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रविवार, 16 अप्रैल 2023

एक जूस की दुकान से लेकर टी- सीरीज म्यूज़िक कम्पनी का विशाल साम्राज्य खड़ा करने वाले ' गुलशन कुमार ' को क्यों सरेआम गोलियों से छलनी कर दिया गया?

एक जूस की दुकान से लेकर टी- सीरीज म्यूज़िक कम्पनी का विशाल साम्राज्य खड़ा करने वाले ' गुलशन कुमार ' को क्यों सरेआम गोलियों से छलनी कर दिया गया?


2 प्रसिद्ध किताबों के माध्यम से पता चलता है कि the legend khe jane wane म्यूजिशियन गुलशन कुमार की हत्या क्यों और कैसे कि गई थी। एक किताब माई नेम इज अबू सलेम और दूसरी किताब Let me say it now’ है । विस्तार में इन किताबों मे लिखी घटनाओं का निछे जिक्र कर रहा हूं।👇👇


दरियागंज में जूस बेचा और ऑडियो कैसेट भी दिल्ली के दरियागंज इलाके में 5 मई 1956 गुलशन कुमार बचपन के दिनों से ही बेहद महत्वाकांक्षी रहे। किशोरावस्था के दौरान वह अपने पिता के फ्रूट जूस काम में हाथ बंटाने के लिए खुद भी जूस बेचा करते थे। पंजाबी फैमिली के गुलशन कुमार जब बड़े हुए तो उन्होंने आडियो कैसेट बेचने का काम शुरू किया। ऑडियो कैसेट का धंधा जम गया। लोगों की मांग को देखते हुए उन्होंने खुद कैसेट बनाने का काम शुरू कर दिया।

म्यूजिक कंपनी और बॉलीवुड से जुड़ाव गुलशन कुमार ने कारोबार बढ़ने पर दिल्ली से निकलकर 1970 में नोएडा में आडियो कैसेट बनाने के लिए म्यूजिक कंपनी खोली और उसका नाम सुपर कैसेट्स इंडस्ट्री रखा। बाद में बॉलीवुड से जुड़ने के लिए वह मुंबई पहुंच गए। यहां आकर उन्होंने अपनी कंपनी का नाम बदलकर टी सीरीज कर दिया। वह बॉलीवुड सिंगर्स के साथ मिलकर काम करने लगे। उनके रीमि​क्स गानों की कैसेट्स की लोगों के बीच धूम मच गई।


भजनों से शोहरत मिलने पर अंडरवर्ल्ड की नजर में आए गुलशन कुमार ने खुद के गाए भजनों की कैसेट्स बाजार में उतारे। 80—90 के दशक में उनकी कैसेट और भजन घर घर पहुंच गए। गुलशन कुमार का सिक्का म्यूजिक इंडस्ट्री में जम गया और वह एक बड़ा नाम बन गए। इस बीच गुलशन कुमार पर अंडरवर्ल्ड की नजर पड़ गई। मुंबई के चर्चित जर्नलिस्ट रहे एस हुसैन जैदी ने अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम पर लिखी अपनी पुस्तक माई नेम इज अबू सलेम में जिक्र किया है अबू सलेम ने गुलशन कुमार से रंगदारी मांगी थी।


(S Hussain Zaidi Book My Name Is Abu Salem. )

डॉन अबू सलेम ने जान के बदले 10 करोड़ मांगे एस हुसैन जैदी की किताब माई नेम इज अबू सलेम में जिक्र है कि अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम ने गुलशन कुमार को जान के बदले 10 करोड़ देने को कहा था। गुलशन कुमार ने कहा कि रुपये उसे देने के बजाय उन रुपयों से वह जम्मू में वैष्णों माता के मंदिर में भंडारा कराएंगे। जम्मू में आज भी गुलशन कुमार के नाम से भंडारा चलता है।


अबू सलेम ने सुनी थीं गुलशन कुमार की चीखें रंगदारी नहीं देने पर अबू सलेम के शूटर राजा ने 12 अगस्त 1997 को मुंबई के अंधेरी इलाके में गुलशन कुमार की गोली मारकर हत्या कर दी थी। हत्या के वक्त गुलशन कुमार जीतेश्वर महादेव मंदिर में पूजा करने के बाद लौट रहे थे। तभी शूटर राजा ने गुलशन कुमार के शरीर में 16 गोलियां दाग दी थीं। उसने अबू सलेम को गुलशन कुमार की चीखें सुनाने के लिए फोन भी किया और 10 मिनट तक आन रखा था। इस घटना का जिक्र भी माई नेम इज अबू सलेम किताब में किया गया है।

(जूस बेचकर म्यूजिक इंडस्ट्री के टाइकून बने गुलशन कुमार की क्यों हुई थी हत्या, जानें 16 गोलियां मारकर शूटर ने किसे किया था फोन

)

