इतिहास की किताब में बताया जाता है कि रेडियो का आविष्कार जी. मार्कोनी ने
किया था, लेकिन यह सरासर गलत है। अंग्रेज काल में मार्कोनी को भारतीय
वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बसु के लाल डायरी के नोट मिले जिसके आधार पर उन्होंने रेडियो का आविष्कार किया।
मार्कोनी को 1909 में वायरलेस टेलीग्राफी के लिए नोबेल पुरस्कार मिला। लेकिन संचार के लिए रेडियो तरंगों का पहला सार्वजनिक प्रदर्शन मिलीमीटर तरंगें और क्रेस्कोग्राफ सिद्धांत के खोजकर्ता जगदीश चंद्र बसु थे जिन्होंने यह खोज 1895 में की थी।
इसके 2 साल बाद ही मार्कोनी ने प्रदर्शन किया और सारा श्रेय वे ले गए। चूंकि भारत उस समय एक गुलाम देश था इसलिए जगदीश चंद्र बसु को ज्यादा महत्व नहीं दिया गया। दूसरी ओर वे अपने आविष्कार का पेटेंट कराने में असफल रहे जिसके चलते मार्कोनी को रेडियो का आविष्कारक माना जाने लगा। संचार की दुनिया में रेडियो का आविष्कार सबसे बड़ी सफलता है। आज इसके आविष्कार के बाद ही टेलीविजन और मोबाइल क्रांति संभव हो पाई है।
मार्कोनी को 1909 में वायरलेस टेलीग्राफी के लिए नोबेल पुरस्कार मिला। लेकिन संचार के लिए रेडियो तरंगों का पहला सार्वजनिक प्रदर्शन मिलीमीटर तरंगें और क्रेस्कोग्राफ सिद्धांत के खोजकर्ता जगदीश चंद्र बसु थे जिन्होंने यह खोज 1895 में की थी।
इसके 2 साल बाद ही मार्कोनी ने प्रदर्शन किया और सारा श्रेय वे ले गए। चूंकि भारत उस समय एक गुलाम देश था इसलिए जगदीश चंद्र बसु को ज्यादा महत्व नहीं दिया गया। दूसरी ओर वे अपने आविष्कार का पेटेंट कराने में असफल रहे जिसके चलते मार्कोनी को रेडियो का आविष्कारक माना जाने लगा। संचार की दुनिया में रेडियो का आविष्कार सबसे बड़ी सफलता है। आज इसके आविष्कार के बाद ही टेलीविजन और मोबाइल क्रांति संभव हो पाई है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी करें
टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.