमास−सूची है किन्तु नीचे पादटिप्पणी में उसी सारिणी को सूर्यसिद्धान्तीय बनाने के सुझाव हैं । यह सारिणी बंगाल की है,अतः दूरस्थ स्थलों के लिए गलत हो जायगी । बंगाल के लिए भी उनकी सारिणी की जाँच “अधिमास” सॉफ्टवेयर द्वारा कर लें ।

एक सौरवर्ष (सूर्यसिद्धान्तीय वर्ष) में 365.25875648148148148148148148148 सावनदिन होते हैं जिसका प्रमाण यह है कि सूर्यसिद्धान्त के अनुसार एक महायुग में 1577917828 सावनदिन होते हैं,और सूर्यसिद्धान्त एवं पुराणों के अनुसार एक महायुग में ४३२०००० सौरवर्ष होते हैं । सूर्योदय से अगले सूर्योदय को सूर्य−सावनदिन कहते हैं,बुध के पूर्वी क्षितिज पर दैनिक उदय से अगले उदय तक को बुधसावनदिन कहते हैं,आदि⋅⋅⋅ । केवल “सावनदिन” का अर्थ सूर्य−सावनदिन होता है । सूर्य के एक अंश भ्रमण को सौरदिन कहते हैं,संक्रान्ति से ३० सौरदिनों तक अर्थात् अगली संक्रान्ति तक के काल को सौरमास कहते हैं । संक्रान्ति के धार्मिक कर्म सौरदिन के अनुसार होते हैं,वरना समूचे वर्ष के समस्त धार्मिक कर्म सूर्योदयकालीन तिथि के अनुसार होते हैं । जन्माष्टमी,दीपावली जैसे कुछ विशिष्ट पर्वों के विशिष्ट नियम होते हैं किन्तु निम्न विधि ध्यान से पढ़ेंगे तो उनका निर्णय भी सही तरीके से कर सकेंगे ।

संलग्न स्क्रीनशॉट में सृष्टि के प्रथम सावनदिन का विस्तृत पञ्चाङ्ग भी है जिसका आरम्भ है ग्रहस्पष्ट से और नीचे “पर्वादि” के आगे “तिथ्यन्त = निशीथोत्तर” लिखा है । किसी भी सावनदिन के चार खण्ड होते हैं,(१) सूर्योदय से स्पष्ट मध्याह्न तक,(२) स्पष्ट मध्याह्न से सूर्यास्त तक,(३) सूर्यास्त से स्पष्ट मध्यरात्रि अथवा निशीथ तक,(४) और वहाँ से सूर्योदय तक । वाञ्छित सावनदिन के किस खण्ड में सूर्योदयकालीन तिथि का अन्त है वह सॉफ्टवेयर से देख लें,जैसा कि सृष्टि के प्रथम सावनदिन की सूर्योदयकालीन तिथि का अन्त “निशीथोत्तर” है । तब अपने स्थान के सर्वाधिक प्रचलित पारम्परिक पञ्चाङ्ग की ११४ वर्षों अथवा १९ के गुणक वर्षों के सारे पिछले पञ्चाङ्ग इकट्ठे करके उसमें देखें कि वाञ्छित मास के उसी पक्ष की उसी तिथि का अन्त उसी खण्ड,जैसे कि निशीथोत्तर,में किन−किन वर्षों में है,और तब उनमें जो जो सूर्योदयकालीन तिथि पर आधारित धार्मिक व्रत−पर्व आदि हैं उसकी नकल उतार लें । धर्मशास्त्र पढ़कर व्रत−पर्व बनाने पर कभी कभार गलती भी हो सकती है किन्तु बिना धर्मशास्त्र पढ़े उक्त विधि द्वारा आप अपने क्षेत्र का सर्वमान्य शास्त्रीय पञ्चाङ्ग बना सकते हैं — पूरी सृष्टि और पूरे संसार के किसी भी स्थान का । इस विधि की सटीकता का कारण यह है कि सर्वाधिक प्रचलित पारम्परिक स्थानीय पञ्चाङ्ग,जैसे कि काशी के लिए हृषीकेश पञ्चाङ्ग, में स्थानीय पण्डित समुदाय के सामूहिक निर्णय के अनुसार व्रतपर्व होते हैं । दृग्गणित और सूटबूट वाले पण्डितों के पञ्चाङ्ग का उपयोग इस कार्य में न करें,वे पक्के नास्तिक होते हैं किन्तु सच्चे आस्तिकों से कई गुणे तेज “जय श्री राम” के उद्घोष लगाते हैं । हाल के कुछ दशकों के पञ्चाङ्ग अल्प विश्वसनीय हैं क्योंकि उनपर आधुनिकतावादियों का वर्चस्व है,पुराने पण्डितों की धर्म में अधिक आस्था रहती थी,अतः पुराने पञ्चाङ्गों का सङ्कलन करके उपरोक्त तिथिखण्ड−सारिणी बना लेंगे तो स्वयं पञ्चाङ्गकार बन जायेंगे । 