अब दुसरी किताब के mutabik-

मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर राकेश मारिया की इस चर्चित किताब में म्यूजिक कंपनी टी-सीरिज के मालिक गुलशन कुमार की हत्या को लेकर भी बड़ा खुलासा किया गया है। मारिया ने बताया है कि जिस साल ( वर्ष 1997) गुलशन कुमार की हत्या की गई थी वो उस वक्त डायरेक्टर जनरल कार्यालय में पदस्थापित थे।

किताब ‘Let me say it now’ के मुताबिक साल 1997 में 22 अप्रैल की रात उन्हें उनके एक मुखबिर ने फोन कर कहा था कि गुलशन कुमार का विकेट गिरने वाला है। जब मारिया ने अपने मुखबिर से पूछा कि इसके पीछे कौन है तब मुखबिर ने अबू सलेम का नाम लिया था। मुखबिर ने बताया था कि गैंगस्टर ने अपनी योजना बना ली है और वो उन्हें शिव मंदिर जाने के दौरान मारने वाला है।

अगली ही सुबह मारिया ने मशहूर फिल्म निर्देशक महेश भट्ट को फोन किया था और उनसे पूछा था कि क्या वो गुलशन कुमार को जानते हैं? इसपर महेश भट्ट ने गुलशन कुमार को जानने की बात कही थी और यह भी कहा था कि वो हर रोज मंदिर जाते हैं। उन्होंने महेश भट्ट से कहा था कि वो गुलशन कुमार को बता दें कि उनकी जान को खतरा है लिहाजा वो घर से बाहर कदम ना रखें।

राकेश मारिया ने उस वक्त क्राइम ब्रांच की टीम को कैसेट किंग के नाम से मशहूर गुलशन कुमार को सुरक्षा देने के लिए कहा था। लेकिन 12 अगस्त 1997 को शिव मंदिर से बाहर निकलते वक्त गुलशन कुमार की गोली मारकर हत्या कर दी गई। बाद में इस हत्याकांड की जांच के दौरान खुलासा हुआ था कि गुलशन कुमार की सुरक्षा का जिम्मा उत्तर प्रदेश पुलिस संभाल रही थी जिसकी वजह से मुंबई पुलिस ने अपनी सुरक्षा वापस ले ली थी। (गुलशन कुमार का व‍िकेट ग‍िरने वाला है- फोन आने के बाद भी पुल‍िस नहीं बचा सकी थी जान

)

धन्यवाद।🙏

जय हिन्द जय भारत

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जोधा अकबर" की कहानी झूठी निकली, सैकड़ो सालों से प्रचारित झूठ का खण्डन हुआ।


जोधा अकबर" की कहानी झूठी निकली, सैकड़ो सालों से प्रचारित झूठ का खण्डन हुआ। अकबर की शादी "हरकू बाई" से हुई थी, जो मान सिंह की दासी थी।

पुरातत्व विभाग भी यही मानता है कि जोधा एक झूठ है, जिस झूठ को वामपन्थी इतिहासकारों ने और फिल्मी भाँड़ों ने रचा है।

यह ऐतिहासिक षड़यन्त्र है।

आइये, एक और ऐतिहासिक षड़यन्त्र से आप सभी को अवगत कराते हैं। अब कृपया ध्यानपूर्वक पूरा पढ़ें।

जब भी कोई राजपूत किसी मुगल की गद्दारी की बात करता है तो कुछ मुगल प्रेमियों द्वारा उसे जोधाबाई का नाम लेकर चुप कराने की कोशिश की जाती है। बताया जाता है कि कैसे जोधा ने अकबर से विवाह किया। परन्तु अकबर के काल के किसी भी इतिहासकार ने जोधा और अकबर की प्रेमकथा का कोई वर्णन नहीं किया !

सभी इतिहासकारों ने अकबर की केवल 5 बेगमें बताई हैं।

1. सलीमा सुल्तान।

2. मरियम उद ज़मानी।

3. रज़िया बेगम।

4. कासिम बानू बेगम।

5. बीबी दौलत शाद।

अकबर ने स्वयम् अपनी आत्मकथा अकबरनामा में भी, किसी रानी से विवाह का कोई उल्लेख नहीं किया। परन्तु राजपूतों को नीचा दिखाने के लिए कुछ इतिहासकारों ने अकबर की मृत्यु के लगभग 300 साल बाद 18 वीं सदी में “मरियम उद ज़मानी”, को जोधा बाई बता कर एक झूठी अफवाह फैलाई और इसी अफवाह के आधार पर अकबर और जोधा की प्रेमकथा के झूठे किस्से शुरू किये गये, जबकि अकबरनामा और जहाँगीरनामा के अनुसार ऐसा कुछ नहीं था !

