पुदीना
गुणकारी औषधि है पुदीना
पुदीना क्रीपर प्रजाति की वनस्पति है। इसे अंग्रेजी में ‘मिन्ट’ के नाम से जानते हैं। पुदीने का पौधा हर क्षेत्र में हर मौसम में पाया जाता है। इसका उपयोग जड़ी बुटी के रूप में तथा दाल, सब्जी और चटनी को स्वादिष्ट बनाने में होता है। इसकी पत्तियां गहरे रंग की एक विशेष प्रकार की सुगंध वाली होती है। इस पौधे की पत्तियों, पोटेशियम, आयरन इत्यादि पाए जाते हैं। इसमें विटामिन बी,सी, डी और विटामिन ई पाया जाता है। खनिज और विटामिनयुक्त होने से इसकी पत्तियां रोगों, दंत रोग, मुख रोग एवं त्वचा रोगों के उपचार हेतु गुणकारी औषधि के रूप में अत्याधिक उपयोगी सिध्द हुई है।
पुदीने की ताजी पत्तियों का उपयोग पेट संबंधी एवं पाचन क्रिया संबंधी दोषों को दूर करने में महत्वपूर्ण है। पुदीने की ताजी पत्तियों के रस में नींबू का रस और शहद मिलाकर देने से रोगी को पाचन क्रिया संबंधी विकास से छुटकारा मिलता है। इसकी पत्तियों का रस अपच, अफारा, पेट दर्द, हैजा, उल्टी, फतले दस्त, पिस और पेट के कीड़े से ग्रस्त रोगों की 4-5 चम्मच पिलाने से रोगी को राहत मिलती है। गर्मी के मौसम में जलजीरा एवं गन्ने के रस में इसकी पत्तियां पीसकर पीने से लू से बचाव होता है और शीतलता मिलती है।
सुबह शाम पुदीने की चाय पीने से व्यक्ति स्वस्थ और रोगमुक्त रहता है।
सूखे पुदीने की पत्तियों का चूर्ण शक्कर में मिलाकर पानी के साथ देने से रोगी के पेट दर्द की शिकायत दूर होती है।
दूषित खाद्य एवं पेय पदार्थों द्वारा फैलने वाले संक्रामक रोग हैजा, उल्टी और दस्त से ग्रस्त रोगी को दो-दो घंटे के अंतराल पर 4-5 चम्मच पुदीने का रस पिलाने से रोगी को राहत मिलती है।
असहनीय पेट दर्द में पुदीने के बीजों का चूर्ण पानी के साथ देने से पेट दर्द खत्म हो जाता है। बच्चों में प्राय: कब्जियत की शिकायत बनी रहने के कारण वे पेट दर्द से बेचैन रहते हैं। पुदीने की पत्तियों का रस या अर्क 4-5 बूंदे पानी या शक्कर के साथ मिलाकर देने से वे दर्द से छुटकारा पाते हैं।
श्वांस संबंधी रोगों में जैसे सर्दी, जुकाम, खांसी, दमा, गले की खराश को भी पुदीने के रस से दूर किया जा सकता है। हल्की खांसी और ज्वर से पीड़ित रोगी को पुदीने की ताजी पत्तियों के साथ 4-5 काली मिर्चा पानी में उबालकर उसमें आवश्यकतानुसार नींबू का रस एवं सेंधा नमक अनुमान से मिलाकर ठंडा करके पीने से बहुत लाभ होता है।
पुदीने की पत्तियों के एक चम्मच तांबे रस को दो चम्मच सिरके में उसी के बराबर मात्रा में शहद, मिलाकर गाजर के रस के साथ दिन में दो तीन बार देने पर क्षय रोग, दमा और ब्रोकाइटिस से पीड़ित व्यक्ति को श्वांस नली रोगों से मुक्ति मिलती है। इससे फेफड़े में जमा कफ बाहर निकल जाता है। इस तरह पुदीने का नियमित सेवन करनसे रोगरोधक क्षमता शक्ति बढ़ती है।
पुदीने की पत्तियों को गर्म पानी में उबालकर उसमें दो चुटकी नमक मिलाकर गरारे करने से गले की खराश दूर हो जाती है और गला साफ हो जाता है, स्वर ठीक हो जाता है।