प्रथम Row में सभी वर्षों की संख्या भरें,शेष Rows में १ से १५ तक तिथियाँ भरें,कभी कभी तिथिवृद्धि होने से एक संख्या बढ़ जाती है जिस कारण कुल १६ तिथियों सहित वर्ष को मिलाकर कुल १७ Rows हैं । पत्र का शीर्षक “मास पक्ष” रखें, जैसे कि “चैत्र शुक्लपक्ष” ।

इससे भी अधिक पाण्डित्य चाहिए तो चौखम्बा की पुस्तक “वर्षकृत्य” पढ़ें,दुर्भाग्यवश वह केवल संस्कृत में है,उसमें वर्ष के सभी धार्मिक कर्मों का विस्तार से वर्णन है किन्तु पूजन में उसकी आवश्यकता पड़ेगी,पञ्चाङ्ग बनाने में नहीं ।

स्वयं पञ्चाङ्गकार बनना सीख ही लें,क्योंकि अब अच्छे स्थानीय पञ्चाङ्ग भी व्यवसायवादियों के आधिपत्य में जा रहे हैं जिनकी रुचि केवल धन में है,धर्म में नहीं;और संस्कृत विषविद्यालयों में भी प्रोफेसर्पों का वर्चस्व होता जा रहा है ।यद्यपि गणित में दक्ष न होने के कारण अधिकांश संस्कृत प्रोफेसर मुझे गरियाते हुए मिलेंगे किन्तु अभीतक उनमें से भारी बहुमत की आस्था धर्मशास्त्र में है और उनमें ऐसे बहुत से विद्वान हैं जो धर्मशास्त्र का अच्छा ज्ञान भी रखते हैं किन्तु दुर्भाग्य है कि मेरा विरोध करते हैं जिस कारण मेरे सॉफ्टवेयर का लाभ नहीं उठा पाते । इसका कारण है भ्रष्ट अधिकारियों से मिलीभगत के फलस्वरूप कई भ्रष्ट प्रोफेसर्पों का वर्चस्व फण्ड में घोटाला करने के उद्देश्य से स्थापित है । राजधन का प्रवेश होगा तो धर्म का क्षय होगा ही,क्योंकि राजधन में निरीह जनता के आँसू और कभी−कभार रक्त भी मिश्रित रहता है । सच्चे ब्राह्मण राजधन से दूर रहते थे,अग्रहार आदि दान लेने की परिपाटी कुषाण काल से आरम्भ हुई जिसे गुप्त राजाओं ने बढ़ाया,और धनलोलुपों का बाहुल्य होने के ही कारण समाज धर्मच्युत हुआ तो दासता झेलनी पड़ी ।

धर्म की स्थापना का नारा बहुत लोग लगाते हैं,किन्तु सही पञ्चाङ्ग के बिना धर्म की स्थापना असम्भव है । अतः स्वयं पञ्चाङ्गकार बनना सीख ही लें । इसकी पद्धति निम्न है ।