18 वीं सदी में मरियम को हरखा बाई का नाम देकर, उसको मान सिंह की बेटी होने का झूठा प्रचार शुरू किया गया। फिर 18 वीं सदी के अन्त में एक ब्रिटिश लेखक जेम्स टॉड ने अपनी किताब “एनैलिसिस एंड एंटीक्स ऑफ राजस्थान” में मरियम से हरखा बाई बनी, इसी रानी को जोधा बाई बताना शुरू कर दिया और इस तरह यह झूठ आगे जाकर इतना प्रबल हो गया कि आज यही झूठ भारत के स्कूलों के पाठ्यक्रम का हिस्सा बन गया है और जन जन की जुबान पर यह झूठ, सत्य की तरह बैठ गया है तथा इसी झूठ का सहारा लेकर राजपूतों को नीचा दिखाने की कोशिश की जाती है ! जब भी मैं जोधाबाई और अकबर के विवाह के प्रसङ्ग को सुनता या देखता हूँ , तो मन में कुछ अनुत्तरित प्रश्न कौंधने लगते हैं !

आन, बान और शान के लिए मर मिटने वाले, शूरवीरता के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध भारतीय क्षत्रिय अपनी अस्मिता से क्या कभी इस तरह का समझौता कर सकते हैं ?

हजारों की संख्या में एक साथ अग्निकुण्ड में जौहर करने वाली क्षत्राणियों में से कोई स्वेच्छा से किसी मुगल से विवाह कर सकती है ? जोधा और अकबर की प्रेमकथा पर केन्द्रित अनेक फिल्में और टीवी धारावाहिक, मेरे मन की टीस को और अधिक बढ़ा देते हैं !

अब जब यह पीड़ा असहनीय हो गई तो एक दिन इस प्रसङ्ग में इतिहास जानने की जिज्ञासा हुई, तो पास के पुस्तकालय से अकबर के दरबारी "अबुल फजल" के द्वारा लिखित "अकबरनामा" निकाल कर पढ़ने के लिए ले आया, उत्सुकतावश उसे एक ही बैठक में पूरा पढ़ गया। पूरी किताब पढ़ने के बाद घोर आश्चर्य तब हुआ जब पूरी पुस्तक में जोधाबाई का कहीं कोई उल्लेख ही नहीं मिला !

मेरी आश्चर्यमिश्रित जिज्ञासा को भाँपते हुए मेरे मित्र ने एक अन्य ऐतिहासिक ग्रन्थ "तुजुक-ए-जहाँगीरी" को, जो जहाँगीर की आत्मकथा है, मुझे दिया ! इसमें भी आश्चर्यजनक रूप से जहाँगीर ने अपनी माँ जोधाबाई का एक बार भी उल्लेख नहीं किया है !

हाँ, कुछ स्थानों पर हीर कुवँर और हरका बाई का उल्लेख अवश्य था। अब जोधाबाई के बारे में सभी ऐतिहासिक दावे झूठे लग रहे थे। कुछ और पुस्तकों और इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी के पश्चात् सच्चाई सामने आई कि “जोधा बाई” का पूरे इतिहास में कहीं कोई उल्लेख या नाम नहीं है !

इस खोजबीन में एक नई बात सामने आई, जो बहुत चौकानें वाली है ! इतिहास में दर्ज कुछ तथ्यों के आधार पर पता चला कि आमेर के राजा भारमल को दहेज में "रुकमा" नाम की एक पर्सियन दासी भेंट की गई थी, जिसकी एक छोटी पुत्री भी थी।

रुकमा की बेटी होने के कारण उस लड़की को "रुकमा-बिट्टी" के नाम से बुलाया जाता था। आमेर की महारानी ने "रुकमा बिट्टी" को "हीर कुवँर" नाम दिया। हीर कुँवर का लालन पालन राजपूताना में हुआ, इसलिए वह राजपूतों के रीति-रिवाजों से भली भाँति परिचित थी।

राजा भारमल उसे कभी हीर कुवँरनी तो कभी हरका कह कर बुलाते थे। राजा भारमल ने अकबर को बेवकूफ बनाकर अपनी पर्सियन दासी रुकमा की पुत्री हीर कुवँर का विवाह अकबर से करा दिया, जिसे बाद में अकबर ने मरियम-उज-जमानी नाम दिया !

चूँकि राजा भारमल ने उसका कन्यादान किया था, इसलिये ऐतिहासिक ग्रन्थों में हीर कुवँरनी को राजा भारमल की पुत्री बताया गया, जबकि वास्तव में वह कच्छवाह की राजकुमारी नहीं, बल्कि दासी-पुत्री थी !

राजा भारमल ने यह विवाह एक समझौते की तरह या राजपूती भाषा में कहें तो हल्दी-चन्दन के तौर पर किया था। इस विवाह के विषय में अरब में बहुत सी किताबों में लिखा गया है !

(“ونحن في شك حول أكبر أو جعل الزواج راجبوت الأميرة في هندوستان آرياس كذبة لمجلس”) हम यकीन नहीं करते इस निकाह पर हमें सन्देह

इसी तरह इरान के मल्लिक नेशनल संग्रहालय एन्ड लाइब्रेरी में रखी किताबों में, एक भारतीय मुगल शासक का विवाह एक पर्सियन दासी की पुत्री से करवाये जाने की बात लिखी है !