दंत रोगों और मसूड़ों के रोगों से होने वाले कष्ट का निवारण करने हेतु पानी से साफ धुली पुदीने की पत्तियो को दांतों से चबाकर खाने से दंत कीट नष्ट हो जाते हैं तथा दांत व मसूड़ो के दर्द से राहत मिलती है। इसकी पत्तियों को चबाकर मंजन करने से दांतों की सड़न और दुर्गन्ध दर होती है क्योंकि पुदीने की पतियों में प्रचुर मात्रा में क्लोरोफिल पाया जाता है, जो दंत रोगों का निवारण करता है।
त्वचा रोग और त्वचा की जलन दूर करने के लिए पुदीने की पत्तियों को पानी में उबालकर त्वचा पर उपयोग करने से खुश्क त्वचा नरम हो जाती है।
पुदीने की पत्तियों को पीसकर त्वचा व चेहरे पर लगाने से त्वचा की जलन दूर हो जाती है, चेहरे के कील मुंहासे दूर हो जाते है तथा चेहरा निखर जाता है।
पुदीने की पत्तियों को पीसकर उसका लेप या रस दाद, खाज, खुजली, एग्जिमा पर लगाने से रोगी को लाभ मिलता है। पुदीने की पत्तियों को चूसने से हिचकी रोग दूर होता है।
गर्भ निरोधक औषधि के रूप में भी पुदीने की पत्तियां अत्यधिक उपयोगी है। यदि स्त्रियां इसकी पत्तियों का चूर्ण 10 ग्राम नियमित सेवन करें तो संतति निरोध में यह उपयोगी है।
पुदीना अनेक प्रकार से एक उपयोगी पौधा है। इसे गमले, क्यारियों और बगीचों में लगाने से पर्यावरण शुध्द होता है। पुदीने का उपयोग मसालों, पेय पदार्थों और खाद्य पदार्थों को स्वाद और सुगंध युक्त बनाने में भी होता है।
गुणकारी औषधि है पुदीना
पुदीना क्रीपर प्रजाति की वनस्पति है। इसे अंग्रेजी में ‘मिन्ट’ के नाम से जानते हैं। पुदीने का पौधा हर क्षेत्र में हर मौसम में पाया जाता है। इसका उपयोग जड़ी बुटी के रूप में तथा दाल, सब्जी और चटनी को स्वादिष्ट बनाने में होता है। इसकी पत्तियां गहरे रंग की एक विशेष प्रकार की सुगंध वाली होती है। इस पौधे की पत्तियों, पोटेशियम, आयरन इत्यादि पाए जाते हैं। इसमें विटामिन बी,सी, डी और विटामिन ई पाया जाता है। खनिज और विटामिनयुक्त होने से इसकी पत्तियां रोगों, दंत रोग, मुख रोग एवं त्वचा रोगों के उपचार हेतु गुणकारी औषधि के रूप में अत्याधिक उपयोगी सिध्द हुई है।
पुदीने की ताजी पत्तियों का उपयोग पेट संबंधी एवं पाचन क्रिया संबंधी दोषों को दूर करने में महत्वपूर्ण है। पुदीने की ताजी पत्तियों के रस में नींबू का रस और शहद मिलाकर देने से रोगी को पाचन क्रिया संबंधी विकास से छुटकारा मिलता है। इसकी पत्तियों का रस अपच, अफारा, पेट दर्द, हैजा, उल्टी, फतले दस्त, पिस और पेट के कीड़े से ग्रस्त रोगों की 4-5 चम्मच पिलाने से रोगी को राहत मिलती है। गर्मी के मौसम में जलजीरा एवं गन्ने के रस में इसकी पत्तियां पीसकर पीने से लू से बचाव होता है और शीतलता मिलती है।
सुबह शाम पुदीने की चाय पीने से व्यक्ति स्वस्थ और रोगमुक्त रहता है।
सूखे पुदीने की पत्तियों का चूर्ण शक्कर में मिलाकर पानी के साथ देने से रोगी के पेट दर्द की शिकायत दूर होती है।