एक पन्ने पर आड़ी तिरछी रेखाओं की ऐसी सारिणी बनायें जिसमें १७ क्षैतिज Rows एवं यथासम्भव उर्ध्व Columns हों । वेदाङ्ग ज्योतिष की परम्परा के अनुसार Columns के गुणक में होनी चाहिए,न्यूनतम ५७ और अधिकतम ११४ अथवा अधिक वर्षों के पुराने पञ्चाङ्ग उपलब्ध रहेंगे तो उतने ही Columns बनेंगे,एक पन्ने में न बनें तो अधिक पन्ने उसी में गोन्द द्वारा चिपका दे । वर्ष के हर पक्ष के लिए ऐसा एक पत्र चाहिए । उसकी हर तिथि के आगे ५७−११४ वर्षों की उसी मास पक्ष तिथि के तिथिखण्डों की संख्या १ से ४ तक भर दें,जैसे कि चौथे खण्ड निशीथोत्तर की संख्या ४ है । ऐसी सारिणी बन जायगी तो सृष्टि के आरम्भ से अन्त तक किसी भी वर्ष का शुद्ध पञ्चाङ्ग उस स्थान के लिए आप आसानी से बना सकेंगे जहाँ के पारम्परिक पञ्चाङ्ग की सहायता से आपने उक्त सारिणी बनायी थी । मैंने मिथिला के डेढ़ सौ वर्षों के पञ्चाङ्गों द्वारा सारिणी बनायी थी किन्तु मेरे तथाकथित शिष्य ने मेरे समूचे पुस्तकालय को नष्ट कर डाला । उससे अच्छा चुरा ही लेता,उसके घर में तो रहता!उस सारिणी के फोटोस्टैट के कुछ पन्ने कहीं बचे हैं,मिल गये तो स्क्रीनशॉट पोस्ट कर दूँगा ।

बहुत पुराने मिथिला पञ्चाङ्गों का एक बण्डल भी बचा है,किन्तु अब उनता श्रम करना दूभर है । हृषीकेश पञ्चाङ्ग का प्रभावक्षेत्र अधिक है,अतः इसके सारे पुराने पञ्चाङ्गों का सङ्कलन करें और सारिणी बनायें । आपस में सहयोग की भावना से कुछ लोग जुट जायें तो सम्भव है । तब यदि उसे “कुण्डली सॉफ्टवेयर” में जोड़ दिया जाय तो ४३० करोड़ वर्षों का पूरे संसार का विस्तृत पञ्चाङ्ग तैयार हो जायगा जिसकी सत्यता का खण्डन कोई पण्डित नहीं कर सकेगा ।

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विश्व इतिहास में पहली बार पञ्चाङृग बनाने की सही और सुगम पद्धति सार्वजनिक की जा रही है जिसके नीचे कई टिप्पणियों को देखकर लगता हे कि जिनलोगों की इस विषय में रुचि नहीं है वे चुप भी नही रह सकते,अनजाने में विषयान्तर करके लोगों का ध्यान भटकाना चाहते हैं ।

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शुक्रवार, 8 नवंबर 2024

मनुष्य योनि में किए गये कर्मों का ही भुगतना।

 

मादा बिच्छू की मृत्यु बहुत बहुत बहुत ही दु:खदायी रूप में होती है!! नीचे दिया गया चित्र एक मादा बिच्छु का है , इसकी अस्थिमज्जा पर मौजूद ये इसके बच्चे हैं, ये सभी बच्चे जन्म लेते ही अपनी मां की पीठ पर बैठ जाते हैं और अपनी भूख मिटाने हेतु तुरंत ही अपनी माँ के शरीर को ही खाना प्रारम्भ कर देते हैं, और तब तक खाते हैं जब तक कि उसकी केवल अस्थियां ही शेष ना रह जाए। वो तड़पती है , कराहती है , लेकिन ये पीछा नहीं छोड़ते , और ये उसे पलभर में नहीं मार देते बल्कि कई दिनों तक यह मौत से बदतर असहनीय पीड़ा को झेलती हुई दम तोड़ती है। मादा बिच्छु की मौत होने पश्चात् ही ये सभी उसकी पीठ से नीचे उतरते हैं !

लख चौरासी के कुचक्र में ऐसी असंख्य योनियां हैं , जिनकी स्थितियां अज्ञात हैं , कदाचित् इसीलिए भवसागर को अगम और अपार कहा गया है।*

ऋषिमत के मुताबिक यह भी मनुष्य योनि में किए गये कर्मों का ही भुगतान है। अर्थात् इन्सान इस मनुष्य जीवन में जो कर्म करेगा , नाना प्रकार की असंख्य योनियों में इन कर्मों के आधार से ही उसे दुःख सुख मिलते रहेंगे।

यह तय है !!!*

चलती चक्की देखकर दिया कबीरा रोय

दोय पाटन के बीच में, साबुत बचा ना

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