"अकबर-ए-महुरियत" में यह साफ-साफ लिखा है कि (ہم راجپوت شہزادی یا اکبر کے بارے میں شک میں ہیں) हमें इस हिन्दू निकाह पर सन्देह है, क्योंकि निकाह के वक्त राजभवन में किसी की आँखों में आँसू नहीं थे और न ही हिन्दू गोदभराई की रस्म हुई थी !

सिक्ख धर्मगुरु अर्जुन और गुरु गोविन्द सिंह ने इस विवाह के विषय में कहा था कि क्षत्रियों ने अब तलवारों और बुद्धि दोनों का इस्तेमाल करना सीख लिया है, मतलब राजपूताना अब तलवारों के साथ-साथ बुद्धि से भी काम लेने लगा है !

17 वीं सदी में जब "परसी" भारतभ्रमण के लिये आये तब उन्होंने अपनी रचना ”परसी तित्ता” में लिखा, “यह भारतीय राजा एक पर्सियन वेश्या को सही हरम में भेज रहा है, अत: हमारे देव (अहुरा मझदा) इस राजा को स्वर्ग दें” !

भारतीय राजाओं के दरबारों में राव और भाटों का विशेष स्थान होता था। वे राजा के इतिहास को लिखते थे और विरदावली गाते थे, उन्होंने साफ साफ लिखा है,

”गढ़ आमेर आयी तुरकान फौज ले ग्याली पसवान कुमारी, राण राज्या

राजपूता ले ली इतिहासा पहली बार ले बिन लड़िया जीत ! (1563 AD)

मतलब आमेर किले में मुगल फौज आती है और एक दासी की पुत्री को ब्याह कर ले जाती है! हे रण के लिये पैदा हुए राजपूतो, तुमने इतिहास में ले ली, बिना लड़े पहली जीत 1563 AD !

ये कुछ ऐसे तथ्य हैं जिनसे एक बात समझ आती है कि किसी ने जानबूझकर गौरवशाली क्षत्रिय समाज को नीचा दिखाने के उद्देश्य से ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ की और यह कुप्रयास अभी भी जारी है !

किन्तु अब यह षड़यन्त्र अधिक दिन नहीं चलने वाला।😏😏😏

मृत्यु के समय सिराहने 3 चीज रखने से सारे पापों को माफ़ कर देते हैं यमराज

मृत्यु के समय सिराहने  3 चीज रखने से सारे पापों को माफ़ कर देते हैं यमराज

 वैसे मृत्यु के समय सिरहाने निम्न चीजों को रखा जाना चाहिए

गंगा जल - ये अर्थात गंगा जल ज्यादातर सभी हिंदुओं के घर में हमेशा ही रहता है। इसका जितना महत्व पूजा में होती है। उतनी ही अनिवार्यता मृत्यु के समय भी होती है। यदि मृत्यु के समय सिरहाने इसे रखा जाय तो कहते हैं कि जिस प्रकार गंगा जल में कीड़े नहीं लगते उसी प्रकार उसी प्रकार हमारे जीवन में किए गए पाप रुपी कीड़े भी इसके स्पर्श मात्र से नष्ट हो जाते हैं। जिसके परिणामस्वरूप यमराज हमें पापों से मुक्ति देते हैं।

 
 
तुलसी - 🙏🌺🌺🌺🌺 तुलसी के बारे में सभी जानते हैं। ये बैक्टीरिया नाशक है। इसे सिरहाने रखने से सभी दोषों से मुक्ति मिल जाती है। कहा जाता है कि तुलसी और गंगाजल स्वर्ग में नहीं मिलती अतः धरती पर ही मिलने के कारण सबसे अधिक पवित्र, दुर्लभ और पापनाशिनी होने के कारण यमराज प्रसन्न होकर पापों से मुक्ति दे देते हैं।
 
 
भागवत गीता - भागवत गीता 🌺🌺🌺🙏 योगेश्वर, सबसे बड़े राजनीतिज्ञ, श्रीकृष्ण के मुख से निकले ज्ञान का सागर है। इसलिए कहा जाता है कि इसके श्रवण मात्र से जीवन मृत्यु के दुखदायी चक्र से मुक्ति मिल जाती है। अतः इन्हें सिरहाने रखनें से पापियों को पाप से तारती है। परिणामस्वरूप यमराज पापों से मुक्ति का वरदान प्रदान करते हैं।🌺🌺🌺🌺🌺🙏🌺🌺🌺🌺🌺


ये तो हुई धार्मिक कारण किंतु इन सबके अतिरिक्त एक परम सत्य कुछ और भी है। जो गृहस्थ आश्रम वालों के लिए थोड़ा कठिन है। पापों से मुक्ति का मूल मार्ग है। ज्ञान , सद्कर्म सबसे प्रेम करना वो भी निष्कम , वैराग्य भाव के साथ। मोह का लेश मात्र स्थान नहीं होना चाहिए। तभी वास्तव में सच्ची मुक्ति की प्राप्ति होती है। 🙏🙏🌺🌺🌺🌺🌺🌺🙏🙏🌺🌺🌺🌺🌺🌺

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एक कविता माहेश्वरी के लिए समर्पित



 एक कविता माहेश्वरी के लिए समर्पित 


  माहेश्वरी होकर माहेश्वरी का,
          आप सभी सम्मान करो!