दूषित खाद्य एवं पेय पदार्थों द्वारा फैलने वाले संक्रामक रोग हैजा, उल्टी और दस्त से ग्रस्त रोगी को दो-दो घंटे के अंतराल पर 4-5 चम्मच पुदीने का रस पिलाने से रोगी को राहत मिलती है।
असहनीय पेट दर्द में पुदीने के बीजों का चूर्ण पानी के साथ देने से पेट दर्द खत्म हो जाता है। बच्चों में प्राय: कब्जियत की शिकायत बनी रहने के कारण वे पेट दर्द से बेचैन रहते हैं। पुदीने की पत्तियों का रस या अर्क 4-5 बूंदे पानी या शक्कर के साथ मिलाकर देने से वे दर्द से छुटकारा पाते हैं।
श्वांस संबंधी रोगों में जैसे सर्दी, जुकाम, खांसी, दमा, गले की खराश को भी पुदीने के रस से दूर किया जा सकता है। हल्की खांसी और ज्वर से पीड़ित रोगी को पुदीने की ताजी पत्तियों के साथ 4-5 काली मिर्चा पानी में उबालकर उसमें आवश्यकतानुसार नींबू का रस एवं सेंधा नमक अनुमान से मिलाकर ठंडा करके पीने से बहुत लाभ होता है।
पुदीने की पत्तियों के एक चम्मच तांबे रस को दो चम्मच सिरके में उसी के बराबर मात्रा में शहद, मिलाकर गाजर के रस के साथ दिन में दो तीन बार देने पर क्षय रोग, दमा और ब्रोकाइटिस से पीड़ित व्यक्ति को श्वांस नली रोगों से मुक्ति मिलती है। इससे फेफड़े में जमा कफ बाहर निकल जाता है। इस तरह पुदीने का नियमित सेवन करनसे रोगरोधक क्षमता शक्ति बढ़ती है।
पुदीने की पत्तियों को गर्म पानी में उबालकर उसमें दो चुटकी नमक मिलाकर गरारे करने से गले की खराश दूर हो जाती है और गला साफ हो जाता है, स्वर ठीक हो जाता है।
दंत रोगों और मसूड़ों के रोगों से होने वाले कष्ट का निवारण करने हेतु पानी से साफ धुली पुदीने की पत्तियो को दांतों से चबाकर खाने से दंत कीट नष्ट हो जाते हैं तथा दांत व मसूड़ो के दर्द से राहत मिलती है। इसकी पत्तियों को चबाकर मंजन करने से दांतों की सड़न और दुर्गन्ध दर होती है क्योंकि पुदीने की पतियों में प्रचुर मात्रा में क्लोरोफिल पाया जाता है, जो दंत रोगों का निवारण करता है।
त्वचा रोग और त्वचा की जलन दूर करने के लिए पुदीने की पत्तियों को पानी में उबालकर त्वचा पर उपयोग करने से खुश्क त्वचा नरम हो जाती है।
पुदीने की पत्तियों को पीसकर त्वचा व चेहरे पर लगाने से त्वचा की जलन दूर हो जाती है, चेहरे के कील मुंहासे दूर हो जाते है तथा चेहरा निखर जाता है।
पुदीने की पत्तियों को पीसकर उसका लेप या रस दाद, खाज, खुजली, एग्जिमा पर लगाने से रोगी को लाभ मिलता है। पुदीने की पत्तियों को चूसने से हिचकी रोग दूर होता है।
गर्भ निरोधक औषधि के रूप में भी पुदीने की पत्तियां अत्यधिक उपयोगी है। यदि स्त्रियां इसकी पत्तियों का चूर्ण 10 ग्राम नियमित सेवन करें तो संतति निरोध में यह उपयोगी है।
पुदीना अनेक प्रकार से एक उपयोगी पौधा है। इसे गमले, क्यारियों और बगीचों में लगाने से पर्यावरण शुध्द होता है। पुदीने का उपयोग मसालों, पेय पदार्थों और खाद्य पदार्थों को स्वाद और सुगंध युक्त बनाने में भी होता है।
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