सभी  माहेश्वरी एक हमारे,
         मत उसका नुकसान करो!
चाहे माहेश्वरी कोई भी हो,

         मत उसका अपमान करो!
जो ग़रीब हो, अपना माहेश्वरी
          रोजगार देकर धनवान करो!
हो गरीब माहेश्वरी की बेटी,
          मिलकर कन्या दान करो!
अगर लड़े चुनाव माहेश्वरी ,
        शत प्रतिशत मतदान करो!
हो बीमार कोई भी माहेश्वरी ,
         उसका दिल से सहयोग करो!
बिन घर के कोई मिले माहेश्वरी ,
         उसका खड़ा मकान करो!

अगर माहेश्वरी दिखे भूखा,
        भोजन का इंतजाम करो!
अगर माहेश्वरी की हो अटकी फाईल,
         शीघ्र काम श्रीमान करो!

  माहेश्वरी की लटकी हो राशि,
        शीघ्र आप भुगतान करो!
 माहेश्वरी को अगर कोई सताये,
       उसकी आप पहचान करो!
अगर जरूरत हो माहेश्वरी  को,
        घर जाकर श्रमदान करो!
अगर मुसीबत में हो माहेश्वरी ,
       फौरन मदद का काम करो!
अगर माहेश्वरी दिखे वस्त्र बिन,
      उसे अंग वस्त्र का दान करो!
अगर माहेश्वरी दिखे उदास,
         खुश करने का काम करो!
अगर माहेश्वरी घर पर आये.
 जय श्री कृष्णा जी बोल कर सम्मान करे!
अपने से हो बड़ा महेश्वरी ,
         उसको आप प्रणाम करो!
हो गरीब माहेश्वरी का बेटा,
         उसकी मदद तमाम करो!

बेटा हो गरीब माहेश्वरी का पढ़ता,
          कापी पुस्तक दान करो!
🙏जय माहेश्वरी समाज 🙏


यदि आप माहेश्वरी समाज का विकास करना चाहते है तो यह कविता प्रत्येक माहेश्वरी तक पहुंचनी चाहिये।👏👏👏

दुनिया की सबसे मजबूत और महँगी करेंसी का नाम “राम” है। भगवान राम की तस्वीर वाले नोट


भगवान राम की तस्वीर वाले नोट, 1 मुद्रा की इतनी थी कीमत
आज 1 राम = 10 यूरो के बराबर है।

आप सभी ने गांधीजी की तस्वीर वाले नोट तो बहुत देखे होंगे. लेकिन अगर कोई आपसे पूछे कि भगवान राम की तस्वीर वाले नोट के बारे में क्या जानते हैं? तो ज्यादातर लोगों का जवाब 'कुछ नहीं' ही होगा. तो चलिए आज हम आपको उस देश के बारे में बताते हैं जहां राम की तस्वीर वाले नोट छपे थे.

दुनिया की सबसे मजबूत और महँगी करेंसी का नाम “राम” है।

महर्षि महेश योगी ने Holland में आज से लगभग बीस साल पहले “राम” नाम से करेंसी चलाई थी जिसे डच सरकार ने मान्यता भी दी हुई है। ये मुद्रा आज भी चल रही है।



राम मुद्रा को अक्टूबर 2001 में संयुक्त राज्य अमेरिका में महर्षि महेश योगी से जुड़े एक नॉन प्रोफिट आर्गेनाइजेशन द ग्लोबल कंट्री ऑफ वर्ल्ड पीस (GCWP) द्वारा लॉन्च किया गया था. इस राम मुद्रा से उनके आश्रम के भीतर कोई भी व्यक्ति सामान खरीद सकता था. हालांकि इस मुद्रा का इस्तेमाल सिर्फ आश्रम के भीतर या फिर आश्रम से जुड़े सदस्यों के बीच ही किया जा सकता था. आश्रम के बाहर अन्य शहर में इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता था.





बीबीसी की एक पुरानी रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2003 में नीदरलैंड में लगभग 100 दुकान, 30 गांव और साथ ही कई कस्बों के कुछ हिस्सों में ‘राम मुद्रा’ चलती थी. उस वक्त ‘डच सेंट्रल बैंक’ ने जानकारी देते हुए कहा था कि, हम ‘राम मुद्रा’ पर नजर बना कर रखते हैं. हमें उम्मीद है कि महर्षि महेश योगी की संस्था क्लोज ग्रुप में ही इस करेंसी का इस्तेमाल करेगी और कानून से बाहर जाकर कुछ नहीं करेगी.




कहा जाता है कि 24 फरवरी 2002 से राम मुद्रा के लेनदेन की शुरुआत हुई. वैदिक सिटी के आर्थिक और सांस्कृतिक विकास के लिए अमेरिकी सिटी काउंसिल ने इस मुद्रा को स्वीकार तो किया लेकिन कभी इसे लीगल टेंडर नहीं दिया. यानी अमेरिका और नीदरलैंड के सेंट्रल बैंकों ने कभी राम मुद्रा को लीगल टेंडर (आधिकारिक मुद्रा) नहीं माना



महर्षि महेश योगी छत्तीसगढ़ राज्य में पैदा हुए थे. उनका असल नाम महेश प्रसाद वर्मा था. उन्होंने फिजिक्स में उच्च शिक्षा लेने के बाद शंकराचार्य ब्रह्मानन्द सरस्वती से दीक्षा ली थी. इसके बाद उन्होंने विदेश में अपना प्रचार-प्रसार किया था. खासकर उनका भावातीत ध्यान (Transcendental Meditation) विदेश में काफी लोकप्रिय है. वर्ष 2008 में उनकी मृत्यु हो गई थी.

गुरुवार, 13 अप्रैल 2023

क्यों भारतीय महिलाओं को साष्टांग दंडवत प्रणाम निषेध माना गया है?

क्यों भारतीय महिलाओं को साष्टांग दंडवत प्रणाम निषेध माना गया है?
एक बार चित्र को गौर से देखिए फिर पोस्ट पढ़े...

अब आते आखिर साष्टांग प्रणाम क्या है?

आपने कभी ये देखा है कि कई लोग मूर्ति के सामने लेट कर माथा टेकते है।

जी हां इसी को साष्टांग दंडवत प्रणाम कहा जाता है।

शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि इस प्रणामें व्यक्ति का हर एक अंग जमीन को स्पर्श करता है। जो कि माना जाता है कि व्यक्ति अपना अहंकार छोड़ चुका है। इस आसन के जरिए आप ईश्वर को यह बताते हैं कि आप उसे मदद के लिए पुकार रहे हैं। यह आसन आपको ईश्वर की शरण में ले जाता है। लेकिन आपने यह कभी ध्यान दिया है कि महिलाएं इस प्रणाम को क्यों नहीं करती है। इस बारें में शास्त्र में बताया गया है। जानिए क्या?

शास्त्रों के अनुसार स्त्री का गर्भ और उसके वक्ष कभी जमीन से स्पर्श नहीं होने चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि उसका गर्भ एक जीवन को सहेजकर रखता है और वक्ष उस जीवन को पोषण देते हैं। इसलिए यह प्रणाम स्त्रियां नहीं कर सकती है। जो करती भी है उन्हें यह प्रणाम नहीं करना चाहिए। उन्हें चित्रानुसार बैठकर झुककर प्रणाम करना चाहिए, सिधे लेटकर दण्डवत नहीं।

ऑटोमेटिक गियर वाली गाड़ी चलाते समय क्या क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?

 

अब धीरे-धीरे ऑटोमेटिक गाड़ियों का चलन बढ़ता ही जा रहा है. आज नहीं तो कल ऑटोमेटिक कार से आपका भी पाला पड़ सकता है, जरुरी नहीं की अपनी ही हो. कभी किसी इमरजेंसी वाली स्थिति में भी किसी की ऑटोमेटिक कार ड्राइव करनी पड़ी, तो आपको ड्राइविंग आने के बाद भी ड्राइव करने के लिए सोचना पड़ेगा.

पी,आर,एन,डी और एस (PRNDS)

जब कभी आपका ऑटोमेटिक कार से पाला पड़ेगा, तब आपको इसमें गियर लिवर के पास अंग्रेजी में P,R,N,D,S अक्षर लिखे हुए मिलेंगे. न कि मेनुअल कार की तरह 1,2,3,4,5,6. इसलिए पहली बार इन अक्षरों को देखकर आपको थोड़ा सा असहज महसूस हो सकता है. लेकिन एक बार इनका मतलब समझने के बाद आपको आसान लगने लगेगा.

जब भी आप ऑटोमेटिक कार चलाएं, तो बस पी,आर,एन,डी,एस मोड्स को याद रखें. यानि जब आपको कार पार्क करनी है, तब आपको गियर लिवर पी के सामने ले जाना होगा. इससे पार्किंग मोड ऑन हो जायेगा. इसी तरह सभी मोड्स काम करेंगे. जैसे आपको कार को बैक करना हो, तब आपको गियर लिवर आर के सामने रखना होगा. अगर आप रेड लाइट या ऐसी ही कहीं गाड़ी रोककर खड़े हैं, तब आपको गियर लिवर को एन के सामने रखना होगा. जिससे कार न्यूट्रल मोड में आ जाएगी और जब आप ड्राइव करने के लिए हैं, आप लिवर को डी के सामने कर दें. तब आपकी गाड़ी गियर मोड में आ जाएगी और गाड़ी चलते समय अपने आप जरुरत के मुताबिक गियर बदलती रहेगी. वहीं एस यानि स्पोर्ट्स मोड कार को अतिरिक्त पावर देने का काम करता है.

बुधवार, 12 अप्रैल 2023

फ्रीडम 251 मोबाइल का क्या हुआ?

 

फ्रीडम 251 एक कम कीमत वाला स्मार्टफोन था जिसे 2016 में भारत में काफी धूमधाम से लॉन्च किया गया था। कीमत मात्र रु. 251 (लगभग $4), डिवाइस को दुनिया के सबसे सस्ते स्मार्टफोन के रूप में पेश किया गया था और इसने उपभोक्ताओं से काफी चर्चा और रुचि पैदा की थी। हालाँकि, लॉन्च विवाद में फंस गया था, और तब से डिवाइस का भाग्य अनिश्चित रहा है।

फ्रीडम 251, रिंगिंग बेल्स के पीछे की कंपनी, भारतीय स्मार्टफोन बाजार में एक अपेक्षाकृत अज्ञात फर्म थी। कंपनी ने दावा किया कि उसने जनता को एक किफायती स्मार्टफोन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से डिवाइस को इन-हाउस विकसित किया है। हालांकि, संशयवादियों ने इस तरह के कम लागत वाले डिवाइस की व्यवहार्यता के बारे में चिंता जताई और कुछ ने रिंगिंग बेल्स पर एक घोटाला करने का आरोप लगाया।

संदेह के बावजूद, कंपनी फरवरी 2016 में फ्रीडम 251 के लॉन्च के साथ आगे बढ़ी। डिवाइस में 4 इंच का डिस्प्ले, 1.3 गीगाहर्ट्ज क्वाड-कोर प्रोसेसर, 1 जीबी रैम और 8 जीबी की इंटरनल स्टोरेज जैसी बुनियादी विशेषताएं थीं। . इसमें 3.2 मेगापिक्सल का रियर कैमरा और 0.3 मेगापिक्सल का फ्रंट कैमरा भी था। डिवाइस एंड्रॉइड 5.1 लॉलीपॉप पर चलता था और कई ऐप के साथ आता था।

फ्रीडम 251 का लॉन्च एक अराजक मामला था, कंपनी को लॉन्च के कुछ ही घंटों के भीतर लाखों प्री-ऑर्डर प्राप्त हुए। हालाँकि, कंपनी जल्द ही मुश्किल में पड़ गई जब यह पता चला कि उसने सरकार और नियामक निकायों से आवश्यक प्रमाणपत्र और अनुमोदन प्राप्त नहीं किए थे। डिवाइस की गुणवत्ता और व्यवसाय मॉडल की व्यवहार्यता के बारे में भी चिंताएं थीं।

फ्रीडम 251 का भविष्य अस्पष्ट है। डिवाइस के पीछे की कंपनी, रिंगिंग बेल्स, तब से बंद है, और कंपनी के संस्थापकों के ठिकाने अज्ञात हैं। डिवाइस को प्री-ऑर्डर करने वाले कुछ उपभोक्ताओं को रिफंड मिला, जबकि अन्य को खाली हाथ छोड़ दिया गया। डिवाइस को कभी भी व्यापक रूप से वितरित या दुकानों में बेचा नहीं गया था, और यह भारतीय स्मार्टफोन बाजार के इतिहास में एक जिज्ञासु फुटनोट बना हुआ है।

अंत में, फ्रीडम 251 की कहानी प्रचार के खतरों और पारदर्शिता और नियामक अनुपालन के महत्व के बारे में एक सतर्क कहानी है। जबकि जनता के लिए कम लागत वाले स्मार्टफोन का विचार एक आकर्षक है, यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि ऐसे उपकरण सुरक्षित, विश्वसनीय और एक व्यवहार्य व्यवसाय मॉडल द्वारा समर्थित हों।

शादी एक पवित्र बंधन है.. मर्यादाओं मे रहे ..🙏🏻अपनी पुरानी परंपरा ही ठीक है.....दिखावे से बचे।

 

एक शुद्ध #भारतीय विवाह

जयपुर राजस्थान में वर पक्ष की मांगो से आश्चर्यचकित हुआ वधु परिवार,

विवाह पूर्व एक लड़के की अनोखी मांगों से लड़की वाले हैरान हैं

☆लड़के की मांगों की चर्चा पूरे शहर में हो रही है।

☆यह मांगें दहेज को लेकर नहीं बल्कि विवाह संपन्न कराने के तरीके और अनुचित परंपराओं को लेकर हैं !!

मांगें इस प्रकार से हैं::

01 कोई प्री वैडिंग शूट नहीं होगा.

02 🌹 दुल्हन शादी में लहंगे की बजाय साड़ी पहनेगी.

03 🌹 मैरिज लॉन में ऊलजुलूल अश्लील कानफोड़ू संगीत की बजाय, हल्का इंस्ट्रूमेंटल संगीत बजेगा.

04🌹 वरमाला के समय केवल दूल्हा दुल्हन ही स्टेज पर रहेंगे.

05🌹 वरमाला के समय दूल्हे या दुल्हन को.. उठाकर उचकाने वालों को विवाह से निष्कासित कर दिया जायेगा.

06🌹 पंडितजी द्वारा विवाह प्रक्रिया शुरू कर देने के बाद कोई ,उन्हें रोके टोकेगा नहीं.

07🌹 कैमरामैन फेरों आदि के चित्र दूर से लेगा न कि बार बार पंडितजी को टोक कर..!

ये देवताओं का आह्वान करके उनके साक्ष्य में किया जा रहा विवाह समारोह है.. ना की किसी फिल्म की शूटिंग.

08🌹 दूल्हा दुल्हन द्वारा कैमरामैन के कहने पर उल्टे सीधे पोज नहीं बनाये जायेंगे.

09🌹विवाह समारोह दिन में हो और शाम तक विदाई संपन्न हो। जिससे किसी भी मेहमान को रात 12 से 1 बजे खाना खाने से होने वाली समस्या जैसे अनिद्रा, एसिडिटी आदि से परेशान ना होना पड़े।

इसके अतिरिक्त मेहमानों को अपने घर पहुंचने में मध्य रात्रि तक का समय ना लगे और असुविधा ना हो।

10🌹नवविवाहित को सबके सामने.. आलिंगन के लिए कहने वाले को तुरंत विवाह से निष्कासित कर दिया जायेगा.

11. विवाह में किसी प्रकार का मांस मदिरा वर्जित होगा, विवाह में देवी देवताओं का आवाह्न किया जाता है, मांस मदिरा देखकर देवी देवता रूष्ट होकर , दुल्ले दुल्हन को बिना आशीर्वाद दिए चले जाते हैं।

🌹ज्ञात हुआ है लड़की वालों ने लड़के की सभी मांगे सहर्ष मान ली है..!!

समाज सुधार करने के लिए सुंदर सुझाव.! सभी के लिए अनुकरणीय..!!

🙏🏻शादी एक पवित्र बंधन है.. मर्यादाओं मे रहे ..🙏🏻अपनी पुरानी परंपरा ही ठीक है.....दिखावे से बचे।

सनातन धर्म की जय हो। जय श्री राम 🚩

सांपों को मारने वाले लोगों को सज़ा भुगतनी पड़ती है


 सांपों को मारने वाले लोगों को गरुड़ पुराण जो कि श्रीविष्णु एवं उनके वाहन गरुड़ के मध्य संवाद है। उसके अनुसार यदि कोई मनुष्य जान बूझकर किसी सर्प की हत्या करता है तो उनके अगले जन्म में कालसर्प दोष दुर्योग कुंडली में बन जाता है।

१८ पुराणों में से एक गरूड़ पुराण में कहा गया है। यह १८ वां पुराण है इसकी जानकारी मुझे पिछले वर्ष मेरे पिता की मृत्यु हुई तब ये सारी ज्ञानभरी जानकारी प्राप्त हुई, कि किस कर्मों के अनुसार क्या फल मिलता है?

पुराण में ही कहा गया है कि जिस गृह में सांप निवास करते हैं उस घर को तत्काल छोड़ देने में ही भलाई है क्योंकि इससे घर में किसी सदस्य की अकाल मृत्यु हो सकती है।

  • मनुष्य हो या पशु/ पक्षी या सरीसृप वर्ग के जीव प्रत्येक जीव की हत्या करने पर दंड अवश्य मिलती है।
  • जो भी मनुष्य किसी जीव की निर्ममता पूर्वक हत्या करता है उसे उसका दंड निश्चित रूप से भोगना पड़ता है।
  • धर्म शास्त्रों में इस संबंध में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि प्रत्येक मनुष्य को सरीसृप जीवों की हत्या करने से बचना चाहिए। यदि कोई भी व्यक्ति सांप की हत्या करता है तो उस व्यक्ति को इसका परिणाम कई जन्मों तक भोगना पड़ता है।
  • ज्योतिषशास्त्र में भी ऐसा कहा गया है कि सांप की हत्या करने या कष्ट पहुंचाने वाले व्यक्ति को उसके द्वारा किए गए इस पाप से छुटकारा नहीं मिलता है। यह भी कहा जाता है कि जो ऐसा करता है अगले जन्म में उनकी कुण्डली में कालसर्प नामक योग बनता है। इस योग के चलते व्यक्ति को जीवन में भयंकर परेशानियां घेर लेती हैं।
  • अनेक प्रयासों के पश्चात भी अवरोध /असफलताएं सर्पों की हत्या करने वालों की पीछा नहीं छोड़ती है।
  • जो लोग सर्पों को डंडे से पीट - पीट कर मारते हैं, ऐसे भी सभी क्षेत्रों में पिछड़े हुए होते हैं। समस्या उनका पीछा नहीं छोड़ती है।
  • अतः मेरा यह व्यक्तिगत रूप से मानना है कि हमें सांपों को ही नहीं अपितु किसी भी जीव को नहीं मारना चाहिए। ना ही किसी भी प्रकार का शारीरिक कष्ट पहुंचाना चाहिए। बुरे कर्म का बुरा परिणाम भोगना ही पड़ता है।

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